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आख़िर कार ज़ाहिद ने अपने दिमाग़ की बात मानते हुए अपने ज़हन को सकून पहुँचाने के इरादे से वॅन की विंडो के साथ टेक लगा कर अपनी आँखे बंद कर लीं.
शाम को घर पहुँच कर ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को उन के लिए लाए हुए कपड़े दिए कर पूछा” अम्मी शाज़िया कहाँ है”
“वो अपने कमरे में लेटी हुई है बेटा” ज़ाहिद के हाथों से अपने कपड़ो का बॅग लेते हुए रज़िया बीबी ने कहा.
“ अच्छा में जा कर शाज़िया को उस का मोबाइल देता हूँ आप इतनी देर में मेरे लिए खाना गरम करें” कहता हुए ज़ाहिद अपनी बेहन के कमरे की तरफ गया.
शाज़िया के कमरे का दरवाज़ा खुला ही था. इस लिए ज़ाहिद सीधा अपनी बेहन के कमरे में दाखिल हो गया.
कमरे में शाज़िया ओन्धे मुँह बिस्तर पर इस हालत में सोई हुई थी. कि पीछे से उस की भारी गान्ड से उस की कमीज़ का कपड़ा ,कमरे में चलते हुए फॅन की तेज हवा की वजह से उठ गया था.
गान्ड पर से कमीज़ उठ जाने की वजह से शाज़िया की पतली सलवार उस को भारी, मोटी और गुदाज गान्ड की पहाड़ियों को ढांपने से नाकाम हो रही थी. दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
लेकिन शाज़िया इस बात से बे नियाज़ और बे खबर हो कर सकून की नींद सो रही थी.
शाज़िया के इस अंदाज़ में लेटने की वजह से ज़ाहिद को अपनी बेहन शाज़िया की मोटी और भारी गान्ड का नज़रा पहली बार देखने को मिल गया.
अपनी बेहन को इस हालत में सोता देख कर ज़ाहिद को थोड़ी शरम महसूस हुई.मगर चाहने के बावजूद ज़ाहिद अपनी बेहन की भारी और उठी हुई मस्त गान्ड से अपनी नज़रें नही हटा पाया.
अपनी बेहन की भारी गान्ड की मोटी और उभरी हुई पहाड़ियों को देख कर ज़ाहिद के मुँह से बे इख्तियार निकल गया. “उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ”
चन्द घंटे पहले वॅन में आने वाले वो गंदे ख्यालात जिन को ज़ाहिद ने बड़ी मुस्किल से अपने दिमाग़ से बाहर निकला था.अपनी बेहन को इस अंदाज़ में सोता देख कर वो ख्यालात फिर एक दम से ज़ाहिद के सर पर सवार होने लगे.
“मेरा मज़ीद इधर रुकना सही नही,मुझे यहाँ से चले जाने चाहिए” ज़ाहिद को अपने दिल के अंदर से एक आवाज़ आई.
ज़ाहिद उधर से हटाना चाहता था. मगर ऐसे लग रहा था जैसी उस के कदम नीचे से ज़मीन ने जकड लिए हैं. और कॉसिश के बावजूद ज़ाहिद अपनी जगह से हिल नही पाया.
अभी ज़ाहिद अपनी बेहन की कयामत खेज गान्ड की गहरी वादियों में ही डूबा हुआ था. कि शाज़िया के जिस्म ने हल्की सी हरकत की.तो उस की गान्ड से उस की शलवार एक दम से थोड़ी नीचे को सरक गई.दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
शाज़िया की शलवार का यूँ अचानक सरकना ही ज़ाहिद के लिए एक जान लेवा लम्हा साबित हुआ.
क्योंकि इस तरह शाज़िया की शलवार नीचे होने से शाज़िया की मोटी और भारी गान्ड की पहाड़ियाँ और उस की गान्ड की दरार उस के सगे भाई के सामने एक लम्हे के लिए पूरी आबो ताब से नंगी हो गई.
अपनी बेहन की साँवली गान्ड को यूँ अपने सामने खुलता हुआ देख कर ऊपर से ज़ाहिद का मुँह पूरा का पूरा खुल गया. जब कि नीचे से अंडरवेअर में कसा ज़ाहिद का लंड पागलों की तरह झटके पे झटके मारने लगा.
