UPDATE DE DIYA HAIshubhs wrote:अब क्या हुआ
नजर का खोट complete
- Kamini
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Re: नजर का खोट
- Kamini
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Re: नजर का खोट
हम दोनों के कानों को तेजी से बेध रही थी वो चीख जैसे किसी को जिबह किया जा रहा हो पर हम तकरीबन पूरी हवेली को तलाश चुके थे तो ये कौन था हम दौड़ पड़े उस ओर जहां से ये चीख आ रही थी, ये चीख उस कमरे से आ रही थी जिसमे सोना भरा था
और जैसे ही हम अंदर दाखिल हुए हमने देखा की ये मेनका की नौकरानी थी उसके शरीर पर कुछ पिघला सा पड़ा था और वो जैसे झुलस गयी थी और तभी मुझे समझ आया की ये क्या है वो बुरी तरह तड़प रही थी चीख रही थी पिघला सोना उसकी खाल को बेध रहा था
जगह जगह छाले से हो गए थे और जैसे जैसे जहाँ जहाँ वो सूख रहा था परत सी बन रही थी स्तिथि ऐसी थी की हम चाह कर भी उसकी मदद नहीं कर पा रहे थे , वो बार बार चीख रही थी कुछ इशारा कर रही थी पर इससे पहले की हम कुछ समझ पाते उसने दम तोड़ दिया
पूजा- ये तो मर गयी
मैं- गर्म सोना
वो- पर इतने सोने को तो किसी भट्टी में ही गर्म
मैं- शायद ये ही तो कहना चाहती थी ये
पूजा- सही कहा यही कही है कुछ
कुछ ही देर में हमे सीढिया मिली जो नीचे जा रही थी कुछ अँधेरा था पर जल्दी ही रोशनी दिखी ये एक बड़ा सा कमरा था फर्श पर निशान थे सोने के तारों का शायद यही उस नौकरानी पर पिघला सोना गिर गया होगा
पूजा- सोने को क्यों पिघलाया गया होगा
मैं- पता नहीं
पूजा- वो देख उधर क्या है
उसने कुछ इशारा सा किया और हम कोने की तरफ चल पड़े वहाँ पर एक आदमकद मूर्ति खड़ी थी जिसकी पीठ मेरी तरफ थी और जब मैं उसके चेहरे की ओर गया तो मेरे होश ही उड़ गए
"जीजी, ये जीजी की प्रतिमा है" मेरी आँखे साक्षात् जीजी को ही देख रही थी ऐसे लग रहा था की अभी ये अपनी पलके झपकायेगी और मुझे गले से लगा लेगी पर ये एक प्रतिमा थी सिर्फ प्रतिमा
पर अगले ही पल मेरा कलेजा किसी आशंका से भर गया मैंने सोचा की कही जीजी पर तो ये सोने की परत नहीं चढ़ा दी गयी हो , शायद पूजा ने मेरे मन की बात समझ ली और उसने प्रतिमा को कुछ जगह से बजाया सा और बोली- बस मूर्ति ही है ,खोखली है
जान में जान आयी मेरी
पूजा- पर ये मूर्ति बनायीं क्यों गयी
मैं- ऐसी मुर्तिया या तो मंदिर में स्थापित की जाती है या फिर किसी अनुष्ठान हेतु
पूजा- क्या कहा फिर से बोल
मैं- ऐसी मुर्तिया या तो मंदिर में स्थापित की जाती है या फिर किसी अनुष्ठान में
पूजा- पर कविता की मूर्ति मंदिर में स्थापित नहीं हो सकती प्रयोजन कुछ और होगा , बात कुछ ओर ही है पहले छुपाया हुआ सोना और अब ये ऐसी मूर्ति कुंदन अतीत की किसी साजिश की बू आ रही है मुझे इस सोने की चमक के पीछे गड़बड़ है बता रही हु
मैं- कही ऐसा तो नहीं की राणाजी ने किसी तरह जीजी का उपयोग किया हो मेरा मतलब कही बलि तो न दे दी
