वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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अल कौसेर होटेल में पोलीस का छापा पड़ने की वजह से ना सिर्फ़ जमशेद और नीलोफर दोनो के जिस्मो की प्यास अधूरी रह गई थी.बल्कि पोलीस के ख़ौफ़ और छापे की परेशानी की वजह से चुदाई का खुमार दोनो बेहन भाई के ज़हन से भी उतर चुका था.

मगर जब नीलोफर ने एएसआइ ज़ाहिद को अपने भाई के साथ अपने ताल्लुक़ात और चुदाई की तस्लीफ़ बयान करना शुरू किया.तो ज़ाहिद के साथ साथ ना सिर्फ़ जमशेद का लंड भी उस की पॅंट में उठ कर खड़ा हो चुका था.बल्कि हक़ीकत यह थी. कि ना चाहने के बावजूद खुद नीलोफर की अपनी फुद्दि भी उस की शलवार में अपना पानी छोड़ने पर मजबूर हो चुकी थी.

इस लिए दोनो बेहन भाई के होन्ट आपस में चिस्पान होते ही उन के बदन में चुदाई की प्यास दुबारा जाग उठी.

अपनी बेहन के होंठो को अपने होंठो में काबू करते ही जमशेद का हाथ नीलोफर की गुदाज रानो के बीच में से होता हुआ, शलवार के ऊपर से उस की फूली हुई गरम चूत पर आ कर जम गया.

भाई के हाथ को अपनी फुद्दि के ऊपर महसूस करते ही नीलोफर सिसकी “ अहह”

(जिस तरह शादी के कुछ टाइम बाद एक हज़्बेंड को अपनी वाइफ के जिस्म के नसीबो फर्ज़ का अंदाज़ा हो जाता है.बिल्कुल इसी तरह अपनी बेहन को कई दफ़ा चोद कर जमशेद को भी ब खूबी अंदाज़ा हो चुका था. कि निलफोर के जिस्म के वो कौन से तार हैं जिन को छेड़ने पर उस का बदन गरम होने लगता है.)

जमशेद के हाथ उस की बेहन की चूत से खैलने में मसरूफ़ हुए. तो नीलोफर ने भी शर्मो हया को छोड़ कर पॅंट में मचलते अपने भाई के लंड को अपने हाथ में लिया और उस को प्यार करने लगी.

अब दोनो बेहन भाई के होत एक दूसरे से अपनी लड़ाई लड़ रहे थे. जब कि दोनो के हाथ एक दूसरे के लंड और चूत के साथ मौज मस्ती में मसरूफ़ हो गये.

बेहन की चूत के ऊपर थोड़ी देर अपने हाथ की उंगलियो को फेरने और साथ ही साथ उस के नर्मो नाज़ुक होंठो को चूसने के बाद जमशेद के हाथ अपनी बेहन के बुर्क़े के बटन को खोलने लगी.

जमशेद ने एक एक कर नीलोफर के बुर्क़े के सारे बटन खोलने के बाद अपने हाथों से अपनी बेहन के बुर्क़े को उस के जिस्म से अलहदा कर दिया.और फिर एक एक कर के अपने और अपनी बेहन के कपड़े उतारने लगा.

इधर बाथरूम में कमोड पर बैठे एएसआइ ज़ाहिद ने पिशाब करने के बाद लोटे के पानी से लंड को धोया.और फिर कमरे में माजूद बेहन भाई के मुतलक सोच सोच कर अपने मोटे ताज़े लंड के ऊपर आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को फैरने लगा.

ज़ाहिद के हाथ में उस का लौडा बुरी तरह से फॅन फनाया हुआ था.

ज़ाहिद अपने दोस्तूँ में एक फुददी फाड़ मशहूर था.

उस की वजह उस के लंड की लंबाई और मोटाई के साथ साथ उस के लंड की मोटी टोपी भी थी.

ज़ाहिद औरत की फुददी चोदते वक्त एक वहशी जानवर बन जाता. और जब भी वो अपने लंड की टोपी को किसी औरत की चूत में डालता तो लंड की टोपी औरत की चूत की दीवारो को तार तार कर देती थी.

आज तक ज़ाहिद ने जितनी भी औरतों को चोदा था. वो सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी हवस को मिटाने के लिए चोदा था.

