वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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अपनी बहन को यूँ घोड़ी बनने देख कर ज़ाहिद बिस्तर से उठ कर फिर फर्श पर आया. और अपनी बहन की हवा में उठी हुई गान्ड के नीचे बैठ कर शाज़िया की गरम चूत के मोटे लबों को अपनी नुकीली ज़ुबान से दुबारा चाटने लगा.



ज़ाहिद एक साँप (स्नेक) की मानिंद अपनी ज़ुबान निकाल कर अपनी बहन की चूत को ऊपर से नीचे तक चाट रहा था.

"आहह श्ह्ह्ह” अपने भाई की नोकिली ज़ुबान और गरम होन्ट अपनी चूत पर लगते ही शाज़िया के सारे बदन में चिंटी रेंगने लगीं.

"क्या हुआ शाज़िया तकलीफ़ हो रही है क्या?", ज़ाहिद ने अपनी बहन की चूत से अपने होंठो को हटाते हुए पूछा. और फिर से अपने होन्ट अपनी बहन की चूत पर रखते हुए उस की चूत से निकलता हुआ पानी अपने होंठो से चूसने लगा.

"ऊहह दर्द कहाँ, इस्शह बल्कि मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है भाईईईईईईई", शाज़िया अपने भाई की जीभ अपनी चूत पर महसूस कर के अपने चुतड़ों को उछालते हुए बोली.

शाज़िया की चूत से पानी की नदियाँ बहने लगीं. जिसे उस का भाई ज़ाहिद अपनी ज़ुबान से “शार्प शार्प” कर के चाटने लगा.

अपनी बहन की चूत को चाटते चाटते ज़ाहिद आहिस्ता आहिस्ता अपने को मुँह ऊपर लाया.

ज़ाहिद ने अपने हाथों से अपनी बहन के मोटे चुतड़ों को खोलते हुए अपनी बहन की कंवारी गान्ड के सुराख पर ज़ोर से थूका. और इस के साथ ही उस ने एक दम से ने अपनी गरम और नोकिली ज़ुबान को अपनी बहन की कंवारी गान्ड के सुराख पर रखते हुए अपने थूक से भरे अपनी बहन की गान्ड के सुराख को चाटना शुरू कर दिया.

अपने भाई की इस हरकत से शाज़िया भी पागल सी हो गई. और मज़े की शिद्दत से शाज़िया मचलते हुए चिल्लाई “ उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई”.

शाज़िया के लिए अपनी गान्ड पर किसी की ज़ुबान फेरवाने का ये पहला मोका था. इसीलिए अपने भाई के मुँह से ये अनोखा स्वाद हासिल करते ही शाज़िया तो मज़े से बे हाल होने लगी.

शाज़िया की गान्ड की महक ने तो ज़ाहिद को पहले ही पागल कर रखा था. इसीलिए अब अपनी बहन की कंवारी गान्ड के सुराख पर ज़ुबान रखते ही ज़ाहिद ने शाज़िया की गान्ड के सुराख को पागलों की तरह चाटना शुरू कर दिया था.

ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड को अपने हाथों से खोलते हुए दीवाना वार शाज़िया की गान्ड को चूसने लगा.वो शाज़िया की गान्ड को खोल कर काफ़ी गहराई तक अपनी ज़बान पहुँचा रहा था.

जिस की वजह से शाज़िया सिसक रही थी,मचल रही थी. और ज़ाहिद भी मज़े से जज़्बाती हो कर अपनी बहन की गान्ड के नमकीन ज़ायक़े को चाटे जा रहा था.

ज़ाहिद ने इतने जोश और मज़े से अपनी बहन की गान्ड के साँवले सुराख को चाटा. कि शाज़िया की गान्ड उस के भाई ज़ाहिद के थूक से पूरी तरह तर हो गई.

कुछ देर यूँ ही अपनी बहन की गरम और मज़े दार गान्ड को चाटने के बाद ज़ाहिद फर्स से उठा.और उस ने पीछे से शाज़िया की टाँगें चीर कर के अपने लंड की मोटी टोपी को अपनी बहन की छूट पर रगड़ना शुरू कर दिया.

भाई के लंड की मोटी टोपी ने ज्यों ही शाज़िया की पानी छोड़ती चूत के सुराख को छुआ तो शाज़िया मचल कर बोली,” उूुुउउफफफफफफफफ्फ़ भाई आप क्यों तड़पा रहे हैं, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत मे डालो ना, में तो चुदवाने के लिए मेरी जा रही हूँ”.