पूजा- ना मेरा मन नहीं मानता क्योंकि बलि तंत्र में दी जाती है और यहाँ आसापास क्या पूरी हवेली में तंत्र से सम्बंधित कोई सामान नहीं है, ओह तेरी, कुंदन अप्सरा , अप्सरा इस मूर्ति को अप्सरा के रूप में ढाला गया है
मैं- मतलब
पूजा- अप्सरा का भोग एक विशेष सिद्धि के लिए कुंदन देख मैं बस अंदाजा लगा रही हु एक अनुमान है मेरा अप्सरा का भोग देकर बदले में कुछ ऐसा माँगा जाता है जिसे इंसान का पूर्ण बदल जाता है
मैं- क्या
पूजा- कोई अधूरी कामना, या फिर कोई प्रयोजन जैसे कोई शक्ति पाना
मैं- पर राणाजी क्यों करेंगे ऐसा
पूजा- राणाजी नहीं ,मेनका ये घर मेनका का है कुछ तो ऐसा है कुंदन जो नजरो से परे है धोखा हो रहा है
मैं- साफ़ साफ़ क्यों नहीं बोलती तू आखिर
पूजा- हमे जाना होगा अभी
मैं- कहां
पूजा-बताती हु आ मेरे साथ
पूजा ने मेरा हाथ पकड़ा और बिजली की सी तेजी से मुझे खींचती हुई हवेली से बाहर निकल आयी और जैसे ही हम गाडी तक पहुचे हवेली सुलग उठी धू धू करके जलने लगी वो हैरत और घबराहट ने मेरे पांवो को जकड़ सा लिया था आग की वो लपटे जैसे कुछ कह रही थी मुझसे
पूजा ने मुझे गाड़ी में धकेला और तेजी से हम निकल गये बहुत देर तक तो मैं समझ ही नहीं पाया कि हुआ क्या फिर एक शांत जगह पूजा ने गाड़ी रोकी हम बाहर आये
पूजा- षड्यंत्र
मैं चुप रहा
पूजा- पहले से तय था कि हम वह आएंगे और इस आग में जल जायेंगे
मैं- राणाजी हमे मारना चाहते है
पूजा- मेनका , वो जिन्दा है ऐसा मुझे लगता है और अगर ऐसा है तो कुछ अनिष्ट होने वाला है
मैं- मुझे डर नहीं तू जब साथ है
पूजा के चेहरे पर एक फीकी हँसी देखि मैंने उसने बस गले लगा लिया मुझे और बोली- मैं हर लम्हा तेरे साथ हु
वो अभी भी मेरे आगोश में थी उसकी महकती सांसे जैसे सुकून दे रही थी मुझे कुछ पलों के लिए मैं सबकुछ भूलने लगा पर मेरे नसीब में अभी सुख था नहीं , पूजा मुझसे दूर हो गयी और बोली- गाड़ी में बैठो
पूजा के चेहरे पर एक शिकन थी कुछ तो था जो वो इतना परेशां हो गयी थी उसके लरजते होंठ जैसे वो खुद को रोक रही थी मुझे कुछ बताने से पर क्या क्या समझ गयी थी रात के दूसरे पहर में हमारी गाडी अँधेरी सड़को पर दौड़ रही थी पहले मुझे लगा वो लाल मंदिर जा रही है पर गाडी वहाँ से दाये मुडी
मैं- कहा
पूजा- सूरज बंजारा
मैं- पर
पूजा- समझ जाओगे समझ जाओगे
मैं- बता भी दे
पूजा- बस एक अनुमान है उसकी पुष्टि करना चाहती हु सूरज बंजारे ने माँ को तंत्र ज्ञान दिया था तो क्या उन्होंने मेनका को भी सिखाया होगा
मैं- अपनी बेटी को तो ज्ञान दिया ही होगा
पूजा- कुंदन मेरे पास अभी बहुत सवाल है बहुत सम्भवना है जिसमे सबसे पहली ये है कि राणाजी अगर प्रेम करते थे मेनका से तो उसे पत्नी बना कर रखते कौन विरोध करता उनका ,उन्होंने उसे रखा तो सही पर दुनिया से छुपा कर ये बात खटकती है
मतलब ये कैसा प्रेम है जो वो परवाह तो आजतक करते है उसकी पर प्रेम को परिवार का दर्जा नहीं दिया
मैं- बात तो सही है
पूजा- मेनका दिल बहलाने का साधन नहीं थी कुंदन उसका प्रयोजन कुछ और था और उसकी पुष्टि सूरज बंजारा करेगा
