ब्रा वाली दुकान complete

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kunal
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Re: ब्रा वाली दुकान

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अब मुझे दुकान पर काम करते करीब 2 साल से अधिक का समय हो चुका था। और मेरा वेतन भी अब दस हजार तक पहुंच चुका था और बहुत अच्छा गुजारा हो रहा था। साथ ही मैंने अपनी नौकरी के 5 महीने बाद ही एक कमेटी भी डाल ली थी और इस कमेटी के अलावा भी पैसे जोड़ रहा था। अब मेरा अपनी दुकान बनाने का इरादा था। मेरे पास अब 2 लाख से अधिक की राशि मौजूद थी, कुछ अब्बा की पेंशन कुछ मेरी कमेटी और कुछ मेरी अपनी बचत जो हर महीने करता था वह मिल मिलाकर उतनी थी कि मैं एक छोटी दुकान को सामान से भर सकता था, मगर मुद्दा था दुकान लेने का। दुकान की पगड़ी ही इतनी थी कि आम आदमी तो दुकान बनाने की सोच भी नहीं सकता था इसलिए मैं किसी छोटी बाजार के बारे में सोच रहा था, जैसे शाह सदस्य मौलवी गुलशन बाजार या फिर गलगशत द्वारा गरदीज़ी बाजार। यह दोनों बाजार थीं तो छोटी मगर यहां जरा मॉर्डन लड़कियाँ खरीदारी के लिए आती थी। फिर एक दिन मेरी किस्मत जागी और फिर से वही लैला आंटी जिन्हें पहली बार मैने ब्रा बेचा था वह मेरी दुकान पर आईं तो बातों ही बातों में मेरी उनसे बात हुई कि मैं अपनी दुकान बनाने के बारे में सोच रहा हूँ, बस दुकान लेने की समस्या है।

जिस समय यह बात हुई तब हाजी साहब दुकान पर मौजूद नहीं थे। मेरी बात सुनकर लैला मेडम ने पूछा कि कहां पर करेंगे दुकान? और कितने पैसे चाहिए होते हैं दुकान के लिए ?? तो मैंने मेडम को दोनों बाजारों के बारे में बता दिया और बताया कि माल लाने के लिए जो मेरे पास पैसे है इतनी ही राशि दुकान को भी चाहिए। तब मेडम मुझे कहा तुम मेरी बात मानो तो मैं तुम्हारी मुश्किल आसान कर सकती हूँ ... मेरे कान तुरंत खड़े हो गए और मैंने कहा जी मेडम बताओ ऐसी कौन सी बात है जो मानने पर आप मेरी मदद करेंगे ??? लैला मेडम ने कहा अगर तुम गुलशन बाजार या गरदीज़ी बाजार की बजाय शरीफ प्लाजा में दुकान बना लो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ ... शरीफ प्लाजा कचहरी के पास है जहां एक फ्लाईओवर भी गुजरता है। शरीफ प्लाजा नाम सुनकर हंसा और कहा मेडम मेरी इतनी सामर्थ्य कहां कि वहाँ दुकान बना सकूँ वहां तो बहुत बड़ी बड़ी और महंगी दुकानें हैं। लैला मेडम कहा वही तो मैं तुम्हें कह रही हूँ तुम वहाँ दुकान खोलना तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। अगर आप पूरी बात सुन लोगे तो शायद हम दोनों का काम आसान हो सके। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )

मैंने कहा जी मेडम बताएं। उन्होंने कहा शरीफ प्लाजा में एक दुकान है जो मेरी अपनी है, वह हम ने किसी को किराए पर दी हुई थी, मगर फिर मेरे पति ने वहां अपना कारोबार बनाने का सोचा तो जिन्हें दुकान दी थी उन्होने दुकान खाली करने से इनकार कर दिया । काफी प्रयास के बावजूद भी जब वे दुकान खाली न हुई तो हम ने उन्हें न्यायिक नोटिस भिजवा दिया जिस पर उन्होंने मेरे पति को धमकी देना शुरू कर दिया मैंने अपने शोहर से कहा छोड़ो उस दुकान को अपना नोटिस वापस ले लो हम कोई और काम करेंगे उन गुण्डों से टक्कर लेने का कोई फायदा नहीं। मगर मेरे पति नही माने और उन्होंने कहा, हम किसी को इस तरह अपनी संपत्ति पर कब्जा करने नहीं देंगे। केस चला और अदालत ने हमारी पक्ष में फैसला दिया और पुलिस को कहा कि दुकान खाली करवाई जाए। पुलिस ने 2 दिन में ही दुकान तो खाली करवा दी मगर उन लोगों ने अपना गुस्सा निकालने के लिए कुछ गुण्डों को भेजा जिन्होंने मेरे पति को डराया और इतना प्रताड़ित किया कि वह पिछले 6 महीने से बिस्तर पर हैं और अभी कुछ और साल तक वह उठ कर बैठ नहीं सकेंगे उनकी कमर की हड्डी को काफी नुकसान पहुंचा है। वैसे तो हमें पैसे की कमी नहीं, ज़मीन से काफी पैसा आ जाता है मगर वह दुकान खाली नहीं रखना चाह रही, क्या पता उधर फिर कोई कब्जा कर ले खाली दुकान देखकर।

वो दुकान तुम्हें किराए पर दे सकती हूँ, तुम वहाँ अपना काम करो, तुम मुझे शरीफ इंसान लगते हैं, हमारा अनुबंध होगा कि 5 साल से पहले हम तुम्हें दुकान खाली करने के लिए नहीं कहेंगे। उसके बाद अगर दुकान खाली करवानी हुई तो हम तुम्हें 3 महीने पहले बता देंगे ताकि आप अपनी व्यवस्था कर सको। लैला मेडम शांत हुईं तो मेरे जवाब का इंतजार करने लगीं। मैंने कुछ सोचते हुए कहा वह तो ठीक है मेडम मगर जितना किराया हैं शरीफ प्लाजा का में वह कैसे दूंगा ??? और फिर दुकान की पगड़ी भी होती है जो शरीफ प्लाजा में 5 लाख से कम नहीं। मेडम ने कहा उसकी तुम चिंता मत करो, हमे अभी में पैसे नहीं चाहिए, बस दुकान पर कोई काम होना चाहिए ताकि खाली दुकान देखकर उस पर कोई कब्जा न करे। पगड़ी तुम मत देना और दुकान किराया 15 हजार होगा मगर वह भी पहले 6 महीने आप कोई किराया मत देना। जब तुम्हारा काम चल पड़ेगा तो 6 महीने बाद आप 15 हज़ारा मासिक के हिसाब से किराया देते रहना। और दुकान का जो भी काम करवाना हो वह हम तुम्हें करवा देंगे। काफी देर सोचता रहा और फिर मेडम से पूछा मगर मेडम आप मुझ पर ही क्यों इतना ऐतबार कर रही हैं? हो सकता है मैं भी आपकी दुकान पर कब्जा कर लूँ। इस पर लैला मेडम मुस्कुराई और बोली तुम मेहनत करने वाले लड़के हो, नौकरी करते हो यहाँ, 8 से 10 हजार तुम्हारी वेतन होगी तुम हम लोगों से पंगा नहीं ले सकते। जिन्हें पहले दुकान दी थी वह बड़ी पार्टी थी और उनका राजनीतिक लोगों से संबंध था जिसकी वजह से हमें मुश्किल हुई। तुम जैसे शरीफ़ आदमी से हमें कोई खतरा नहीं।

