नजर का खोट complete

Post Reply
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: नजर का खोट

Post by Kamini »


मैंने अपना सर पकड़ लिया और वही बैठ गया ये कैसे हो सकता था दोनों लड़कियों के नाम बदल कैसे सकते थे सर जैसे फ़टने को था पहले राणाजी की डायरी और अब ये झोल मैंने थोड़ा पानी पिया और फिर छज्जे वाली को घर जाने को कहा पर उसने साथ रहने की जिद की

अब बस पूजा या आयात जो भी थी वो ही मेरे सवालो का जवाब दे सकती थी तो हम उसके घर ही जा रहे थे पर जब हम वहाँ पहुचे तो एक झटका और लगा आज ये घर वैसा नहीं था जैसा मैं इसे देखता आया था
अब सब बेहद खस्ता हाल था न दरवाजा था न कोई ताला था कल ही तो मैंने यहाँ बैठ के खाना खाया था पर अब खंडहर था सब कुछ, दीवारे टूटी हुई छप्पर टुटा हुआ

मैं- ये कैसे हो सकता है, कैसे हो सकता है ये क्या हो रहा है मेरे साथ, आज कुंदन जैसे पागल ही हो जाना था

छज्जेवाली रोने लगी- ये क्या हो रहा है आपको

मैं- कल तक , कल तक यहाँ एक घर होता था जिसमे मैं उसके साथ रहता था आज ये खंडहर कैसे हो गया , पूजा पूजा मैं चिल्लाने लगा जोर जोर से

छज्जेवाली- मैं आपके पास ही तो हु

अब मैं कहता भी तो क्या कहता उस से, की मेरे साथ क्या हुआ है
तभी हमने जुम्मन को अपनी ओर आते देखा

जुम्मन- आप यहाँ क्या कर रहे है , बड़ी बहुरानी आपकी सुबह से राह देख रही है

मैं- काका , ये पूजा का घर एक दिन में खंडहर कैसे हो गया

जुम्मन ने मेरी तरफ देखा और बोला- बेटा ये तो हमेशा से ही ऐसा है

मैं- होश में हो न अब ये मत कहना की आपने पूजा को नहीं देखा

काका- क्यों न देखा जब जब वो खेत पे आती थी देखता तो था न
अब मुझे थोड़ा चैन मिला

मैं- तो काका जब कई बार आप उसे छोड़ने आते थे तो यही तो आते थे न

काका- नहीं वो हर बार उस पिछले मोड़ से ही मुझे वापिस कर देती थी

मैं- कैसे हो सकता है ये सब कैसे, कितनी रात मैं यहाँ रहा हु उसके साथ कितने पल मैंने यहाँ इस घर में बिताए है और आप कुछ ओर कह रहे है

काका- बेटा ये घर बरसो से खंडहर है


मैं अंदर गया पर कोई सामान नहीं था कोई भी ऐसा सबूत नहीं जिससे साबित हो की पूजा यहाँ थी मेरे साथ, और वो खुद लापता हो गयी थी अब सिर्फ अर्जुनगढ़ की हवेली बची थी देखना था कि वहां भी सब बदल गया या नहीं

छज्जेवाली ने तो जिद ही कर ली मजबूरन उसे भी साथ लाना पड़ा हम उसी कमरे में आये ही थे जहाँ कल मैंने और उसने सुहागरात मनायी थी की पीछे से जस्सी और जुम्मन भी आ गए, वो ले आया था भाभी को ,

जस्सी- क्या हुआ कुंदन

मैंने ज्यो का त्यों उसे पूरी बात बता दी और उसके चेहरे का रंग उड़ गया

जस्सी- ऐसा कैसे हो सकता है

मैं- मेरा यकीन करो, कल हम इसी पलंग पर थे और वो दुल्हन का जोड़ा कहा गया यही कही तो रखा था

छज्जेवाली- एक मिनट कही ये वो तो नहीं

उसने अपने बैग से वो ही जोड़ा निकाला

मैं- तुम्हारे पास कैसे

वो- सुबह जब आपका इंतजार कर रही थी तब आयत मिली थी और वो ही दे गयी बोली तोहफा है रख लो

भाभी- एक मिनट क्या नाम लिया तुमने

वो- जी आयत,

भाभी- पर आयत तो, आयत तो अर्जुन सिंह की बेटी थी न

मैं- भाभी आयात ये है

छज्जेवाली- मैं पूजा हु कितनी बार कहु, भाभीसा आप ही बताइए न

भाभी- ये सही कह रही है

छज्जेवाली- और कैसेट वाले ने भी सच बता तो दिया

मैं- भाभी जब हम दोनों रेडियो सुनते थे तो वो फरमाइये याद है

भाभी- तभी तो मैं कहती थी की आयत कुछ अपना सा लगता है

मैं- ठीक है वो आयत है पर अब कहा गयी वो

कमरे में अजीब सी चुप्पी छा गयी इसका जवाब किसी के पास नहीं था

मेरी आँखों में आंसू आ गए ये कैसा छल कर गयी थी वो मेरे साथ , क्या ये ही मोहब्बत थी उसकी
जस्सी ने कमरे की तलाशी निकली तो उसमें वो सभी सामान निकला जिसे वो उस घर में यूज़ करती थी इसका मतलब वो भी थी , थी वो भी

