वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete
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- rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
दोस्तो आप सब को बहुत बहुत शुक्रिया
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
जब रज़िया बीबी घर के सहन में आई. तो देखा कि ज़ाहिद घर के दरवाज़े के पास खड़ा अपनी मोटर साइकल को स्टार्ट करने की कोशिश कर रहा था.
“आप क्यों बाहर चली आई अम्मी जान” ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को अपने करीब आते देखा तो पूछने लगा.
“तुम्हारे स्कूल से कॉलेज जाने तक,में हमेशा एक माँ की हैसियत से तुम्हें घर के दरवाज़े से रुखसत करती रही हूँ, मगर अपने ही हाथों से पाले पोसे हुए अपने शोहर बेटे को आज में एक बीवी की हैसियत से रुखसत करने आई हूँ, मेरे मियाँ जीिइईईईईईईई” रज़िया बीबी ज्यों ही ज़ाहिद के नज़दीक हुई.
उस ने प्यार भरे अंदाज़ में ज़ाहिद के गले अपनी बहियाँ डालीं. और अपने जवान शोहर को अपनी बूढ़ी बाहों में ज़ोर से कसते हुए कहा.
“हाईईईईईईईई अगर आप ऐसी बातें करूँगी , तो किस कम बख़त का दिल नोकरी पर जाने को करे गा” अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने मोटर साइकल को उसी हालत में छोडा. और अपनी अम्मी के जिस्म से चिपकता हुआ रज़िया बीबी के लबों को चूमने लगा.
दोनो प्रेमियों का ये जोड़ा कुछ देर यूँ ही एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के होंठो और ज़ुबान को सक करता रहा.
जब कि इस दौरान रज़िया बीबी के हाथ ज़ाहिद की कमर के साथ साथ उस के लंड को मसल्ते और दबाते रहे.
और दूसरी तरफ ज़ाहिद भी अपनी अम्मी के मम्मो और चूत को अपने हाथ से छेड़ते हुए रज़िया बीबी की चूत की आग को मज़ीद भड़काता रहा.
इस से पहले कि ज़ाहिद का दिल बेईमान होता और वो नोकरी पर जाने का इरादा टाल देता. कि उस के फोन की बेल बंज उठी.
ज़ाहिद ने फॉरन रज़िया बीबी से अलग होते हुए अपना फोन चेक किया. तो इस बार फोन डीएसपी साब का था. जो ज़ाहिद को जल्द अज जल्द अपने ऑफीस आने का कह रहे थे.
फोन को बंद करते ही ज़ाहिद ने एक बार फिर अपनी अम्मी को अपने गले से लगा कर एक ज़ोर दार चुम्मि ली. और फिर मोटर साइकल पर बैठ कर अपनी नोकरी पर रवाना हो गया.
उस रोज़ शाज़िया अपनी सोतन अम्मी को उस के सैयाँ ज़ाहिद का नाम ले ले कर उसी तरह तंग करती रही.
जिस तरह शाज़िया की ज़ाहिद के साथ सुहाग रात के बाद रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया को तंग किया था.
और रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया के ज़ू महनी जुमलों से महज़ूज़ और गरम होते हुए अपने घर के काम काज में मसरूफ़ रही.
अभी ज़ाहिद को घर से गये हुए चन्द ही गहनते गुज़रे होंगे . कि रज़िया बीबी की चूत की आग ने उस की शलवार में फिर से सर उठाना शुरू कर दिया.
“उफफफफफफफफफफ्फ़ अभी तो सिर्फ़ सुबह के दस बजे हैं, जब कि ज़ाहिद तो शाम से पहले नही लोटे गा” ज़ाहिद के मोटे लंड के लिए बे चैन होते हुए रज़िया बीबी ने कमरे में लगे वॉल क्लॉक की तरफ देखते हुए सोचा.और अपनी गरम चूत को अपने हाथ से तसल्ली देते हुए फिर अपने कामों में मसरूफ़ हो गई.
घर के सहन की सफाई के दोरान रज़िया बीबी ने आसमान की तरफ देखा. तो आसमान को बादलों से भरा हुआ देख कर रज़िया बीबी के दिल में ख्याल आया.“ लगता है आज ज़रूर बारिश हो गी”.
रज़िया बीबी फिर अपने काम में मसरूफ़ हो गई. मगर काम काज कर दोरान रज़िया बीबी की नज़र बदस्तूर वॉल क्लॉक की तरफ जा रही थी.
