वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

Post Reply
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

नीलोफर ने शाज़िया को अपनी बाहों में भरा और अपना हाथ शाज़िया की एलास्टिक वाली शलवार के अंदर से शाज़िया की फुद्दि में डाला. तो उस ने शाज़िया की चूत को बहुत ही गरम और पानी पानी होता पाया.

“बानू तुम्हारी चूत तो अपने यार से मिलने से पहले ही इतना पानी छोड़ रही है. जब उस का लंड अपने अंदर लोगी तो तुम्हारा क्या हाल हो गा जान” नीलोफर ने अपनी उंगली को शाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर आहिस्ता आहिस्ता फेरते हुए कहा.

नीलोफर के इस तरह करने से शाज़िया की साँसे मज़े से उखड़ने लगीं. और उस की चूत ने और गरम हो कर नीलोफर की उंगली को अपने पानी से तर कर दिया.

“ तुम बैठो में अभी तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ” नीलोफर ने कुछ मिनिट्स बाद शाज़िया की फुद्दि के पानी से भरी हुई अपनी उंगली को बाहर निकाला और शाज़िया के पास से उठ खड़ी हुई.

नीलोफर अपने बेड रूम से निकल कर फॉरन ड्रॉयिंग रूम में बैठे हुए एएसआइ ज़ाहिद के पास चली आई.

निलफोर ने ज़ाहिद के पास बैठते ही अपनी उंगली उस के मुँह में डाली और बोली, “मेरी उंगली पर मेरी सहेली की गरम और प्यासी चूत का पानी लगा हुआ है. इस को चूस कर उस की गर्मी का अंदाज़ा लगा सकते हो, कि वो तुम्हारे लंड के लिए कितनी तड़प रही है”

ज़ाहिद ने फॉरन अपने मुँह में डाली हुई नीलोफर की उंगली को चूसना शुरू कर दिया. उस को नीलोफर की उंगली पर लगे हुए नमकीन पानी का ज़ायक़ा बहुत ही अच्छा लगा और वो नीलोफर की उंगली को “शर्प शरप” कर के चाटने लगा.

“बस भी करो मेरी उंगली ही खा जाओ गे क्या” नीलोफर ने ज़ाहिद के मुँह से अपनी उंगली निकाली और उसे धकेल कर थोड़ा पीछे किया.

“वाकई ही तुम्हारी सहेली की चूत के पानी का ज़ायक़ा बहुत मस्त है” ज़ाहिद ने अपने होंठो पर ज़ुबान फेरते हुए कहा.

“अच्छा अब जल्द ही साजिदा की फुद्दि तुम को रियल में मिल जाए गी,दिल भर कर अपने होंठो और ज़ुबान की प्यास बुझा लेना,अब तुम मुझे बताओ कि तुम्हारा लंड कितना तड़प रहा है मेरी सहेली की प्यासी,गरम फुद्दि में जाने के लिए” नीलोफर ने ज़ाहिद की पॅंट की ज़िप खोल कर उस के खड़ा हुआ मोटा लंड बाहर निकालते हुए कहा.

ज़ाहिद के लंड को आज एक नई फुद्दि चोदने को मिल रही थी. इसीलिए वो आज पहले से भी ज़्यादा जोश में आते हुए सख़्त और तन चुका था.

“वाह ये तो ऐसे अकड़ कर खड़ा है जैसे कोई फोजी बॉर्डर पर खड़ा होता है”



नीलोफर ने कहते हुए अपना सर झुकाया और ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह में लेते हुए कहा.

“ओह” ज्यों ही नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह में लिया ज़ाहिद के मुँह से एक सिसकारी फूट गई.

नीलोफर ने कुछ देर गरम जोशी से ज़ाहिद के लंड को चूसा . तो ज़ाहिद के लंड से थोड़ा सा पानी निकलने लगा.

नीलोफर समझ गई कि अगर उस ने थोड़ी देर और ज़ाहिद के लंड को चूसा तो वो उस के मुँह में ही फारिग हो जाय गा.

