होता है जो वो हो जाने दो complete

Post Reply
Reich Pinto
Novice User
Posts: 382
Joined: 10 Jun 2017 21:06

Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Reich Pinto »

damn it again suspense ? update more

Gross
Reich Pinto
Novice User
Posts: 382
Joined: 10 Jun 2017 21:06

Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Reich Pinto »

next updates ?
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Kamini »

Waiting
User avatar
Rohit Kapoor
Pro Member
Posts: 2821
Joined: 16 Mar 2015 19:16

Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

Reich Pinto wrote: 30 Jun 2017 18:39 next updates ?
Kamini wrote: 01 Jul 2017 09:54Waiting

update in next post
User avatar
Rohit Kapoor
Pro Member
Posts: 2821
Joined: 16 Mar 2015 19:16

Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

विनीत का दिल अब कुछ ज्यादा ही मचलने लगा था। क्योंकि नीलू अब उसके हाथ में थी और जिस तरह से उसने अल़का को धमकाया था उसे यकीन हो चला था। कि अपनी इज्जत बचाने के लिए अलका उसे फिर से अपना सब कुछ सौंप देगी। वह तो आने वाले पल की कामना में ही रचा हुआ था। उसे फिर से अलका अपनी बाहों में कसमसाते हुए नजर आने लगी थी। अलंका ने अपना इरादा बदला कि नहीं यह जानने के लिए वह फिर से शाम को बाजार में उसका इंतजार कर रहा था।
लेकिन अलका विनीत के ही डर से ऑफिस नहीं गई थी तो इसलिए बाजार में मिलने का कोई सवाल ही नहीं उठता था वीनीत पागलों की तरह अलका की याद में आंखें बिछाए उसका इंतजार कर रहा था। लेकिन समय बीतता गया घड़ी की सुई अपनी रफ्तार में अपनी मध्य बिंदु पर घूमती रही। विनीत उसका इंतजार कर कर के थक चुका था उसे यकीन हो गया था कि शायद आज अलका ऑफिस गई ही नहीं। थक हारकर वह अपने घर लौट गया।
राहुल अपने घर में अपने कमरे में बैठकर नीलू के साथ बिताए पलों को याद कर रहा था उसके मन में नीलू को खोने का डर बन चुका था जो कि वास्तव में नीलू ऊससे दूर हो चुकी थी। उसे इस बात पर कभी भी यकीन नहीं हुआ कि नीलू जैसी खूबसूरत लड़की उसकी गर्लफ्रेंड थी। क्योंकि दोनों के बीच में जमीन आसमान का फर्क था कहा नीलू और कहां राहुल दोनों के बीच में हैसियत की दीवार खूब ऊंची थी। नीलू की चलती तो वह ईस दीवार को कब से गिरा चुकी होती। लेकिन इसमें उसकी भी कोई गलती नहीं थी हालात ही कुछ ऐसे पैदा हो गए थे कि ऊन हालातों से समाधान करना ही उचित था। नीलू की मां भी उसे बहका कर मना ली थी।
नीलू के प्यार में वासना ही केंद्र बिंदु था लेकिन राहुल उस से सच्चे दिल से मोहब्बत करने लगा था। राहुल उसे खोना नहीं चाहता था लेकिन कर भी क्या सकता था हालात के हाथों वह भी मजबूर था। राहुल ने इस सच्चाई को अपना लिया था की नीलू अब उसकी नहीं रही। सपनों की दुनिया में रेत के घर बनाने से कोई फायदा नहीं था। राहुल का मन कहीं लग नहीं रहा था। आज अलका के साथ-साथ राहुल ने भी खाना नहीं खाया उसकी मां जब उसे ना खाने का कारण पूछी तो वह भी तबीयत ठीक नहीं है कहकर अपने कमरे में चला गया। विनीत का बड़ा भाई घर पर होने से विनीत की भाभी से भी बात नहीं हो पा रही थी ।अलका तो वैसे ही परेशान थी वह तो दिन रात बस भगवान से बस यही प्रार्थना करती थी कि कैसे भी करके इस मुसीबत से वह छुटकारा पा जाए। रात भर वाह विनीत के द्वारा दी गई धमकी के बारे में सोच सोच कर करवटें बदलती रही, उसे अब कोई भी रास्ता सूझ नहीं रहा था किसी से कहने पर बदनामी होने का पूरा डर था। इस मुसीबत से निकलने का ऊसे कोई भी रास्ता ना हीं सूझ रहा था ना दिखाई दे रहा था और ना वह किसी की मदद ले सकती थी । उसके सामने सिवा समर्पण के कोई ओर चारा नहीं था। लेकिन यह बात उसे कुछ अजीब सी लगती थी कल के छोकरे के सामने वह इस तरह से झुक जाए। उसकी दी हुई धमकी के आधीन हो जाए,। उसका मन किसके आधीन होने के बिल्कुल खिलाफ था। क्योंकि उसका मन इस बात को मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थी कि वह एक बीत्ते भर के लड़के के सामने उसकी अवैध मांग के अधीन हो कर उसे अपना एक बार फिर से सब कुछ समझ पढ़ कर दे।
लेकिन ऐसा भी नहीं था कि वह उसकी बात ना मानकर उसे करारा जवाब दे सके। उसके साथ बीच सड़क पर बहस करने का मतलब था , बात का खुलना। जो कि उसके और उसके बच्चों के लिए ठीक नहीं था। मतलब अलका के लिए इस मुसीबत से बचने के सारे दरवाजे बंद हो चुके थे एक दरवाजा खुला था जो कि सिर्फ वीनींत के पास जाता था वह भी उसकी इच्छा पूर्ति के लिए। इसलिए उसने फैसला कर ली की अपनी और अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिए एक बार फिर से वह अपनी इज्जत विनीत को सौंपेंगी। मन में यह फैसला कर के वह सो गई।