और बे शुमार चूतो के रस को पी चूकने वाले ज़ाहिद के लंड को अभी तक वो औरत नही मिल पाई थी. जिस को वो अपनी हवस की खातिर एक वहसी जानवर बन कर नही बल्कि अपनी जान बना कर प्यार से चोद सके. मगर ज़ाहिद के दिल और लंड की यह ख्वाइश अभी तक अधूरी ही थी.

ज़ाहिद को बाथरूम में आए हुए चन्द मिनिट्स बीत चुके थे. इस लिए उसे अब यह यकीन हो चुका था. कि अगर जमशेद और उस की बेहन नीलोफर ने उस की धमकी को सीरीयस लिया है तो अब तक वो दोनो एक दूसरे के साथ चुदाई शुरू कर चुके होंगे .

ज़ाहिद दोनो बेहन भाई की चुदाई देखने के लिए बे करार था.

वो कमोड से उठा और अपनी पॅंट को बाथरूम के फर्श पर गिरा कर आधा नंगा आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ बाथरूम के दरवाज़े तक आया. और दरवाज़े को हल्का से खोल कर कमरे के अंदर के मंज़र का जायज़ा लेने लगा.

कमरे के अंदर का मंज़र देख कर ज़ाहिद के जिस्म में जोश और मस्ती छाने लगी.

कमरे के बिस्तर पर नीलोफर अपने कपड़ों की क़ैद से आज़ाद बिल्कुल नंगी लेटी हुई अपनी प्यासी चूत पर अपने हाथ को आहिस्ता आहिस्ता फेर कर प्यार कर रही थी.

उस की फूली हुई गोरी चूत के गुलाबी होंठो से रस की बूंदे टपक रही थीं…

नीलोफर की गोरी गोरी टाँगों के दरमियाँ में, किसी भी किस्म के बालों के बगैर, नेलोफर की सॉफ शफ़फ़ और गुलाब की पंखुड़ियों की तरह से चिपकी हुई चूत की दरार को देख कर ज़ाहिद के मुँह से राल टपकने लगी.

कमरे में जमशेद अपनी बेहन के पैरों की तरफ बिल्कुल नंगा खड़ा था.

उस का गरम,लंबा,मोटा और चुदाई के लिए पूरा तैयार,उस का लंड कमरे की छत की तरफ अपना मूह उठाए एक क्षण से खड़ा था.

जमशेद की नज़रें अपनी बेहन की चूत पर जमी हुई थीं. जब के वो साथ साथ अपने मोटे सख़्त लंड को अपने हाथ में ले कर मूठ भी लगा रहा था.

कमरे का यह मंज़र देख कर ज़ाहिद के जिस्म और लंड की गर्मी ने और जोश मारना शुरू कर दिया.

जमशेद की तरह ज़ाहिद का हाथ भी फिर से उस के लंड पर आया और वो भी दोनो बहन भाई को देखते हुए अपने लंड से खैलने लगा.

उधर कमरे में आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ जमशेद बिस्तर पर लेटी हुई अपनी बेहन की तरफ बढ़ा. और फिर नीलोफर के पैरों की तरफ से बिस्तर पर चढ़ गया.

जमशेद अब बिस्तर पर लेटी हुई अपनी बेहन के नज़दीक आया और फिर नीलोफर के एक पैर को आहिस्ता से उठा कर अपने हाथ में लिया और अपनी बेहन के पैर की उंगलियो को अपने मुँह में भर कर उन को एक एक कर के चाटने लगा.


ज्यों ही जमशेद ने नीलोफर के पावं की उंगलियों को चाटना शुरू किया तो मज़े से बेकाबू होते हुए नीलोफर के मुँह से बे सखता एक चीख निकल गई.और उस की चूत से पानी का एक फव्वारा छूटने लगा.

बेहन के पाँव की उंगिलियो को चूस्ते चूस्ते जमशेद ने साथ ही साथ अपने एक हाथ को अपनी बेहन के कसे हुए मम्मों पे रखा ऑर दूसरे हाथ की उंगली को अपनी बेहन की बुरी तरहा से गीली हो चुकी फुददी के अंदर डाल कर बेहन की चूत को अपनी उंगली से चोदने लगा.

नीलोफर को उस के भाई के मुँह और हाथों ने इतना बे चैन कर दिया के वो खुद को रोक नहीं पाई.
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लज़्जत और जोश में डूबी हुई नीलोफर अब अपने हिप्स को उठा उठा कर आगे पीछे करने लगी.और बे इकतियार उस के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगीं.