ज़ाहिद शैयद अपनी बहन को तड़पाने के मौूद मे था. इसीलिए वो अपनी बहन की बात को अन सुनी करते हुए अपना लंड अपनी बहन की चूत पर मसलता रहा.

शाज़िया से अब अपनी भाई की ये हरकत बर्दाश्त नही हो रही थी. इसीलिए वो फिर सिसकी “ हाई भाईईईईई मेरे हाल पर रहम करो और मुझे चोदो प्लीज़”

अपनी बहन की बेताबी देख कर ज़ाहिद मुस्कुराया और बोला “अच्छा अभी चोदता हूँ तुम्हारे लंड की भूकि चूत को जान”. ये कह कर ज़ाहिद ने अपना मस्त और मोटे लंड के मोटे टोपे को एक दम अपनी बहन की पानी पानी होती गरम चूत में घुसा दिया.


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घुडप की तेज आवाज़ शाज़िया की चूत से निकली और ज़ाहिद का लंड उस की बहन की गरम फुद्दि में फिसलता चला गया.

लज़्जत की शिद्दत से शाज़िया ने सिसकारी ले कर अपनी आँखें बंद कर ली.

ज़ाहिद ने अब पीछे से अपनी बहन की चौड़ी और भारी गान्ड को अपनी हाथों में थामते हुए अपनी बहन की चूत में ज़ोर दार किसम के धक्के मारने शुरू कर दिए. तो शाज़िया अपने भाई की मस्त चुदाई के आगे हर मानते हुए सिसकियाँ लेने लगी.

ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड की भारी पहाड़ियों को थामे हुए अपनी बहन की चूत में झटके पर झटके मारे जा रहा था.

औरतों के मामले में ज़ाहिद पहले से ही एक मंझा हुआ खिलाड़ी था.

इसीलिए जब ज़ाहिद ने महसूस किया कि शाज़िया उस की जबर्जस्त चुदाई की वजह से मज़े से बे हाल हो रही है. तो ज़ाहिद ने सोचा कि ये सही मोका है.जब वो अपनी बहन की गान्ड में अपना मोटा लंड डाल कर अपनी बहन की गान्ड की कंवारी सील तोड़ कर सुबह होने वाला वालिमा सही तौर पर जायज़ बना सकता है.

ये खेल ज़हन में आते हुए ज़ाहिद ने अपने लंड को अपनी बहन की चूत से बाहर निकाला.

उस वक्त ज़ाहिद का लंड शाज़िया की फुद्दि के गरम पानी और जूस से पूरा तरह भरा हुआ चमक रहा था.

ज़ाहिद को पता था कि एक तो उस का लंड शाज़िया की फुद्दि के पानी से भीगा हुआ है. जब कि शाज़िया की गान्ड के सुराख को भी ज़ाहिद ने अपने थूक से अच्छी तरह गीला कर के तर कर दिया था.

इसीलिए ज़ाहिद को अंदाज़ा था. कि उस के लंड को अपनी बहन की भारी गान्ड की कंवारी सील तोड़ने में ज़्यादा दिक्कत नही हो गी. और फिर इस से पहले कि शाज़िया कुछ समझ पाती. ज़ाहिद ने अपने गीले लंड को शाज़िया की गान्ड के मुँह पर रखा और एक ज़ोर का धक्का दिया.



ज़ाहिद का कड़क लंड उस की बहन की थूक से गीली कुँवारी गान्ड के सुराख को चीरता हुआ शाज़िया की गरम गान्ड में आधा अंदर चला गया.

अपने भाई के इस अचानक हमले से शाज़िया उछल पड़ी. शाज़िया को यूँ महसूस हुआ जैसे उस की गान्ड में किसी ने लोहे का गरम राड डाल दिया हो. जिस की तपिश से उस की गान्ड की सारी नसें (वाइन्स) जल कर राख हो गई हों.

ज़ाहिद का अपनी बहन की कंवारी गान्ड पर ये हमला इतना अचानक और ज़ोर दार था. कि शाज़िया को यूँ महसूस हुआ. जैसे उस के भाई का लंबा और मोटा लंड उस की गान्ड में घुस कर उस के मुँह के ज़रिए बाहर निकल जाएगा.

