होता है जो वो हो जाने दो complete

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Rohit Kapoor
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होता है जो वो हो जाने दो complete

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होता है जो वो हो जाने दो

सोनू तु जल्दी से नास्ता कर ले । मुझे स्कुल जाने मे बहुत देर हो रही हे। (अपने छोटे भाई को चाय ओर नास्ता थमाते हुए बोला।) पता नही मम्मी आज मंदीर मे ईतनी देर क्यौ लगा दी।( राहुल बार बार दरवाजे की तरफ देख ले रहा था: उसे स्कुल जाना था ओर उसे देर हो रही थी।)
राहुल अभी हाई स्कुल मे था । गोरा रंग हट्टा कट्टा बदन देखने मे भी ठीक ठाक ही था:। उसकी बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी ओर बढ़ती भी केसे नही आज स्कुल मे उसका मेथ्स का टेस्ट था। ओर समय से स्कुल पहुंचना बहुत जरुरी था। इसलिए हर पल उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
( कलाई मे बंधी घड़ी की तरफ देखते हुए)
ये मम्मी भी ना ! क्या करु कुछ समझ मे नही आ रहा है। (अपने बड़े भाई को परेशान होता देखकर राहुल का छोटा भाई बोल पड़ा)

सोनु: क्या भैया तुम भी बेवजह परेशान हो रहे हो। आ जाएगी मम्मी। (नास्ता करतो हुए बोला) ओर अभी बहोत समय हे। तुम समय पर पहुंच जाओगे (इतना कहके वो फीर से चाय पीने लगा।
(राहुल बार बार घड़ी देखते हुए चहलकदमी करता हुवा दरवाजे पर ही नजर गड़ाए हुए था। कुछ ही समय बाद सामने से उसकी मम्मी आती हुइ दीखाई दी। राहुल कुछ बोलता उस्से पहले ही राहुल की मम्मी घर मे प़वेश करते हुए बोली।

मम्मी: सोरी सोरी सोरी सोरी बेटा । (हाथ मे ली हुई पुजा की थाली को पास मे पड़े टेबल पर रखकर अपने कान पकड़ते हुए)मुझसे गलती हो गई बेटा । क्या करु बेटा आरती हो रही थी । अब आरती को तो बीच मे छोड़कर नही आ सकती थी न भगवान नाराज हो जाते तो। (मै कुछ बोल नही रहा था बस मम्मी को देखे जा रहा था) अच्छा बाबा अब एसी गलती दुबारा नही होगी बस। अब तो माफ कर दे ।(मम्मी फीर से कान पकड़ के माफी मांगने लगी।ईस बार मुझे हंसी आ गई। क्योकी ये पहली बार नही था जब मम्मी ईस तरह से माफी मांग रही थी । एसा लगभग हमेशा ही होता था ।मम्मी हमेशा मंदीर जाती ओर वहा से लौटने मे देर हो जाती थी।
और मे मम्मी का मासुम चेहरा देखकर माफ कर देता था
सोनु भी मम्मी को कान पकड़े हुए देखकर हंस रहा था। मे भी हंसते हुए बोला)

राहुल: बस बस मम्मी रहने दो हॉ। तुम रोज लेट हो जाती हो।(अभी भी राहुल की मम्मी के दोनो हाथ कान पर ही थे)

मम्मी: अब लेट नही होऊंगी बेटा।

राहुल :अच्छा ठीक है मम्मी अब अपना कान छोड़ो। और मे अब स्कूल जा रहा हु मुझे लेट हो रहा है।

मम्मी: ठीक है बेटा। (टेबल पर पड़ा स्कुल बेग राहुल को थमाते हुए)ले बेटा संभाल कर जाना और अपना ख्याल रखना।

राहुल;(बेग को मम्मी के हाथ से थामते हुए) ठीक है मम्मी बाय। बाय सोनु।
उसकी मम्मी और सोनु दोनो राहुल को बाय बोले। और राहुल घर से बाहर निकल गया।