नीलोफर के मुँह से निकलती हुई सिसकियाँ जमशेद के साथ साथ ज़ाहिद को भी बुरी तरह से गरमा चुकी थीं और उस के हाथ भी अपने लंड पर तेज़ी से फिसल रहे थे.

दूसरी तरफ जमशेद ने अब अपनी बेहन के पावं की उंगलियो को चाटते चाटते अपना मुँह आहिस्ता आहिस्ता बेहन की टाँग की पिंदलियों के ऊपर से फेरते हुए उस की गुदाज रानों की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया

नीलोफर की गोश्त से भरी हुई मोटी मोटी रानों पर ज्यूँ ज्यूँ उस के भाई की आग बरसाती गरम ज़ुबान फिरने लगी. तो नीलोफर का जिस्म मज़े के मारे बिस्तर पर मचलने लगा.

रानों के दरमियाँ से होता हुआ जमशेद का मुँह निलफोर की फुददी के बहुत नज़दीक पहुँचन चुका था.

अपनी बेहन की चूत के इतने नज़दीक पहुँचते ही बेहन की चूत की प्यारी प्यारी खुसबु का नशा जमशेद के दिमाग़ पर छाने लगा.

इसी नशे में डूबते हुए जमशेद ने अपनी बेहन के चूतड़ को दोनो हाथों से पकड़ा.और नीलोफर की गान्ड को सहलाते हुए उस की टाँगे चौड़ी कीं और अपने मुँह को आगे बढ़ाते हुए अपनी बेहन की चूत की गुदाज होंठो पर अपने होंठ रख कर बेहन की रस भरी चूत को चूमने लगा.

जमशेद का मुँह नीलोफर की चूत से टकराते ही नीलोफर की चूत का दाना (क्लिट) गरम हो कर उस की चूत के ऊपर एक शान से अकड़ कर खड़ा होने लगा.

जमशेद ने अपनी बेहन की चूत पर अपनी ज़ुबान को ऊपर नीचे घुमाते हुए चूत के दाने (क्लिट) को अपने मुँह में भरा और बेहन के छोले को चूसने लगा.

चूत के दाने को अपनी ज़ुबान से रगड़ते रगड़ते जमशेद ने दाने को अपने होंठो में भर कर काबू किया और फिर दाने को अपने होंठो से खींच कर ज़ोर से बाहर की तरफ खींचा और फिर छोड़ दिया..

जमशेद ने फिर यह हरकत कई बार दुहाराई. वो अब एक दीवाने की तरह अपनी बेहन की चूत को चाट रहा था.

अपने भाई के इस वहशियाना प्यार को पा कर नीलोफर की चूत से रस का झरना बहाने लगा. और वो भी अपने चुतड उठा उठा कर अपने भाई के मुँह पर वहशीपन अंदाज़ में ज़ोर ज़ोर से मारने लगी.

“हाआआआआ ओह” लज़्जत और जिस्मानी भूक से बेकाबू होते हुए नीलोफर की सिसकियाँ पूरे कमरे में ज़ोर ज़ोर से गूंजने लगीं थीं.



बाथरूम में खड़े हुए ज़ाहिद को यह नज़रा देख कर अपने ऊपर काबू पाना मुश्किल हो रहा था.

उस का दिल भी यह चाह रहा था कि वो भी नीलोफर के जवान और खूबसूरत जिस्म से खैल कर अपने लंड को ठंडा करे.

मगर आगे बढ़ने की बजाय वो उधर ही खड़ा रह कर दोनो बेहन भाई की मस्तियों से लुफ्त अंदोज़ होता रहा.

उधर कमरे में अपने भाई से अपनी चूत चटवाती नीलोफर के सबर का पैमाना लबरेज़ हो गया.

और “भाई बस करो और जल्दी से मेरे अंदर डाल दो” कहते हुए उस ने जमशेद को उस के सिर के बालों से पकड़ कर अपने उपर खींच लिया.

जमशेद अपनी बेहन की बेताबी देख कर मुस्कराया और उस ने अपनी बेहन की लंबी टाँगों को अपने हाथ में थाम कर अपने कंधों पर रखा लिया .

फिर अपने लंड को दूसरे हाथ से पकड़ कर बेहन की चूत के सुराख पर उपर नीचे रगड़ा.