“आज बार बार घड़ी की तरफ देखे जा रहीं हैं, ख़ैरियत तो है ना छोटी बेगम” अपनी अम्मी की बे चेनी को समझते हुए शाज़िया ने अपनी अम्मी को छेड़ा.
“तुम खूब जानती हो मेरी बे चैनि की वजह,तो फिर क्यों बिना वजह मुझे तंग करती हो शाज़िया”अपनी बेटी की बात सुन कर रज़िया बीबी ने बे शर्मी शलवार के उपर से अपनी चूत को मसलते हुए कहा.
“अगर इतनी ही आग लगी है,तो ज़ाहिद को वापिस घर बुला कर इस सुहाने मोसम का मज़ा लो आप” अपनी अम्मी की हरकत पर महज़ोज़ होते हुए शाज़िया ने बादलों की तरफ इशारा किया. जो अब किसी भी लम्हे बरसने को तैयार थे.
“सच पूछो तो दिल मेरा भी ये ही चाह रहा है,अच्छा में अभी अपने जानू को कॉल मिलाती हूँ” शाज़िया की बात से अग्री करते हुए रज़िया बीबी ने ज़ाहिद को कॉल कर दी.
“ख़ैरियत है ना” ज़ाहिद ने फोन का जवाब देते ही अपनी अम्मी से पूछा.
“बहुत खूब मेरी सोई हुई फुद्दि के जज़्बात को अपने लंड से जगा कर पूछते हो ख़ैरियत है” ज़ाहिद के सवाल पर रज़िया बीबी ने नकली गुस्सा करते हुए कहा.
“उफफफफफफफ्फ़ अम्मी जल्दी से बताएँ, क्या बात है, क्यों कि मेरे पास टाइम नही है अभी” ज़ाहिद इस वक्त वाकई ही अपने किसी सरकारी काम में बिजी होने की वजह से अपनी अम्मी से ज़्यादा बात नही कर सकता था. इसीलिए वो थोड़ा झुंझलाते हुए अपनी अम्मी से बोला.
“आज ज़रा जल्दी घर आ जाओ ना,देखो मोसम कितना सुहाना हो रहा है,मेरे राजा” ज़ाहिद के रवैये को नज़र अंदाज़ करते हुए रज़िया बीबी ने बहुत प्यार से अपने बेटे से फरमाइश की.
“नही में जल्दी नही आ सकूँ गा आज, मजबूरी है” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को रूखा सा जवाब दिया.
“हाई हाई ये मजबूरी
ये मोसम और ये दूरी
मुझे पल पल है तड़पाए
तेरी दो टाकिया दी नोकरी
और मेरा लाखों का सावन जाए”
“आप क्यों बाहर चली आई अम्मी जान” ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को अपने करीब आते देखा तो पूछने लगा.
“तुम्हारे स्कूल से कॉलेज जाने तक,में हमेशा एक माँ की हैसियत से तुम्हें घर के दरवाज़े से रुखसत करती रही हूँ, मगर अपने ही हाथों से पाले पोसे हुए अपने शोहर बेटे को आज में एक बीवी की हैसियत से रुखसत करने आई हूँ, मेरे मियाँ जीिइईईईईईईई” रज़िया बीबी ज्यों ही ज़ाहिद के नज़दीक हुई.
उस ने प्यार भरे अंदाज़ में ज़ाहिद के गले अपनी बहियाँ डालीं. और अपने जवान शोहर को अपनी बूढ़ी बाहों में ज़ोर से कसते हुए कहा.
“हाईईईईईईईई अगर आप ऐसी बातें करूँगी , तो किस कम बख़त का दिल नोकरी पर जाने को करे गा” अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने मोटर साइकल को उसी हालत में छोडा. और अपनी अम्मी के जिस्म से चिपकता हुआ रज़िया बीबी के लबों को चूमने लगा.
दोनो प्रेमियों का ये जोड़ा कुछ देर यूँ ही एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के होंठो और ज़ुबान को सक करता रहा.
जब कि इस दौरान रज़िया बीबी के हाथ ज़ाहिद की कमर के साथ साथ उस के लंड को मसल्ते और दबाते रहे.
और दूसरी तरफ ज़ाहिद भी अपनी अम्मी के मम्मो और चूत को अपने हाथ से छेड़ते हुए रज़िया बीबी की चूत की आग को मज़ीद भड़काता रहा.
इस से पहले कि ज़ाहिद का दिल बेईमान होता और वो नोकरी पर जाने का इरादा टाल देता. कि उस के फोन की बेल बंज उठी.