अपने भाई के इस धक्के की वजह से दर्द की शिद्दत से शाज़िया की आँखो से आँसू निकल आए और उस के मुँह से एक लंबी चीख निकल गई “हीईीईईईईईईई भाईईईईईईईईईईईईईई मार डाला”



इस के साथ ही शाज़िया ने बिस्तर पर पड़े हुए तकिये (पिल्लो) को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया. ताकि इस तरह शायद उसे अपनी गान्ड में समाते हुए भाई के बड़े लंड की तकलीफ़ का अहसास कुछ कम महसूस हो.

“कुछ नही होगा शाज़िया,मेरी जान.अब तो अंदर डाल दिया है,अभी मज़ा आएगा” ये कहते हुए ज़ाहिद ने अपने लंड को मज़ीद अंदर जाने से रोक लिया .



ताकि एक तो शाज़िया की गान्ड में उठा हुआ दरद कुछ कम हो जाए. और साथ ही साथ उस का बड़ा लौडा शाज़िया की गान्ड में अपनी जगह बना सके. तो उस के बाद वी अपनी बहन की गान्ड को आसानी से चोद सके गा.

"नहियिइ मुझे बहुतत्तत्त दर्द हो रहा है,आप बहुत ज़ालिम हो मुझे बिना बताए ही इतना बड़ा लंड मेरी कंवारी गान्ड में डाल दिया आप ने.मेने 2 साला शादी में कभी अपनी गान्ड में लंड नही डलवाया,अह्ह्ह्ह मैं मर जाउन्गी,निकाल लो,प्ल्ज़्ज़,बहुत दर्द हो रहा है”. दर्द की शिद्दत से चिल्लाते हुए शाज़िया ने अपने भाई से कहा.

ज़ाहिद खूब जानता था कि ऐसे मोके पर किसी भी औरत को लंड अपनी गान्ड में लेने के लिए कैसे राज़ी किया जाता है.

इसीलिए ज़ाहिद ने अपने एक हाथ को नएचए से ला कर शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ रखा और फिर आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से अपनी बहन शाज़िया की चूत का दाना (क्लिट) मसलना शुरू कर दिया.

ज़ाहिद की इस हरकत से चन्द लम्हों में ही अपनी गान्ड का दर्द भुला कर शाज़िया गरम होते हुए फिर से सिसकारियाँ लेने लगी.

साथ ही साथ ज़ाहिद ने अपनी उंगली को शाज़िया की चूत में घुसा दिया और स्लो मोशन में शाज़िया की चूत को अपनी उंगली से चोदने लगा.

शाज़िया की सिसकियाँ सुन कर ज़ाहिद को अंदाज़ा होने लगा. कि अब शाज़िया को दर्द नही बल्कि मज़ा आ रहा है. इसीलिए ज़ाहिद ने फिर से एक और धक्का मारा. और अपना बचा हुआ लंड अपनी बहन की कंवारी गान्ड में डाल कर अपनी बहन की गान्ड की सील पूरी तरह से खोल दी.



“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ भाईईईईईईईईईईईईईईईईई लगता है आज तो आप मेरी जान ही ले लोगे” अपनी गान्ड की तह में अपने भाई का मोटा और बड़ा लंड पूरे का पूरा जाता हुआ महसूस कर के शाज़िया फिर चिल्लाई.

“शाज़िया मेरी जान बस थोड़ा सबर करो अभी थोड़ी देर में जब तुम्हारा दर्द ख़तम हो गा तो तुम्हें गान्ड मरवाने में भी मज़ा आने लगेगा मेरी जान. ज़ाहिद ने अपनी बहन को तसल्ली देते हुए कहा.

शाज़िया की गान्ड अंदर से बहुत ही तंग और गरम थी. जिस में अपना लंड डालते ही ज़ाहिद को यूँ लगा. जैसे उस ने अपना लंड किसी गरम तंदूर में डाल दिया हो.
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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ज़ाहिद ने आज तक ना जाने कितनी ही औरतों की चूत और गान्ड मारी थी. और आज से पहले वो नीलोफर की गान्ड की सील भी अपने इसी मोटे ताज़े लंड से खोल चुका था.

मगर जो मज़ा आज उसे अपनी ही सग़ी बहन की कंवारी गान्ड की सील खोलने में आ रहा था. वो मज़ा आज से पहले ज़ाहिद को कभी हासिल नही हुआ था.

ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड में अपना पूरा लंड डाले कुछ देर यूँ ही खड़ा रहा.

फिर वाकई ही थोड़ी देर बाद जब शाज़िया को अपनी गान्ड का दर्द कुछ कम होता हुआ महसूस हुआ. तो उस ने अपनी गान्ड ढीली छोड़ दी.

