होता है जो वो हो जाने दो complete

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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

राहुल अपनी निगाह उस गुलाबी द्वार पर टिकाए हुए ही जांघो की मालिश कर रहा था। उसका मन बार बार फुदक रहा था उस गुलाबी द्वार को स्पर्श करने के लिए। और इस बार उसने मन में हिम्मत जुटाकर अपनी उंगलियों को जांघो पर धीरे-धीरे रेंगाते हुए आगे बढ़ने लगा अपने कांपते हाथों की उंगली को उसने मालिश करते हुए हल्के से बहुत ही तीव्र गति से बुर की गुलाबी पत्ती को स्पर्श कराते हुए आगे की तरफ बढ़ गया। बस इतने स्पर्श मात्र से ही राहुल का लंड अकड़ सा गया। उसके बदन में झुनझुनी सी छा गई। इस बार फिर से उसके लंड ने काम रस की बुंद को टपका दिया। राहुल को इस पल हस्तमैथुन से भी ज्यादा आनंद मिल रहा था। जैसे ही राहुल की उंगलियां विनीत की भाभी के बुर की गुलाबी पत्ती को स्पर्श की वीनीत की भाभी एकदम से गनगना गई उसका बदन हिचकोले खाने लगा उसने उसी पल अपनी भरावदार गांड को आगे पीछे करते हुए कसमसाई उसकी बुर तवे पर जेसे रोटी फूलती है उसी तरह से उत्तेजना के मारे रोटी की तरह फूल गई।
राहुल को अपनी ईस हरकत पर आनंद तो बहुत आया लेकिन वो अंदर ही अंदर घबरा भी रहा था कि भाभी कुछ बोल ना दे इसलिए वह जाँघो के अंदरुनी भाग पर मालिश करने लगा जैसे की कुछ हुआ ही ना हो।
विनीत की भाभी को तो बुरा हाल हो रहा था वासना पूरी तरह से उसके ऊपर हावी हो चुकी थी सही गलत का फैसला करना उसकी बस में बिल्कुल नहीं था वह अपने हालात के आगे घुटने टेक दी थी।। वह मन ही मन सोच भी रही थी कि अगर राहुल की जगह कोई और लड़का होता तो न जाने कब से इतने में ही उसकी जमकर चुदाई कर दिया होता है लेकीन राहुल इतना नादान था की अपने आप से इससे ज्यादा ब़ढ़ ही नहीं रहा था। वह अब समझ चुकी थी कि जो भी करना है उसे खुद ही करना है। इसलिए विनीत की भाभी ने कुछ ऐसा करीें कि जिसे देखकर राहुल का पूरा वजूद हिल गया। वीनीत की भाभी पेट के बल लेटी हुई थी कि तभी अचानक उसने एकाएक करवट बदली और सीधे पीठ के बल हो गई।

विनीत की भाभी ऐसा कुछ करेगी इसका अंदाजा राहुल को बिल्कुल भी नहीं था। जो नजारा उसकी आंखों के सामने पेश हुआ उसे देखते ही राहुल की आंखें चौंधिया सी गई ... उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया।
पीछे से देखने पर जितनी खूबसूरत लग रही थी उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और रसीली थी वीनीत की भाभी की बुर . इसका पता आगे से ही देखने पर राहुल को हुअा था। बुर ईतनी ज्यादा खूबसूरत होती है अब पता चल रहा था। एकदम चिकनी ऐसा लग रहा था कि आज ही क्रीम लगा कर साफ की हो । दूर की गुलाबी पत्तियों पर हल्की हल्की बूंदे नजर आ रही थी मानो की गुलाब के फूल पर ओस की बूंदे गिरी हो और उन्माद उत्तेजना के कारण ईतनी ज्यादा फुली हुई थी की मानो तवे पर कोई रोटी गरम हो कर फूल गई हो। राहुल तो मंत्रमुग्ध होकर बुर को ही निहारे जा रहा था । उसे अब क्या करना था इस बारे में बिल्कुल भूल चुका था वह तो बुर की मोहकता में मोह गया था। विनीत की भाभी अपने चेहरे पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बड़े गोर से राहुल के मासुम चेहरे को देख रही थी। राहुल की हालत देख कर वीऩीत की भाभी को बहुत ही आनंद हो रहा था। उसकी नजर कभी राहुल के चेहरे पर तो कभी राहुल के पेंट में बने तंबू पर जा रही थी।
तभी विनीत की भाभी ने कुछ ऐसी हरकत कर दी थी जिसे देख कर राहुल की सांसे थम सी गई उसे ऐसा लगने लगा कि जैसे किसी ने उसे जकड़ लिया हो। राहुल कर भी क्या सकता था वह नजारा ही कुछ इस तरह का था कि राहुल की जगह कोई भी होता उसकी भी यही हालत होती। विनीत की भाभी ने जानबूझकर राहुल को दिखाते हुए हथेली के बीच वाली उंगली को अपनी बुर के बीचोबीच गुलाबी पत्तियों के बीच में रखकर उंगली को रगड़ते हुए आगे पीछे करते हुए कामुक अंदाज में बोली।

क्या देख रहे हो राहुल कभी किसी की देखे नहीं हो क्या? ( ऐसा कह कर भी अपनी उंगली को बराबर बुर के बीचो बीच रगड़ती रही। ईस नजारे को देखते ही राहुल एकदम से गरमा गया था। पेंट के अंदर ही राहुल के लंड ने ठुनकि मारते हुए ठंडी आह भरी और काम रस की बूंद को फिर से टपका दिया। पेंट के अंदर का तनाव बढ़ता ही जा रहा था इस नजारे को देखकर तो राहुल के बदन मे जेसे वासना की आग और ज्यादा भड़क गई हो । उत्तेजना में उसका चेहरा और ज्यादा तमतमा गया था। वह वीनीत की भाभी के सवाल का जवाब दिए बिना ही ललचाई आंखों से उसकी बुर को घुरता रहा ... राहुल की हालत को देखकर वीनीत की भाभी के मन का पंछी उड़ने लगा था वह अभी भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी अपने सवाल का जवाब ना पाकर उसने फिर से इस बार बुर पर रगड़ रही अपनी बीच वाली उंगली को हल्के से बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच के छेंद मे सरका दी और जैसे ही उसकी आधी ऊंगली बुर में समाई उसने उत्तेजना वश अपने निचले होंठ को दात से दबा ली और कामुक अंदाज में बोली।)

क्या हुआ राहुल तुम्हारी हालत क्यों खराब हो रही है क्या तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है यह सब।..... छूना चाहोगे ईसे ....

( अब राहुल क्या कहता था तो खुद अचंभित उन्माद और उत्तेजना के सागर में डूबने लगा था उसे तो कुछ सुझ ही नहीं रहा था वीनीत की भाभी का यह अंदाज उसके वजूद को हिला कर रख दिया था उसने जिस तरह से अपनी उंगली को बुर में सरकाई थी उसे देखते ही उसके लंड में सुरसुरी सी फैल गई थी। राहुल के पास कोई भी जवाब नहीं था और ना ही जवाब देने की हालत में था। राहुल की हालत को देखकर वीनीत की भाभी समझ गई थी कि जो भी करना है अब उसे ही करना था क्योंकि राहुल आगे से कुछ भी नहीं कर सकता था उसके में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह आगे बढ़ सके। इसलिए राहुल को खामोश देखकर वो फिर से बोली।)


क्या हुआ राहुल खामोश क्यों हो क्या तुम्हें मेरी यह चीज (उंगली से इशारा करते हुए) पसंद नहीं आई क्या इस से भी खूबसूरत कहीं देख चुके हो... बोलो ..।खामोश क्यूं हो?

राहुल क्या कहता उसकी हालत ऐसी हो गई थी जैसे कि उसे सांप सूंघ गया हो वह कभी विनीत की भाभी की तरफ देखता तो कभी उस की रसीली बुर को निहार लेता। उसकी हालत देख कर वीनीत की भाभी फिर से बोली।

बोलो राहुल इस से भी खूबसूरत क्या देख चुके हो तुम?

( राहुल कुछ बोला नहीं बस ना में सिर हिला दिया)

तो बताओ कैसी लगी मेरी बुर .. अच्छी लगी ना।

( वीनीत की भाभी के मुख से बुर शब्द सुनकर ही वह एकदम गदगद हो गया उसके लंड में खून का दौरा दुगनी तेजी से होने लगा .. राहुल पहली बार किसी औरत के मुंह से इतनी गंदी बात सुन रहा था। मुझसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि कोई और है अपने अंगो के बारे में इतना खुल कर बोल सकती है। आश्चर्यचकित होकर आंख फाड़े विनीत की भाभी को देखने लगा । वीनीत की भाभी को उसका आश्चर्यचकित होने का कारण मालूम था इसलिए वह उसको और उकसाते हुए बोली।)

बोलो ना राहुल कैसी लगी मेरी रसीली फूली हुई बुर ...

