वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

vnraj wrote:ऊफफफफ कहीं भी रोक देते है । जरा हमलोगो का भी ख्याल रखिये
दोस्त आगे से ख्याल रखूँगा
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

कुछ देर ज़ाहिद ने ऊपर से कोई हरकत ना की मगर नीचे से जमशेद हल्के हल्के झटके मारता हुआ अपनी बेहन की चूत को चोदने में मसरूफ़ रहा.

नीलोफर ने अब अपनी गान्ड को थोड़ा ढीला छोड़ दिया. जिस की वजह उस की गान्ड में दर्द की शिद्दत कम होने लगी और अब उसे अपनी गान्ड में फँसा हुआ ज़ाहिद का लंड अच्छा लगने लगा.

जब ज़ाहिद ने महसूस किया कि नीलोफर की गान्ड की दीवारे उस के लंड के इर्द गिर्द थोड़ी ढीली पड़ने लगी हैं. तो वो भी समझ गया कि अब नीलोफर की गान्ड ने उस के लंड को अपनी आगोश में “काबूलियत” का “शरफ” बख्स दिया है.

इस बात को जानते ही ज़ाहिद ने आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को आगे पीछे कर के नीलोफर की गान्ड की चुदाई दुबारा से शुरू कर दी.

ज़ाहिद ने अपना पूरा दबाव नीलोफर की पुष्ट पर डाला हुआ था. जिस की वजह से नीलोफर बुरी तरहा अपनी भाई के सीने से चिपटी हुई थी. और ज़ाहिद के झटकों की वजह से नीलोफर के बड़े बड़े मम्मे के निपल्स उस के भाई की सख़्त छाती से रगड़ खा रहे थे. इस वजह से नीलोफर को अपनी चुदाई का और भी मज़ा आ आने लगा.


नीलोफर की चूत और गान्ड के दरमियानी हिस्से में जो उस के बदन का पतला सा गोश्त था.उस गोश्त के अंदर से जमशेद को नीलोफर की गान्ड में जाता हुआ ज़ाहिद का लंड अपने लंड से टकराता हुआ महसूस हो रहा था.

जब कि नीचे से ज़ाहिद के लटकते हुए टटटे जमशेद के टट्टो के साथ टकरा रहे थे.

अब नीलोफर अपने भाई और एएसआइ ज़ाहिद के दरमियाँ में एक स्वन्डविच बनी हुई थी. और वो दोनो नीलोफर की चूत और गान्ड को मज़े ले ले कर चोद रहे थे.

नीलोफर ने इस से पहले कभी दो मर्दो से एक साथ नही चुदवाया था. इस लिए चुदाई के इस अंदाज़ ने उस को जिन्सी लज़्ज़त की उन मंज़िलो तक पहुँचा दिया कि जिस का उस ने कभी तसव्वुर भी नही किया था.

वो अब तक कितनी बार झड चुकी थी. इस का खुद उसे भी नही पता था.झड झड कर नीलोफर की चूत पूरी सूख चुकी थी.

नीलोफर को अपनी इस तरह की चुदवाइ का बहुत मज़ा आ रहा था और वो मज़े के आलम में चीखने लगी.

जमशेद और ज़ाहिद को नीलोफर की चूत और गान्ड की चुदाई करते हुए 10 मिनिट्स से ज़्यादा का टाइम हो गाया था.और इस ज़ोरदार चुदाई की वजह से वो तीनो पसीने पसीने हो गये थे.

कुछ लम्हे बाद जमशेद बोला: ओह्ह्ह्ह नीलोफर मेरी जान में अब छूटने वाला हूँ.

ज़ाहिद ने ज्यों ही यह सुना तो वो नीलोफर के पीछे से फॉरन बोला: यार थोड़ा सबर कर में भी छूटने लगा हूँ दोनो साथ छूटेंगे.

फिर दोनो ने एक साथ पूरे जोश में आ कर नीलोफर की चूत और गान्ड में झटके मारे.

