वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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“ज़ाहिद की बीवी तो तुम ही हो शाज़िया, और तुम्हारे होते हुए भला में कैसे ज़ाहिद की बीवी बन कर उस के साथ सो सकती हूँ मेरी बच्ची” रज़िया बीबी को अपनी बेटी से इस बात की तवक्को नही थी.

इसी लिए वो शाज़िया की बातों को सुन सुन कर हैरानी से अपनी बेटी का मुँह देखते हुए उस से सवालो-ओ- जवाब किए जा रही थी. और इन सब बातों के दौरान रज़िया बीबी की चूत की गर्मी नीचे से अपना पानी छोड़ते छोड़ते अपनी इंतिहा को छूने लगी थी.

“आप को पता है मेरे भाई से चुदने के बाद आप ना सिर्फ़ मेरी भाभी, बल्कि मेरे शोहर से चुदवाने के बाद तो आप मेरी शौतान भी बन चुकी हैं, इसीलिए मेरी डेलिवरी तक आप ज़ाहिद की दूसरी बीवी और मेरी शौतान की हैसियत से अब आप अपने शोहर के लंड को ठंडा करो गी, अम्मी जान” शाज़िया ने रज़िया बीबी के करीब आ कर अपनी अम्मी को अपनी बाहों में जकड़ा. और फिर शलवार के उपर से ही अपनी अम्मी के मोटे फुद्दे पर जोश के साथ अपने हाथ को फेरते हुए कहा.

आज दोपहर (आफ्टरनून) को होने वाले वकीये के मुतलक रज़िया बीबी अभी तक ये ही समझ रही थी. कि ये सब कुछ सिर्फ़ जोशे जज़्बात में हो गया है. और इस के बाद शाज़िया शायद अपनी अम्मी को ज़ाहिद के लंड से फाज़ याब होने का मोका फ़ेरहम ना करे.

मगर अब अपनी बेटी शाज़िया की बात सुन कर रज़िया बीबी का पूरा वजूद खुशी से ऐसे झूम उठा.

जैसे सदियों के भूके आदमी को चावलों की पूरी भरी हुई डैग एक दम से खाने को मिल जाए.

“ओह तुम वाकई ही दिल से ऐसा चाहती हो मेरी बच्ची” रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया की ऑफर सुन कर खुशी से फूले ना समाई. और उस ने भी बे शर्मी से अपनी बेटी की हमला चूत पर अपने हाथ फेरते हुए शाज़िया से दुबारा कन्फर्म किया.



“हां अम्मी में वाकई ही दिल ये चाहती हूँ,कि जिस तरह मेरी तलाक़ के बाद मेरे सगे भाई ने मेरा शोहर बन कर मेरी चूत की बंजर ज़मीन को अपने लंड के पानी से फिर से हरा भरा किया है,उसी तारह मेरी ख्वाहिश है कि अब्बू की कमी को आप का सगा जवान बेटा आप का शोहर बन कर हर रोज़ पूरी किया करे,अम्मी जान” ये कहते हुए शाज़िया ने अपने होंठो को अपनी अम्मी के होंठो से मिलाया और दोनो माँ बेटी एक दूसरे के होंठो को जोश और मस्ती से चूमने और चाटने लगीं.

“अगर तुम राज़ी हो तो मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता है मेरी बच्ची” रज़िया बीबी ने भी अपनी बेटी की गरम ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ाते हुए शाज़िया की मोटी भारी छाती को अपने हाथ की गिरफ़्त में लिया. और अपनी बेटी के मोटे मम्मे को ज़ोर से मसलते हुए बोली.

(कहते हैं कि ब ज़ाहिर शरीफ नज़र आने वाली अक्सर औरतों के अंदर भी एक चुड़क्कड़ औरत हर वक्त मौजूद होती है.

जो उस शरीफ औरत के वजूद से बाहर आने के लिए हर वक्त किसी मोके की तलाश में रहती है.