मैंने कहा ठीक है मेडम में आपको सोचकर बताउन्गा, तो मुझे दुकान बता दें कि मैं जाकर देख सकूं, उसके बाद घर वालों से परामर्श करके आपको बता दूँगा कि मेरा क्या कार्यक्रम है। मेडम ने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया और घर का पता बता दिया कि यहां आकर तुम दुकान की चाबी ले जाना ताकि दुकान देख सको और फिर सलाह करके मुझे बता देना। मैंने कहा ठीक है और उनका नंबर और पता मोबाइल में सेव किया और 8 बजे हाजी साहब से छुट्टी लेकर जल्दी जल्दी घर पहुंचा और अम्मी से इस बारे में बात की, अम्मी ने लैला मेडम को ढेरों आशीर्वाद दिए और कहा बेटा तुम्हें वह दुकान ले लेनी चाहिए इसमें तुम्हारा भी लाभ है ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम ) और तुम्हारी लैला आंटी की भी सहायता हो जाएगी। लेकिन अपने मुनब्बर अंकल से भी परामर्श कर लेना। फिर मैंने अम्मी से अपनी परेशानी व्यक्त करते हुए उन्हें बताया कि अम्मी वहां पर काम करने के लिए मेरे पास पैसे अभी भी कम हैं वहाँ कम से कम इतने ही पैसे और चाहिए होंगे क्योंकि सब कुछ अच्छी गुणवत्ता का सामान रखना होगा यह सुनकर अम्मी ने कुछ देर सोचा और फिर उठ कर अपने कमरे में गई और एक छोटी सी पोटली मेरे सामने रख दी और कहा बेटा यह मेरा छोटा सा गहना है जो मैंने मिनी के लिए रखा था कि जब उसकी शादी होगी तो दहेज बनाने के काम आएगा। मगर अब तुम अपना काम शुरू करने जा रहे हो तो इसका उपयोग करो।

मैंने मना कर दिया कि नहीं अम्मी यह आप मिनी के लिए ही रखें मेरी कोई न कोई व्यवस्था हो जाएगी में बैंक से लोन ले लूँगा। अम्मी ने सख्ती से मना कर दिया कि नहीं बेटा ब्याज पर काम करना अच्छा नहीं, बैंक तो ब्याज लेगा और जो काम ब्याज से शुरू किया जाय उसमें बरकत नहीं होती। ये गहना हमारा अपना है, इसमे तुम्हारा भी हिस्सा है और तुम्हारे भाई बहनों का भी है। उसे अपने भाई और बहनों की अमानत समझकर इस्तेमाल करो, जब तुम्हारा काम चल पड़े तो पैसे जोड़ते रहना, मिनी के बड़े होने तक तुम्हारे पास इतने पैसे जमा हो जाएंगे कि तुम फिर से इतना जेवर बनवा कर सको। मैंने कुछ देर सोचा और फिर अम्मी से वह गहने ले लिया। अगले दिन मैंने हाजी साहब को जाकर अपने इरादे के बारे में बताया तो वे थोड़े परेशान हो गए क्योंकि उनकी दुकान इस समय मेरे सिर पर चल रही थी। उनका मुझ पर एहसान था इसलिए मैंने उन्हें पहले बता देना उचित समझा कि वे तब तक किसी और लड़के की व्यवस्था कर सकें, हाजी साहब ने मुझे मना तो नहीं किया मगर मुझे यह जरूर कहा कि बेटा कम से कम आप 2 महीने तक मेरे पास ही काम करो और अपनी जगह कोई अपने विश्वास वाला लड़का भी लेकर आओ जिसको तुम्हे खुद ही प्रशिक्षण भी देना होगा। उसके बाद तुम अपना काम भगवान का नाम लेकर शुरू करना ऊपर वाला आशीर्वाद देगा

मैंने हाजी साहब को आश्वासन दिया कि यहां से रवाना होने से पहले अपनी जगह उन्हें कोई अच्छा लड़का दे दूँगा जो उनकी दुकान संभाल सके और फिर उस दिन की छुट्टी लेकर मेडम के दिए हुए पते पर चाबी लेने पहुंच गया। उनके घर के सामने जाकर मैंने मेडम के नंबर पर कॉल की तो उन्होंने चौकीदार को गेट खोलकर मुझे अंदर बुलवा लिया। यह एक आलीशान घर था, देखने से ही रहने वालों के ठाट-बाट का अनुमान हो रहा था। बड़े हॉल में चौकीदार ने मुझे बिठा दिया जहां 2 मिनट बाद ही लैला मेडम आईं और मुझे अंदर अपने बेड रूम में ले गई। बेडरूम में टीवी चल रहा था, अंदर गया तो सामने बेड पर एक व्यक्ति लेटा हुआ था, जबकि उसके साथ मेडम का छोटा बेटा खेल रहा था, मैं समझ गया कि यह मेडम पति होगा। मैंने उन्हें सलाम किया तो मेडम ने अपने पति को बताया कि सलमान है जिसके बारे में आपको बताया था। ये दुकान की चाबी लेने आया है। मेडम के पति ने कुछ देर मुझसे बातचीत की और मेरे से कुछ मेरे बारे में प्रश्न किए जैसे मैं कौन हूँ, कहाँ आवास है, पिताजी क्या करते हैं, घर में पिताजी के जाने के बाद किसने जिम्मेदारी ली आदि आदि। उनकी बातों से मैं समझ गया था कि वह जोखिम नहीं लेना चाह रहे और मेरे बारे मे पूरी तसल्ली करना चाह रहे हैं।

कुछ देर की पूछताछ के बाद उन्होंने कहा लैला इसे चाबी दे दो, बल्कि ऐसा करो खुद साथ जाओ और उसे दुकान दिखाना है, और वहाँ जो कुछ काम करवाना है वह खुद समझ लेना हम जल्द ही वहां मिस्त्री लगवा कर काम करवा देंगे। लैला मेडम ने कहा ठीक है साथ चली जाती हूँ। फिर मेडम बाहर आईं और उन्होंने मेरे से पूछा किस पर बैठ कर आए हो तो मैं उन्हें बताया कि रिक्शा पर आया, तो मेडम ने पूछा गाड़ी चला लेते हो ??? मैं इनकार में सिर हिलाया तो मेडम ने खुद एक गाड़ी चाबी उठाई और मुझे लेकर बाहर आ गई जहां एक होंडा सिविक और एक छोटी सुजुकी कलटस खड़ी थी। मेडम ने कलटस का दरवाजा खोला और ड्राइविंग सीट पर बैठ गईं, मैंने पिछला दरवाजा खोला और बैठने लगा तो मेडम ने मुड़ कर मेरी तरफ देखा और बोलीं आगे आकर बैठ जाओ।

मैंने दरवाजा बंद किया और अगली सीट पर बैठ गया। कुछ ही देर बाद मेडम ने शरीफ प्लाजा में पहुँच कर गाड़ी रोक दी। शरीफ प्लाजा में प्रवेश करते ही सीधे हाथ पर यह आखिरी दुकान थी जो महत्वपूर्ण थी। बाहर एक कैंची गेट था और एक शटर लगा हुआ था। अंदर काफी काठ कबाड़ पड़ा था जो दुकान छोड़ने वालों का था। दुकान शुरू से करीब 12 फुट चौड़ी थी जो आगे तक इसी चौड़ाई थी मगर करीब 20 फीट आगे जाकर एक दम से 20 फुट चौड़ी हो गई थी। यानी फ्रंट पर एक ही दुकान थी जबकि दुकान के भीतरी भाग में दुकान चौड़ाई के आधार पर करीब 2 दुकानों के बराबर थी और भाग करीब 8 फुट लंबा था।