सुबह उठते ही वह घर के काम में लग गई नाश्ता बना कर दोनों बच्चों को स्कूल भेज दि जाते जाते राहुल ने आज फिर से ऑफिस जाने के लिए पूछा तो कुछ देर सोचने के बाद ना बोल दी।
रात को जो उसने वीनीत को समर्पण करने का फैसला की थी सुबह होते ही उस फैसले पर अटल रहने कि उसकी हिम्मत नहीं हुई। क्योंकि वह मन ही मन में सोच रही थी कि विनीत को अपना तन सौंपने का मतलब था कि वह सीधे सीधे देंह के व्यापार में उतर रही थी। क्योंकि यह एक समाधान की तरह ही था अलका उसे कर्जा चुकाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी लेकिन वह था कि पैसा लेना ही नहीं चाहता था उसे तो अलका से कुछ और चाहिए था। विनीत को अलका की इज्जत चाहिए थे वह उसे भोगना चाहता था बदले में वह ऊसका सारा कर्जा माफ कर देता। इज्जत के बदले कर्जा माफ करने वाली बात अलका को कतई पसंद नहीं थी क्योंकि वह इतनी भी मजबूर नहीं थी कि अपना तन बेचकर कर्जे की रकम चुकाए। बात अगर कर्जे की ही होती तो अलका जैसे तैसे करके उसका कर्जा जरूर चुका देती लेकिन बात अब इज्जत की थी। अलका को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था अगर अस्पताल में उससे गलती नहीं हुई होती तो विनीत की इतनी हिम्मत नहीं थी कि उसके सामने एसी बात कर सके। उसकी एक गलती आज उसके लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन चुकी थी। विनीत बार-बार उसे धमकी देते हुए उसे चोदने की फरमाइश कर रहा था और अगर वह ऐसा नहीं करती है तो कहां उसे समाज में बदनाम कर देगा बस इसी बात का डर अलका को खाए जा रहा था।
अलका रोज की तरह आज भी बहुत परेशान थी घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था इसलिए सारा दिन घर में ही बैठी रहती थी।

स्कूल में राहुल आज पहले की तरह खुश नजर नहीं आ रहा था विनीत से तो वह नफरत सा करने लगा था। लेकिन नीलू उससे पहले की तरह ही मिली क्योंकि वह अनजान थी कि उसकी मां उसे धोखे में रख रही थी। राहुल को नीलू की मुस्कान बेहद पसंद है उसके गुलाबी होठों की नरमी का एहसास उसे अपने होठों पर हमेशा महसूस होता था। राहुल भी उसी से पहले की ही तरह मिला क्योंकि वह नीलू को उदास नहीं देखना चाहता था चाहे जो भी हो वह नीलू से बेहद प्यार करने लगा था।
जैसे तैसे करके वह तड़प तड़प कर अपना दिन क्लास में काटा और छूटने के बाद वह अपने घर नहीं गया बल्कि इधर उधर घूमता रहा।