और आज अपनी शरीफ अम्मी के बेवा जिस्म में क़ैद इस चुड़क्कड़ औरत को शाज़िया और ज़ाहिद ने अपनी ज़ुबान और लंड से रिहाई दिला दी थी.)

अब एक दफ़ा अपने बेटे के जवान लंड को अपनी चूत में ले कर शाज़िया की तरह रज़िया बीबी भी अपने जवान बेटे के लंड की दिवानी तो पहले ही बन चुकी थी.

इसीलिए अब हर रोज़ अपने बेटे के मोटे और तगड़े लंड से अपनी गरम फुद्दि की प्यास बुझवाने के बंपर ऑफर को रज़िया बीबी भला कैसे ठुकरा सकती थी.

“शाज़िया अगर बुरा न मानो तो एक बात पूछूँ तुम से” रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के गुदाज होंठो को अपने दाँतों से काटते हुए कहा.

“अब हमारे दरमियाँ पर्दे वाली कौन सी बात बाकी रह गई है, इसीलिए आप का जो दिल चाहे आप पूछ लो,अम्मी जी” शाज़िया ने सिसकते हुए जवाब दिया.

“असल में में ये सोच रही थी कि तुम्हारी बंद चूत की सील तो तुम्हारे असली शोहर ने खोली थी, तो तुम्हारे साथ दूसरी सुहाग रात मनाते वक्त तुम्हारे भाई ज़ाहिद ने तुम्हारी कौन सी सील खोली हो गी” रज़िया बीबी के ज़हन में कब से ये सवाल गर्दिश कर रहा था.

मगर वो अब तक शाज़िया से ये बात पूछने से हिचकिचाती रही थी.

लेकिन अब अपने जिस्म पर पड़े शरम के पर्दे को उतार फैंकने के बाद रज़िया बीबी में अपनी बेटी शाज़िया से ये बात पूछने की हिम्मत आ गई थी.

इसीलिए रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के गालों पर अपनी लंबी ज़ुबान रगड़ते हुए पूछा.

“ओह ज़ाहिद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड भाईईईईईईई ने आप की बेटी की कंवारी गान्ड की सील तोड़ कर मुझे अपनी बीवी बनाया था, अम्मिजान”. शाज़िया ने रज़िया बीबी के मोटे भारी चुतड़ों को अपने हाथों में दबोचते हुए अपनी अम्मी की बात का जवाब दिया.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ज़ाहिद का लंड तो इतना मोटा है कि फुद्दि में लेते वक्त तकलीफ़ होती है, और उस ज़ालिम ने इतने बड़े लंड से मेरी मासूम बच्ची की कंवारी गान्ड की धज्जियाँ उड़ा दीन्न्न्न्न्न्न्न” ज़ाहिद के मोटे लंड को अपनी तस्वरती आँखो से शाज़िया की गान्ड का बंद सुराख खोलते हुए सोच कर रज़िया बीबी की चूत से पानी का फव्वारा बहने लगा.

“ओह मोटे लंड से अपनी गान्ड की सील तुड़वाने में जो मज़ा है,में उसे लफ़्ज़ों में बयान नही कर सकती, वैसे आप की गान्ड तो मुझ से भी ज़्यादा बड़ी है,अगर अब्बू ने आज तक आप की गान्ड की सील नही खोली, तो भाईईईईईईईई को ये मोका दे दो, ज़ाहिद भाईईईईईईईईई आप की गान्ड को ऐसे प्यार से खोले गा कि मज़े की शिद्दत से एक तो आप सारे दर्द भूल जाएंगी , और दूसरा ज़ाहिद भाई के लिए एक बेटे से शोहर बनाने का सफ़र मज़ीद मज़ेदार हो जाएगा,अम्मी जीिइईईईईई”. शाज़िया ने अपनी अम्मी की शलवार में क़ैद रज़िया बीबी की गान्ड के उभरे हुए गुदाज चुतड़ों को अपने हाथ से दबाते हुए कहा.

अपनी बेटी की बात सुन कर रज़िया बीबी एक लम्हे के लिए अपने मज़े में खो गई.