( एक बार फिर से उसके मुंह से बूर शब्द सुनकर राहुल से रहा नहीं गया उसकी उत्तेजना बढ़ते ही जा रही थी इसलिए वीवश होकर वह बोला।)

हां भाभी मुझे आपकी बहुत अच्छी लगी बहुत खूबसूरत है।

(हंसते हुए )क्या खूबसूरत है यह तो बताओ शरमाओ मत... बोल दो जो बोलना है डरो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं कहूंगी( इतना कहते हुए उसने फिर से अपनी हथेली को अपनीे बुर पर रख कर मसल दी। यह सब राहुल को उकसाने के लिए और उसका होसला बढ़ाने के लिए ही था। उसकी बातों से राहुल का हौसला जरूर बढ़ गया था इसलिए वह हिम्मत जुटाते हुए बोला।)

आपकी बुर मुझे बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लगती हैं।
( राहुल हिम्मत उठाकर उसके सामने बोल ही दिया)

छुना चाहोगे मेरी बुर को (अपनी बुर को मसलते हुए बोली)

( राहुल भला कब मना करने वाला था वह तो तड़प रहा था उसे छूने के लिए मसलने के लिए बस थोड़ा सा घबरा रहा था उस घबराहट को भी विनीत की भाभी अपनी बातों से दूर करने लगी थी इसीलिए वह हामी में सर हिला दिया। )

तो लो छुओ मेरी बुर को ईस पर अपनी ऊंगलिया फिराओ ( इतना कहने के साथ ही उसने अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी ) लो महसूस करो इसकी गर्माहट को।

( विनीत की भाभी के इस अंदाज पर तो अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए लेकिन ना जाने राहुल कैसे बचा हुआ था वैसे तो इस अंदाज पर राहुल के लंड में भी झुनझुनी सी फेल गई थी। वीनीत की भाभी की नजर बार बार राहुल के पेंट में बने तंबू पर ही चली जा रही थी जब भी लंड में थोड़ी सी भी हलचल होती तो उसके ऊपसे हुए भाग पर उस की हलचल साफ दिखाई पड़ती थी। बुर को छूने वाली बात पर राहुल का बदन अजीब से सुख की अनुभूति के एहसास से ही कांप गया था। उसके बदन में भी कंपकंपी सी फैलने लगी थी। वह अपने कांपते हुए हाथ को बुर की तरफ बढ़ाया लेकिन बुर को स्पर्श करने से घबरा रहा था। विनीत की भाभी उसकी घबराहट को भाप गई और बोली।

डरो मत राहुल यह तो वह द्वार है जिसमें प्रवेश करने के लिए दुनिया का हर मर्द तरसता और तड़पता है.. इसे छू कर देखो इसका हसीन एहसास तुम्हारी उंगलियों से सीधे तुम्हारे बदन तक पहुंच जाएगा जो तुम्हें एक अजीब सी दुनिया में लेकर जाएगा। डरो मत राहुल छू कर के देखो इसे सहला कर देखो...

विनीत की भाभी की बातों को सुनकर राहुल को थोड़ी हिम्मत हुई और उसने फिर से अपने हाथ को वीनीत की भाभी के बुक के नजदीक ले जाने लगा हांलाकि उसका हाथ अभजैसे ही उसकी उंगलियां तपती हुई बुर के नजदीक पहुंची तो बुर की गर्माहट उसे अपनी उंगली पर महसूस होने लगी। जेसे जेसे राहुल की ऊंगलिया बुर के नजदीक पहुंच रही थी वेसे वेसे उत्तेजना के कारण वीनीत की भाभी की बुर सिकुड़ रही थी,फुल रही थी पिचक रही थी। राहुल की ऊंगलियो का स्पर्श अपनी बुर पर करवाने के लिए कसमसा रही थी।
जैसे ही राहुल ने अपनी उंगली से तपती हुई बूर को छुआ उसके गर्म एहसास से उसका पूरा बदन कंपकपा गया राहुल ने अपनी उंगली से बुर की गुलाबी पत्तियों को हल्के से छुआ था राहुल के साथ साथ विनीत की भाभी एकदम से जोश में आ गई उसे कुछ भी नहीं सुझा अपनी बुर पर राहुल की उंगलियेां का स्पर्श पाकर वह एकदम से गनगना गई थी। अब वह इस पल को इस मौके को गंवाना नहीं चाहती थी' इसलिए उसने तुरंत अपनी हथेली को झट से राहुल की हथेली पर रखकर कसकर अपनी बुर पर दबा ली और जैसे ही राहुल की हथेली को अपनी बुर पर दबाई वैसे ही वीनीत की भाभी सिसक उठी साथ ही साथ तपती हुई बुर की गरमी को अपनी हथेली पर महसूस करके राहुल का बदन गनगना गया और उसक मुँह से गरम सिसकारी फूट पड़ी।

ओहहहहहह......भाभी.... ( इतना कहने के साथ ही राहुल की आंखें मस्ती में अपने आप ही मूंद गई और उत्तेजना के कारण राहुल ने विनीत की भाभी की रसीली बूर को अपनी हथेली में दबोचते हुए बोला) भाभी...भाभी ..... मुझे कुछ हो रहा है ऐसा लग रहा है मैं हवा में उड़ रहा हूं..... मुझे संभालो.... मुझे संभालो भाभी....
( वीनीत की भाभी खुद मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी थी। उसकी भी आंखें मुंद गई थी.. राहुल की हथेली को अपनी हथेली में दबोच कर अपनी दूर पर गोल-गोल घुमाते हुए अपनी बुर को मसलवाते हुए बोली)

आआहहहहहह..... राहुल .... कुछ नहीं हो रहा है तुझे बस मजा आ रहा है मजा आ रहा है ..।बस मजा ले खोजा इस मस्ती के सागर में ,डूब जा मेरी बुर की गहराई में..राहुल....( विनीत की भाभी बदहवास हो चुकी थी उसकी आंखों में मदहोशी छाने लगी थी उसने अपनी बुर पर अपने ही हाथ से राहुल की हथेली को रगड़ते हुए एक हाथ से राहुल का हाँथ पकड़ के अपनी तरफ खींची ' राहुल को कुछ समझ में नहीं आया और वह कुछ समझ पाता इससे पहले ही विनीत की भाभी ने राहुल के पेंट मे बने तंबु को पेंट के ऊपर से ही अपनी हथेली में दबोच ली' वीनीत की भाभी की इस हरकत पे राहुल एकदम से शकपका गया। वीनीत की भाभी पैंट के ऊपर से ही लंड की लंबाई और मोटाई नाप रही थी लंड को पेंट के ऊपर से ही कस कस के दबा रही थी जिससे राहुल को भी आनंद का अनुभव हो रहा था। राहुल की तो पांचों उंगलिया घी मे डुबी हुई थी।
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एक हाथ से वीनीत की भाभी उसके लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल रही थी तो दूसरे हाथ से राहुल की हथेली से अपनी गरम बुर को मसलवा रही थी। दोनों कामातूर हो चुके थे विनीत की भाभी तो आहें भर-भर की अपनी बुर मसलवा भी रही थी और राहुल के लंड को मसल भी रही थी। दोनों को बहुत मजा आ रहा था राहुल तो मस्ती में अपनी आंखें बंद कर लेता था जब विनीत की भाभी उसके लंड को अपनी हथेली में कस के मसल देती थी' वीनीत की भाभी भी सिहर उठती थी जब राहुल कामातुर होकर उसकी रसीली बुर को अपनी हथेली मे दबोच लेता था। विनीत की भाभी की खुशी का कोई ठिकाना ना था तो मन में ही सोच रही थी कि जब पैंट के अंदर इतना ज्यादा तगड़ा मोटा लंबा लग रहा है तो अगर बाहर आएगा तो कितना भयानक दिखेगा इतना सोच कर ही वह मस्त हुए जा रहे थी। राहुल लंबी-लंबी सांसे भरने लगा था यह सब रोकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं था। बल्कि वह तो अपनी किस्मत पर खुश हो रहा था कि बिना मांगे ही उसे सब कुछ मिल रहा था।
वीनीत की भाभी से अब ज्यादा सहा नहीं जा रहा था उसने अपनी उंगलियों को पेंट के बटन पर रखकर बटन को खोलने ही जा रही थी कि राहुल एकदम शर्मा कर अपना हाथ विनीत की भाभी के हाथ पर रख कर उसे रोकना चाहा लेकिन तभी विनीत की भाभी ने अपनी आंख तैर्राते हुए राहुल की तरफ देखी तो राहुल ने अपनी हथेली को उसकी हथेली पर से हटा लिया। अगले ही पल पेंट की बटन को खोलकर पेंट की जीप को खोलने लगी विनीत की भाभी की हरकत से राहुल के भजन में हलचल सी मच ने लगी उसका रोम रोम झनझना गया' अगले ही पल विनीत की भाभी ने पेंट की जीप खोल कर पेंट को घुटनों को तक सरका दी , अंडर वियर में उसका तना हुआ तंबू और ज्यादा भयानक लग रहा था यह नजारा देखकर विनीत की भाभी से अपने आप को रोका नहीं गया और उसने अंडरवियर के ऊपर से ही लंड के आगे वाले भाग पर अपनी जीभ फिराने लगी , राहुल के तो जेसे होश ही उड़ गए वो मन मे ही सोचने लगा ये क्या ... भाभी यह क्या कर रही है? उसे अजीब तो लग रहा था उसे रोकना भी चाह रहा था लेकिन रोके भी तो कैसे रोके मजा भी तो आ रहा था।
विनीत की भाभी जीभ से मजे ले लेकर अंडरवियर के ऊपर से हीं लंड के आगे वाले भाग का जो हिस्सा गीला हो चुका था उसी को ही चाटे जा रही थी। उत्तेजना के कारण राहुल की आंखें बंद हो चुकी थी और उसकी सांसे गहरि चल रही थी। वीनीत की भाभी ने राहुल की तरफ देखी तो उसकी आंखें बंद थी वह समझ गई कि राहुल को बहुत ज्यादा मजा आ रहा है इसलिए उसने राहुल की हथेली पर से अपनी हथेली को हटा ली और
एक झटके में अंडरवियर को पकड़ कर नीचे सरका दी।
अंडरवियर के नीचे से सरकते ही राहुल झट से अपनी आंखों को खोल दिया आंखो को फाड़े विनीत की भाभी की तरफ देखने लगा।
जैसे ही वीनीत की भाभी ने अंडर वियर को नीचे सरकाई थी सामने का नजारा देख कर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसने सपने में भी ऐसा लंड नहीं देखी थी बस पोर्न मूवी में ही इस तरह के लंड को देख देख कर अपनी बुर में उंगली करती रहती थी। इसकी लंबाई लगभग 9 इंच की रही होगी जो की हवा में ऊपर नीचे लहरा रहा था लंड के गुलाबी सुपाड़े पर नजर पड़ते ही उसकी बुर पनिया गई थी इतना मोटा सुपाड़ा शायद ही उसने देखी हो उसकी बुर अंदर ही अंदर फूलने पिचकने लगी थी। उसकी मोटाई नापने के लिए विनीत की भाभी ने लंड को अपनी हथेली मे लेकर कस ली... और लंड को अपने हथेली में कसते ही उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी।

