वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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अपनी बहन की ये भरपूर अंगड़ाई देख कर ज़ाहिद भी मदहोशी में अपने लंड को पकड़ कर मचल उठा. और वो अपनी पॅंट की पॉकेट में हाथ डाल कर पॅंट में खड़े अपने मोटे लंड से खेलने लगा.

कुछ देर शेषे के सामने अपने जिस्म का अच्छी तरह से दीदार करने के बाद शाज़िया अपने पलंग पर आ गई.

पलंग पर लेट कर उस ने अपनी जवानी को बिस्तर की चादर से ढँक लिया. और हाथ बढ़ा कर कमरे में जलती लाइट को बंद कर दिया.

बहन की जवानी का शो ख़तम हो चुका था. इसीलिए ज़ाहिद भी चलता हुआ अपने कमरे में दाखिल हुआ.

ज़ाहिद का लंड अपनी बहन के बदन के नज़ारे से फुल मस्ती में आया हुआ था.

अपनी कमरे में आते साथ ही ज़ाहिद भी अपने कपड़े तब्दील कर के अपने बिस्तर पर लेट गया.

मगर अपनी बहन की जवानी का ताज़ा ताज़ा नज़ारा देख कर आज नींद उस की आँखों से कोसो दूर भाग चुकी थी.

ज़ाहिद अपनी आँखे बंद किए अपने बिस्तर पर लेटा अपनी बहन के बारे में सोच सोच कर गरम हो रहा था.और उस के हाथ उस की शलवार में खड़े उस के लंड पर आहिस्ता आहिस्ता फिसल रहे थे.

“ओह शाज़िया क्या मस्त मम्मे हैं तुम्हारे और क्या शानदार टाइट चूत हो गी तुम्हारी,हाईईईईईईई,काश तुम मेरी सग़ी बहन ना होतीईईईईइ”. ज़ाहिद अपने लंड से खेलते हुए अपनी बहन के जिस्म को ज़हन में ला कर उस के नाम की मूठ लगा रहा था.

ज़ाहिद को समझ नही आ रही थी.कि उस की बहन इतना ज़्यादा गरम और प्यासी होने के बावजूद अभी तक उस के साथ चुदाई के लिए क्यों रज़ा मंद नही हो रही थी.

ज़ाहिद काफ़ी देर तक इसी सोच में गुम रहा. कि वो किस तरह कुछ ऐसा करे कि उस की बहन गरम हो कर अपने ही आप एक पके हुए फल की तरह उस की झोली में आन गिरे.

ये सोचते सोचे ज़ाहिद को ख्याल आया. कि क्यों ना वो आज रात की तरीकी में अपनी बहन के कमरे में जा कर एक बार फिर अपनी किस्मेत आज़माई करे.

“अगर तो शाज़िया आराम से चुदवाने पर राज़ी हो गई तो ठीक,वरना आज जबर्जस्ती उसे चोद कर ज़रूर अपनी और उस के प्यासे जिस्म की प्यास बुझा लूँगा” ज़ाहिद ने अपनी दिल ही दिल में ये फ़ैसला कर लिया.

(ज़ाहिद के लिए अपनी बहन के अंदर से लॉक हुए रूम में दाखिल होना कोई मुश्किल बात नही थी. इस की वजह ये थी.कि जिस आदमी से ज़ाहिद ने ये मकान खरीदा था. उस ने इस घर के सारे कमरों में ऐसे लॉक लगवाए थे. जिन को बाहर से चाभी लगा कर भी खोला जा सकता था.और मकान बेचते वक्त उस ने ज़ाहिद को घर के सारे कमरों की कीस भी दे दी थी.)

साथ साथ ज़ाहिद को ये भी पता था. कि इन दिनो उस की अम्मी रज़िया बीबी को ब्लड प्रेशर ज़ियादा हो जाने की वजह से सकून के लिए डॉक्टर ने स्लीपिंग टॅबलेट का इस्तेमाल भी शुरू करवा दिया है. जिस वजह से एक दफ़ा सोने के बाद रज़िया बीबी को दूसरी सुबह तक कोई होश नही रहता था.