असल में रज़िया बीबी की गान्ड तो उस की जवानी से काफ़ी बड़ी और बाहर को उभरी हुई थी.

अपनी जवानी के बारे में सोचते हुए रज़िया बीबी को वो वक्त याद आया.

जब अपनी शादी से पहले रज़िया बीबी घर से बाहर निकलती. तो अपने जिस्म के गिर्द एक बड़ी सी चादर ओढ़ लेती.
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मगर रज़िया बीबी की गान्ड इतनी मोटी और भारी थी. कि जिसे रज़िया बीबी के जिस्म के गिर्द लिपटी हुई चादर भी छुपाने में नाकाम हो जाती थी.

रज़िया बीबी जब अपनी गली में चलती. तो रज़िया बीबी की मटकती हुई गान्ड हिल हिल कर मोहल्ले के सारे लड़कों के लौडो पर बिजलियाँ गिरा देती थी. और पीछे से देखने वालों को अपना आशिक़ बना लेती थी.

शादी के बाद ज़ाहिद के अब्बू ने कई दफ़ा अपनी बेगम रज़िया बीबी से उस की गान्ड मारने की दरख़्वास्त की थी.

मगर हर दफ़ा रज़िया बीबी ये कह कर अपने मेरहूम शोहर की ये बात टाल देती कि “ये जायज़ काम नही”.

लेकिन आज जब रज़िया बीबी ने शाज़िया के मुँह से गान्ड मरवाने की बात सुनी. तो नज़ाने क्यों रज़िया बीबी को ये बात बुरी नही लगी.

बल्कि शाज़िया के मुँह से अपने बेटे ज़ाहिद की गान्ड चोदने की तारीफ सुन कर रज़िया बीबी की अपनी गान्ड में अपने बेटे ज़ाहिद के लंड की खारिश होने लगी.

“अच्छा अगर तुम्हारी ये ही मर्ज़ी है कि में अब ज़ाहिद के साथ ही सोया करूँ तो भला मुझे क्या ऐतराज हो सकता है मेरी बच्ची” शाजिया की बातों को सुन कर रज़िया बीबी की शलवार में छुपी हुई उस की चूत का मुँह बिल्कुल ऐसे खुलने और बंद होने लगा जैसे ज़ाहिद का लंड उसके सामने ही खड़ा है

जैसे समुंद्र (सी) में मौजूद किसी मछली (फिश) का मुँह अपनी खुराक (फुड) को हासिल करते वक्त खुलने और बंद होने लगता है.

अब रज़िया बीबी का दिल चाहने लगा कि वो किसी तरह उड़ कर अपने बेटे ज़ाहिद के पास पहुँचे.और फिर अपने बेटे के बिस्तर में गुस्स कर पूरी रात अपने बेटे के मोटे लंड को अपनी गान्ड और चूत में डलवा कर मज़े करे.

इसीलिए रज़िया बीबी ने जल्दी से बिस्तर पर पड़ा अपने दुपट्टा उठाया और उसे अपनी भारी छातियों पर लेने लगी.

“आप दुपट्टा क्यों ले रही हां अम्मी” अपनी अम्मी को दुपट्टे से अपने बड़े बड़े मम्मे ढांपते देख कर शाज़िया ने अपनी अम्मी से पूछा.

“में हमेशा अपने सीने पर अपना दुपट्टा ओढ़ती हूँ,तो आज क्यों नही” रज़िया बीबी ने शाज़िया को कहा.

“वो इसीलिए के हम औरते अपनी मोटी छातियों को गैर मर्दो की भूकि नज़रों से छुपाने के लिए दुपट्टा लेती हैं, जब कि आप तो अपनी इन भारी छातियों को अपने ही सगे बेटे को दिखाने, मसलवाने और चुसवाने के लिए खुद चल कर उस के पास जा रही हैं, तो इस सूरत में दुपट्टे की क्या ज़रूरत है बाला” शाज़िया ने ये बात कह कर अपनी अम्मी को लाजवाब कर दिया.