ज़ाहिद ने फॉरन रज़िया बीबी से अलग होते हुए अपना फोन चेक किया. तो इस बार फोन डीएसपी साब का था. जो ज़ाहिद को जल्द अज जल्द अपने ऑफीस आने का कह रहे थे.
फोन को बंद करते ही ज़ाहिद ने एक बार फिर अपनी अम्मी को अपने गले से लगा कर एक ज़ोर दार चुम्मि ली. और फिर मोटर साइकल पर बैठ कर अपनी नोकरी पर रवाना हो गया.
उस रोज़ शाज़िया अपनी सोतन अम्मी को उस के सैयाँ ज़ाहिद का नाम ले ले कर उसी तरह तंग करती रही.
जिस तरह शाज़िया की ज़ाहिद के साथ सुहाग रात के बाद रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया को तंग किया था.
और रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया के ज़ू महनी जुमलों से महज़ूज़ और गरम होते हुए अपने घर के काम काज में मसरूफ़ रही.
अभी ज़ाहिद को घर से गये हुए चन्द ही गहनते गुज़रे होंगे . कि रज़िया बीबी की चूत की आग ने उस की शलवार में फिर से सर उठाना शुरू कर दिया.
“उफफफफफफफफफफ्फ़ अभी तो सिर्फ़ सुबह के दस बजे हैं, जब कि ज़ाहिद तो शाम से पहले नही लोटे गा” ज़ाहिद के मोटे लंड के लिए बे चैन होते हुए रज़िया बीबी ने कमरे में लगे वॉल क्लॉक की तरफ देखते हुए सोचा.और अपनी गरम चूत को अपने हाथ से तसल्ली देते हुए फिर अपने कामों में मसरूफ़ हो गई.
घर के सहन की सफाई के दोरान रज़िया बीबी ने आसमान की तरफ देखा. तो आसमान को बादलों से भरा हुआ देख कर रज़िया बीबी के दिल में ख्याल आया.“ लगता है आज ज़रूर बारिश हो गी”.
रज़िया बीबी फिर अपने काम में मसरूफ़ हो गई. मगर काम काज कर दोरान रज़िया बीबी की नज़र बदस्तूर वॉल क्लॉक की तरफ जा रही थी.
“आज बार बार घड़ी की तरफ देखे जा रहीं हैं, ख़ैरियत तो है ना छोटी बेगम” अपनी अम्मी की बे चेनी को समझते हुए शाज़िया ने अपनी अम्मी को छेड़ा.
“तुम खूब जानती हो मेरी बे चैनि की वजह,तो फिर क्यों बिना वजह मुझे तंग करती हो शाज़िया”अपनी बेटी की बात सुन कर रज़िया बीबी ने बे शर्मी शलवार के उपर से अपनी चूत को मसलते हुए कहा.
“अगर इतनी ही आग लगी है,तो ज़ाहिद को वापिस घर बुला कर इस सुहाने मोसम का मज़ा लो आप” अपनी अम्मी की हरकत पर महज़ोज़ होते हुए शाज़िया ने बादलों की तरफ इशारा किया. जो अब किसी भी लम्हे बरसने को तैयार थे.
“सच पूछो तो दिल मेरा भी ये ही चाह रहा है,अच्छा में अभी अपने जानू को कॉल मिलाती हूँ” शाज़िया की बात से अग्री करते हुए रज़िया बीबी ने ज़ाहिद को कॉल कर दी.
“ख़ैरियत है ना” ज़ाहिद ने फोन का जवाब देते ही अपनी अम्मी से पूछा.
“बहुत खूब मेरी सोई हुई फुद्दि के जज़्बात को अपने लंड से जगा कर पूछते हो ख़ैरियत है” ज़ाहिद के सवाल पर रज़िया बीबी ने नकली गुस्सा करते हुए कहा.
“उफफफफफफफ्फ़ अम्मी जल्दी से बताएँ, क्या बात है, क्यों कि मेरे पास टाइम नही है अभी” ज़ाहिद इस वक्त वाकई ही अपने किसी सरकारी काम में बिजी होने की वजह से अपनी अम्मी से ज़्यादा बात नही कर सकता था. इसीलिए वो थोड़ा झुंझलाते हुए अपनी अम्मी से बोला.