इसीलिए ज़ाहिद इस बात से निश्चिंत था.कि रात के इस पहर अपने भाई को अपने कमरे में देख कर अगर शाज़िया ने शोर भी मचाया. तो नींद की गोली के असर की वजह से उस की अम्मी का जाग जाना बहुत मुश्किल बात होती.

ये सब सोचते हुए ज़ाहिद अपने बिस्तर से उठ खड़ा हुआ.और अपने लंड को मसलता हुआ शाज़िया के कमारे की तरफ चला आया.

अपनी बहन के कमारे के बाहर कुछ देर खड़ा हो कर ज़ाहिद ने कमरे के अंदर किसी किस्म की हरकत की आवाज़ सुनने की कोशिश की. ता कि उसे अंदाज़ा हो सके कि वाकई ही शाज़िया सो भी चुकी है या नही.

जब ज़ाहिद ने अपनी तसल्ली कर ली. तो उस ने अपनी कमीज़ की पॉकेट से कमरे की चाभी निकाली. और बहुत खामोशी और अहतियात से दरवाज़ा खोल कर बहन के कमरे में दाखिल हो गया.

ज़ाहिद ज्यों ही दबे पावं शाज़िया के कमरे में एंटर हुआ. तो सामने का नज़ारा देख कर उस का दिल और लंड दोनो ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगे.



शाज़िया अपने बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी. उस की पतली शलवार उस की मोटी गुदाज गान्ड पर इस तरह कसी हुई थी. कि शलवार में से शाज़िया की भारी गान्ड की पहाड़ियाँ साफ तौर पर नज़र आ रही थी.
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पेट के बल इस तरह लेटने की वजह से शाज़िया के चूतड़ो का उभार बहुत ही जान लेवा था.

बहन की गान्ड का ये नज़ारा देख कर ज़ाहिद की आँखें फटी रह गईं.

बाथरूम के बल्ब से आती हल्की रोशनी में शाज़िया की उठी हुई गान्ड को देख देख कर ज़ाहिद का दिल और लंड अपनी पूरी मस्ती में आ चुका था.

आज रात ज़ाहिद अपनी बहन की जवानी का ज़ायक़ा चखने के पूरे मूड में था.

मगर अपनी बहन के बदन को छूने से पहले वो यकीन करना चाहता था. कि उस की बहन वाकई ही अपनी गहरी नींद में सो रही है कि नही.

क्यों कि ज़ाहिद को ये तो पता था. कि उस के हाथों की छेड़ छाड़ से शाज़िया उठ तो यक़ीनन जाए गी.

मगर वो ये ज़रूर चाहता था. कि शाज़िया उस वक्त ही अपनी नींद से जागे जब उस की फुद्दि इतनी गरम हो चुकी हो. कि फिर उस के लिए अपने भाई के लंड को अपनी फुद्दि में लेने में कोई शरम महसूस ना हो.

इसीलिए ज़ाहिद ने अपनी बहन के गान्ड के पीछे खड़े हो कर शाज़िया को हल्के से पुकारा “ शाज़िया,सो गयी क्या?”.

जब शाज़िया ने कोई जवाब नही दिया. तो ज़ाहिद को यकीन हो गया कि शाज़िया पूर सकून नींद में डूबी हुई है.

अपनी बहन को सोता पा कर अब ज़ाहिद की हिम्मत बढ़ गयी.

अब ज़ाहिद से बिल्कुल सबर नही हो रहा था. इसीलिए उस ने अपना खेल शुरू कर दिया.

ज़ाहिद ने बहुत आहिस्ता से हाथ बढ़ा कर अपनी बहन के चूतड़ पर हाथ फेरना शुरू किया.



अपनी बहन की गोश्त से भरी गान्ड को छूते ही ज़ाहिद के दिल की धड़कन तेज़ होने लगी.

शाज़िया के भारी चूतड़ पर आहिस्ता आहिस्ता हाथ फेरते हुए ज़ाहिद ने हल्के से अपनी एक उंगली को शाज़िया के चूतड़ो की दरार में फेरा.

