ब्रा वाली दुकान complete

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shubhs
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Re: ब्रा वाली दुकान

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अपडेट करो भाई
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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kunal
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Re: ब्रा वाली दुकान

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लेकिन मेरे होंठ मैम की गर्दन के करीब पहुंच चुके थे, तभी मैम की आवाज़ आई, सलमान एक बात तो बताओ ... मैंने कहा जी मैम पूछें। मैम ने कहा उस दिन जब मैं अपनी दुकान पर आई जब एक लड़की तुम्हारी दुकान से निकली थी तो वह काफी देर से ही अंदर थी या नहीं। मैं एकदम घबरा गया कि मैम अभी तक वह बात नहीं भूली जब मैं दुकान के अंदर शाज़िया की चुदाई कर रहा था और जैसे ही शाज़िया दुकान से निकली मैम अंदर आ गई थीं। मैंने पहले की तरह ही फिर से झूठ का सहारा लिया और कहा नहीं मैम मैंने आपको बताया तो था कि वह कुछ ब्रा और लेना चाहती थी इसलिए फिर से आई थी दुकान पर। मैम मेरी बात सुनकर एकदम से बोलीं उस दिन भी तुम्हें झूठ बोलना नहीं आया था और आज भी झूठ बोलते हुए तुम्हारा चेहरा तुम्हारी ज़ुबान का साथ नहीं दे रहा। मैम की इस बात से मेरा जागा हुआ लंड धीरे धीरे सोने लगा था क्योंकि मुझे चिंता शुरू हो गई थी कि कहीं मैम इस बात का बुरा न मान जाएं और मुझ से अपनी दुकान खाली करवालें। इससे पहले कि मैं कुछ कहता मैम बोलीं, कब से चल रहा यह सब कुछ दुकान पर ???
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मैंने फिर से शांत स्वर में कहा नहीं मैम आप गलत समझ रही हैं ऐसा कुछ नहीं होता वहाँ। मेरी बात सुनकर मैम काफी देर मुझे देखती रहीं जैसे जानना चाह रही हों कि मैं सच बोल रहा हूँ या झूठ। फिर एक दम से ही फिर मेम मेरे पास हुईं और पहले की तरह ही डांस करना शुरू कर दिया, अब की बार मैम का हाथ मेरे सीने पर था और मेरे हाथ फिर से मैम की कमर पर उनके चूतड़ों के करीब थे मगर मैं अंदर ही अंदर डर रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैम यह क्या कर रही हैं। मेरे सीने पर हाथ फेरते फेरते मैम बोलीं तुम्हारा सीना तो बहुत मजबूत लग रहा है, लगता है कि तुम जिम भी जाते हो। मैंने मन ही मन धन्यवाद किया कि मैम वह दुकान वाली बात भूल कर और किसी की बात चल निकली। मैंने कहा जी मैम दुकान बनने से पहले तो मैं रोज अपने एक दोस्त के जिम में जाता था जो खानेवाल रोड पर स्थित है और जब से दुकान बनी है सप्ताह में मुश्किल से एक या 2 दिन ही जा पाता हूँ, मगर जाता अवश्य हूँ। फिर मेरे अपने सीने पर हाथ फेरते हुए कहा तुम्हारे सीने पर बाल हैं या सफाई करते हो उनकी ???? मैंने कहा मैम आपको कैसा सीना पसंद है बालों वाला या बालों से मुक्त ??? मैम ने कुछ देर सोचा और बोलीं अगर बाल थोड़े हों तो फिर तो अच्छा लगता है लेकिन अगर बाल ज्यादा हूँ तो नहीं। लेकिन अगर सीना साफ हो तो वह तो बहुत ही अधिक सुंदर लगता है।
