ब्रा वाली दुकान complete

Post Reply
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

ब्रा वाली दुकान complete

Post by kunal »

ब्रा वाली दुकान



Image Image
हैलो दोस्तो .. मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आपके लिए आज एक ऐसी स्टोरी लेकर आया हूँ आप भी पढ़ कर मस्त हो जाएँगे ....दोस्तों ये स्टोरी उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी...कोई ग़लती हो जाए तो मूवाफी चाहता हूँ...फिर शायद आपके मार्गदर्शन, सजेशन्स से उन कमियों को दूर कर सकू..आज मैं आपको अपनी एक छोटी सी कहानी सुनाने जा रहा हूं जिसमें मैंने अलग अलग लड़कियों और आन्टियो की चुदाई की। लंबी भूमिका बांधने की बजाय सीधे मुद्दे की बात पर आते हैं। तो दोस्तो मेरा नाम सलमान है। अधिक पढ़ा लिखा तो नहीं मगर किसी लड़की की चूत को कैसे चोदना है यह मैं अच्छी तरह जानता हूँ। मेरी शिक्षा मात्र दसवी पास है। और मेरी उम्र 24 साल है। , 5 फीट 7 इंच लंबा है, अधिक शिक्षा न होने की वजह से कोई काम तो मिला नहीं घर में सबसे बड़ा होने के कारण घर की सारी जिम्मेदारी मुझ पर आ गई थी। 20 साल की उम्र में मैंने काम शुरू किया। अरे मैं आपको यह बताना तो भूल ही गया कि मेरा संबंध पाकिस्तान से है। कीर्ति नगर में एक छोटा सा घर है जो पिताजी ने अच्छे समय में अपने जीवन में ही बना लिया था जो अब हमारी एकमात्र संपत्ति था। 20 साल की उम्र में जब पिताजी इस दुनिया से चले गए तो मेरी माँ ने मुझे कोई काम धंधा देखने के लिए कहा क्योंकि घर का खर्च भी चलाना था और सबसे बड़ा होने के नाते यह काम मुझी को करना था। मुझसे छोटा एक भाई और 3 बहनें थीं जिनकी उम्र अभी बहुत कम थी।
ImageImage
Image
ब्रा खरीदने में क्यों झिझकती हैं महिलाएं! जानिए कारण, महिलाओं को कपडे खरीदने में भी काफी दिक्कत होती हैं ख़ास कर अपने इनरवियर खरीदने में।
यह बात सभी को मालुम हैं की दुनिया की लगभग हर महिला या लड़की ब्रा पहनती हैं। मगर भारत और पाकिस्तान में ब्रा खरीदना किसी टास्क से कम नहीं है।
विदेशो में ब्रा खरीदने के लिए अलग दुकाने होती हैं मगर भारत में कई बार बीच बाज़ार या सड़क के किनारे महिलाओं के अन्त्रवस्त्र बिकते है जहा से ब्रा खरीदने में लडकिया कतराती है। इसके अलावा ज़्यादातर दुकानों में पुरुष इसे बेचते है। महिलाए पुरुषों से ब्रा खरीदना पसंद नहीं करती है।

bra-buying-3-756x1024.jpg
काम ढूंढने हेतु में मैं सदर बाजार चला गया जहां थोड़ी सी संघर्ष के बाद मुझे एक व्यक्ति ने एक दुकान का पता बताया जिन्हें एक सेल्स मेन की जरूरत थी जो न केवल ग्राहक से बात कर सके बल्कि हिसाब का भी पक्का हो। मैं उन साहब की बताई हुई दुकान पर पहुंच गया। दोपहर 12 बजे का समय था अब बाजार में ज्यादा हलचल नहीं थी। दुकान में प्रवेश हो गया तो सामने एक दाढ़ी वाले बुजुर्ग वहाँ पर मौजूद थे और उनके सामने कुछ महिलाओं खड़ी थीं, मुझे दुकान पर आता देखकर उन बुजुर्ग ने एक कपड़ा आगे कर दिया जो वह पर्दे के लिए इस्तेमाल करते थे, अब मैं बुजुर्ग को तो देख सकता था मगर महिलाओं और मेरे बीच अब एक पर्दा आ चुका था और मैं मन ही मन सोचने लगा कि आखिर ऐसी भी क्या बात है कि उन्हें पर्दे की जरूरत पड़ गई जबकि वह महिलाएँ पहले से ही बुर्का पहने हुए थीं। खैर मैं दुकान की समीक्षा करने लगा। यह सौंदर्य प्रसाधन और आरटीनिशल ज्वैलरी की दुकान थी। कुछ देर बाद पर्दा हटा और वह महिला वहां से निकल गईं। अब बुजुर्ग मेरी ओर आकर्षित हुए और बोले बोलो बेटा क्या चाहिए ???

मैं बुजुर्ग को देखा और कहा सर मुझे जॉब चाहिए। मैंने सुना है कि आपको एक सेल्स मेन की जरूरत है। यह सुनकर बुजुर्ग ने कहा, हां हां मैंने मुनब्बर को कहा था कि कोई अच्छे घराने का बच्चा हो तो बता मुझे सेल्स मेन की बहुत जरूरत है। क्या लगते हो मुनब्बर के तुम ???

मैंने कहा कुछ नहीं अंकल, मैं तो विभिन्न दुकानों पर जा जाकर नौकरी का पूछ रहा था तो कुछ पीछे एक दुकानदार ने ही मुझे आपके बारे में बताया कि आपको जरूरत है तो इधर आ गया। इस पर उन्होंने कहा कि बेटा ऐसे तो मैं किसी को नहीं रख सकता, मुझे तो विश्वास वाला लड़का चाहिए। इन बुजुर्ग नाम इकबाल था। मैंने कहा सर आप बेफिक्र रहें मुझसे आपको कभी कोई शिकायत नहीं होगी, मुझे जॉब की बहुत सख्त जरूरत है, मैंने इकबाल साहब को घरका पता और घर की स्थिति सब कुछ बता दिया। इस पर इकबाल साहब के स्वर में पहले से अधिक मिठास और प्यार आ गया, लेकिन वह अभी हिचक रहे थे, तो उन्होंने कहा बेटा महिलाओं और लड़कियों से बात करनी पड़े तो कर लोगे ??? मैंने उन्हें बताया जी अंकल मेरे स्कूल में लड़कियां भी थीं और आपको मेरी वजह से कभी कोई परेशानी नहीं होगी।

फिर उन्होंने मुझे कहा अच्छा चलो तुम अब जाओ, मैं थोड़ा सोच लूं, कल सुबह 10 बजे आ जाना तुम मगर किसी बड़े को लेकर आना अच्छा है इसी बाजार में कोई परिचित हो तो उसे ले आना। मैं अंकल से हाथ मिलाया और उनका शुक्रिया अदा करते हुए तुरंत घर चला गया। घर जाकर मैंने अम्मी से इस बारे में बात की तो उन्होंने काफी सोचने के बाद अबू के एक अच्छे दोस्त का पता मुझे बताया कि उनसे जाकर मिलना शायद वह कोई मदद कर सकें इस संबंध में। उसी समय अबू के दोस्त से मिलने चला गया, कुछ देर बाद उनके घर पहुंचा तो किस्मत से वह घर पर ही मिल गये, वह अपनी पत्नी और 2 बेटियों के साथ कहीं घूमने के लिए जा रहे थे, लेकिन मेरे आने की वजह से वे अपना कार्यक्रम थोड़ी देर के लिए निलंबित कर दिया था। मैं अपना परिचय तो जाते ही करवा चुका था जिसकी वजह से मुझे अंकल और आंटी ने बड़े प्यार से अपने घर में बिठाया और उनकी एक बेटी जिसकी उम्र मुश्किल से 15 साल होगी मेरे लिए मीठे पानी की एक सुराही और एक सिरप ले आए। में गटा गट 2 गिलास चढ़ा गया था क्योंकि सुबह से फिर फिर कर मुझे काफी प्यास लगी हुई थी। [/size][/color]
You do not have the required permissions to view the files attached to this post.
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: ब्रा वाली दुकान