मैं- तू चाहे पूजा हो या आयत पर तुझे कसम है मेरे उस प्यार की, कसम है उस नाते की जो तेरे मेरे बीच है तुझे कसम है मेरी अगर आज अभी तू मेरे पास न आयी तो कुंदन का मरा मुह देखेगी, मैं जान दे दूंगा ये सौगंध है मेरी, अगर तेरी मेरी मोहब्बत रुस्वा हुई आज तो कुंदन मौत को गले लगायेगा तूने ही कहा था न की तेरे रहते कुंदन कभी रुस्वा नहीं होगा तो आज तू ही ऐसा कर रही है
कुछ देर मेरी आवाज गूंजती रही और फिर सब शांत हो गया मरघट सी शांति

वो सब लोग मुझे देखते रहे सोचने लगे की कही कुंदन पगला तो न गया

और फिर छम्म छम्म पायल की आवाज हुई और मेरे होंठो से निकला- वो आ गयी, वो आ गयी,

पल पल पायल की आवाज तेज होती गयी और फिर मैंने उसे देखा जैसे हमेशा देखा था ऐसे ही मुस्कुराते हुए एक पल वो रुकी और फिर भागते हुए सीधा मेरे सीने से लगी

आयत- तुझे रुस्वा कैसे कर सकती हूं मैं मेरे सरताज

मैं- कहा गयी थी तू और ये क्या माजरा है

वो- बताती हु सब बताती हु , पर मुझे मेरे झूठो के लिए माफ़ करना मेरा नाम आयात ही है , कुछ चीज़ों पे विश्वास करना मुश्किल होता है मैं समझती हूं ये लोग नहीं समझेंगे पर गलती मेरी ही तो थी जो तेरे मोह में पड़ गयी,

मैं तो बस भटकती रहती थी दिन रात यहाँ से वहां पर उस रात जब तेरी मेरी मुलाकात हुई न जाने तू क्या जादू कर गया की तुझे भूल न पायी और कही तेरा साथ न छुटे इस वजह से सच बोल न पायी तू किसी रंग सा मेरे पास आया और रंग गयी मैं,

और अनजाने में ही जब मेरी मांग भरी गयी मेरे लिए समस्या हो गयी मैं महा प्रेतनी तू मानव पर प्रेम कहा जाने

तेरी जिद तेरी मासूमियत तेरी हर परेशानी को मैंने अपना समझ लिया ये जानते हुए की एक दिन जब सच तू जानेगा तो क्या होगा

मैं- पर तू प्रेतनी कैसे , वो तो डरावने होते है न

वो- तूने भी तो देखा था मेरा डरावना रूप जलते हुए वो मेरी ही राख थी कुंदन पर पल पल तेरे प्रेम ने मुझे वो सपने दिखाने शुरू कर दिए जो मुमकिन ही न थे ये तेरा प्रेम ही था कि मैं एक प्रेतनी होकर भी माता के दरबार में जा सकी सुहागन जो थी तेरी
और आज मेरा समय भी हो गया था तुझसे विदा लेने का पर ये तेरे प्यार का असर है और तुम्हारे पिता का अहसान,

जस्सी जो हैरान थी बोली- कैसा अहसान

आयत्त- जब उनकी सिद्धि पूर्ण न हुई तो उन्होंने कारण ढूंढा और मेनका सब जान गयी तो राणाजी ने धर्मराज के चालक से अपने वचन की दुहाई देकर एक अंतिम प्रार्थना की और अपने प्राणों को मोल करके मुझे शरीर दिलाया इतना बड़ा त्याग किया उन्होंने

छज्जेवाली- तो इसका मतलब अब आप

आयत- हां अब मैं पूर्ण नारी हु

मैं- मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता बस तुम मेरी हो मेरी हो

आयत- हां मैं बस तुम्हारी हु पर इस लड़की के हक़ का क्या

पूजा- आप खुश रहे बस इतनी कामना है मेरी

आयत- नहीं कुंदन तुम्हे भी मिलेगा क्यों कुंदन दो पत्नियों से तुम्हे आपत्ति तो नहीं

मैं- तुम कहो तो जो ही सही

जस्सी- तो ठीक है अब सब घर चलो यकीन नहीं होता पर मोहब्बत आज समझी हु , चलो सब
उसके बाद कुंदन अपनी दोनों पत्नियों के साथ रहने लगा और जस्सी का।
सदा उसने मान रखा
User avatar
shubhs
Novice User
Posts: 1541
Joined: 19 Feb 2016 06:23

Re: नजर का खोट

Post by shubhs »

समाप्त
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
chusu
Novice User
Posts: 683
Joined: 20 Jun 2015 16:11

Re: नजर का खोट

Post by chusu »

bhai................ climax boring tha.............
User avatar
shubhs
Novice User
Posts: 1541
Joined: 19 Feb 2016 06:23

Re: नजर का खोट

Post by shubhs »

कुछ भी हो बेहतरीन प्रदर्शन रहा
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
User avatar
zainu98
Posts: 45
Joined: 13 Oct 2014 16:05

Re: नजर का खोट

Post by zainu98 »

zainu98 wrote: 17 May 2017 18:39 good work but onley one page u apdet here hum to samjhe thy ki mega updet aay ga but buhut he chota
its not good sab naraj hogy hai
Post Reply