जिस से जमशेद के लंड की टोपी उस की बेहन की चूत के रस से बहुत गीली हो गई..

ज्यों ही जमशेद ने अपने लंड की टोपी अपनी बेहन की चूत के मुँह पर रखा


तो मज़े से बे काबू नीलोफर के सारे बदन में एक कप कपि सी तरी हो गई.

नीलोफर की चूत उस के भाई के चाटने और अपनी चूत के पानी से भीग भीग कर पूरी गीली हो चुकी थी.

जब नीलोफर ने देखा के उस का भाई अपन लंड उस के अंदर डालने की बजाय उस की फुद्दि से सिर्फ़ छेड़ छाड़ ही कर रहा है तो उस के सबर का पेमाना लबरेज होने लगा.

नीलोफर: “भाई प्लीज़ अंदर डालो ना”

जमशेद बोला: जान क्या डालू अंदर”

नीलोफर: “भाई अंदर डालो ना प्लीज़ और मत तड़पाओ मुझे”

“खुल के बताओ क्या डालू अंदर बाजी” जमशेद को शायद अपनी बेहन की बेचैनि देख कर उसे छेड़ने और मस्ती करने में मज़ा आ रहा था.

नीलोफर: “अपना लंड मेरी चूत में डालो और मुझे चोदो प्लीज़, मुझ से अब मज़ीद सब्र नही हो रहा भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई”

ये सुनते ही जमशेद ने अपनी बेहन की आँखो में आँखे डालते हुए अपने लंड का दबाव बेहन की चूत पर बढ़ाया. तो उस का लंड अपना रास्ता बनाता चूत में आराम से जाने लगा.
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by vnraj »

कहानी गर्म हो रही है धीरे धीरे
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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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vnraj wrote:कहानी गर्म हो रही है धीरे धीरे

abhi to shruaat hai dost
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एक साल की चुदाई के बाद भाई का लंड नीलोफर की चूत के लिए अब अजनबी नही रहा था.

बल्कि अगर यह कहा जाय कि नीलोफर के निकाह नामे में लिखा हुआ उस के हज़्बेंड का नाम तो सिर्फ़ एक कागज़ी करवाई थी.

जब कि हक़ीकत में उस का असल शोहर तो उस का अपना भाई ही था. जो हफ्ते में दो तीन दफ़ा अपनी बेहन नीलोफर को एक बीवी की तरह चोद कर अपना शौहर वाला फर्ज़ निबटा रहा था.

इस लिए ज्यों ही जमशेद का लंड उस की बेहन की चूत में दाखिल हुआ तो नीलोफर एक दम चिल्लाई आआआआहह… आहिस्ताअ…आहह”.और उस की चूत खुशी में झूमते हुए गुनगुना उठी,

“ आइए आप का इंतिज़ार था”

जमशेद हल्का सा ऊपर उठा जिस की वजह से उस का लंड उस की बेहन की चूत से थोड़ा से बाहर निकला फिर दुबारा नीचे होते हुए उस ने दुबारा अपना लंड बेहन की चूत की वादियों में धकेल दिया.

इस के साथ उस ने अपने मुँह को थोड़ा नीचे किया और अपनी बेहन की छाती पर ऊपर नीचे होते हुए बेहन के बड़े बड़े मम्मों के निपल को अपने मूँह मे ले लिया और उस को सक करने लगा.

जब कि दूसरे साथ से उस ने बेहन के दूसरे मम्मे को काबू किया और नीलोफर के मम्मो को बहुत ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा.

नीलोफर भी आहहे भरती अपने भाई के लंड को अपनी चूत के अंदर महसूस कर के मज़े ले रही थी.

“हाईईईईई मेरे शोहर का मुझ से ताल्लुक सिर्फ़ एक निकाह नामे तक ही है. मेरे असल शौहर तो तुम हो मेरे भाई.मेरी फुद्दि को तुम्हारे लंड की आदत हो गई हैं भाई. अब तो में अपने शोहर से चुदवाते वक्त भी अपनी चूत में तुम्हारे लंड का ही तसव्वुर करती हूँ भाई”नीलोफर ने सिसकियाँ लेते हुए जमशेद से कहा.

इस के साथ साथ ही नीलोफर ने अपना एक हाथ अपनी चूत पर ले जा कर अपनी चूत के दाने को अपने हाथ से रगड़ना शुरू कर दिया.

