ब्रा वाली दुकान complete

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zainu98
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Re: ब्रा वाली दुकान

Post by zainu98 »

bhai kunal aaj ka updet kaha hai sablog intizar kar rahe hai
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kunal
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Re: ब्रा वाली दुकान

Post by kunal »

zainu98 wrote:bhai kunal aaj ka updet kaha hai sablog intizar kar rahe hai
जनाब आज कुछ काम था इसीलिए अपडेट थोड़ा लेट हो गया
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kunal
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Re: ब्रा वाली दुकान

Post by kunal »

चेहरा साफ करने के बाद मैं खड़ा हो गया और आंटी को कहा आंटी अब तैयार हो जाएं आपकी चूत आज पहली बार 8 इंच लंड लेने के लिए तैयार है। आंटी ने तुरंत ही अपनी सलवार उतार दी और कहा, बिल्कुल भी लिहाज नहीं करना मेरा, बस पहले धक्के से ही जानदार चुदाई शुरू कर दे कि तेरी आंटी तेरी दासी बन जाए। मैंने आंटी को काउन्टर की तरफ मुँह करने को कहा, आंटी ने अपना मुँह काउन्टर की ओर मुंह किया और काउन्टर पर अपनी कोहनी लगाकर थोड़ा झुक गई और अपने चूतड़ बाहर निकाल लिए। मैंने अपना 8 इंच का लंड अपने हाथ में पकड़ और टोपी आंटी की चूत पर सेट की और एक जोरदार धक्का लगाया तो मेरा 6 इंच लंड आंटी की चूत में उतर गया और महज 2 इंच ही बाहर रहा, मेरे धक्के के साथ ही आंटी ने एक चीख मारी, मगर चीख मारने के तुरंत बाद आंटी बोलीं, शाबाश बेटा, बहुत जान है तेरे लंड में चोद आज अपनी आंटी को जोर से। मैंने कहा आंटी अभी तो पूरा लंड अंदर नहीं गया, अगले धक्के में पूरा लंड जाएगा अंदर। आंटी बोलीं फिर इंतजार क्यों कर रहा है डाल दे न पूरा लंड अपनी आंटी की प्यासी चूत में।


मैंने लंड बाहर निकाला महज टोपी ही चूत के अंदर रहने दी और आंटी को चूत टाइट करने को कहा। आंटी ने चूत को टाइट किया तो मैंने पूरे जोर के साथ आंटी की चूत में धक्का लगाया। आंटी की चूत की पकड़ में वह मजबूती नहीं थी जो मेरी पड़ोसन की चूत में थी, मगर फिर भी चूत टाइट करने का यह फायदा हुआ कि मेरा 8 इंच लंड आंटी की चूत को चीरता हुआ उनकी गहराई तक उतर गया और उसके बाद फिर से आंटी की चीख निकली। इस चीख में पहले की तुलना में दर्द थोड़ी अधिक थी। मगर मैंने बिना रुके फिर लंड वापस खींचा और अगला जानदार धक्का लगाया जिससे आंटी की फिर चीख निकले। फिर मैंने बिना रुके आंटी की चूत में अपना इंजन स्टार्ट करके लंड चौथे गियर में डाल दिया और धक्के पे धक्का लगाना शुरू कर दिया जिससे कुछ देर हल्की चीखें मारने के बाद अब आंटी की सिसकियों से मेरी दुकान गूंज रही थी।

मेरे हर धक्के पर आंटी के मोटे चूतड़ मेरे शरीर से टकराते तो कमरे में धुप्प धुप्प की आवाज पैदा होती। धुप्प धुप्प की आवाज के साथ आंटी की चिकनी चूत में मेरा लंड पिचक पिचक की आवाजें भी उसके मुँह से निकलवा रहा था और इन दोनों आवाज के साथ आंटी आह ह ह ह, आह ह ह ह ह, आह ह ह ह आह, आह, आह आह, उफ़ एफ एफ एफ एफ एफ, उफ़ एफ एफ एफ एफ, आह ह ह ह, आह ह ह ह ह, आह ह ह ह ह की आवाजों ने माहौल को बहुत सेक्सी बना दिया था। 5 मिनट तक मैं आंटी को इसी तरह फुल स्पीड से चोदता रहा। फिर मैंने आंटी की चूत से लंड निकाल लिया और खुद सोफे पर बैठ गया। सोफे पर बैठ कर मैंने अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला ली और आंटी को कहा कि मेरी गोद में बैठ जाएं। आंटी ने मेरी बात समझी और सोफे पर चढ़ कर मेरी गोद में बैठने लगीं तो मैंने कहा नहीं आंटी ऐसे नहीं, दूसरी ओर मुंह कर लें अपना और बस अपनी गाण्ड मेरी गोद में रख दें। आंटी मेरी फैली हुई टांगों के बीच आ गई और मेरी तरफ अपनी कमर करके अपनी गाण्ड मेरे लोड़े ऊपर रख दी। मैंने अपने लंड की टोपी को आंटी की चूत के निशाने पर रखा और उन्हें चूतड़ों से पकड़ कर एकदम नीचे गिरा दिया जिससे मेरा सारा लंड आंटी की चूत में उतर गया। फिर मैंने आंटी को उछलने को कहा तो आंटी ने अपने दोनों हाथ मेरे मज़बूत पैरों पर रख दिए और थोड़ा ऊपर होकर अपनी गाण्ड को हवा में उछालने लगी। आंटी की गति तो ज्यादा तेज नहीं थी, मगर मुझे इस तरह चोदने में बहुत मज़ा आता था कि जब औरत खुद मेरी गोद में बैठ कर अपनी चुदाई करवाए।