इसीलिए नीलोफर रुक गई और ज़ाहिद के मोटे लंड को अपने मुँह से निकाल कर दुबारा अपने हाथ में पकड़ कर लंड की तरफ देखा.

ज़ाहिद के लंड की लंबाई पर नीलोफर के मुँह का काफ़ी सारा थूक लगा हुआ था.

जब कि उस के लंड की मोटी टोपी से उस का प्री कम (पानी) बूँद की शकल में हल्का हल्का से निकल रहा था.

नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड के पानी पर अपनी उंगली फेर कर अपनी उंगली को ज़ाहिद के लंड की मनी से तर कर लिया.

“जिस तरह मैने मिलने से पहले ही अपनी सहेली की चूत का पानी तुम को टेस्ट करवाया है, उसी तरह अब में अपनी सहेली को पहले तुम्हारे लंड के पानी का ज़ायक़ा से टेस्ट करवा दूँ,ता कि तुम दोनो जब मिलो तो एक दूसरे के लिए बिल्कुल भी अजनबी ना रहो” कहते हुए नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड को दुबारा उस की पॅंट में क़ैद कर के ऊपर से ज़िप की कुण्डी लगा दी. और किचन से पानी का ग्लास भर कर शाज़िया के पास चली आई.

कमारे में शाज़िया शिद्दत से नीलोफर के लोटने का इंतिज़ार कर रही थी.

“किधर रह गई थी तुम,मेरी तो प्यास की शिद्दत से जान ही निकली जा रही है नीलोफर” ज्यों ही शाज़िया ने नीलोफर को दरवाजे से अंदर आते देखा उस की जान में जान आई. और उस ने अपनी सहेली से पूछा.

“ मुँह खोलो में आज खुद तुम को अपने हाथ से पानी पिलाती हूँ" नीलोफर ने शाज़िया के नज़दीक होते हुए कहा.

ज्यों ही शाज़िया ने अपना मुँह खोला, नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड के पानी से तर अपनी उंगली उस के मुँह में पूरी डाल दी और बोली"लो आज अपने यार के मोटे ताज़े लंड का पानी पी कर अपनी प्यास बुझाओ मेरी जान,क्या बताऊ तुम्हारी फुद्दि के लिए कितना तना हुआ है तुम्हारे यार का लंड"

शाज़िया नीलोफर की बात सुन कर अपने होश-ओ-हवास जैसे खो बैठी. नीलोफर की उंगली पर लगे लंड के ताज़ा पानी के ज़ायक़े ने उसे इतना मस्त कर दिया कि उसे अपने मुँह और गले के खुशक होने का अहसास ही ना रहा.



शाज़िया ने बिना किसी झिझक के अपना मुँह खोला और ज़ाहिद की तरह वो भी नीलोफर की उंगली को चाट चाट कर उंगली पर लगे हुए अपने सगे भाई के लंड के नमकीन पानी को सॉफ करते हुए अपने मुँह में उडेलने लगी.

“उम्म्म्मममममममम” आज इतने अरसे बाद असली लंड के पानी को छू कर मज़ा ही आ गया है” शाज़िया ने नीलोफर की उंगली पर अपनी ज़ुबान रगड़ते हुए कहा.

नीलोफर खामोशी से खड़ी शाज़िया से अपनी उंगली चुस्वाती रही. वो चाहती थी कि शाज़िया खूब अच्छी तरह से अपने भाई के लंड के पानी का स्वाद चख ले तो फिर वो उसे ज़ाहिद के पास ले जाय.
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

जब शाज़िया नीलोफर की उंगली चूस चूस कर थक गई. तो उस ने नीलोफर की उंगली को अपने मुँह से निकाला. और अपने भाई ज़ाहिद की तरह वो भी अपने होंठो पर ज़ुबान फेर कर मज़े से नीलोफर की तरफ देख कर मुस्कुरा दी.

