वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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मगर शाज़िया ने अपने होंठो को अपने भाई के होंठो से बचाने के लिए अपना मुँह ज्यों ही मोड़ा तो ज़ाहिद के होन्ट शाज़िया की राइट गाल के ऊपेर जा चिपके. और ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया के गाल को ऐसे चूमने लगा. जैसे कोई इंसान किसी मासूम बच्चे को प्यार करता है.

इस से पहले तक तो शाज़िया ये समझ रही थी.कि जो कुछ भी हुआ वो सिर्फ़ और सिर्फ़ उस की सहेली नीलोफर का किया धरा था. मगर अब भाई की इस हरकत ने उस के होश और हाथों के तोते ही जैसे उड़ा दिए.

“भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई आप ये किया गुनाह कर रहे हैं,बहन हूँ में आप की,और आप की इज़्ज़त हूँ में” शाज़िया अपने भाई की इस हरकत और बातों से बोखला कर रह गई. और उस ने अपने आप को भाई की क़ैद से छूटने की कॉसिश करते हुए कहा.

"उफफफफफफफफ्फ़ मेरी बहन ये गुनाह सवाब की बात नही. ये दो जवान प्यासे जिस्मो की ज़रूरत का मामला है, मुझे पता है कि तुम्हारी इस जवानी को एक मोटे तगड़े लंड की ज़रूरत है. जब कि मेरे मोटे लंड को तुम जैसी एक प्यासी औरत की चूत की तलब,अगर तुम मेरा साथ दो तो हम दोनो एक दूसरे की प्यास को बुझा सकते हैं और इस तरह घर की इज़्ज़त घर में ही महफूज़ रहे गी मेरी जान” अपनी बहन से बे शर्मी से इतने गंदे इलफ़ाज़ बोलते हुए ज़ाहिद का हाथ अब आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन की टाँगों के दरमियाँ आया. और उस ने अपनी बहन की फूली ही चूत को शलवार के उपर से अपनी मुट्ठी में काबू कर के सहलाना शुरू कर दिया.

शाज़िया की चूत इतनी गरम थी. कि अपनी बहन की चूत पर हाथ रखते ही ज़ाहिद को यूँ महसूस हुआ जैसे उस ने किसी तेज आग वाली भट्टी में हाथ डाल दिया हो. और उस भट्टी से निकलते हुए गरम आग के शोले उस के हाथ की उंगलियो को जला कर भसम कर देंगे.

उधर अपने भाई के हाथ को अपनी फुद्दि के ऊपर पा कर शाज़िया के मुँह से भी “हाईईईईईईईईईईईईईईईई”एक सिसकारी निकलते निकलते रह गई.

“भाई छोड़ दो मुझे , अपनी ही बहन के साथ इस किस्म की घटिया हरकत से आप को शरम आनी चाहिए,आप जानते नही कि आप को इस हरकत का कितना गुनाह हो गा” शाज़िया ने ज़ाहिद की बाहों में मचलते हुए कहा.

"इस का जवाब जवानी को प्यार करने से अगर गुनाह मिलता है तो मिलने दो मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात को अन सुनी करते हुए उस के गालों पर अपने होन्ट दुबारा चिस्पान किया और शाज़िया के जिस्म को और ज़ोर से कस कर अपने करीब कर लिया.

अपनी बहन को यूँ अपने इस कदर करीब करने से शाज़िया के मोटे और नरम मम्मे ज़ाहिद की सख़्त और चौड़ी छाती में जज़्ब हो गये.

जब कि नीचे से ज़ाहिद का लंड उस की शलवार के अंदर से ही शाज़िया के पेट से रगड़ खाने लगा.

अपने भाई की बाहों में क़ैद होने से शाज़िया को अपने सगे भाई का फन फनाता और लोहे की राड जैसे सख़्त लंड को अपने पेट से पहली दफ़ा टकराता हुए महसूस कर के शाज़िया को बहुत घबराहट होने लगी.

ये वो ही लंड था.जिस को देख कर शाज़िया की चूत कुछ दिन पहले इतनी गरम हुई थी. कि उस ने जोशे जज़्बात में आ कर उस लंड की फोटो को अपनी प्यासी फुद्दि पर रगड़ रगड़ कर अपनी फुद्दि का पानी छोड़ दिया था.