आंटी शायद 2 मिनट ही इस तरह अपनी चुदाई करवा पाईं और फिर उनकी पैर थक गये तो वह मेरी गोद में बैठ गईं, मगर मेरे लंड ने उनको चैन से नहीं बैठने दिया, उन्होने खुद ही अपनी गाण्ड को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया जिस मेरा लंड उनकी चूत में चक्र की तरह घूमने लगा। और उनकी चूत की हरसाईड पर रगड़ लगने से मेरी टोपी को भी मज़ा आने लगा। कुछ देर आंटी इसी तरह अपनी गाण्ड घुमा घुमा कर मेरे लंड के मजे लेते रहीं फिर मैंने आंटी को अपनी गाण्ड ऊपर उठाने को कहा तो आंटी ने फिर मेरे पैरों का सहारा लेकर अपनी गाण्ड ऊपर उठाई तो मैं नीचे से अपने चूतड़ हिलाने किया और आंटी की चूत में अपने लंड मशीन चला दी। इस तरह आंटी को चुदाई का अधिक मज़ा आ रहा था क्योंकि खड़ा होकर चुदाई के समय आंटी ने अपनी टाँगें खोल रखी थी, लेकिन अब मेरी गोद में बैठ कर आंटी पैर आपस में मिली हुई थी जिसकी वजह से उनकी चूत टाइट हो रही थी और टाइट चूत में जब 8 इंच का लोड़ा अपने धक्के लगाएगा तो मजे की तीव्रता से सिसकियाँ तो निकलेंगी ही यही हाल सलमा आंटी का हो रहा था। अब मेरे धक्कों की गति तूफानी हद तक तेज हो चुकी थी। और आंटी की चिकनी चूत टाइट होने के कारण मेरे लंड की रगड़ से आग का गोला बनी हुई थी। और अगले 2 मिनट से अधिक धक्कों के कारण आंटी की चूत ने आग पर पानी डालकर बुझाने की कोशिश की। आंटी की चूत ने गरम पानी से मेरे लंड को नहला दिया था। आंटी की चूत से पानी वर्षा मेरे काउन्टर तक गई और काउन्टर पर अपने प्यार की निशान छोड़ गया।

अब मैंने आंटी को अपनी गोद से उठाया और उन्हें सोफे पर घोड़ी बनने को कहा। आंटी सोफे पर बैठ गई और अपने हाथों और घुटनों के सहारे सोफे पर घोड़ी बन गई और अपनी गाण्ड बाहर निकाल ली। मैंने आंटी के मोटे-मोटे चूतड़ों को हाथ से पकड़ कर उन पर 2,4 हाथ मारे जिनकी गूंज पूरी दुकान में सुनाई दी। फिर मैंने आंटी की गाण्ड में उंगली डाल कर उसके आकार का अनुमान लगाया आंटी की गाण्ड थी तो काफी टाइट मगर कुंवारी बिल्कुल नहीं था, उसमें जाने कितने पहले भी लंड जा चुके थे इसलिए मैंने अपने आपको उसको अधिक चिकना करने मे परेशान नहीं किया, बल्कि अपने लंड ऐसे ही आंटी की गाण्ड के छेद पर रख दिया, मुझे पता था कि लंड बहुत आसानी से अंदर चला जाएगा क्योंकि मेरे लंड पर आंटी की चूत से निकलने वाला पानी भी था जिसकी वजह से मेरा लंड बहुत चिकना हो रहा था, और हुआ भी यही, मेरे पहले ही धक्के से लंड की टोपी आंटी की गाण्ड में घुस गई थी , आंटी की एक हल्की सी चीख निकली मगर उन्होंने मुझे गाण्ड मारने से मना नहीं किया। फिर मैंने एक और धक्का मारा तो मेरा आधा लंड आंटी की गांड में चला गया। इस पर भी आंटी की एक जोरदार आह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह निकली और उन्होंने पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देखा और बोलीं तेरा लोड़ा तो गाण्ड में लेकर ऐसे लग रहा है जैसे किसी घोड़े का लंड ले लिया हो मैंने गाण्ड में। मैंने आंटी को कहा, घोड़ी बनी हुई हो तो लंड भी तो घोड़े का ही मिलना चाहिए कि नहीं, यह कह कर मैंने एक और धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड आंटी की गाण्ड में उतर गया। आंटी की गाण्ड काफी चिकनी थी, और उसमें लंड डाल कर आराम मिला था। गाण्ड की पकड़ लंड को दर्द पहुंचा रही थी। फिर मैंने धीरे धीरे गाण्ड में धक्के मारने शुरू किए। शुरू-शुरू में तो लंड फस फस कर गाण्ड में जाता रहा, लेकिन 2 मिनट बाद लंड बहुत तेज़ी के साथ आंटी की चिकनी और टाइट गाण्ड में जा रहा था,

