वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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ज्यों ही शाज़िया फोन से फारिग हुई तो उस ने देखा कि नीलोफर कमरे में उस के सामने ही अपने गीले कपड़े उतार कर दूसरे कपड़े पहनने लगी है.

शाज़िया को यूँ अपने सामने ही नीलोफर को अपने कपड़े उतारते देख कर बहुत शरम महसूस हुई और वो बोली ”यार तुम अंदर अपने बाथरूम में जा कर कपड़े पहन लो ना.”

निलफोर शाज़िया की बात सुन कर मुस्कुराइ और बोली “ यार इधर तुम्हारे इलावा कौन सा मर्द है और फिर जो कुछ मेरे पास है वो ही सब तुम्हारे पास है तो फिर तुम से शरम कैसी.”

शाज़िया ने जब देखा कि नीलोफर तो बिना किसी शरम-ओ-हया के उस के सामने ही अपने कपड़े उतारने पर तूल गई है. तो उस ने नीलोफर की तरफ से ध्यान हटा कर अपनी नज़रें अपने मोबाइल फोन पर जमा कर उसे देखने लगी.

चाँद लम्हो बाद नीलोफर कपड़े चेंज कर के फारिग हुई. तो उस ने शाज़िया को अपनी अलमारी से अपना एक सूट निकाल कर दिया.

नीलोफर: यार तुम्हारे कपड़े भी काफ़ी भीग चुके हैं इस लिए तुम मेरा यह सूट पहन लो.

शाज़िया: नही यार में ठीक हूँ.

नीलोफर: खाक ठीक हो. पागल मत बनो और यह कपड़े चेंज कर लो.

शाज़िया: कोई बात नही यार वैसे भी में तुम्हारे मुकाबले में मोटी हूँ इस लिए मुझे तुम्हारे कपड़े शायद नही पूरे आएँगे.

“अच्छा यूँ करो कि यह तोलिया ले कर इसे लपेट लो और अपने गीले कपड़ों को ईसतरी से सूखा लो” नीलोफर ने जब देखा कि शाज़िया उस के कपड़े पहनने पर राज़ी नही तो उस ने एक बड़ा सा टॉवल शाज़िया की तरफ बढ़ाते हुए कहा.

शाज़िया को तोलिया दे कर नीलोफर चाय और पकौड़े बनाने किचन में चली गई.


जब कि शाज़िया ने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और अपने कपड़े उतार कर नीलोफर का दिया हुआ तोलिया अपने जिस्म के गिर्द लपेट लिया.


शाज़िया ने कमरे में इधर उधर नज़र दौड़ाई तो उसे एक कोने में ईसतरी का टेबल नज़र आया. तो वो अपने कपड़े उठा कर उधर चली गई और अपने गीले कपड़ो को गरम ईसतरी से सुखाने की कोशिश करने लगी.

अभी शाज़िया को अपने कपड़े ईसतरी करते थोड़ी ही देर गुज़री तो उसे यूँ अहसास हुआ कि कोई कमरे में उस के पीछे खड़ा उसे देख रहा है.

उस ने फॉरन पीछे मूड कर देखा तो उस ने नीलोफर को पीछे से अपने जिस्म का बगौर जायज़ा लेते हुए पाया.

शाज़िया ने जब नीलोफर को इस तरह अपने जिस्म को देखते हुए पाया तो उसे नीलोफर के सामने यूँ एक तोलिए में लिपटे नंगे बदन हालत में खड़ा होने में थोड़ी शरम महसूस होने लगी.

शाज़िया: यार तुम ज़रा बाहर जाओ में अभी कपड़े पहन लूँ फिर आना प्लीज़.

नीलोफर शाज़िया की बात सुन कर हंस पड़ी.

शाज़िया: तुम हंस क्यों रही हो.

नीलोफर: अरे यार में भी तो तुम्हारी तरह एक औरत ही हूँ इस लिए मुझ से क्या शरमाना तुम बिना झिझक मेरे सामने ही चेंज कर लो.

