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मैं कुछ देर चुप रहा और फिर कहा मैम आपकी वैसे हिम्मत है, और यह आपका प्यार ही है कि आप अपनी जरूरत पूरी न होने के बावजूद उनको फारिग करवा देती हैं।
इस पर वह बोलीं, हाँ जब वो सही थे तो वह मेरा बहुत ख्याल रखते थे, कभी उन्होंने मुझे कोई परेशानी नहीं होने दी, अब अगर वो संकट में हैं तो मेरा कर्तव्य बनता है उनकी देखभाल करूँ
फिर मैंने कहा अच्छा मैम एक और बात पूछूँ ???
लैला मैम ने कहा हां पूछो ??
मैंने कहा आप ने हवेली में मेरा देखा है, कैसा लगा आपको ???
लैला मैम ने कहा, क्या कैसा लगा ??
मैं अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा, यह कैसा लगा आपको।
अब की बार लैला मैम मुस्कुराई और बोली तुम्हारी सुई अभी वहीं अटकी हुई है। फिर खुद ही बोलीं कि तुम्हें देखकर लगता नहीं कि तुम्हारा इतना बड़ा होगा।
मैंने कहा मतलब आपको अच्छा लगा ???
लैला मैम ने कहा हां अच्छा है। लंबाई भी अच्छी है और मोटाई भी।
मैंने कहा तो आपका दिल नहीं करता ???
लैला मैम फिर मुझे देख कर मुस्कुराने लगीं और बोलीं मन तो बहुत करता है, लेकिन यह गलत है।
मैंने कहा अच्छा काम तो कर ही सकते हैं आप।
लैला मैम ने कहा वह क्या ??
मैंने कहा उस दिन पार्टी में भी आप ने मेरा बुरा हाल किया था, और आज ट्यूबवेल में भी। आप तो सहन कर लेती हैं, मगर मेरा हाल बुरा है और अब तक मेरा खड़ा है। जैसे आप अपने पति को फारिग करवा देती हैं वैसे ही मुझे भी करवा दें ???
लैला मैम कुछ देर सोचती रहीं, फिर बोलीं नहीं सलमान, ऐसा नहीं हो सकता। मेरी सहनशक्ति इतनी भी नहीं कि मैं अपने हाथ में लेकर बैठूँ, मुंह में डालु और फिर भी मैं अपने अंदर न लूँ उसे। तुम मुझे इस मुश्किल में मत डालो प्लीज़। यह कहते हुए लैला मैम की आंखें भीग गईं थी और वह वहां से उठकर चली गईं।
लैला मैम के जाने के बाद कुछ देर अपनी जगह पर स्तब्ध बैठा रहा, और फिर मैं भी नाश्ता अधूरा छोड़कर बाहर चला गया और बाइक पर वापस अपने घर आ गया। घर पहुंच कर मैं सीधा अपने कमरे में चला गया और वहाँ कुछ ही देर बाद मैंने अपनी पड़ोसन को बुला लिया, उसे बिस्तर पर लिटा कर मैंने जी भर कर उसकी चुदाई की। काफी दिन से मैंने इसे नहीं चोदा था, वह भी काफी प्यासी थी चुदाई के लिए और मेरी अपनी स्थिति भी आज कुछ अच्छी नहीं थी, लैला मैम की चूत ना मिलने का सारा गुस्सा मैंने अपनी पड़ोसन पर निकाल दिया और उसकी चूत और गाण्ड मार मार कर मैंने उसका बुरा हाल कर दिया। मगर वह भी खुश थी कि आज इतने दिन बाद इतनी शानदार चुदाई हो गई उसकी। शाम के समय चुदाई करवाने के बाद वह वापस अपने घर चली गई तो मैंने रात में फिर उसे बुला लिया और फिर उसकी चूत और गाण्ड को जमकर चोदा। इसके बाद जाकर मेरे लंड को आराम मिला और पड़ोसन भी खुश हो गई।
अगले दिन सुबह जाकर दुकान खोली तो मेरे लंड को पूरी तरह आराम और शांति प्राप्त थी लेकिन लैला मैम की चूत न मिलने का गम अभी भी था। और उनको चोदने की इच्छा पहले से ज़्यादा हो चुकी थी। लैला मैम की चूत तो शायद अब किस्मत में नहीं थी, लेकिन दोपहर के समय नीलोफर और शाज़िया फिर मेरी दुकान में आईं जो कुछ दिन पहले भी आई थीं मगर बिना कुछ लिए ही वापस चली गईं थीं। वह करीब 2 बजे ही दुकान में आईं और उनके आने के बाद मैंने खुद ही दुकान का दरवाजा लॉक कर