अपनी बेहन की यह हरकत देख कर जमशेद मस्ती और जोश से बे हाल हो गया.

नीलोफर अपनी फुद्दि को ऊपर की तरह उठा उठा कर अपने भाई का पूरा लंड अपने अंदर ले रही थी.


उस की फुद्दि अपनी पानी छोड़ छोड़ कर बहुत गीली हो गई थी. जिस की वजह से जमशेद को अपनी बेहन की चूत में लंड पेलने का बहुत ज़्यादा स्वाद मिल रहा था.

अपनी बेहन को चोदते चोदते जमशेद रुका और अपना लंड बेहन की फुद्दि से निकाल लिया.

जमशेद का लौडा निलफोर की पानी छोड़ती फुद्दि से बहुत ज़्यादा गीला हो चुका था. और उस के लंड पर उस की बेहन की फुददी का सफेद जूस लगा हुआ साफ नज़र आ रहा था.

जमशेद ने अपने लंड को अपनी बेहन नीलोफर की आँखों के सामने लहराते हुआ कहा “ देखो तुम्हारी चूत कितनी मनी छोड़ रही है मेरे लंड को अपने अंदर ले कर मेरी जान”.

नीलोफर: ज़ाहिर है भाई जब आप इतने जोश से मेरी चूत की चुदाई कर रहे हो तो फुद्दि गरम हो कर पानी तो छोड़ेगी ना.

जमशेद अपनी बेहन की बात पर मुस्कुराया और उस ने अपने लंड पर लगे हुए बेहन का जूस को बिस्तर की चादर से सॉफ कर के एक झटके से लंड दुबारा अपनी बेहन की फुद्दि में डाल दिया.

अब जमशेद ज़ोर ज़ोर से अपनी बेहन की चूत को चोद रहा था. और साथ ही साथ वो कभी अपनी बेहन के एक मम्मे को तो कभी दूसरे मम्मे को अपने होंठो और हाथो से चूस्ता और दबाता जा रहा था कमरे में चुदाई की “ठप्प्प्प्प्प ठप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प के साथ साथ नीलोफर के मुँह से आहह आहह की आवाज़े भी निकल रही थी.

उधर बाथरूम में यह सारा नज़ारा ज़ाहिद के लिए ना क़ाबले बर्दाश्त था.

ज़ाहिद फॉरन अपनी शर्ट उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया और अपने लंड को हाथ में थामे दबे पाऊँ बिस्तर की तरफ बढ़ता चला गया.

और कमरे में जा कर नीलोफर के सिरहाने के पीछे खामोशी से खड़ा हो गया.

और नज़दीक से दोनो बेहन भाई की चुदाई को देखते हुए अपने लंड की हल्के हल्के मूठ लगाने लगा.

बिस्तर पर लेटी हुई नीलोफर की आँखे अपने भाई के लंड के स्वाद की शिद्दत की वजह से बंद थीं.

जब कि जमशेद भी अपनी बेहन के ऊपर झुका हुआ उस के होंठो का रस पीने में मसरूफ़ था.


इस लिए अपनी पूर जोश चुदाई में मगन दोनो बेहन भाई को ज़ाहिद की अपने पास मौजूदगी का फॉरन अहसास नही हुआ.

चुदाई में मशगूल जमशेद ज्यों ही अपनी बेहन के होंठो से अल्हेदा हो कर ऊपर उठा. तो उस की नज़रें उस की बेहन के सर के बिल्कुल पीछे खड़े एएसआइ ज़ाहिद पर पड़ी .

ज़ाहिद को यूँ बेकरार हालत में अपने इतने नज़दीक देख कर जमशेद एक लम्हे के लिए घबराया और हक्का बक्का रह गया.

इस से पहले के जमशेद अपना मुँह खोलता, ज़ाहिद ने अपनी मुँह पर अपनी उंगली रखते हुए जमशेद को खामोश रहने का इशारा किया.

जमशेद ज़ाहिद के इशारे के मुताबिक ना चाहते हुए भी खामोश रहने पर मजबूर हो गया.

ज़ाहिद की नज़रें नीलोफर के जवान,खूबसूरत और नंगे जिस्म पर वहसियाना अंदाज़ में जमी हुई थीं.जब के दोनो बेहन भाई की चुदाई का सारा मंज़र देख कर उस का लंड फूल तन का खड़ा था.