शाज़िया: हां वो तो ठीक है मगर मुझे बहुत शरम आ रही है.

नीलोफर बाहर जाने की बजाय उधर ही खड़ी शाज़िया को बहुत गौर से देखती रही. शाज़िया को नीलोफर के यूँ इस तरह टक टॅकी बाँध कर देखने पर भी बहुत हैरत हुई.

"ऐसे क्या देख रही हो.” शाज़िया ने नीलोफर से सवाल किया.

“ यार आज पहली बार तुम्हें इस तरह देख कर मुझे यह अंदाज़ा हुआ है कि तुम्हारा जिस्म तो बहुत खूबसूरत है. काश में लड़की की बजाय अगर लड़का होती तो सच पूछो तो तुम्हारा यह गुदाज बदन सारा खा जाती.” नीलोफर ने हँसते हुए कहा.

“यह तुम किस किस्म की बाते करने लगी हो नीलोफर” शाज़िया को अपनी दोस्त की बात सुन कर शरम तो आइए. मगर एक औरत के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर ना जाने क्यों उसे अच्छा भी लगा.

“ में सही कह रही हूँ शाज़िया तुम मेरी तमाम सहेलियों में सब से खोब्सूरत सहेली हो” नीलोफर ने अपने हाथ में पकड़ी चाय और पकोड़ो की ट्राइ को कमरे के टेबल पर रखते हुए कहा.

“अच्छा मुझे अब बानू मत तुम खुद भी किसी से कम नही. तुम्हारा शोहर बहुत ही किस्मत वाला है जिसे इतनी प्यारी बीवी मिली है” शाज़िया ने बेड की साइड टेबल पर पड़ी नीलोफर और उस के शोहर की फोटो देखते हुए कहा.

“क्या फ़ायदा इस खोबसूरती और जवानी का यार जब शोहर ही पास ना हो” नीलोफर भी अपनी तारीफ सुन कर मुस्कुराइ और शाज़िया के नज़दीक होते हुए बोली.

“नीलोफर तुम फिर भी खुशकिस्मत हो कि साल बाद ही सही मगर अपने शोहर का प्यार तो फिर भी तुम को हासिल हो जाता है,जब कि अपने शोहर से तलाक़ के बाद में तो अकेली रह गई हूँ” शाज़िया ने अफ़सोस भरे लहजे में नीलोफर से कहा.

नीलोफर इतनी देर में शाज़िया के बिल्कुल करीब आन पहुँची थी.

शाज़िया के करीब होते हुए नीलोफर ने कहा “ शाज़िया में और तुम अब बहुत अच्छी सहलियाँ बन चुकी हैं. इस लिए में आज तुम को अपनी एक बहुत ही राज़ की बात बताने जा रही हूँ मगर उस से पहले क्या में तुम से एक ज़ाति सवाल पूछ सकती हूँ”?.

शाज़िया: पूछ लो यार.

नीलोफर: क्या अपनी तलाक़ के बाद तुम्हारा कभी सेक्स करने को दिल नही किया? क्या कभी तुम्हारे दिल ने तुम से नही कहा कि काश कोई होता जो तुम से प्यार करता, तुम को किस करता, तुम्हारे जिस्म को दबाता और फिर तुम को चोद देता. क्या तेरा दिल नही करता कि कोई तुम को चोदे?"

नीलोफर मुझे समझ नही आ रही कि आज तुम को क्या हो गया है. आज से पहले तुम ने ऐसी बातें कभी भी नही की." नीलोफर के सवाल पर शाज़िया हक्का बक्का हो गई.

"शाज़िया बच्ची ना बनो प्लीज़ मेरे सवाल का जवाब दो. हो सकता है में तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ” नीलोफर ने शाज़िया की बात को नज़र अंदाज़ करते हुए अपनी बात पर इसरार किया.