“दिल भर गया है तो चलो अब तुम को इस टेस्टी लंड से असल ज़िंदगी में मिलवा दूं” नीलोफर ने शाजिया को उस के बाज़ू से पकड़ा और ड्रॉयिंग रूम की तरफ चल पड़ी. जिधर सोफे पर बैठा हुआ ज़ाहिद पॅंट में खड़े अपने लंड को हाथ से मसल्ते हुए उन दोनो के इंतिज़ार में था.

“लो जी आज एक गरम लंड और प्यासी चूत की पहली मुलाकात हो गई,अब जल्दी से आगे बढ़ कर एक दूसरे के जवान प्यासे जिस्मो की प्यास बुझा दो तुम दोनो,साजिदा मीट रिज़वान ,और रिज़वान प्लीज़ मीट साजिदा, मेरी प्यारी और बे इंतिहा गरम सहेली” ड्रॉयिंग रूम में एंटर होते हुए नीलोफर ज़ोर से बोली और उस ने मूड कर ड्राइंग रूम के दरवाज़े को बंद किया तो घर के एक कमरे में छुप कर बैठे हुए नीलोफर के भाई जमशेद ने बाहर से कुण्डी लगा दी. ता कि शाज़िया को ड्राइंग रूम से भाग जाने का मोका ना मिले.

सोफे पर बैठे हुए ज़ाहिद और नीलोफर के पहलू में खड़ी शाज़िया की नज़रें जब आपस में मिली. तो दोनो बहन भाई एक दूसरे को यूँ अपने सामने देख कर हेरत जदा रह गये.

दोनो बहन भाई को यूँ अचानक एक दूसरे के सामने आ कर इतना शॉक पहुँचा. जिस से एक तरफ शाज़िया की गरम फुद्दि में से बहता हुआ पानी रुक गया.तो दूसरी तरफ ज़ाहिद की पॅंट में खड़ा हुआ उस का लंड अकड़ने की जगह की तरह फॉरन बैठ गया.

नीलोफर ने आज शाज़िया और ज़ाहिद की हालत बिल्कुल ऐसे कर दी थी. जैसे आज से कुछ महीने पहले नीलोफर और उस के भाई जमशेद की ज़ाहिद के सामने बैठे हुए हो रही थी.

दोनो बहन भाई शर्मिंदगी और हेरत का बुत बने एक दूसरे को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहे थे. उन दोनो को यकीन नही हो रहा था. कि वो ज़िंदगी में कभी इस तरह भी आपस में मुलाकात करेंगे.

“नीलोफर ये क्या मज़ाक है,ये साजिदा नही बल्कि मेरी सग़ी बहन शाज़िया है” ज़ाहिद ने हेरान होते हुए नीलोफर से कहा.

“में जानती हूँ कि ये तुम्हारी बहन शाज़िया है ज़ाहिद, और इसी बहन की फुद्दि का पानी अभी अभी बारे शौक से चखा है तुम ने मेरे यार” नीलोफर ने मुस्कुराते हुए ज़ाहिद को जवाब दिया.

“क्या” नीलोफर के जवाब पर दोनो बहन भाई के मुँह से एक साथ ये इलफ़ाज़ निकले.

शाज़िया की हालत देख कर यूँ लग रहा था. जैसे उस के जिस्म से किसी ने खून का आखरी क़तरा भी निकाल लिया हो.जिस से वो एक ज़िंदा लाश बन गई हो.

शाज़िया को समझ नही आ रहा था कि ये सब किया है. और क्यों उस की सहेली ने जानते बूझते उन दोनो बहन भाई के साथ इतना घटिया ड्रामा किया है.

शाज़िया को नीलोफर पर बे इंतिहा गुस्सा आने लगा. उस का बस नही चल रहा था कि वो नीलोफर को क़ातल ही कर दे. जिस ने उन दोनो बहन भाई को धोके में रख कर ना सिर्फ़ उन को एक दूसरे के नंगे जिस्म के एक एक हिस्से से रूबरू कर वा दिया था. बल्कि उस ने आज उन दोनो सगे बहन भाई के लंड और फुद्दि का पानी भी एक दूसरे को चखवा दिया था.