हमने पगडंडी से पहले ही गाडी रोक दी और पैदल ही झोपडी की तरफ चल पड़े, पर्दा हटाकर देखा तो अंदर लालटेन मन्द लौ में जल रही थी
पूजा ने बाबा को जगाया
बाबा- आप लोग इस समय
पूजा- बाबा बहुत जरुरी बात है
बाबा- हां पर हुआ क्या
पूजा- अप्सरा सिद्धि के बारे में बात करनी है
जैसे ही पूजा के शब्द बाबा के कानों में पड़े बाबा की खांसी छूट गयी मैंने पानी का गिलास भरा और पकड़ाया
बाबा- ऐसा कुछ नहीं होता बेटी
और जैसे ही हम अंदर दाखिल हुए हमने देखा की ये मेनका की नौकरानी थी उसके शरीर पर कुछ पिघला सा पड़ा था और वो जैसे झुलस गयी थी और तभी मुझे समझ आया की ये क्या है वो बुरी तरह तड़प रही थी चीख रही थी पिघला सोना उसकी खाल को बेध रहा था
जगह जगह छाले से हो गए थे और जैसे जैसे जहाँ जहाँ वो सूख रहा था परत सी बन रही थी स्तिथि ऐसी थी की हम चाह कर भी उसकी मदद नहीं कर पा रहे थे , वो बार बार चीख रही थी कुछ इशारा कर रही थी पर इससे पहले की हम कुछ समझ पाते उसने दम तोड़ दिया
पूजा- ये तो मर गयी
मैं- गर्म सोना
वो- पर इतने सोने को तो किसी भट्टी में ही गर्म
मैं- शायद ये ही तो कहना चाहती थी ये
पूजा- सही कहा यही कही है कुछ
कुछ ही देर में हमे सीढिया मिली जो नीचे जा रही थी कुछ अँधेरा था पर जल्दी ही रोशनी दिखी ये एक बड़ा सा कमरा था फर्श पर निशान थे सोने के तारों का शायद यही उस नौकरानी पर पिघला सोना गिर गया होगा
पूजा- सोने को क्यों पिघलाया गया होगा
मैं- पता नहीं
पूजा- वो देख उधर क्या है
उसने कुछ इशारा सा किया और हम कोने की तरफ चल पड़े वहाँ पर एक आदमकद मूर्ति खड़ी थी जिसकी पीठ मेरी तरफ थी और जब मैं उसके चेहरे की ओर गया तो मेरे होश ही उड़ गए
"जीजी, ये जीजी की प्रतिमा है" मेरी आँखे साक्षात् जीजी को ही देख रही थी ऐसे लग रहा था की अभी ये अपनी पलके झपकायेगी और मुझे गले से लगा लेगी पर ये एक प्रतिमा थी सिर्फ प्रतिमा
पर अगले ही पल मेरा कलेजा किसी आशंका से भर गया मैंने सोचा की कही जीजी पर तो ये सोने की परत नहीं चढ़ा दी गयी हो , शायद पूजा ने मेरे मन की बात समझ ली और उसने प्रतिमा को कुछ जगह से बजाया सा और बोली- बस मूर्ति ही है ,खोखली है
जान में जान आयी मेरी
पूजा- पर ये मूर्ति बनायीं क्यों गयी
मैं- ऐसी मुर्तिया या तो मंदिर में स्थापित की जाती है या फिर किसी अनुष्ठान हेतु
पूजा- क्या कहा फिर से बोल
मैं- ऐसी मुर्तिया या तो मंदिर में स्थापित की जाती है या फिर किसी अनुष्ठान में
पूजा- पर कविता की मूर्ति मंदिर में स्थापित नहीं हो सकती प्रयोजन कुछ और होगा , बात कुछ ओर ही है पहले छुपाया हुआ सोना और अब ये ऐसी मूर्ति कुंदन अतीत की किसी साजिश की बू आ रही है मुझे इस सोने की चमक के पीछे गड़बड़ है बता रही हु
मैं- कही ऐसा तो नहीं की राणाजी ने किसी तरह जीजी का उपयोग किया हो मेरा मतलब कही बलि तो न दे दी
पूजा- ना मेरा मन नहीं मानता क्योंकि बलि तंत्र में दी जाती है और यहाँ आसापास क्या पूरी हवेली में तंत्र से सम्बंधित कोई सामान नहीं है, ओह तेरी, कुंदन अप्सरा , अप्सरा इस मूर्ति को अप्सरा के रूप में ढाला गया है