ज़ाहिद यूँ ही खड़ा अपनी बेहन की भरपूर जवानी का नज़ारा करने में मसगूल था कि इतने में शाज़िया ने अपनी करवट बदली तो उस की आँख खुल गई.
शाज़िया ने जब अपने भाई को अपने बिस्तर के पास खड़ा देखा तो वो एक दम बिस्तर से उठ कर अपने बिखरे कपड़े दरुस्त करने लगी और पास पड़े दुपट्टे से अपनी भारी चुचियों को ढँकते हुए बोली “ भाई आप और इस वक्त मेरे कमरे में ख़ैरियत?”
“हां देखो तुम्हारे लिए पिंडी से एक स्मार्ट फोन लिया हूँ, वो तुम को देने इधर चला आया” कहते हुए ज़ाहिद ने शाज़िया के लिए खरीदा हुआ मोबाइल फोन उस के हाथ में थाम दिया.
ज़ाहिद ने अपनी बेहन की एक दम नींद से उठे देखा तो ऐसे घबरा गया जैसे उस की बेहन ने उस के दिल की सारी बातें पढ़ कर उस की चोरी पकड़ ली हो..दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
शाज़िया को भी कुछ दिन से स्मार्ट फोन लेने का शौक चढ़ा हुआ था. चूँकि स्मार्ट फोन प्राइस में काफ़ी मेह्न्गे थे. इस लिए वो चाहने का बावजूद अपनी अम्मी या भाई से नया स्मार्ट फोन लेना का नही कह पाई.
आज जब बिन कहे उस के भाई ने उसे एक बिल्कुल नये मॉडेल का स्मार्ट फोन खरीद दिया. तो शाज़िया बे इंतिहा खुश हुई और उसी ख़ुसी के आलम में बिना सोचे समझे वो अपने भाई के गले में अपनी बाहें डाल कर ज़ाहिद के सीने से चिपट गई.
इस तरह अचानक और बे इख्तियरि में ज़ाहिद से भूरपूर तरीके से चिपटने से शाज़िया की भारी छातियाँ उस के भाई की छाती से टकराई. तो ज़ाहिद के जिस्म में सर से ले कर पैर तक एक अजीब सी मस्ती की लहर दौड़ गई.
बेहन के बदन की खुशुबू को अपनी सांसो में समाता हुआ महसूस कर के ज़ाहिद का दिल चाहा कि वो आज अपनी बेहन की शलवार के नाडे को हाथ में ले कर खोल दे और जमशेद की तरह अपनी ही बेहन का यार बन जाए.
मगर शायद जमशेद की निसबत ज़ाहिद के दिल में अभी कुछ शरम बाकी थी.अभी उस में शायद रिश्तों का लिहाज बाकी था.
इस लिए ज़ाहिद ने अपने दिल में जनम लेते हुए ख्यालो को संभालते हुए परे किया और एक अच्छे भाई की तरह एक चुंबन शाज़िया की पैशानि पर दे कर उस के कमरे से बाहर निकल आया.
ज़ाहिद उस लम्हे तो अपनी बेहन शाज़िया से अलग हो कर बाहर चला आया था. मगर हक़ीकत यह थी कि जमशेद की तरह अब ज़ाहिद के जिस्म में भी अपनी ही बेहन से चुदाई का शोला भड़क उठा था.
इस लिए अब ज़ाहिद का जिस्म तो कमरे से बाहर आ चुका था. लेकिन आज जैसे वो अपना दिल अपनी ही बेहन के पास गिरवी रख आया था.
मगर इस सब के बावजूद ज़ाहिद यह बात अच्छी तरह जानता था. कि चाहने के बावजूद ना तो कभी उस में इतनी हिम्मत आ पाए गी कि वो जमशेद की तरह अपनी ही बेहन की जवानी पर हाथ डाल पाए और ना ही नीलोफर की तरह उस की बेहन शाज़िया कभी अपने सगे भाई के हाथों में अपनी शलवार का नाडा देना पसंद करे गी.
लेकिन इस के बावजूद कल और आज के पेश आने सारे वाकीयत के बाहिस ज़ाहिद ने अब यह तय कर लिया कि बे शक वो कभी अपनी ही बेहन की भरी जवानी का रस ना चूस पाए. लेकिन आज के बाद वो जहाँ तक मुमकिन हो सके गा.वो घर में रह कर वो अपनी बेहन के जवान गरम और प्यासे बदन की आग को अपनी प्यासी आँखों से ज़रूर सेकेगा .