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मैंने कहा मैम छाती के बाल भी साफ करता हूँ। यह सुनकर मैम की आंखों में एक चमक आई और बोलीं देख सकती हूँ ??? मैंने मन में सोचा नेकी और पूछ पूछ, और मेम से कहा आप कहती हैं तो मैं दिखा देता हूँ आपको ... यह सुनकर मैम ने मुझे उसी टेबल तरफ धकेला जिससे कुछ देर पहले वह टेक लगाए मुझसे पूछ रही थीं कि वह कैसी लग रही हैं। मुझे टेबल पर धकेल कर खुद करीब मेरे ऊपर गिर ही गई थीं और खुद ही मैम ने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए। मेरा लंड फिर मेम की इस अचानक घटना की वजह से खड़ा हो चुका था मैम मेरी शर्ट के सारे बटन खोल चुकीं तो उन्होंने मेरी शर्ट को साइड में कर दिया और फिर मेरी बनियान ऊपर करके मेरे सीने तक उठा दी। मगर मैम को कोई खास मज़ा नहीं आया तो उन्होंने मेरी शर्ट पूरी उतार दी और फिर मेरी बनियान भी उसके बाद उतार दी। अब मेरे बदन पर पेंट मौजूद थी मगर ऊपर से बिल्कुल नंगा था। और मेरे सीने पर मैम अपनी नर्म और मुलायम उंगलियों को बहुत प्यार के साथ फेर रही थीं।
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मैंने कपकपाती हुई आवाज में मैम से पूछा, मैम कैसा लगा आपको मेरा सीना ??? मैम ने मेरी ओर देखा तो उनकी आंखों में एक चमक थी जो केवल सेक्स की मांग की चमक ही हो सकती थी। मैम ने कहा बहुत ही सुंदर है तुम्हारी बॉडी तो। यह कह कर मैम मेरे और भी करीब हो गईं और अपने दोनों हाथों को मेरे सीने पर प्यार से फेरने लगीं। मैम का दाहिना पैर मेरी दोनों टांगों के बीच था और मुझे उनकी टांग अपने लंड पर लगती महसूस हो रही थी। धीरे धीरे मैम मेरे ऊपर झुकने लगीं और फिर मुझे लगा जैसे मैम के होंठ मेरे सीने को स्पर्श कर रहे थे। मैंने अपनी गर्दन झुका कर देखा तो सच मेम के होंठ मेरे सीने को छू रहे थे और उनके होंठों पर लगी लिप स्टिक मेरे सीने पर अपने निशान छोड़ चुकी थी। मेरा हाथ स्वतः ही मैम की कमर तक पहुँच चुका था और अब की बार मैंने बिना कुछ सोचे अपना हाथ धीरे धीरे कमरे से नीचे लाते हुए मैम के चूतड़ों पर रख दिया।
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मैम ने इस बात का कोई विशेष रिएक्शन नहीं दिया और वह लगातार मेरे सीने पर धीरे धीरे प्यार कर रही थीं। फिर मेम ने अपनी ज़ुबान निकाली और मेरे सीने पर फेरने लगीं। मैम की ज़ुबान मेरे सीने से होती हुई मेरे नपल्स को छूने लगी थी। मेरी छोटे निपल्स खड़े थे और कठोर हो रहे थे, मुझे बहुत पसंद था जब कोई लड़की मेरे नपल्स पर अपनी जीभ फेरती थी। और मैम का सुगंधित शरीर जो मेरे साथ चिपका हुआ था ऊपर से उनकी ज़ुबान मेरे निप्पल को धीरे धीरे रगड़ने में व्यस्त थी तो खुद सोच लें तब मेरा क्या हाल हो रहा होगा। मैंने अपने हाथ का दबाव मैम के चूतड़ पर बढ़ा दिया था और अपना हाथ मज़बूती से मैम के नितंबों पर फेर रहा था। दिल ही दिल में मुझे इस बात का एहसास भी था कि घर के लिए बहुत देर हो गई है। अब 12 बज चुके थे और उस समय तक मैं अपने घर पहुंच कर खाना खाकर सोने की तैयारी करता था। मगर अब तक में मेडम के घर था और मेडम का जो मूड था उसके अनुसार तो मुझे यहाँ और अधिक एक घंटा आराम से लग जाना था क्योंकि चुदाई मे मेरा स्टेमना काफी अच्छा था और मैं देर तक मैम को चोद कर उनकी वर्षों की प्यास मिटा सकता था ।

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kunal
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Re: ब्रा वाली दुकान