“ये बात है तो ये रहा दुपट्टा, में अब अपने मम्मो को पूरी तरह नंगी कर के अपने बेटे ज़ाहिद के पास जाऊं गी शाज़िया” ये कहते हुए रज़िया बीबी ने अपने दुपट्टे को अपने सीने से उतार कर शाज़िया के कदमो में फैंका. तो रज़िया बीबी के मोटे मम्मे उस की तंग कमीज़ के खुले गले से उछल कर बाहर आने की कोशिश करने लगे.

इस के साथ रज़िया बीबी एक दम मूडी और अपनी बेटी शाज़िया से अलविदा हो कर अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की तरफ जाने लगी.

“भाई के पास जाते वक्त किचन से गरम दूध का एक ग्लास भी साथ लेते जाना अम्मी” शाज़िया ने जब अपनी गान्ड मटकाती अम्मी को अपने कमरे से बाहर निकल कर ज़ाहिद के कमरे की तरफ जाता देखा. तो पीछे से उस ने अपनी वालिदा (अम्मी) को आवाज़ दी.

“गरम दूध मगर वो किसीलिए शाज़िया” रज़िया बीबी जाते जाते वापिस पलटी और रुक कर अपनी बेटी से सवाल किया.

“आप के लिए अम्मी जान, और किस के लिए” शाज़िया ने अपनी अम्मी की बात का जवाब दिया.

“मेरे लिए? मगर तुम को तो पता है कि में इस वक्त गरम दूध नही पेटी” अपनी बेटी की बात सुन कर रज़िया बीबी ने हैरान हो कर शाज़िया की तरफ देखते हुए कहा.

“ये दूध है तो आप के ही लिए, मगर इसे पीएँगे ज़ाहिद भाई” शाज़िया अपनी अम्मी को मज़ीद हैरान करने के लिए बोली.

“दूध है मेरे लिए,मगर पीना ज़ाहिद ने है,ये तुम क्या अजीब अजीब बातें किए जा रही हो शाज़िया” अपनी बेटी की बात को ना समझते हुए रज़िया बीबी गुस्से में आई और ज़ोर से बोली.

“अच्छा में आप को समझाती हूँ, अपने मुँह के ज़रिए ये गरम दूध पीने के बाद, फिर ज़ाहिद भाई ने इसी दूध को अपने लंड के रास्ते, गरम वीर्य की शकल में आप की चूत और गान्ड में उडेलना है, तो इस तरह ये दूध तो असल में तो आप ही के लिए है ना अम्मी जान” शाज़िया अपनी अम्मी से ये बात कह कर खिल खिला कर हँसने लगी.

“बहुत ही बे शरम और वाहियात हो तुम भी शाज़िया” अपनी बेटी के मज़ाक को एंजाय करते हुए रज़िया बीबी भी हँसने लगी.

“अच्छा में ज़ाहिद के लिए दूध ले जाती हूँ, इसीलिए अब तुम जा कर आराम करो” रज़िया बीबी अपनी बेटी को उसी तरह कमरे के दरवाज़े पर खड़ा छोड़ कर किचन में घुसी. और वहाँ से गरम दूध का एक ग्लास अपने हाथ में उठा कर ज़ाहिद के कमरे की तरफ चल पड़ी.

रज़िया बीबी ज्यों ही अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे के दरवाज़े तक आई. तो उस ने कमरे का दरवाजा बंद पाया.

“लगता है ज़ाहिद आज जल्दी सो गया है”. कमरे के बंद दरवाज़े को देख कर रज़िया बीबी के जेहन में ख्याल आया.

रज़िया बीबी तो अपनी चूत में बहुत से अरमान ले कर अपने बेटे के कमरे तक पहुँची थी.

मगर अपने बेटे ज़ाहिद के बंद दरवाज़े को देख कर ना जाने क्यों रज़िया बीबी का दिल एक दम से बुझ सा गया.