मैं- मतलब
पूजा- अप्सरा का भोग एक विशेष सिद्धि के लिए कुंदन देख मैं बस अंदाजा लगा रही हु एक अनुमान है मेरा अप्सरा का भोग देकर बदले में कुछ ऐसा माँगा जाता है जिसे इंसान का पूर्ण बदल जाता है
मैं- क्या
पूजा- कोई अधूरी कामना, या फिर कोई प्रयोजन जैसे कोई शक्ति पाना
मैं- पर राणाजी क्यों करेंगे ऐसा
पूजा- राणाजी नहीं ,मेनका ये घर मेनका का है कुछ तो ऐसा है कुंदन जो नजरो से परे है धोखा हो रहा है
मैं- साफ़ साफ़ क्यों नहीं बोलती तू आखिर
पूजा- हमे जाना होगा अभी
मैं- कहां
पूजा-बताती हु आ मेरे साथ
पूजा ने मेरा हाथ पकड़ा और बिजली की सी तेजी से मुझे खींचती हुई हवेली से बाहर निकल आयी और जैसे ही हम गाडी तक पहुचे हवेली सुलग उठी धू धू करके जलने लगी वो हैरत और घबराहट ने मेरे पांवो को जकड़ सा लिया था आग की वो लपटे जैसे कुछ कह रही थी मुझसे
पूजा ने मुझे गाड़ी में धकेला और तेजी से हम निकल गये बहुत देर तक तो मैं समझ ही नहीं पाया कि हुआ क्या फिर एक शांत जगह पूजा ने गाड़ी रोकी हम बाहर आये
पूजा- षड्यंत्र
मैं चुप रहा
पूजा- पहले से तय था कि हम वह आएंगे और इस आग में जल जायेंगे
मैं- राणाजी हमे मारना चाहते है
पूजा- मेनका , वो जिन्दा है ऐसा मुझे लगता है और अगर ऐसा है तो कुछ अनिष्ट होने वाला है
मैं- मुझे डर नहीं तू जब साथ है
पूजा के चेहरे पर एक फीकी हँसी देखि मैंने उसने बस गले लगा लिया मुझे और बोली- मैं हर लम्हा तेरे साथ हु
वो अभी भी मेरे आगोश में थी उसकी महकती सांसे जैसे सुकून दे रही थी मुझे कुछ पलों के लिए मैं सबकुछ भूलने लगा पर मेरे नसीब में अभी सुख था नहीं , पूजा मुझसे दूर हो गयी और बोली- गाड़ी में बैठो
पूजा के चेहरे पर एक शिकन थी कुछ तो था जो वो इतना परेशां हो गयी थी उसके लरजते होंठ जैसे वो खुद को रोक रही थी मुझे कुछ बताने से पर क्या क्या समझ गयी थी रात के दूसरे पहर में हमारी गाडी अँधेरी सड़को पर दौड़ रही थी पहले मुझे लगा वो लाल मंदिर जा रही है पर गाडी वहाँ से दाये मुडी
मैं- कहा
पूजा- सूरज बंजारा
मैं- पर
पूजा- समझ जाओगे समझ जाओगे
मैं- बता भी दे
पूजा- बस एक अनुमान है उसकी पुष्टि करना चाहती हु सूरज बंजारे ने माँ को तंत्र ज्ञान दिया था तो क्या उन्होंने मेनका को भी सिखाया होगा
मैं- अपनी बेटी को तो ज्ञान दिया ही होगा
पूजा- कुंदन मेरे पास अभी बहुत सवाल है बहुत सम्भवना है जिसमे सबसे पहली ये है कि राणाजी अगर प्रेम करते थे मेनका से तो उसे पत्नी बना कर रखते कौन विरोध करता उनका ,उन्होंने उसे रखा तो सही पर दुनिया से छुपा कर ये बात खटकती है
मतलब ये कैसा प्रेम है जो वो परवाह तो आजतक करते है उसकी पर प्रेम को परिवार का दर्जा नहीं दिया
मैं- बात तो सही है
पूजा- मेनका दिल बहलाने का साधन नहीं थी कुंदन उसका प्रयोजन कुछ और था और उसकी पुष्टि सूरज बंजारा करेगा
हमने पगडंडी से पहले ही गाडी रोक दी और पैदल ही झोपडी की तरफ चल पड़े, पर्दा हटाकर देखा तो अंदर लालटेन मन्द लौ में जल रही थी