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Imageधीरे धीरे मैम के चूतड़ से हाथ अब उनके चूतड़ों की लाइन तक ले जा चुका था। फिर जैसे ही मैंने मैम के चूतड़ों की लाइन में अपनी उंगली का दबाव बढ़ाया तो मैम एकदम सीधी होकर खड़ी हो गईं और मुझसे कुछ दूर हो गईं। मैम ने मुंह दूसरी तरफ कर लिया जैसे मुझ से कुछ छुपाना चाह रही हूँ। भी सीधा खड़ा हो गया और धीरे धीरे मैम की तरफ बढ़ने लगा ताकि फिर से मैम को अपने शरीर से चिपका कर उनके शरीर की गर्मी पा सकूँ। मगर फिर मेम ने मेरी ओर देखा तो एक बार फिर उनके चेहरे पर सेक्स वासना या सेक्स की इच्छा बिल्कुल गायब थी और उनका चेहरा पहले की तरह हशाश बश्शाश और खुश था। वह मेरी ओर देखकर बोली आप ने वाकई बहुत अच्छे तरीके से जिम की है और अधिक व्यायाम नहीं किया, वरना अक्सर लड़के तो जिम करके अपने शरीर को बिल्कुल ही खराब कर लेते हैं, मगर तुम्हारा शरीर सुंदर है। यह कह कर मैम ने संगीत बंद कर दिया और सोफे पर पड़ा साड़ी का पल्लू उठाकर अपने गले में दुपट्टे के रूप में डाल लिया जिससे मैम की क्लीवेज़ भी छुप गई और उनका पेट भी काफी पल्लू से छुप गया। फिर मेम ने रोशनी भी ऑन कर दी और बोलीं, पार्टी के चक्कर में याद ही नहीं रहा काफी देर हो गई। अब तो पता नहीं तुम्हें रिक्शा भी मिलेगा या नहीं।
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मैम की इस बात से मुझे गुस्सा भी बहुत आया और निराशा भी। मेरा तो पूरा मूड बन गया था कि आज मैम की प्यासी चूत को अपने लंड के पानी से सिंचित कर दूँगा, मगर अब मैम जो बात कर रही थीं उसका मतलब था कि बस बहुत हो गया अब अपनी शर्ट पहनो और चलते बनो यहाँ से। लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि जैसा कि मैंने आपको पहले भी बताया कि मैं किसी भी हालत में किसी भी लड़की के साथ जबरदस्ती करने के पक्ष में नहीं हूँ जब तक लड़की खुद चुदाई के लिए पूर्ण रूप से तैयार न हो तब तक उसको चोदने में मज़ा नहीं आता। मैम ने मुझे ऑफर किया कि मैं तुम्हें घर छोड़ दूँगी मगर मैंने कहा नहीं मैं चला जाऊंगा रिक्शा मिल ही जाएगा। मैंने अपनी बनियान पहनी और फिर शर्ट पहन कर मैम को गुड बाय कह कर घर से निकल आया। गिफ्ट तो मैंने जाते ही दे दिया था तो फिर अंदर जाकर मैम के पति से मिलने की कोई खास जरूरत नहीं थी। वापसी में रिक्शा में सारे रास्ते मैं यही सोचता रहा कि मैम लंड की कितनी प्यासी हैं, मगर अपनी शालीनता और विनय हया की वजह से वे खुलकर मुझसे इस बात का इज़हार नहीं कर पारहीं।
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रास्ते में काफी देर सोचता रहा कि क्यों न मैम को एक दिन मजबूर कर दिया जाए और उनकी प्यासी चूत में अपना तगड़ा लंड घुसा कर उनकी चूत को ठंडा कर दिया जाए और वह भी तो यही चाहती हैं, मगर फिर खुद ही अपने दिल समझाया कि जब तक मैम खुद अपना शरीर मेरे सुपुर्द न कर दें और अपनी चूत खोल कर मेरे सामने न लाएँ तब तक उनको चोदना ठीक नहीं रहेगा। अपने आप को समझाकर फिर मेम के सुंदर बदन के बारे में सोचता रहा, भरा शरीर, लंबा कद, सुंदर मम्मे पतली कमर और सबसे बढ़कर उनके शरीर से आने वाली खुशबू ... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह । । । । । सुंदर पल थे जब मैम मेरे सीने पर हाथ फेर रही थीं और मैं उनकी ग्लैमरस और इत्र से मदहोश हुए जा रहा था। मगर फिर अचानक पता नहीं मैम को क्या हुआ कि उनका मूड ही बदल गया। बहरहाल आधी रात को घर पहुंचा तो शौचालय जाकर मैम के नाम की मुठ मारी और जाकर सो गया