“क्या करूँ दरवाजा खट खटाऊ या फिर ऐसे ही वापिस चली जाऊं” अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे के बाहर खड़े खड़े रज़िया बीबी को कई किसम के ख्याल आ रहे थे.

“जब में अपने बेटे के साथ रात गुज़ारने आ ही गई हूँ, तो मुझे दरवाज़े पर नॉक कर के चेक तो करना चाहिए, शायद ज़ाहिद जाग ही रहा हो” ये ख्याल जहाँ में आते ही रज़िया बीबी ने धड़कते दिल के साथ दरवाज़े को हाथ लगाया. तो कमरे का दरवाजा अंदर से कुण्डी ना लगी होने की वजह से अपने आप पूरा खुलता चला गया.

जिस वक्त रज़िया बीबी ने ज़ाहिद का कमरे का दरवाजा खोला.

ठीक उसी वक्त ज़ाहिद अपने बिस्तर पर लेट कर दोपेहर में होने वाले वाकिये को याद कर के निक्कर के उपर से ही अपने लंड से खेलने में मसरूफ़ था.

अपने लंड को हाथ से मसल्ने के दौरान ज़ाहिद ये सोच रहा था कि.“हाईईईईईईईई काश इस वक्त अगर अम्मी की चूत दुबारा चोदने को मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए”.

इसी दौरान ज्यों ही कमरे का दरवाजा खुला .तो बिस्तर पर निक्कर पहन कर लेटे हुए ज़ाहिद की नज़रें अपने कमरे के बाहर दूध का ग्लास लिए खड़ी अपनी अम्मी से टकराई.

ज़ाहिद ने देखा कि उस की अम्मी ने अपने भरी सीने पर कोई दुपट्टा नही लिया हुआ.

जिस की वजह से उस की अम्मी के मोटे मोटे तरबूज़ जैसे मम्मे रज़िया बीबी की कमीज़ के खुले गले से आधे बाहर नज़र आ रहे थे.

ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को यूँ नीम नंगी हालत में अपने कमरे के बाहर खड़ा देखा. तो ज़ाहिद को ऐसा लगा कि जैसे उस के लंड की मुराद पूरी हो गई हो.

“आप इस वक्त इधर क्या कर रही हैं अम्मी” अपनी अम्मी को अपने कमरे के सामने देख कर ज़ाहिद एक दम से अपने बेड से उठ कर खड़ा हुआ और रज़िया बीबी से पूछने लगा.

“वो असल में शाज़िया ने कहा कि तुम अक्सर रात को गरम दूध पी कर सोते हो,तो इसीलिए में तुम्हें दूध देने चली आई” बे शक रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया की बातों में आ कर ज़ाहिद के साथ सोने के लिए आ तो गई थी.

मगर अपने बेटे से एक बार चुदवाने के बावजूद रज़िया बीबी अपने बेटे ज़ाहिद को अपने आने का मकसद बताने में हिच किचाहट महसूस करने लगी थी.

“आप अभी तक बाहर क्यूँ खड़ी हैं, अंदर आ जाओ ना अम्मी जान”अपनी अम्मी को रात को तन्हाई में अपने कमरे के अंदर आने की दावत देने के दौरान ज़ाहिद का लंड उस की शॉर्ट्स में फुल तन कर खड़ा हो गया था.

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ देखो तो सही, जिस तरह मेरी चूत इस लंड के लिए भी बुरी तरह से मचल रही है, बिल्कुल उसी तरह मेरे बेटे का ये लंड भी मेरी फुद्दि के लिए आकड़े जा रहा है” ज़ाहिद की निक्कर में खड़े हुए लंड पर नज़र पड़ते ही रज़िया बीबी के दिल में ख्याल आया.

तो ना सिर्फ़ रज़िया बीबी का दिल खुशी से झूम उठा. बल्कि उस की चूत भी अपने बेटे ज़ाहिद के लंड को देख कर शलवार में खुशी से “फूल” गई.