राहुल की मम्मी का नाम अलका है। अभी सी्र्फ ३५साल की ही है। ईनके पति एक दीन कीसी से कुछ भी बताए बिना ही कीसी दूसरी औरत के साथ चले गए । कहा गए ये आज तक नही पता चला। और न ही अलका के पति ने अपने परीवार की कभी भी कोई खोज खबर ली।
लेकीन अलका ने आज तक अपने बच्चो को कभी भी उनकेे बाप की कमी महसूस होने नही दी।
वेसे अलका काफी खुबसुरत थी। गोरा बदन तीखे नैन नक्श भरा हुआ बदन बड़ी बड़ी चुचीया एकदम तनी हुई। मर्दो की नजर सबसे पहले उसकी चुचीयो पर ही जाती थी। हमेशा उसे खा जाने वाली नजर से ही देखते थे। और पतली सी कमर हमेशा लचकती रहती थी। उस कमर से नीचे का उभरा हुआ भाग उउउफफफफ क्या गजब की बनावट थी। एकदम गोल गोल बड़ी बड़ी गांड जीसे देखते ही मर्दो का लंड टनटना कर खड़ा हो जाता था। वेसे भी अलका की गांड कुछ ज्यादा ही उभार लीए हुए थी। ईस उम़् मे भी राहुल की मा ने अपने बदन को काफी फीट रखा है। अभी भी उसका अंग अंग काफी चुस्त और दुरुस्त था। अपने आप को काफी फीट रखे हुए थी।
एसा नही था की इसके पति के जाने के बाद कीसी ने इसके अकेले पन का फायदा उठाने की कोशीश न की हो। जीसको भी मौका मिला वो इसके अकेलेपन का और मजबुरी का फायदा उठाने कीबहोतो ने कोशीश की । लेकीन इसने आज तक अपने दामन मे दाग नही लगने दी। अपने आप को और अपने चरीञ को बहोत संभाले हुए थी। मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चो का अच्छे ढंग से लालन पोषण करते आ रही थी। पढी लीखी थी इसलीए एक कम्पनी मे कम्पयूटर ओपरेटर की नोकरी भी मिल गइ थी। जीस्से घर का और दोनो बच्चो के पढाई का खर्चा अच्छे से चल रहा था।


राहुल के जाने के बाद उसकी मम्मी घर के काम
मे जुट गई ।रसोइघर मे जाते जाते सोनु को उसका होमवकॅ पूरा करने की हीदायत दोती गई। उसे अभी बहोत काम था । खाना बनाना था सोनु को तैयार करना था थोड़ी बहोत घर की साफ सफाई भी करनी थी और अपने जॉब पर जाने के लीए अभी उसे खुद भी तैयार होना था।
राहुल की मा जब तैयार हो जाती थी तो एकदम कयामत लगती थी।देखने वालो के होश उड़ जाते थे।
जब वो रास्ते पर चलती थी तो उसकी बड़ी बड़ी गांड मटकती थी और उसकी मटकती हुई गांड को देखकर अच्छे अच्छो का लंड पानी छोड़ देता था। बला की खूबसुरत थी राहुल की मा। वो रसोई घर मे जाकर खाना बनाने लगी।