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Re: ब्रा वाली दुकान

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अगले दिन अपनी दिनचर्या के अनुसार दुकान पर चला गया और ग्राहकों को डील करने लगा। बोरियत की हद थी अब तक के सारे दृश्य आँखों में घूम रहे थे जब मैम ने खुद मेरी बनियान उतार कर अपनी जीभ से मेरे निपल्स को टच किया था। और फिर अपनी लगाई हुई आग को खुद ही पानी डालकर बुझा दिया था। दोपहर 2 बजे मैंने दुकान का दरवाजा बंद कर दिया और खाना खाकर सुस्ताने के लिए लेट गया। अब मुझे लेटे हुए 5 मिनट ही बीते होंगे कि मेरे नंबर पर एक अनजान नंबर से फोन आया। मैंने पहले तो कॉल काटने का सोचा लेकिन फिर सोचा शायद किसी का जरूरी फोन हो, यही सोचकर फोन उठाकर कॉल अटेंड की और हाय कहा तो आगे कोई खिलखिलाती हुई नसवानी आवाज़ थी। मैंने पूछा कौन? तो आगे से वह लड़की बोली बूझो तो जानें। मैंने कहा मैंने पहचाना नहीं कौन बोल रही हैं आप ?? आगे से लड़की चहकती हुई बोली तो अब हमारी आवाज भी नहीं पहचान सकते हो ??? मुझे उस पर गुस्सा आया और मैंने कहा बीबी मेरे पास ज़्यादा व्यर्थ बातों के लिए समय नहीं है ये मेरे विश्राम का समय है कोई जरूरी बात है तो बताओ नहीं तो फोन बंद कर रहा हूँ।
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मेरी बात सुनकर आगे लड़की बोली ... नहीं नहीं .... जीजा जी फोन बंद न करना में राफिया बात कर रही हूँ। राफिया नाम सुनकर मेरा मूड एकदम से ठीक हो गया, अरे ये तो मेरी साली थी और साली अपने जीजा से मजाक नहीं करेगी तो और कौन करेगा। मैंने कहा हां राफिया क्या हालचाल हैं? राफिया ने कहा मैं ठीक हूँ आप कैसे हैं ?? मैंने कहा मुझे कैसा होना है, आपने अपना वचन पूरा नहीं किया .... इस पर राफिया इठलाती हुई बोली अजी आप आदेश तो हमारी क्या मजाल कि आप से किया हुआ वादा पूरा न करें। मैंने कहा बस रहने दो, आपने मलीहा को मुझसे मिलवाने मेरी दुकान पर लाना था और आज इतने दिन बीत गए मगर तुम्हारा कोई अता-पता ही नहीं। मलीहा को छोड़ो आप ने तो अपनी शक्ल भी दिखाना गवारा नहीं किया। चलो गुलाम साली को देख कर ही खुश हो जाता वैसे भी वह भी आधी घरवाली होती है। मेरी बात सुनकर राफिया खिलखिला कर हंसी और फिर बोली में वादा कैसे पूरा करूँ जब आप दरवाजा बंद करके आराम करने में व्यस्त होंगे। मैंने कहा क्या मतलब? राफिया बोली मतलब यह कि मा बदौलत आपकी दुकान के बाहर हैं, लेकिन आप ने दरवाजा बंद कर रखा है। यह सुनकर मैंने एकदम सिर उठा कर सोफे से दरवाजे की ओर देखा तो दरवाजे के बाहर राफिया खड़ी थी। और उसके साथ एक और लड़की भी सिर झुकाए खड़ी थी जो राफिया के पीछे थी उसकी रूप को में सही तरह से देख नहीं पाया।
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मुझे एक झटका लगा और दिन भर की सारी उदासी एकदम से गायब हो गई। पिछली लड़की हो न हो मलीहा ही है उसी विश्वास के साथ मैं एकदम से उठा और फोन बंद कर दरवाजा खोल दिया। दरवाजा खुलते ही राफिया अंदर आ गई और अपनी आपी को भी अंदर आने के लिए कहा। राफिया ने अंदर आते ही मुझे दिल के साथ हाथ मिलाकर अभिवादन किया और पीछे मलीहा ने भी हल्की आवाज में मुझे सलाम किया तो मैंने प्यार के साथ धीमे स्वर में उसके सलाम का जवाब दिया और