" क्यों नही होता. में जवान हूँ और तुम खुद खूब अच्छी तरह जानती हो कि शादी के बाद सेक्स हर औरत की ज़रूरत बन जाता है, अब जब कि मेरा शोहर नही है तो में कई दफ़ा नहाते वक्त अपने नंगे जिस्म से छेड़ छाड़ करती हूँ." शाज़िया ने एक ठंडी साँस ली और अपने दिल का हाल अपनी दोस्त के सामने खोल कर रख दिया.

अपनी बात ख़तम करने के बाद शाज़िया एक लम्हे के लिए खामोश हुई और फिर नीलोफर की तरफ देखते हुए पूछा “ तुम कैसे अपने शोहर के बगैर पूरा एक साल सबर से गुज़ार लेती हो नीलोफर”?

“सबर, मेरी प्यारी बनो, तुम्हारा क्या ख्याल है कि तुम्हारी सहेली ने इतना सबर किया हो गा"यह कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया.

“क्या” नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया का मुँह हैरत से खुल गया.

"हां यार तुम्हारी जानकारी के लिए अर्ज़ है कि तुम्हारी दोस्त अपने शोहर की गैर मौजूदगी में एक दफ़ा नही बल्कि कई बार अपनी चूत और गान्ड चुदवा चुकी है और सिर्फ़ किसी एक से नही बल्कि दो मुक्तिलफ मर्दों से, क्या समझी." यह कहते हुए नीलोफर ने पास ही रखे हुए रिमोट की मदद से कमरे के दूसरे कोने में पड़े टीवी और डीवीडी को ऑन कर दिया.
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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मस्ती आ रही है
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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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vnraj wrote:मस्ती आ रही है
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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नीलोफर की ज़ुबान से निकले इलफ़ाज़ ने शाज़िया के जिस्म का पसीना छुड़ा दिया.

ज्यों ही टीवी की स्क्रीन ऑन हुई तो उस पर एक होम मेड फिल्म ऑन स्टार्ट हो गई .

इस मूवी में सब से पहले एक कमरे का मंज़र सामने आया जो कि किसी का बेड रूम था.

कुछ देर बाद शलवार कमीज़ में मलबूस लड़की स्क्रीन पर नामो दार हुई. उस लड़की की कमर कमरे की तरफ थी.

अभी वो लड़की कमरे में आ कर खड़ी हुई थी. कि पीछे से एक लड़के ने आ कर उस लड़की को अपनी बाहों में बाँधा और उस की गर्दन पर प्यार करना शुरू कर दिया.

लड़की एक दम मूडी तो उस का चेहरा सामने आया. जिस को देख कर शाज़िया की आँखे फटी की फटी रह गईं.

स्क्रीन पर नज़र आने वाली लड़की कोई और नही उस की दोस्त नीलोफर थी. जो वैसे तो हर वक्त बुर्क़ा पहन कर ऐसे नाटक करती रहती थी. जैसे उस से बढ़ कर कोई शरीफ इस दुनिया में पेदा नही हुई थी. मगर अब वो ही शरीफ जादी मूवी में एक अजनबी लड़के के लबों से अपने लब जोड़े एक रंडी की तरह फुल किस्सिंग में मसरूफ़ थी.दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं

मूवी को इस तरह शॉट और एडिट किया गया था. कि इस में नज़र आने वाले मर्द का चेहरा नज़र नही आ रहा था.

शाज़िया ने ज़रा गौर से टीवी पर दिखाए जाने वाले कमरे पर गौर किया. तो वो समझ गई कि यह तो वो ही कमरा है जिस में वो खुद इस वक्त खड़ी यह मूवी देख रही थी.

टीवी पर चलने वाले मंज़र में नीलोफर और उस मर्द की किस्सस इतनी ज़्यादा डीप थी .कि शाज़िया को अपने ही होंठो पर कुछ अजीब सा महसूस होने लगा. शायद यह शाज़िया के जिस्म की प्यास ही थी. जो उसे ऐसा फील हो रहा था.

जैसे जैसे टीवी पर नीलोफर और उस के यार के प्यार का सीन आगे बढ़ रहा था. वैसे वैसी शाज़िया को अपने जिस्म में गर्मी का अहसास बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था.