“आज ज़रा जल्दी घर आ जाओ ना,देखो मोसम कितना सुहाना हो रहा है,मेरे राजा” ज़ाहिद के रवैये को नज़र अंदाज़ करते हुए रज़िया बीबी ने बहुत प्यार से अपने बेटे से फरमाइश की.
“नही में जल्दी नही आ सकूँ गा आज, मजबूरी है” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को रूखा सा जवाब दिया.
“हाई हाई ये मजबूरी
ये मोसम और ये दूरी
मुझे पल पल है तड़पाए
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और मेरा लाखों का सावन जाए”
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
अपने जानू बेटे के रूखे पन पर गुस्से में आते हुए रज़िया बीबी ने ज़ाहिद को फोन पर इस गाने के बोल सुनाए. और फिर एक दम फोन बंद कर दिया.
“हाईईईईईईई अभी सुबह ही तो आप ने अपनी फुद्दि मरवाई है, और अब आप से शाम तक सबर नही हो रहा, मुझे समझ नही आती कि अब्बू की मौत के बाद से आज तक आप कैसे अपनी इस गरम फुद्दि को शांत करती रही हैं अम्मी” अपनी अम्मी को गुस्से से फोन बंद करते देख कर शाज़िया की हँसी निकल गई. और उस ने अपनी अम्मी को मज़ीद छेड़ते हुए कहा.
“अच्छा ज़्यादा टरर टरर मत करो और जा कर किचन में हंडी बनाओ” ज़ाहिद के लंड के लिए मचलती हुई रज़िया बीबी को शाज़िया का मज़ाक एक आँख ना भाया. और इसीलिए उस ने गुस्से में अपनी बेटी शाज़िया को भी डाँट दिया.
शाज़िया ने अपनी अम्मी को असली गुस्से में आते देखा. तो उस ने फॉरन किचन में जाना ही मुनासिब समझा.
अभी शाज़िया को किचन में गये चन्द मिनट्स ही गुज़रे थे. कि इतने में घर के गेट की बेल बजी.
रज़िया बीबी ने दरवाजा खोला तो साथ वाले पड़ोसी की बड़ी लड़की को शाज़िया को सामने खड़ा पाया.
ये लड़की शाज़िया शाज़िया की नई नई दोस्त बनी थी. इसीलिए कभी कभी शाज़िया से मिलने उन के घर चली आती.
“आंटी शाजिया घर है” ज्यों ही रज़िया बीबी ने दरवाजा खोला तो शाज़िया ने पूछा.
“शाज़िया किचन में है, जाओ जा कर मिल लो” कहते हुए रज़िया बीबी ने उस लड़की को अंदर आने का कहा.
शाज़िया घर के अंदर आई और फिर किचन में जा कर शाज़िया से बातों में मसरूफ़ हो गई.
उधर दूसरी तरफ रज़िया बीबी अब घर के टीवी लाउन्ज में झुक कर झाड़ू लगाने में मसरूफ़ थी. कि इतने में किसी मर्द की मज़बूत बाहों ने रज़िया बीबी के भारी वजूद को अपनी शिकंजे में कस कर उस की गरदन पर ज़ोर से प्यार किया.
“कोन्ंननननणणन्” रज़िया बीबी ने घबरा कर एक दम से पीछे मुड़ने की कोशिस की.
“डरो मत,में वो ही हूँ जिस के लंड के लिए तुम्हारी चूत को सबर नही हो रहा था. इसीलिए एसएचओ से बहाना कर के,तुम्हारी फुद्दि की तसल्ली करने जल्दी घर लौट आया हूँ आज,मेरी भिलो रानी” ज़ाहिद ने पीछे से अपनी अम्मी के मोटे मम्मो को अपने हाथों में दबाते हुए कहा.
“शीईईईआ आहिस्ता बोलो,और छोड़ मुझे ,साथ वालों की लड़की किचन में शाज़िया के पास बैठी है,अगर उस ने ये सब देख और सुन लिया तो कयामत आ जाएगी” रज़िया बीबी ने एक दम से अपने आप को ज़ाहिद की बाहों से आज़ाद करने की कोशिश करते हुए कहा.
“फिकर ना करो वो दोनो अपनी बातों में इतनी मसरूफ़ होंगी, कि उन तक मेरी आवाज़ नही पहुँचेगी,बस आप जल्दी से नाडा खोलो, ताकि में आप की गरम चूत में अपने लंड डाल कर इस की गर्मी दूर कर दूं” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को आज़ाद करने की बाजियाय रज़िया बीबी की शलवार के नाडे पर हाथ डाला. और रज़िया बीबी के समझाने के बावजूद ज़बरदस्ती अम्मी की शलवार उतारने की कोशिश करने लगा.