उसकी ओर अपना हाथ बढ़ा दिया। मलीहा ने एक अनिच्छा से मुझसे हाथ मिला लिया। और एक पल के लिए आंखें उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर तुरंत ही अपनी नज़रें झुका लीं। इन दोनों को सोफे पर बैठने कर मैंने दरवाजा फिर से बंद कर दिया और काउन्टर पर जाकर फोन से साथ ही की एक छोटी दुकान में समोसों और कोल्डड्रिंक का आदेश दिया। इस पर मलीहा ने राफिया को कोहनी मारी उन्हें रोको, मगर राफिया बोली अरे आपी आपको तो अभी से जीजा जी के खर्चों की चिंता होने लग गई, मंगवाने दें मंगवाने दें, वैसे तो उन्होंने हमसे कभी पानी भी नहीं पूछा अब आपके साथ होने से अगर समोसे और कोल्डड्रिंक मिल रही है तो क्यों मेरी दुश्मन बन रही हो। राफिया बात सुनकर मैं मुस्कुराया और कहा बड़ी झूठी है मेरी साली तो। मैंने तो कोल्डड्रिंक का पूछा था मगर आपने खुद ही मना कर दिया तो भला मैं क्या कर सकता था।
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मेरी बात सुनकर राफिया भी मुस्कुराई और बोली नहीं मैं तो ऐसे ही मज़ाक कर रही हूँ। लेकिन आज समोसे तो ज़रूर खाउन्गी आप से। मैं उसकी बात सुन कर मुस्कुराया और कहा कि जो आदेश साली साहिबा का। फिर मलीहा की तरफ मूड गया, उसके चेहरे को गौर से देखा तो वह भी बिल्कुल राफिया की तरह ही दिखती थी। दोनों हमशक्ल और मामले में भी काफी समानता थी सिवाय इसके कि मलीहा के ऊपरी होंठ के ऊपर एक छोटा सा तिल था जबकि राफिया का चेहरा बिल्कुल साफ था। सुंदर आँखें, आँखों में शर्म हो हया के कारण लाल डोरे, चेहरे पर हल्की सी मुस्कान पारदर्शी रंग, हर मामले मे मलीहा राफिया की तरह ही खूबसूरत थी। अच्छी तरह उसका चेहरा देखने के बाद मैंने मन ही मन में अम्मी पसंद की दाद दी कि उन्होंने अपने इस निकम्मे बेटे को इतनी अच्छी जीवन साथी ढूंढ कर दी फिर मैंने मलीहा से पूछा कि आप ऐसे ही चुप रहती हैं या कुछ बोलती भी हैं। मेरी बात सुनकर मलीहा को जैसे झटका लगाImage वह इसी बात पर बौखला गई कि मैंने इसको संबोधित किया है। मेरी बात का जवाब देने के लिए उसने अपने होंठ खोले तो टूटे फूटे शब्दों में कहने लगी ... नहीं वह ...... बस ऐसे ही .... आपकी बातें सुन रही हूँ। मैंने कहा हमारी भी इच्छा है कि हम आपकी आवाज सुनें आप भी थोड़ा कुछ बोल लेंगी तो अच्छा लगेगा। इससे पहले कि मलीहा कुछ बोलती बाहर समोसों वाला आ गया तो मैं आगे होकर दरवाजा खोला और समोसे और बोतलें पकड़ कर अपने काउन्टर पर लगा दी और वापस जाकर दरवाजा फिर से बंद कर दिया, फिर काउन्टर के पीछे जाकर मैंने मलीहा और राफिया को कहा कि मेरे पास यहाँ आ जाएँ यहाँ कोई टेबल मौजूद नहीं है जो आपके सामने रख सकूँ इसलिए आपको यहीं आकर खड़े होकर खाना होगा। मेरी बात सुनकर राफिया तो फौरन उठ गई और एक समोसा उठाकर हाथ से तोड़कर खाने लगी हालांकि थाली में चम्मच भी पड़ा था और साथ मे सॉस वाली प्लेट भी थी मगर वह बिना चटनी के ही हाथ से तोड़कर समोसा खाने लगी, वह कुछ ज़्यादा ही चटोरी लग रही थी समोसों की। जबकि मलीहा अभी सोफे पर ही बैठी थी। Image
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shubhs
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Re: ब्रा वाली दुकान

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सभी को मिलेगा समोसा
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