दुकान मुझे खासी पसंद आई और मैंने अनुमान लगा लिया था कि इस दुकान को भरने के लिए कम से कम भी 7 से 8 लाख रुपये चाहिए होंगे। मैंने मेडम को यह बात कही तो उन्होंने कहा, तुम चिंता मत करो हम दुकान ऐसी करवा देंगे कि आप कम समान मे भी दुकान भर सकते हो, और जैसे ही आप के पास ज्यादा पैसे आएंगे तुम इसी सेटिंग से अनावश्यक अलमारी हटा कर उपकरणों के लिए जगह ले जा सकते हो। बस तुम यह बताओ तुम यहाँ दुकान बनाना पसंद करोगे या नहीं? मैंने कहा जरूर मेडम, भला इतनी अच्छी दुकान कौन छोड़ सकता है, तो आपका बड़ा आभारी रहूँगा आपने मुझे यह जगह डी काम शुरू करने के लिये। लैला मेडम मुस्कुराई और बोली बस तुम यहाँ काम शुरू कर दो तो हम भी तुम्हारे आभारी होंगे। मैंने आंटी को कहा बस में अंतिम बार अपने एक चाचा से परामर्श कर लूँ, मगर वह भी औपचारिक ही होगा मुझे यकीन है वह मना नहीं करेंगे आप मेरी ओर से 90 प्रतिशत हां ही समझें। फिर कुछ मैंने मेडम को समझाया कि मुझे कैसी सेटिंग चाहिए और कुछ मेडम ने मुझे सलाह दी, उनके सुझावों से लग रहा था जैसे वह काफी समझदार महिला हैं। उनका कोई सलाह नहीं था जो मुझे अनावश्यक लगा हो, मेडम ने अपनी कार से एक बड़ा कागज और पेंसिल भी निकाल ली थी जिससे वह हमारी होने वाली बातचीत के बारे में लिख रही थीं कि दुकान को कैसे सेट करना है।

हम करीब आधा घंटा दुकान में रुके और आवश्यक बातचीत करने के बाद फिर से कार में बैठ कर केंट की ओर चल दिए। मैंने मेडम से पूछा कि मेडम यह हम कहाँ जा रहे हैं ?? तो उन्होंने कहा केंट में कुछ अच्छी दुकानें हैं जो अंडर गारमेंट्स ही बेचती हैं, आप इन दुकानों की आंतरिक सेटिंग देख लो ताकि तुम्हें पता रहे कि कितना माल लाना है और कैसा माल लाना है। कुछ ही देर में केंट की एक छोटी मगर अच्छी दुकान पर मौजूद थे, लैला मेडम मुझे अंदर लेकर गईं और कहा तुम ध्यानपूर्वक देख लेना दुकान। दुकान में गए तो लैला मेडम ने दुकानदार से बातचीत शुरू कर दिया और आभूषण देखनी शुरू कर दी, जबकि मैंने दुकान पर गहरी नजर डाली और उनकी सेटिंग देखी तो यह वास्तव में एक अच्छी दुकान थी जिन्होंने कम समान होने के बावजूद इस तरह रखा हुआ था कि दुकान भरी हुई लग रही थी। एक साइड पर प्लास्टिक स्त्री ढांचे यानी स्टेचू भी पड़े थे जिन पर महिलाओं की नाइटी पहना कर प्रदर्शन किया गया था ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम ), 3 से 4 पुतलो ने दुकान का बड़ा हिस्सा भर दिया था और आगे एक कोठरी में महिला के सीने की संरचनाओं के स्टेचू मौजूद थे जिन पर ब्रा ऐसे लटकाए गए थे जैसे कोई औरत पहन कर खड़ी हो। यह भी एक अच्छी बात थी कि महिलाओं को पता हो जाता था कि यह ब्रा उनके बदन पर कैसा लगेगा।

कुछ देर बाद हम इस दुकान से निकल आए और ऐसी ही 2, 3 और दुकानों पर गए, हर जगह लगभग ऐसी ही बातें पड़ी थीं और एक जैसी ही सेटिंग थी बस छोटी मोटी बातों का अंतर था। यहाँ से हम करीब शाम 5 बजे फ्री हुए मेडम ने कहा चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ आऊँ, मैंने शर्मिंदा होते हुए कहा नही मेडम आप घर जाएं आपके पति अकेले हैं खुद चला जाऊंगा। मेडम ने कहा उनकी चिंता तुम मत करो घर नर्स मौजूद है जो उनकी देखभाल करती है, और तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ने का उद्देश्य तुम्हारा घर देखना और तुम्हारी माँ से मिलना है। इस पर मैंने कहा ठीक है मेडम और साथ ही अपने मोबाइल से अपनी पड़ोसी जो अक्सर ही मेरे लंड के नीचे होती थी उसको मैसेज कर दिया कि अभी मेरे घर जाकर अम्मी को मेडम के आने की सूचना दे ताकि वे मेडम के लिए व्यवस्था कर सकें। 20 मिनट के बाद हम घर पहुंचे और जैसी उम्मीद थी अम्मी ने थोड़े से समय में ही चाय भी रख दी थी और साथ ही मौजूद बेकरी से अच्छी गुणवत्ता वाले बिस्कुट, फ्रूट केक और सैंडविच आदि मंगवा लिया था। मैं अम्मी से मेडम परिचय करवाया तो अम्मी ने मेडम के सिर पर प्यार दिया और उनको बहुत बहुत आशीर्वाद दिया। मेडम करीब आधा घंटा मेरे घर बैठी रहीं, वह मेरी छोटी बहनों से भी मिलीं और उन्हें अपने पर्स से 500 के नोट निकाल कर दिए, मैंने मेडम को बहुत मना किया लेकिन उन्होंने जबरन मेरी तीनों छोटी बहनों को 500, 500 का एक नोट थमा दिया। इस दौरान मेरी अम्मी ने मेडम से आभूषण की भी बात की तो मेडम ने कहा आप मुझे जेवर दिखा दें और बेचने की बजाय मेरे पास रखवा दें, मैं उसकी कीमत के अनुसार सलमान पैसे दे दूंगी। क्योंकि अगर यह बाजार मे बेच देगा तो सोने की काट में काफी पैसे कम हो जाएंगे। ऊपर सोना मेरे पास गिरवी रख कर उसके बदले पैसे ले ले, और जब आपके पास पैसे आ फिर से तो मुझे पैसे देकर मेरे से अपनी अमानत वापस ले सकते हैं।

अम्मी और मैंने एक मत होकर मेडम के इस ऑफर को स्वीकार कर लिया। मुझे काफी आश्चर्य हो रहा था कि मेडम मुझ पर इतनी मेहरबान क्यों हो रही हैं, मन में कुछ विचार भी आया कि कहीं मेडम बाद में मुझे कोई अवैध काम करवाने की कोशिश नहीं करेंगी , मगर जल्द ही मैंने इस विचार को अपने मन से झटक दिया और सकारात्मक सोचने लगा कि इस दुनिया में आज भी ऐसे लोग हैं जो गरीबों की हर संभव मदद करने को तैयार हैं। और आज भी इस बात पर कायम हूं कि मेडम ने बिना किसी लालच के मेरी मदद की, और आज मैं जो कुछ हूं अपनी लैला मेडम की मेहरबानियों की वजह से ही हूं।( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम ) अगले ही दिन मुनब्बर अंकल को मैंने न केवल दुकान दिखा दी थी बल्कि उनसे सलाह भी ले लिया था और उन्होंने कहा था कि बेफिक्र होकर शुरू करो काम। यह समस्या भी हल हो गया था अब। संक्षेप में मैं कुछ दिनों में ही अपने एक दोस्त जो मेरे मोहल्ले का ही था हाजी साहब के पास काम करने के लिए बुला लिया, उसे भी नौकरी की जरूरत थी, मैं दिन-रात एक करके हाजी साहब की दुकान पर अंतिम दो महीने बिताए और इस दौरान अपने दोस्त को सारा काम अच्छी तरह सिखा दिया और हाजी साहब भी इससे खुश थे क्योंकि वह पहले भी एक कपड़ों वाली दुकान पर काम कर चुका था इसलिए यहां भी वह बहुत जल्दी सीख गया था। इस दो महीने के दौरान पूरे दिन में हाजी साहब की दुकान पर काम करता और शाम को छुट्टी के बाद शरीफ प्लाजा जाकर वहां होने वाले काम की निगरानी करता, लैला मेडम ने अपने दो आदमी भी वहां पर रखे हुए थे जिनकी निगरानी में दुकान काम हो रहा था।
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shubhs
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Re: ब्रा वाली दुकान

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लगे रहो
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kunal
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Re: ब्रा वाली दुकान