Post by kunal »

मैं अंकल को अपनी मुश्किल बताई और उनसे मदद मांगी तो वह कुछ देर सोचने के बाद बोले कि चिंता मत करो तुम्हारा काम हो जाएगा। कल सुबह तुम पहले मेरे घर आ जाना मैं तुम्हें अपने साथ ले चलूँगा और इकबाल साहब को अपनी गारंटी दे दूंगा। कुछ देर अपनी सेवा करवाने के बाद वापस घर आ गया और अगले दिन सुबह अंकल के घर जा धमका। अंकल पहले ही तैयार हो चुके थे, 10 बजने में अभी थोड़ा समय था, अंकल ने अपनी बाइक निकाली और सीधे हुसैन जागरूकता बाजार में प्रवेश करने के बाद इसी दुकान के सामने ले जाकर मैं बाइक रोकने को कहा। अंकल मेरे साथ दुकान में प्रवेश किया और इकबाल साहब को अपना परिचय करवाया और अपना रोजगार कार्ड निकालकर इकबाल साहब को दिखा दिया। मेरे यह अंकल वन विभाग में कार्यरत थे, सरकारी कर्मचारी का कार्ड देखकर ाकबा लिमिटेड साहब को संतोष हो गया और वे बोले कि आप बच्चे की गारंटी देते हैं तो मैं इसे रख लेता हूँ, दैनिक एक समय का भोजन करूंगा और शुरू में 6000 रुपये वेतन होगी अगर उसने मन लगाकर काम किया तो वेतन बढ़ा दी जाएगी। मैंने तुरंत हामी भर ली तो अंकल ने कहा ठीक है इकबाल साहब मैं चलता हूँ, बिन बाप के बच्चे है इसे अपना ही बच्चा समझेगा और एक सामयिक चक्कर लगाता रहूंगा उम्मीद है आपको इससे कोई शिकायत नहीं होगी।

यह कह कर अंकल चले गए जबकि इकबाल साहब बे काउन्टर का एक छोटा सा दरवाजा खोलकर मुझे अंदर आने को कहा तो मैं अब काउन्टर केपीछे खड़ा था। काउन्टर के अंदर जाते हुए मेरी नज़र दुकान के इस हिस्से में पड़ी जहां कल कुछ महिलाओं खड़ी थीं तो मेरे 14 ्बक रोशन हो गए। वहां महिलाओं के अंदर उपयोग के कपड़े यानी बरीज़ईर पड़े थे। अब मुझे समझ लगी कि कल वह महिला अपने लिए बरीज़ईर खरीद रही होंगी तभी इकबाल साहब ने पर्दा गिरा दिया था। खैर मैं अंदर आ गया तो इकबाल साहब ने मुझे काम समझाना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में दुकान में कुछ महिलाओं आईं तो इकबाल साहब ने कहा आप को चुपचाप देखना है कि ग्राहक से कैसे चर्चा की जाती है और उसे संतुष्ट किया जाता है। मैंने हाँ में सिर हिलाया, महिलाओं ने अपने लिए कुछ मेकअप उपकरण खरीदा है और मैं इकबाल साहब की डीलिंग पर विचार करता रहा। । इसी तरह पूरे दिन विभिन्न महिलाएँ कभी कभी आती रहीं और मैं चुपचाप इकबाल साहब को देखता रहा, दोपहर में वह अपने घर से खाना मंगवाया जो उनका एक छोटा बेटा देने आया था। मैं भी उनके साथ ही खाना खाया। पूरा दिन इसी तरह बीत गया। रात को 7 बजे इकबाल साहब ने मुझे छुट्टी दे दी तो मैं जल्दी से घर चला गया कि कहीं अंधेरा न हो जाए।

अगले दिन फिर से ठीक बजे दुकान पर पहुंच गया तो उस समय दुकान में एक महिला खड़ी थीं, महिला ने अपना चेहरा थोड़े से दुपट्टे से ढक रखा था। अपने कद काठ से वह एक बड़ी औरत लग रही थी, इकबाल साहब को नमस्कार करके अंदर ही चला गया तो इकबाल साहब ने इशारे से मुझे अपने पास ही बुला लिया। मैंने देखा कि इकबाल साहब के हाथ में एक स्किन कलर के बड़े आकार का ब्रा था जो उन्होंने महिला के हाथ में था दिया। महिला ने ब्रा को अपने हाथ में पकड़ कर थोड़ा नीचे और काउन्टर की ओट लेकर उसको खोलकर देखने के बाद वैसे ही वापस दे दिया और बोली इससे बड़ा आकार दिखाएँ। इकबाल साहब थोड़ा नीचे झुके और वह ब्रा वापस अपनी जगह पर रखने के बाद साथ दूसरा ब्रा निकालकर महिला को पकड़ा दिया, फिर से महिला ने खोल कर देखा और फिर पूछा उसके कितने पैसे? तो इकबाल साहब ने 300 की मांग की। महिला ने अपनी चादर हटा कर अपनी कमीज में हाथ डाला और अपने विशेष लॉकर से एक छोटा सा पर्स निकाला और इकबाल साहब को 300 रुपये निकाल कर दिए और वो ब्रा अपने हाथ में मौजूद शापर में कपड़ों के नीचे छुपा कर त्वरित दुकान से निकल गईं।

महिला के जाने के बाद इकबाल साहब ने मुझे फिर से वहां मौजूद चीजों के बारे में जानकारी दी और उनके रेट बताने शुरू कर दिए, साथ में एक सूची दे दी और मुझे कहा उसे याद कर लेना। मैं सारा दिन इस सूची को खाली समय में देखता रहा और चीजों के रेट मन नशीन करता रहा, जबकि ग्राहकों के आने पर में इकबाल साहब के साथ खड़ा होकर उनकी डीलिंग देखता। एक सप्ताह ऐसे ही बीत गया। एक सप्ताह बाद इकबाल साहब ने मुझे कहा कि बेटा अब जो महिलाओं शीर्षक पाउडर लेने आएंगी उन्हें आप डील करना है और जो कोई अपने अंदर के कपड़े लेने आएंगी उन्हें मैं देखूँगा। मैंने कहा ठीक है चाचा, लेकिन अगर मुझे कुछ परेशानी हो तो आप मेरी मदद करना। अंकल ने मेरे सिर पर हाथ फेरा और बोले चिंता नहीं करो यहीं मौजूद हैं। बेफिक्र होकर तुम आज काम शुरू करो। कुछ ही देर के बाद एक अधेड़ उम्र महिला दुकान में आईं जिनके साथ उनकी 2 बेटियां भी थीं। वह महिला इकबाल साहब के सामने जाकर खड़ी हो गईं और हल्की आवाज में बोली, बच्चियों के लिए आंतरिक कपड़े चाहिए। तो इकबाल साहब थोड़ा आगे होकर खड़े हो गए और छोटे आकार का ब्रा निकाल कर दिखाने लगे। उनकी एक छोटी बेटी भी आगे होकर देखना चाही तो आंटी ने उसे घूर कर देखा और पीछे रहने का निर्देश दिया, वह लड़की वापस मेरे सामने आकर खड़ी हो गई, मैंने उसके सीने की तरफ देखा तो मुझे पता चल गया था कि इस पर अभी ताजा ताजा जवानी आई है उसको सबसे छोटे आकार का ब्रा ही फिट आएगा।
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: ब्रा वाली दुकान