मगर आज अपने भाई की बाहों में क़ैद शाज़िया को इस लंड के इतने करीब हो कर बहुत शरम महसूस होने लगी थी. और वो अपने भाई की बाहों के घेरे को तोड़ कर उस से दूर भाग जाना चाहती थी.

अपनी बहन के भारी जिस्म को अपनी बाहों की क़ैद में जकड़े जकड़े ज़ाहिद ने अपने हाथ को शाज़िया के पेट के ऊपर से ले कर. उस की कमीज़ के ऊपर से ही अपनी बहन के मोटे और भारी मम्मे को पहली बार अपनी मुट्ठी में जकड़ा और उसे दबाने लगा.

शाज़िया का मम्मा इतना बड़ा था. कि वो ज़ाहिद के हाथ में नही समा पा रहा था.

ज़ाहिद ने आज तक इतने बड़े मम्मे को अपने हाथ में ले कर कभी नही दबाया था. इसीलिए आज पहली बार अपनी बहन की जवान छाती को अपने हाथ से मसल्ते हुए वो जोश और मज़े से बे हाल होने लगा.

शाज़िया के मम्मो और चूत को किसी मर्द का हाथ लगे तकरीबन दो साल होने को थे. इसीलिए उसे अपने ऊपर काबू पाना मुश्किल हो रहा था.

इस से पहले कि वो भी जज़्बात की रौ में बह कर अपने भाई के साथ हम बिस्तरी के गुनाह पर आमादा हो जाती.

वो जल्द अज जल्द अपने आप को अपने भाई से दूर करने का सोच कर अपने बचाव के लिए अपने हाथ पैर मार रही थी.

इसीलिए शाज़िया ने अपने आप को अपने भाई की बाजुओं की क़ैद से निकालने की नाकाम कॉसिश करते हुआ कहा ““ये क्या कर रहे हैं आप भाई.. आप होश में आइए, में बहन हूँ आप की, खुदा के लिए मुझे छोड़ दो ,ये ग़लत है भाई”.

ज़ाहिद ने शाज़िया को अपने सीने के साथ मज़ीद सख्ती से भींचते और अपनी बहन की गर्देन पर चूमते कहा “आआअहह,शाज़िया बहन तो तुम हो, मगर में इस से पहले ये नही जानता था कि इतनी गरम भी हो.मैने इस से पहले कई दफ़ा सोचा तो ज़रूर था, मगर कभी तुम को छूने की हिम्मत नही पड़ी, लेकिन जो काम नीलोफर ने किया उस के बाद अब में खुल कर अपने जज़्बात का इज़हार तुम से करना चाहता हूँ मेरी बहन,

(ज़ाहिद ये बात ब खूबी जानता था.कि उस की बहन शाज़िया जवानी की आग में जल रही है. लेकिन अपने ही सगे भाई से चुदवाने के लिए वो झिझक रही है. और ज़ाहिद को मालूम था. कि अपनी बहन की ये झिझक दूर करने के लिए उसे शुरू में शाज़िया के साथ थोड़ी ज़ोर ज़बरदस्ती करनी पड़े गी.)

इसी लिए अपनी बात ख़तम करते ही ज़ाहिद ने अपना जिस्म को थोड़ा नीचे झुकाया.साथ ही अपने दोनो हाथों से अपनी बहन के भारी चुतड़ों को अपने हाथों में कसते हुए.उस ने अपने जिस्म को एक दम से ऊपर की तरफ उठाया.

ज़ाहिद के इस तरह करने से उस का मोटा सख़्त लंड उस की बहन की गुदाज रानों से रगड़ ख़ाता शाज़िया की गरम और प्यासी चूत से जा टकराया.

“हाईईईईईईईईईई” ज़ाहिद के लंड की अपनी बहन की प्यासी गरम फुद्दि से पहली मुलाकात होते ही दोनो बहन भाई के मुँह से आवाज़ निकली.

ज़ाहिद अपनी बहन की चूत की गर्मी अपने लंड पर और शाजिया अपने भाई के मोटे ताज़े लंड की गर्मी अपनी चूत पर सॉफ तौर पर महसूस कर रही थी.
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इस से पहले के ज़ाहिद कुछ और कहता या करता घर के दरवाज़े पर लगी डोर बेल बज गई.