विनीत बाजार में फिरसे ऑफिस के छूटने के समय से पहले ही आकर अपना डेरा जमा लिया था वह आज अलका से मिलना ही चाहता था। क्योंकि उसकी तड़प बढ़ती ही जा रही थी अलका को पाने का जुनून हर पल बढ़ता ही जा रहा था। लेकिन फिर वही हुआ अलका जब ऑफिस आई ही नहीं थी तो बाजार से गुजरने का तो सवाल ही नहीं था वह फिर से पागलों की तरह बेवकूफ बना बैठा रहा। मैं समझ गया कि कल का ऑफिस आई ही नहीं है और मंद मंद मुस्कुराते हुए मन में ही सोचने लगा कि उसकी धमकी पूरी तरह से अलका पर असर कर गई है। क्योंकि वह उनका को धमकी तो देता था लेकिन उसे अंदर से डर भी लगता था कि नहीं उसका दांव उल्टा ना पड़ जाए । इसलिए बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि अलका का ऑफिस ना आना ऊसकी धमकी का असर बता रहा था। उसे अपनी मंजिल करीब होती नजर आ रही थी। लेकिन इस तरह से हल्का कर ऑफिस में नहाना और बाजार में ना मिलना विनीत की तड़प को और ज्यादा बढ़ा रहा था। इसलिए वह अभी इसी समय उसके घर पर जाने का फैसला कर लिया, और मोटरसाइकिल स्टार्ट करके उसके घर की तरफ चल पड़ा ।लेकिन उसके मन में इस बात की शंका भी देगी अगर घर पर राहुल मिला तो वह क्या कहेगा। शंका का समाधान भी उसने ढूंढ लिया अगर घर पर राहुल हुआ तो वह कह देगा कि वह नोट्स लेने के लिए आया है। और अगर राहुल नहीं हुआ तो वह अपने मन की बात करेगा।

वीनीत राहुल के घर पर थोड़ी ही दूरी पर अपनी बाइक खड़ी करके वहां से पैदल उसके घर की तरफ जाने लगा। दरवाजे के पास पहुंचा तो दरवाजा बंद था तो उसने दरवाजे को खटखटाते हुए दस्तक दिया। दस्तक देने के थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला दरवाजा खोलते हैं विनीत को अलका के दर्शन हो गए। अलका को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ लेकिन अलका के तो होश ही उड़ गए। विनीत अपने चेहरे पर का मुख्य स्थान लिए कमरे में प्रवेश कर दिया। लेकिन तभी उसकी नजर नीचे बैठ कर पढ़ाई कर रहे सोनू पर चली गई। अलका अपने घर में विनीत को देखकर घबरा गए और घबराते हुए उससे बोली।

यहां क्या करने आए हो वीनीत ?

बहुत दिनों से तुम्हारे दर्शन नहीं हुए इसलिए सोचा कि तुम्हारे घर पर ही चल कर क्यों ना मिल लुं।

( विनीत की आवाज सुनकर सोनू उसकी तरफ देखते हुए बोला।)

भैया आप यहां कैसे ? (सोनू खुश होता हुआ बोला)

तुम्हारी तबीयत के बारे में पूछने आया था अब तो तुम्हें आराम है ना।

हां भैया अब मुझे बिल्कुल आराम है।


सोनू तू अपने कमरे में जाकर पढ़।( अलका सोनू को कमरे में जाने के लिए बोली और सोनू चला भी गया)

अच्छा हुआ कि तुम खुद ही उसे अंदर जाने के लिए कह दी वरना मैं उसके सामने ही तुमसे सारी बातें करता तब जाकर तुम्हारी अकल ठिकाने आती। तुम मेरी धमकी को लगता है सीरियस नहीं ली इसलिए कोई जवाब नहीं दे रही हो।

देखो विनीत जो तुम करना चाह रहे हो वह ठीक नहीं है।
ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता हूं मैं तुम्हारी धमकी के आगे झुकने वाली नहीं हूं। ( अलका थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए विनीत से बोली।)

अच्छा तो क्या करोगी ( इतना कहने के साथ वह अलका की तरफ बढ़ने लगा।), विनीत को अपनी तरफ बढ़ता देखकर अलका घबराने लगी' । और घबराते हुए बोली।)