Post by kunal »

जितनी देर में आंटी ने अपनी बच्चियों के ब्रा खरीदे, इतनी देर में उनकी बेटी ने मुझसे कुछ लिपस्टिक दिखाने को कहा, मैं तुरंत एक लाल लिपस्टिक उसे दिखाई तो उसने कहा कोई अच्छा कलर दिखाओ ना। मैं एक और मैरून कलर की लिपस्टिक उसे दिखाई और कहा यह देखना बाजी यह आपके होठों पर बहुत अच्छी लगेगी। मैं अधिक से अधिक दिखाने की कोशिश की तो उस लड़की ने मुझे घूर कर देखा और लिप स्टिक वापस काउन्टर पर रखकर पीछे होकर खड़ी हो गई। मुझे थोड़ी शर्मिंदगी भी हुई और थोड़ा डर भी गया कि कहीं यह अपनी माँ को मेरी शिकायत न लगा दे। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ और कुछ ही देर बाद महिला ने अपनी लड़कियों के ब्रा खरीदे और दुकान से निकल गईं। शुक्र था कि इकबाल साहब ने भी मेरी बात नहीं सुनी थी। संक्षेप में धीरे धीरे यह सीख गया था कि महिलाओं से कैसे बात करनी है, कैसे लड़की से खुलना है और कैसे किसी लड़की से ही काम की ही बात करनी है। मुझे यह काम करते हुए 2 महीने का समय हो गया था इस दौरान इकबाल साहब भी मेरे प्रदर्शन और शालीनता से बहुत खुश थे। वह अक्सर मुझे दुकान पर अकेला छोड़कर दोपहर के समय अपने घर सुस्ताने के लिए चले जाते थे। दोपहर के समय ग्राहक कम होते थे इसलिए मुझे कभी कोई कठिनाई नही आई थी।

अब तक मैं सौंदर्य प्रसाधन और गहने आदि वस्तुओं की साइड पर ही था और ब्रा आदि सेल करने का मुझे कोई अनुभव नहीं था। एक दिन ऐसा हुआ कि इकबाल साहब दोपहर सुस्ताने के लिए अपने घर चले गए, उनके जाते ही एक मॉर्डन महिला ने दुकान में प्रवेश किया। उनकी उम्र कोई 30 के लगभग होगी, साथ एक बच्चा था जिसकी उम्र मुश्किल से 5 वर्ष होगी जो उनकी उंगली पकड़ कर उनके साथ चल रहा था। महिला ने सफेद रंग की बारीक कमीज पहन रखी थी और नीचे से एक मोटी समीज़ पहन रखी थी जो अमूमन औरतें अपनी कमीज के नीचे मगर ब्रा के ऊपर पहनती हैं। महिला के गले में दुपट्टा था जो उनके सीने तक को कवर करने के लिए पर्याप्त था। अंदर आकर महिला ने मेरी ओर देखा फिर इधर-उधर-देखते हुए बोलीं तुम ही होते हो दुकान पर ??? या तुम्हारे साथ कोई और होता है ??? मैंने कहा मैं तो कर्मचारी हूँ बेगम साहिबा दुकान के मालिक हैं मगर अब वह आराम करने घर गए हैं। महिला ने कहा अच्छा .... तो तुम सब कुछ सेल करते हो दुकान पर ??? यह उसने द्विअर्थी अंदाज में कहा, मैंने उन्हे मनाते हुए कहा जी मेडम सब कुछ सेल करता हूँ बताइए आपको क्या चाहिए .. वास्तव में मैं शक्ल व सूरत से 20 साल का होने के बावजूद बच्चा ही लगता था इसलिए वह महिला सोच रही थीं कि न जाने इस बच्चे को महिलाओं के अंडर गारमेंट्स का पता भी होगा या नहीं।

फिर महिला ने कुछ सोचा और बोलीं मुझे अपने लिए कुछ ब्रा चाहिए, कोई अच्छी सी दिखा दो। मुझे अपने कानों पर विश्वास नही आया, मुझे लगा शायद मैंने सुनने में गलती की है, मैं फिर पूछा जी साइज क्या चाहिए ??? तो वह बोलीं अरे भाई ब्रा चाहिए वे दिखा दो मेरे आकार के अनुसार। जब उन्होने अपने आकार के लिए कहा तो मैंने अपनी नज़रों का केंद्र उनके सीने को बना लिया, लेकिन मुझे महिलाओं के आकार का इस तरह देखकर अंदाज़ा नहीं था क्योंकि कभी दुकान पर मैंने ब्रा सेल ही नहीं किया था। मैंने अपनी नज़र उनके सीने पर जमाए थोड़ी काँपती हुई आवाज़ में पूछा मैम क्या नंबर है आपका? महिला ने बिना हिचके पूरे इत्मीनान से कहा, वैसे तो 34 भी सही आ जाता है लेकिन वह कभी कभी थोड़ा तंग हो जा ता है तो आप 36 नंबर में ही दिखा दो यह सुनकर मैंने महिला को आगे आने को कहा तो वह आगे आ गई, और मैं काउन्टर के सामने खड़ा हो गया जहां ब्रा पड़े होते थे, काउन्टर पर कई लाइने बनी हुई थीं हर पंक्ति के शुरू में एक छोटी सी पर्ची लगी हुई थी पर इस लाइन में पड़े ब्रा नंबर लिखा था।

मैंने 36 पंक्ति देखी और जो पहला ब्रा पड़ा था वह उठाकर कांपते हाथों से मेडम पकड़ा दिया। न जाने क्यों मेरे दिल में एक अनजाना सा डर था जैसे में कुछ गलत कर रहा हूँ। हालांकि इसमें कोई गलत बात नहीं थी लेकिन इसके बावजूद मेरे दिल में डर था कि अब कोई और न आ जाए वह मुझे ब्रा बेचते हुए देखेगा तो न जाने क्या हो जाएगा।

मेडम ने मेरे कांपते हाथों से ब्रा पकड़ा और तुरंत ही वापस पकड़ा दिया और बोलीं नहीं यह नहीं कोई अच्छी गुणवत्ता की दिखाओ। अगर नेट वाला है तो वह दिखा। मैंने वह ब्रा उनके हाथ से पकड़ कर वापस रखा और नीचे बैठ कर उसी लाइन में नेट वाले ब्रा देखने लगा, थोड़ी सी कोशिश के बाद मैं काले रंग में एक शुद्ध नेट ब्रा मिल गया जो काफी सॉफ्ट था। और गुणवत्ता मे भी अच्छा लग रहा था, मैंने वह ब्रा उठाकर मेडम पकड़ाया तो उन्होंने वह पकड़ा और मेरे सामने ही उसे खोल लिया। मेरे से खता हो गई थी क्योंकि, अभी तक मैंने जितनी महिलाओं को ब्रा खरीदते देखा था वह काउन्टर की आउट में ब्रा खोल कर देखती थीं मगर उन्होंने मेरे सामने ही काउन्टर के ऊपर ब्रा खोला और उसको पलट कर देखने लगी। फिर बोलीं इसमें और कौन कौन से कलर हैं ???