ज़ाहिद समझ गया कि अम्मी वापिस आ चुकी हैं. इसीलिए अब शाज़िया को अपनी बाहों की क़ैद से आज़ाद करने के सिवा उस के पास कोई चारा नही था.

ज़ाहिद ने अपनी बहन को अपने चुंगल से आज़ाद करने से पहले अपनी बहन के गुदाज गालों की एक बार फिर एक भर पूर चुम्मि ली. और शाज़िया को अपनी क़ैद से रिहाई दे कर खूद बाहर का दरवाज़ा खोलने चला गया.

ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया को बहका कर अपने रास्ते पर लाना चाहता था. और अपने मकसद को पाने के लिए आज वो अपना चारा फैंक चुका था.

ज़ाहिद को अपनी किस्मत पर पूरा यकीन था. कि उस के फैंके हुए चारे में उस की बहन एक मछली की तरह ज़रूर अटके गी.

अपने इन ही ख्यालो में मगन होते और अपने खड़े लंड को बड़ी मुश्किल से अपनी शलवार में बिताते ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के लिए घर का दरवाज़ा खोल दिया.

उधर ज़ाहिद के शाज़िया को छोड़ कर बाहर निकलने की देर थी. कि शाज़िया अपनी बिखरी सांसो को समेटती हुई जल्दी से अपने कमरे में चली आई. और कमरे के दरवाज़े की कुण्डी लगा कर बिस्तर पर गिरते हुए फूट फूट कर रोने लगी.

शाज़िया तो अपने भाई के सामने यूँ अचानक बेनकाब होने और अपना राज़ खुल जाने की वजह से पहले ही बहुत परेशान थी. मगर अभी अभी ज़ाहिद ने अपने हाथों,होंठो और अल्फ़ाज़ से अपनी जिस गंदी ख्वाइश का इज़हार अपनी बहन से खुलम खुल्ला कर दिया था. उस ने शाज़िया को मज़ीद रंजीदा कर दिया था.

अब वो बिस्तर पर लेट कर रोते रोते फिर उस वक्त को कोस रही थी. जिस वक्त उस के भाई ज़ाहिद की मुलाकात नीलोफर और उस के भाई से हुई थी.

क्यों कि शाजिया अब ये बात जान चुकी थी. कि जिस तरह एक आम इंसान किसी गंदे आदमी के साथ रह कर गंदा हो जाता है

बिल्कुल इस तरह उस का भाई ज़ाहिद भी नीलोफर और उस के भाई से मिलने के बाद उन के रंग में रंग चुका है.

और अब वो भी नीलोफर और जमशेद की तरह गुनाह और सवाब की बात को हटा कर अपनी बहन की शलवार के नाडे को खोलने पर तूल चुका है.

इस के साथ साथ शाज़िया इस बात पर भी सोचने लगी. कि कैसे आज उस के ना चाहने के बावजूद ज़ाहिद की छेड़खानी ने उस की जवानी के जज़्बात को गरम कर दिया था.

शाज़िया ये बात अच्छी तरह जानती थी. कि आज के बाद उस के भाई का होसला पहले सी भी बढ़ जाए गा. और वो फिर मोका देख कर उस से अपनी गंदी ख्वाहिश का इज़हार ज़रूर करे गा.

शाज़िया सोचने लगी कि आज तो अम्मी के आ जाने की वजह से वो अपनी इज़्ज़त अपने ही भाई के हाथों बर्बाद होने से बचा पाई थी.

मगर उसे डर लग गया कि कहीं नीलोफर की तरह अगर वो भी बहक गई. तो अपनी जवानी के जज़्बात को अपने काबू में रखना उस के लिए फिर आसान ना रहे गा.

इस बात को सोचते सोचते शाज़िया ने अपने दिल में पक्का इरादा कर लिया. कि अब चाहे जैसा भी रिश्ता मिले वो अपनी अम्मी से कह कर जल्द अज जल्द अपनी शादी कर के इस घर और अपने भाई से दूर चली जाएगी.

