वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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ज़ाहिद की कही हुई बात वाकई ही सही थी. क्यों कि अपनी पहली चुदाई के बाद, जब उस के भाई ज़ाहिद के लंड का गाढ़ा वीर्य शाज़िया की चूत में गिर कर अब उस की चूत में जज़ब हो चुका था. तो अब उन दोनो में बहन भाई वाला रिश्ता तब्दील हो कर एक हक़ीक़ी मियाँ बीवी में बदल ही चुका था.

इसीलिए “चॅट में क्या दुनिया दारी,इश्क में केसी मजबूरी” वाले इस शेर की मानिंद शाज़िया ने सोचा कि अब बात बात पर अपने भाई से शरमाना उस के लिए बे कार है.

इसी लिए शाज़िया ने फिर से अपनी आँखे खोलीं और पास खड़े हुए अपने भाई की तरफ देखा.

अपने भाई की तरफ देखते ही शाज़िया की नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी.

शाज़िया ने देखा कि उस के भाई ज़ाहिद का लंड उस वक्त पूरी तरह अपनी बहन की फुद्दि के जूस भीगा हुआ था.

शाज़िया के सबका शोहर के बदकास ज़ाहिद का लंड ना सिर्फ़ एक बार अपनी बहन की फुद्दि में फारिग होने के बावजूद अभी तक ढीला नही पड़ा था.

बल्कि उस के सबका शोहर की मुक़ाबले ज़ाहिद का मोटा लंड अपना पानी निकालने के बावजूद पहले से ज़्यादा सख्ती के साथ अकड़ कर आसमान की तरफ देखते हुए इधर उधर उछल कूद कर रहा था.

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया का इस तरह अपने लंड की तरफ लालची नज़र से देखना अच्छा लगा.

ज़ाहिद आहिस्ता से अपनी बहन के साथ उस के बिस्तर पर बैठा. और उस ने बड़े प्यार से अपनी बहन के बालों में हाथ डाल के उस का चेहरा अपने करीब किया और शाज़िया के होंठो को बहुत ही कस के चूमा.

साथ ही ज़ाहिद ने अपना हाथ शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ ले जा कर अपनी बहन की गरम फुद्दि पर अपना हाथ कर चूत को ज़ोर से मसला.

“हाईईईईईईईईई भाईईईईईईई ऐसेयययी नाआआअ दबूऊऊ दरद हो रही हाईईईईईईईईई” शाज़िया को अपने भाई के लंड से ताज़ा ताज़ा चुदि हुई फुद्दि में वाकई ही थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था. इसीलिए अपने भाई के हाथ की सख्ती को अपनी फुद्दि महसूस कर के शाज़िया चिल्ला उठी.

“तुम कौन सी कुँवारी हो, जो तुम को दर्द हो रहा है मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात पर हेरान होते हुए पूछा.

“मेरी चूत कंवारी ना होते हुए भी आप के मोटे और बड़े लंड के लिए कंवारी ही है, उफफफ्फ़ मुझे इतनी तकलीफ़ तो पहली दफ़ा चुदवाते वक्त नही हुई थी, जितनी आज रात हुई है भाई” शाज़िया ने जवाब दिया.

“फिकर ना करो अभी तुम्हारी चूत के दर्द को ठीक करता हूँ” ये कहते हुए ज़ाहिद ने अपने आप को अपनी बहन से अलग किया. और बिस्तर पर बिखरी हुए गुलाब के फूल उठा कर कुछ फूल शाज़िया के जिस्म और कुछ अपनी बहन की फुद्दि के ऊपर बिखेर दिए.



“इन फुलो से क्या हो गा भाई” शाज़िया ने अपने भाई की हरकत का मतल्ब ना समझते हुए पूछा.

“ये फूल मेरी बहन की फूल सी चूत का सारा दर्द चूस कर उसे मिटा देंगे मेरी जान”

शाज़िया जानती थी कि उस के भाई की ये हरकत उस के साथ सिर्फ़ और सिर्फ़ प्यार के इज़हार के अलावा कुछ नही.

इसी लिए वो अपने भाई की बात पर मुस्कुराइ और बोली “अच्छा अब बस करो मुझे नीद आ रही है”

"रूको अभी तुम्हारी नीद उड़ा देता हूँ जान" ये कहते हुए ज़ाहिद शाज़िया के बराबर लेटा और शाज़िया को खैंच कर अपने सीने से लगा लिया.