लेकिन शाज़िया जिस पोज़िशन में सो रही थी. इस पोज़िशन में उस की गान्ड का सुराख शाज़िया की गान्ड की दोनो पहाड़ियों में डूबा हुआ था.इसीलिए चाहने के बावजूद ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड की मोरी को छू ना सका.

इस के बावजूद कि शाज़िया की गान्ड का सुर्ख ज़ाहिद की आँखों और हाथों से पोषीदा था.

मगर फिर भी ज़ाहिद ने हल्का से नीचे झुक कर अपना मुँह अपनी बहन की गान्ड के पीछे रखा. और अपनी बहन की गान्ड की महक को अपनी सांसो में महसूस कर के अपने लंड से खेलने लगा.

बहन की गान्ड की खुसबू ने ज़ाहिद को इतना गरम कर दिया कि ज़ाहिद अब अपने होश हवास खो बैठा था.

ज़ाहिद के लंड में आग लग चुकी थी. उस की शलवार में उस का लौडा कसमसा रहा था.

ज़ाहिद ने अपनी शलवार का नाडा खोला और अपनी शलवार को पकड़ कर अपनी टाँगों से अलग कर के आधा नंगा हो गया. और अपनी बहन की गुदाज गान्ड को देख कर अपने मोटे लंड की मूठ लगाने लगा.

ज़ाहिद अपने काम में मसरूफ़ था. के अचानक शाज़िया करवट बदलते हुए सीधी हो कर लेट गई.

शाज़िया के यूँ एक दम करवट लेने से मूठ लगाता ज़ाहिद डर गया. कि कहीं शाज़िया की अचानक आँख ही ना खुल जाए.

मगर जब ज़ाहिद ने देखा कि करवट बदलने के बावजूद शाज़िया की नींद से आँख नही खुली तो उसे सकून सा आ गया.

ज़ाहिद अपनी बहन के बिस्तर के पास खड़ा हो कर बड़े गौर और प्यारसे अपनी बहन का चेहरा देखने लगा.

शाज़िया सोते हुए बहुत ही मासूम और प्यारी लग रही थी. अपनी बहन के सोते हुए चेहरे की मासूमियत ज़ाहिद को पागल करने के लिए काफ़ी थी.

शाज़िया के चेहरे को देखते देखते ज़ाहिद की नज़र अपनी बहन की भारी भारी छातियों पर चला गई. जो कि शाज़िया के साँस लेने की वजह से उस के सीने की ताल से ताल मिलाते हुए बहुत दिलकश अंदाज़ में उपेर नीचे हो रही थी.

अपनी बहन की छातियो का ये दिल फ़रैब डॅन्स देख कर ज़ाहिद का लंड भी अपनी बहन की छातियों की तरह ज़ाहिद के हाथ में उछल कूद करने लगा.

उस के डिक के अंदर बैठा शैतान उसे बार बार उकसा रहा था. कि वो क्यों देर कर रहा है. आज मोका है आगे बढ़ो और अपनी नींद में मदहोश बहन के बदन पर चढ़ कर चोद दो अपनी बहन को.

आज कुछ भी हो जाए ज़ाहिद इस मोके को अपने हाथ से जाने नही देना चाहता था.

उस ने आहिस्ता आहिस्ता अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की तनी हुई छाती पर रखा और उसे सहलाने लगा.



“उफफफफफफफफफफफ्फ़ 31 साल की होने के बावजूद मेरी बहन की चुचियाँ पत्थर की तरह सख़्त हैं,लगता है मेरा सबका बहनोई ने मेरी बहन की छातियो का सही इस्तेमाल नही किया,इसी वजह से मोटी और भारी होने के बावजूद ये अभी तक ढीली नही पड़ी” ज़ाहिद ने अपनी बहन की छाती पर अपना हाथ फेरते हुए अपने आप से कहा.

ज़ाहिद अपनी बहन से इस तरह की छेड़ छाड़ तो दो दफ़ा पहले भी कर चुका था. इसीलिए आज उस का दिल इस किसम की हरकत से नही भर रहा था.