जिस पर ज़ाहिद को अंदाज़ा हो गया. कि अब शाज़िया अपने भाई के लंड को अपनी गान्ड की गहराइयों में कबोलियत का शरफ बख़्श रही थी.

इसीलिए ज़ाहिद ने अपने दोनो हाथों से शाज़िया के मोटे मोटे सेक्सी चूतड़ पकड़े और अपनी पूरी स्पीड और ताक़त से शाज़िया की गान्ड को चोदना शुरू कर दिया .

साथ ही साथ ज़ाहिद अभी तक अपने हाथ से शाज़िया की फुद्दि के दाने (क्लिट) को भी रगड़ने में मसरूफ़ था.

“मेरी जान, तुम अपनी चूत में अपनी उंगली मारो ताकि तुम्हे भी मज़ा आता रहे” ज़ाहिद ने कुछ देर बाद अपने हाथ को शाज़िया की फुद्दि से अलग करते हुए अपनी बहन से कहा.

अपने भाई के कहने पर शाज़िया ने भी अपना एक हाथ अपने जिस्म के नीचे ला कर अपनी फुद्दि के मुँह पर रखा और आहिस्ता आहिस्ता अपनी चूत को मसलना शुरू कर दिया.



वैसे तो आज से पहले अपनी दो साला तलाक़ याफ़्ता जिंदगी में शाज़िया ने रात के अंधेरे में बेशुमार दफ़ा खुद ही अपने हाथों से अपनी गरम फुद्दि के साथ खेला और मसला था.

मगर आज जैसा मज़ा उस पहले कभी नही मिला था. क्यों कि उस वक्त उस के भाई का मोटा और सख़्त लंड उस की गान्ड की दीवारों को चीरता हुआ अंदर बाहर हो रहा था.

और इस के साथ साथ वो खुद अपने हाथ से अपनी फुद्दि के दाने को मसल कर मज़ा लेने में मसरूफ़ थी.

गान्ड चुदाइ और साथ में फुद्दि रगड़ाई के इस नये अंदाज़ को शाज़िया अब पूरी तरह से एंजाय कर रही थी.

ज़ाहिद अब शाज़िया के गोरे गोरे टाइट चूतड़ अपने दोनो हाथों से पकड़ कर अपनी पूरी ताक़त से धक्के मार कर शाज़िया की गान्ड के तंग सुराख को चोद रहा था.

कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद ज़ाहिद ने दोनो हाथों से शाज़िया की गान्ड खोली और अपना लंड आहिस्ता से बाहर निकाल लिया.

ज़ाहिद का लंड “पुक्क्कक" की आवाज़ के साथ शाज़िया की मोटी गान्ड के तंग छेद से बाहर निकला. तो ज़ाहिद ने देखा कि उस का मोटा और बड़ा लंड उस की बहन की गान्ड में जाने के बाद शाज़िया की गान्ड का मुँह "ओ" जैसा खुल गया था.

फिर दूसरे ही लम्हे ज़ाहिद ने पीछे से शाज़िया की गरम फुद्दि पर अपने लंड को रख कर एक झटका दिया. तो ज़ाहिद का मोटा ताज़ा लंड शाज़िया की फुद्दि के दाने पर फिरते हुए उस के हाथ से टच होता हुआ शाज़िया की फुद्दि में समा गया.

अपनी बहन की तपती चूत में अपना लंड डाल कर ज़ाहिद ने अपनी बहन के मोटे चूतड़ पकड़े और अपनी बहन की गरम फुद्दि को चोदने लगा.

कुछ देर बाद ज़ाहिद ने फिर से अपना लंड शाज़िया की चूत से निकाल कर उस की मोटी गान्ड में उडेल दिया.

अब ज़ाहिद कभी अपनी बहन की गान्ड को चोदने लगता और कभी उस की गरम फुद्दि में लंड पेल कर शाज़िया की चूत के मज़े ले रहा था.

इस के साथ साथ शाज़िया अभी तक बदस्तूर अपने हाथ से अपनी फुद्दि के दाने को रगड़ने में मसगूल थी.

अपने भाई की इस जबर्जस्त चुदाई ने शाज़िया को तो जैसे पागल ही कर दिया था.और उस के मुँह से निकलती हुई सिसकियाँ पूरे कमरे में ज़ोर ज़ोर से गूँज रही थी.

कुछ देर तक इसी अंदाज़ में अपनी बहन शाज़िया की गान्ड और चूत एक साथ चोदने के बाद ज़ाहिद भी छूटने के करीब आ गया था

“शाज़िया मेरी पानी बस अब निकलने ही वाला है मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड में धक्के मारते हुए कहा.