मैंने हकलाते हुए कहा मैम .. यह कल कलर भी अच्छा है ...

अच्छा है ....महिला हल्का सा मुस्कुराई वह समझ गई थी कि आज से पहले मैंने ब्रा सेल नहीं किया कभी। फिर वह हल्की मुस्कान के साथ बोली बेटा कोई और कलर है तो दिखा दो। मैं वह ब्रा उनके हाथ से लेने लगा तो उन्होंने कहा नहीं यह यहीं रहने दो तुम और कलर दिखाओ। मैंने नीचे बैठ कर लाल और स्किन कलर में भी इसी तरह का ब्रा निकाल लिया और उनके सामने रख दिया। मेरे हाथ अब तक कांप रहे थे और मेरे होंठ सूख चुके थे। शायद मेरे चेहरे से मेरी परेशानी कुछ ज्यादा ही स्पष्ट हो रही थी।

फिर महिला ने मुझसे उनकी कीमत पूछी तो मैंने बिना सोचे समझे 500 रुपये बोल दी क्योंकि उसकी गुणवत्ता मुझे पहले वाले ब्रा ज्यादा अच्छी लगी थी तो मैंने सोचा यह महंगा भी होगा। महिला ने कोई चर्चा नहीं की और लाल रंग का ब्रा एक साइड पर कर के बाकी 2 मुझे वापस कर दिए और बोलीं कोई और डिजाइन है तो वह भी दिखा दो। मैंने मन ही मन में मेडम को बुरा भला कहा और बैठ कर फिर से ब्रा के विभिन्न डिजाइन देखने लगा और मैं चाह रहा था वह तुरंत मुझे पैसे पकड़ाएँ और यहां से चलती बनें ताकि मेरी जान छूटे मगर वो मेडम तो मेरी जान छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी शायद उनको मेरी हालत देखकर मजा आ रहा था। अब की बार मैंने एक और डिजाइन का ब्रा निकाला जिसके कप यानी अगला हिस्सा जो मम्मों के ऊपर आता है वह फोम वाला था और काफी मोटा था, और उसके कप पर सुंदर लेस लगी हुई थी। और दोनों कपस के बीच भी एक छोटा सा फूल बना हुआ था। यह ब्रा नीले और काले रंग में था। मैंने दोनों कलर निकालकर मेडम को दिखा दिया। उन्होंने हाथ में पकड़ कर ब्रा को खोला और कप को हल्का सा दबा कर देखा और फिर उसका डिजाइन देखा तो बोलीं असली चीज़ तो आपने अब दिखाई है, यह सुंदर है। फिर दोनों रंगों बारी बारी देखती रहीं, फिर उन्होंने दोनों ब्रा मेरे सामने कर दिए और बोलीं इनमें से कौन सा कलर अच्छा लगेगा ??

उनका यह सवाल तो मुझ पर बिजली बनकर गिरा। अब मैं उन्हें कैसे बता सकता था कि कौन सा कलर अच्छा लगेगा। मगर मैंने हिम्मत इकट्ठा करके कहा मैम आपके रंग के अनुसार तो काले रंग का अच्छा लगेगा। मैंने किस मुश्किल से इस बात की मैं ही जानता हूँ। मेरी बात सुनकर मेडम मुस्कुराई और बोली ठीक है उसके कितने पैसे होंगे ?? मैंने कहा मेडम उसके भी 500, तो वह बोलीं ठीक है यह नीले रंग वाला वापस रख दो, मैंने नीले रंग का ब्रा वापस रखा तो मेडम ने नेट का ब्रा और फोम वाला काला ब्रा दोनों मेरे हाथ में पकड़ाए और बोलीं उनको शापर में डाल दो। मैंने जल्दी जल्दी एक सफेद शापर उठाया और दोनों ब्रा इसमें डालकर उस महिला को पकड़ा दिए। उन्होंने एक नज़र मुझे और फिर एक नज़र शापर पर डाली फिर शापर की ओर इशारा करते हुए बोलीं, यह इसको बाजार में इसी तरह लेकर फिरूँगी में ???
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: ब्रा वाली दुकान

Post by kunal »

मेडम ने कहा इसको किसी खाकी कागज के लिफाफे में पैक करो फिर काले रंग के शापर में डालो वह लिफाफा। उनकी बात सुन कर मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ, एक दो बार मैंने इकबाल साहब को इसी तरह कागज खाकी लिफाफा ब्रा डाल कर देते हुए देखा था। मैंने मेडम के कहने के अनुसार ब्रा पैक किया और उन्हें थमा दिए। मेडम ने अपने हैंडबैग से एक छोटा पर्स निकाला और उसमें से 1000 का नोट मुझे थमाते हुए बोलीं, पूरे लोगे या कुछ छूट भी करोगे ?? मैंने कहा मेडम फिक्स रेट है हमारा लेकिन आपको 50 रुपये की छूट देंगे। यह कह कर मैंने 50 रुपये मेडम को पकड़ाये तो उन्होंने कहा थॅंक यू और वह पैसे लेकर अपने पर्स में डाले और जाते हुए मुझे एक शरारती मुस्कान से देखकर गईं। शायद अब भी वह मेरी हालत से आनन्दित हो रही थी उनके जातेही मैंने कूलर से 2 गिलास पानी पिये और गहरी गहरी सांस लेकर अपनी स्थिति सही की उसके बाद कुछ और औरतें आईं मगर वे लिप स्टिक पाउडर के लिए आई थीं।

कुछ देर बाद इकबाल साहब भी आ गए, उन्होंने मुझसे पूछा हां सलमान बेटा कोई चीज बेच दिया है? मैंने डरते डरते कहा जी हाजी साहब .... उन्होंने कहा क्या चीज़ बिकी ?? मैंने डरते डरते कहा हाजी साहब वह एक महिला आई थीं ..... वह ........ इकबाल साहब बोले वे ??? क्या लेकर गई हैं / ?? मैंने कहा वह जी ...... वह अपने लिए .... ख .... बर ... ब्रा लेकर गई हैं .... यह कहते हुए मेरी हालत खराब हो रही थी। इस पर हाजी साहब ने मुझे आश्चर्य से देखा और बोले आपने ब्रा बेचे आज ???