उस का दिल चाह रहा था.के आज जिस मकसद के लिए वो रात की टर्की में अपनी बहन के बेड रूम में घुसा है.वो मकसद अब ज़रूर पूरा करे और ज़ाहिरी सी बात है वो मकसद था अपनी सग़ी बहन की चूत का “हसूल”.

ज़ाहिद जानता था.कि इस का ये मकसद उस वक्त तक नही पूरा हो सकता.जब तक वो अपनी सोई हुई बहन के जिस्म के ऊपर चढ़ कर उस की गरम फुद्दि से अपने जवान मोटे लंड को रगड़ रगड़ कर अपनी बहन की चूत को गीला ना कर दे.

ये ही सोचते हुए ज़ाहिद ने अपनी नींद में मदहोश बहन के जिस्म का जायज़ा लिया.
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शाज़िया इस स्टाइल में सोने से उस की दोनो टाँगों के दरमियाँ काफ़ी गॅप आ गया था.

शाज़िया के सोने इस स्टाइल को देख कर ज़ाहिद के ज़हन में एक ख्याल आया. और वो आहिस्ता से अपनी बहन के बिस्तर पर चढ़ गया.

बेड पर जाते ही ज़ाहिद आहिस्ता से अपनी बहन की टाँगों के दरमियाँ वाली खाली जगह पर बैठा. और फिर अपने दोनो बाजुओं को शाज़िया के जिस्म के दाए और बाईं (राइट और लेफ्ट) रख कर आहिस्ता से गहरी नींद में मदहोश अपनी बहन शाज़िया के जिस्म के ऊपर इस तरह झुकता चला गया. कि उस के अपने जिस्म का सारा बोझ उस की अपनी कोहनियों पर आ गया.

ज़ाहिद के इस तरह शाजिया के बिल्कुल ऊपर लेटने से ज़ाहिद का मुँह शाज़िया के मुँह के बिल्कुल नज़दीक आ गया.

ज़ाहिद का मुँह शाज़िया के इतने नज़दीक पहुँच हुआ था. कि ज़ाहिद के मुँह से निकलती उस की गरम साँसें शाज़िया के मुँह से टकराने लगीं.

सोई होने के बावजूद शाज़िया को अपने भाई की गरम साँसे अपने चेहरे पर महसूस होने लगीं थी.

जिन को महसूस करते ही शाज़िया ऐसा लगा कि कोई चीज़ उस के बदन के ऊपर माजूद है. जिस वजह से शाज़िया एक दम हड बड़ा कर अपनी नींद से जाग गई.



ज्यों ही शाज़िया ने अपनी नींद से बे दार हो कर रात के अंधेरे में अपने जिस्म पर अपने भाई को झुका हुआ पाया. तो उस का चेहरा खोफ़ और शरम कर मारे पसीने से भीग गया.

“ज़ाहिद भाई ये आप क्या कर रहे हैं” शाज़िया ने अपने ऊपर पड़े अपने भाई के मज़बूत जिस्म को हटाने की नाकाम कोशिस करते हुए कहा.

“में आज वो ही करने जा रहा हूँ,जो मुझे बहुत पहले कर लेना चाहिए था”ज़ाहिद ने जब अपनी बहन को नींद से जागते देखा. तो उस के जिस्म के ऊपर अपने जिस्म का बोझ डालते हुए बोला.

“क्या मतलब,आप अपनी बहन से जबर्जस्ती करेंगे आज” शाज़िया ने अपने भाई के वज़न के तले डूबते हुए पूछा.

“हां जब घी सीधी उंगली से ना निकले तो उंगली टेढ़ी करनी ही पड़ती है शाज़िया” ज़ाहिद ने अपनी बहन के गालो को अपने दाँतों से काटते हुए कहा.