बहरहाल अब जो भी हो शाज़िया अब मज़ीद उधर रुक कर अपने आप को मज़ीद तमाशा नही बनाना चाहती थी .इसीलिए उस ने इरादा किया कि वो जल्द अज जल्द उधर से निकल जाय.

ये सोच कर वो वापिस जाने के लिए ज्यों ही मूडी तो ड्रॉयिंग रूम के दरवाज़े को बाहर से बंद पाया.

“दरवाज़ा खोलो और मुझे जान दो” शाज़िया ने इंतिहाई गुस्से से नीलोफर को कहा.

नीलोफर ने शाज़िया के गुस्से को नज़र अंदाज़ करते हुए उस के पीछे आ कर शाज़िया को कंधे से पकड़ते हुए कहा “शाज़िया में जानती हूँ तुम दोनो बहन भाई इस वक्त मेरी की हुई इस हरकत पर बहुत गुस्से में हो,मगर रुक जाओ में सारी बात तफ़सील से बताती हूँ कि मैने ये सब क्यों किया”

शाज़िया: छोड़ो मुझे जाने दो,मुझे तुम को अपनी सहेली कहते हुए भी शर्म आ रही है नीलोफर.

“ शाज़िया प्लीज़ सिर्फ़ चन्द मिनिट्स रुक जाओ मैं तुम को आज सब कुछ खुल कर बता देती हूँ” नीलोफर ने शाज़िया को पकड़ कर अपने साथ ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठाते हुए कहा.
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
mini

Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by mini »

mai to bahut pasand kar rhi hu,,,,,,,,,,but y sab purane parts h.....ab aage ki kab tak
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. कि अपनी भाई की मौजूदगी में वो अंदर एक लम्हा भी रुके.मगर ड्राइंग रूम का दरवाज़ा बाहर से बंद होने की वजह से उस के पास अब ड्राइंग रूम में ही रुकने के अलावा कोई चारा नही था. इसीलिए वो मजबूरन नीलोफर के साथ सोफे पर बैठ गई और अपनी नज़रें नीचे फर्श पर गाढ दीं.

फिर नीलोफर ने शुरू से ले कर आख़िर तक शाज़िया को अपनी ज़िंदगी की सारी कहानी उसी तरह बयान कर दी. जिस तरह आज से कुछ महीने पहले उस ने शाज़िया के भाई एएसआइ ज़ाहिद को सुनाई थी.

जिस में नीलोफर ने अपने और अपने भाई जमशेद के जिन्सी ताल्लुक़ात का किस्सा भी खुलम खुले अल्फ़ाज़ में पूरी तफ़सील से शाज़िया को बता दिया.

साथ साथ नीलोफर ने शाज़िया को ये भी बता दिया.कि कैसे ज़ाहिद के पोलीस रेड के दौरान रंगे हाथों पकड़े जाने और फिर ज़ाहिद के हाथों ब्लॅकमेल होने के डर से ही नीलोफर ने उन दोनो बहन भाई शाज़िया और ज़ाहिद को भी एक दूसरे के साथ जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने के लिए आमादा करने का सोचा.

शाज़िया अपनी दोस्त की सारी बातों को हेरत के साथ सुन तो रही थी.लेकिन साथ उसे शरम भी आ रही थी. कि उस का अपना सगा बड़ा भाई भी उसी कमरे में उस के साथ बैठा सारी ये सारी बातें सुन रहा है.

नीलोफर की सारी बाते सुनने के दौरान शाजिया को नीलोफर पर गुस्से बढ़ने के साथ साथ इस बात पर भी हैरत हो रही थी. कि क्यों उस के भाई ज़ाहिद ने उन दोनो बहन भाई के साथ की गई नीलोफर की इस जानिब पर शाज़िया की मुक़ाबले कम गुस्से का इज़हार किया था.