दोनो के लंड ने एक साथ झटका खाया और दोनो के लंड से एक साथ वीर्य की पिचकारी निकली. जो नीलोफर की चूत और गान्ड को एक साथ भरती चली गई.

दो लंड के गरमा गरम वीर्य को एक साथ अपनी चूत और गान्ड के अंदर छूटता हुआ महसूस कर के नीलोफर को जो मज़ा मिला वो उस के लिए ना क़ाबले बयान था.

मज़े की शिद्दत से महज़ूज़ होते हुए नीलोफर के जिस्म ने एक झटका खाया और उस की अपनी चूत ने भी एक बार फिर अपना पानी छोड़ दिया.

अपनी चूत का पानी छूटा हुआ महसूस करते ही नीलोफर को ऐसा स्वाद आया कि उस ने मज़े में आते हुए अपनी आँखे बंद कर लीं.

नीलोफर की ऐसी चुदाई आज तक किसी ने नही की थी.वो अपने हाल से बे हाल हो गई थी. और वो इस भरपूर चुदाई के हाथो बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी.

अब वो तीनो बिस्तर पर एक दूसरे के ऊपर उसी तरह पड़े लंबी लंबी साँसे ले रहे थे.

जमशेद और ज़ाहिद के लंड अभी तक नीलोफर की गान्ड और चूत में धन्से हुए थे. और उन के लंड का रस आहिस्ता आहिस्ता बहता हुआ नीलोफर की चूत और गान्ड से बाहर निकल कर बिस्तर की चादर में जज़्ब हो रहा था.

कुछ देर बाद जब अपने जिस्म के ऊपर बेसूध पड़े एएसआइ ज़ाहिद के जिस्म का बोझ नीलोफर के लिए ना क़ाबले बर्दास्त हो गया तो उस ने ज़ाहिद को अपने जिस्म से अलग होने को कहा.

ज्यों ही ज़ाहिद नीलोफर से अलहदा हो कर बिस्तर पर ढेर हुआ. तो नीलोफर की जान में जान आई.

थोड़ी देर अपनी बिखरी सांसो को बहाल करने के बाद नीलोफर अपनी भाई के लंड से उठी और अपने कपड़े ले कर बाथरूम की तरफ चल पड़ी.

आज दो मर्दो के हाथो अपनी चुदाई और ख़ास्स तौर पर पहली दफ़ा गान्ड मरवाई के बाद नीलोफर के लिए इस वक्त बाथरूम तक चल कर जाना भी मुश्किल हो रहा था.

उस की चूत और गान्ड चुदाई की शिद्दत की वजह से सूज कर फूल गईं थीं. और उस की चूत और गान्ड में बुरी तरह से एक जलन सी हो रही थी.जिस की वजह से उस के लिए चलना भी मुहाल हो रहा था.

जैसे तैसे कर के वो बाथरूम पहुँची और अपने मुँह और जिस्म को सॉफ कर के उस ने बड़ी मुश्किल से अपने कपड़े पहने और फिर बाथरूम से बाहर निकल आई.

नीलोफर के बाथरूम से बाहर आने तक जमशेद और ज़ाहिद भी अपने अपने कपड़े पहन चुके थे.

ज्यों ही नीलोफर बाथरूम से वापिस लॉटी तो एएसआइ ज़ाहिद ने दोनो बेहन भाई को अपनी क़ैद से रिहाई की सज़ा सुनाई.

जमशेद और नीलोफर को यकीन ना हुआ कि ज़ाहिद उन को यूँ पैसे लिए बगैर जाने दे गा.

मगर फिर ज्यों ही उन्हो ने ज़ाहिद के मुँह से चले जाने के इलफ़ाज़ सुने. तो जमशेद और नीलोफर ने फॉरन कमरे से बाहर निकल जाने में ही अपनी ख़ैरियत समझी.

वो दोनो बेहन भाई जैसे ही कमरे से बाहर निकलने लगे तो ज़ाहिद ने उन को पीछे से आ कर फिर रोक लिया.

ज़ाहिद: में तुम दोनो को एक शर्त पर जाने की इजाज़त दे रहा हूँ.