मैंने डरते डरते कहा जी हाजी साहब ... वे वास्तव में ...... उन्होंने पूछा तो मैंने सोचा कि ग्राहक वापस नहीं जाना चाहिए तो मैंने वह बेच दिए। यह सुनकर हाजी साहब मुस्कुराए और मेरी कमर पर थपकी देते हुए बोले शानदार भाई, यानी अब तुम सीख गए हो। फिर उन्होंने मुझसे पूछा कौन से ब्रा बेचे और कितने में

जब मैने बताया तो उन्होंने कहा बहुत खूब, आपने तो 100 रुपये अधिक बचत करवा दी। आज से तुम सिर्फ गहने और सौंदर्य प्रसाधन नहीं बल्कि अंडर गारमेंट्स भी सेल किया करोगे।

फिर हाजी साहब ने खाली समय में रात 9 बजे के करीब जब बाजार में भीड़ बिल्कुल खत्म हो गया था मुझे विभिन्न आकार के ब्रा के बारे में और उनके डिजाइन के बारे में बताया, कौन से ब्रा कहाँ पड़े हैं, देसी ब्रा, फिर इंपोर्टेड ब्रा और फिर भारतीय और आई एफ जी ब्रा भी दिखाए जो काफी महंगे थे, एक ब्रा 1000 रुपये तक का भी था। उसके बाद हाजी इकबाल साहब ने मुझे महिलाओं के अंडर गारमेंट के बारे में भी बताया इसमें छोटे, मध्यम और लार्ज के बाद एक्स्ट्रा लार्ज आकार तक के अंडर गारमेंट थे। फिर उस दिन से मैंने ब्रा भी सेल शुरू कर दिए, कभी आभूषण आदि दिखाता तो कभी ब्रा और अंडर गारमेंट सेल करता है। दोनों तरफ मेरा ध्यान जाने लगा तो हाजी साहब मेरे प्रदर्शन से काफी खुश हुए और 4 महीने के बाद मेरा वेतन 6 से बढ़ाकर 7000 कर दिया जिसकी मुझे बहुत खुशी हुई। इस दौरान अंकल भी महीने में एक दो बार चक्कर लगाकर मेरे प्रदर्शन के बारे में हाजी साहब से पूछ लेते थे।

यहाँ मैंने एक बात नोटिस की थी कि स्थानीय महिलाएं तो हाजी साहब से ही खराब मांग करती थीं, लेकिन जो कुछ आधुनिक किस्म की महिलाएं होती थीं वे ज्यादातर मुझे ही कहती थीं ब्रा दिखाने के लिए, और मैं उनकी उपस्थिति में स्थिति के अनुसार अच्छी गुणवत्ता और लो गुणवत्ता का माल दिखाता था।

इस दौरान हाजी साहब ने मुझे एक मोबाइल भी ले कर दिया था ताकि जरूरत के समय में उनसे संपर्क कर सकूं। फिर कभी माल समाप्त होता तो हाजी साहब लाहौर से माल लेने चले जाते और उस दिन सुबह से रात तक दुकान में अकेला ही होता है और अगले दिन हाजी साहब को पिछले दिनों की सेल का पैसा दे देता। फिर एक दिन दुकान पर खाली ही बैठा था कि मेरे नंबर पर एक कॉल आई मैंने हैलो कहा तो आगे से एक महिला की आवाज आई उन्होने हाय के जवाब में कहा कैसे हो सलमान बेटा ?? मुझे आवाज़ तो जानी पहचानी लगी मगर मैं समझ नहीं सका कि यह किसकी आवाज है। मैंने कहा जी मैं ठीक हूँ, लेकिन आप कौन? तो इस पर वह बोलीं अरे बेटा मैं तुम्हारी सलमा आंटी बात कर रही हूँ, तुम्हारे अंकल से तुम्हारा नंबर लिया था। सलमा आंटी का नाम सुनकर मैंने कहा जी आंटी मैं बिल्कुल ठीक हूँ सुनाएं आप कैसी हैं ??

आंटी ने कहा कि वह भी ठीक हैं। फिर कुछ इधर उधर की बातें करने के बाद आंटी ने मुझे कहा कि बेटा तुमसे एक काम है, कहते हुए शर्म भी आ रही है, लेकिन फिर तुम तो अपने बच्चों की तरह ही हो, तो सोच रही हूँ तुम्हें ही कहूँ मुनब्बर तो मुझे जाने नहीं देते बाजार। और खुद वह कुछ लाते नहीं उन्हें छुट्टी नहीं मिलती रात को थक घर आते हैं तो उस समय में उन्हें कह नहीं पाती।

मैंने कहा आंटी मैं तो आपके बच्चे की तरह ही हूँ बिना हिचक बताओ क्या काम है। आंटी कुछ देर चुप रही, फिर बोलीं बेटा वो मुझे वास्तव में कुछ चीजें चाहिए थीं। वह तुमसे मनवानी थीं। मैंने कहा आंटी आप आदेश करें आपको जो चाहिए में लेकर हाज़िर हो जाउन्गी फिर आंटी बोलीं बेटा तुम्हें तो पता ही है दुकानों में कैसे आदमी खड़े होते हैं, और वह महिलाओं को कैसी गंदी गंदी नज़रों से देखते हैं इसलिए मैं तो इसे लेने दुकान पर खुद जाती नहीं तुम्हारे अंकल ही मेरे लिए लेकर आते हैं मगर अब वह व्यस्त बहुत हैं और मुझे जरूरत भी है। मैंने कहा आंटी आप बिना हिचक बताओ आपको क्या चाहिए आपको। मुझे कुछ कुछ समझ लग गई थी कि आंटी को क्या काम है, मगर फिर भी कन्फर्म कर लेना चाहिए था। फिर सलमा आंटी ने एक अनिच्छा से कहा बेटा वह काफी दिनों से सोच रही थी कि मुनब्बर से अपने लिए ब्रेजियर मन्गवाऊ मगर उन्हें समय नहीं मिल रहा और मैं बाजार से खुद जाकर कभी लाई नहीं, मुझे मुनब्बर ने बताया था कि जिस दुकान पर तुम काम करते हो वहाँ पर ब्रा आदि भी होते हैं अगर तुम मेरे लिए ले आओ, तब मेरी बड़ी मुश्किल आसान हो जाएगी।

पहले यह समझ गया था आंटी जो कहा अनिच्छा से कहा मगर उनके मुंह से सुनने के बाद मैंने कहा आंटी इसमें शरमाने वाली कौनसी बात है, यहाँ तो पता नहीं कितनी औरतें आती हैं जिन्हें ब्रा बेचता हूं, यदि आपको चाहिए तो आपके लिए भी लेता आउन्गा आंटी ने कहा बहुत बहुत धन्यवाद बेटा, तुमने तो मेरी मुश्किल आसान कर दी। फिर कब आओगे तुम ?? मैंने कहा आंटी कल शुक्रवार है, दुकान बंद होगी मेरी छुट्टी है, तो मैं कल ही लेकर आपकी ओर आ जाउन्गा आंटी खुश होकर बोलीं अरे यह तो बहुत अच्छी बात है। बस फिर तुम कल आजाो। अच्छा तो कल मिलते हैं, यह कह कर आंटी शायद फोन बंद करने लगी तो मैंने जल्दी जल्दी कहा, आंटी आंटी बात सुनिए ...