वही दूसरी तरफ राहुल तेज कदमो के साथ सड़क पर चला जा रहा था। उसे जल्द से जल्द अगले चौराहे पर पहुंचना था । क्योकी अगले चौराहे पर उसका उसका सबसे अच्छा दोस्त वीनीत ईन्तजार कर रहा था।
वीनीत राहुल का सहपाठी था । उसके ही उमृ का था।
वीनीत बहोत ही ज्यादा ही हेन्डसम था। और बहोत ही फृेंक था। उसकी बातो मे जेसे कोइ जादू था। क्योकी जिस कीसी से भी वो दो मिनट भी बात कर लेता था वो उसका दीवाना हो जाता था। और खास करके लड़कीया उसकी दीवानी थी।
हर लड़की उसके साथ दोस्ती बढाने के लिए बेकरार रहती थी। कुछ लड़कीयो के साथ उसके संबंध नीजी भी थे जिसकी खबर राहुल को नही थी और न ही कभी वीनीत ने ईस बारे मे कभी कोई जिकृ कीया।
आगे चोराहा नजर आ रहा था।और सड़क के कीनारे अपनी बाइक लेकर खड़े हुए वीनीत भी दिखाइ गे रहा था। जिसे देखते ही राहुल के चेहरे पर मुस्कान तैर गई ।
वीनीत भी राहुल को देखकर मुस्कुरा दिया। राहुल लगभग दौड़ते हुए वीनीत के पास पहुंचा और बोला।

राहुल: अच्छा हुआ यार तु बाईक ले आया वनॉ आज बहोत लेट हो जाता।

वीनीत; तु जल्दी से बेठ बाकी बाते रास्ते मे करना।
वैसे भी तेरा ईन्तजार कर करके मे तंग हो गया हुं। (इतना कहने के साथ ही वीनीत ने बाइक स्टाटॅ कर दी।
और राहुल अपना स्कूल बेग सम्भालते हुए बोला)

राहुल;क्या करु यार मम्मी की वजह से रोज लेट हो जाता हुं। ईसमे मेरी क्या गलती है।

वीनीत; अच्छा बच्चु अब अपनी गलती को तू आंटी के सिर पर मढ़ रहा है।अब ज्यादा बन मत मै सब जानता हुँ। देर रात तक पढ़ता होगा तो तेरी नींद कहा से खुलेगी। (बाईक सरसराट सड़क पर भागे जा रही थी।)

राहुल; नही यार सच कह रहा हुं। मम्मी सूबह मे नहाते ही सबसे पहले मन्दीर जाती है और जिस समय वहां पहुंचती है उसी समय आरती भी शुरु हो जाती है ।अब मम्मी आरती छोडृकर आती नही है कहता हे भगवान
नाराज हो जाएंगे। और उन्हे कौन समझाए की भगवान को मनाने मे मुझे स्कूल जाने मे लेट हो जाता है।

वीनीत; अच्छा तो ये बात है। कोई बात नही यार आंटी को भी कुछ उनके मन का करने देने का। बाकी सब मै संभाल लुगा। तू चिन्ता मत कर।

राहुल;यार तु हे तभी तो मुझे कोई टेंशन नही रहता ।
(सामने स्कूल का गेट दीखाई दे रहा था।वीनीत ने जल्दी से बाइक को पाकॅ कीया और हम दोनो क्लास मे चले गए । अभी मेथ्स का टेस्ट शुरु भी नही हुआ था। फीर भी राहुल ने बुक निकाल कर टेस्ट शुरु हो इस्से पहले जितना हो सकता था उतना देखकर समझ लेना चाहता था। ।
क्लास मे बेठी अधिकतर लड़कीया हम दोनो की तरफ ही ।हम दोनो कया वो लड़कीया वीनीत की तरफ ही देख रही थी। लेकीन वीनीत इस समय सीर्फ बुक मे ही ध्यान लगाए हुए था। १५ मिनट बाद ही सर क्लास मे पृवेश कीए और टेस्ट लेना शुरु कर दीए।
एक घंटे बाद टेस्ट पूरा हुआ। मै और वीनीत हम दोनो खुश थे। क्योकी हम दोनो ने मेथ्श के सारे सवालो का हल कर दीया था। ।।
हालांकी सारे सवाल मेने ही हल कीया था । वीनीत तो सा रै सवाल मेरी नोटबुक मेे से देखकर ही लीखा था।