इधर ज़ाहिद का हाल ये था. कि पहले पहल तो उसे भी नीलोफर की इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया था.मगर अब जब उस ने देखा कि उस की बहन शाज़िया सामने वाले सोफे पर बैठ कर मजबूरन अपनी सहेली की बातों को सुन रही है. तो उसे नीलोफर की उन दोनो बहन भाई के साथ की गई इस हरकत पर आने वाला गुस्सा अब प्यार में बदल गया.

वो अब दिल ही दिल में नीलोफर का शूकर गुज़ार होने लगा. के जिस ने अंजाने में उन दोनो बहन भाई के जिस्मो का एक दूसरे का ना सिर्फ़ नज़ारा करवा दिया था. बल्कि उन दोनो की आपस में मुलाकात करवा कर शाज़िया और ज़ाहिद के दरमियाँ कायम बहन भाई वाले रिश्ते की झिझक और शरम के पर्दे को उतार फैंका था.

फिर ज्यों ही नीलोफर की बात ख़तम हुई. तो ड्राइंग रूम का दरवाज़ा खुला और नीलोफर का भाई जमशेद अंदर मुस्कुराता हुआ अंदर दाखिल हुआ.

“इस से मिलो शाज़िया, ये है मेरा भाई जमशेद, जो मेरा भाई भी है और मेरा यार भी’ ये कहते हुए नीलोफर भी अपने भाई को देख कर मुस्करते हुए सोफे से उठ खड़ी हुई.

जमशेद चलता हुआ अपनी बहन नीलोफर के नज़दीक पहुँचा. और अपनी बहन को अपनी बाहों में क़ैद करते हुए. उस ने अपने होन्ट नीलोफर के होंठो पर रख कर बहन के गुलाबी होंठो का रस चूमने लगा.

साथ ही साथ जमशेद का एक हाथ नीलोफर के पेट से होता हुआ उस की छाती पर आया. और शाज़िया के देखते ही देखते जमशेद ने नीलोफर के एक मम्मे को अपने हाथ में ले कर किस्सिंग के दौरान मसलना शुरू कर दिया.

शाज़िया अपनी सहेली और उस के भाई की इस हरकत को आँखे पर फाड़ कर ऐसे देखे जा रही थी.जैसे नीलोफर और उस का भाई जमशेद कोई आम इंसान नही बल्कि किसी दूसरे ग्रह का प्राणी हो.

दोनो बहन भाई को यूँ एक दूसरे से लिपटा देख कर शाज़िया के जिस्म से पसीने छूटने लगे.

उसे यकीन नही हो रहा था. कि वो जो कुछ अपनी आँखों के सामने होता देख रही है. वो वाकई ही ये हक़ीकत में हो भी सकता है.

शाज़िया का अब उधर अपने भाई के सामने बैठ कर ये सब देखना ना मुमकिन हो गया.

इसीलिए वो तेज़ी से उठी और दौड़ते हुए नीलोफर के कमरे से अपना पर्स उठा कर घर से बाहर निकल गई.

नीलोफर ने इस बार शाज़िया को रोकने की कोशिस नही की और जान बूझ कर उसे जाने दिया.

ज्यों ही शाज़िया कमरे से बाहर निकली. ज़ाहिद ने उठ कर नीलोफर को जमशेद की बाहों से निकाला और उसे अपनी बाहों में भरते हुए नीलोफर को दीवाना वार चूमने लगा.

“उफफफफफफफफफफ्फ़ ज़ाहिद पागल हो गये हो क्या” नीलोफर ने ज़ाहिद को जब उसे यूँ पागलो की तरह अपने चेहरे,गर्देन और होटो को चूमते देखा तो बोली.

नीलोफर तो ज़ाहिद की तरफ से गुस्से के इज़हार की तव्क्को कर रही थी.मगर उसे ज़ाहिद का ये अंदाज़ देख कर एक खुश गंवार हेरत हुई.