“जब मेरा बेटा मुझे इतने प्यार से अपने पास बुला रहा है,तो मुझे उस के पास जाने में देर नही करनी चाहिए”अपने बेटे ज़ाहिद से उस के कमरे के अंदर आने की दावत मिलते ही रज़िया बीबी ने एक लम्हे के लिए सोचा.

और फिर ने अपना एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के कमरे की दहलीज़ पर कर दी.
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“जब मेरा बेटा मुझे इतने प्यार से अपने पास बुला रहा है,तो मुझे उस के पास जाने में देर नही करनी चाहिए”अपने बेटे ज़ाहिद से उस के कमरे के अंदर आने की दावत मिलते ही रज़िया बीबी ने एक लम्हे के लिए सोचा.

और फिर ने अपना एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के कमरे की दहलीज़ पर कर दी.

रज़िया बीबी आज शाम से पहले तक ना जाने कितनी ही दफ़ा अपने बेटे ज़ाहिद के इस कमरे में आ चुकी थी.

लेकिन इस सारे अरसे में ज़ाहिद के कमरे में आते वक्त रज़िया बीबी के दिल की वो हालत कभी नही हुई थी. जो इस व्कत रज़िया बीबी महसूस कर रही थी.

उस रात को अपने धड़कते दिल के साथ रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपने बेटे के कमरे में अपना पावं रखा.

तो रज़िया बीबी को यूँ महसूस हुआ. कि उस के शोहर की वफात के वक्त से उस के वजूद के साथ लिपटी हुई बेवगी की चादर एक दम से गिर कर उस के बदन से अलग हो गई हो.

आज अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की हद में कदम रखते ही रज़िया बीबी ना सिर्फ़ अपने आप को हल्का फूला महसूस करने लगी.

बल्कि उस के बे करार दिल को भी यका यक करार आ गया.

ज़ाहिद के कमरे में आते वक्त रज़िया बीबी की चाल में भी एक अजीब किसम का निखार था.

रज़िया बीबी अपने बेवा से बीवी बनने के इस अमल के दौरान बहुत शान के साथ एक नई नवेली दुल्हन की तरह अपनी गान्ड मटकाती हुई अपने सरताज बेटे के कमरे में दाखिल हुई. तो उस के अंग अंग से एक अजीब किसम की मस्ती सी फूट पड़ी थी.

अपनी अम्मी के जिस्म और चाल की इस तब्दीली को ज़ाहिद की गहरी नज़रों ने भी महसूस किया.

मगर उसे फॉरी तौर पर अपनी अम्मी के वजूद में आने वाली ये तब्दीली की समझ नही आई.

रज़िया बीबी ने कमरे में दाखिल हो कर ज़ाहिद के बिस्तर की साइड टेबल पर दूध का ग्लास रखा.

ज्यों ही रज़िया बीबी और ज़ाहिद एक दूसरे के नज़दीक हुए. तो दोनो माँ बेटे ने एक दूसरे के जिस्म में लगी जिन्सी भूक की महक को फॉरन महसूस कर लिया.

“अम्मी के जिस्म की खुसबू को सूंघ कर तो यूँ महसूस हो रहा है जैसे नीचे से उन की फुद्दि “चुह चुह” (बह बह) कर तालाब बन चुकी है, लगता है अम्मी सिर्फ़ मुझे ही भैंस का दूध पिलाने नही आई, बल्कि वो खुद भी दुबारा से मेरे लंड का दूध भी पीने आई हैं”अपनी अम्मी के गरम वजूद से फूटने वाली चुदाई की भीनी भीनी महक को सूंघते हुए ज़ाहिद ने सोचा. तो उस का लंड खुशी से उस की निक्कर में लुदियाँ डालने लगा.

इधर दूसरी तरफ रज़िया बीबी भी ज्यों ही अपने बेटे ज़ाहिद के करीब हुई.

तो वो भी अपने जवान बेटे के सख़्त जिस्म से निकलने वाली गर्मी की हीट को महसूस कर के मस्त होने लगी.