मेरी आवाज सुनकर आंटी ने कहा - हां बोलो? मैंने कहा आंटी अपना नंबर तो बताओ मुझे कैसे पता लगेगा कि कौन से आकार लेने हैं, उस पर आंटी बोलीं ओह .... मुझे याद ही नही रहा आकार बताने का अच्छा हुआ आपने खुद ही पूछ लिया। बेटा तुम 38 नंबर ले आना। 38 आकार सुनकर मैंने मन ही मन सोचा कि मुनब्बर अंकल के तो मजे हैं उनको इतने बड़े मम्मों वाली पत्नी मिली है। फिर मैंने तुरन्त ही पूछा अच्छा आंटी फोम वाले लाने हैं या नेट वाले या कपास में ??? आंटी ने कुछ सोचा और फिर बोलीं बेटा ऐसा नहीं हो सकता तुम अलग अलग तरह के ले आओ जो मुझे जो पसंद आएँगे वही ले लूँगी ??? मैंने कहा क्यों नहीं आंटी अधिक लाने से अच्छा ही होगा फिर आप अपनी पसंद के अनुसार जो रखना होगा रख लीजिएगा। अच्छा आंटी यह भी बता दें आपको अपने लिए अंडर गारमेंट भी चाहिए या फिर सिर्फ ब्रा ही चाहिए। यह सुनकर आंटी ने कहा नहीं बेटा बस ब्रा ही चाहिए।

फिर अचानक बोलीं अच्छा सुनो सुनो .... अंडर गारमेंट भी 2 ले आना मगर छोटे आकार के। मैंने कहा छोटे आकार के ??? आंटी ने कहा हां बेटा मुझे तो नहीं मगर वह शमीना अब बड़ी हो चुकी है न तो उसके लिए चाहिए तो उसके आकार के अनुसार छोटे अंडर गारमेंट भी ले आना। मैंने मन ही मन में उनकी बेटी शमीना की गाण्ड के बारे में सोचा तो उसके लिए वास्तव मे छोटे आकार के अंडर गारमेंट ही चाहिए थी। मैंने कहा ठीक है आंटी आप बेफिक्र हो जाएं मैं ले आउन्गा

फोन बंद करके मैं अब सोचने लगा कि हाजी साहब को क्या कहूंगा ??? फिर जब हाजी साहब आ गए तो मैं ने हाजी साहब को बताया कि मुनब्बर अंकल ने अपनी पत्नी के लिए कुछ ब्रा मंगवाए हैं वे ले जाऊं? वह खुद आते हुए ज़रा संकोच कर रहे थे ??

हाजी साहब ने हंसते हुए कहा हा हा हा इसमें संकोच वाली कौनसी बात है वह कौन सा महिलाओं से लेकर जाएंगे, यहां तो औरतें भी ले जाती है वह पुरुष होकर शर्मा रहा है, लेकिन फिर उन्होंने बिना कोई बात किए कहा, ठीक है ले जाना, लेकिन मुफ्त में न दे आना पैसे ले लेना उनसे मैंने कहा जी हाजी साहब ये तो जाहिर सी बात है पैसे लूँगा। फिर मैंने हाजी साहब की मौजूदगी में ही 38 आकार के एस 7 ब्रा पसंद किए और एक शापर में डाल लिए और फिर छोटे आकार के 2 अंडर गारमेंट उठाए और वह भी इसी शापर में डाल दिए। हाजी साहब ने कहा अरे इतने अधिक अचार डालेगा क्या ??? मैंने कहा हाजी साहब जो वह रखना चाहेंगे रख लेंगे बाकी इसी तरह वापस ले आउन्गा उन्होंने कहा अच्छा चलो ठीक है मगर ध्यान से ले जाना .
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: ब्रा वाली दुकान

Post by kunal »

अगले दिन सुबह 11 बजे मुनब्बर अंकल के घर पहुँच गया। शुक्रवार का दिन था सरकारी छुट्टी न होने के कारण मुनब्बर अंकल घर पर नहीं थे, जबकि उनकी बेटी शमीना अभी स्कूल से वापस नहीं आई थीं। शमीना से छोटी बेटी अभी जो 10 साल की थी उसकी तबीयत खराब थी जिसकी वजह से वह स्कूल नहीं गई और घर पर ही एक कमरे में सो रही थी। घर गया तो सलमा आंटी ने खुश होकर मुझे अंदर बुला लिया। मगर वह कुछ कुछ मुझसे शर्मा भी रही थीं। उन्होंने मुझे उसी कमरे में बिठा दिया जहां मुनब्बर अंकल के होते हुए बैठा था। यह मुख्य कक्ष था टीवी भी लगा हुआ था। मुझे बैठाकर आंटी किचन में चली गई और कुछ ही देर में मीठे सिरप का एक गिलास बनाकर मेरे लिए ले आई मेरे सामने पड़ी टेबल पर सलमा आंटी झुकी और सिरप का जग जो एक बड़ी ट्रे में था मेरे सामने रखा, जिसके दौरान झुकने की वजह से उनकी कमीज से उनके बड़े 38 आकार के मम्मे कमीज से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे, मेरी नजर उनकी कमीज के अंदर मौजूद मम्मों और उनके बीच की गहरी लाइन पर पड़ी तो मुझे कुछ कुछ होने लगा, मैंने तुरंत ही अपना चेहरा नीचे कर लिया। आंटी भी तुरंत ही सीधी हो गई और मेरे साथ वाली कुर्सी पर बैठ गईं और बोलीं बेटा पानी पियो।
Image
उनकी नजरें मेरे हाथ में मौजूद शापर पर थीं। मगर वह मुझसे शापर मांगते हुए संकोच कर रही थीं। गर्मी अधिक थी मैंने जल्दी जल्दी सिरप का एक गिलास पिया और फिर आंटी को देखा। आंटी ने तब सफेद रंग की एक कमीज पहन रखी थी और गले में दुपट्टा ले रखा था, कमीज ठीक थी और गर्मी की वजह से शायद आंटी ने समीज़ भी नहीं पहनी थी जिसकी वजह से उनका काले रंग का ब्रा भी सफेद कमीज में से बड़ा स्पष्ट नजर आ रहा था। उन्हें ऐसी हालत में देख कर मुझे अपने अंडरवेअर में बेचैनी महसूस होने लगी थी, मगर मैं पूरी कोशिश कर रहा था कि सलवार में मौजूद हथियार अपना सिर न उठाए तो अच्छा है वरना सलमा आंटी ने नोट कर लिया तो शर्मिंदगी होगी। सिरप पीने के बाद आंटी ने शापर को देखते हुए पूछा और बेटा तुम्हारा काम कैसा जा रहा है, मैंने कहा आंटी काम तो अच्छा जा रहा है, और बहुत जल्दी सीख भी गया हूँ, अब तो इकबाल साहब दुकान पर हों या न हों पूरी दुकान में ही संभालता हूं, चाहे किसी को अपने लिए ब्रा लेने हों या मेकअप का समान, सब कुछ में ही डील करता हूँ। यह कहते हुए मैंने शापर पकड़ कर उसमें हाथ डाला और सारे ब्रा निकालकर आंटी सामने टेबल पर रख दिए।
Image
आंटी ने ब्रा पर नज़र पड़ते ही पहले तो बौखला कर इधर उधर देखना शुरू कर दिया जैसे तसल्ली कर रही हों कि हमें कोई देख तो नहीं रहा और नज़रें चुरा चुरा कर ब्रा देखने लगीं। मैं समझ गया था कि वे वास्तव में दुकान पर जाते हुए शरमाती होंगी गैर मर्दों से अपने अंदर पहनने वाली चीजें लेते हुए। मगर पिछले कुछ महीनों के दौरान मैं एक अच्छा सेल्स मेन बन चुका था, और महिलाओं को ब्रा दिखाने के लिए पर्याप्त अनुभव भी हो गया था। मैंने पहले एक काले रंग का ही फोम वाला ब्रा उठाया और आंटी के पास खिसक कर बैठ गया, और मैंने वह ब्रा आंटी के सामने किया और आंटी को दिखाते हुए बोला, यह देखना आंटी यह बहुत अच्छी है। कितनी सॉफ्ट है और उसके अंदर फोम भी लगा हुआ है जिससे आकार थोड़ा बड़ा लगता है और सौंदर्य में वृद्धि होती है। अब की बार आंटी के हाथ कांपते हुए लग रहे थे, उन्होने कांपते हाथों मेरे हाथ से ब्रा पकड़ा और उसको ध्यान से देखने लगीं, लेकिन उनके चेहरे से परेशानी स्पष्ट हो रही थी। मैंने फिर आंटी को देखते हुए कहा आपने पहले भी काले रंग का ब्रा ही पहन रखा है, यह रंग तो आपके पास है। आप रहने दें, लाल रंग में देख लें मैंने उनके हाथ से ब्रा पकड़ लिया और लाल रंग का फोम वाला ब्रा उठाकर उन्हें पकड़ा दिया।
Image
आंटी ने कहा मेरा आकार तो पहले से ही बहुत बड़ा है उससे तो और भी बड़ा दिखेगा ... मैंने मुस्कुराते हुए कहा नहीं आंटी आपका आकार तो अच्छा है, पुरुषों को यही आकार की पसंद होता है और अगर थोड़े बड़े भी लगेंगे तो भी ब्रा नहीं लगेगा बल्कि आपकी सुंदरता में और वृद्धि हो जाएगी। यह सुनकर सलमा आंटी होंठो ही होंठो मे मुस्कुराई और बोली अच्छा तुम कहते हो तो मान लेती हूँ मगर मुझे तो लगता है कि मेरा आकार बड़ा बड़ा है। सलमा आंटी की हिचकिचाहट धीरे धीरे कम हो रही थी। फिर मैंने कहा आंटी पहले तुम पहन कर देख लो तो मैं आपको और भी दिखा देता हूं। आंटी ने कहा नहीं पहनने की क्या जरूरत है, बाद में देख लूँगी नहीं। मैंने कहा अरे आंटी फायदा क्या फिर अपनी दुकान होने का ... यह तो आप दुकान से जाकर भी इस तरह बिना देखे ला सकती हैं, अगर आकार बाद में खराब निकले तो चेंज करना पड़ता है। अब मैं आया हुआ हूँ तो पहन कर जाँच लें अगर ये ठीक नहीं तो कोई और दिखा दूँगा। मेरी बात सुनकर आंटी ने सोचा कि सलमान तू सही है। यही सोचकर वह लाल रंग का फोम वाला ब्रा लेकर उठी और अपने कमरे में चली गईं।