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फिर इसी दौरान कराची गया और वहां से सस्ते दामों मेंअच्छी गुणवत्ता वाले, पेंट नाईटीज़, नाइट गाउन लीग स्टाकनग आदि खरीद लाया और मुल्तान से ही एक स्थानीय दुकान से कुछ गहने और सौंदर्य प्रसाधन का सामान खरीद लिया। दुकान मे नाइट डिस्ले गह लगाने को भी स्टेचू मुझे मुल्तान से ही मिल गए। लैला मेडम ने दुकान का शटर उतरवा कर एक ब्लैक शीशा लगवा दिया था फ्रंट और उसके सामने वही कैंची गेट मौजूद था, जबकि दुकान के अंदर सुरक्षा के लिए कैमराज़ भी लगाए गए थे और एक छोटा ट्राई रूम भी था। ट्राई रूम दुकान के अगले भाग में था जिसकी चौड़ाई 20 फुट थी और सामने से नजर नहीं आता था सीधे हाथ पर 3, 4 कदम चलकर छोटा केबिन बनाकर उसे ट्राई रूम का नाम दिया गया था। दुकान के प्रवेश द्वार पर ही एक स्टेचू रख दिया गया था जिस पर एक देवी को नाइट गाऊन पहनाया गया था ताकि बाहर से देखकर महिलाओं को अनुमान हो सके कि उस दुकान पर उनके अंडर गारमेंट्स उपलब्ध होंगे, जबकि 3 स्टेचू अंदर रखे गए थे जिनमें एक पर लाल नेट वाली नाइटी, दूसरे पर एक वायर्ड हरी नाइटी और तीसरे स्टेचू पर एक अरबी शैली का सेक्सी ड्रेस पहनाया गया था। दुकान का उद्घाटन तो नहीं किया गया लेकिन यहाँ पर मेरी पहली ग्राहक लैला मेडम ही थीं जिन्होंने मुझ से एक सेक्सी निघट्य खरीदी जिसकी कीमत 2000 रुपए थी और एक ब्रा और पैन्टी का 1500 रुपये का सेट खरीदा। पहले ही दिन मुझे काफी अच्छा रिस्पांस मिला और मैंने काफी कमाई कर ली थी। अच्छे घरों की मॉर्डन लड़कियों आंटी, स्कूल कॉलेज की किशोर लड़कियां मेरी ग्राहक थीं। पहले सप्ताह में ही इतना प्रॉफ़िट कमा चुका था जितना मुझे हाजी साहब से वेतन मिलता था।

अम्मी की दुआओं धन्यवाद और लैला मेडम की मेहरबानी से काम अच्छा चल पड़ा था और मुझे उम्मीद थी कि लैला मेडम के दिए गए 6 महीने में कमाए गए प्रॉफ़िट से दुकान पूरी तरह से भर लूँगा और दुकान का किराया भी आसानी से निकल जाया करेगा। यहां एक बात बताता चलूं कि मैंने लैला मैम को बताए बिना ट्राई रूम में भी एक कैमरा लगवा लिया था। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )इस कैमरे का कतई यह मतलब नहीं था कि मुझे लड़कियों को ब्रा पहनते हुए नंगा देखना है, बल्कि उसका उद्देश्य यह था कि अगर कोई लड़का और लड़की, या फिर दो लड़कियाँ ट्राई रूम में जाती हैं तो वह वहाँ गलत हरकतें न कर सकें मेरे बैठने की जगह पर काउन्टर के अंदर ही एक कंप्यूटर स्क्रीन थी जिस पर दुकान में मौजूद 4 कैमरों की वीडियो आती थी। दोपहर 2 बजे बाहर काले शीशे पर दुकान बंद है का साइन बोर्ड लगा देता था और 2 बजे से लेकर 4 बजे तक रेस्ट करता खाना ख़ाता और रात 11 से 12 बजे तक दुकान खुली रहती थी।

सुबह 11 बजे शरीफ प्लाजा में दुकानें खुलना शुरू होती थीं, मैं भी 11 बजे से कुछ पहले ही आकर दुकान खोल लेता था। एक दिन जब मैं एक आंटी को उनकी पसंद का ब्रा दिखा रहा था तो दुकान में 3 युवा लड़कियाँ दाख़िल हुईं और मेरे फ्री होने का इंतजार करने लगीं। आंटी को ब्रा दिखाते हुए मैंने उनसे भी पूछा मिस आपको क्या चाहिए ??? उनमें से एक लड़की जो काफी तेज लग रही थी वो बोली पहले आंटी को फ्री कर लें तो फिर बताते हैं कि क्या चाहिए। मैं फिर से आंटी को ब्रा दिखाने में व्यस्त हो गया और वह कुछ ही देर में ब्रा पसंदीदा करके चली गईं। अब मैं उन लड़कियों के लिए उनके पास गया और उनका सरसरी नज़र से देखा ये कॉलेज की लड़कियां थीं। कचहरी चौक जो शरीफ प्लाजा के बिल्कुल करीब था वहीं लड़कियों के 2 कॉलेज थे शायद वहीं से ये लड़कियां आई थीं। इन तीनों की उम्र 18 या 19 के लगभग रही होगी, लेकिन उनके सीने देखने लायक थे कि आदमी एक बार नज़र डाल ले तो नज़रें हटाना मुश्किल हो जाए। इन लड़कियों में से एक लड़की खासी चिप चिप थी और उसने सिर पर चादर ली हुई थी, बाकी शेष 2 लड़कियों के सिर पर या गले में कोई चादर नहीं थी, बस एक दुपट्टा था जो गले में डाला हुआ था और उनके कॉलेज वर्दी की फिटिंग से उनके मम्मे स्पष्ट नजर आ रहे थे। यह शायद बीए की छात्राएँ थीं।

तीनों लड़कियों की समीक्षा के बाद मैंने उनसे पूछा जी मिस क्या चाहिए आपको? उनमें से वही लड़की जिसने पहले कहा था वो बोली मुझे कोई अच्छा सा ब्रा दिखा दें इपोर्टेड

मैंने उसके सीने पर नजर डालते हुए पूछा मिस आपका आकार ??? लड़की ने कहा 36 नंबर में दिखा दो। मैंने पूछा मिस कॉटन या फोम वाला ??? उसने कहा फोम वाला दिखाओ। यह सुनकर चादर वाली लड़की जो अब तक चुप थी वह हल्की सी आवाज में बोली नीलोफर अपने पास पहले ही इतने पड़े हैं फोम वाला ले क्या करोगी ??? इससे मुझे इतना तो पता लगा कि इस तेज तर्रार लड़की का नाम नीलोफर है और मम्मों का आकार तो उसने खुद ही बता दिया था 36 का अच्छा आकार। मैं इसे एक पॉइंट जहां मैंने लड़कियों के सीने के प्लास्टिक के स्टेचू रखे हुए थे। ये स्टेचू मेरे सामने यानी ग्राहकों की एक साइड पर बनी एक कोठरी में थे। मैंने नीलोफर को कहा मिस आप अपने पीछे यह शैली देख लें फोम वाले ब्रा की और मुझे शैली बता दें में और भी कलर आपको दिखा दूंगा।

नीलोफर दूसरी ओर मुड़ी और अलमारी के पास होकर ब्रा देखने लगी, साथ ही उसकी दूसरी दोस्त भी उसके साथ ब्रा देखने लगी जबकि चादर वाली लड़की वहीं पर खड़ी रही। नीलोफर ने मुंह दूसरी तरफ किया तो मेरी नज़रें तो नीलोफर की गाण्ड में ही जम गईं। क्या गांड थी उसकी, गाण्ड का तो वैसे ही दीवाना था मैने अनुमान लगा लिया था कि उसकी गाण्ड 34 आकार की है जबकि उसकी दूसरी दोस्त गाण्ड भी थी तो मस्त, मगर इससे थोड़ी सी छोटी 32 आकार की थी। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )कुछ देर ब्रा देखने के बाद नीलोफर वापस मुड़ी और उसने एक शैली की ओर इशारा करते हुए कहा इस शैली में दिखा दें ब्रा। यह एक काले रंग का फोम वाला ब्रा था, उसके कप्स के ऊपर कपड़े से ही 3 प्लेट्स बनी हुई थीं। और दोनों कप्स के बीच में एक छोटा सा गोल्डन कलर का नगीना लगा हुआ था। मैंने अपने पास मौजूद स्टॉक में वही ब्रा काले, लाल और नीले रंग में निकाल कर दिखा दिए नीलोफर ने मेरे हाथ से ब्रा पकड़ा तो मेरा हाथ नीलोफर की नरम और नाजुक हाथों की उंगलियों को छू गया जिसका स्पर्श बहुत ग्लैमरस था। शायद उसकी जवानी का ही असर था कि उसकी उंगलियों को छूते ही मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया था। नीलोफर ने ब्रा पकड़ा और उसका डिजाइन देखने लगी,