जमशेद: वो क्या?.

ज़ाहिद: बात यह है कि आज नीलोफर को चोद कर मुझे बहुत मज़ा आया है और में चाहता हूँ कि तुम कभी कभार उसे मुझ से चुदवाने के लिए इधर ले आया करो.

यह कह कर ज़ाहिद ने जमशेद को अपने मकान की चाभी देते हुए कहा” इसे अपने पास रख लो और जब दिल चाहे तुम लोग बिना किसी खोफ़ के इधर आ कर एक दूसरे के साथ चुदाई कर सकते हो.

जमशेद दिली तौर पर ज़ाहिद की किसी शर्त या ऑफर को कबूल करने पर तैयार ना हुआ. मगर मोके की नज़ाकत को समझते हुए उस ने खामोशी इक्तियार कर के ज़ाहिद से चाभी ले कर अपनी पॉकेट में रख ली और अपनी बेहन को ले कर तेज़ी से बाहर निकल गया.

उस शाम जब ज़ाहिद अपने घर वापिस आया तो उस की नज़र घर के सहन में काम करती अपनी बेहन शाज़िया पर पड़ी. जो उस वक्त एक टब में पानी ले कर सब घर वालो कपड़े धोने में मसरूफ़ थी.



ज़ाहिद को घर के अंदर आते देख कर शाज़िया ने अपने भाई को सलाम किया और भाई का हाल चाल पूछ कर दुबारा अपने काम में मसरूफ़ हो गई.

शाज़िया को देखते ही ज़ाहिद को दिन में नीलोफर की कही हुई बात याद आ गई. कि जवान जिस्म की आग बहुत ज़ालिम होती है. और जवानी की यह आग रात की तन्हाई में एक अकेली औरत को उस के बिस्तर पर बहुत तंग करती है.

ज़ाहिद यह बात याद कर के सोच में पड़ गया. कि अगर शादी शुदा होने के बावजूद नीलोफर को उस की जिस्म की आग इतना तंग कर सकती है.के वो अपने शोहर के होते हुए भी अपने ही सगे भाई से चुदवाने पर मजबोर हो जाय.

जब कि उस की बेहन शाज़िया तो एक तलाक़ याफ़्ता औरत है. वो अभी जवान है और नीलोफर की तरह यक़ीनन शाज़िया की जवानी के भी जज़्बात होंगे . तो वो कैसे अपने इन जज़्बात को ठंडा करती होगी.

आज दिन को पेश आने वाले वाकये का खुमार अभी तक ज़ाहिद के होशो-हवास पर छाया हुआ था. जिस ने ज़ाहिद को अपनी बेहन के बड़े में पहली बार ऐसा कुछ सोचने पर मजबूर ज़रूर कर दिया था. जब के आम हालत में ज़ाहिद के दिमाग़ में इस किस्म की सोच आना एक नामुमकिन सी बात होती.

लेकिन इस के साथ साथ हर भाई की तरह ज़ाहिद के लिए भी उस की बेहन एक शरीफ और पाक बाज़ औरत थी.और अपनी बेहन के मुतलक ज़ाहिद ज़ेहनी तौर पर यह बात कबूल करने को तैयार नही हो पा रहा था. कि नीलोफर की तरह उस की बेहन शाज़िया भी गरम होती हो गी.

इस लिए वो अपने दिमाग़ में आने वाले इन ख्यालात को झटकता हुआ अपनी अम्मी के पास टीवी लाउन्ज में जा बैठा.
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ज़ाहिद की अम्मी ने अपने बेटे के लिए खाना लगा दिया. ज़ाहिद खाना खाते ही अम्मी को खुदा हाफ़िज़ कह कर अपने कमरे में चला आया और एक फिर की स्टडी करने लगा.

ज़ाहिद को दूसरे दिन सुबह जल्दी उठा कर पिंडी जाना था. इस लिए वो जल्द ही बिस्तर पर सोने के लिए लेट गया और दिन भर की थकावट की बदोलत वो फ़ॉरन ही नींद में चला गया.