दिया ताकि कोई और ग्राहक दुकान में न आए और इन दोनों के जाने के बाद आराम कर सकूँ। अगर शाज़िया अकेली होती तो उसको तो मैं तुरंत ही पकड़ कर उससे सेक्स शुरू कर देता है, लेकिन साथ में नीलोफर भी थी जिससे अब तक मैं सेक्स नहीं किया था और न ही कभी यह सोचा था कि उसकी चूत भी मेरी किस्मत में होगी । दरवाजा बंद करने के बाद वापस काउन्टर में आकर खड़ा हो गया तो शाज़िया ने मुझे वापस बाहर बुलाया और उसके पीछे जो अलमारी थी इसमें लगा हुआ ब्रा दिखाने को कहा। मैं वह ब्रा ढांचे से उतारा और उन दोनों के सामने रख दिया। में शाज़िया के साथ जाकर खड़ा हुआ था और मौका मिलते ही मैंने उसके चूतड़ों पर एक चमाट दे मारी थी।
इस समय सामने काउन्टर पर ही काफी ब्रा पड़े थे जो मैंने कुछ समय पहले कुछ लड़कियों को दिखाए थे जो एकदम से ही मेरी दुकान पर आ गई थीं मगर उनमें से सिर्फ एक लड़की ने ही अपने लिए ब्रा खरीदा था। मैंने वह ब्रा भी शाज़िया के आगे किया उसके बाद साथ का एक और ब्रा उठाकर नीलोफर को दिखाया तो शाज़िया हम दोनों के बीच से हट गई और मेरे बाईं ओर आकर खड़ी हो गई तो जगह मिलने पर मैं नीलोफर के थोड़ा करीब हो गया और उसको ब्रा दिखाने लगा। अब नीलोफर को पहला ब्रा ही दिखा रहा था कि मेरे अर्द्ध खड़े लंड को किसी ने अपने हाथ में पकड़ लिया। मैंने एकदम से घबरा कर नीलोफर को देखा मगर वह ब्रा देखने में व्यस्त थी, तभी मैंने शाज़िया को देखा तो वह एक शरारती मुस्कान के साथ मेरी ओर देख रही थी। और उसका हाथ मुझे अपने लंड गर्म लग रहा था। मैंने उसे घूर कर देखा और नीलोफर की मौजूदगी का अहसास दिलाया और उसका हाथ पकड़ कर अपने से दूर कर दिया। और फिर से नीलोफर को ब्रा दिखाने लग गया। कुछ ही देर हुई होगी कि एक बार फिर शाज़िया ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया। और उसकी मुठ मारनी शुरू कर दी। अबकी बार मैंने अपनी एक टांग थोड़ी आगे बढ़ा ली ताकि नीलोफर की नज़र मेरे लंड पर न पड़े और चुपचाप नीलोफर को ब्रा दिखाता रहा। नीलोफर ने 3, 4 ब्रा देखे मगर उसे कोई पसंद नहीं आ रहा था। फिर मैंने एक हाफ कप ब्रा नीलोफर को दिखाया और उसके बारे में उसे बताने लगा। इस दौरान मैंने शाज़िया का हाथ फिर से अपने लंड से हटा दिया था क्योंकि मुझे डर था कि अगर कहीं नीलोफर को इस बात का पता लग गया तो वह कोई हंगामा ही न खड़ा कर दे, जबकि शाज़िया जो एक बार मेरे लंड से अपनी चूत मरवा चुकी थी वह बाज नहीं आ रही थी।
शाज़िया का हाथ अपने लंड से हटाने के बाद मैंने एक और ब्रा उठाया और जो कॉटन का था और नीलोफर दिखाने लगा ... अब नीलोफर से बात कर रहा था कि एक बार फिर शाज़िया ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे धीरे धीरे दबाने लगी। मैंने चोर नज़रों से नीलोफर को देखा जिसका ध्यान इस समय ब्रा पर था और मैने कुछ देर तक अपने लंड को शाज़िया के हाथ में ही रहने दिया। फिर कुछ देर के बाद मैंने फिर से शाज़िया का हाथ हटाने के लिए उसकी ओर देखा और उसका हाथ पकड़ा तो यह जानकर मुझे झटका लगा कि शाज़िया के दोनों हाथ तो इस समय काउन्टर के ऊपर थे और वो एक ब्रा उठाकर उसे देखने में व्यस्त थी। शाज़िया के दोनों हाथ काउन्टर पर होने के बावजूद मेरे लंड पर अब तक एक हाथ था जो मेरा तो हरगिज़ नहीं था ...... तो फिर क्या ...... ये नीलोफर का हाथ है ????