देखो अगर तुम नहीं माने तो मैं पुलिस के पास जाऊंगी।( पुलिस का नाम सुनकर एक बार तो वीनीत भी घबरा गया, लेकिन अपनी घबराहट को अलका के सामने महसूस होने नहीं दिया। और बहुत ही जल्द अपने आप को संभालते हुए वह बोला।)

अच्छा पुलिस के पास जाओगे लेकिन पुलिस से कहोगी क्या। यह कहोगी कि मैंने तो हस्पताल में तुम्हारी मर्जी से तुम्हें चाेदा हूं। या यह कहोगे कि तुम मुझसे ढेर सारा रूपया ऊधार ली हो और उसे ना चुका पाने के एवज में
तुमने मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए यही कहोगी या यह कहो गि कि मैंने तुम्हारे साथ जबरदस्ती किया हुं।
देखो मेरी जान चाहे तुम कुछ भी कहो अगर तुम पुलिस के पास जाओगी तो पुलिस पूछताछ करने के लिए तुम्हारे घर पर जरूर आएगी और घर पुलिस तुम्हारे घर पर आए तो तुम्हारी आस पड़ोस के लोग इकट्ठा जरूर होंगे। और धीरे-धीरे चाहे तुम कितना भी छुपाने की कोशिश कर लो यह बात सामने जरुर आएगी की तुम्हारे शारीरिक संबंध मेरे साथ है और मैं तुम्हारे साथ क्या करना चाहता हूं। तो तुम ही ठंडे दिमाग से सोचो जब पूरे मोहल्ले में यह बात सामने आएगी कि उनकी पड़ोस में रहने वाली अलका अपने बेटे के उम्र की और तों और अपने ही बेटे के दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बनाती है। तो सोचो आस पड़ोस में पूरे समाज में तुम्हारी क्या इज्जत रह जाएगी कैसे तुम उनके सवालों का सामना कर पाओगी और कैसे घर से बाहर निकल पाओगे जबकि अभी सिर्फ मेरी धमकी की वजह से ही तुम ऑफिस जाना छोड़ दि हो।

विनीत की यह सब बातें सुनकर अलका फूट कर रोने लगी। विनीत की एैसी बातें उसके मन में विनीत का डर पूरी तरह से बैठा दी थी। अलका के सामने अब कोई भी विकल्प नहीं बचा था सिवाय समर्पण के। इसलिए वह रोए जा रही थी क्योंकि अब कोई भी रास्ता नहीं बचा था। अलका को रोता हुआ देखकर विनीत ऊसका हाथ पकड़ते हुए बोला।

देखो मेरी रानी इसलिए ही मैं कह रहा था की बस एक बार एक बार फिर से मुझे अपनी बुर का स्वाद चखा दो।
एक बार मुझे चोदने दो। बस एक बार उसके बाद फिर मैं कौन और तुम कोन मै तुमसे दोबारा कभी भी नहीं मिलूंगा। अच्छे से सोच लो मैं फिर तुम्हें जल्दी ही मिलूंगा।( इतना कहकर वह जाने लगा जाते-जाते वह रुका और बोला।) और हां खुद बदनाम होने का शौक हो तो अपनी मनमानी जरूर कर लेना। मैं जल्द ही तुमसे मिलूंगा और इस बार तुम्हारी हां होनी चाहिए।

इतना कहकर वीनीत चला गया। अलका वही बेठी रोती रही और अपनी किस्मत को कोसती रहीं। जिस समय विनीत अलका के घर से निकल रहा था उसी समय दूसरी सड़क से राहुल घर की तरफ चला आ रहा था उसने विनीत को अपने घर से बाहर निकलते हुए देखा ऊसे समझ में नहीं आया कि वह क्या करने घर पर आया है। वह उसे आवाज देता इससे पहले ही वह निकल गया। उसे कुछ अजीब सा लग रहा था क्योंकि विनीत आज तक उसके घर पर कभी नहीं आया था चाहे जितना भी जरूरी काम है उसने तो आज तक उसका घर भी नहीं देखा था। वह वीनीत के बारे में सोचते हुए घर में प्रवेश करते हुए बोला।

मम्मी यह राहुल यहां ( तभी उसकी नजर उसकी मम्मी पर पड़ी जोंकि वह रो रही थी, मुझे रोता हुआ देखकर) क्या हुआ मम्मी आप रो क्यों रहीे हैं?
Post Reply