दूसरे दिन सुबह जब ज़ाहिद अपने किसी काम के सिलसिले में घर से बाहर गया. तो शाज़िया ने मौका देख कर अपनी अम्मी से बात की.

शाज़िया: अम्मी आप खाला गुलशन से कहें कि मेरे लिए कोई रिश्ता तलाश करे.

(खाला गुलशन झेलम सिटी में ही एक रिश्ते करवाने वाली औरत थी. जो अपनी फीस ले कर लोगों के आपस में रिश्ते करवाती थी)

“बेटी गुलशन ने तो इस से पहले भी काफ़ी रिश्ते दिखाए हैं.मगर तुम को कोई रिश्ता पसंद ही नही आता” रज़िया बीबी ने अपनी बेटी की बात सुन कर जवाब दिया.

“अम्मी आप बस उन से बात करें,इस बार जो भी रिश्ता आया में हां कर दूंगी” शाजिया ने अपनी अम्मी की बात के जवाब में कहा.

रज़िया बीबी दो तीन दफ़ा रात की तन्हाई में अपनी बेटी को अपने जिस्म से खेलता और अपनी चूत की आग को ठंडा करते सुन चुकी थी.

इसीलिए वो अपनी बेटी की बात को सुन कर ये समझी कि शायद उस की बेटी के लिए अब एक मर्द के बगैर रहना मुहाल हो रहा है.और वो अपने बदन की जिन्सी भूक के हाथों मजबूर हो कर किसी भी किस्म के मर्द से शादी के लिए रज़ा मंद हो चुकी है.

मगर रज़िया ये हक़ीकत नही जान पाई थी. कि उस की बेटी असल में अपने जिस्म की भूक से नही. बल्कि उस के अपने ही सगे बेटे के हाथों और लंड से दूर हो जाने के लिए ना सिर्फ़ रंडवे, बच्चो वाले बल्कि किसी बूढ़े आदमी के पल्ले बँधने पर भी तूल गई है.

“अच्छा बेटी में आज ही गुलशन को फोन कर के उस से बात करती हूँ” रज़िया बीबी ने अपनी बेटी की बात मानते हुए कहा.



उसी दोपहर जब ज़ाहिद घर वापिस आया. तो उस ने अपनी अम्मी और खाला गुलशन को ड्राइंग रूम में बैठ कर बातें करते देखा.

खाला गुलशन को अपनी अम्मी के साथ बैठा देख कर ज़ाहिद का माथा ठनका.

ज़ाहिद अपने कमरे में जा कर सोचने लगा. कि उस ने तो अपनी अम्मी को अपनी शादी से अभी तक इनकार किया हुआ है.तो फिर ये खाला गुलशन आज किस सिलसिले में अम्मी के पास बैठी हुई है.

थोड़ी देर बाद जब ज़ाहिद ने खाला गुलशन को अपनी अम्मी से खुदा हाफ़िज़ कहते सुना.तो ज़ाहिद अपने कमरे से निकल कर अपनी अम्मी के पास सोफे पर आन बैठा.
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by vnraj »

ये क्या हो रहा है भाइ
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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vnraj wrote:ये क्या हो रहा है भाइ
ये तो आगे पता चलेगा दोस्त
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शाज़िया उस वक्त अपने कमरे में माजूद अपनी किसी सहेली से फोन पर बात चीत में मसरूफ़ थी. इसीलिए उसे पता नही चला कि इस वक्त उस का भाई अम्मी के पास बैठ कर उन से क्या बात कर रहा है.

“अम्मी ये खाला गुलशन किधर आई थी आज” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के पास सोफे पर बैठते हुए पूछा.

“बेटा वो तुम्हारी बहन शाज़िया के लिए एक रिश्ता ले कर आई है” रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद को एक फोटो पकड़ाते हुए बताया.

“खाला गुलशन का दिमाग़ तो नही खराब हो गया,ये रिश्ता लाई है वो शाज़िया के लिए” ज़ाहिद ने अम्मी की दी हुई फोटो को देख कर गुस्से में कहा.

“हां बेटा ये ही रिश्ता लाई है गुलशन और तुम्हारी बहन ने फोटो देखे बिना ही शादी की रज़ा मंदी भी दे दी है” रज़िया बीबी ने अपने बेटे को जवाब दिया.

अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद के जज़्बात पर तो जैसे बिजली सी टूट पड़ी.

“क्याआआआ, इस आदमी को इस उम्र में रिश्ते की नही,बल्कि मौत के फरिश्ते की ज़रूरत है अम्मी” ज़ाहिद ने अम्मी की दिखाई हुई फोटो को गुस्से में आ कर फाड़ते हुए कहा.

जिस आदमी का रिश्ता गुलशन खाला शाज़िया के लिए लाई थी. वो आदमी असल में शाज़िया के मरहूम अब्बू की उम्र का था.

“अम्मी ये शाज़िया के साथ ज़ुल्म है,आप उस को समझाएँ प्लीज़” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से कहा.

“बेटा मुझे तो खुद समझ नही आ रही,इस से पहले तो शाज़िया हर आने वाले रिश्ते में कोई ना कोई नुक्स निकाल रही थी. और आज इस आदमी की तस्वीर को देखे बिना ही शादी की हामी भी भर चुकी है,मेरी तो ये लड़की सुनती नही तुम ही इस को समझाओ ज़ाहिद” रज़िया बीबी ने अपने बेटे से कहा.

अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद फॉरन समझ गया. कि उस की कल वाली हरकत की वजह से ही शाज़िया अब शादी कर के जल्द अज जल्द इस घर और उस से दूर हो जाना चाहती है.

“अच्छा अम्मी में खुद बात करूँगा शाज़िया से” ज़ाहिद ने अम्मी को जवाब दिया.

“लो तुम बैठो में ज़रा नहा लूँ” रज़िया बीबी अपने बेटे को सोफे पर ही बैठा छोड़ कर अपने कमरे में चली गई.

ज़ाहिद अम्मी के जाने के बाद बैठा कुछ देर टीवी देखता रहा. थोड़ी देर बाद उसे प्यास महसूस हुई तो वो उठ कर किचन की तरफ चला आया.

ज़ाहिद ज्यों ही किचन में दाखिल हुआ उसे सामने अपनी बहन शाज़िया किचन में काम करती नज़र आई.

अपनी बहन को किचन में अकेला देख कर ज़ाहिद की बाछे ही खिल गईं. उस ने फॉरन मूड कर अपनी अम्मी के कमरे के दरवाज़े का जायज़ा लिया. तो उस को अम्मी के कमरे का दरवाज़ा बंद नज़र आया.

ज़ाहिद समझ गया कि उस की अम्मी अपने कमरे के अटेच बाथरूम में नहाने के लिए जा चुकी हैं.

इसीलिए हस्बे आदत उन्होने अपने कमरे के बाहर वाला दरवाज़ा भी बंद कर दिया है.

ज़ाहिद अब निश्चित हो गया. कि कल की तरह आज भी अब उस के पास अपनी बहन से मस्ती करने का कुछ टाइम है.

ज़ाहिद का लंड अपनी बहन को किचन में अकेले देख कर फुल अपने जोबन पर आ गया.

ज़ाहिद ने आज भी शलवार कमीज़ पहनी हुई थी.मगर आज अपनी शलवार के नीचे उस ने अंडरवेार भी पहना हुआ था.

इस की वजह ये थी कि कल के वाकये के बाद ज़ाहिद को पता था .कि अब मोका मिलते ही उस के हाथ उस की बहन के जिस्म से दुबारा ज़रूर छेड़ छाड़ करेगा.और इस सुरते हाल में उस का लंड खड़ा होना एक क़ुदरती अमल होता.

जिस बिना पर ज़ाहिद को डर था. कि कहीं आते जाते हुए उस की अम्मी की निगाह उस की शलवार में खड़े हुए लंड पर पड़ गई तो क़यामत हो जाए गी.

किचन में दाखिल होने से पहले ज़ाहिद ने अपने अंडरवेार में हाथ डाला और अंडरवेार में से अपने लंड को निकाल कर उसे अपनी शलवार में ही आज़ाद कर दिया. ता कि वो जी भर कर अपनी बहन के बदन से खेल कर उसे अपनी मौजूदगी और प्यास का अहसास दिला सके.

फिर वो आहिस्ता आहिस्ता दबे पाँव चलता हुआ किचन में दाखिल हो गया.
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