यह देखने के लिए में काउन्टर से थोड़ा पीछे हटा और अपने लंड की ओर देखा, वहाँ एक सुंदर हाथ था जिसने मेरे लंड को कमीज के ऊपर से ही पकड़ रखा था ... हाथ देखने के बाद मैंने नीलोफर को देखा तो उसके चेहरे पर चिंता थी और वह धीरे धीरे मेरे लंड देख कर मुठ मार रही थी। एक पल के लिए तो मैं बिल्कुल हक्का-बक्का रह गया मगर फिर मुझे एहसास हुआ कि शायद शाज़िया अपनी चुदाई और मेरे लंड प्रदर्शन के बारे में नीलोफर को बता चुकी थी और तब से नीलोफर भी मुझसे चुदने को बेताब हो रही होगी। यही वजह थी कि जैसे ही नीलोफर को शक हुआ कि मेरा लंड खड़ा है उसने शाज़िया का हाथ हटा कर खुद अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया था।
अब शाज़िया भी मेरे साथ खड़ी मुस्कुरा रही थी और मेरी हैरानगी देखकर बोली कैसा लगा ??? मैंने खुशी और आश्चर्य की मिश्रित प्रतिक्रिया से शाज़िया को देखा और कहा कि आज तुम दोनों के इरादे खराब हैं ??
मेरी बात सुनकर नीलोफर बोली इरादे तो उस दिन भी खराब थे मगर राफिया के कारण हम कुछ कर नहीं सके। आज मौका मिला है तो इसका फायदा तो उठाना चाहिए। नीलोफर ने इतना कहा तो मैंने भी उसको अपनी बाहों में ले लिया और उसके चूतड़ों पर हाथ रखकर उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसके होठों पर अपने होंठ रखकर उन्हें बेसब्री से चूसना शुरू कर दिया, जबकि शाज़िया यह देखकर नीचे बैठ गई और उसने मेरी कमीज ऊपर उठा कर मेरा नाड़ा खोल कर मेरी सलवार को नीचे गिरा दिया और मेरा 8 इंच का लोड़ा हाथ में लेकर धीरे-धीरे उसकी मुठ मारने लगी। नीलोफर जो मेरी गोद में चढ़ी हुई थी वह चुंबन में मेरा भरपूर साथ दे रही थी और उसने अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे मुँह में प्रवेश करा दी थी जिसे मैं अपने मुंह में फंसा कर चूस रहा था, हम दोनों ज़ुबाने आपस में टकरा रही थीं और एक दूसरे की लार आपस में मिल रही थी कभी मेरी ज़ुबान नीलोफर के मुंह में होती तो कभी नीलोफर की ज़ुबान मेरे मुँह में होती। उधर शाज़िया कुछ देर मेरे लंड की मुठ मारने के बाद खड़ी हुई और उसने अपनी कमीज और सलवार दोनों ही उतार दीं शाज़िया ने नीचे एक सुंदर ब्रा पहन रखा था जिसमें उसके 34 डी आकार के मम्मे बहुत ही सेक्सी लग रहे थे और साथ शाज़िया ने एक नेट पैन्टी पहन रखी थी जो उसकी गोर गोरी टांगों पर बहुत सुंदर लग रही थी। अपने कपड़े उतारने के बाद शाज़िया मेरे साथ आकर खड़ी हो गई, उसने अपना एक हाथ मेरे चूतड़ों पर रख दिया और उन पर हाथ फेरने लगी जबकि दूसरा हाथ उसने नीलोफर की गाण्ड के नीचे रख दिया और खुद आगे बढ़कर मेरी कमीज के कॉलर हटा कर मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख कर मुझे चूमने लगी।
यह देख कर मैंने नीलोफर को अपनी गोद से उतारा और शाज़िया को पकड़ कर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। अभी मैंने शाज़िया को प्यार करना शुरू ही किया था कि नीलोफर ने मेरी कमीज के बटन खोल कर मेरी कमीज उतार दी। मैं अब पूरी तरह नंगा खड़ा था और शाज़िया के होंठों को अपने होंठों से चूस रहा था, जबकि नीलोफर ने अब पहली बार मेरा नंगा लंड देखा था और वह अब नीचे बैठ कर मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर उसकी लंबाई देखकर खुश हो रही थी। अब मैंने शाज़िया को भी अपनी गोद में उठाया तो उसने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर के आसपास लपेट ली और नीलोफर नीचे बैठ कर मेरे लंड की मुठ मारने लगी। मैंने कुछ देर शाज़िया ने होंठ चूसने के बाद उसकी गर्दन पर अपने दांत गढ़ा दिए और उसे वहशियों की तरह प्यार करने लगा। मेरे इस प्यार करने से शाज़िया की सिसकियाँ निकलना शुरू हो गई थीं, जबकि नीचे नीलोफर ने मेरे लंड की टोपी पर अपने होंठ रख कर उस पर एक चूमा और फिर अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे लंड पर फेरना शुरू कर दी। मैंने शाज़िया से ध्यान हटाकर नीलोफर को देखा और कहा कैसा लगा तुम्हें मेरा लंड ???