फिर ज़ाहिद ने जोश में आते हुए अपना हाथ आगे बढ़ा कर शाज़िया की फुद्दि पर रखा.और फिर अपनी बहन की चूत के दाने (क्लिट) से खेलने लगा.

ज़ाहिद अपनी बहन की चूत की दरार को छेद रहा था. और साथ साथ शाज़िया की फुद्दि के मोटे दाने को अपने हाथ की उंगलियो से रगड़ भी रहा था.

ज़ाहिद काफ़ी देर तक अपनी बहन की फुद्दि को मसलता रहा.

शाज़िया के होंठ ज़ाहिद के होंठो की गिरफ़्त में थे.

अपनी बहन की चूत के दाने से खेलते खेलते ज़ाहिद ने अपनी बहन की चूत में अपनी दरमियानी उंगली डाली. तो ज़ाहिद की उंगली अपनी बहन की फुद्दि में छोड़े हुए उस के अपने जूस से पूरी की पूरी तर हो गई.

ज़ाहिद ने अपनी कम से तर अपनी उंगली को शाज़िया की फुद्दि से निकाल कर अपनी उंगली अपनी बहन के होंठो पर रखी और बोला” लो आज अपनी ही फुद्दि का पानी पी लो जान”.

“ना करो ना भाई अब सोने दो प्लीज़”. शाज़िया की आँखों में नींद उतरी हुई थी.

“जान अभी मेरी दिल नही भरा,चलो अब मुँह खोलो” ज़ाहिद ने अपनी उंगली का दबाव अपनी बहन के होंठो पर बढ़ाते हुए कहा.
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शाज़िया को अपने होंठो पर पड़ी भाई की उंगली से थोड़ी स्मेल तो आई. मगर इस के बावजूद उस ने अपना मुँह खोला और बड़े शौक से अपने भाई की उंगली पर लगा अपना और अपने भाई के लंड और चूत का पानी चाटने लगी.

जब शाज़िया ने ज़ाहिद की उंगली को चाट कर सॉफ कर दिया. तो ज़ाहिद ने अपने खड़े लंड की तरफ इशारा करते हुए शाज़िया से पूछा” अब इस के बारे में क्या ख्याल है जानू”.

शाज़िया अपने भाई की बात समझते हुए उठी. और बिस्तर पर लेटे हुए ज़ाहिद के जिस्म के ऊपर आ कर अपना मुँह रुख़ अपने भाई के पैरो की तरफ कर लिया.

अपने भाई के खड़े लंड को देखते ही शाज़िया को अपनी पहली चुदाई याद आई.तो शाज़िया की चूत ने फिर से बग़ावत कर दी.

शाज़िया ने अपने भाई के जिस्म पर खड़े हो कर अपनी गर्दन झुकाई



और अपने भाई के मोटे लंड को मुँह में लेते हुए लंड पर लगे हुए अपनी फुद्दि के जूस को अपनी ज़ुबान से चाट चाट कर सॉफ करने लगी.

शाज़िया के इस तरह से लेटने की वजह से शाज़िया की भारी गान्ड पीछे से ऊपर की तरह उठ गई थी.

शाज़िया की गोल,फर्म, टाइट, भारी और बाहर को निकली हुई गान्ड (बबल बट) किसी भी मर्द को पागल कर देने के लिए काफ़ी थी.

असल में ये ही वो गान्ड थी.जिस की तस्वीर पहली बार नीलोफर ने जब ज़ाहिद को दिखाई थी.तो ज़ाहिद अंजाने में ही अपनी बहन की इस मस्त गान्ड का आशिक़ बन गया था. और आज अपनी सग़ी बहन की इस दिल फरीब और चिकनी को इतने करीब से देखते हुए ज़ाहिद तो जैसे पागल सा हो गया.

अपनी बहन की मोटी बड़ी गान्ड को पीछे से यूँ उठा हुआ देख देख कर हुए ज़ाहिद को बड़ा मज़ा आ रहा था.

बिस्तर पर लेट कर अपनी बहन की गान्ड और उस की चूत के मोटे लिप्स देख कर ज़ाहिद के सबर कर पैमाना लबरेज हो गया.