आहहहहहहह...राहुल.... कहां से लाया रे इतना मोटा लंड गजब का है रे तेरा.... ( इतना कहने के साथ ही विनीत की भाभी ने लंड की तरफ अपना मुँह बढ़ाई और देखते ही देखते लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर ली ........ राहुल एकदम से गनगना गया जेसे की उसके शरीर में करंट दौड़ गया हो। राहुल का गला सूखने लगा उसका बदन अकड़ने लगा वह ऐसे तड़प उठा कि जैसे जल बिन मछली तड़पती हो। विनीत की भाभी तो पहले से ही अनुभवी थी उसने तुरंत लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराने लगी जिससे मारे उत्तेजना के राहुल छटपटाने लगा और अपने पैर के पंजो पर खड़ा होके ऊपर उचकने लगा।
लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में लेकर विनीत की भाभी को लंड की ताकत का अंदाजा लग गया था। किसी का भी लंड मुंह में लेकर चूसने में उसे इतना मुंह खोलना नहीं पड़ा था जितना कि राहुल का लंड मुंह में लेने के लिए खोलना पड़ा था। वीऩत की भाभी राहुल के लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी थी। राहुल को तो जन्नत का मजा मिल रहा था उसके आनंद की कोई सीमा नहीं थी आंखों को बंद करके लंड चुसवाने का मजा ले रहा था। एक हाथ उसका अभी भी विनीत की भाभी की बुर पर ही था जिसे वह बार बार चुदवासा होकर दबोच ले रहा था, राहुल जब भी हथेली से वीनीत की भाभी की रसीली बुर को दबोचता तो वीनीत की भाभी भी कामातुर होकर राहुल के लंड को ओर भी अंदर मुंह मे भर लेती थी।
दोनों को भरपुर मजा मिल रहा था' अनुभवी वीनीत की भाभी ने अपनी जीभ का कमाल पुरी तरह से कुंवारे राहुल के लंड पर दीखा रही थी। एक तरह से राहुल के उपर दोनों तरफ से हमला हो रहा था एक तरफ से उसकी बुर की गर्माहट हथेली से होती हुई उसके बदन को गनगना दे रही थी और दूसरी तरफ वीनीत की भाभी राहुल के टनटनाए हुए लंड पर अपनी जीभ से कहर बरसा रही थी।
राहुल अपना सुध बुध खो चुका था बस आनंद के सागर में डूबता चला जा रहा था वनीत की भाभी आज पहेली बार एेसे दमदार लंड का स्वाद चख रही थी वह रह रह कर लंड को पूरा अपने गले में उतार ले रही थी जिससे उसकी सांसे भी रुंध जाती थी। राहुल गहरी गहरी सांसे ले रहा था। उसकी हथेली वीनीत की भाभी के बुर पर बराबर जमी हुई थी। बुर से रिस रहा नमकीन पानी की वजह से राहुल की हथेली पुरी तरह से गीली हो चुकी थी। एक तो लंड की जबरजस्त चुसाई ओर. दूसरे बुर की मदहोश कर देने वाली गर्मी राहुल को बेचैन कर रही थी उससे यह सब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था इसलिए उसने अपनी बीच वाली उंगली को बुर की फांकों पर रगड़ते हुए उंगली से ही गुलाबी छेद को टटोलकर उसमे अपनी उंगली को प्रवेश करा दिया।
आहहहहहहह...( उसके मुंह से आनायस ही ये ऊदगार निकल गया।। वो भी क्या करता नया नया खिलाडी था इसलिए पीच की नमी और उस की गर्मी को भांप नहीं पाया तभी तो बुर में उंगली डालते ही उसकी सिसकारी छूट गई थी। बुर में उंगली के घुसते ही वीनीत की भाभी का भी यही हाल हुआ वह एकदम से चुदवासी हो गई और तुरंत अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी। वीनीत की भाभी की हालत को देख कर राहुल को लगा की शायद कुछ गलत कर दिया है वह अपनी उंगली को बुर से निकलने ही वाला था कि राहुल का इरादा भापकर कर विनीत की भाभी ने तुरंत फिर से अपनी हथेली को राहुल की हथेली पर रखकर दबा दी ओर राहुल की उंगली सड़सड़ाट बुर के अंदर समा गई।
ऊंगली के अंदर घुसते ही राहुल का पूरा वजूद हचमचा आ गया। बुर अंदर से इतनी तेज तप रही थी कि उसे ऐसा लगने लगा की कहीं उसकी उंगली गल ना जाए।
राहुल की उंगली आधे से भी ज्यादा बुर में समाई हुई थी और विनीत की भाभी अपनी हथेली का दबाव बढ़ा कर उंगली को ओर अंदर करने की कोशिश कर रही थी।
राहुल की उत्तेजना चरम शिखर तक पहुंच चुकी थी उसकी उंगली बुर में होने के बावजूद भी वह हथेली से बुर को दबोच ले रहा था जिससे वीनीत की भाभी सिहर उठती थी।
वीनीत की भाभी खुब आगे पीछे करके लंड की चुसाई कर रही थी। राहुल का लंड एकदम लोहे की छड़ की तरह हो गया था। लंड इतना ज्यादा टाइट था कि राहुल को हल्का-हल्का उसमें दर्द महसूस हो रहा था।
विनीत की भाभी राहुल की हथेली पकड़कर उसकी उंगली को खुद ही अंदर बाहर करते हुए गरम सिसकारी भरने लगी।

आहहहहहहहहह.....राहुल.....बड़ा मजा आ रहा है....उममममममममम.....एसे ही करते रह रे.... आहहहहहहह...( इतना कहते हुए वीनीत की भाभी ने अपने मुंह से लंड को बाहर निकालकर अपने हाथ से मुट्ठीयाए जा रहे थी। वीनीत की भाभी की तड़प बढ़ने लगी थी उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। )

ओहह... राहुल अब यह प्यास उंगली से नहीं बुझने वाली। अब तो उंगली नहीं मेरी बुर में तेरा ( लंड को हीलाते हुए) यह मोटा तगड़ा लंड डाल और चोद मुझे मेरी प्यास बुझा दे मेरी बुर की खुजली मिटा दे राहुल।

( विनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल एकदम से सकपका गया और खुद को चोदने वाली बात से एकदम से जोश में आ गया। और हकलाते हुए बोला)

ममममम...मै कककक....कैसै...भाभी... !

( वीनीत की भाभी लंड को मुठ्ठीयातेे हुए बोली।)

अरे राहुल इसमें कौन सी कला दिखाना है बस जो काम तुम उंगली से कर रहे हो( अपनी बुर की तरफ इशारा करते हुए) बस यही काम तुम्हें इसके अंदर तुम्हारा लंड डालकर करना है।

( वीनीत की भाभी की बात सुनकर राहुल एकदम पसीने पसीने हो गया था घबराहट और उत्तेजना के कारण उसका बदन काँप रहा था। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि चुदाई करने का शुभ अवसर उसे इतने जल्दीे प्राप्त होगा। उसे यह तो मालूम था कि क्या करना है लेकिन यह नहीं पता था कि कैसे करना है इसीलिए वहीं पर खड़ा ही रहा वीनीत की भाभी उसकी मनोदशा को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह खुद ही बोली।)

अच्छा तू इधर आ मैं तुझे बताती हूं कैसे करना है( इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर बेठते हुए अपने ब्लाउज के बटन को खोलने लगी और अगले ही पल वह राहुल के सामने एकदम नंगी होकर बिस्तर पर बैठी थी राहुल की नजर तो अब उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर ही टिकी हुई थी। अपनी चुचियों को घुरता हुआ राहुल को पाकर वह बोली।

क्या देख रहे हो राहुल( अपनी चुचियो को दोनों हाथों से थाम कर) मेरी चूची! इसका भी मजा दूंगी लेकिन बाद में
( इतना कहने के साथ ही वह खिसक कर बिस्तर के किनारे आ गई और अपने दोनों पैरों को बिस्तर के नीचे लटका कर अपनी दोनों जांघों को फैला दी.. जाँघों को फैलाते ही वीनीत की भाभी की गुलाबी बुर हल्के से खुल गई जिस पर राहुल की नजर पड़ते ही...

जिस पर नजर पड़ते हैं राहुल के लंड नें आलस को मरोड़ते हुए हल्की सी ठुनकी लिया जिसे देख कर वीनीत की भाभी बोली।


देखो राहुल तुम्हारा लंड कितना तड़प रहा है मेरी बुर में समाने के लिए...(अपनी बुर को हथेली से मसलते हुए)
आजा राहुल देर मत कर डाल दे अपना लंड..

राहुल के तो जेसे होश ही उड़े हुए थे वह धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए विनीत की भाभी की तरफ बढ़ा जब वह चहलकदमी कर रहा था तो उसका लंड बड़े ही भयानक तरीके से ऊपर नीचे ही रहा था जिसे देखकर विनीत की भाभी की बुर को फुदकने लगी थी। वह बहुत ही ज्यादा चुदवासी हो गई। राहुल के बदन पर अभी भी कपड़े थे इसलिए वीनीत की भाभी बोली।

रुको राहुल पहले अपने कपड़े तो उतार लो जब तक तुम भी मेरी तरह पूरे कपड़े उतारकर नंगे नहीं हो जाओगे तब तक चुदाई का पूरा मजा नहीं ले पाओगे।

( विनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल शर्मा गया है क्योंकि उसने आज तक अपनी जानकारी में किसी के सामने अपनो कपड़े नहीं उतारे थे। और यहां तो एक औरत के सामने कपड़े उतारकर नंगा होना था इसलिए ज्यादा शर्म आ रही थी कोई और पल होता तो शायद राहुल अपने कपड़े नहीं उतारता लेकिन यह पल ही इतना ज्यादा कामुक था ओर दिलीप की भाभी की आंखों में उसकी बातों में एक अजीब सा आकर्षण और जादू सा था जिसमे राहुल का पूरा ध्यान खो सा गया था
इसीलिए वह वही करता था जो विनीत की भाभी कहती थी अगले ही पल वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया।
अब कमरे में वासना का उन्मादक खेल शुरु होने वाला था विनीत की भाभी और राहुल दोनों ईस वक्त कमरे मे एकदम नग्नावस्था मे थे। राहुल का टनटनाया हुआ हिलता डुलता लंड और भी भयानक लग रहा था। विनीत की भाभी एक हाथ से अपनी खरबूजे जैसी चूची को मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपनी बुर की गुलाबी पंखुड़ियों को उंगली के सहारे रगड़ रही थी। जिसे देख कर राहुल के लंड की नशे उभर आई थी
राहुल धीरे-धीरे इसकी जानू के बीच जाकर खड़ा हो गया और ललचाई आंखों से विनीत की भाभी के पुरे नंगे बदन का अवलोकन करने लगा। राहुल की नजर बार-बार उसकी बड़ी बड़ी चुचियाे पर ही जाकर टीक जा रही थी। राहुल का मन बार-बार चूचियों को देखकर मचल जा रहा था वह उन चूचियों को हाथों में भरना चाहता था दबाना चाहता था हथेलियों में भर कर मसलना चाहता था। लेकिन वह जानता था कि अपने मन से वह कुछ नहीं कर सकता क्योंकि उसके में इतनी हिम्मत ही नहीं थी ' विनीत की भाभी की आज्ञा के बिना चुचियों को हाथ लगा पाना राहुल के लिए बड़ा ही मुश्किल था। वैसे तो नामुमकिन कुछ भी नहीं खाने की राहुल के लिए जरूर नामुमकिन सा था।
राहुल जिस नजारे को हमेशा सपने में देखता था या कल्पना करके अपनी हस्तकला का उपयोग करता था।
उसकी यही कल्पना अब वास्तविकता का रूप धारण कर रहीे थी। उसके फड़फड़ा रहे कबूतर को उसका घोसला मिलने वाला था।
वीऩत की भाभी राहुल के लंड को देखकर मस्त हुए जा रही थी उत्तेजना में आकर उसने अपने निचले होंठ को दांतो तले दबा दी और एक हाथ से राहुल की लंड को पकड़कर आगे पीछे कर के हिलाने लगी। राहुल तो उत्तेजना के उस शिखर तक पहुंच चुका था जहां से वापस लौटना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। उसकी गहरी सांसे उसके अंदर कितना उत्तेजना भरा हुआ है इस को बयां कर रही थी। वीनीत की भाभी भी सातवें आसमान में विहर कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि नया और कुंवारा लंड ज्यादा दमदार और जोशीला होता है। आज बरसो बाद फीर से उसकी रसीली बुर एक लंड का स्वाद चखने वाली थी।

राहुल क्या इससे पहले भी तुमने कभी किसी लड़की या औरत को चोदा है? ( वीनीत की भाभी राहुल के लंड को मुठ्ठीयाते हुए बोली। राहुल ने तो इससे पहले इतनी नजदीक से किसी औरत को नंगी देखा भी नहीं था तो चाेदने की बात तो बहुत दूर रही 'आज पहली बार ही तो उसने इतने नजदीक से किसी औरत की रसीली बुर को देखा था।)

नहीं भाभी बिल्कुल भी नहीं।

राहुल का जवाब सुनकर वीनीत की भाभी प्रसन्न होते हुए बोली.

तो राहुल आज मैं तुम्हें स्वर्ग के सुख का अहसास कराऊंगी , एक औरत और मर्द के बीच किस प्रकार का संबंध होता है ये आज तुम्हें मैं बताऊंगी। मर्द औरत को चोदने के लिए इतना बेताब इतना तडपता क्यों है आज तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा।

( विनीत की भाभी की बातें सुनकर ही राहुल एकदम से चुदवासा हुए जा रहा था वीनीत की भाभी के मुंह से गंदी बातें उसे और भी ज्यादा सुहानी और सुरीली लग रही थी। राहुल एकदम मस्त हुए जा रहा था उसे तो बस इंतजार था कि कब वीनीत की भाभी उसे संभोग का एक नया अध्याय सिखाती है। राहुल मन में ऐसा सोचा ही रहा था कि तभी विनीत की भाभी बोली।


( राहुल के लंड को मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करते हुए।) देखो राहुल ज्यादा कुछ करना नहीं है बस अपने इस मोटे लंबे लंड को मेरे इस( बुर की तरफ उंगली से इशारा करके) बुर की गुलाबी छेद में डालकर अपनी कमर को आगे पीछे कर के ही लाना है बस जैसा मैं कहती हूं वैसा करते जाओ तुम्हें स्वर्ग के सुख की अनुभुति होगी ।। बहोत मजा आएगा तुम्हे इतना ज्यादा मजा की तुम रोज एसा सुख पाने के लिए मेरे पास आओगे।। ( इतना कहने के साथ ही विनीत की भाभी राहुल का लंड अपनी तरफ खींचने लगी थी तभी वह बोली।)
रुको राहुल मुझे चोदने से पहले मुझे इतना ज्यादा गर्म कर दो कि बस मजा आ जाए। ( गर्म करने वाली बात राहुल समझ नहीं पाया और अनजान बन खड़ा ही रह गया तो विनीत की भाभी बोली।)

मैं तुझे बताती हूं कि कैसे गर्म करना है तु शायद नहीं जानता जब तक औरत गर्म ना हो तब तक चुदाई का मजा ना औरत को आता है ना मर्द को मिलता है। इसलिए औरत का गर्म होना बहुत जरूरी है।
राहुल जैसे मैंने तेरा लंड मुंह में लेकर चूसी उसे जीभ से चाटी वैसे ही तुम्हें भी अपनी जिभ से मेरी बुर को चाटना होगा और मुझे एकदम गर्म करके चुदवासी बनाना होगा। ( एक औरत के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर राहुल की उत्तेजना उसकी नसों में दिखाई दे रही थी वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुका था। खास करके उसे बुर चाटने वाली बात और ज्यादा उत्तेजित कर गई उसे यह नहीं पता था कि औरत की बुर को भी चाटा जाता है। उसे यह नहीं समझ में आ रहा था कि आखिरकार जहां से औरत पेशाब करती है उस जगह को चाटकर किस प्रकार का आनंद मिलता होगा। लेकिन फिर भी विनीत की भाभी की बात उसे मानना ही था। इसलिए वह मंत्मुग्ध सा जैसा जैसा वीनीत की भाभी कहती गई वैसे ही वह करता गया। वीनीत की भाभी ने उसे बिस्तर के किनारे जांघो के बीच घुटनों के बल. उसे बैठने को कहीं
राहुल वैसे ही बैठ गया वीनीत की भाभी ने थोड़ा सा और अपनी गांड को सरका कर बिस्तर के किनारे पर रख दी और अपनी जाँघो को थोड़ा सा और फैला दी।
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Rohit Kapoor
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राहुल का चेहरा बुर के बिल्कुल करीब था इतनी करीब के बुर के अंदर से उठ रही मादक खुशबु सीधे उसके नथुनों से होकर के सीने में भर जा रही थी। राहुल बुर की मादक खुशबू से एकदम बदहवास हो गया मदहोशी उसकी आंखों में छाने लगी' विनीत की भाभी भी अगले पल की इंतजार में मदहोश हो रही थी उसे राहुल की जीभ का स्पर्श अपनी बुर पर होने का इंतजार था। इसलिए उसकी बुर उत्तेजना में फूल पिचक रही थी। राहुल विनीत की भाभी की तरफ देख रहा था और वीनीत की भाभी भी राहुल को ही देख रही थी दोनों की नजर आपस में टकराई तो राहुल शर्मिंदा हो गया। वीनीत की भाभी ने उसे इशारे से अपनी बूर चाटने के लिए बोली तो राहुल घबराते हुए बुर के बिल्कुल करीब अपना मुंह ले गया बुर से एक भाप सी उठ रही थी जो कि राहुल के नथुनों को गर्म कर दे रही थी। राहुल ने हल्के से अपना मुंह खोल कर अपनी जीभ को बाहर निकाला और एक नजर फिर से वीनीत की भाभी पर डाल दिया विनीत की भाभी भी राहुल पर ही नजर गड़ाए हुए थी इसलिए उसे इशारा करके बुर चाटने के लिए बोली।
विनीत की भाभी की बुर एकदम गीली हो चुकी थी उस पर राहुल ने हल्के से बुर की गुलाबी पंखुड़ियां पर जीभ का स्पर्श कराया। जैसे ही राहुल की जीभ का स्पर्श बुर की पंखुड़ियों पर हुआ वीनीत की भाभी एकदम मदहोश हो गई उसका रेाम राेम झन्ना गया' ऐसा लगने लगा कि जैसे वीनीत की भाभी के शरीर में करंट उतर आया हो। उसका पूरा बदन कांप सा गया' आज उसे ऐसा महसूस होने लगा कि पहली बार किसी के जीभ का स्पर्श उसकी बुर पर हुआ है। जबकि अनगिनत मर्दों से उसने अपनी बुर चटवाकर उसका लूत्फ उठाई थी। लेकिन आज राहुल की जीवनी उसे पहली बार का एहसास दिला दिया और वह चुदवासी हो करके एक हाथ राहुल के सर पर रखकर अपनी बुर पर दबाई और अपनी गदराई गांड को उपर की तरफ उचका दी .' जिससे राहुल की जीभ गप्प करके विनीत के भाभी की पनियाई बुर मे समा गई। जैसे ही राहुल की जीभ विनीत की भाभी की बुर में समाई वह तो एकदम पगला सी गई, और अपना दूसरा हाथ भी राहुल के सर पर रख कर जोर से अपनी बुर पर ही दबा दी राहुल की जीभ के साथ साथ उसकी नाक भी बुर की दरार में प्रवेश कर गई
दिनेश की बातें तो उत्तेजना में जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी छटपटाने लगी बिस्तर पर इधर उधर अपना सर पटकने लगी और सिसकारी लेते हुए बोली।

ससससहहहहहहहह....आहहहहहहहहहहहह..... राहुल ऊमममममममममम....चाट...चाट. मेरी बुर को....आहहहहहह...राहुल...ओहहहहहह...राहुल.... ऊमममममममम.....
( मस्ती की अनुभूति होते ही विनीत की भाभी की आंखें अपने आप मुंद गई और वह अपने दोनों हाथों से राहुल का सिर पकड़ कर अपनी बुर पर चाँपी हुई थी ओर उसे उकसा भी रही थी बूर चाटने के लिए।)