“हां में वाकई ही पागल हो गया हूँ निलो, यार तुम ने आज वो काम किया है जिस के लिए में उस वक्त से तरस रहा था, जब पहली बार तुम दोनो बहन भाई से मुलाकात हुई थी” ज़ाहिद ने नीलोफर के मम्मे को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए कहा.

“और वो काम क्या है कुछ हम को भी तो बताओ” नीलोफर सब कुछ जानते हुए भी अंजान बनने की आक्टिंग करते हुए बोली.

“तुम दोनो बहन भाई की चुदाई देखने के बाद मेरे दिल में भी अपनी बहन शाज़िया के साथ जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करने का ख्याल आ गया. मगर मुझे में ना तो जमशेद की तरह अपनी बहन के साथ किसी किस्म की हरकत करने का होसला था. ना ही मुझे ये समझ आ रही थी कि में शाज़िया से अपने दिल ही बात कैसे कहूँ,मगर तुम ने हम दोनो बहन भाई को एक दूसरे के नंगे जिस्मो का दीदार करवा कर मेरा आधा काम आसान कर दिया है,अब इस से अगला काम मेरा है. और मुझे उम्मीद है कि जल्द ही जमशेद की तरह में भी अपनी बहन की फुद्दि का मज़ा लेने में कामयाब हो जाऊं गा” ज़ाहिद ने नीलोफर के मम्मो को हाथ से दबाते और मसलते हुए कहा.

साथ ही ज़ाहिद ने नीलोफर को सोफे पर बैठाया और नीलोफर के एक तरफ जमशेद जब कि दूसरी तरफ ज़ाहिद आ कर बैठ गया.

अब नीलोफर उन दोनो के दरमियाँ थी. और ज़ाहिद नीलोफर के मुँह में मुँह डालने के साथ साथ नीलोफर के जवान मम्मो के साथ भी खेलने में मसरूफ़ था.

जब कि दूसरी तरफ से नीलोफर का भाई जमाशेद अपनी बहन के कानो और गर्देन पर किस्सस करता हुए नीलोफर के दूसरे मम्मे को छेड़ रहा था.

ज़ाहिद नीलोफर के जुवैसी होंटो को काटता हुआ बोला “नीलोफर में तो पहले ही अपनी बहन के लिए पागल हो रहा था. मगर याकीन मानो आज जब से मुझे ये पता चल चुका है कि कपड़ों के बिना मेरी अपनी बहन शाज़िया का जिस्म इतना जबर्जस्त है तो अब मेरे लिए उस से एक पल भी दूर रहना मुमकिन नही.
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

ज़ाहिद अभी इतनी ही बात कह पाया कि उस के टेबल पर रखे फोन की घेंटी बज उठी.

ज़ाहिद ने नीलोफर से अलहदा होते हुए अपना फोन चेक किया. तो स्क्रीन पर उस के पोलीस स्टेशन का नंबर शो हो रहा था.

ज़ाहिद ने फोन का जवाब दिया तो उस को खबर मिली कि उस के एरिया में एक क़तल हो गया है.

पोलीस स्टेशन का इंचार्ज होने की वजह से ज़ाहिद का मोका ए-वारदात पर जाना लाज़मी था. इसीलिए ज़ाहिद को ना चाहते हुए भी नीलोफर के घर से जाना पड़ गया.

ज़ाहिद के घर से जाने के बाद जमशेद नीलोफर को ले कर उस के कमरे में चला आया. और अपने और अपनी बहन के कपड़े उतार कर नीलोफर को उस के सुहाग के बेड पर ज़ोरदार तरीके से चोदने लगा.

शाज़िया बोझल कदमो के साथ अपने घर लोटी. वो आज पेश आनी वाले सुरते हाल से बहुत ही परेशान और रंजीदा थी.

शाज़िया की खुश किस्मती थी. कि उस की अम्मी उस वक्त अपने कमरे में बैठी फोन पर किसी से बातों में मसरूफ़ थी.