ज़ाहिद ने अपने जिस्म को थोड़ा से उपर उठा कर शाज़िया की गान्ड की पहाड़ियों पर हाथ रखा. और शाज़िया की गान्ड को नीचे करते हुए अपनी बहन की गरम चूत को अपने मुँह के बिल्कुल ऊपर ले आया.



इस के साथ ज़ाहिद ने अपने मुँह को खोलते हुए अपनी लंबी ज़ुबान निकाल कर नीचे से अपनी बहन की मोटी चूत की दरार को चाटना शुरू कर दिया.

“ओह” अपने भाई की नुकीली ज़ुबान अपनी पिंक चूत के अंदर घूमते हुए महसूस कर के शाज़िया चिल्लाई. और उस ने अपने भाई के मोटे लंड को अपने मुँह में करते हुए गर्मजोशी से भाई की चुसाइ लगाना शुरू कर दिया.

अब दोनो बहन भाई 69 स्टाइल में एक बड़े मज़े और मस्ती से एक दूसरे के लंड और फुद्दि को चूस चूस कर मज़े ले और दे रहे थे.

ज़ाहिद और शाज़िया की गरम सिसकियाँ उन के मुँह से निकल निकल कर कमरे में गूँज रही थी. “ओह,अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाईईईईईईईई उफफफफफफफ्फ़”.

“अच्छा शाज़िया अब तुम मुझ पर चढ़ कर मेरा लंड अपनी फुद्दि में डालो” थोड़ी देर अपनी बहन से लंड चुसवाने और खुद शाज़िया की फुद्दि को चाटने के बाद ज़ाहिद ने शाज़िया को अपने ऊपर से हटाया. और फिर शाज़िया के मुँह को अपने मुँह की तरफ करते हुए अपनी बहन को दुबारा से अपने जिस्म के ऊपर चढ़ा लिया.

फिर ज़ाहिद ने नीचे से अपनी बहन की गीली और गरम चूत के साथ अपना लंड मिला कर शाज़िया को उस की कमर से पकड़ा. और उसे नीचे की तरफ खैंचते हुए खुद अपनी गान्ड को ऊपर की तरफ उठा दिया.

अपने भाई के लौडे की रगद से शाज़िया की चूत दुबारा से बुरी तरह गरम हो रही थी.

अचानक ज़ाहिद बिस्तर से थोड़ा उपर उछला और गुप्प्प्प से शाज़िया की चूत के अंदर आधा लंड घुस गया.

अपनी बहन की कमर को ज़ाहिद ने अपने दोनो हाथों से कस के पकड़ रखा था.



ज़ाहिद ने अपनी बहन के बदन को नीचे की तरफ खैंचा. तो चूत पहले से गीली होने की वजह से ज़ाहिद का लंड फिसलता हुआ शाज़िया की चूत की गहराई में चला गया.

अपने भाई के लंड के पहले धक्के पर शाज़िया के मुँह सिसकारी निकली “आईईईईई…….ऊओीईएईई उफफफफ्फ़



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अपनी बहन की गरम फुद्दि में लंड डालते ही ज़ाहिद ने अपने हाथ नीचे ले जा कर अपनी बहन की चूत के फूले हुए लिप्स को अपने हाथ में ले कर दबाया. तो शाज़िया की मोटी फुद्दि ने अपने भाई के बड़े लंड को मुकम्मल तौर पर अपनी ग्रिफ्त में ले लिया.

अपनी बहन की चूत के लिप्स को अपने लंड कर इर्द गिर्द ज़ोर से दबाते ज़ाहिद नीचे से अपनी बहन की फुद्दि में हल्के हल्के धक्के लगाने लगा.

अपनी चूत मे अपने भाई के लंड को इस तरह कसा हुआ पा कर शाज़िया के मुँह से सिसकारियो का एक सैलाब उमड़ आया.” हाईईईईईईईईईई ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफफफफफफफफफ्फ़ भाईईईईईई”.

और शाज़िया खुद लंड के उपर नीचे अपनी गान्ड खुद अपने भाई से अपनी गरम फुद्दि चुदवाने लगी..

"उफफफफफफ्फ़ शाज़िया ऐसे लगता है कि जैसे अब तुम मुझे चोद रही हो.." ज़ाहिद अपनी बहन के इस तरह गान्ड हिलाने से मस्त हो उठा.

"क्या करूँ आप को फारिग कर दूं मुझे सोना भी है,वरना आप तो मुझे पूरी रात नही सोने दोगे भाई.." शाज़िया ने अपने भाई के लंड पर उछलते हुए कहा.