ओहहहहहह...राहुल.... अपनी जीभ घुमा मेरी बुर में चाट-चाट मेरी बुर को अपने जीभ से मेरे राजा अो मेरे राहुल....
( वीनीत की भाभी जैसे पहली बार अपने बुर चटवा रही हो इस तरह से पगला सी गई थी। राहुल की जीभ उसकी बुर में समाई हुई थी नमकीन पानी का बुलबुला सा छुट रहा था उसकी बुर से जोगी जी तुसी लगते ही उसके स्वाद का अनुभूति राहुल को हो रहा था। बुर के पानी का स्वाद चखते ही राहुल का मन खिन्न हो गया,

बुर का कसैला स्वाद उसे अच्छा नहीं लगा। वह बुर पर से अपना मुंह हटाना चाहता था लेकिन मजबूर था क्योंकि विनीत की भाभी उसका सिर अपनी बुर पर ही दबाई हुई थी तो ना चाहते हुए भी उसे अपनी जीभ बुर मे टीकाए रहना पड़ा। वीनीत की भाभी बार-बार उसे बुर के अंदर जीभ चलाने के लिए कह रही थी तो ना चाहते हुए भी राहुल हल्के हल्के से अपनी जीभ को बुर की दीवारों पर घुमाने लगा। अभी उस पगले को क्या मालूम था कि बुर चाटने में जो जन्नत का मजा मिलता है और कहीं नहीं। सारी दुनिया इसी को चाटने के लिए पागल है इसका कसेला स्वाद भी मधुर मध की तरह लगने लगता है बुर के नमकीन पानी का नशा वा नशा होता है कि इसके आगे दुनिया की सारी शराब की बोतलों का नशा फीका लगने लगता है। कुछ ही देर में राहुल को भी इसका अंदाजा होने लगा था। जो थोड़ी देर पहले बेमन से अपनी जीभ को इधर-उधर घुमा रहा था वह अब मजे ले लेकर बुर की दीवारों को चाट रहा था।
वह समझ गया कि वाकई में इस नमकीन और कसेले पानी का स्वाद तो मधुर मध की तरह है।
राहुल अब वीनीत की जाँघो को अपनी हथेली मे कसकर बुर चाटने का लुफ्त उठा रहा था। विनीत की भाभी तो जैसे सातवें आसमान में उड़ रही हो उसका बदन बिस्तर पर हीचकोले खा रहा था। वह मदहोश होकर अपना सिर दाएं बाएं पटक रही थी और अपने दोनों हाथों से राहुल के सिर को पकड़ कर जितना हो सकता था उतना अपनी बुर पर ही दबाए हुए थी।
दोनों मदहोश हो चुके थे, बुर चटवा कर विनीत की भाभी एकदम चुदवासी हो चुकी थी। उसकी चुदवाने की प्यास बढ़ चुकी थी एकदम से गरमा चुकी थी विनीत की भाभी। अब उसे राहुल के लंड की जरूरत थी।
और राहुल था की उसकी बुर में ही खोया हुआ था जन्नत का मजा उसे मिल रहा था वह खुद चटकारे लगा लगा कर बूर के पानी को जीभ से चाट कर मस्त हु ए जा रहा था। गजब का नजारा बना हुआ था कमरे में राहुल और विनीत की भाभी दोनों एकदम नग्नावस्था में वासना का खेल खेल रहे थे दोनों की सिसकारियों और गर्म अाहों से पूरा कमरा गूंज रहा था। दोनो एक दूसरे को संपूर्ण सुख देने और लेने में लगे हुए थे। वीनीत की भाभी अनुभवी थी इसलिए समझ गई थी कि उसकी बुर को इस समय किस चीज की जरूरत है इसलिए वह राहुल से बोली।

ओहहहहहह...राहुल... मेरी बुर तड़प रही है तेरे मोटे लंड को अंदर लेने के लिए.. बस अब देर मत कर अपने टनटनाए हुए लंड को मेरी बुर में डालकर इसकी प्यास बुझा दे ,'मेरी बुर को चोदकर पानी पानी कर दे मेरे राजा...
( वीनीत की भाभी तड़प रही थी सिसक रही थी राहुल के मोटे ताजे लंड को लेने के लिए लेकिन राहुल था की वह बुर चाटने में ही मगन था। जब भी नहीं की भाभी में एक दो बार और उसे बोली तो वह नहीं माना वह बुर चाटने में ही मस्त रहा. तो इस बार भी नहीं थी भाभी गुस्से में उसके बाल पकड़कर अपनी बुर से हटाते हुए बोली।।

राहुल... मेरे राजा मुझे अब तेरे लंड की जरूरत है। तू अपनी मोटे लंड को मेरी बुर में डालकर चोद मुझे...
( इस तरह से अपनी बुर पर से उसका बाल खींचकर हटा देने से राहुल वीनीत की भाभी पर थोड़ा गुस्सा जरूर हुआ लेकिन वह कुछ कर भी नहीं सकता था।
क्योंकि वह जानता था कि वीनीत की भाभी का यह एक एहसान ही था उसके ऊपर क्योंकि ऐसा जन्नत का मजा उसी ने उसको दे रहीे थी वरना कौन औरत उसे एसा सुख देती इसलिए वह अभिनीत की भाभी के एक इशारे पर उठ कर खड़ा हो गया उसका लंड छत की तरफ टनटनाए खड़ा था' जिसे देख कर विनीत की भाभी की बुर उसे अपने अंदर लेने के लिए फूलने पिचकने लगी। वीऩत की भाभी ने राहुल को इशारे से सबकुछ समझा दी कि अब क्या करना है। राहुल भी उसके इशारों का अनुकरण करते हुए अपना पोजीशन ले लिया था। राहुल उसकी जाँघों के बीच थोड़ा झुका हुआ था उत्तेजना के मारे उसका बदन कांप सा रहा था।
उसे यह नहीं मालूम था कि लंड को बुर में डालने से कैसा मजा मिलेगा लेकिन इतना जरुर जानता था कि ऐसा करने से पत बहुत ही ज्यादा सुख और आनंद की अनुभूति होती है। इसलिए वह वीनीत की भाभी पर झुकता चला गया। उसका लंड बुर से बस दो अंगुल की दूरी पर ही था जहां से बूर की गर्मी का एहसास उसके लंड के सुपाड़े पर बराबर हो रहा था। वीनीत की भाभी को अगले पल का बड़ी बेचैनी से ईंतजार था तभी राहुल थोड़ा सा और झुका तो उसका टनटनाया हुआ लंड बुर के मुहाने पर स्पर्श कीया।..

आहहहहहहहह....राहुल...( बुर के मुहाने पर राहुल के लंड का सुपाड़ा स्पर्श होते ही वीनीत की भाभी के मुंह से सिसकारी निकल गई.. सुपाड़े की गर्मी से अंदर ही अंदर बुर रिसने लगी। वीनीत की भाभी को एहसास हो गया की आज असली मर्द से पाला पड़ा है। राहुुल अभी अनाड़ी था वह लंड के सुपाड़े से बुर के गुलाबी छेंद को टटाेल नही पाया ओर लंड के सुपाड़े को बुर के मुहाने पर ही स्पर्श कराकर धक्का लगा दिया और लंड फटाक से आगे की तरफ निकल गया राहुल गिरते-गिरते बचा।
वीनीत की भाभी उसकी इस नाकाम कोशिश से समझ गई कि राहुल कितना नादान है। राहुल की नाकाम कोशिश की वजह से विनीत की भाभी चुदास की आग में और ज्यादा झुलसने लगी । उससे यह तड़प बर्दाश्त नहीं हुई और उसने खुद ही अपने हाथ को आगे की तरफ लाकर राहुल के लंड को पकड़ ली ' लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर पहले तो उसने गरम सुपाड़े को अपनी बुर की दरार पर ऊपर नीचे करके रगड़ने लगी
जिससे राहुल का भी जोश बढ़ गया। विनीत की भाभी ने लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर के छेंद पर रखकर बोली...( एकदम मादक आवाज में)

