अनोखा सफर complete

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shubhs
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Re: अनोखा सफर

Post by shubhs »

बहुत ही बिंदास कहानी
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Rohit Kapoor
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Re: अनोखा सफर

Post by Rohit Kapoor »

Vikaskumar123 wrote:Superb Bro…………………Tumne to school time ki fantasy sach kar di. ☺
shubhs wrote:बहुत ही बिंदास कहानी

thanks dosto
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Rohit Kapoor
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Re: अनोखा सफर

Post by Rohit Kapoor »

रात को मेरी कुटिया ने रानी विशाखा ने प्रवेश किया मैंने उनसे पूछा " रानी विशाखा राजकुमारी त्रिशाला के रहने की व्यवस्था हो गयी ?"
मेरा प्रश्न सुन कर रानी विशाखा तुनककर बोली " महाराज आपको आजकल मेरी कोई चिंता नहीं है बस राजकुमारी त्रिशाला की ही चिंता है।"
मैंने बात सँभालते हुए उनसे कहा " अरे महारानी वो हमारी मेहमान है इसलिए मैंने पूछा आप व्यर्थ में ही बुरा मान रही हैं "
रानी विशाखा " नहीं महाराज मुझे वो बिलकुल पसंद नहीं आपको भी उससे सतर्क रहना चाहिए ।"
मैंने सोचा शायद रानी विशाखा को जलन हो रही है इस लिए मैंने बात पलटने के लिए उन्हें अपनी बाहों में भर लिया और उनसे कहा " रानी छोड़िये इन सब बातों को आपसे इतने दिन बाद मिला हु थोड़ा आपसे प्रेम तो करने दीजिये "
फिर मैंने रानी विशाखा के अधरों ( होठों) को चूसना चालू किया और उनके नितंबो को हाथ से सहलाने लगा। रानी विशाखा तो जैसे यही चाह रही थी उन्होंने मेरा वस्त्र खींचकर निकाल दिया और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी। मैंने भी रानी विशाखा को बिस्तर पे लिटाया और उनकी कमर पे बंधा वस्त्र खोल दिया। फिर मैं उनकी चूत की फांको को खोल उनके दाने को चूसने लगा और वो आनंद के सिसकारियां मारने लगी। कुछ देर बाद रानी विशाखा ने मुझे बिस्तर पे लिटा दिया और अपनी चूत मेरे मुह पे रगड़ने लगी। मैं भी अपनी जीभ से उनकी चूत के दाने को छेड़ने लगा। तभी मुझे लगा की कोई मेरा लंड चूस रहा है मैं चौंका क्योंकि रानी विशाखा तो मेरे मुंह पे बैठी हुई थी । मैंने देखा तो सेनापति विशाला मेरा लंड चूस रही थी। मैंने भी जो हो रहा था उसे ऐसे ही होते देता रहा।
कुछ देर बाद मैंने दोनों को अपने से दूर हटाया तो दोनों ने एक दूसरे को देख कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मैंने भी आगे बढ़ने का फैसला किया मैंने सेनापति विशाला को लिटा के अपना लंड एक झटके में उनकी चूत में घुसा दिया तो उसकी साँसे ही रुक गयी। रानी विशाखा उसे सामान्य करने के लिए उसके चुचको को चूसने लगी। कुछ देर बाद जब वो सामान्य हुई तो मैंने उसकी चूत में अपने लंड को गोते लगवाने लगा । रानी विशाखा भी अपनी चूत लेके अपनी बेटी विशाला के मुह पे बैठ गयी जो उसकी चूत के दाने को चूसने लगी। अब हम तीनों मस्ती के समंदर में डूबने लगे । ऐसे ही थोड़ी देर तक विशाला की चुदाई करने के बाद मैंने रानी विशाखा की घोड़ी बना दिया और पीछे से अपना लंड उनकी चूत में घुसा के चुदाई करने लगा। रानी विशाखा भी आगे झुक के अपनी बेटी की चूत को मुह में लेके चूसने लगी। ये सब देख के मेरी उत्तेजना चरम पे पहुच गयी और मैंने भी लंबे लंबे धक्के मारने शुरू कर दिए। कुछ ही देर में हम तीनों एक साथ झड़ गए।
जब हमारी साँसे संयमित हुई तो मैंने दोनों से पुछा " आप दोनों को एक साथ सम्भोग करने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई "
मेरी बात सुनके रानी विशाखा चौंकते हुए बोली " कैसी दिक्कत महाराज ये हमारा कोई पहली बार थोड़े ही न था "
अब मैंने चौंकते हुए पूछा " इसका मतलब आप दोनों पहले भी एक साथ ......"
मेरी बात पूरी भी नहीं हो पाई थी की विशाला ने कहा " वज्राराज अक्सर हम दोनों के साथ सम्भोग किया करते थे।"
अब मेरे दिमाग की सारी खिड़कियां हिल गयी की बाप बेटी माँ एकसाथ सम्भोग करती थी । फिर मुझे रानी विशाखा की एक बात याद आयी जो उन्होंने मुझसे कही थी " महाराज हमारा कबीला सम्भोग के मामले काफी स्वछंद है "।
मुझे कुछ ही देर में नींद ने आ घेरा और मैं सो गया।
कुछ दिन तक मैं क़बीले की युद्ध की तैयारियों में व्यस्त रहा। एक दिन अचानक राजकुमारी त्रिशाला मेरे पास आईं और उन्होंने मुझसे कहा" महाराज मैं कहीं भ्रमण पे जाना चाहती हूँ ।"
मैंने कहा " ठीक है मैं अभी चरक से कह कर आपके भ्रमण की व्यवस्था करा देता हूँ।"
त्रिशाला " महाराज मैं आपके साथ अकेले भ्रमण पे जाना चाहती हूँ "
मैंने कुछ सोचते हुए जवाब दिया " राजकुमारी त्रिशाला आप तो जानती ही हैं अभी मैं क़बीले के युद्ध की तैयारियों में व्यस्त हूँ पर अगर आप चाहती हैं तो क़बीले में ही एक छोटा तालाब है जो शाम को अक्सर शांत ही रहता है वहां चले।"
त्रिशाला खुश होते हुए " ठीक है महाराज "