और फिर ज़ाहिद ने एक ज़ोर दार आखरी धक्का मार कर अपना लंड जड (रूट) तक शाज़िया की गान्ड में डाला.और अपने लंड के आतिश फिशन को खोल कर अपनी बहन शाज़िया की गान्ड में पानी का एक सैलाब बना दिया.



दोनो बहन भाई मज़े और चुदाई की शिद्दत से निढाल हो कर बिस्तर पर गिर पड़े.

ज़ाहिद का बड़ा और मोटा लंड अपनी बहन की गान्ड और चूत के जूस से भरा हुआ था. और उस की टाँगों के दरमियाँ अब थोड़ा ढीला हो कर हिचकोले खा रहा था.

जब कि शाज़िया की गान्ड अपने भाई के मोटे और बड़ा लंड को अपने अंदर समेटे अभी तक “फक फक” करते हुए खुल और बंद हो रही थी.
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आज अपनी ही सग़ी बहन से अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने के बाद ज़ाहिद के ज़हन में ये ख्याल आया. कि जैसे वाकई ही उस की सग़ी बहन उस के लिए बनी थी.

क्यों कि अगर ऐसा ना होता. तो शायद या तो शाज़िया का तलाक़ ना होता. और अगर होता भी तो उस के बाद अब तक वो किसी और से शादी कर कर अपना घर दुबारा बसा चुकी होती.

और शायद ज़ाहिद ने अपनी ही सग़ी बहन से नकली शादी कर के उस को अपनी बीवी का दर्जा देना था. इसी लिए अम्मी के हज़ार बार कहने के बावजूद ज़ाहिद ने अभी तक शादी नही की थी.

ये ख्याल ज़हन में आते ही ज़ाहिद अपनी बहन की पीठ पर लेटे लेटे इंडियन मूवी का ये गाना अपनी बहन के कान में गुनगुनाने लगा कि,


“कभी कभी मेरे लंड को ख्याल आता है
कि जैसे तेरी चूत को बनाया गया है मेरे लिए
तू इस से पहले बस रही थी,इस घर में कहीं
तुझे अम्मी ने घुसाया है,इस कमरे में मेरे लिए
सुहाग रात है,गान्ड फाड़ रहा हूँ में
क्यों कि इसे तू ने अभी तक बचाया था, सिर्फ़ मेरे लिए”


शाज़िया अपने भाई के मुँह से ये गाना सुन कर शर्म से लाल हो गई.फिर उस के बाद सारी रात दोनो बहन भाई ने खूब दिल खोल कर चुदाई की.

और फिर रात के आखरी पहर दोनो बहन भाई थक हार कर एक दूसरे की बाहों में ही सो गये.


उधर उस रात ज़ाहिद के घर की ऊपर वाली मंज़िल में जमशेद भी अपनी ही बहन के दूल्हा के रूप में अपने कमरे में दाखिल हुआ.

जिधर उस की अपनी ही सग़ी बड़ी बहन आज उस की दुल्हन बनी हुई जमशेद के इंतिज़ार में बैठी थी.

वैसे तो जमशेद इस से पहले भी कई सुहाग रातें अपनी बहन नीलोफर के साथ गुज़ार चुका था.

मगर आज मुकम्मल तौर पर एक दूल्हा दुल्हन के रूप में सज धज कर सुहाग की सेज पर अपनी सुहाग रात मनाने का ये तजुर्बा उन दोनो बहन भाई के लिए भी बिल्कुल नया ही था.

जमशेद को आज अपनी बहन की चूत का मज़ा चखे हुए काफ़ी दिन हो चुके थे.

जिस की वजह से कमरे में दाखिल होते वक्त जमशेद का लंड फुल तन कर उस की शलवार में खड़ा हो चुका था.

फिर कमरे में आ कर ज़ाहिद की तरह जमशेद ने भी अपनी दुल्हन बहन को मुँह देखाई में सोने का एक सेट दिया.

ज्वेलरी तो वैसे ही दुनिया की हर औरत की कमज़ोरी होती है. इसीलिए शाज़िया की तरह नीलोफर भी अपने ही सगे दूल्हा भाई से अपनी मुँह दिखाई का तोहफा वसूल कर के बहुत खुश हुई. और उस ने अपने भाई जमशेद को बिस्तर पर लेटा कर उस के गालों को चूम लिया.