जिस पर एक घर में रहते हुए भी आज से पहले उस ने कभी तवज्जो देना तो दरकिनार कभी सोचना भी गंवारा नही किया था.
उधर दूसरी तरफ नीलोफर अपने प्लान पर अमल दरमद करने पर पूरी तरह तूल गई थी.
नीलोफर का भाई जमशेद नेटवर्किंग,कंप्यूटर ग्रॅफिक्स और फोटॉशप वग़ैरह का माहिर था.
इस लिए नीलोफर ने अपनी भाई से कह कर अपने बेड रूम और एएसआइ ज़ाहिद के मकान में दो ख़ुफ़िया कैमरे फिट करवा लिए.
जिन से ज़रूरत पड़ने पर कमरे में होने वाले सारे वाकिये की रिकॉर्डिंग की जा सकती थी.
इस के बाद अपने प्लान पर अमल करते हुए नीलोफर और जमशेद हफ्ते या महीने में एक दो दफ़ा ज़ाहिद के मकान पर जा कर कभी अकेले और कभी एएसआइ ज़ाहिद के साथ मिल कर चुदाई करने लगे.
जब कि कभी कभी जमशेद अपनी बेहन नीलोफर को एएसआइ ज़ाहिद के पास अकेला छोड़ कर चला आता. और एएसआइ ज़ाहिद नीलोफर के साथ मज़े कर के उसे घर के पास वापिस उतार जाता.
इस दौरान जमशेद ने नीलोफर के साथ अपनी और एएसआइ ज़ाहिद के साथ नीलोफर की चुदाई की वीडियोस रेकॉर्ड कर लीं.
इन मूवीस को रेकॉर्डिंग के बाद जमशेद ने सारे क्लिप्स को एक ही डीवीडी में एड कर दिया.
फिर उस ने अपनी फनी महारत को इस्तेमाल करते हुए इस डीवीडी को इस तरह एडिट किया कि अब मूवी में नीलोफर का चेहरा तो चुदाई के वक्त नज़र आता था. मगर जमशेद और ज़ाहिद दोनो की कमर या फिर सीने से नीचे का जिस्म ही देखने वाले को मूवी में नज़र आ सकता था.
जमशेद ने अपने काम को मुकमल कर के जब वो मूवी अपनी बेहन नीलोफर को दिखाई तो नीलोफर अपने भाई के काम की तारीफ किए बिना ना रह सकी.
यूँ दिन गुज़रते गये और उन को अब आपस में चुदाई करते 6 महीने हो गये थे.
इन 6 महीनो के दौरान ही ज़ाहिद और उस के घर वाले अपना मशीन मोहल्ला वाला मकान बेच कर झेलम सिटी के एक और एरिया बिलाल टाउन में नया मकान खदीद कर उधर शिफ्ट हो गये.
यह घर पहले वाले मकान से काफ़ी बड़ा और खुला और डबल स्टोरी था.
मकान की ऊपर वाली मंज़ल पर दो बेड रूम,दो बाथरूम,किचन और टीवी लाउन्ज था.
ऊपर वाली मंज़िल पर जाने के लिए दो रास्ते बने हुए थे. एक रास्ता घर के अंदर से ऊपर जाता था.जब कि दूसरे रास्ते की स्ट्रेर्स बाहर की गली की तरफ बनी हुई थीं.
जिस वजह से अगर ज़ाहिद चाहता तो घर के अंदर वाली सीडियों को ताला लगा कर ऊपर वाला पोर्षन रेंट पर दे सकता था.
इस मकान के निचले हिस्से में चार बेड रूम होने की वजह से रज़िया,शाज़िया और ज़ाहिद को अपना अलग अलग कमरा मिल गया.
नये घर में मूव होने के कुछ दिन बाद एक दिन ज़ाहिद दोपहर को जब अपने घर आया तो उस वक्त उस की बेहन शाज़िया टीवी लाउन्ज में बैठी “आम” (मॅंगो) चूस रही थी.
शाज़िया दुपट्टे के बैगर झुक कर इस तरह बैठी हुई थी. कि उस की कमीज़ के गले में से शाज़िया के मोटी और भारी चूचों की हल्की ही लकीर वाइज़ा हो रही थी.