थोड़ी देर बाद स्क्रीन पर चलती फिल्म में नीलोफर और वो लड़का बिल्कुल नंगे हो कर आपस में चुदाई करने लगे. तो अपनी सहेली की गरम चुदाई का मंज़र देख कर शाज़िया की बेचैनी बहुत ज़्यादा बढ़ गई और उस का जिस्म पसीने से भीगने लगा.

शाज़िया को तो पहले ही उस की सहेली नीलोफर की भेजी हुई आक्ट्रेस की नगी तस्वीरो ने पागल कर रखा था. मगर आज अपनी दोस्त नीलोफर की चुदाई की मूवी को देख कर शाजिया के जिस्म में एक ऐसी आग जल उठी थी. जिस को संभालना अब उस के लिए बहुत ही मुस्किल हो रहा था.

शाज़िया को टीवी पर चलने वाली फिल्म में खोया हुआ पा कर नीलोफर दिल ही दिल में बहुत खुश हुई. और उस ने शाज़िया के चेहरे को अपने हाथो में थामा और शाज़िया की आँखों में अपनी आँखे डाल कर उसे देखने लगी.

नीलोफर ने शाज़िया की आँखों में हवस की आग के शोले बुलंद होते देख लिए थे.

नीलोफर के हाथ अपने चेरे से लगते ही शाज़िया के जिस्म में एक करेंट सा दौड़ गया.

नीलोफर: शाज़िया मेरी जान तुम भी प्यासी हो और मेरी चूत भी पानी छोड़ रही है. घर खाली है तो फिर क्यों ना इस का फ़ायदा उठाए.

नीलोफर ने शाज़िया के करीब होते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया.

शाज़िया को कस कर अपने साथ चिपटाने से शाज़िया के बड़े बड़े मम्मे नीलोफर के दरमियाँ साइज़ के चूचों से टकराए और दोनो के मम्मे एक दूसरे में घुसने लगे.

“नीलोफर छोड़ो मुझे,में कॉन सा कोई लड़का हूँ .जब तेरे यार मिलें गे तो उन से अपनी प्यास बुझवा लेना” शाज़िया ने अपने जिस्म को नीलोफर की क़ैद से आज़ाद करने की कोशिस करते हुए कहा.

लेकिन नीलोफर पर तो आज जैसे चुदाई का भूत सवार था.

“शाज़िया आज में तुम को यह बात अच्छी तरह सम्झाउन्गी कि जिस तरह एक औरत दूसरी औरत के जज़्बात और अहसासात को समझ सकती है. उस तरह मर्द कभी नही जान सकते.”यह कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया के जिस्म के गिर्द लिपटे तोलिये को एक दम खोल दिया. जिस की वजह से शाज़िया का जिस्म नीलोफर की निगाहों के सामने पूरा नंगा हो गया.

शाज़िया को नंगा करते ही नीलोफर ने अपना एक हाथ शाज़िया की टाँगों के बीच ला कर उस की गरम चूत पर रखा. जब कि अपने दूसरे हाथ से नीलोफर ने शाज़िया के बाँये मम्मे को काबू करते हुए कहा”ओह शाज़िया तुम्हारी चूत तो किसी आग की भट्टी की तरह तप रही है!!! और तुम्हारे मम्मे बड़े मस्त हैं,मुझे अपने साथ मस्ती करने दो और खुद भी मेरे साथ मस्ती कर के ज़िंदगी के मज़े लो मेरी रानी!!”

यह कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया की चूत के ऊपर घुमाते हुए अपने हाथ की एक उंगली को शाज़िया की चूत में”घुपप्प्प” से घुसा दिया.

“हाआआआआअ” अपनी चूत में नीलोफर की उंगली को जाता हुआ महसूस कर के शाज़िया के मुँह से सिसकारी निकली. तो उस का बंद मुँह एक दम से खुद ब खुद खुल गया.जिस की वजह से नीलोफर की ज़ुबान शाज़िया के मुँह के अंदर दाखिल हो कर उस की ज़ुबान से टकराने लगी.