“कुछ तो खुदा का खोफ़ करें आप,सग़ी बहन हूँ में आप की,भाई तो अपनी बहन की इज़्ज़त के रखवाले होते हैं और आप हैं कि खुद ही अपनी बहन से जबर्जस्ती पर उतर आए हैं” शाज़िया ने अपने भाई को गैरत दिलाने की कोशिश करते हुए कहा.

“बहन हो तो क्या फरक पड़ता है? वैसे भी चूत और लंड का सिर्फ़ एक रिश्ता होता है,इस रात की तन्हाई में चूत तुम्हारे पास है और लंड मेरे पास,तो क्यों ना इन दोनो का आज आपस में मिलाप करवा दिया जाय,” ज़ाहिद ने शाज़िया के जवाब में चूत और लंड के अल्फ़ाज़ का खुलम खुल्ला इस्तेमाल करते हुए अपनी बहन को जवाब दिया.

साथ ही ज़ाहिद ने शाज़िया के एक हाथ को पकड़ा और उस को खैंचता हुआ अपने नंगे लंड पर ला कर रख दिया.

अपने भाई के नंगे मोटे गरम लंड को अपने हाथ में महसूस करते ही शाजिया शरम से कांप गई.

शाज़िया को अपनी हथेली पर बहुत ज़्यादा गर्मी सी महसूस हुई. और उस ने एक दम से अपना हाथ ज़ाहिद के लंड से वापिस खींच लिया.

आज काफ़ी अरसे के बाद शाज़िया ने किसी मर्द के लंड को छुआ था. और भाई के लंड को छूते ही शाजिया को भाई के लंड की सख्ती और उस की तपिश का अंदाज़ा हो गया था.

“उफफफफफफफफफ्फ़ भाई आप को शरम आनी चाहिए अपनी बहन के सामने ऐसी गंदी ज़ुबान इस्तेमाल करते और ऐसी गंदी हरकत करते हुए” शाज़िया ने अपने भाई के मुँह से लंड और चूत का ज़िक्र सुनते और उस को अपना लंड पकड़ाने की हरकत पर गुस्से में आते हुए भाई से कहा.

ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात अनसुनी करते हुए शाज़िया के जिस्म से थोड़ा सा ऊपर उठ कर अपनी कमीज़ भी उतार फैंकी. और अपनी बहन के जिस्म के ऊपर पूरा नंगा लेट गया.



शाज़िया को आज अपने सामने अपने ही भाई को नंगा होते देख कर बहुत शरम आई और उस ने मारे शरम के उस ने फॉरन अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया.

“बस बहुत हो गया शरम वरम का ये नाटक ,तुम जानती हो कि तुम्हारी इस जवानी को रोज़ मर्द की ज़रूरत है,और में तुम्हारे बदन की प्यास बुझाने के लिए तुम्हारी खिदमत में हाज़िर हूँ,अब और मत तड़पाओ मुझे ” ज़ाहिद ने ये कहते हुए अपने होन्ट शाज़िया के होंठो पर रखना चाहे. तो शाज़िया नहीं मानी और तकिये पे सर इधर उधर अपना सर हिला कर अपने होंठ अपने भाई के होंठो से बचाती रही.

“कोई फ़ायदा नहीं शाज़िया, यकीन मानो तुम्हारे इस तरह के नखरों से मेरा लंड और गरम होता है मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन की हरकत पर मुस्कुराते हुए कहा.
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इस के साथ ही जोश में आ कर ज़ाहिद ने अपने जिस्म को अपनी बहन के जिस्म से चिपकाते हुए शाज़िया के हाथों को उस के सर के पीछे कर के अपने हाथों से दबा दिया. और अपने होन्ट अपनी बहन के होंठो पर रखने की कोशिश करने लगा.

मगर शाज़िया अपने सर को इधर उधर करके ज़ाहिद की इस कोशिश को नाकाम बनाने पर तुली हुई थी. इसीलिए अपनी बहन के होंठो को चूमने की कोशिश के दौरान कई दफ़ा ज़ाहिद का मुँह शाज़िया के मुँह से लगा लेकिन शाज़िया ने फॉरन ही अपना मुँह हटा लिया.

