नजर का खोट complete

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Kamini
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Re: नजर का खोट

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zainu98 wrote:good work but onley one page u apdet here hum to samjhe thy ki mega updet aay ga but buhut he chota
its not good sab naraj hogy hai
dekhiye abhi garmiyon ka mousam chal raha hai isliye time kam mil raha hai . abhi thode se hi guzara karna padega


shubhs wrote:Update

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Kamini
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Re: नजर का खोट

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हैरान परेशान मैं पूजा को ढूंढते हुए प्रांगण से बाहर आया चारो तरफ एक अजीब सा सन्नाटा था जिसे बस कुछ पक्षियों की आवाज भेद रही थी ऐसा लगता था की बरसो से मंदिर में कोई आवा जाहि न हुई हो
पर मुझे किसी की फ़िक्र थी तो पूजा की मैं उसे ढूंढते हुए नीचे आया तो देखा की बावड़ी के पास एक खम्बे के सहारे वो बैठी हुई थी मैं उसके पास गया उसकी आँखे बंद थी लगता था जैसे कब से थकी हुई हो
मैं भी उसके पास बैठ गया उसने आँखे खोली और बोली-कुंदन ,

मैं- पूजा तू ठीक तो है

वो- मुझे क्या होना है पगले जब तू साथ है

मैं-कल क्या हुआ क्या नहीं मुझे नहीं पता पर अभी हमे यहाँ से निकलना होगा

पूजा- हां जाना तो होगा ही चल चलते है क्योंकि अब मेनका और राणाजी चुप नहीं रहेंगे उनकी सब मेहनत बर्बाद हो चुकी है कुंदन अब वो लोग किसी भी हद तक जा सकते है

मैं- पूजा मैं हर उस हाथ को काट दूंगा जो ये घिनोना खेल खेल रहे है , मैं उक्ता चूका हूँ इस सब से बस अब इंतज़ार है अंत का

पूजा-कुंदन मेरी बात ध्यान से सुन हमे कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना है जिससे कविता को और खतरा बढे तुम मुझे घर छोड़ दो और जस्सी से मिलो उसकी मदद चाहिए हमको बाकि बाते बाद में करेंगे

मैंने उसके बाद पूजा को उसके घर छोड़ा और अपनी जमीन पर गया तो देखा वहां सब कुछ अस्त व्यस्त था और जुम्मन जमीं पर पड़ा था लहूलुहान
मैंने संभाला उसे

मैं- काका क्या हुआ किसने किया ये सब

वो- अर्जुन गढ़ से कुछ लोग तुम्हे तलाश करते हुए आये थे यहाँ

मैं- पहले आपको वैद्य जी के पास ले चलता हूं उसके बाद देखता हूं

मैंने जुम्मन को गाड़ी में पटका और रास्ते में उससे जानकारी ली अर्जुनगढ़ वालो को ठाकुर जगन सिंह की लाश मिल गयी थी पर कुंदन के अहम् को चोट पहुची थी उन्हें जुम्मन पे हमला नहीं करना चाहिए था बिल्कुल नहीं करना था

वैसे तो मेरी नजर राणाजी को तलाश कर रही थी पर बीच में ये मामला आ गया तो सोचा की आज इस दुश्मनी की आग को सुलटा ही देता हूं मैं घर आया देखा माँ सो रही थी और जस्सी थी नहीं मैंने गाड़ी में हथियार डाल और गाड़ी दौड़ा दी अर्जुनगढ़ की ओर
गुस्से में भभक्ते हुए मेरी गाड़ी चली जा रही थी की तभी मैंने देखा की भाभी की कार मेरी ओर आ रही थी उन्होंने मुझे इशारा किया पर मैंने ध्यान न दिया और जल्दी ही धूल उड़ाती हुई गाडी अर्जुन गढ़ की चौपाल में जाकर रुकी

मैं- अर्जुनगढ़ वालो बुलाओ अपने उस शेर को जिसने कुंदन ठाकुर की जमीन पर पैर रखने की गुस्ताखी की है जितने जख्म मेरे आदमियो के बदन पे हुए है उतनी लाशें आज यहाँ से लेके जाऊंगा बुलाओ सालो कौन था वो बुलाओ

पुरे बाजार में जैसे सन्नाटा छा गया सिर्फ एक आवाज गूंज रही थी कुंदन ठाकुर की आवाज वातावरण में गर्मी बढ़ सी गयी थी

मैं- मैं पूछता हूं आखिर कौन सुरमा पैदा हो गया जिसने मेरी जमीं पर पैर रखा अंगार का हश्र भूल गए क्या सालो तुम आज इतनी लाशें बिछेंगी की बरसो तक अर्जुन गढ़ की मिटटी लाल रहेगी सामने आओ कायरो सामने आओ कायरो देखो कुंदन खुद आया है

"धांय" तभी एक गोली की आवाज गुंजी और मैं दर्द में डूब गया गोली बाजु से रगड़ खाते हुए चली गयी थी

"तो मौत के मुह में तू खुद चला आया कुत्ते , अच्छा है आज इसी वक़्त तेरी समाधी यही बनेगी अर्जुनगढ़ वालो आज तुम सब देखोगे की हमारे से दुश्मनी लेने वालों का अंजाम क्या होता है और इसने तो हमारे पिताजी को मारा है "

मैं- मैंने उसे तो नहीं मारा पर तेरी ये इच्छा जरूर पूरी करूँगा मैं आज

मैं लपका उसकी ओर उसने अपनी बन्दुक मेरी ओर की पर एक और गोली की आवाज हुई और जगन सिंह के लड़के राजू ठाकुर की बन्दुक उसके हाथ से गिर गयी