वरना उस की अम्मी रज़िया बीबी के लिए अपनी बेटी के चेहरे पर मजूद गुस्से,गम और परेशानी का असर पड़ना कोई मुश्किल काम ना होता.और उस के बाद फिर शाज़िया के लिए अपनी अम्मी के सवालों का जवाब देना या उन को टालना भी कोई आसान बात ना होती.

शाज़िया खामोशी से चलती हुई अपने कमरे में घुसी. और बिस्तर पर गिरते ही फूट फूट कर अपने साथ होने वाले वाकये पर ज़रो कतर रोने लगी.

आज का पेश आने वाला वाकीया उस के लिए ना काबले बर्दाश्त था. उस को समझ में नही आ रहा था. कि वो आज के बाद अपने सगे भाई का सामना कैसे करे गी.

जो उस का पूरा नंगा जिस्म ना सिर्फ़ देख चुका था. बल्कि वो अपनी चॅट के दौरान उस के बदन की तारीफ के पुल बाँधते हुए अंजाने में अपनी ही सग़ी बहन को अपनी महबूबा बनाने का इरादा ज़ाहिर कर चुका था.

जब कि शाज़िया को इस के साथ साथ अपने आप से भी घिन आने लगी थी. कि कैसे वो नीलोफर की बातों में आ कर अंजाने में अपने ही सगे बड़े भाई के लंड की दीवानी हो कर उस से चुदवाने पर तूल गई.और फिर उसे मिलने और प्यार करने नीलोफर के घर भी जा पहुँची थी.

दिन भर के सारे वाकीयत को सोच सोच कर शाज़िया पागल हुई जा रही थी.

सोचते सोचते उस का दिल चाहा कि वो कमरे में लगे पंखे के साथ लटक कर खुद खुशी कर ले.

मगर शाज़िया एक निहायत डरपोक लड़की थी.इसीलिए चाहते हुए भी अपने इस ख्याल को अमली जामा पहनाने की उस में हिम्मत नही हुई.

फिर कब वो रोते रोते सो गई ये उस को खुद भी पता ना चला.

रात के तकरीबन 8 बजे उस की अम्मी ने आ कर उसे उठाया. तो वो अम्मी से अपनी तबीयत का बहाना बना कर बिस्तर पर ही पड़ी रही.

रज़िया बीबी समझी कि उस की बेटी शायद स्कूल में मसरूफ़ियत की वजह से थक गई है. इसीलिए शाज़िया की अम्मी ने भी उसे ज़्यादा तंग ना किया और उस का खाना कमरे में ही रख कर खुद बाहर टीवी लाउन्ज में चली गईं.

शाज़िया के दिल की तरह उस की भूक भी आज जैसे उड़ चुकी थी. इसीलिए उस ने पास रखे खाने को नज़र उठा कर भी ना देखा और गुम सूम पड़ी कमरे की छत (रूफ) को घूरती रही.

फिर जब उस का ज़हन सोच सोच कर थक गया. तो वो दुबारा से नींद की वादी में डूब गई.

उस रात हस्बे मामूल ज़ाहिद अपनी ड्यूटी से लेट वापिस आया. तो उस वक्त तक उस की अम्मी और शाज़िया दोनो अपने कमरे में सो चुकी थी.

ज़ाहिद ने दिल ही दिल में सुख का सांस लिया.क्यों कि आज दिन में पेश आने वाले वाकिये के बाद अभी उस में भी अपनी बहन का सामना करने का होसला नही पैदा हुआ था.

फिर ज़ाहिद भी अपने कमरे में चला आया. और बिस्तर पर लेट कर अपनी बहन शाज़िया के बारे में सोचने लगा.

शाज़िया के बारे में सोचते सोचते ज़ाहिद के ज़हन में वो मंज़र याद आने लगा. जब उसने पिंडी से वापिसी पर पहली बार अपनी बहन को उस के कमरे में सोता देखा था. और अपनी बहन शाज़िया की मोटी भारी गान्ड को देख कर उस का दीवाना हो गया था.