आम चूस्ती शाज़िया की नज़र ज्यों ही टीवी लाउन्ज में दाखिल होते अपने भाई ज़ाहिद पर पड़ी तो उस ने फॉरन भाई को आम खाने की दावत देते हुए पूछा” भाई आओ आम खा लो”.
पिछले चन्द महीनो में काम की मसरूफ़ियत और नीलोफर से भरपूर चुदाई की वजह से ज़ाहिद के दिमाग़ से अपनी बेहन शाज़िया के बारे में पेदा होने वाली सोच कुछ कम तो ज़रूर हुई मगर मुकमल ख़तम नही हो पाई थी.
इस लिए आज अपनी बेहन को यूँ आम खाता देख कर ज़ाहिद के ज़हन में अपनी बेहन से थोड़ी मस्ती करने का ख्याल आने लगा.
“ हां में ज़रूर आम खाउन्गा,अपने घर के आमो का जो मज़ा है वो बाहर कहाँ मिलता है” ज़ाहिद की नज़र बे इख्तियार अपनी बेहन के चूचों की दरमियानी लकीर पर पड़ी और उस ने अपनी बेहन शाज़िया के चूचों पर नज़रें जमाते हुए कहा.
“अच्छा आप बैठो में अभी उन को काट कर आप के लिए लाती हूँ” शाज़िया अपने भाई की “ज़ू महनी” ( द्विअर्थी बात ) बात को ना समझते हुए बोली.
“मुझे ऐसे ही दे दो,क्योंकि वैसे भी मुझे काट कर खाने की बजाय “आम चूसना” ज़्यादा पसंद है” ज़ाहिद ने फिर अपनी बेहन को एक ज़ू महनी जुमला ( द्विअर्थी बात ) बोला और अपने दिल में ही मुस्कुराने लगा.
शाज़िया ने अपने सामने पड़ी प्लेट में रखा हुआ एक आम अपने भाई को दिया और खुद मज़े ले ले कर दुबारा अपने हाथ में पकड़े हुए आम को चूसने लगी.
अपनी बेहन को आम का छिलका चूस्ते देख कर ज़ाहिद के दिल में ख्याल आया कि काश उस की बेहन एक दिन उस का लंड भी इतने ही प्यार से चूसे तो ज़ाहिद को स्वाद ही आ जाय.
यह सोच कर ज़ाहिद का लंड अपनी बेहन के लिए गरम हो कर उस की पॅंट में उछल कूद करने लगा.
ज़ाहिद नही चाहता था कि उस की पॅंट में खड़े होते उस के लंड पर उस की अम्मी या बेहन की नज़र पड़े . इस लिए वो प्लेट अपनी हाथ में थामे हुए आम को अपनी बेहन के मोटे मम्मे समझ कर चूस्ता हुआ अपने कमरे में चला आया.
शाज़िया के इस नये घर में मूव होने की वजह से अब यह हुआ कि अब नीलोफर भी उसी स्कूल वॅन में स्कूल आने जाने लगी. जिस वॅन में शाज़िया सफ़र करती थी.
इस की वजह यह थी. कि नीलोफर का घर झेलम सिटी की नई आबादी प्रोफ़ेसेर कॉलोनी में वाकीया था. जो कि बिलाल टाउन के रास्ते में पड़ती है.
इस लिए नीलोफर ने जान बूझ कर शाज़िया की वॅन में आना शुरू कर दिया . जिस वजह से अब नीलोफर और शाज़िया का हर रोज काफ़ी टाइम एक साथ गुज़रने लगा.
शुरू शुरू में तो नीलोफर शाज़िया से फ्री ना हुई. मगर फिर उन में बात चीत स्टार्ट हो ही गई.
बात चीत को आगे बढ़ाते हुए नीलोफर ने आहिस्ता आहिस्ता शाज़िया को उस के मोबाइल फोन पर फनी पिक्चर्स और लतीफ़े सेंड कर शुरू कर दिए.
जिस के जवाब में शाज़िया भी नीलोफर को उसी तरह के जोक्स देने लगी और फिर आहिस्ता आहिस्ता वो दोनो अच्छी दोस्त बन गई.
उसी दौरान एएसआइ ज़ाहिद ने एक हेरोइन स्मगलिंग का एक ऐसा केस पकड़ा जिस से उस को काफ़ी पैसे रिश्वत में हाँसिल हुए.