कमरे में जाकर आंटी ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और थोड़ी देर के बाद बाहर आईं तो अब उनकी कमीज के नीचे काले की बजाय लाल रंग का ब्रा लग रहा था। आंटी मेरे पास आई तो मैं ने पूछा आंटी कैसा लगा ब्रा ??? आंटी ने कुछ सोचते हुए कहा ठीक है, लेकिन मुझे लग रहा है कि इससे सीने का आकार और अधिक बड़ा लगने लगा है। मैंने आंटी के बूब्स को घूरते हुए कहा अरे नहीं आंटी, यह तो बहुत सुंदर लग रहा है आप पर। अंकल मुनब्बर तो आपका यह लाल रंग का ब्रा देखेंगे तो लट्टू हो जाएंगे आप पर .

मेरी बात सुनकर आंटी शरमाते हुए बोलीं, चल बदमाश .. फिर मैंने आंटी से पूछा, आंटी आकार तो ठीक है ना इस ब्रा का ???

आंटी ने कहा हां बेटा ठीक है। मैंने पूछा और कोई प्रॉब्लम आदि या फिटिंग कोई समस्या तो नहीं ??

आंटी ने कहा नहीं बेटा बिल्कुल सही है, कोई समस्या नहीं। फिर मैंने आंटी को एक नेट का ब्रा दिखाया। यह हल्के नीले रंग का ब्रा था जिसके ऊपरी हिस्से पर जालीदार नेट लगी हुई थी। इस ब्रा से मम्मों का आकार स्पष्ट नजर आता था, जबकि निपल्स और निचला हिस्सा ढका रहता था मैंने आंटी को ब्रा पकड़ा दिया और कहा आंटी भी चेक कर लें। आंटी ने मेरे हाथ से वह ब्रा पकड़ा और उसको पलट कर देखने लगी, फिर बोलीं इसमें तो नजर आएंगे। मैंने कहा जी आंटी, यह बहुत सेक्सी ब्रा है, मॉर्डन महिलाए मेरे से नेट का ब्रा लेकर जाती हैं। मेरी बात सुनकर आंटी धीरे आवाज में बोलीं, हां मगर तुम्हारे अंकल सेक्सी नहीं हैं ना आंटी ने यह बात बड़ी धीरे आवाज़ में कही थी मगर मैंने सुना था, लेकिन मैं अनजान बना रहा और आंटी से पूछा, आंटी आपने मुझसे कुछ कहा ??? आंटी बोलीं नहीं बेटा कुछ नहीं। यह चेक कर लेती हूँ।

आंटी फिर अपने कमरे की तरफ जाने लगी तो इस बार मैं भी आंटी के पीछे ब्रा उठाकर चल पड़ा। आंटी दरवाजा बंद करने लगीं तो मुझे दरवाजे पर ही देखकर बोली क्या है ?? मैंने कहा आंटी आप बार बार कमीज उतारेन्गी, फिर ब्रा पहनकर कमीज फिर पहनेंगी, तो फिर से बाहर आकर दूसरा ब्रा लेंगी, मैं यहीं कमरे के बाहर ही खड़ा हो जाता हूं, आप ब्रा पहनकर जाँच करें, जो ठीक लगे वह रख लें, और फिर वह उतारकर मुझसे दूसरा ब्रा मांग ले, मैं बाहर से ही आपको पकड़ा दूंगा जिससे आपका समय बचेगा। आंटी ने कहा ये ठीक है। और दरवाजा बंद कर लिया। कुछ देर बाद दरवाजा खुला तो आंटी ने एक हाथ बाहर निकाल कर ब्रा मेरी तरफ बढ़ाया और बोलीं यह ठीक नहीं, काफी तंग है कोई और दिखा। मैंने आंटी का गोरा गोरा हाथ देखा और एक पल के लिए सोचा कितना मज़ा अगर यह हाथ पकड़ कर आंटी को ऐसे ही बाहर खींच लूँ, मगर मैंने तुरंत ही इस विचार को अपने मन से झटक दिया। और एक और नेट का ब्रा जो पिंक कलर का था आंटी की ओर बढ़ा दिया। आंटी ने वह ब्रा पकड़ा और दरवाजा बंद कर लिया। थोड़े इंतजार के बाद दरवाजा खुला और आंटी ने कहा बेटा उसका आकार ठीक है, और मैंने आईने में देखा है, यह अच्छा भी लग रहा है। मैंने कहा ठीक है आंटी वह उतारकर आप एक साइड पर रख दें, मैं आपको और ब्रा पकड़ाता हूँ। आंटी ने ठीक है