पूजा ने बाबा को जगाया
बाबा- आप लोग इस समय
पूजा- बाबा बहुत जरुरी बात है
बाबा- हां पर हुआ क्या
पूजा- अप्सरा सिद्धि के बारे में बात करनी है
जैसे ही पूजा के शब्द बाबा के कानों में पड़े बाबा की खांसी छूट गयी मैंने पानी का गिलास भरा और पकड़ाया
बाबा- ऐसा कुछ नहीं होता बेटी
- shubhs
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Re: नजर का खोट
पूजा तो होशियार है
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
- Kamini
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Re: नजर का खोट
पूजा- बाबा, आखिर क्यों छुपा रहे हो आप जबकि हम जानते है मेनका आज भी जिंदा है तो ये ढोंग करने की जरूरत नहीं और मुद्दे पे आओ मैं समझ गयी हु इस षड्यंत्र को और मेनका के इरादे को भी अप्सरा सिद्धि से मेनका का प्रयोजन क्या है ये जानना है मुझे अभी
पूजा की बात सुनकर बाबा के चेहरे का रंग फक्क से उड़ गया साँस जैसे अटक सी गयी पानी का जो गिलास उसके हाथ में था अचानक से गिर गया बाबा की आँखों में मैंने एक डर सा देखा
बाबा- बेटी,ये एक बहुत ही गूढ़ सिद्धि होती है जिसमे एक हज़ार लड़कियों की बलि दी जाती है पर ये कोई साधारण बलि नहीं होती है उन लड़कियों की स्वर्ण प्रतिमा भेंट की जाती है परंतु वो स्वर्ण ऐसा वैसा नहीं होता मंदिर का स्वर्ण होता है
मैं-मंदिर का स्वर्ण समझा नहीं बाबा
बाबा- कुछ प्राचीन मंदिर अपने आप में बहुत राज़ समेटे होते है जैसे तंत्र का गहन ज्ञान कुछ जाग्रत देवी देवता या फिर खजाना और ऐसा ही खजाना जिसमे से कुछ स्वर्ण अगर उसके रक्षक किसी को प्रसन्न होकर दे दे वो ही ये अप्सरा सिद्धि कर सकता है
पूजा- पर कोई क्यों करता है ये सिद्धि
बाबा- क्योंकि, क्योंकि अगर कोई ये सिद्धि कर पाता है तो समस्त जग के महा भट्ट, नाहरवीर , यहाँ तक की श्री श्री जी जिन्होंने तंत्र के मंत्र लिखे है उनके साक्षत दर्शन हो जाते है धरती में जहाँ भी धन गड़ा हो हर पल सिद्ध करने वाले को नजर में रहेगा चाहे वो उसका मालिक हो न हो
मैं- मुझे नहीं लगता कि धन के लिए ये सिद्धि की जायेगी मेनका और राणाजी के पास धन की कोई कमी नहीं मामला यहाँ फस रहा है
बाबा- तो फिर एक ही बात हो सकती है
मैं- क्या
बाबा- देखो इस बात का कोई प्रमाण नहीं है की अब जो मैं तुम्हे बताने जा रहा हु वो पूर्ण सच हो, पर एक किवंदिति है कि जो अप्सरा सिद्धि कर ले उसके लिए एक और सिद्धि का मार्ग खुल जाता है और वो सिद्धि है क्षण को बदलने की
मैं- मतलब
पूजा- मतलब ये कुंदन की व्यक्ति समय पर विजय प्राप्त कर लेता है और अपनी मर्ज़ी अनुसार समय की धारा मोड़ सकता है
मैं- क्या ये हो सकता है
बाबा- अब ये स्तय है या नहीं इसका कोई प्रमाण नहीं पर किवंदिति अवश्य है
पूजा- पर किसका इतना सामर्थ्य बाबा
बाबा- पता नहीं, इतना साहस तो पद्मिनी भी न करती बेटी
पूजा- तो कौन आसरा अब क्योंकि समय पर जिसका जोर वो तो प्रलय ला दे