उसने ब्रा के कप को अपनी नाजुक उंगलियों से दबाकर उसकी मोटाई का अनुमान लिया और फिर खुश होते हुए अपने साथ खड़ी दूसरी लड़की से बोली शाज़िया देख यार, ब्रा तो कमाल का है। उसका नाम भी मुझे मालूम हो गया था, और देखने में उसका ब्रा आकार भी 36 ही लग रहा था। शाज़िया ने भी ब्रा हाथ में पकड़ कर देखा और बोली हां अच्छा है। फिर उन्होंने तीनों कलर को देखा और उनमें से पसंद करने लगीं। नीलोफर ने चादर वाली लड़की को बुलाया और कहा राफिया देखो यार कौन सा कलर लूँ? चादर वाली लड़की जिसका नाम राफिया था उसने तीनों कलर देखे मगर उनको हाथ लगाए बिना बोली तुम्हारी इच्छा जो इच्छा लो तीनों ही अच्छे हैं। फिर नीलोफर शाज़िया की ओर मुड़ी और बोली तुम बताओ कौन सा कलर लूँ। शाज़िया ने कहा ब्लैक और लाल में देख लो कोई सा।

नीलोफर ने अब नीले रंग का ब्रा रख दिया और काले और लाल को देखने लगी तो मैंने उसे कहा मिस ब्लैक अधिक सूट करेगा ब्लैक ले, नीलोफर ने मेरी ओर आँख उठाकर देखा, मुझे लगा कि मेरे इस साहस पर अब वह मुझे 2, 3 मीठी मीठी गालियां देगी, मगर उसने आराम से कहा मेरा भी ब्लैक का ही मूड बन रहा है लेकिन यह कलर पहले भी है मेरे पास। मैंने पूछा पहले जो ब्लैक कलर है वह भी फोम वाला ही है ??? तो नीलोफर ने कहा नहीं वो तो कपास का है गंदा सा, माँ ने लाकर दिया था जरा भी कंफर्ट नहीं है। मैंने कहा अगर वह कंफर्ट नहीं तो जाहिर बात है वो तो अब नहीं पहनेंगी इस ब्लैक कलर में ले, और ये बहुत सुंदर है, वैसे भी आपका रंग काफी साफ है तो इस पर ब्लैक अच्छा लगेगा। मेरी इस बात पर राफिया मुझे खा जाने वाली नज़रों से देखा मगर नीलोफर ने ऐसी कोई अभिव्यक्ति नहीं दी और बोली चलो ठीक है। फिर नीलोफर ने शाज़िया को कहा तुम भी ले लो कोई ब्रा। इस पर शाज़िया ने कहा मेरे लिए भी दिखा दें, लेकिन नेट में दिखना फोम वाला नहीं। मैंने शाज़िया से उसका ब्रा नहीं पूछा तो उसने भी मेरे अनुमान के विपरीत 34 डी आकार बताया। 34 डी सुनकर मेरे दिल में शाज़िया के मम्मे देखने की इच्छा पैदा हुई। 34 डी का मतलब था कि शाज़िया की कमर नीलोफर की कमर से थोड़ी कम थी उसका बैंड 34 का था मगर उसका कप आकार बड़ा था। यानी शाज़िया के मम्मों का आकार नीलोफर के मम्मों से बड़ा था। कमीज के ऊपर से देखने में दोनों का आकार बराबर था लेकिन अगर मैं शाज़िया को भी 36 का आकार देता तो वह उसके मम्मों पर तो फिट आ जाता मगर उसकी कमर के आसपास ब्रा की पकड़ कमजोर रहती।

ब्रा निकालने के लिए जैसे ही मैं मुड़ा तो शाज़िया की आवाज आई 36 ना दिखाएगा, 34 डी ही दिखाएँ 36 मुझे ढीली होगी। मैंने कहा मिस आप बेफिक्र हो जाएं जो आकार आपने बताया है वही दिखाऊंगा और अच्छी फिटिंग होगी उसकी। यह कह कर जब मैंने एक सफेद रंग का नेट का ब्रा निकाला जिस पर लाल और सफेद रंग के छोटे फूल बने हुए थे, एक काले रंग का ब्रा निकाला और एक स्किन कलर का कॉटन का ब्रा निकाल दिया। शाजिया ने सफेद रंग का ब्रा देखा जो उसे बहुत पसंद आया और उसके बाद उसने स्किन कलर का भी ब्रा देखा। दोनों को ध्यानपूर्वक देखने के बाद शाजिया ने सफेद रंग का ब्रा पसंद कर लिया और मेरे से पैसे पूछे, मैं ने दोनों के अलग पैसे बताए तो नीलोफर ने कंधे पर झूलता हुआ बैग खोला और उसमें से पैसे निकालने लगी, मैंने इस दौरान राफिया से पूछा मिस आपको भी दिखाऊ कोई ब्रा ??? मेरी बात पर राफिया ने मुंह दूसरी तरफ कर लिया और हल्की आवाज में बोली नहीं मुझे नहीं चाहिए। नीलोफर ने दोनों ब्रा का भुगतान किया और फिर मुझसे पूछा अगर आकार ठीक न लगे तो बदल तो जाएगा ना ??? मैंने कहा मिस ट्राई रूम मौजूद है आप ट्राई करना चाहें तो कर सकते हैं। नीलोफर ने शाजिया को देखा जैसे यह पूछना चाह रही हो कि ट्राई किया जाए या नहीं ??? शाजिया ने अपने कंधे उचकाये और बोली देख लो इच्छा है तुम्हारी में तो नहीं करूंगी, तो नीलोफर ने राफिया को देखा उसने सख्ती से मना कर दिया। मैं समझ गया कि ये यहाँ ट्राई नहीं करना चाह रही, तो मैं नीलोफर को कहा आप बेफिक्र हो जाएं अगर आकार ठीक न हुआ तो आप बदली भी करवा सकती हैं मगर ब्रा खराब नहीं होना चाहिए बस एक बार पहन कर देखें अगर सही न लगे तो तुरंत उतार दें और कल मुझे वापस कर के कोई और ले जाएं। इस पर नीलोफर संतुष्ट हो गई और तीनो लड़कियाँ दुकान से चली गईं।

उनके जाने के बाद और भी महिलाए और लड़कियाँ ब्रा देखने आईं मगर मेरे मन में बार बार शाजिया के मम्मे देखने की तड़प थी, जबकि मेरा दिल राफिया के मासूम रूप को भी बार बार याद कर रहा था। वह लड़की बिल्कुल कुछ नहीं बोली थी और काफी अंतर्मुखी थी। उसकी आकृति बार बार मेरी आँखों में आ रही थी। रात को दुकान बंद करने से पहले एक बार मैंने अपने कंप्यूटर पर दोपहर के समय का वीडियो निकालकर वीडियो का वह हिस्सा देखा जहां यह तीनो लड़कियां अपने लिए ब्रा खरीद रही थीं। एक कैमरा उनके ठीक सामने लगा हुआ था जिसमें राफिया और नीलोफर काफी स्पष्ट दिख रही थी जबकि शाजिया तो नज़र नहीं आ रही थी( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम ) मगर उसके 34 डी मम्मे कैमरे में स्पष्ट थे। काफी देर तक राफिया को देखता रहा और 2 से 3 बार वीडियो देखने के बाद मैंने दुकान बंद की और घर वापस आ गया। रात भर मेरी सोच में कभी राफिया की मासूमियत घूमती रही तो कभी शाज़िया मम्मे। अगले दिन दुकान पर गया तो दुकान खोलने के थोड़ी देर बाद ही तीनों लड़कियां फिर से मेरी दुकान पर आ धमकी राफिया ने कल की तरह ही चादर ले रखी थी जबकि नीलोफर और शाज़िया के गले में महज दुपट्टा ही था।