यह सुनकर नीलोफर बोली शानदार है, ऐसे लंड के लिए तो लड़कियों तरसती हैं, और जो मुझे शाज़िया ने बताया अगर तुम्हारी इतनी टाइमिंग भी है तो क्या ही बात है। मैंने कहा टाईमग की तुम चिंता मत करो, जब तक आप थकोगे नहीं मैं तुम्हारी चुदाई जारी रखूँगा, बस आप एक जबरदस्त सी चुसाइ लगा दो मेरे लंड की . यह सुनकर नीलोफर बोली, तुम चिंता मत करो, ऐसी चुसाइ लगाउन्गी कि याद करोगे। यह कर कर नीलोफर ने अपना मुँह खोला और मेरे लंड का टोपा अपने मुँह में लेकर उस पर अपनी जीभ फेरना शुरू कर दी।
मैंने नीलोफर को उसका काम करने दिया और खुद को अब शाज़िया के मम्मों पर अपनी जीभ चलाना शुरू कर दिया जो उसके ब्रा से बाहर निकले हुए थे। फिर मैंने शाज़िया की कमर से उसके ब्रा की हुक को खोला और उसका ब्रा उतार कर एक ओर फेंक दिया और शाज़िया के सुंदर मम्मों को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। शाज़िया के छोटे मगर सख्त निपल्स अब मेरे मुंह में थे और मैं कभी उन्हें चूस कर उनका दूध पीता तो कभी उन्हें अपने दांतों से हल्का सा काटता जिससे शाज़िया की सिसकियाँ निकलती .
नीचे बैठी नीलोफर मेरा लंड अपने मुंह में डाल कर चुसाइ शुरू कर चुकी थी। उसको चुसाइ लगाने का कोई इतना खास अनुभव तो नहीं था मगर फिर भी मुझे इसका अनाड़ीपन अच्छा लग रहा था। समीरा मलिक की चुसाइ और नीलोफर की चुसाइ में बहुत अंतर था, लेकिन दोनों की लंड के लिए मांग एक जैसी थी। बल्कि नीलोफर की मांग कुछ ज़्यादा ही लग रही थी। मैंने शाज़िया से पूछा कि आज वह मेरे लंड की चुसाइ लगाएगी या नहीं ??? तो शाज़िया ने फिर से कहा कि नहीं वह लंड अपने मुँह में नहीं डाल सकती उसे घिन आती है। उसकी बात सुनकर नीलोफर बोली अरे पागल एक बार चूसकर तो देख, बहुत मज़ा आता है। यह कह कर नीलोफर ने दोबारा लंड मुँह में डाल लिया और उसको लोली पॉप की तरह चूसने लगगी।
मैंने शाज़िया को कहा आज तो आप चौपा लगवाना है, लेकिन में कंडोम चढ़ा लेता हूँ जो बनाना फ्लेवर है तो तुम्हें मेरे लंड की बजाय केले का स्वाद मिलेगा। इस बात पर शाज़िया राजी हो गई तो मैंने उसको अपनी गोद से नीचे उतार दिया और कंडोम उठाकर नीलोफर को पकड़ाया तो उसने जल्दी जल्दी मेरे लंड पर कंडोम चढ़ा दिया और एक बार फिर से मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। शाज़िया भी अब उसके साथ बैठ गई थी, उसने भी एक अनिच्छा से मेरा लंड अपने मुँह में लिया, उसे वास्तव में केले का स्वाद मिला तो उसकी झिझक खत्म हो गई और अब उसने भी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था जबकि नीलोफर के मुंह में अब मेरे टट्टे थे जिन्हें वह चूस रही थी। शाज़िया को चुसाइ लगाता देख अब मैंने नीलोफर को खड़ा किया और उसकी कमीज के बटन खोल कर उसकी कमीज उतार दी, जबकि नीचे शाज़िया ने नीलोफर की सलवार उतार दी। नीलोफर ने लाल रंग का सुंदर ब्रा पहन रखा था। 