ओह ..... राहुल बस जहां पर मैं तेरे सुपाड़े को रखी हूं बस इसी जगह पर धक्के लगा.।. डाल दे पूरे लंड को मेरी बुर में उतर जा बुर के सहारे मेरे जिस्म में..आहहहहहह...राहुल अब देर मत कर डाल दे...
( वीनीत की भाभी चुदवासी हो कर तड़प रही थी उसे इस समय अपनी बुर में लंड की बहुत ज्यादा जरूरत थी इसीलिए वह राहुल से मिन्नते कर रही थी। राहुल तो पहले से ही व्याकुल हो चुका था जब वीनीत की भाभी ने उसके लंड को पकड़ के अपनी बुर पर घिसते हुए बुर के छेंद पर टीकाकर उसे धक्के लगाने को बोली थी। राहुल बदहवास हो चुका था। विनीत की भाभी की बात मानते हुए उसने उसकी जांघो को हथेली में दबोच कर अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाया... बुर पहले से ही पानी से पनीयाई हुई थी ईसलीए राहुल को थोड़ा कम ही जोर लगाना पड़ा और लंड करीब आधा जितना बुर मे घुस गया... आधा लंड बुर में घुसते ही राहुल तो मस्त हो गया उसको ऐसा लगने लगा कि वह हवा में उड़ रहा है, एक अजीब से सुख का अहसास उसके पूरे बदन में फैल गया, उसका रोम-रोम झन्ना गया उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है आंखों मैं खुमारी सी छाने लगी ... और दूसरी तरफ आधा लंड घुसते ही वीनीत की भाभी अंदर ही अंदर चरमरा गई' एक अजीब से सुख और मीठे दर्द की अनुभूति से उसका पूरा बदन कांप सा गया। राहुल की मोटे लंड ने उसकी बुर की गुलाबी पंखुड़ियों को कुछ ज्यादा ही फैलाते हुए अंदर की तरफ गया था। ....
राहुल तो फिर से आगे की तरफ झटका लगाया.. इस बार का धक्का कुछ ज्यादा ही करारा था। इसलिए राहुल का मोटा ताजा लंड बुर के अंदरुनी अड़चनो को पार करते हुए सीधा बुर की जड़ में जाकर गड़ गया' और जैसे ही लंड बुर की जड़ में धंसा वैसे ही दर्द के मारे वीनीत की भाभी के मुंह से आह निकल गई। धक्का इतना तेज था कि विनीत की भाभी अंदर तक कांप गई
तुरंत उसका बदन पसीने पसीने हो गया' अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसका लंड कौन सी जगह पर जाकर ठोकर मारा था। आज तक इस जगह पर बहुत कम लोगों का ही लंड पहुंच पाया था वीनीत जो उसे दिन रात चोदता था उसका लंड दे तो आज तक यहां पहुंच ही नहीं पाया था। विनीत की भाभी बहुत प्रसन्न थी कि बिना किसी परेशानी के राहुल का लंड उसकी बच्चेदानी से सीधे जाकर टकराया था। बुर के अंदर जाने पर वीनीत की भाभी को इसका एहसास हुआ कि राहुल का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था। विनीत की भाभी का पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था। वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी वह मन ही मन बोल रही थी कि आज चुदाई का असली मजा आएगा। राहुल पूरा लंड वीनीत की भाभी की बुर में ठुंस कर वह वैसे का वैसे ही खड़ा था इसके आगे उसे क्या करना है यह शायद उसे नहीं मालूम था। इसलिए विनीत की भाभी सिसकारी लेते हुए बोली।
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ससससससहहहहहहह....राहुल.... बड़ा तगड़ा लंड है रे तेरा... तूने तो मेरी बुर.. को फैला ही दिया... बस बेटा अब तू अपने लंड को युं ही मेरी बुर में अंदर बाहर करके चोद.... चोद मेरे राजा....( विनीत की भाभी की बातें सुनकर राहुल का जोश बढ़ गया ओर जेसा वीनीत की भाभी बोली थी ठीक वैसे ही उसने अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा... और फिर से एक जबरदस्त करारा धक्का बुर के अंदर लगाया... ल़ंड फिर से सब कुछ चीरता हुआ वापस वीऩत की भाभी के बच्चेदानी से टकराया... और फिर से इस बार वीनीत की भाभी के मुंह से सिसकारी के साथ उसकी आह निकल गई। विनीत की भाभी की आह सुनकर राहुल को बहुत ज्यादा आनंद प्राप्त हो रहा था। उसे आज पहली बार एहसास हुआ कि बुर क्या चीज होती है. राहुल पसीने पसीने हो गया था बुर की गरमी लंड से होते हुए उसके पूरे बदन को तपा रही थी। राहुल अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था उसे ऐसा लगने लगा था कि बुर की गर्मी में कहीं उसका लंड तपकर गल ना जाए.. उसे नहीं मालूम था कि वाकई मे बुर इतनी गर्म होती है। .....( दोबारा अपनी बुर में करारा धक्का खाकर वीनीत की भाभी बोली।)

बस बेटा इसी तरह से चोद मुझे फाड़ दे मेरी बुर को समा जा मेरी बुर में ...जैसे तेरा मन करता है वैसे मुझे चोद़ ...मेरी प्यास बुझा दे खुजली मिटा दे मेरी बुर की...( वीनीत की भाभी चुदवासी हो कर जो मन में आ रहा था वह बड़बड़ाए जा रही थी। और विनीत की भाभी के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर राहुल के बदन में नशा सा होने लगा था उसका जोश दुगना हो चला था। और उसने फिर से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा और वापस अंदर की तरफ ठुंस दिया... अब राहुल का लंड वीनीत की भाभी की बुर

अब राहुल का लंड वीनीत की भाभी की बुर में अंदर बाहर होने लगा था वह अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए वीनीत की भाभी को जबरजस्त धक्कों के साथ चोद रहा था। कुछ ही देर में राहुल की सिसकारी छूटने लगी' अब राहुल को एहसास हो रहा था कि चुदाई करने में कितना मजा आता है।
विनीत की भाभी कुछ ज्यादा ही प्रसन्न नजर आ रही थी जबरदस्त चुदाई के कारण उसका चेहरा तमतमा गया था। पहली बार वीनीत की भाभी को चुदाई का असली मजा मिल रहा था। राहुल का लंड सटा सट बुर के अंदर बाहर हो रहा था। राहुल को तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह किसी औरत को चोद रहा है। इतनी जल्दी उसे ये शुभ अवसर मिलेगा यह सच में उसके लिए यकीन के बाहर था।
कुछ ही देर मे बुर से फच्च फच्च की आवाज आने लगी। लेकिन यह आवाज पुरे कमरे एक मधुर संगीत की तरह बजने लगी। कमरे का पूरा वातावरण संगीतमय हो गया था।
राहुल का हर धक्का जबरदस्त पड़ रहा था, हर धक्के के साथ पूरा पलंग हचमचा जा रहा था वाकई मे राहुल के लंड का प्रहार वीनीत की भाभी की बुर मे ईतना तेज हो रहा था की खुद वीनीत की भाभी भी आगे की तरफ सरक जा रही थी। तभी चोदते हुए राहुल की नजर उस की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चुचियों पर पड़ी' और उससे रहा नहीं गया उसने अपनी दोनों हथेली को भाभी के दोनों खरबूजों पर रख दिया ' चूचियों पर हथेली पड़ते ही राहुल पूरी तरह से गनगना गया उसके बदन में इतना ज्यादा जोश बढ़ गया कि वह जोर जोर से चूचियों को मसलने लगा। इससे विनीत की भाभी का मजा दुगुना हो गया ।
वीनीत की भाभी दोनों जाँघों को फैलाकर राहुल के लंड को बड़ी तेजी से अपनी बुर के अंदर बाहर ले रही थी।
वीनीत की भाभी दुसरे पॉजीशन मे चुदवाना चाहती थी लेकीन राहुल ईतना मस्त चुदाई कर रहा था की वह एक पल भी बिना लंड के गंवाना नही चाहती थी। ईसलिए वह ईसी पॉजीशन मे चुदवाने का मजा लेती रही।
करीब ३५ मिनट की चुदाई के बाद वीनीत की भाभी की सिसकारीयों की आवाज बढ़ने लगी .. वीनीत की भाभी अब चरमसीमा की तरफ बढ़ने लगी थी। पुरे कमरे मे उसकी सिसकारीयां गुंजने लगी।

आहहहहहह...राहुल.... ओर जोर से...ऊममममममम...।ओह मेरे राजा...चोद मुझे....आहहहहह.....
( ओर थोड़ी ही देर मे वीनीत की भाभी ने राहुल को अपनी बांहो मे कस के भींच ली.... ओर सिसकारी भरते हुए अपना मदन रस की पिचकारी छोड़ दी.. राहुल भी कुछ ही देर मे अपने लंड की पिचकारी वीनीत की भाभी की बुर मे छोड़ दीया ओर भाभी के ऊपर ही ढह गया।

राहुल अपने गर्म पानी का बौछार विनीत की भाभी की बुर में करके निढाल होकर उसके ऊपर पड़ा था। दोनों हांफ रहे थे, विनीत की बात भी तो अभी भी राहुल को अपनी बाहों में कसी हुई थी मेरा मुन्ना राम और बड़ी बड़ी चूचियां राहुल के छातियों से दबी हुई थी जिसकी निकोली निप्पले सुई की तरह चुभ रही थी।
आज बरसों के बाद विनीत की भाभी सावन का बादल बनके राहुल के ऊपर बर्सी थी। राहुल का लंड अभी भी वीऩत की भाभी की बुर में समाया हुआ था जिस में से दोनों का मिला जुला काम रस बुर से होता हुआ उसकी गांड की किनारी पकड़ कर बिस्तर को भिगो रहा था। वासना का तूफान थम चुका था लेकिन दोनों की सांसे अभी भी गहरी चल रही थी। राहुल आंख मुंदे उसकी छातियों पर पड़ा था। चुचियों की गर्माहट उसे बहुत ही शांति पहुंचा रही थी । चुचियों का स्पर्श उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था।
विनीत की भाभी को राहुल पर बहुत ज्यादा प्यार उमड़ रहा था वह अपनी उंगलीयो से उसके बालों को सहला रही थी। और प्यार उमड़े भी क्यों ना उसने जो आज चुदाई का असीम सुख उसे दिया था वह आज तक किसी मर्द ने उसे नहीं दे पाया था। इसलिए तो वह इतनी गर्म सिसकीरीयां ले लेकर उस से चुदवा रही थी कि राहुल का तो दिमाग ही ठनठना गया था।
औरत एैसी अजीब-अजीब चुदवाते समय जोश से भरी हुई आवाजे निकालती है इसका ज्ञात राहुल को इसी समय चला था। राहुल को सिसकारियों की आवाज इतनी ज्यादा सुमधुर लगी थी कि उसकी कानों में अभी भी वो आवाजे ही गुंज रही थी। राहुल के बालों को सहलाते हुए विनीत की भाभी बोली।