आंटी के 38 आकार के मम्मे मेरे हर धक्के के साथ आगे पीछे हिलते थे। मुझे आंटी के हिलते हुए मम्मे बहुत सुंदर लग रहे थे, कुछ देर तो मैं थोड़ा साइड पर झुक कर धक्के भी लगाता रहा और आंटी के बूब्स को हिलाता हुआ देखता रहा, फिर थोड़ा आगे झुका और आंटी के बूब्स को अपने हाथों में पकड़ कर उन्हें दबाना शुरू कर दिया, जबकि गाण्ड में लंड भी पूरी गति से अपना काम कर रहा था। आंटी की सिसकियों से मेरी दुकान गूंज रही थी और वह मुझे अधिक गति से चोदने पर उकसा रही थीं। चोद अपनी चाची को, जोर से चोद। मारदे अपनी आंटी की गाण्ड आह ह ह ह ह, आह ह ह ह। । । आह ह ह ह ह ह ह ह चोद बेटा चोद ..... आह ह ह ह आह ह ह ह, आह ह ह ह .... आह ह ह ह शाबाश बेटा ऐसे ही चोदता रह अपनी आंटी को ..... आंटी की बातों से मेरे लंड की कठोरता और गति दोनों ही बढ़ते जा रहे थे। 5 मिनट तक गाण्ड मरवाने के बाद आंटी थक गई तो उन्होंने मुझे कहा कि अब लिटा कर गाण्ड मार लो मैं बहुत थक गई हूँ। मैंने आंटी की गाण्ड से लंड निकाला और उन्हें नीचे लिटा दिया जमीन पर ही . आंटी को जमीन पर लिटाने के बाद आंटी के ऊपर आया और उनकी दोनों टांगों को उठाकर पीछे की ओर यानी उनके सिर की ओर मोड़ दिया जिससे आंटी की गाण्ड मेरे लंड के निशाने पर आ गई, मैंने लंड टोपी को आंटी की गाण्ड पर सेट किया और फिर आंटी की गाण्ड में अपना लंड उतार कर चोदना शुरू कर दिया।

जैसे जैसे मैं आंटी को चोदता जा रहा था वैसे-वैसे आंटी अपनी चूत पर हाथ फेर फेर कर उसे भी गर्म कर रही थीं। मैंने आंटी को अधिक 5 मिनट उसी स्थिति में चोदा और खूब दिल खोलकर उनकी गाण्ड मारी। मगर मेरी आदत थी कि पानी हमेशा या तो चूत में छोड़ता हूँ यह फिर मम्मों पर। इसलिए मैंने अपना लंड सलमा आंटी की चिकनी गाण्ड से बाहर निकाल लिया और बिना समय बर्बाद किए उनकी चिकनी और गीली चूत में लंड एक ही धक्के में डाल दिया। अब मैं खुद आंटी के ऊपर लेट गया और आंटी के मम्मे एक बार फिर मेरे मुँह में थे जिन्हें मैं चूसने के साथ साथ उनकी चूत भी पूरे जोर से चोद रहा था। 5 मिनट तक उनकी चूत में लंड से धक्के मारने के बाद आंटी की चूत ने फिर पानी छोड़ दिया और मेरा लंड उनकी चूत के पानी से गीला हो गया। मगर अब मुझे भी लग रहा था कि मैं अब छूटने वाला हूँ, मैं आंटी से पूछा आंटी आपकी चूत में वीर्य निकाल दूँ या फिर आपके मम्मों पर निकालूं ???
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