बाबा- एक रास्ता है पर राह कठिन है
मैं- उपाय बताओ बाबा
बाबा ने कुछ गहरी सांस ली फिर बोले- ऐसी सुहागन नारी जिसने 21 नाहरवीर साधे हो जिसकी आँखे स्वर्ण आभा वाली हो जिसका गठबंधन किसी ऐसे पुरुष से हुआ हो जिसने माता को अपने पौरुष से विजित बलि दी हो अगर वो उस दरबार में हाज़री लगाये और प्रार्थना करे तो बात बन जाये पर इस यज्ञ में जो की रात के तीसरे पहर पूरा होगा किसी तरह का विघ्न न आये
बाबा- अब ऐसा जोड़ा कहा से मिलेगा और बड़ी बात ये की वो हमारे लिए ऐसा क्यों करेगा
बाबा- इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता परन्तु सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि जातक को अपने ह्रदय का रक्त उतनी बार ही माता को अर्पण करना होगा जितनी बार उसकी पत्नी मन्त्र पढ़ेगी उतने ही छींटे वो देवी की प्रतिमा पर मारेगा और जैसे ही पत्थर की मूर्ति स्वर्ण प्रतिमा हो जाये समझो सिद्धि पूर्ण हुई
पूजा- बहुत दुष्कर राह है बाबा
बाबा ने अगले ही पल हमे जाने को कहा मैं कुछ और जानना चाहता था पर पूजा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- चलो
हम गाड़ी में बैठे पूजा- कुंदन हमे अभी लाल मंदिर चलना होगा
मैं- चलो
पूजा- एक बात और
मैं- क्या
वो- ये प्रण हम दोनों को पूरा करना होगा
मैं- पर कैसे
पूजा- मैं वो सुहागन हु जिसने 21 नाहरवीर साधे है मेरी आँखे देखो सुनहरी है, है ना
मैं- इस पर तो मेरा ध्यान ही ना गया
पूजा-और तुमने लाल मंदिर के अंगार की बलि दी थी हम ही वो जोड़ा है जो ये कर सकते है
मैं- पर हम कैसे
पूजा- हम ही क्योंकि लगता है राणाजी और मेनका अप्सरा सिद्धि से ऊपर चले गए होंगे
मैं- तो इसका मतलब जीजी
पूजा- हां भी और ना भी तंत्र में एक नियम है कि 999 ही होते है जबकि 1000 बोलते है क्योंकि 1000वाला खुद जातक होता है वो अपने रक्त से भोग जो देता है
मैं- तो जीजी
पूजा-अभी समय नहीं है तू चल बस
अगले कुछ घण्टे हमारे अफरा तफरी में बीते मैं नए पुजारी से मिलने गया और उसे बताया की कल रात हमे मंदिर खाली चाहिए पूजा तब तक आवश्यक तैयारियां करने गयी, मंदिर से लौटते समय मैं सोच रहा था की राणाजी कहा होंगे इस समय पल पल मुझे डर लग रहा था की कही जरा सी देरी हुई और कविता जीजी।।।।
सबसे अहम् बात थी की वो और मेनका आखिर क्यों वक़्त की धारा को मोड़ना चाहते थे, ऐसा कौन सा क्षण था जिसे वो बदलना चाहते थे राणाजी का जीवन सामान्य न होकर अपितु किसी चक्रव्यूह जैसा था जिसमे हम सब फस गए थे और दांव पर था मेरी बहन का जीवन
ऐसा लगता था की मैं जैसे बरसो से थका हुआ था मैं दिवार के सहारे बैठा हुआ था पूजा मेरे पास आई और बोली- घबराना नहीं मैं ढाल हु तुम्हारी
मैं- घबरा नहीं रहा हु सोच रहा हु की तूने मुझसे बाते छुपाई
पूजा- मज़बूरी थी मेरी पर तेरी कसम इस काम से निपट लू तुझे हर वो बात बता दूँगी जो तू जानने का हकदार है
मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला- मेरी जान है तू बस इतना जान ले कुंदन सिर्फ इसलिए ही है ताकि तू है