राहुल आज मैं बहुत खुश हूं आज तुमने ईस प्यासन को अपना गरम जल पिलाकर.. तृप्त कर दिया है।आज मेरी बुर ने जानी है की असली लंड क्या होता है.( राहुल उसकी चूचियों पर ही लेटा रहा) राहुल पहली बार की ही चुदाई में तूने मुझे दो बार झाड़ दिया.
( राहुल उसकी बातें सुनकर मन ही मन खुश हो रहा था और मन ही मन विनीत की भाभी को धन्यवाद भी कर रहा था उसने जो उसे आज दी थी उसे से राहुल की पूरी दुनिया ही बदल गई थी।
कुंवारे लंड का मालिक राहुल अब कुंवारा नहीं रह गया था अब एक लड़के से मर्द बनने का सफर उसका शुरू हो चुका था। राहुल के कानों में तो बार-बार विनीत की भाभी की सू मधूर सिसकारियां गूंज रही थी। वह मन ही मन में सोच रहा था कि कैसे वीनीत की भाभी चुदवाते समय गरम गरम सिसकारियां और आहे भर रही थी।
विनीत की भाभी के बदन के ऊपर से राहुल का उठने का मन ही नहीं कर रहा था वीनीत की भाभी का गुदाज बदन उसे डनलप का गद्दा लग रहा था।
अच्छा तो विनीत की भाभी को भी लग रहा था वह दोनो नग्न अवस्था में एक दूसरे से चिपके बिस्तर पर लेटे हुए थे भला एक कामुक औरत के लिए इससे अच्छा पल और कौन सा हो सकता है। लेकिन फिर भी बिस्तर पर पीठ के बल लेटे लेटे राहुल के धक्को को सहन करते करते उसकी पीठ दर्द करने लगी थी' इसलिए ना चाहते हुए भी उसने राहुल को अपने ऊपर से उठाते हुए खुद उठने लगी, आखिरकार राहुल भी कब तक उसके ऊपर लेटे रहता वह भी उठने लगा लेकिन राहुल का लंड अभी वीनीत की भाभी की बुर में फंसा हुआ था। जिस पर दोनों की नजर आकर टीक गई, दिनेश की भाभी बड़ी उत्सुकता से अपनी बुर की तरफ देख रही थी जिसमें कि राहुल का लंड घुसा हुआ था अभी भी उसे अपनी बुर में राहुल के लंड़ के कड़कपन का एहसास हो रहा था। अपने लंड को वीनीत की भाभी की बुर में घुसा हुआ देखकर एकबार फीर से राहुल का मन डोलने लगा। एकबार फीर चुदाई के इस अद्भुत खेल को खेलने की उसकी इच्छा प्रबल हो गई। राहुल अपने लंड कों वीनीत की भाभी की बुर से निकालना नहीं चाहता था' विनीत की भाभी को उसके कड़कपन का अहसास अपनीे बुर में बराबर हो रहा था वह एकदम से हैरान हो रही थी कि पानी निकलने के बाद भी उसका लंड तनिक भी ढिला नहीं पड़ा था। फिर भी राहुल बेमन से अपने लंड को बुर के अंदर से बाहर की तरफ खींचा, लंड बुर की दीवारों में रगड़ खाता हुआ गप्प की आवाज करता हुआ बुर के बाहर निकल गया। लंड को देखकर वीनीत की भाभी का भी मन फीर से डोल गया। लेकिन दिन आपकी भाभी को जोरों से पेशाब लगी थी इसलिए वह राहुल को बोली।

राहुल तुम ही खड़े रहो मुझे जोरों की पेशाब लगी है मैं पेशाब करके आती हूं।( दिनेश की भाभी की यह बात सुनकर राहुल का लंड एक बार ठुनकि मारा जिस पर वीनीतं की भाभी की नजर पड़ गई वह मन ही मन मुस्कुराते हुए रूम से अटैच बाथरूम की तरफ बढ़ गई।
विनीत की भाभीें संपूर्ण नग्नावस्था में ही चलते हुए बाथरुम की तरफ जा रही थी जिसे पीछे से देखकर राहुल का लंड टनटना के और भी ज्यादा टाइट हो गया- मटकती हुई बड़ी बड़ी गांड देखकर राहुल के मुंह में पानी भर आया .. राहुल वहीं खड़े खड़े वीनीत की भाभी को बाथरूम में जाते हुए देख रहा था। विनीत की भाभी बाथरुम के अंदर जाकर कुछ सेकंड खड़ी ही रही राहुल को लगा कि वह दरवाजा बंद करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ विनीत की भाभी एक बार पीछे की तरफ राहुल को देखि जो कि वह उसी को देख रहा था और वीनीत की भाभी बिना किसी शर्म के राहुल की तरफ देखते हुए एक बार फिर मुस्कुराई और एक बार बड़ी ही मादक अदा से अपने भारी भरकम गांड को पीछे की तरफ उभारकर वही राहुल देख सके इस तरह से बैठकर पेशाब करने लगी। वह इतना मादक दृश्य था कि राहुल अपनी नजरें चाह कर भी नहीं हटा पा रहा था।
इस चुदास से भरे नजारे को देखकर राहुल का लंट ठुनकी मारने लगा।
वीनीत की भाभी ने जानबूझकर दरवाजे को बंद नहीं की थी क्योंकि वह भी यही चाहती थी थी कि राहुल उसे पेशाब करता हुआ देखकर उत्तेजित हो' । वीनीत की भाभी भी बार बार पीछे मुड़कर राहुल की तरफ देख ले रही थी और राहुल को भी उसकी तरफ देखता हूआ पाकर उसका मन मयूर नाचने लगता था।
जैसे उसकी बुर ने अपने गुलाबी पत्तियों के बीच से काम रूपी धुन छेंड़ दी हो इस तरह से एक मधुरमय संगीत पूरे कमरे में गूंज रहा था। बुर से आ रही सीईईईई.....सीईीईीईई ...करती सीटी की आवाज की बांसुरी की धुन से कम नही लग रही थी।
कुल मिलाकर बहुत ही कामोत्तेजक और अतुल्य नजारा था। कुछ ही देर मे वह पेशाब करके बड़े ही मादक अदा से गांड मटकाते हुए खड़ी हुई और अपनी बड़ी बड़ी प पइया जैसी चूचियों को हिलाते हुए राहुल की तरफ आने ली, राहुल के पास पहुंचते है उसने राहुल के टनटनाए हुए लंड पर अपना हाथ रख दी। उसकी गर्म हथेली का स्पर्श अपने गरम लंड पर होते ही राहुल एकदम से गनगना गया। और वीनीत की भाभी उसके लंड को पकड़कर मुठीयाते हुए बोली।
ओहहहह....राहुल.... तेरा टनटनाया हुआ लंड देखकर मे हैरान हुं..जानता हे क्यों?
( राहुल ने ना मे सिर हिला दिया। राहुल का जवाब सुनकर विनीत की भाभी ने अपनी हथेली को लंड पर और ज्यादा कसते हुए।)
राहुल अगर लंड से एक बार पानी निकल जाए तो लंड ढीला पड़ जाता हे ओर ईतने जल्दी खड़ा नही होता हे।
( राहुल के लंड को मुठ़ीया ही रही थी।) लेकीन तुम्हारा लंड ( ईतना कहने के साथ ही गरम सिसकारी लेते हुए) ससससससहहहहहह....राहुल...तेरा लंड तो झड़ने के बाद भी बिना ढीला हुए अभी तक खड़ा है...राहुल तेरी ताकत देखकर मेरी बुर फीर से तुझसे चुदने के लिए पनीया रही है। ( वीनीत की भाभी की ऐसी बातें सुनकर फिर से राहुल का मन मचल उठा. राहुल खुद उसे फिर से चोदना चाहता था लेकिन यह बात कह नहीं पा रहा था. विनीत की भाभी की एसी ही ख्वाहिश सुन कर उसका मन प्रसन्नता से भर गया। राहुल का जवाब सुने बिना ही वीनीत की भाभी पलंग की तरफ बढ़ी और अपना एक घुटना बिस्तर पर रख के आगे की तरफ घोड़ी बन कर झुक गई। राहुल तो कुछ समझ हीें नहीं पाया की यह कर क्या रही है। घोड़ी बने हुए यह पीछे की तरफ नजर घुमाकर राहुल को देख रही थी । लेकिन राहुल था कि वैसे ही लंड टाइट करके खड़ा था। दिनेश की भाभी उसके अनाड़ीपन को समझ गई और राहुल से बोली।

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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

राहुल तुम्हें मेरी (अपने हाथ को पीछे ले जाकर अपनी बुर की तरफ इशारा करके)बुर दिखाई दे रही है ना।( राहुल भी अपनी नजरों को थोड़ा सा नीचे की तरफ झुका कर उसकी बुर को देखते हुए हां मैं सिर हिलाया)
इसी में तुम्हें मेरे पीछे ं आकर खड़े खड़े ही लंड डालकर मेरी चुदाई करनी है। ( यह सब देखकर राहुल तो पहले से उतावला हो चुका था वह तुरंत उसके पीछे आकर खड़ा हो गया , राहुल को पीछे से उसकी गदराई हुई और ऊभरी हुई गांड और भी ज्यादा बड़ी लग रही थी । यह देखकर राहुल से रहा नहीं गया और उसने अपने दोनों हथेली को उसके बड़े बड़े खरबूजों पर रखकर दबाने लगा। राहुल का लंड एकदम टाइट खड़ा था इसलिए उसका सुपाड़ा उसकी गांड की दरार के ईर्द गिर्द रगड़ खा रहा था। जिससे वीनीत की भाभी और ज्यादा चुदवासी हुई जा रही थी। वीनीत की भाभी से रहा नही गया ओर उसने खुद अपना हांथ पीछे ले जाकर लंड को थामी ओर उसके सुपाड़े को बुर के छेंद पर टीकाकर राहुल को धक्का लगाने के लिए बोली। राहुल तो पहले से ही उतावला था। उसने भी अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का लगाया ओक उसका लंड पहले से ही पनियायी बुर में घुसता चला गया। दोनों थोड़ी देर में फिर से एकाकार हो गए। । विनीत की भाभी की गरम सिस्कारियों से फीर से पूरा कमरा गूंज उठा। जांघो से जाँघ टकरा रही थी जिसकी ठाप से कमरे का पुरा माहोल मादक हो गया था। राहुल तो बस बिना रुके ही अपना मुसल जेसा लंड वीनीत की भाभी की बुर मे पेले जा रहा था। दोनो चुदाई का मजा लुट रहे थे। कभी कभी धक्के ईतने तेज लग जा रहे थे की वीनीत की भाभी आगे की तरफ लुढक जा रही थी लेकीन राहुल उसकी कमर को थाम कर धक्के लगाते हुए चोद रहा था। करीब बीस मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनो की सांसे तेज चलने लगी ' ओर कुछ ही धक्को मे दोनो अपना कामरस बहाते हुए हांफ रहे थे। ।
वीनीत की भाभी ओर राहुल दोनो बहोत खुश थे। राहुल तो आज पहली बार ईस अद्भुत सुख से परीचीत हो रहा था।
दोनो कपड़े पहन चुके थे 'राहुल अपनी नोटबुक ले लिया था। वीनीत की भाभी ने उसकी नोटबुक पर अपना नम्बर लिख कर दी थी। राहुल वीनीत के घर से बाहर निकल आया।