शाम को मैं त्रिशाला को लेके क़बीले के तालाब पे गया । त्रिशाला ने गजब का श्रृंगार किया था और वो बहुत खूबसूरत लग रही थी । मेरा मन भी आज उसे पाने की ललक में व्याकुल हुआ जा रहा था पर मैंने खुद को संयमित किया। कुछ देर तक हम तालाब के किनारे बैठ के नजारों का अनान्द लेने लगे। राजकुमारी त्रिशाला तालाब का पानी लेके मेरे ऊपर फेंकने लगी मैंने भी तालाब का पानी त्रिशाला के ऊपर फेकना शुरू कर दिया। कुछ देर में हम दोनों ही पानी में भीग गए। पानी से भीगी त्रिशाला किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी मैं तो उसके रूप के जादू में सम्मोहित होता चला गया और उसके अधरों को अपने अधरों में लेके चूमने लगा। राजकुमारी त्रिशाला भी मेरा साथ देने लगी। कुछ देर की चूमा चाटी के बाद हम दोनों काफी उत्तेजित हो गए और हम दोनों ने एक दूसरे के वस्त्रों को निकाल फेंका। राजकुमारी त्रिशाला मेरे सामने एकदम नग्न अवस्था में थी मैं उसके शरीर की ऊंचाइयों और गहराइयों में खोता चला गया। हम दोनों ने एक दूसरे के शरीरों से खेलने लगे । वो मेरे ऊपर आ गयी जिससे उसकी चूत मेरे मुह के सामने और मेरा लंड उसके सामने हो गया। फिर हम दोनों ने एक दुसरे के जननांगों को चूसना चालू कर दिया। हमारे चूसने की गति एक दूसरे पे निर्भर थी मतलब जितनी जोर से वो मेरे लंड को चूसती थी उतनी ही जोर से मैं उसकी चूत के दाने को चूसता था। हम दोनों ही अपने रस्खलंन की और बढ़ रहे थे। मैंने त्रिशाला को पलट के अपने नीचे कर लिया और उसकी दोनों टाँगे उठा के अपने कंधों पे रख ली । मैंने अपना लंड उसकी गीली चूत पे लगाया और एक ही धक्के में पूरे लंड को उसकी चूत में उतार दिया। त्रिशाला के मुह से चीख निकल गयी। मैं अब लगातार उसकी चूत में धक्के पे धक्के लगाने लगा वो भी मेरे धक्कों का साथ अपनी कमर हिला के देने लगी। हम दोनों किसी वाद्य यंत्र की तरह एक ही ताल में एक दूसरे का साथ दे रहे थे। कुछ ही देर में हम दोनो एक साथ अपने चरमोत्कर्ष पे पहुँचे और चीख मारते हुए झड़ गए। उस दिन तो मेरे लंड ने तो जैसे पूरी की पूरी अपनी वीर्य की टंकी त्रिशाला की चूत में खली कर दी हो। ऐसा सम्भोग सुख मुझे कभी प्राप्त नहीं हुआ था।
मैं यही सब सोच रहा था कि त्रिशाला बोल पड़ी " महाराज मैं आपसे बहुत प्रेम करने हु और कृपा करके मुझे अपनी संगिनी बना लीजिए।"
मैं उसके रूप में खोया हुआ था ही मैंने भी अपनी सहमति दे दी।
अगले दिन क़बीले में ये घोषणा कर दी गयी। अब मेरा दिन क़बीले के कामों में और रातें त्रिशाला की बाँहों में व्यतीत होने लगा।
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shubhs
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Re: अनोखा सफर

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जरूर होगी
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Rohit Kapoor
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Re: अनोखा सफर

Post by Rohit Kapoor »

sunita123 wrote:bahot khub likah hai Trishala ki gand k opening ho jaye jaldi se ekdma hot
thanks dear
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