“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ज़ाहिद पागल हो गये हो क्या, में कह जो रही हूँ कि ज़रा सबर कर लो” रज़िया बीबी ने जब ज़ाहिद को अपनी शलवार के नाडे पर हाथ डालते देखा. तो गुस्से में देखा मार कर ज़ाहिद को अपने पीछे देखते हुए बोली.
ज्यों ही ज़ाहिद अपनी अम्मी के जिस्म से अलग हो कर थोड़ा पीछे हुआ. तो दूसरे ही लम्हे शाज़िया और उस की सहेली शाज़िया अचानक टीवी लाउन्ज में दाखिल हो गईं.
“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कहीं शाज़िया ने ज़ाहिद को मुझ से छेड़ छाड़ करते देख ही ना लिया हो” रज़िया बीबी को अपनी चोरी पकड़े जाने के डर था.इसी लिए साथ वालों की लड़की को एक दम अचानक आता देख कर रज़िया बीबी के चेहरे का रंग उड़ गया.
“आज आप बहुत जल्दी घर वापिस आ गये ज़ाहिद” शाज़िया ने ज़ाहिद को यूँ अचानक घर में देख कर हैरानी से ऐसे मुखातिब किया. जैसे एक बीवी अपने मियाँ से बात करती है.
“हां वो एक फाइल घर भूल गया था,वो ही लेने आया हूँ” ज़ाहिद ने शाज़िया की सहेली शाज़िया की तरफ देखते हुए अपनी बहन की बात का ऐसे जवाब दिया. जैसे ज़ाहिद ही शाज़िया का असली शौहर हो.
“फाइल तो एक बहाना है,असल में तो दूल्हा भाई आप को देखने आए होंगे भाभी” शाज़िया ने हाथ की कोनी मारते हुए शाज़िया से सरगोशी की.
(असल में झेलम से रावलपिंडी शिफ्ट होने के बाद ज़ाहिद ने अपने इर्द गिर्द रहने वालों को शाज़िया और अपना तारूफ़ मियाँ बीवी की हैसियत से ही करवाया था.ये ही वजह थी कि शाज़िया की नई सहेली ज़ाहिद को दूल्हा भाई और शाज़िया को भाभी कह कर बुलाती थी)
“बकवास नही करो, ऐसी को बात नही” शाज़िया ने भी सरगोशी में जवाब दिया.
इधर ज्यों ही रज़िया बीबी ने शाज़िया और उस की सहेली को एक दूसरे राज़ो नियाज़ की बातों में मसरूफ़ देखा.
तो इस मोके को गनीमत जानते हुए रज़िया बीबी ने बाथ रूम की तरफ दौड़ लगाई. और बाथरूम में जाते ही दरवाज़े को अंदर से बंद कर लिया.
“ये आपस में क्या ख़ुसर फुसर हो रही है, हमें भी तो बताओ” दूसरी तरफ टीवी लाउन्ज में खड़े ज़ाहिद ने जब शाज़िया और शाज़िया को आपस में सरगोशी करते देखा. तो वो उन दोनो से पूछने लगा.
“कुछ खास नही, में आप की बेगम को अपने साथ, अपने घर ले जाना चाह रही थी,मगर अब आप की घर मौजूदगी में शायद आप की ज़ोज़ा मोह्तर्मा अब मेरे साथ जाने पसंद नही करेंगी” शाज़िया की सहेली ने एक शरारती मुस्कुराहट के साथ ज़ाहिद से कहा.
“नही ऐसी कोई बात नही, मेरी वाइफ आप के साथ ज़रूर जाना पसंद करे गी,में सही कह रहा हूँ ना बेगम”ज़ाहिद ने शाज़िया की तरफ देखते हुए उस से पूछा.
“असल में शाज़िया बाज़ार से कुछ नये सूट खरीद कर लाई है,जो ये अब मुझे भी दिखाना चाहती है,आप अपनी फाइल देखे, में थोड़ी देर में वापिस आती हूँ” ये कहते हुए शाज़िया अपनी सहेली शाजिया के साथ उस के घर चली गई.
उधर बाथरूम में जा कर पेशाब करने के लिए रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपनी शलवार उतारी. तो उस की शलवार उस के हाथ से छूट कर एक दम फर्श पर गिर पड़ी.
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- Rohit Kapoor
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
nice update Raj
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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