जमशेद ने जब ज़ाहिद को इस तरह अपनी बेहन के नंगे बदन का जायज़ा लेते देखा. तो ना जाने क्यों जमशेद को ज़ाहिद की इस हरकत पर गुसे आने की बजाय जमशेद को ज़ाहिद का इस तरह नीलोफर के नंगे बदन को घूर्ना अच्छा लगने लगा.

इस लिए उस ने ज़ाहिद की कमरे मे मौजूदगी के बावजूद अपनी बेहन की चूत में घुसे हुए अपने लंड को एक लम्हे के लिए भी नही रोका. बल्कि वो जोश में आते हुए और ज़ोर ज़ोर से अपनी बेहन को चोदने लगा.

नीलोफर की आँखे अभी तक बूँद थीं और वो हर बात से बे खबर अपना मुँह को हल्का से खोले अपने भाई के लौन्डे को अपनी फुद्दि के अंदर बाहर होता हुआ एंजाय कर रही थी.

ज़ाहिद अभी तक नीलोफर के सर के पीछे खड़ा कुछ सोच रहा था.

फिर अचानक ज़ाहिद के दिमाग़ में एक ख्याल आया. जिस पर उस ने अपने फंफंाते हुए लंड को अपने हाथ में था और थोड़ा आगे बढ़ कर अपने सामने लेटी हुई नीलोफर के खुले हुए गुलाबी होंठो के दरमियाँ अपना लंड रख दिया.

नीलोफर के होंठो के दरमियाँ लंड रखते ही ज़ाहिद के लंड की टोपी से उस का लंड का थोड़ा से वीर्य निकला. जिस ने नीलोफर के होंठो को गीला कर दिया.

अपनी आँखे मुन्दे बिस्तर पर लेटी नीलोफर अपने भाई का लंड नज़ाने कितनी बार चूस चुकी थी. इस लिए वो मर्द के लंड के स्वाद को अच्छी तरह पहचानती थी.

“जमशेद भाई तो मेरी चूत को चोद रहा है तो फिर मेरे मुँह में यह गरम गरम लंड किस का है” यह सोचते ही नीलोफर ने हड़बड़ा कर अपनी आँखे खोलीं.तो देखा कि एएसआइ ज़ाहिद उस के पास खड़ा अपना मोटा ताज़ा लंड उस के होंठो के दरमियाँ रगड़ने में मसगूल है.

नीलोफर ज़ाहिद की इस हरकत के लिए तैयार नही थी. क्योंकि उस ने तो यह सोचा भी ना था. कि उस की जिंदगी में कभी ऐसा मोका भी आए गा जब एक अजनबी उस के मुँह में इस तरह अचानक अपना लंड घुसेड दे गा और वो कुछ भी ना कर पाए गी.

इस लिए उस ने फॉरन अपने भाई जमशेद की तरफ देखा जो कि ज़ाहिद की मौजूदगी में भी उसे चोदने में मसरूफ़ था.

नीलोफर की तरह जमशेद भी ज़ाहिद का इस हरक्त पर हेरान हुआ. मगर उस ने ज़ाहिद को रोकने की कोई कॉसिश इस लिए नही की. क्योंकि वो इस तरह के सीन कई दफ़ा पॉर्न मूवीस में देख चुका था.

जब एक लड़का का लंड लड़की की चूत में और दूसरा उस के मुँह में होता है. और जमशेद को इस तरह के सीन देखने में मज़ा आता था.

इस लिए आज जिंदगी में पहली बार मूवीस में देखा हुआ सीन जमशेद ना सिर्फ़ लाइव देख रहा था. बल्कि वो और उस की सग़ी बेहन इस से सीन का खुद एक हिस्सा भी बन चुके थे.

नीलोफर की नज़रें सावलिया अंदाज़ में अपने भाई की तरफ गईं.उस का ख्याल था कि शायद उस का भाई जमशेद एएसआइ ज़ाहिद को अपनी हरकत से रोकने की कॉसिश करे गा.

मगर वो यह नही जानती थी कि अपनी बेहन को कई बार चोद कर बेहन चोद बन जाने वाला उस का भाई जमशेद आज एएसआइ ज़ाहिद के लंड को अपनी ही बेहन के मुँह में जाता देख कर एक बेगैरत भी बन चुका है.

और फिर जमशेद ने नीलोफर की आँखों में आँखे डाल कर उसे इशारे से कहा कि जो हो रहा है उसे होने दो.
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