“आज सिर्फ़ गालों पर प्यार करने से काम नही चलेगा बाजी” ये कहते हुए जमशेद ने अपनी बहन के जिस्म से उस के सारे कपड़े एक एक कर अलग कर दिए और फिर खुद भी फॉरन ही नंगा हो गया.

जमशेद के लंड की तरह नीलोफर की गरम चूत भी पिछले चन्द दिन से लंड से महरूम रही थी. इसी लिए अब इस वक्त नीलोफर की चूत भी काफ़ी गरम और प्यासी हो कर अपना पानी छोड़ रही थी.

जमशेद के कपड़े उतरते ही उस का लंड नग्ना हो कर नीलोफर के सामने आया. तो अपने भाई के लंड को देख कर नीलोफर उस के सामने बैठ गई. और उस ने अपने भाई के जवान और आकड़े हुए लंड को अपनी ज़ुबान से सक करना शुरू कर दिया.



जमशेद का सख़्त लंड ज्यों ही उस की बहन की गरम ज़ुबान और उस के नरम होंठो से रगड़ ख़ाता हुआ नीलोफर के मुँह के अंदर बाहर हुआ. तो मज़े की शिद्दत से जमशेद बे हाल हो गया.

अपने भाई के लंड को बेचैनि से चुसते हुए नीलोफर का दिल चाहा कि उस का भाई जमशेद जल्द आज़ जल्द उस की पानी छोड़ती चूत में अपना खड़ा हुआ लंड डाल कर उस की चूत की गर्मी को दूर कर दे.

उधर अपनी बहन नीलोफर की तरह जमशेद की भी दिली ख्वाहिश कुछ ऐसी ही थी.मगर उस के इरादे आज थोड़े मुक्तलिफ से थे.

असल में बात कुछ यूँ थी. कि अपनी बहन की चूत को पहली बार चोदने के बाद से जमशेद अपनी बहन नीलोफर की गान्ड को चोदने का ख्वाहिश मंद रहा था.

लेकिन एएसआइ ज़ाहिद से अपनी गान्ड की सील तुड़वाने के बावजूद नीलोफर ने आज तक कभी अपने भाई को अपनी बुन्द (गान्ड) का मज़ा नही चखाया था.

इसी लिए जमशेद आज अपनी बहन के साथ अपनी शादी शुदा जिंदगी का आगाज़ उस की मोटी गान्ड के छेद में अपना लंड डाल कर करना चाहता था.

फिर कुछ देर अपने भाई के लंड को चूसने के बाद नीलोफर बिस्तर पर लेट गई.और उस ने लेटते ही अपनी गुदाज जाँघो को खोल कर अपनी गरम फुद्दि के देने पर अपने हाथ को रखा कर ज़ोर से रगड़ते हुए अपने भाई से कहा“उफफफफफफफफफफफ्फ़ जमशेद अब आ कर डाल भी दो ना अपना लंड मेरी फुद्दि में भाईईईईईईईईईई”.

नीलोफर अब अपने भाई के लंड को अपनी फुद्दि में जज़्ब करने के लिए इतनी बेताब हो चुकी थी. कि अब उस को एक लम्हा भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.

जब जमशेद ने अपनी बहन को उस के लंड के लिए यूं बेचैन होते देखा. तो उस के होंठो पर एक मुस्कराहट पहली.

जमशेद ने अपने मोटे लंड को अपने हाथ से मसल्ते हुए बिस्तर पर नंगी बैठी अपनी बहन नीलोफर से कहा “निलो बाजी क्यों ना आज हम अपनी सुहाग रात का आगाज़ गान्ड चुदाई से करें मेरी जान”.

नीलोफर की चूत में उस वक्त गरम आग के शोले भड़क रहे थे. इसीलिए वो चाहती थी कि उस का भाई पहले उस की फुद्दि में लंड डाल कर उस की गर्मी को दूर करे. इसीलिए वो मज़े से सिसकारी लेती हुई बोली “ नहियीईई पहले मेरी फुद्दि में लंड डालूऊऊऊऊऊ, नहियीईईईईईईईईई तो में मररर्र्र्र्ररर जाओंन्नोनणणन् गी भाईईईईईईईईईईईई”.
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जमशेद ये बात अच्छी तरह जानता था. कि अगर उस ने अपनी बहन की बात मानते हुए उस की चूत की खुराक (चूत की खारिश ख़तम) कर दी.तो फिर हमेशा की तरह नीलोफर उसे अपनी गान्ड का मज़ा नही चखने देगी .