इन रिश्वत के पैसो से ज़ाहिद ने आहिस्ता आहिस्ता कर के अपने और अपने घर के हालात बदलना शुरू कर दिए.
ज़ाहिद ने अपनी अम्मी रज़िया बीबी पर रुपए पैसे की रेल पेल कर दी.
रज़िया को जब ग़ुरबत के बाद इतना पैसा एक दम देखने को मिला तो वो भी लालची हो गई.
और अपने बेटे से यह पूछने की बजाय कि बेटा यह पैसे किधर से आ रहा है.
रज़िया बीबी तो इस बात पर ही खुश थी कि उन के दिन भी फिर गए हैं.
उस ने भी अपने बेटे की रिश्वत के पैसे से अपनी ख्वाहिशे पूरी करना शुरू कर दीं. और फिर देखते ही देखते रज़िया बीबी की हालत यह हो गई कि उसे याद ही ना रहा कि वो कभी ग़रीब भी होती थी.
ज़िंदगी अपनी डगर पर चल रही थी. नीलोफर एक तरफ़ तो ज़ाहिद से अपनी चुदाई करवा रही थी. जब कि दूसरी तरफ शाज़िया को फन्नी पिक्चर और लतीफ़े सेंड करने के साथ साथ अब नीलोफर ने कुछ ज़ू महनी ( द्विअर्थी ) और थोड़ा गंदे लतीफ़े भी सेंड करना शुरू कर दिए.
पहले तो शाज़िया को यह बात कुछ अजीब लगी मगर उस ने नीलोफर से कोई ऐतराज भी ना किया.
बल्कि कुछ टाइम बाद उसे नीलोफर के भेजे हुए गंदे और डबल मीनिंग वाले जोक्स अच्छे लगने लगे और फिर उस ने भी नीलोफर को उसी तरह के एसएमएस भेजना शुरू कर दिए.
जब नीलोफर को अंदाज़ा हुआ कि शाज़िया उस की डगर पर चलने लगी है तो उस ने एसएमएस की डोज बढ़ाने का सोचा.
एक दिन स्कूल से वापसी पर नीलोफर ने वॅन में साथ बैठी शाज़िया से सेरगोशी में कहा” आज रात अपना मोबाइल पास रखना में तुम को कुछ खास पिक्स सेंड करूँगी ”
शाज़िया को ताजूसोस हुआ और उस ने नीलोफर से डीटेल पूछना चाही मगर नीलोफर ने मज़ीद कुछ कहने से इनकार कर दिया.
शाज़िया रात के 11 बजे अपने घर के तमाम काम काज ख़तम कर के अपने कमरे में आई और दरवाज़े को कुण्डी लगा कर अपने बिस्तर पर लेट गई.
उसे अभी लेटे हुए 5 मिनट्स ही गुज़रे कि उस के मोबाइल पर नीलोफर का एसएमएस आया” अभी जाग रही हो ना?”
“ हां” शाज़िया ने रिप्लाइ किया.
“अकेली हो ना” नीलोफर ने पूछा.
“हां बाबा” शाज़िया ने जवाब सेंड किया.
“अच्छा तो दिल थाम कर बैठो क्योंकि अब में जो तुम को चीज़ सेंड कर रही हूँ वो तुम्हारे होश उड़ा दे गी” नीलोफर ने लिखा.
“ऐसी किया चीज़ है यार” शाज़िया ने ताजूसोस से सवाल किया.
“कभी इंडियन और पाकिस्तानी आक्ट्रेस की तस्वीरे देखी हैं” नीलोफर ने शाज़िया से पूछा.
“ यार एक बार नही कई बार,और उन में कॉन सी होश उड़ा देने वाली बात है” शाज़िया ने कहा.
"बेवक़ूफ़ वो वाले नॉर्मल फोटो नही,बल्कि नंगे फोटोस". नीलोफर ने रिप्लाइ किया.
नीलोफर का मेसेज पढ़ते ही शाज़िया के जिस्म में एक करेंट सी दौड़ गई.
उस की समझ में नही आ रहा था कि नीलोफर आज किस किसम की बातें करने लगी थी.
शाज़िया ने इरादा किया कि वो नीलोफर से इस मोज़ू पर मज़ीद बात ना करे और खुदा हाफ़िज़ कह कर सो जाय.