उधर भाई की नज़रो में शरीफ और नेक परवीन नज़र आने वाली शाज़िया की हालत भी नीलोफर से मुक्तिलफ नही थी.

शाज़िया के जिस्म में भी जवानी की आग तो बहुत थी. मगर अपनी इस आग को किसी गैर मर्द से बुझवाने के लिए वो कोई ख़तरा मोल नही ले सकती थी.

क्योंकि वो नही चाहती थी.कि इस के किसी भी ग़लत कदम से उस के खानदान की इज़्ज़त पर कोई उंगली उठाए.

मगर इस के बावजूद सच्ची बात तो यह थी. कि नीलोफर की तरह शाज़िया को भी तलाक़ के बाद उस के अपने जिस्म की आग ने बहुत परेशान कर रखा था.

लेकिन शाज़िया अपने जिस्म की आग को अभी तक अपने अंदर ही रख ने में कामयाब रही थी.

क्योंकि इस आग को संभालने का हल उस ने यह निकाला था. कि वो बाथरूम में नहाते वक्त अक्सर अपनी जवानी की आग को अपनी उंगली से ठंडा कर के पूर सकून हो जाती थी.



उस रात भी शाज़िया किचन में सारे काम निपटा कर थकि हारी अपने कमरे में आइए तो देखा कि उस की अम्मी उस के आने से पहले ही सो चुकी हैं.

शाज़िया ने भी खामोशी से अपना बिस्तर सीधा किया और अपना दुपट्टा उतार कर अपने सिरहाने रखा और अपने बिस्तर पर लेट गई.

कमरे में उस की अम्मी के ख़र्राटों की आवाज़ पूरी तरह से गूँज रही थी. इस लिए इस शोर में शाज़िया का सोना मुहाल हो रहा था.

वैसे भी आज नींद शाज़िया की आँखों से कोसो दूर थी. वो करवट ले कर कभी इधर तो कभी उधर , कभी सीधा तो कभी उल्टा हो रही थी.



इस की वजह यह थी. कि हर शादी शुदा लड़की की तरह शाज़िया को तलाक़ के बाद भी अपनी सुहाग रात कभी नही भूली थी. और आज फिर शाजिया को अपनी सुहाग रात शिद्दत से याद आ रही थी.

उस रात शाज़िया को उस के सबका शोहर ने 3 बार चोदा था और उन की चुदाई सुबह होने तक चली थी.

अपनी सुहाग रात को याद कर के शाज़िया की हालत बिगड़ने लगी और उस का पूरा जिस्म पसीने से भीगने लगा.जब कि प्यास कर मारे उस का गला भी खुश्क हो चुका था.

शाज़िया ने अपनी कमीज़ के कोने को उठा कर अपना चहरा सॉफ किया. फिर और दूसरे बिस्तर पर सोई हुई अपनी अम्मी की तरफ देख कर वो यह इतमीनान करने लगी कि वाकई ही उस की अम्मी सो चुकी हैं या नही.

कमरे में हल्की हल्की रोशनी की वजह से उस को नज़र आया कि उस की अम्मी वाकई ही दूसरी तरफ करवट बदल कर सो रहीं हैं. तो शाज़िया ने पहले तो अपने दोनो हाथो से अपनी बड़ी बड़ी छातियों को अपने हाथो में ले कर उन को हल्का हल्का दबाना शुरू किया.


फिर थोड़ी देर अपने मम्मों से खेलने के बाद शाजिया ने अपना एक हाथ आहिस्ता आहिस्ता अपने पेट से नीचे ले जा कर उसे अपनी शलवार के अंदर डाला और अपने हाथ को अपनी चूत के ऊपर रख दिया.


अपने चूचों से खुद की छेड़ खानी करने ही से शाज़िया की हालत बहुत बिगड़ चुकी थी. अपने चूचों को अपने हाथों से प्रेस करने की बदोलत ना सिर्फ़ शाज़िया की चूत बिल्कुल गीली हो गई थी. बल्कि उस की सारी शलवार भी चूत का पानी छूटने की वजह से गीली हो गई थी.