राहुल जा चुका था वीनीत की भाभी ने दरवाजे को बंद करके सोफे पर आकर धम्म से बैठ गई। उसके रोम रोम मे पूरे बदन में मीठा मीठा दर्द हो रहा था। उसे साफ-साफ एहसास हो रहा था कि उसकी बुर की फाँके कुछ ज्यादा ही खुल चुकी थी। वह जानती थी की राहुल का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा था। उसके लंड के बारे में सोचते ही विनीत की भाभी का पूरा बदन अजीब से सुख की अनुभूति करता हूंआ गनगना जा रहा था। आज पूरे तीन चार घंटे तक राहुल से चुदवाकर पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी।
आज पहली बार ही उसके साथ चुदवाकर चुदाई का सुख ली थी लेकिन अगली मुलाकात के लिए अभी से तड़पने लगी थी मन ही मन मे सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि उसने वीनीत को तीन चार घंटे के लिए बाहर भेज दी थी वरना आज ऐसा अतुल् एहसास का अनुभव कभी नहीं कर पातेी। आज वह बहुत खुश थी।

शाम ढल चुकी थी रात गहरा रही थी राहुल खाना खाकर अपने कमरे में लेटा हुआ था आज उसका कुंवारापन खो चुका था लेकिन इस कुंवारेपन के खोने का जरा सा भी गम राहुल को नहीं था े । राहुल को ही क्यों सारी दुनिया के मर्दो को इस को खोने का जरा सा भी ग़म नहीं होता बल्कि दुनिया का हर मर्द अपना कुंवारापन लूटाने के लिए हमेशा बेताब रहता है।
वीनीत की भाभी को याद करके राहुल का लंड खड़ा होने लगा था। आज उसे एहसास हो गया था कि बुर में जो मजा आता है वह दुनिया की किसी चीज में नहीं आता*।
राहुल संभोग के सुख को प्राप्त करके आनंदित हो चुका था आज पहली बार उसने अपने लंड का सदुपयोग किया था वरना अब तक सिर्फ मुत्र त्याग और हिलाने के ही काम में आता था। कसी हुई बुर की गर्मी अब तक उसे अपने लंड पर महसूस हो रही थी। जिस तरह से वीनीत की भाभी राहुल से दोबारा मुलाकात के लिए तड़प रही थी ठीक उसी तरह राहुल भी वीनीत की भाभी के साथ दूसरी मुलाकात के लिए तड़प रहा था वह मन ही मन में सोच रहा था कि ना जाने कब भाभी से कब मुलाकात होगी।
विनीत की भाभी के बारे में सोचते हुए राहुल का हाथ कब उसके पजामे में जाकर टनटनाए हुए लंड को थाम लिया उसे पता ही नहीं चला। उसने अपनी मुट्ठी को लंड पर एकदम भींच लिया और आंखों को बंद करके हिलाते हुए विनीत की भाभी की कसी हुई बुर के बारो मे सोचते हुए मुठ मारने लगा। और कुछ ही देर में हांफते हुए लंड का पानी पजामे में ही गिरा दिया।


कुछ दिन तक यूं ही चलता रहा राहुल हमेशा विनीत की भाभी के ख्यालों में ही खोया रहता था। पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता था और दूसरी तरफ नीलू थी जो कि राहुल के आगे पीछे लट्टु बनकर फिरा करतीे थी। लेकिन कुछ दिनों से उसे भी मौका नहीं मिला था कि राहुल से संबंधों को आगे बढ़ाया जा सके। सब अपनी अपनी धुन में मस्त थे।

एक दिन अलका अपनी ऑफिस में बैठकर कंप्यूटर पर कुछ फाइले सबमिट कर रही थी। बाहर का मौसम खराब हो रहा था। हल्की फुल्की बूंदाबांदी हो रही थी,
अलका के मन में घबराहट सी हो रही थी क्या कल बारिश तेज होने लगी तो घर कैसे पहुंचेगी क्योंकि रास्ते में घुटनों तक पानी भर जाता था ऐसे में चल पाना बड़ा मुश्किल होता था और तो और पानी में अलका को डर भी लगता था' उनका यही सब सोचते हुए कंप्यूटर के बटन को बड़ी तेजी से दबाए जा रही थी ताकि काम जल्द से जल्द खत्म हो।
अभी अलका एक मुसीबत के बारे में सोच ही रही थी कि तब तक दूसरी मुसीबत भी सामने कुर्सी पर आकर बैठ गई।
और बताइए मैडम जी क्या हाल है( हाथ में कॉफी का मग पकड़े शर्मा जी कुर्सी पर बैठते हुए बोले।)

ठीक है शर्मा जी।( अलका भी औपचारिक वश शर्मा जी की तरफ बिना देखे ही कंप्यूटर पर बटन दबाते हुए बोली।)

आजकल आप हमारी तरफ जरा भी गौर नहीं कर रही है मैडम जी। ( कॉफी की चुस्की लेते हुए शर्मा जी बोले)

( अलका वैसे ही अपने काम में मग्न होते हुए बोली।)

शर्मा जी हम सिर्फ यहां अपने काम पर गौर करने आते हैं किसी आलतू फालतू चीज पर नहीं।
( अलका का जवाब सुनकर शर्मा जी बुरा सा मुंह बनाने लगे । लेकिन अपनी वासनामई नजरों को अलका के मधुशाला की दोनों छलकते हुए पैमानो पर बराबर गड़ाए हुए थे। इस बात से अलका बिल्कुल अंजान थी क्योंकि वह शर्मा की तरफ ज्यादा ध्यान दे ही नहीं रही थी पर वह अपने काम में इतनी ज्यादा खो गई थी कि उसका आंचल के कंधे से लड़ा कर कब नहीं चाहिए आ गया इसका पता ही नहीं चला। और इसी बात का फायदा शर्मा जी उठाते हुए अलका की पड़ी पड़ी चूचियों के बीच की गहराई को आंखों से ही नाप रहे थे।
बड़ी बड़ी चुचियों को अधनंगी देखकर शर्मा जी के बुढ़े लंड में भी तनाव आना शुरु हो गया। अलका तो पूरी तरह से अपने काम मे खोई हुई थी उसे यह कहां पता था कि उसके दोनों छलकते हुए पैमानों को कोई अपनी आंखों से ही पी रहा है। शर्मा जी के मुंह में पानी भर आया था अलका के मदमस्त बदन उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और मटकती हुई गांड को देख देखकर वह तड़पता रहता था और उसकी याद में घर जाकर रोज मुठ मारा करता था।
शर्मा जी अभी भी बेशर्मों की तरह कॉफी की चुस्की लेते हुए अलका की छातियों को ही निहारे जा रहा था।
लास्ट फाइल सबमिट करने के बाद जैसे ही अलका का ध्यान अपनी छातियों पर गयी और उसने अपने छातियों को खुला पाई तो उसकी नजर सामने बैठे शर्मा जी पर पड़ी जो की ललचाई आंखों से उसकी चूचियों को ही घूर रहा था'अलका ने झट से अपने पल्लू को दिल तो करते हुए अपनी छातियों को ढकते हुए गुस्से मे बोली।

शर्मा जी आप जाकर अपना काम कीजिए युं दूसरों को परेशान करने मत चला आया करिए। ( अलका का गुस्सा देखकर शर्मा जी झट से कुर्सी से उठ गए और बिना कुछ बोले वहां से हाथ मलते हुए अपनी केबिन में चले गए। अल्का का काम खत्म हो चुका था उसे घर जल्दी भी जाना था क्योंकि बाहर बारिश शुरु हो चुकी थी इसलिए उसने मैनेजर पर घर जाने की अनुमति मांगी और मैनेजर भी हवामान को देखते है उसे घर जाने की इजाजत दे दिया। अलका भी जल्दी-जल्दी अपना पर्स उठाई और ऑफिस के बाहर आ गई, हल्की हल्की बारिश शुरु हो चुकी थी। वह जानती थी कि वह भीग जाएगी लेकिन किया भी क्या जा सकता था इस मौसम का ठिकाना होता तो छतरी भी ले कर घर से बाहर आती लेकिन अब तो बिन मौसम ही बारिश होने लगती है।
अलका मन में ही बड़बड़ाते हुए अपने कदम बढ़ा रही थी। बारिश की हाल्की ठंडी ठंडी बूदे धीरे धीरे करके उसके बदन को भिगोने लगी थी। वह कुछ दूर ही चली थी कि धीरे-धीरे करके उसके सारे कपड़े भीग गए।
रह-रहकर पवन का तेज झोंका उसके बदन मे सुरसराहट फैला जाता। अलका को मार्केट पहुंचते-पहुंचते वह बारिश के पानी में पूरी तरह से तरबतर हो चुकी थी और बारिश थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी । सड़को पर पानी धीरे धीरे करकेे घुटनों से नीचे तक बहने लगा था । अलका की परेशानी बढ़ते जा रही थी।
साड़ी गीली हो कर उसके मादक बदन पर चिपकी हुई थी जहां से हल्के हल्के उसके अंग का प्रदर्शन हो रहा था। पूरी तरह से ब्लाउज के लिए होने की वजह से ब्लाउज के अंदर की काले रंग की ब्रा साफ साफ नजर आ रही थी पीठ की तरफ उसकी काली पट्टीी देखकर आने जाने वालों का लंड टाइट हो जा रहा था। साड़ी गीली होकर उसके बदन से एेसे चिपकी हुई थी की उसकी भरपुर मादक गांड का उभार और कटाव साफ साफ दीखाई दे रहा था। और वास्तव में अलका को बदन की प्राकृतिक सुंदरता को देख कर आने जाने वालों की नजरें एक पल के लिए उसके बदन पर ही चिपक जाती थी। अलका भीगे बदन में और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगी थी। घर पहुंचने की जल्दी में बिना आगे पीछे देखे झटाझट अपने कदमों को बढ़ाते हुए चली जा रही थी लेकिन रास्ते पर पानी घुटनों तक आ गया था जिसकी वजह से पैर को आगे बढ़ाने में तकलीफ हो रही थी।
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