"वो तो मैं वैसे भी आज तुम को सोने नही दूँगा मेरी जान”. ये कहते हुए ज़ाहिद ने नीचे से एक ज़ोर दार झटका दिया . तो उस का पूरा लंड अपनी बहन की फुद्दि के अंदर घुस गया.

ज़ाहिद का बड़ा लंड सीधा अपनी बहन शाज़िया की बच्चादानी से टकराया ."आअहह,माअर डाला, लगता है आज के बाद आप मुझे किसी काम के काबिल नही छोड़ोगे भाई”

ज़ाहिद अब अपनी बहन की कमर पकड़ के नीचे से लंबे लंबे धक्के लगा ने लगा.

अपने भाई के इस जोश से शाज़िया की चूत ने हर मान ली. और वो एक दम अपने भाई के लंड पर ही वो झड़ने लगी."ऊओ चोदो मुझे ,आज फाड़ दो अपनी बहन्णन्न् कीईईई. चूऊऊओत,आ....उउफफफफफफफफफफफफफ्फ़ हाइईइ”.

ज़ाहिद का लंड फ़च फ़चफ़ की आवाज़ के साथ शाज़िया की फुद्दि में अंदर बाहर हो रहा था.

ज़ाहिद ने महसूस किया कि अब उस की बहन शाज़िया की चूत उस के मोटे लंड को अपने अंदर ज़ोर से जकड रही थी.

शाज़िया के इस तरह ज़ाहिद के लंड को अपने अंदर जकड़ने की वजह से पीछे से शाज़िया की भारी गान्ड कभी बंद होती और कभी खुल जाती थी.

ज़ाहिद अपनी बहन की फुद्दि में धक्के मारते मारते अपनी एक उंगली को अपने मुँह में लाया. और अपनी उंगली को थूक से भर लिया.

ज़ाहिद दुबारा से अपने हाथ को नीचे ले गया और अपनी बहन की गान्ड की मोटे चुतड़ों को अपने हाथों से खोलते हुए अपनी थूक भरी उंगली को अपनी बहना की गान्ड के सुराख में डाल दिया.



अपने भाई की उंगली को अपनी कंवारी गान्ड के सुराख में आता पा कर शाज़िया तो जैसे बे होश होने लगी.उसके मुँह से “आह्ह निकला. नही भाई इधर नहियीईईईईईई”.

“क्यों यहाँ क्यों नही मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड के सुराख से अपना हाथ हटा कर शाज़िया के भारी चूतड़ो पर हाथ फेरते हुए पूछा.

“क्यों कि मुझे ये सब पसंद नही भाई” शाज़िया ने मुक्स्तर सा जवाब दिया.

अपनी बहन का जवाब सुन कर ज़ाहिद भी खामोश तो हो गया.

मगर इस के साथ ही ना जाने ज़ाहिद को क्या सूझी. कि शाज़िया को चोदते चोदते ज़ाहिद अपनी बहन के भारी वजूद को अपनी बाहों में उठाए हुए बिस्तर से उतर कर फर्श पर खड़ा हो गया.



बिस्तर से उठ कर कमरे के फर्श पर खड़े होने के बावजूद ज़ाहिद का मोटा और बड़ा लंड अभी तक उस की बहन की फूली हुई तंग फुद्दि मे जड़ तक ठूँसा हुआ था.

“ये आप क्या कर रहे हो भाई” शाज़िया ने जब अपनी भाई को उसे यूँ अपने हाथों में उठा कर बिस्तर से उठाते देखा तो वो घबरा गई.

क्यों कि शाज़िया को डर था कि उस के जिस्म का वज़न ज़्यादा होने की वजह से उस का भाई कहीं अपना तवज्जो खो ना दे. और इस वजह से दोनो बहन भाई को कोई चोट ना लग जाय.

“शाज़िया फिकर ना करो तुम्हारा ये भाई तुम को कभी गिरने नही देगा जान” ये कहते हुए ज़ाहिद बड़े आहतीमाद से अपनी बहन के भारी वजूद को अपने मज़बूत बाजुओं के ऊपर उछालते हुए अपना तना हुआ लंबा लंड शाज़िया की चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
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Sexi Rebel wrote:bandhu kamal ki rachna hai
shukriya dost
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