उनको देखकर मैंने एक मुस्कान से उनका स्वागत किया तो शाजिया ने कहा भाई यह नीलोफर का ब्रा तो ठीक था मगर मेरे ब्रा की थोड़ा फिटिंग सही नहीं कोई और दिखा सकते हैं ?? मैंने पूछा कि पहनने में जहां समस्या है बैंड छोटा है क्या? शाजिया कहा नहीं बैंड तो ठीक है मगर उसके कप एक समस्या कर रहे हैं, फिटिंग ठीक नहीं है उनकी। मैंने ब्रा पकड़ा और कहा आपने उसकी फिटिंग स्ट्रिप सेटिंग बदल कर चेक किया तो शाजिया कहा नहीं वो तो नहीं किया। मैंने पूछा कि फिटिंग सही न होने से आपका यही मतलब है न कि आपके बूब्स थोड़े लुढ़के हुए हैं इसमें ??? तो शाजिया ने थोड़ा शरमाते हुए और दबे होंठ मुस्कुराते हुए कहा हां यही मतलब है। मैंने ब्रा स्ट्रिप को सेट किया जो कंधे के पीछे मौजूद होती है। और शाज़िया को कहा अभी पहन कर देख लें अब यह सही रहेंगे शाज़िया ने कहा ठीक न हुआ तो मुझे फिर से आना होगा ??? मैंने कहा मिस मैंने आपको कल भी बताया था ट्राई रूम मौजूद है। आप बेफिक्र होकर ट्राई करें, मेरी और ग्राहक भी ट्राई कर ले जाती हैं। शाजिया ने नीलोफर को देखा जैसे उसकी सलाह लेना चाह रही हो नीलोफर ने कहा बंद रूम मे ट्राई इसमें कौन सी गलत बात है, चलो साथ चलती हूँ तुम्हारे शाजिया तुरंत चल पड़ी और उसने राफिया भी आवाज़ दी मगर राफिया कहा तुम जाओ मैं यहीं बैठी हूँ।

वे दोनों ब्रा चेक करने चली गईं जबकि राफिया मेरे सामने सिर झुकाए खड़ी थी। मैंने कुछ देर उसको देखा तो उसको संबोधित किया कि आपको कुछ चाहिए ?? राफिया ने सिर उठा कर मेरी तरफ देखा और इनकार में सिर हिला कर पुनः नीचे सिर कर लिया। मैंने कहा कोई आभूषण आदि या सौंदर्य प्रसाधन का सामान? राफिया ने एक बार फिर ऊपर मेरी ओर देखा और बोली नहीं भाई मुझे कुछ नहीं चाहिए बस हम तीनों की दोस्ती है तो उनके साथ आ जाती हूँ, कुछ चाहिए होगा तो मैं बता दूंगी आपको। फिर मैंने राफिया को पीछे पड़े सोफे की ओर इशारा किया और कहा कि उन्हें थोड़ा समय लगेगा आप बैठ जाएं। राफिया ने छोटे सोफे देख कर जिसके दाएं और बाएं 2 स्टेचू पड़े थे जिनमें से एक पर सेक्सी अरबी पोशाक मौजूद था और दूसरे पर मॉर्डन नाइटी थी। राफिया ने कुछ सेकंड के लिए सेक्सी अरबी पोशाक वाले स्टेचू को देखा और फिर उससे कुछ दूरी रखते हुए सोफे के बीच में बैठ गई। मैंने पूछा मिस आपके लिए पानी मँगाऊ ??? राफिया ने अपने होंठों पर जीभ फेरी और बोली अगर सादा पानी पड़ा है तो वह पिला दें। मैंने साथ पड़े कूलर में से एक गिलास पानी भरा और काउन्टर से बाहर निकल कर राफिया के सामने आकर उसको पेश किया और खुद वहीं पर खड़ा उसको पानी पीते देखता रहा। राफिया ने आधा गिलास पानी पीकर पानी का गिलास वापस मुझे पकड़ा दिया और मैं वापस काउन्टर पर आकर खड़ा हो गया।

फिर मैं राफिया से पूछा मिस आप कौन से कॉलेज में पढ़ती हैं ??? राफिया ने मेरी ओर देखा जैसे मुझे बताना न चाहती हो तो हल्की आवाज में बोली यहीं साथ ही कॉलेज है वहीं पढ़ती हैं हम। मैं ने भी पूछना उचित नहीं समझा। और अपने कंप्यूटर पर गेम खेलने बैठ गया। खाली समय में मेरा यही काम होता था। ट्राई रूम की मुझे कोई चिंता नहीं थी, क्योंकि मेरी आदत नहीं थी किसी भी ग्राहक को ब्रा ट्राई करते हुए देखने की, और दूसरी खास बात सभी कैमरों की रिकॉर्डिंग सुरक्षित होती थी मगर ट्राई रूम रिकॉर्डिंग में सुरक्षित नहीं करता था ताकि उसका मुझ सहित कोई दुरुपयोग न कर सके वह केवल लाइव देखने का विकल्प था और लाइव भी तब तक नहीं देखा था जब तक अंदर कोई गलत काम होने का शक न हो।


इसलिए शाजिया के मम्मे देखने की इच्छा होने के बावजूद मैंने ट्राई रूम गुप्त कैमरा ऑन नहीं किया और खेल खेलने में व्यस्त रहा। कुछ ही देर के बाद शाजिया और नीलोफर ट्राई रूम से बाहर आ गई तो मैंने पूछा जी अब सही है? तो शाजिया ने मुस्कुराते हुए कहा अब तो बहुत अच्छी फिटिंग बन गई है, बिल्कुल ठीक है। मैंने कहा यही फायदा होता है यहाँ पर ट्राई करने का अगर किसी को ब्रा फिट नहीं आता तो मैं उससे पूछ कर उसे यहीं फिटिंग कर देता हूँ और वही ब्रा जो पहले उन्हें फिट नहीं आ रहा होता वह फिट आ जाता है। उन दोनों को देखकर राफिया भी अपनी सीट से खड़ी हो गई और उसने भी पूछा कि ठीक हो गया, ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )नीलोफर ने उसके कान में हल्की आवाज में कहा अब तो बड़ी सेक्सी क्लीवेज़ भी बन रही है। राफिया ने उसे घूर कर देखा और दबे शब्दों में कहा धीरे बोलो। मगर वह खुद भी इतनी जोर बोली थी कि मुझे उसकी आवाज सुनाई दी थी। वह जाने लगी तो उनका शापर मेरे हाथ में ही था जिसमें वह ब्रा डाल कर लाई थीं, मैंने कहा मिस लाइए ब्रा इसी में डाल दूं, शाज़िया ने मुड़ कर मेरी तरफ देखा और फिर बोली वह तो मैंने पहना हुआ है तो यह पहले वाला इस मे डाल दो, यह कह कर उसने अपनी कमीज के नीचे हाथ डाला और वहाँ से ब्रा निकालकर मुझे पकड़ा दिया जो शायद उसने अपनी सलवार में फँसा लिया था यह देखकर मेरी हँसी निकलने को हो रही थी मगर मैंने बड़ी मुश्किल से हंसी पर काबू पाया लेकिन फिर भी मेरे चेहरे पर मुस्कान स्पष्ट थी जिसको महसूस करके भी शाजिया भी हल्की सी मुस्कुरा दी और खुद ही बोली कोई और जगह नहीं थी यह रखने के लिए। यह कह कर उसने मेरे हाथ से शापर पकड़ा और तीनों दुकान से चली गईं। फिर बहुत दिनों तक इन तीनों में से कोई मेरी दुकान पर नहीं आया लेकिन एक दिन फिर से सलमा आंटी फोन मुझे आया सलमा आंटी को तो भूल ही गया था और उनकी तरफ से काफी निराश था। सलमा आंटी ने एक बार फिर ब्रा लेने की फरमाइश की तो मैंने कहा आंटी अब तो आपकी अपनी दुकान है आप दुकान पर ही आकर देख लें। आंटी ने कहा नहीं बेटा तुम्हें तो पता ही है दुकानों पर नहीं जाती। मैंने कहा अरे आंटी यहाँ कोई गैर मर्द नही ही होगा, बस में होता हूँ और मेरी सभी ग्राहक औरतें हैं। और वैसे भी आप 2 बजे आ जाना , मैं 2 बजे ब्रेक करता हूँ और इस समय कोई ग्राहक नहीं होता दुकान पर तो तसल्ली से अपने लिए न केवल ब्रा देख सकती हैं बल्कि ट्राई रूम मे ब्रा पहनकर जाँच भी कर सकती हैं। सलमा आंटी ने कुछ देर सोचा और फिर कहा चलो कल ही आना होगा फिर, मैंने कहा जी जरूर आंटी आपकी अपनी दुकान है जब मर्जी आ जाना आप।