आंटी ने ब्रा उतारना शुरू किया, मगर इस बार वह शायद दरवाजा बंद करना भूल गई थी। मैंने थोड़ा आगे होकर डरते डरते अंदर झांकने की कोशिश की तो आंटी की कमर मेरी तरफ थी, उनके दोनों हाथ पीछे कमर पर थे और वह अपने ब्रा के हुक खोल रही थीं। क्या चिकनी और सुंदर कमर थी आंटी की, देखने मे मज़ा आ गया था, नीचे सलवार में उनके बड़ेबड़े चूतड़ बहुत सुंदर लग रहे थे, मन कर रहा था कि अब आगे बढ़ुँ और उनके चूतड़ों की लाइन में अपना लंड फंसा दूं आंटी ने ब्रा उतार कर सामने पड़ी मेज पर रख दिया और वापस मुड़ने लगी। जैसे ही आंटी वापस मूडी, मैं एकदम से पीछे हो गया और ऐसे इधर उधर देखने लगा जैसे मुझे कुछ पता ही न हो।

फिर आंटी का फिर से एक हाथ बाहर आया और आंटी ने कहा बेटा और कौन सा ब्रा है वह भी दिखा दो। मैंने एक और ब्रा जो कपास का था और स्किन कलर का था वह आगे बढ़ा दिया, आंटी ने कलर देखकर कहा बेटा ये कलर तो पड़े हैं पहले भी मेरे पास।
Image
मैंने कहा कोई बात नहीं आंटी, आप पहन कर तो देखें हो सकता है यह आपको पसंद आ जाए। दरअसल मैं आंटी को फिर से देखने का चांस लेना चाहता था, इसलिए मैंने सोचा, अब आंटी यह पहन कर देंगी कि नहीं कोई और दो, तो 2 बार अधिक आंटी को देखने का चांस मिल सकता है, और हो सकता है इस से ज़्यादा भी मिले

एक बात तो मानने वाली थी कि 40 साल की उम्र होने के बावजूद आंटी का शरीर बहुत सेक्सी था। उन्होंने अपने शरीर को न तो अधिक मोटा होने दिया था और न ही उनका शरीर लटकना शुरू हुआ था, इस उम्र में आमतौर पर पाकिस्तानी महिलाए या तो बहुत मोटी हो जाती हैं, या फिर उनका मास लटकना शुरू हो जाता है, मगर आंटी का शरीर ऐसा बिल्कुल नहीं था। खैर आंटी ने अब फिर मेरे हाथ से स्किन कलर का ब्रा पकड़ लिया था और फिर पहले की तरह ही उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था। जैसे ही आंटी ने मेरे हाथ से ब्रा पकड़ा में फिर से आगे खिसका और आंटी के दर्शन करने के लिए दरवाजे में मौजूद थोड़ी सी जगह से आंटी के शरीर देखने की कोशिश करने लगा। जैसे ही मैं आगे बढ़कर अंदर देखने लगा, तब आंटी का चेहरा मेरी तरफ ही था, लेकिन उनकी निगाहें अपने हाथ में मौजूद ब्रा पर थीं। और वह धीरे धीरे दूसरी ओर मुड़ रही थीं। इसी दौरान मैंने सौभाग्य से आंटी के 38 आकार के मम्मे देख लिए। वाह ..... क्या मम्मे थे। दिल किया कि उनको अपने मुंह में लेकर उनका सारा दूध पी जाऊं, लेकिन फिलहाल मुझे जूते खाने से डर लग रहा था इसलिए मैंने इस इच्छा को मन में ही दबा लिया।
Image
इस उम्र में भी आंटी के मम्मे चूसने लायक थे। और उनके मम्मों पर ब्राउन रंग का दायरा कुछ ज्यादा ही बड़ा था, और उनके निपल्स भी कुछ बड़े थे, लेकिन वह किसी भी आदमी को आकर्षित करने के लिए अच्छे मम्मे थे। अब आंटी अपना मुंह दूसरी तरफ कर चुकी थीं और स्किन कलर का ब्रा पहन रही थीं, आंटी के दूसरी तरफ शीशा माजूद था जो मुझे नजर नहीं आ रहा था, ब्रा पहनने के बाद आंटी ने अपने आप को इस शीशे में देखा, लेकिन शायद उन्हें यह ब्रा पसंद नहीं आया तो उन्होंने वह ब्रा उतारा और वापस मूड गई, इस बीच मैं तुरंत ही वापस पीछे होकर खड़ा हो गया था। मैं तो पीछे हो गया, मगर मेरा लंड जो इस समय मेरी सलवार में था वह खड़ा होकर अपनी उपस्थिति का एहसास दिलाने लगा था। आंटी फिर बाहर हुईं, यानी अपना हाथ बाहर निकाला और ब्रा मुझे पकड़ा दिया, इस बीच एक और ब्रा आंटी को पकड़ाया इसी तरह, 2, 3 ब्रा आंटी ने चेक किए। इस दौरान दरवाजा थोड़ा और खुल गया था और अब मेरे लिए अंदर का नज़ारा पहले से बहुत बेहतर हो गया था। अब मुझे आंटी के सामने मौजूद दर्पण भी नजर आ रहा था, और जब आंटी अपना ब्रा उतार रही थीं और दूसरा ब्रा पहन रही थीं, उस दौरान मैंने आंटी के बूब्स का बड़ी बारीकी से निरीक्षण कर लिया था और उन्हें देखकर अब मेरे लंड की बुरी हालत हो रही थी, मेरा लंड की टोपी से निकलने वाला फीता दार पानी अब मेरी सलवार को गीला कर रहा था मगर मुझे उसकी कोई चिंता नहीं थी, मुझे तो उस समय बस मम्मे देखने का शौक था। संक्षेप में आंटी सलमा ने एक एक करके सारे ब्रा चेक कर लिए और फिर एक अंतिम ब्रा जो मैंने उन्हें दिखाया, वह हल्के पीले रंग का था और उसके ऊपर लाल और हल्के नीले रंग के छोटे फूल बने हुए थे। वह ब्रा पहन कर आंटी ने ऊपर से कमीज पहनी और फिर अन्य 2 ब्रा उठाकर कमरे से बाहर आ गई।

Image
मैं आंटी के आगे चलता चलता वापस पहले वाले कमरे में अपनी जगह पर बैठ गया और बैठने से पहले अपने लंड को पकड़ पैरों के बीच दबा दिया। मेरे पीछे पीछे आंटी सलमा भी आकर बैठ गईं और बोलीं बस बेटा यह 3 ब्रा ही रखूंगी। इनका बता दो कितने पैसे बनते हैं। मैंने कहा आंटी आप यह बताएं आपको पसंद भी आया है या नहीं ?? आंटी बोलीं अच्छे हैं, सभी अच्छे हैं, लेकिन मुझे बस 3 चाहिए, पहले वाले फटे पुराने हैं, उनसे 3 से 2 महीने तो निकल ही जाएंगे आराम से। मैंने आंटी के बूब्स पर नज़र डालते हुए कहा, आंटी मुझे तो यही अधिक पसंद आया था जो इस समय आपने पहना हुआ है ... आंटी ने चौंक कर अपने मम्मों की ओर देखा और यह देखकर थोड़ी शर्मिंदा हुई कि उनका ब्रा कमीज से दिख रहा है, लेकिन फिर वह बोलीं हां यह भी अच्छा है, बाकी भी अच्छे हैं। अब तुम पैसे बता दो।

Post Reply