पूजा- जानती हूं
मैं- तो फिर बस
पूजा- कुंदन ये यज्ञ बहुत मुश्किल होगा हो सकता है की मेरे कदम डगमगाये, हों सकता है की मैं राख हो जाऊ हो सकता है की कोई ऐसा नजारा तू देखे जो तुझे पथ से भटकाये पर तू डिगना नहीं
मैं- तू बस हाथ थामे रखना मेरा बाकि जो हो देख लेंगे
पूजा बस हौले से मुस्कुरा दी
पूजा की बात सुनकर बाबा के चेहरे का रंग फक्क से उड़ गया साँस जैसे अटक सी गयी पानी का जो गिलास उसके हाथ में था अचानक से गिर गया बाबा की आँखों में मैंने एक डर सा देखा
बाबा- बेटी,ये एक बहुत ही गूढ़ सिद्धि होती है जिसमे एक हज़ार लड़कियों की बलि दी जाती है पर ये कोई साधारण बलि नहीं होती है उन लड़कियों की स्वर्ण प्रतिमा भेंट की जाती है परंतु वो स्वर्ण ऐसा वैसा नहीं होता मंदिर का स्वर्ण होता है
मैं-मंदिर का स्वर्ण समझा नहीं बाबा
बाबा- कुछ प्राचीन मंदिर अपने आप में बहुत राज़ समेटे होते है जैसे तंत्र का गहन ज्ञान कुछ जाग्रत देवी देवता या फिर खजाना और ऐसा ही खजाना जिसमे से कुछ स्वर्ण अगर उसके रक्षक किसी को प्रसन्न होकर दे दे वो ही ये अप्सरा सिद्धि कर सकता है
पूजा- पर कोई क्यों करता है ये सिद्धि
बाबा- क्योंकि, क्योंकि अगर कोई ये सिद्धि कर पाता है तो समस्त जग के महा भट्ट, नाहरवीर , यहाँ तक की श्री श्री जी जिन्होंने तंत्र के मंत्र लिखे है उनके साक्षत दर्शन हो जाते है धरती में जहाँ भी धन गड़ा हो हर पल सिद्ध करने वाले को नजर में रहेगा चाहे वो उसका मालिक हो न हो
मैं- मुझे नहीं लगता कि धन के लिए ये सिद्धि की जायेगी मेनका और राणाजी के पास धन की कोई कमी नहीं मामला यहाँ फस रहा है
बाबा- तो फिर एक ही बात हो सकती है
मैं- क्या
बाबा- देखो इस बात का कोई प्रमाण नहीं है की अब जो मैं तुम्हे बताने जा रहा हु वो पूर्ण सच हो, पर एक किवंदिति है कि जो अप्सरा सिद्धि कर ले उसके लिए एक और सिद्धि का मार्ग खुल जाता है और वो सिद्धि है क्षण को बदलने की
मैं- मतलब
पूजा- मतलब ये कुंदन की व्यक्ति समय पर विजय प्राप्त कर लेता है और अपनी मर्ज़ी अनुसार समय की धारा मोड़ सकता है
मैं- क्या ये हो सकता है
बाबा- अब ये स्तय है या नहीं इसका कोई प्रमाण नहीं पर किवंदिति अवश्य है
पूजा- पर किसका इतना सामर्थ्य बाबा
बाबा- पता नहीं, इतना साहस तो पद्मिनी भी न करती बेटी
पूजा- तो कौन आसरा अब क्योंकि समय पर जिसका जोर वो तो प्रलय ला दे
बाबा- एक रास्ता है पर राह कठिन है
मैं- उपाय बताओ बाबा
बाबा ने कुछ गहरी सांस ली फिर बोले- ऐसी सुहागन नारी जिसने 21 नाहरवीर साधे हो जिसकी आँखे स्वर्ण आभा वाली हो जिसका गठबंधन किसी ऐसे पुरुष से हुआ हो जिसने माता को अपने पौरुष से विजित बलि दी हो अगर वो उस दरबार में हाज़री लगाये और प्रार्थना करे तो बात बन जाये पर इस यज्ञ में जो की रात के तीसरे पहर पूरा होगा किसी तरह का विघ्न न आये
बाबा- अब ऐसा जोड़ा कहा से मिलेगा और बड़ी बात ये की वो हमारे लिए ऐसा क्यों करेगा