“हाईईईईईईईईईई लगता है कि आज दोपहर की तरह आज की रात भी मेरी चूत के लिए बहुत यादगार रात साबित हो गी” अपने बेटे ज़ाहिद के पास खड़े हो कर रज़िया बीबी के जेहन में सोच आई.

तो उस की चूत से बहने वाले पानी ने रज़िया बीबी की गुदाज रानों को गीला करना शुरू कर दिया.

ज़ाहिद के बिस्तर के पास दूध रख कर रज़िया बीबी ज्यों ही वापिस पलटी.

तो रज़िया बीबी के मुड़ने के अंदाज़ से ज़ाहिद को ना जाने क्यों ऐसा महसूस हुआ.कि उस की अम्मी वापिस अपने कमरे की तरफ जाने लगी है.

“थोड़ी देर मेरे पास भी बैठ जाओ ना अम्मी” ज़ाहिद ने जब रज़िया बीबी को एक दम से वापिस मुड़ते देखा. तो उस ने अपनी अम्मी की कलाई को अपने हाथ से पकड़ते हुए अम्मी से कहा.

“नही में आज बहुत थक गई हूँ, इसीलिए अब अपने कमरे में जा कर आराम करूँगी बेटा” ये कहते हुए रज़िया बीबी ने अपने हाथ को झटका दिया. और किसी मगरूर हसीना की तरह अपनी नाज़ुक कलाई को अपने आशिक़ बेटे के शिकंजे से चुरा कर कमरे के दरवाज़े की तरफ चल पड़ी.

इस के बावजूद रज़िया कि बीबी की फुद्दि में भी आग लगी हुई थी.

लेकिन चूँकि रज़िया बीबी ज़ाहिद के लंड को उस की शॉर्ट्स में मचलता हुआ देख चुकी थी.

इसीलिए अब वो अपने बेटे को थोड़ा तंग करने के मूड में आ गई थी.

जब कि दूसरी तरफ आज दोपहर के बाद से ज़ाहिद ये समझ रहा था. कि उस से एक बार चुदवाने के बाद तो अब उस की अम्मी रज़िया बीबी हर वक्त अपनी शलवार का नाडा खोल कर उस के सामने पड़ी रहे गी.या ज़ाहिद जब चाहेगा उस की अम्मी उस से चुदने के लिए राज़ी हो जाएगी.

मगर यहाँ तो ज़ाहिद की सोच के विपरीत उस की अम्मी रात की तेन्हाई में उस के पास आने के बावजूद उसे नज़र अंदाज़ किए जा रही थी.

अपनी अम्मी की बे रूखी का ये अंदाज़ ज़ाहिद के दिल और लंड दोनो ही के लिए बहुत जान लेवा साबित हो रहा था.

इसीलिए ज़ाहिद ने ज्यों ही अपनी अम्मी को अपने पास से गुज़र कर बाहर की तरफ जाता देखा. तो वो एक दम अपनी अम्मी के पीछे लपका.

ज़ाहिद ने जल्दी से रज़िया बीबी के पीछे आ कर अपनी अम्मी के भारी वजूद को अपनी बाहों में कस लिया.

अपनी अम्मी के जिस्म को अपनी बाहों में काबू करते ही ज़ाहिद ने पीछे से हाथ बढ़ा कर अपनी अम्मी की कमीज़ के खुले गले से बाहर छलकती हुई रज़िया बीबी की बड़ी बड़ी छातियों को अपने दोनो हाथों की गिरफ़्त में थाम लिया.



और अपनी अम्मी के मोटे मम्मो को अपने हाथों से दबाते हुए ज़ाहिद रज़िया बीबी के कान में सरगोशी करते हुए एक इंडियन गाने के ये बोल गुन गुनाने लगा,

“आ मेरे साथ कोई रात गुज़ार
तुझे सुबह तक करूँ में प्यार
ओह ऑश ऊऊऊओ”

गन्ने के बोल गुनगुनाने के साथ ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की गान्ड पर अपने लंड को रगड़ते हुए रज़िया बीबी से पूछा “मुझे सच सच बताएँ, आप इस वक्त क्यों मेरे कमरे में आई हैं अम्मी जी”.