इसीलिए जमशेद के लिए ये सुनहेरी मोका था. जब वो अपनी बहन से अपनी बात मनवा कर उस की मोटी गान्ड की गहराइयों की सैर कर सकता था.

ये ही वजह थी कि नीलोफर के इसरार के बावजूद जमशेद बिस्तर के किनारे पर खड़ा हो कर अपने लंड को मसलता रहा. और अपनी बहन के जज़्बात को भडकाता रहा.

जब नीलोफर ने देखा कि उस का भाई जमशेद आज अपनी ज़िद पूरी करने पर तूल गया है. तो उस ने भी अपने भाई के लंड के आगे हर मानते हुए सुहाग की सेज पर उल्टा लेट कर अपनी गान्ड को हवा में खड़ा कर दिया.

ज्यों ही नीलोफर बिस्तर पर घोड़ी बन कर लेटी.तो जमशेद फॉरन अपनी बहन की मस्तानी गान्ड के पीछे आया. और अपनी बहन की कमर को पकड़ते हुए बोला, "हाईईईईईईईईईईईईई, मेरी बहन क्या ज़ालिम गान्ड हैं तुम्हारी,नीलो बाजी में तुम्हारा बहुत शूकर गुज़ार हूँ कि आज तुम ने मुझे अपनी गान्ड का ये तोहफा दे ही दिया मेरी जान”

इस से पहले कि नीलोफर कुछ कह पाती. जमशेद ने अपनी बहन की गान्ड के सुराख पर थूक लगाया. और अपना लंड नीलोफर की बंद के सुराख पर रख कर एक ज़ोर दार धक्का मारा.

तो जमशेद का लंड अपनी बहन की पहले से खुली हो गान्ड की गरम तह में “गुप्प्प्प” की आवाज़ के साथ दाखिल हो गया.

नीलोफर की गान्ड को ज़ाहिद के मोटे लंड ने पहले से की चोद चोद कर रवाँ कर दिया था.

मगर इस के बावजूद आज पहली बार अपनी बहन की गान्ड में लंड डाल कर जमशेद की बरसों की ख्वाहिश पूरी हो रही थी.

इसीलिए अपनी बहन की चुदि हुई गान्ड में अपने लंड को पहले ही जमशेद के मुँह से एक सिसकारी निकली “हाईईईईईईईईईईईईईईईई”. और उस का लंड फिसलता हुए उस की बहन की गान्ड में धँस गया.

जब के जमशेद के मोटे टूटे नीचे से उस की बहन की गरम और पानी छोड़ती फुद्दि से टकराई. तो नीलोफर भी सिसक उठी “ओह भाई”.

"उफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या मज़ा है तुम्हारी गान्ड में मेरी बहन, में अब कभी बिना तुम्हारी गान्ड मारे तुम को नही छोड़ूँगा मेरी जान,हाआआआअ तुम्हारी इस गान्ड ने तो मेरे लंड को अपनी गिरफ़्त में ले कर पागल बना दिया है जानू”. जमशेद ने ज्यों ही अपने बहन की गान्ड में घुसे हुए अपने लंड पर अपनी बहन की गान्ड की गर्मी महसूस की. तो वो भी मस्ती में आते हुए सिसकार उठा.

अब कमरे में सूरते हाल कुछ यूँ थी. कि नीलोफर अपने सुहाग के बिस्तर पर पेट के बल हुई थी. जिस की वजह से पीछे से उस की गान्ड पूरी तरह ऊपर को उठी हुई थी.

अब जमशेद अपनी बहन के कंधे पकड़ कर उसे पीछे से ढके पा धक्का लगा कर ज़ोर से अपनी बहन की मस्तानी गान्ड को पहली बार छोड़ कर मज़े ले रहा था.

कुछ देर अपनी बहन की गान्ड मारने के बाद जमशेद ने अपना लंड निकाल कर नीलोफर की पानी छोड़ती चूत में दाखिल कर दिया.

तो नीलोफर को यूँ सकून मिला. जैसे किसी ने सख़्त गर्म दोपहर में उस के तपते जिस्म पर बरफ (आइस) वाला पानी उडेल दिया हो.

अपने भाई के गरम जवान लंड को अपने अंदर समेट कर शाज़िया की तरह नीलोफर की गरम और प्यासी चूत भी बाग बाग हो गई.

जमशेद अब अपनी बहन की चूत में झटके पर झटके लगा रहा था.

फिर कुछ देर बाद नीलोफर अपने भाई के इन ज़ोर दार झटको के आगे हर मान गई. और उस की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया.