शाज़िया ने अपने हाथ को अपनी चूत के ऊपर रखते ही अपनी गीली चूत में दो उंगलियाँ डाल दीं और बहुत तेज़ी के साथ अपनी उंगलियों को चूत में अंदर बाहर करने लगी.

शाज़िया के दिमाग़ में शादी के दिनो के वो सारे मंज़र घूमने लगे. जब उस का शोहर उसे तरह तरह के पोज़ में चोदता था.

अपने पुराने शोहर का लंबा, मोटा और सख़्त लंड शाज़िया को इस वक्त बहुत याद आ रहा था.और वो गरम होते हुए अपनी चूत को खुद ही अपनी उंगलियों से चोद रही थी.

इस तरह अपनी चूत से खेलते वक्त शिद्दती जज़्बात से बेबस हो कर शाज़िया अपने होश गँवा बैठी.

उसे यह याद ही ना रहा कि उस के साथ कमरे में उस की अम्मी भी सो रही हैं.

अपनी चूत को रगड़ते रगड़ते शाज़िया के मुँह से “सीयी सीयी सी उम्मह उम्मह” की आवाज़ें आने लगीं.जिन को सुन कर कमरे के दूसरी तरफ़ सोती हुई शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी की आँखे अचानक खुल गई.

पहले तो रज़िया बीबी को समझ नही आई कि यह किस किस्म की आवाज़ें उस के कानो में सुनाई दे रही हैं. फिर जब उस की आँखें कमरे की हल्की रोशनी में देखने के काबिल हुईं. तो उस ने अपनी बेटी शाज़िया के जिस्म के निचले हिस्से पर पड़ी चादर को तेज़ी से ऊपर नीचे होते देखा तो वो हैरत जदा रह गई.

रज़िया बीबी खुद बेवा की ज़िंदगी गुज़ार रही थी. इस लिए वो अपनी बेटी की तरफ देखते और कमरे में आती आवाज़ों को सुन कर फॉरन समझ गई. कि इस वक्त उस की बेटी शाज़िया किस किसम का “खेल” खेलने में मसरूफ़ है.

फिर रज़िया के देखते ही देखते शाज़िया के जिस्म ने एक ज़ोर का झटका लिया और फिर वो पुरसकून हो गई.

शाज़िया की अम्मी ने अपनी बेटी को अपनी चूत में उंगली मारते देख तो लिया था. मगर वो यह बात सोच कर चुप हो गई कि आख़िर जवान बेटी के भी जज़्बात हैं.

और अपने शोहर से तलाक़ के बाद अपने जवानी के मचलते जज़्बात को बुझाने के लिए अब शाज़िया कर भी क्या सकती थी.

यही बात सोच कर रज़िया बीबी ने करवट बदली और फिर से सोने के जतन करने लगी.
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उधर अपनी अम्मी के जाग जाने से बे खबर शाज़िया ने भी अपनी चूत के पानी को निकाल कर सकून की साँस ली और अपने हाथ को अपनी शलवार के अंदर ही छोड़ कर नींद में चली गई.

दूसरे दिन ज़ाहिद को एक केस के सिलसिले में रावलपिंडी की हाइ कोर्ट में अपना बयान रेकॉर्ड करवाना था. इस लिए वो अपनी अम्मी और बेहन शाज़िया के उठने से पहले ही घर से निकल कर पिंडी चला गया.

शाज़िया सुबह उठ कर स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगी. जब कि उस की अम्मी ने हाथ मुँह धो कर अपने और शाज़िया के लिए नाश्ता तैयार करना शुरू कर दिया.

नाश्ते से फारिग होते ही शाज़िया के कानों में अपनी स्कूल वॅन के हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी. तो वो जल्दी से अम्मी को खुदा हाफ़िज़ कह कर स्कूल के लिए निकल पड़ी.

स्कूल पहुँच कर ज्यों ही शाज़िया स्टाफ रूम में दाखिल हुई. तो उस का सामना चेयर पर बैठी हुई एक खूबसूरत और जवान टीचर से हुआ.