“ओह में वाकई तुम्हे दूध देने आई थी बेटा” अपने बेटे के सख़्त हाथों को अपने सॉफ्ट मम्मो के उपर चलता पा कर रज़िया बीबी सिस्काई.

“दूध तो बस एक बहाना है, असल में मामला कोई और है, प्लीज़ मुझे बताओ ना, अम्मी ज़ाआाआआआआआअँ” ज़ाहिद ने रज़िया बीबी की बात को अन सुनी करते हुए अपने हाथों और लंड का दबाव अपनी अम्मी के मोटे मम्मो और चौड़ी गान्ड पर बढ़ाते हुए फिर पूछा.

“ओह ज़ाहिद अगर सच जानना चाहते हो तो सुनो, शाज़िया चाहती है कि जब तक वो तुम्हारे बच्चे को जनम नही दे लेती, उस वक्त तक उस की जगह में तुम्हारी बीवी की हैसियत से तुम्हारे साथ इस कमरे में सोया करूँ, मेरे बच्चे” अपने वजूद को अपने बेटे की गिरफ़्त में पा कर रज़िया बीबी मचल उठी. और उस ने अपनी चौड़ी गान्ड को ज़ाहिद के मोटे और सख़्त लंड पर दबाते हुए एक दम से अपना मुँह खोल दिया.

ये ज़ाहिद के साथ हाथों का ही कमाल था. जिस की वजह से रज़िया बीबी अब मज़े से बे हाल हो कर लंबी-लंबी साँसें लेने लगी थी. और उस का दिल और मोटे मम्मे ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगे थे.

“उफफफफफफफफफ्फ़ मुझे तो यकीन ही नही हो रहा, क्या वाकई ही शाज़िया ये चाहती है कि आज से आप मेरी बीवी की हैसियत से मेरी रातों को रंगीन किया करो अम्मी जीिीइ” रज़िया बीबी की तरह ज़ाहिद भी अभी तक ये ही समझ रहा था. कि दोपहर में शाज़िया ने उसे अपनी अम्मी को चोदने की जो दावत दी थी.वो शाज़िया का कोई सोचा समझा मंसूबा नही था.

बल्कि ये सिर्फ़ और सिर्फ़ शाज़िया पर तरी उस वक्त के जिन्सी जज़्बात का असर था.जिस की वजह से शाज़िया ने उस वक्त ज़ाहिद को अपनी अम्मी के साथ चुदाई की इजाज़त दे दी थी.

और अब उस जिन्सी जनून का असर ख़तम होने के बाद शाज़िया शायद ज़ाहिद को अपनी अम्मी के साथ रंग रलियाँ मनाने का मोका ना दे.

इसी लिए रज़िया बीबी के बताने के बावजूद ज़ाहिद को यकीन नही हो रहा था. कि वो जो कुछ अपनी अम्मी के मुँह से सुन रहा है.वो वाकई ही सच है.

“ये सच है ज़ाहिद, तुम्हारी बीवी शाज़िया वाकई ही ये चाहती है कि में अब उस की अम्मी या सास नही, बल्कि अब उस की शौतान की हैसियत से तुम्हारे बिस्तर को हर रात गरम किया करूँ, अब तुम बताओ तुम्हें तो कोई ऐतराज नही मेरे बच्चे” रज़िया बीबी ने गोश्त से भरी अपनी पीठ (बॅक) को अपने बेटे की सख़्त छाती पर रगड़ते हुए पूछा.

“ओह मेरे लिए इस से बढ़ कर खुश किस्मती और फक्र की बात हो गी, कि मेरी सग़ी अम्मी अब मेरी बीवी बन कर मेरे साथ हम बिस्तरी किया करे गी” अपनी बहन शाज़िया की इस ख्वाहिश को अपनी अम्मी के मुँह से सुन कर ज़ाहिद तो खुशी से पागल होने लगा था.
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`·.¸.·´ -- Raj sharma
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