दुसरी तरफ राहुल की मम्मी खाना बना चुकी थी । अब वो अपने आॉफीस जाने के लिए तैयार होने लगी।
अलका खाना बना के ऑफीस के लिए तैयार होने लगी।
अपने कमरे मे आकर वो आईने मे अपने आप को निहारने लगी। वो अपने आप को ही अपलक देखती रह गई। उसे ईस बात की अच्छे से खबर थी की वो बहुत खुबसुरत है ओर मदोॅ की नजरे हमेशा उसके अंगो के कटाव और उभार को नजरो से ही टटोलती रहती हैं।
कभी कभी तो उसने अपनी बड़ी बड़ी गांड पर हथेली को महसूस की है बस मे बस स्टोप पे मारकेट मे जहां मोका मिलता मदोॅ ने मौको का फायदा उठाने की पुरी कोशीश कीए । लेकीन अलका आज तक उन लोगो के मनसुबे को कभी भी पूरा नही होने दी। यहां तक की ऑफीस मे भी उसे ये सब झेलना पड़ता था। लेकीन अब वो ये सब की आदी हो चुकी थी।उसे ये सब अच्छा तो नही लगता था लेकीन कर भी क्या सकती थी। दो बच्चो का पालन पोषण और उनकी पढाइ का खचाॅ भी तो देखना था। वो जानती थी की घर मे बैठने से कुछ होने वाला नही था। घर के बाहर तो नितलना ही था। ईसलिए अब वो खुद ईन सब बातो पर ध्यान नही देती थी।

एक तरफ सिर को कंधे पर थोड़ा सा झुकाकर बालो मे कंघी करते समय राहुल की मा की बड़ी बड़ी चुचीया ब्लाउज मे हील रही थी । राहुल की मां की बड़ी बड़ी चूचीया जब हीलती तो एसा लगरहा था की मानो अभी ये दोनो चूचीया ब्लाउज के बटन तोड़कर बाहर आ जाएेगें। वैसे भी कमरे कोई था नही राहुल स्कुल गया था और सोनु दूसरे कमरे मे बैठकर होमवकॅ कर रहा था। ईसलिए राहुल की मां बेफीकर होकर कमरे मे घुसते ही अपने बदन से साड़ी को खोलकर बिस्तर पर फेंक दी थी। ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे जिस्से उसकी आधे से ज्यादा चूचीया ब्लाऊज से बाहर झॉंक रही थी। बदन पे सीफॅ अधखुला ब्लाऊज और पेटीकोट ही था। चीकना सपाट पेट चरबी का नामो निशान नही। दो बच्चो की मां होने के बावजुद भी उसका कसा और गठीला बदन देखकर कोई ये नही कह सकता था की ये दो बच्चो की मां होगी।


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Re: होता है जो वो हो जाने दो

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वो जल्दी जल्दी अपने घने बालो को संवार कर ऊसमे क्लीप लगा कर व्यवस्थित कर ली। वो दो कदम बढाकर आलमारी की ओर बढ़ी । लेकीन ये दो कदम चलने मे उसकी बड़ी बड़ी गांड ने ऐसी थीरकन ली की अगर ईस समय कोई भी राहुल की मां की मटकती हुई गांड को देख लेता तो ऊसका लंड खड़े खड़े ही पानी छोड़ देता।
आलमारी को खोलकर उसमे से आसमानी रंग की साड़ी को बाहर निकालकर आलमारी को बंद कर दी। वैसे राहुल की मां के पास साड़ीयो मे ज्यादा पसंद करने जैसा कुछ खास नही था। कुल मीलाकर ५से ६ साड़ीया ही उसके पास थी ।जीसे बदल बदल कर वो पहना करती थी।लेकीन कीसी भी रंग की साड़ी मे वौ बहोत ही खुबसुरत लगती थी।
अपनी नरम नरम ऊंगलियो मे साड़ी की कीनारी को फसाकर वो अपनी कमर मे लपेटने लगी। राहुल की मां को साड़ी पहनते हुए भी देखने मे भी अपना एक अलग ही मजा है। लेकीन ये सदभाग्य अब तक सीफॅ राहुल के पापा को ही नसीब हो पाया था।