फिर एक एक कर के वो सारे मंज़र ज़ाहिद के दिमाग़ में एक फिल्म की तरह चलने लगे.

जब उस ने पिछले चन्द दिनो में किसी ना किसी सेक्सी पोज़ में अपनी सग़ी बहन के गरम बदन का नज़ारा किया था.

इस के साथ साथ जब ज़ाहिद नीलोफर की दिखाई हुई शाज़िया की नंगी तस्वीरो और अपनी बहन की चूत के नमकीन पानी के जायके को ज़हन में लाया. तो अपनी बहन के नंगे वजूद को याद करते हुए ज़ाहिद तो जैसे पागल हो गया.

शाज़िया के मुतलक सोचते सोचते ज़ाहिद को यकीन हो गया कि.उस की अपनी सग़ी बहन ही वो औरत है. जिस औरत की तलाश में उस का लंड मारा मारा फिरता हुआ कई औरतों की फुद्दियो की सैर करता रहा है.

जिस औरत को वो आज तक बाहर की दुनिया में तलाश करता रहा.वो औरत तो उस की बहन के रूप में उस के अपने घर में छुपी हुई है.

और उस ने अपने दिल में ये फ़ैसला कर लिया कि अब कुछ भी हो. वो भी जमशेद की तरह अब अपनी सब शर्मो हया को एक तरफ रखते हुए.जल्द आज़ जल्द अपनी बहन को अपने बिस्तर की ज़ीनत बना कर उस की चूत का मज़ा ज़रूर ले गा.

क्यों कि बकॉल एक पंजाबी के शायर के,

“अन पग इशक दी भादी नई
जीने बहन बना के याडी नई”.

(उस शक्स का इश्क उस वक्त तक मुकम्मल नही होता. जब तक वो किसी लड़की को अपनी बहन कह कर ना चोद ले)

फिर शाजिया के बारे में ही सोचते और अपने लंड से खेलते खेलती ज़ाहिद भी आख़िर कार सो गया.

दूसरे दिन सुबह सवेरे ज़ाहिद तैयार हो कर पोलीस स्टेशन जाने के लिए अपने कमरे से निकला. तो उस ने अपनी बहन शाज़िया को किचन में अम्मी के साथ नाश्ते बनाते देखा.

शाज़िया से कल नीलोफर के घर की मुलाकात के बाद दोनो बहन भाई के अपने घर में ये पहला आमना सामना हुआ था.

अपनी बहन को किचन में अपनी अम्मी के साथ कायम करते देख कर ज़ाहिद के दिल के साथ साथ उस के लंड की धड़कन भी तेज हो गई.

जब कि ज़ाहिद ज्यों ही किचन में दाखिल हुआ. तो अपने भाई ज़ाहिद को आता देख कर शाज़िया के भी पसीने छूटने लगे.

कल के वाकई के बाद उस में अभी भी अपने भाई से नज़रें मिलाने की हिम्मत ना हुई.

ज्यों ही ज़ाहिद शाज़िया और अपनी अम्मी के नज़दीक पहुँचा तो शाज़िया ने एक दम से अम्मी की तरफ ध्यान देते हुए कहा “अम्मी भाई आ गये हैं आप इन के साथ बैठ कर नाश्ता कर लो”.

ये कहते हुए अपनी नज़रें झुका कर शाज़िया किचन में रखे हुए टेबल पर चाइ और नाश्ता रखने लगी.

रज़िया बीबी: शाज़िया बेटी आओ तुम भी हमारे साथ बैठ कर नाश्ता कर लो ना.

“नही अम्मी में चाइ के साथ रस खा चुकी हूँ,आप नाश्ता करें में थोड़ी देर में आती हूँ” शाज़िया अपने भाई के सामने मज़ीद रुकना नही चाहती थी. इसीलिए वो बहाना बना कर अपने कमरे में चली गई.
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
Post Reply