फिर कुछ देर बाद जब शाज़िया अपन सर हिला हिला कर थक गई. तो ज़ाहिद भी आख़िर अपनी बहन के खुले मुँह पर अपना मुँह रख कर शाज़िया के मज़े दार होंठो का रस पीने लगा.

साथ ही ज़ाहिद अपने आधे नंगे धड़ (जिस्म) को अपनी बहन की शलवार में छुपी चूत के ऊपर लाया. और किस्सिंग के साथ साथ अपने नंगे लंड को अपनी बहन की चूत पर हल्का हल्का रगड़ने लगा.

आज तक़रीबन दो साल के अरसे के बाद अपनी चूत के लबों पर एक मर्द का लंड फिसलता हुआ पा कर शाजिया की चूत को मज़ा आने लगा.

हर औरत की तरह शाज़िया की चूत के लिए भी लंड का मतलब सिर्फ़ लंड ही था. मगर साथ ही साथ शाज़िया का दिमाग़ ये भी जानता था.कि जिस लंड को वो आज अपने साथ रगड़ता हुआ पा कर उस की चूत अपना पानी छोड़ने के मूड में आ चुकी है. वो किसी आम मर्द का लंड नही बल्कि उस के अपने सगे भाई का लंड है. और कुछ भी हो ये लंड शाज़िया की चूत के लिए रेगिस्तान मे पानी है.

ये सोच दिमाग़ में गूंजते ही शाज़िया ने अपने भाई को अपने जिस्म के ऊपर से हटाने की फिर कॉसिश की. मगर अपने हट्टे कट्टे भाई के सामने उस की एक ना चली.

ज़ाहिद शाज़िया के एक हाथ को आज़ाद करते हुए अपना एक हाथ अपने और शाज़िया के जिस्मो के बीच लाया.और उस ने अपनी बहन की शलवार के नाडे को पकड़ कर खैंचने की कोशिश की.

शाज़िया ने फॉरन अपने आज़ाद हाथ से अपनी शलवार के नाडे को मज़बूती से पकड़ लिया.

“छोड़ो शाज़िया आज में रुकने वाला नही” ज़ाहिद ने जब शाज़िया को नाडा मज़बोती से पकड़े देखा तो बोला.

“नही भाई रहम कर मुझ पर और इतना बड़ा गुनाह मत करो” शाज़िया ने अपने भाई से फरियाद की.

ज़ाहिद पर तो चुदाई का भूत सवार था. इसीलिए उस के दिल पर आज अपनी बहन की किसी फरियाद का असर नही होने वाला था. इसीलिए उस ने शाज़िया की बात की परवाह ना करते हुए उस की शलवार का नाडा खोलने की ट्राइ करता रहा.

जब ज़ाहिद ने देखा कि शाज़िया अपनी शलवार का नाडा छोड़ने पर तैयार नही. तो वो नाडे को छोड़ कर आगे झुका और अपनी बहन की भारी छातियों को अपने हाथ में थामते हुए कमीज़ के ऊपर से ही उन को अपने मुँह से चूमने लगा.

साथ ही साथ शाज़िया का जिस्म थोड़ा ढीला पड़ा. तो ज़ाहिद का मोटा सख़्त लंड अपनी बहन की गुदाज रानो से रगड़ ख़ाता हुआ उस की दोनो रानो के दरमियाँ फँस गया.

नीलोफर या किसी और को चोदे हुए ज़ाहिद को आज काफ़ी दिन हो चुके थे.

इस अरसे के दौरान अपनी बहन के गरम जिस्म को देख कर और उस के साथ मस्तियाँ कर कर के ज़ाहिद इतना गरम हो चुका था. कि अपनी बहन की चूत और रानो की बे इंतिहा गर्मी को उस की शलवार के अंदर से महसूस करते ही ज़ाहिद के लिए अपने आप को कंट्रोल करना मुहाल हो गया. और एक झटके के साथ "अहह" करते हुए ज़ाहिद के लंड ने अपना सारा थिक माल अपनी बहन की शलवार में पोषीदा फुद्दि के उपर उडेल दिया.
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