शाज़िया यह ज़रूर जानती थी कि यह टीचर अभी नई नई (न्यू) उस के स्कूल में आई है. मगर इस टीचर से अभी तक शाज़िया का तार्रुफ नही हुआ था.

जब उस टीचर ने शाज़िया को स्टाफ रूम में दाखिल होते देखा तो वो अपनी चेयर से उठ खड़ी हुई और शाज़िया की तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए बोली” अस्लाम-वालेकुम मेरा नाम नीलोफर है और में आप के स्कूल में अभी नई आई हूँ.

(जी हां रीडर्स यह टीचर वो ही नीलोफर थी. जिस को एक दिन पहले एएसआइ ज़ाहिद ने अपने ही भाई के साथ चुदाई करते रंगे हाथों पकड़ा था.

चूँकि नीलोफर ने उसी सुबह ज़ाहिद को उस की बेहन शाज़िया के साथ स्कूल के गेट पर देखा हुआ था. इसी लिए वो अल कौसेर होटेल के रूम में ज़ाहिद को देख कर चोन्कि थी.)

शाज़िया: वाले-कूम-सलाम, आप से मिल कर ख़ुसी हुई.

यह कह कर शाज़िया ने भी उसे अपना तारूफ़ करवाया और फिर वो दोनो अपनी अपनी क्लास को अटेंड करने निकल गईं.

नीलोफर ने अपनी क्लास के स्टूडेंट्स को पढ़ने के लिए सबक दिया और खुद सीट पर बैठ कर कुछ सोचने लगी.

इस के बावजूद नीलोफर ने कल दो मर्दो से एक साथ चुदवा कर जिन्सी जिंदगी का एक नया मज़ा लूटा था. मगर फिर भी नीलोफर को एएसआइ ज़ाहिद के पोलीस रेड की वजह से इस तरह रंगे हाथों पकड़े जाने और फिर यूँ अपनी गान्ड की सील तुड़वाने का बहुत रंज हुआ था.

अब जब कि एक बार की चुदाई के बाद एएसआइ ज़ाहिद ने उस को दुबारा अपने पास आ कर चुदवाने का कह दिया था. तो अब नीलोफर को यह डर लग गया था कि वो नज़ाने कब तक एएसआइ ज़ाहिद के हाथों ब्लॅक मैल होती रहे गी.

इस लिए वो अब यह सोचने पर मजबूर हो गई. कि किस तरह जल्द आज़ जल्द वो कोई ऐसी राह निकाल ले जिस की वजह से एएसआइ ज़ाहिद उन दोनो बेहन भाई की जान छोड़ दे.

सोचते सोचते नीलोफर को एक प्लान ज़हन में आया और इस को सोच कर वो खुद-ब-खुद ही मुस्कराने लगी.

फिर उसी दिन घर जा कर नीलोफर ने अपने भाई जमशेद को बुलाया और उस को अपना सारा प्लान बता दिया.

जमशेद भी यह जानता था. कि अगर वो चुप रहे तो एएसआइ ज़ाहिद उन को हमेशा किसी ना किसी तरीके से ब्लॅक मैल करता रहे गा.

इस लिए अपनी बेहन का प्लान सुन कर उसे भी यकीन हो गया कि अगर उन की किस्मत ने साथ दिया तो वो एएसआइ ज़ाहिद से छुटकारा हाँसिल कर सकते हैं.

उधर पिंडी में कोर्ट से फारिग हो कर ज़ाहिद सदर बाज़ार चला आया.

कल उस का मोबाइल फोन उस के हाथ से गिर कर टूट जाने की वजह से उस के पास अब कोई फोन नही था. इस लिए ज़ाहिद ने एक नया फोन मोबाइल खरीदने का इरादा किया.

आज कल स्मार्ट फोन्स मार्केट में आ जाने की वजह से हर दूसरा आदमी इस किस्म के फोन्स का दीवाना बना नज़र आता है.