तो जमशेद ने उस के साथ ही अपना पानी भी अपनी बहन नीलोफर की चूत में फारिग कर दिया.

यूँ ज़ाहिद के साथ साथ जमशेद ने भी अपना सुहाग वाला पानी अपनी बहन नीलोफर के जिस्म में डाल कर उसे अपनी बीवी का दर्जा दे दिया.

उधर आज उस घर में सिर्फ़ दोनो बहन भाई कि ये जोड़ियाँ ही नही थी. जो रात के इस वक्त तक जाग रही थी.

बल्कि उन के अलावा उस घर में एक तीसरी हस्ती भी ऐसी थी. जो रात के उस पहर अपने बिस्तर पर पड़ी करवट बदल रही थी.

और वो सख्सियत कोई और नही बल्कि ज़ाहिद और शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी थी.जिसे आज अपनी नींद की गोली खाने के बावजूद भी नींद नही आ रही थी.

इस की वजह ये रही थी. कि ज्यों ही अपने बेटे ज़ाहिद को “वालिमा जायज़ होना चाहिए” कह कर रज़िया अपने कमरे में आई. तो कमरे तक आते आते रज़िया बीबी की साँसे फूल चुकी थी.

आज रज़िया बीबी ने अपने रेग्युलर कमरे में सोने की बजाय घर के दूसरे कोने में बने हुए गेस्ट रूम में सोने का इरादा किया था. इसीलिए वहाँ तक आते आते रज़िया बीबी थक गई थी.

असल में रज़िया बीबी जान बूझ कर आज गेस्ट रूम में इसीलिए सोना चाहती थी. क्यों कि ये कमरा ज़ाहिद के कमरे से दूर होने की वजह से रज़िया बीबी को इस कमरे में अपने बच्चो की आवाज़ें आने का ख़तरा कम था.

रज़िया बीबी की सांस के फूलने की दूसरी वजह ये थी. कि ज्यूँ ही रज़िया बीबी ने अपने बेटे से वालिमे वाली बात कही.तो रज़िया बीबी को फॉरन अहसास हुआ कि उस ने बे ख्याली में अपने ही सगे बेटे को ये किया कह दिया है.

इसीलिए रज़िया बीबी को ज्यों ही अपनी बात के मतलब का अहसास हुआ.तो उसे शरम के मारे अपने बेटे के साथ आँखे मिलाने की हिम्मत नही हुई.और वो तेज़ी से चलती हुई गेस्ट रूम की तरफ बढ़ी.

मेहमान खाने (गेस्ट रूम) की तरफ आते आते रज़िया बीबी ने अपने कमरे से अपनी मेडिसन की बॉटल्स और पानी का ग्लास लिया.

फिर गेस्ट रूम में दाखिल हो कर रज़िया बीबी ने जल्दी से दरवाज़ा लॉक किया. और खुद बिस्तर पर बैठ कर अपनी बिखरी सांसो को संभालने लगी.

कुछ देर बाद अपनी हालत ठीक होने के बाद रज़िया बीबी ने अपनी दवाई खाई.और उस के साथ ही वो सोने के लिए बिस्तर पर लेट गई

बिस्तर पर लेटे हुए बे इख्तियारि में रज़िया बीबी एक हाथ उस की शलवार के ऊपर से आ कर उस की फुद्दि पर टिक गया.

अपनी फुद्दि पर हाथ पड़ते ही रज़िया बीबी को यूँ महसूस हुआ जैसे उस की चूत थोड़ी नम (वेट) है.

रज़िया बीबी ने सोचा कि शायद कुछ देर पहले पिशाब करने के बाद चूत को धोने की वजह से उस की चूत इस हालत में है.

इसी लिए रज़िया बीबी ने इस बारे में कुछ और सोचने की बजाय बिस्तर पर ढेर हो कर सोने के इरादे से अपनी आँखे बंद कर लीं.

मीडिसन में नींद की दवाई शामिल होने की वजह से आम तौर पर रज़िया बीबी दवाई खाने के कुछ टाइम बाद ही सो जाती थी.

मगर आज घर में मेहमान दारी की वजह से रज़िया बीबी काफ़ी थकि होने के बावजूद अब बिस्तर पर लेटने के काफ़ी देर तक सो नही पा रही थी.

रज़िया बीबी जब बिस्तर पर लेटे लेटे थक गई. तो उसने बे इख्तियारी में बेड के साइड टेबल से टीवी का रिमोट हाथ में उठा लिया.

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