बाबा- इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता परन्तु सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि जातक को अपने ह्रदय का रक्त उतनी बार ही माता को अर्पण करना होगा जितनी बार उसकी पत्नी मन्त्र पढ़ेगी उतने ही छींटे वो देवी की प्रतिमा पर मारेगा और जैसे ही पत्थर की मूर्ति स्वर्ण प्रतिमा हो जाये समझो सिद्धि पूर्ण हुई
पूजा- बहुत दुष्कर राह है बाबा
बाबा ने अगले ही पल हमे जाने को कहा मैं कुछ और जानना चाहता था पर पूजा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- चलो
हम गाड़ी में बैठे पूजा- कुंदन हमे अभी लाल मंदिर चलना होगा
मैं- चलो
पूजा- एक बात और
मैं- क्या
वो- ये प्रण हम दोनों को पूरा करना होगा
मैं- पर कैसे
पूजा- मैं वो सुहागन हु जिसने 21 नाहरवीर साधे है मेरी आँखे देखो सुनहरी है, है ना
मैं- इस पर तो मेरा ध्यान ही ना गया
पूजा-और तुमने लाल मंदिर के अंगार की बलि दी थी हम ही वो जोड़ा है जो ये कर सकते है
मैं- पर हम कैसे
पूजा- हम ही क्योंकि लगता है राणाजी और मेनका अप्सरा सिद्धि से ऊपर चले गए होंगे
मैं- तो इसका मतलब जीजी
पूजा- हां भी और ना भी तंत्र में एक नियम है कि 999 ही होते है जबकि 1000 बोलते है क्योंकि 1000वाला खुद जातक होता है वो अपने रक्त से भोग जो देता है
मैं- तो जीजी
पूजा-अभी समय नहीं है तू चल बस
अगले कुछ घण्टे हमारे अफरा तफरी में बीते मैं नए पुजारी से मिलने गया और उसे बताया की कल रात हमे मंदिर खाली चाहिए पूजा तब तक आवश्यक तैयारियां करने गयी, मंदिर से लौटते समय मैं सोच रहा था की राणाजी कहा होंगे इस समय पल पल मुझे डर लग रहा था की कही जरा सी देरी हुई और कविता जीजी।।।।
सबसे अहम् बात थी की वो और मेनका आखिर क्यों वक़्त की धारा को मोड़ना चाहते थे, ऐसा कौन सा क्षण था जिसे वो बदलना चाहते थे राणाजी का जीवन सामान्य न होकर अपितु किसी चक्रव्यूह जैसा था जिसमे हम सब फस गए थे और दांव पर था मेरी बहन का जीवन
ऐसा लगता था की मैं जैसे बरसो से थका हुआ था मैं दिवार के सहारे बैठा हुआ था पूजा मेरे पास आई और बोली- घबराना नहीं मैं ढाल हु तुम्हारी
मैं- घबरा नहीं रहा हु सोच रहा हु की तूने मुझसे बाते छुपाई
पूजा- मज़बूरी थी मेरी पर तेरी कसम इस काम से निपट लू तुझे हर वो बात बता दूँगी जो तू जानने का हकदार है
मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला- मेरी जान है तू बस इतना जान ले कुंदन सिर्फ इसलिए ही है ताकि तू है
पूजा- जानती हूं
मैं- तो फिर बस
पूजा- कुंदन ये यज्ञ बहुत मुश्किल होगा हो सकता है की मेरे कदम डगमगाये, हों सकता है की मैं राख हो जाऊ हो सकता है की कोई ऐसा नजारा तू देखे जो तुझे पथ से भटकाये पर तू डिगना नहीं
मैं- तू बस हाथ थामे रखना मेरा बाकि जो हो देख लेंगे
पूजा बस हौले से मुस्कुरा दी
- zainu98
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Re: नजर का खोट
pls update do na kamini bahut din ho gay hai ab to aak mega update banta hai