आंटी का फोन बंद हुआ तो मुझे एक बार फिर से बस वाली घटना याद आ गई जब सलमा आंटी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ कर अपनी गाण्ड में डाल लिया था। अगले दिन दुकान पर जाने से पहले मैंने विशेष स्नान किया और अपने लंड से अनावश्यक बालों की सफाई। की . न जाने क्यों मुझे लग रहा था कि आज सलमा आंटी की गाण्ड मारने का मौका मुझे मिलेगा। दुकान पर पहुंचकर मेरा लंड दोपहर तक खड़ा रहा। अलग अलग औरतें आती रहीं लेकिन मेरा लंड लगातार सलमा आंटी की चूत और गाण्ड को सलामी देने के लिए खड़ा ही रहा। दोपहर 2 बजने से कुछ देर पहले ही सलमा आंटी दुकान में आ गई तब दुकान में एक लड़की भी मौजूद थी जो अपने लिए एक नाइटी खरीद रही थी उसकी शायद शादी होने वाली थी इसलिए हनीमून के लिए वे अपने लिए सेक्सी नाइट खरीद रही थी। सलमा आंटी इस दौरान दुकान का निरीक्षण करती रहीं। कुछ देर बाद वह लड़की चली गई तो मैं काउन्टर से बाहर आया और काले शीशे का दरवाजा बंद करके मैंने दुकान बंद है का साइन बोर्ड लगा दिया। वापस आया तो सलमा आंटी वही स्टेचू देख रही थीं जो अरबी शैली की सेक्सी ड्रेस पहना हुआ था। मुझे वापस आता देखकर सलमा आंटी बोलीं, वाह भई तुम्हारे तो मजे हैं, कैसी कैसी जवान लड़कियाँ आपसे नाइटी खरीदने आती हैं। मैंने तुर्की ब तुर्की उत्तर दिया, क्या खाक मज़े हैं आंटी, वह बस वाली घटना अब तक नहीं भुला में, बस का आनंद तो तब होता जब आप फिर भी ........ यह सुनकर आंटी थोड़ा शर्मिंदा होते हुए बोलीं, वह तो बस में झटके काफी लग रहे थे इसलिए।
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Re: ब्रा वाली दुकान

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आंटी थोड़ा शर्मिंदा होते हुए बोलीं, वह तो बस में झटके काफी लग रहे थे इसलिए।। । । । वरना मैं कभी किसी के साथ ऐसी हरकतें नहीं की। उनकी बात सुनकर मैंने मन ही मन में आंटी की शालीनता की दाद दी और फिर आंटी से पानी का आदि पूछा, लेकिन आंटी ने कहा नहीं पानी नहीं बस तुम मुझे अच्छे-अच्छे ब्रा दिखा दो। फिर आंटी ने बाहर देखा और बोलीं कब तक दुकान बंद रखे हो तुम? मैंने कहा आंटी आप बेफिक्र हो जाएं जब तक आप दुकान में हैं दुकान नहीं खुलेगी। वैसे 4 बजे तक खोलता हूँ फिर से तसल्ली से चेक करें। यह कह कर मैंने एक स्टेचू बताया जिस पर लाल रंग की पट्टी लगी हुई थी, मैंने कहा आंटी कोई ऐसी नाइटी आदि भी लेंगे आप या बस ब्रा ही लेने हैं। आंटी ने पहले नाइटी देखी और फिर मेरी सलवार को देखा जहां लंड सिर उठाए खड़ा था और बोलीं नहीं ऐसी नाइट तो नहीं लेकिन यह जो अरबी शैली की है यह मुझे पसंद आ रही है। मैंने कहा आंटी यह तो बहुत अच्छी है, मुनब्बर अंकल के होश उड़ जाएंगे। आंटी हंसी और कहा चल शैतान ... फिर बोलीं ले तो लूं, लेकिन मेरा शरीर थोड़ा वजनी है यह अच्छी नहीं लगेगी मेरे शरीर पर। मैंने कहा अरे आंटी ऐसे कैसे आपको आपके आकार के अनुसार दिखाऊंगा, अच्छी लगेगी आप पर। यह कह कर वापस काउन्टर पर आ गया, आंटी की नजरें तो मैंने देख ही ली थीं जो मेरे लंड को देख रही थीं जो सुबह से ही सलमा आंटी के इंतजार में खड़ा था, मगर आज मुझे लंड खड़ा होने से कोई हिचक नहीं थी क्योंकि मैं जानता था कि जो मज़ा सलमा आंटी ने बस में मेरे लंड से लिया था ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )वह मज़ा वह कभी भूली नहीं होंगी और मौका मिलने पर फिर भी मज़ा ज़रूर लेंगी और आज भी उनकी प्यासी नज़रें मेरी सलवार मे मेरे लंड का उभार देख रही थीं। मुझे आंटी के आकार का तो पता ही था, मैंने 38 आकार के ब्रा निकाल कर आंटी के सामने रखे और आंटी को कहा पसंद कर लें इसमें से फिर आपको ट्राई भी करवाता हूँ। आंटी ने उनमें से एक ब्रा उठाया और बोलीं कहां है तुम्हारा ट्राई रूम ?? मैंने आंटी को कहा आंटी दुकान में आपके और मेरे अलावा कोई नहीं यहाँ तो ट्राई रूम में मुंह दूसरी तरफ करता हूँ ब्रा चेक कर लें। आंटी ने मेरी ओर देखा और बोलीं आप अधिक चालाक नहीं बन रहे ??? मैं जोर से हंसा और बोला बस आंटी आप हैं ही इतनी सुंदर आपके साथ चालाकियाँ करने का मन करता है। यह कह कर मैंने आंटी को ट्राई रूम दिखाया, आंटी ट्राई रूम मे गईं और मैंने काउन्टर में आकर ट्राई रूम का कैमरा ऑन कर लिया। जैसे ही कंप्यूटर स्क्रीन पर ट्राई रूम दृश्य आया ... मेरे होश उड़ गये



आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या अहसास था, आंटी का चेहरा छिपे हुए कैमरे से ही था और इस बात से बेखबर कि अंदर कैमरा लगा हुआ है आंटी ब्रा उतार कर नंगे मम्मे मे दूसरे ब्रा को पलट कर देख रही थीं। 40 साल की उम्र में भी आंटी के 38 साइज़ के मम्मे काफी तने हुए थे और उन पर बड़े बड़े निपल्स .... उफ़ एफ एफ एफ ...... मेरा हाथ सीधा अपने लंड पर चला गया था। फिर आंटी ने वह ब्रा पहना और सामने लगे शीशे में उसकी फिटिंग देखने लगीं। मैं यह सारा दृश्य देख रहा था। और मेरा लंड आंटी के तने हुए मम्मों को सलामी दे रहा था। मैंने नोट किया कि यह ब्रा थोड़ा लुढ़का हुआ लग रहा था इतने में आंटी की आवाज़ भी आ गई कि बेटा यह थोड़ा ढीला है। इससे थोड़ा छोटा आकार दिखा। मैं तुरंत ट्राई रूम के पास पहुंच गया और कहा आंटी यह बिल्कुल ठीक है आप के आकार के अनुसार है बस आप उसकी स्ट्रिप सेटिंग,कर लें तो फिट हो जाएगा आगे। आंटी ने कहा कि तुम पहले लाए थे वे ठीक थे, यह सही नहीं लग रहा मुझे। मैंने बाहर खड़े होकर ही कहा आंटी जो पहले लाया था वे लोकल थे उनमे ब्रा फिट करने की स्ट्रिप नहीं होती ये इपोर्टेड ब्रा है इसको अपने आप फिट कर सकते हैं। आंटी ने कहा मुझे तो पता नहीं लग रहा कैसे करना है।


मैंने आंटी को कहा तो दरवाजा खोलो में सेट कर देता हूँ। आंटी ने कहा रुको में उतारकर तुम्हें देती हूँ। मैंने कहा नहीं आंटी उतारकर नहीं, आप पहने रखें, मैं ऐसे ही फिट कर दूंगा। चिंता मत करो अंदर नहीं आता पर। यह सुनकर अंदर कुछ देर सन्नाटा रहा और फिर आंटी ने हल्का सा दरवाजा खोल दिया। दरवाजा इतना खुला था कि मैं में अंदर प्रवेश नहीं कर सकता था। मैंने आंटी को कहा आंटी थोड़ा तो खोलिए दरवाजा ताकि मैं फिटिंग तो कर सकूँ। अब आंटी ने मुंह दूसरी तरफ कर लिया और कमर मेरी ओर करके थोड़ा सा दरवाजा और खोला। आंटी की पूरी कमर मेरे सामने नंगी थी, कंधे से लेकर नीचे सलवार तक आंटी की गोरी गोरी कमर देखकर दिल किया कि अब अपनी जीब निकालकर उसकी कमर को चाटना शुरू कर दूं, लेकिन मैंने अपने ऊपर नियंत्रण रखा और आंटी को कहा आंटी आगे ढीली है न? आंटी ने कहा हां। उनकी आवाज कांप रही थी। मैंने कहा आंटी अपना सीना मेरी ओर करो मैं देखूं तो सही कि कितना ढीला है। आंटी ने एक अनिच्छासे मुंह मेरी ओर किया तो मैंने बिना समय बर्बाद किए अपने दोनों हाथ उनके बड़े बड़े मम्मों पर रख दिए,( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम ) मैं जानता था कि ऐसा मेरे लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन जो औरत खुद मेरा लंड पकड़ कर अपने चूतड़ों में फंसाकर अपनी चूत का पानी निकलवा ले भला उससे डरने की क्या जरूरत थी। मैंने जैसे ही आंटी के बूब्स पर हाथ रखा उनके मुंह से एक सिसकी निकली और उन्होंने मेरे हाथों पर हाथ रखकर उन्हें हटाना चाहा और बोली नहीं करो सलमान ऐसे। मैंने कहा आंटी मैं देख रहा हूँ कितना ढीला है। यह कह कर मैंने धीरे से आंटी के बूब्स को दबा दिया। वाह क्या मम्मे थे, दिल किया कि अब ब्रा उतारूँ और अपना लंड इन नरम नरम मम्मों में डाल चुदाई शुरू कर दूं। फिर मैंने आंटी को कहा आंटी अब अपना मुंह दूसरी तरफ कर लें। मैंने आंटी के बूब्स से हाथ हटा लिए थे, आंटी ने मुँह दूसरी ओर किया तो मैंने आंटी के ब्रा स्ट्रिप कंधों से थोड़ी टाइट कर दी जिससे ब्रा ने आंटी के बूब्स को आराम देना शुरू कर दिया। मैंने पीछे खड़े खड़े ही आंटी के पास होकर हाथ आगे किया और उनके मम्मे पकड़ कर धीरे से दबाए और कहा आंटी अब ठीक है फिटिंग ??? आंटी ने काँपती हुई आवाज कहा अब सही है।



इस दौरान मेरी सलवार मे मेरालंड जो सुबह से ही खड़ा था उसने आंटी की गाण्ड पर दस्तक देना शुरू कर दिया था। अब पता नहीं आंटी ने ब्रा फिटिंग के बारे में कहा था कि सही है या फिर अपनी गाण्ड पर मेरे लंड को महसूस करके कहा था कि यह ठीक है। मैं आंटी से पूछे बिना ही पीछे से उनके ब्रा हुक खोल कर ब्रा उतार दिया। और कहा आंटी आप यहीं रुकिये मैं और ब्रा लेकर आता हूँ। वह ब्रा मैंने अंदर ट्राई रूम में ही हुक पर लटका दिया और बाहर से एक और सेक्सी नेट वाला ब्रा उठा लाया। आंटी अपने बूब्स पर हाथ रखकर उन्हें छिपाने की कोशिश कर रही थीं मगर उनके बड़े बड़े मम्मे इस तरह छुपा पाना संभव नहीं था। मैंने आंटी के बूब्स पर ब्रा कपस रखे और खुद आंटी को ब्रा पहना कर उनकी हुक बंद किए और फिर से आंटी का चेहरा अपनी ओर किया और उनका सीना देखने लगा। ब्रा तो उनके सीने पर बहुत सुंदर लग रहा था और ऊपर से उनके बड़े बड़े मम्मों में गहरी लाइन जो क्लीवेज़ बना रही थी वो मेरे होश उड़ा रही थी। एक बार फिर से मैं आंटी के पीछे गया और उनके ब्रा स्ट्रिप को अकारण ही टाइट कर दिया हालांकि इस ब्रा की फिटिंग सही थी। ब्रा थोड़ा टाइट करके मैंने फिर अपने दोनों हाथ पीछे से ही उनके मम्मों पर रख दिए और इस दौरान अपने लंड का रुख आंटी की गाण्ड से कर लंड आंटी के चूतड़ों में डाल दिया जिससे आंटी की एक बार फिर सिसकी निकली।


मैंने आंटी की गाण्ड पर अपने लंड का दबाव बढ़ाया और आंटी के मम्मे दबाते हुए बोला आंटी यह ब्रा ठीक लग रहा है ??? आंटी ने सिसकते हुए कहा हां बेटा, मगर थोड़ा अधिक टाइट हो गया है। मैंने कहा कोई बात नहीं आंटी इस तरह आपके मम्मे ऊपर उठे रहेंगे और कमीज से आपके उठे हुए मम्मे नजर आएंगे तो मुनब्बर अंकल का तो तुरंत ही खड़ा हो जाएगा। मैंने जानबूझकर मम्मों शब्द का इस्तेमाल किया था आंटी के सामने ताकि जो थोड़ा बहुत नाटक वह कर रही थीं वह भी खत्म हो जाए। मेरी बात सुनकर आंटी बोलीं, वह तो ठीक है मगर तुम्हारे अंकल के पास इतना समय ही नहीं होता कि मुझे देखकर उनका खड़ा हो ... ..... यह सुनकर मुझे समझ लग गई थी कि उस दिन बस में आंटी को इतनी मस्ती क्यों चढ़ी थी, मुनब्बर अंकल आंटी की चुदाई पूरी तरह नहीं करते थे इसलिए आंटी ने उस दिन सार्वजनिक जगह पर मेरा लंड पकड़ कर अपने चूतड़ों में फंसा लिया था। आंटी की बात सुनकर मैंने कहा चलिए अंकल को छोड़ दो आपने पीछे लग रहा है, मेरा लंड आपके मम्मे देख कर खड़ा हो चुका है। आंटी ने हल्की सी आवाज़ से कहा, हां वह तो महसूस हो ही रहा है मुझे, तुम्हें शर्म नहीं अपनी आंटी को देख कर खड़ा कर लेते हो।
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