36 आकार के नीलोफर के बड़े मम्मे देख कर मेरी तबियत खुश हो गई। मैंने बिना समय बर्बाद किए उसका ब्रा भी उतार दिया और उसके बड़े बड़े बूब्स को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर तक नीलोफर के मम्मे चूसने के बाद मैंने उसे भी अपनी गोद से उतारा और उसकी पैन्टी उतार दी। पैन्टी उतारने के बाद खुद सोफे पर लेट गया और नीलोफर की एक टांग उठा कर सोफे पर अपने चेहरे के दूसरी साइड पर रख दी और उसे नीचे झुकने को कहा।
नीलोफर नीचे झुकी तो उसकी चिकनी और तंग चूत मेरे चेहरे के बिलकुल सामने थी। नीलोफर की चूत बालों से बिल्कुल साफ थी जैसे उसने आज ही अपनी चूत के बाल साफ किए हैं। यह देखकर मैं ने अपनी ज़ुबान निकाली और नीलोफर ने आगे झुक कर अपनी चूत को मेरी जीभ के साथ मिला दिया, नीलोफर की चूत से गुलाब की महक आ रही थी, वह शायद अपनी चूत को गुलाबरस से धोकर ही आई थी। मैंने अपनी जीभ को नीलोफर की चूत के लबों के बीच में प्रवेश कराया और उसको चूसना शुरू कर दिया, जबकि नीचे शाज़िया मेरे 8 इंच के लोड़े को मुँह में लेकर चूसने में व्यस्त थी। नीचे शाज़िया के चौपे और ऊपर नीलोफर की चिकनी चूत मुझे बहुत मज़ा दे रही थी। नीलोफर की सिसकियाँ बहुत तेज थीं जिनसे मुझे अंदाजा हो रहा था कि वह सेक्स को एंजाय करने वाली लड़की है। नीलोफर साथ ही साथ अपनी चूत के दाने पर हाथ फेर रही थी जबकि दूसरे हाथ से वो अपनी चूत के होंठ खोल कर मुझे अपनी ज़ुबान जोर से रगड़ने का कह रही थी। नीलोफर की चूत के होंठ उसकी चूत के पानी से चिकने हो रहे थे। 2 मिनट में नीलोफर की चूत को चाटता रहा, फिर नीलोफर ने अपनी टांग वापस नीचे रख ली और मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर जीभ से अपनी चूत का स्वाद चखने लगी।
नीचे शाज़िया ने मेरा लंड छोड़कर अपनी पैन्टी उतार दी थी और वह अब नीलोफर वाली स्थिति में मेरे ऊपर आकर बोली चलो अब मेरी चूत को भी ऐसे ही चाटो जैसे नीलोफर की चूत चाटी है। उसकी चूत भी बालों से साफ थी लेकिन उसकी चूत से गुलाब की खुशबू नहीं आ रही थी बल्कि उसकी चूत मे चूत के पानी की गंध थी जिसको मैंने कुछ पल सूंघ कर अपनी नाक को सुगंधित किया और फिर अपनी ज़ुबान शाज़िया की चिकनी चूत पर रख कर उसको चूसना शुरू कर दिया, जबकि नीलोफर अब मेरे ऊपर आकर बैठ गई थी, मेरे ऊपर बैठने के बाद उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी योनी छेद पर सेट किया और उस पर हल्का सा दबाव डाला तो मेरे लंड की टोपी उसकी योनी में प्रवेश कर गई जिस पर नीलोफर के मुंह से एक सिसकी निकली। .... उफ़ .... बहुत मोटी है तुम्हारे लंड की टोपी ... यह कह कर नीलोफर ने एक झटका लिया मेरे लंड पर और पूरी की पूरी मेरे लंड पर बैठ गई।