और जो लोग आइफ़ोन या सॅमसंग गॅलक्सी अफोर्ड नही कर सकते,उन के लिए कई तरह के दूसरे ब्रांड के स्मार्ट फोन्स मार्केट में दस्तियाब हैं.

इस लिए एक मोबाइल शॉप पर नये फोन चेक करते हुए ज़ाहिद ने “क्यू मोबाइल” के नये मॉडेल के ड्युयल सिम वाले दो स्मार्ट फोन खरीद लिए.

एक फोन ज़ाहिद ने अपने लिए खरीदा और दूसरा उस ने अपनी बेहन शाज़िया को तोहफे में देने के इरादे से खदीद लिया.फिर ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के लिए भी कुछ शलवार कमीज़ सूट्स खरीदे और झेलम वापिस आने के लिए फ्लाइयिंग कोच (वॅन) में बैठ गया.

झेलम वापसी के सफ़र के दौरान ज़ाहिद फिर से नीलोफर और उस के भाई के ताल्लुक़ात के बड़े में सोचने लगा.

ज़ाहिद के दिल में ख्यान आया कि यह कैसे मुमकिन है कि एक सगा भाई अपने जिन्सी जज़्बात के हाथो मजबूर हो कर अपनी ही सग़ी बेहन से जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम कर बैठे.

यह ही बात सोचते सोचते कल शाम की तरह ज़ाहिद का ध्यान दुबारा अपनी बेहन शाज़िया की तरफ चला गया.

“मेरी बेहन को तलाक़ हुए काफ़ी टाइम हो चुका है. तो वो अब अपनी जवानी के उभरते हुए जज़्बात को कैसे ठंडा करती हो गी” ज़ाहिद के ज़हन में कल वाला सवाल दुबारा फिर से गूंजा.

नीलोफर की उस के भाई के साथ चुदाई देखने के बाद ज़ाहिद का लंड भी अब आहिस्ता आहिस्ता ज़ाहिद को उस की अपनी ही सग़ी बेहन की जानिब “मायाल” करने की कोशिस कर रहा था. मगर ज़ाहिद के दिल और दिमाग़ उसे इस किस्म की ग़लत सोचों से बाज़ रहने की तालकीन कर रहे थे.

इस कशमकश में गिरफ्तार ज़ाहिद कभी अपने लंड की बात मान लेता और कभी अपने दिल-ओ-दिमाग़ की सुन लेता.

“उफ़फ्फ़ में यह किस सोच में पड़ गया हूँ. मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए अपनी बेहन के बारे में” अपनी बेहन का ख्याल ज़हन में आते ही ज़ाहिद को एक धक्का सा लगा.

और ज़ाहिद ने अपने दिमाग़ से अपनी बेहन के ख्याल निकालने की कॉसिश करते हुए अपनी नज़रों को रोड की तरफ लगा दिया. ता कि चलती वॅन में से बाहर का नज़ारा देखते हुए उस की सोच उस के काबू में आ जाए.

मगर सयाने कहते हैं कि इंसान कभी अपनी सोचो पर काबू नही पा सका है. इस लिए ज़ाहिद की सोच भी रह रह कर उस के दिमाग़ को उस की बेहन की तरफ मुत्वज्जो करने पर तुली हुई थी.

“नीलोफर की तरह मेरी बेहन का बदन भी तो प्यास हो गा तो क्यों ना में भी अपन ही बेहन को फासने की कोशिश करूँ” ज़ाहिद के ज़हन में पहली बार अपनी बेहन के बारे में यह गंदा ख़याल उमड़ा.

“मुझे शरम आनी चाहिए अपनी इस घटिया सोच पर, जमशेद ने जो कुछ अपनी बेहन के साथ किया उस का हिसाब वो खुद दे गा,जो भी हो आख़िर शाज़िया मेरी सग़ी बेहन है और अपनी बेहन के बारे में मेरा इस तरह सोचना भी एक गुनाह है” ज़ाहिद यह बात सोच कर ही काँप गया और फॉरन ही उस के ज़मीर ने उस की सोच पर मालमत करते हुए ज़ाहिद को समझाया.
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