शाज़िया को अपने मुँह से बे इख्तियार निकलने वाली इस सिसकारी पर हैरत हुई. कि बजाय इस के वो नीलोफर को इस हरकत से रोके.उस की चूत ने तो ना सिर्फ़ नीलोफर की उंगली को अपने अंदर लेना पसंद किया. बल्कि वो तो नीलोफर के पूरे हाथ को अपने अंदर समेटने की तमन्ना करने लगी थी.
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शाज़िया भी अब नीलोफर की छेड़ छाड़ से गरम हो गई और उसी गरमी का यह असर था.और शायद इस गर्मी का नतीजा था कि जिस की बदोलत शाज़िया के हाथ अब अपने आप ही नीलोफर के चूचों पर चले गये और वो भी अब अपनी सहली के चूचों को अपने हाथ में थाम कर उन्हे आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगी.

आज नीलोफर ने शाज़िया के जिस्म के अंदर की आग को अपनी बातों और हरकतों से इस तरह उभारा था. कि शाज़िया नीलोफर के आगे बे बस हो कर अपने आप को अपनी सहेली के रहमो करम पर छोड़ने पर तूल गई.

शाज़िया तो पहले ही अपनी सहली की मेहरबानी से मुकम्मल नंगी हो चुकी थी

अब शाज़िया भी यह चाहती थी.कि नीलोफर भी उस की तरह पूरी बे लिबास हो जाय. ता कि वो भी नीलोफर के जिस्म के निशे-बो-फिराज़ को देख सके.

इस से पहले कि वो नीलोफर से अपनी ख्वाहिश का इज़हार करती. नीलोफर ने खुद ही शाज़िया से अलहदा होते हुए एक एक कर के अपने सारे कपड़े अपने जिस्म से उतार फेंके.

शाज़िया ने आज पहली बार अपने अलावा किसी और औरत को अपनी आँखों के सामने इस तरह हालत में पूरा नंगा देखा था.

इस के बावजूद कि शाज़िया किसी भी तरह से लेज़्बीयन नही थी. मगर फिर भी अपनी सहेली को यूँ अपने सामने नंगी हालत में देख कर शाज़िया के बदन से पसीना छूटने लगा और उस की चूत में लगी आग मज़ीद भड़क उठी.दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं

नीलोफर अपनी दोस्त की आँखों के बदलते हुए रंग को देख कर समझ गई कि उस की दोस्त को उस का यूँ नंगा होना अच्छा लगा है.

शाज़िया के इस अंदाज़ देख कर नीलोफर को यकीन हो गया कि अब उस के लिए शाज़िया को काबू करना मुस्किल नही रहा.

यह सोचते हुए नीलोफर नंगी हालत में शाज़िया के नज़दीक हुई. और उस ने जिन्सी गरमी की वजह से पसीना पसीना होते हुए शाज़िया के जिस्म को अपनी बाहों में दुबारा बाँधा. फिर अपने होंठ शाज़िया के पसीने से भीगी हुई गर्दन पर रख कर नीलोफर उस की गर्दन को चूमने लगी,चाटने लगी.

अपनी गरदन पर चिपके नीलोफर के होंठ शाज़िया को मदहोश करने लगे और मज़े से उस की आँखे बंद हो गईं.

थोड़ी देर में नीलोफर के होन्ट शाज़िया की गर्दन से से हट कर रेंगते हुए उस के गालो को किस करते शाज़िया के होंठो पर आन टिके.

नीलोफर के गुदाज होंठो ने शाज़िया के होंठो में को अपने क़ैद में लिया तो शाज़िया पिघल कर रह गई.


एक औरत के साथ ऐसे प्यार का अंदाज़ शाज़िया के बिल्कुल अनोखा और अलग था. जिस का स्वाद वो ज़िंदगी में पहली बार ले रही थी.