"ख़बरदार जो किसी ने भी कोई गुस्ताखी की यहाँ शमशान बनते देर नहीं लगेगी"

मैंने देखा जस्सी भाभी हाथो में बन्दुक लिए खड़ी थी
राजू- ओह हो तो तुम भी आ गयी देवगढ़ की शान आंन मजा तो अब आएगा जब कुंदन को मारने के बाद तेरे जिस्म को यही नीलाम करूँगा मैं तेरे गोश्त को मेरे पालतू यही उधेड़ेंगे आजा तू भी

मैं चिल्लाते हुए - राजू यही फाड़ दूंगा तेरा कलेजा साले होश में आ और देख सामने कौन है

मैंने तुरंत बन्दुक ली और दाग दी गोली पर वो हट गया सामने की दुकान का शीशा चूर चूर हो गया

जस्सी- ओट ले कुंदन

मैं और जस्सी गाड़ी की ओट में आ गए और फायरिंग शुरू हो गयी मैंने आज जस्सी भाभी का वो रूप देखा जिसे शायद लोग कयामत कहते थे भाभी ने जैसे आग ही लगा दी थी उस गाँव में कुछ ही मिनटों में चौपाल रक्त धारा से नाहा चुकी थी

इसी बीच मौका देख कर मैंने राजू को धर लिया और मारने लगा उसको

जस्सी ने मोर्चा संभाल रखा था इसलिए मुझे समय मिल गया था मैंने राजू को उठा कर पटका तो वो पास ही एक पेड़ से जा टकराया उसकी पसलियों में चोट लगी और मैंने धर लिया उसको एक बार फिर से उसे पटका तो लोहे की जाली से टकरा गया वो उसकी बाह जाली में फस गयी

मैं- उठ और देख, तेरी सल्तनत कैसे आज जल रही है साले मेरी गांड घस गयी प्रयास करते करते पर तुम लोग समझते नहीं नहीं समझते हो तुम

मैंने एक लात जो मारी उसको तो मुह से खून फेक दिया उसने

मैं- देखो अर्जुनगढ़ वालो , तुम्हारे इस नेता को देखो सालो मैं इस कोशिश में लगा की दोनों गाँवोइ भाई चारा हो पर ऐसे लोगो की वजह से नहीं हो पाता पर पिसते हो तुम लोग , मैं इस प्रयास में हु की हर आदमी को समाज के समान दर्ज़ा मिले पर ऐसे लोग ही है जो होने नहीं देते

दो लोगो की दुश्मनी के पीछे दो गाँव क्यों झुलसे इस आग में , पूछो इस राजू से क्या कसूर था उस आदमियो ला जिन्हें ये पीट कर आया था क्या साबित किया इसने मैं तुमसे पूछता हूं गांव वालों कब तक इस नफरत की आग में जलोगे कब तक

अरे ध्यान दो कैसे आने वाले कल को खुशहाल बना सको पर नहीं ये तो मेडल लेंगे दो टाइम की रोटी का जुगाड़ मुश्किल से होता है और नफरत जन्मो तक निभानी है

मैं पूछता हूं ये नफरत पेट भरेगी तुम्हारा क्या तुम्हारे बच्चो को एक खुशहाल भविष्य देगी ये नफरत जवाब दो

जस्सी- कुंदन मार दे इस राजू को अभी के अभी
मैंने बन्दुक उठाई और राजू के सीने से लगा दी बस एक पल और उसकी लाश धरती पर गिर जानी थी पर मेरे हाथ रुक गए

मैं- राजू, तेरे बाप को मैंने नहीं मारा तू मान चाहे न मान चाहु तो अभी एक नया शमशान अभी यही बना सकता हु पर मैं नहीं चाहता की बरसो से चली आ रही इस नफरत में और घी डाला जाए पुरखो की गलतियों को सुधारने का समय है दोनों गांव मिल कर एक नयी दुनिया बसा सकते है मैं फैसला तुम्हारे हाथ छोड़ता हु बाकि कुंदन अगर सर झुका सकता है तो सर काट भी सकता है

तूने मेरी भाभी को नीलाम करने की बात की मेरे सामने चाहू तो अभी तेरी खाल उतार के उसके कदमो में डाल दू पर मैं नफरत की नहीं प्यार की बात करता हु इसलिए माफ़ करता हु तुझे

मैंने उसे छोड़ा और जस्सी की तरफ चल पड़ा मैं उसके पास पंहुचा ही था की उसने मुझे धक्का दिया और उसकी बन्दुक से निकली गोली राजू का सीना चीर गयी, पीछे से वो मुझ पर गोली चलाने वाला था
जस्सी- कुंदन आँख मीच कर भरोसा करना बंद करो तुम,

जस्सी- तो यही औकात है तुम लोगो की मेरा देवर तो झुक गया था न पर तुम अगर नफरत ही चाहते हो तो जस्सी ठकुराइन का वादा है जल्दी ही अर्जुनगढ़ में कुछ नहीं बचेगा सिवाय इन खाली मकानों के ये हमारा तोहफा है इस गांव को

और अगले ही पल जब भाभी की बात खत्म हुई वहा मौजूद हर सक्श अपने घुटनों पर बैठ गया जस्सी ने जीत लिया था अर्जुन गढ़ को बिना कुछ कहे हम अपनी अपनी गाड़ी में बैठे और वापस देव गढ़ के लिए चल दिए पर हमारी हद आते ही जस्सी ने अपनी गाड़ी अड़ा दी मेरी गाड़ी के आगे
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shubhs
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Re: नजर का खोट

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Kyu
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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shubhs
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Re: नजर का खोट

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भाई अपडेट किधर है
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Kamini
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Re: नजर का खोट

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