मगर हक़ीकत यह थी कि नीलोफर की लास्ट मेसेज ने उस के दिल में एक इश्तियाक पेदा कर दिया. और ना चाहते हुए भी उस ने हैरानी के आलम में नीलोफर को रिप्लाइ किया “नीलोफर तुम पागल तो नही हो इंडियन और पाकिस्तानी आक्ट्रेस की भला नंगी तस्वीरे कैसे हो सकती हैं”
नीलोफर ने जब शाज़िया का यह एसएमएस पढ़ा तो उस को अपने प्लान की पहली मंज़ल सामने नज़र आने लगी और उस के लबों पर एक मुस्कराहट फैल गई.
"कसम से इंडियन और पाकिस्तानी आक्ट्रेस की नंगे फोटो हैं,यकीन ना आए तो खुद देख लो” नीलोफर ने पहले रेग्युलर रिप्लाइ किया.
फिर साथ ही उस ने शाज़िया को “व्हाट्सअप” के ज़रिए चन्द पिक्स सेंड कर दी.
(दोस्तो मुझे यकीन है कि आप में से अक्सर “व्हाट्सअप और वाइबर” जैसी स्मार्ट फोन अप्स के बारे में जानते हैं.
लेकिन जो चन्द दोस्त नही जानते उन के लिए अर्ज़ है कि इन अप्लिकेशन्स के ज़रिए लोग स्मार्ट फोन्स पर एक दूसरे के साथ ना सिर्फ़ फ्री बात कर सकते हैं बल्कि टेक्स्ट,वीडियोस और फोटो शेयर कर सकते हैं.)
ज्यों ही शाज़िया ने व्हाट्सअप पर नीलोफर की भेजी हुई पिक्स डाउनलोड कर के देखीं तो उस के जिस्म का जैसे खून ही खुशक हो गया.
नीलोफर की सेंड की हुई फोटोस वाकई ही इंडियन आक्ट्रेस ही की थीं. मगर शाज़िया को यह अंदाज़ा नही था कि यह सब फेक फोटोस हैं.
इन फोटोस में काजोल,करीना कपूर,कटरीना कैफ़,रवीना टॅंडन और पाकिस्तान आक्ट्रेस रीमा,सबा केयैमर और सहिस्ता वहदी और काफ़ी सारी दूसरी आक्ट्रेस शामिल थीं.
जिन में वो सारी आक्ट्रेस मुक्तिलफ स्टाइल्स में बिल्कुल नंगी थीं.
कुछ के अकेले में फोटो शूट थे. जब के कुछ फोटोस में वो मुक्तिलफ मर्दों से चुदवाने में मसरूफ़ थीं.
यह सारी तस्वीरे देख कर शाज़िया तो हैरान रह गई. और वो गरम भी होने लगी.
शाज़िया अभी इन फोटोस को देखने में मसगूल थी कि नीलोफर का दुबारा मेसेज आया. “ क्यों अब यकीन आया मेरी बानू को”
" तोबा हाइ नीलोफर में तो इन सब को बहुत शरीफ समझती थी" शाज़िया ने अपने माथे पर आए हुए पसीने को पोंछते हुए, काँपते हाथो से नीलोफर को रिप्लाइ किया.
“ मेरी जान यहाँ शरीफ सिर्फ़ वो है जिसे मोका ना मिले” नीलोफर का जवाब आया.
“हां यह तो है” शाज़िया ने नीलोफर की बात से अग्री करते हुए उसे जवाब दिया.
रात काफ़ी हो चुकी थी इस लिए शाज़िया ने नीलोफर से कल सुबह मिलने का कह कर फोन बंद कर दिया.
आज इस किस्म के नंगे फोटो देख कर शाज़िया के बदन में गर्मी के मारे एक मस्ती सी चढ़ने लगी.
इस मस्ती में आते हुए शाज़िया अपने बाथरूम में गई और पेशाब करने के बाद अपनी शलवार कमीज़ उतार कर बिल्कुल नंगी हालत में अपने कमरे में चली आई.
कमरे में दाखिल होते ही शाज़िया की नज़र कमरे में लगे आईने पर पड़ी तो अपनी भारी छातियो और मोटी और भारी गान्ड को देख कर खुद शरमा गई.
शाज़िया को पहली नज़र में देखने वाले का ध्यान हमेशा सब से पहले उस की छातियों और उस के चुतड़ों पर ही जाता था