नीलोफर के तपते होंठ शाज़िया के लबों पर आ कर उस के भीगे होंठों को चूमने लगे.

अपने लबों पर नीलोफर के लबों को महसूस करते ही शाज़िया के होंठ खुद ब खुद खुलते चले गये.


नीलोफर की लंबी ज़ुबान अब शाज़िया के मुँह में दाखिल हो कर शाज़िया की ज़ुबान से अपनी लड़ाई लड़ने लगी.


उन दोनो के थूक मिक्स होने लगे और वो एक दूसरे की ज़ुबान को चूसने लगीं.

शाज़िया के हाथ नीलोफर के बालों में घूम रहे थे. जब कि नीलोफर के हाथ शाज़िया के नंगे मम्मो को अपने हाथों में थाम कर उन से खेलने में मसरूफ़ थे. दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं

दोनो सहेलियो के हाथों और ज़ुबानो ने एक दूसरे के जिस्म और चूत में जिन्सी आग का शोला भड़का दिया था. जिस को ठंडा करना अब उन के लिए लाज़िम था.

दोनो सहेलिया एक दूसरे के होंठो को चूस्ते चूस्ते पास पड़े बिस्तर पर आ पहुँची.

बिस्तर कर करीब आते ही नीलोफर ने धक्का दिया तो शाज़िया कमर के बल बिस्तर पर गिर गई.

शाज़िया के बिस्तर पर लेटते ही नीलोफर भी उस के जिस्म के ऊपर चढ़ कर लेट गई.

बिस्तर पर एक धम्म से गिरने की वजह से शाज़िया के बड़े बड़े मम्मे उस की छाती पर अभी टक थक ठक कर के उछल रहे थे.

शाज़िया के चूचों को इस तरह उछलते देख कर नीलोफर और जज़्बाती हुई.और उस ने अपने मुँह को आगे बढ़ा कर अपनी सहेली के मोटे उभरे हुए निपल्स को अपने मुँह में भर का चूसना शुरू कर दिया.


नीलोफर के होंठ शाज़िया के निपल्स से ज्यों ही टच हुए. तो शाज़िया के निपल उस चूचों पर पहले से भी ज़्यादा एक शान से तन कर खड़े हो गये.

शाज़िया का अंग अंग जवानी की आग में दहक रहा था. उस की साँसे बहुत तेज़ी से चलने लगीं.

जब कि पसीने से भीगे हुए उस के चूचों को नीलोफर दीवाना वार चूस चूस कर अपने होंठो और मुँह से मज़ीद गीला कर चुकी थी.

शाज़िया के निपल्स और मम्मे चूसने और चाटने के बाद नीलोफर शाज़िया के पेट पर झुकी और फिर वो शाज़िया के पेट पर अपनी गरम ज़ुबान फिराने लगी.

शाज़िया का पसीने छोड़ता नमकीन बदन नीलोफर को बहुत ही मज़ेदार लग रहा था.

इस मज़े में मदहोश होते हुए उस की ज़ुबान अपनी सहेली के जिस्म का अंग अंग को चूसने लगी.

अब नीलोफर के गीले होंठ शाज़िया की धुनि के पास से सरकते सिरकते हुए नीचे की तरफ सफ़र करने लगे.

और आहिस्ता आहिस्ता नीलोफर की ज़ुबान शाज़िया की चूत की पास पहुँच गई.दोस्तो आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं

अपनी चूत के इतने नज़दीक नीलोफर के होंठो को महसूस कर के पहले तो शाज़िया को समझ ही नही आई कि नीलोफर करने क्या जा रही है.


नीलोफर शाज़िया की प्यासी चूत के इतने नज़दीक थी.कि उस के मुँह से निकलती हुई गरम साँसे शाज़िया को अपनी चूत पर सॉफ महसूस हो रही थीं.

नीलोफर: शाज़िया एक औरत जब किसी दूसरी औरत की चूत पर अपनी ज़ुबान फेरती है तो क्या होता है यह तुम आज खुद महसूस कर लो मेरी जान.

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