साड़ी को बड़े सलीके से पहन कर राहुल की मां तैयार हो चुकी थी। आसमानी रंग की साड़ी मे राहुल की मां का गोरा रंग और ज्यादा फब रहा था। आईने मे अपना चेहरा देखकर मुस्कुरा दी। बिस्तर पर पड़े अपने पसॅ को उठाकर जैसे ही दरवाजे पर पहुंची उसे कुछ याद आ गया। ओर वो झट स अपने पसॅ को बिस्तर पर रख के अपने ब्लाऊज की तरफ देखी तो चौंक गई ।लेकीन अपनी ईस गलती पर मुस्कुराते हुए वो अपने ब्लाऊज के बटन को बंद करने लगी।जिसे उसने कमरे मे आते ही ऊपर के दो बटन को खोल दी थी। ओर बटन खुले होने की वजह से आधी चूची बाहर छलक रही थी।
एक बार फीर से अपने कपड़ो पर नजर मार के अपने कमरे से बाहर आ गई।


मम्मी:सोनु बेटा मै ऑफीस जा रही हुं । खाना खा लेना और टाईम से स्कुल चले जाना ।शरारत मत करना।
(सोनु अपने कमरे मे पढ़ाई कर रहा था उसकी मम्मी कमरे के बाहर से ही सोनु को हीदायते दे रही थी। ये रोज का ही था । उसकी मम्मी ऑफीस जानेे से पहले रोज सोनु को ईतनी बाते जरुर समझा के जाती थी।
सोनु भी रोज की तरह कमरे मे से ठीक है मम्मी कह के फीर से पढ़ाई करने लग जाता था। उसकी मम्मी भी पूरी तरह से ईत्मीनान कर लेने को बाद रोज की तरह ऑफीस चली गई।
राहुल की मम्मी को भी अगले चौराहे से ही ऑटो पकड़ के ऑफीस जाना था । उसे भी चौराहे तक हमेशा पैदल ही जाना पड़ता था। रोज की तरह आज भी सड़क से गुजरने वाले लोग की खुबसुरती और उसका गदराया बदन देखकर आंहे भर रहे थे।उसकी बड़ी बड़ी मटकती हुई गांड देखकर तो न जाने कीतने लोग अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही मसलने लग जाते थे।
चौराहे पर पहुंच कर वौ ऑटो का ईन्तजार करने लगी की पीछे से एक बुजगॅ टकरा गया । और माफ करना बेटी कहकर चला गया। उसके जी मे तो आ रहा था की उसे जोर से थप्पड़ लगा दे।क्योकी उसने टकराते समय उसकी गांड पर चुटकी काट लिया था। लेकीन वो बात को बिगाड़ना नही चाहती थी। ईसलिए कुछ बोली नही।
कुछ ही देर मे ऑटो आ गई और वो उसमे बेठकर अपनी ऑफीस चली गई।
ऑफीस मे पहुंचते ही सबसे पहले शमॉ जी ने राहुल की मां को गुड मानिॅग कहा।

शमॉ जी; गुड मानिॅंग अलका जी ।(राहुल की मां औपचारीकता वश रुक गई। और वो भी मुस्कुरा के बोली)

राहुल की मां; गुड मानिॅंग शमॉ जी।
(राहुल की मां का जवाब सुनते ही शमॉ ने तुरन्त बोल दीया।)
शमॉ जी; आज बहुत खूबसूरत लग रही हो।
(शमॉ जी की बात को अनसुना करके आगे बढ़ी ही थी की।)

शमॉ जी: अरे सुनिए तो। अरे सुन लो ना।
(ईस बार रुक कर पीछे मुड़कर बोली)

राहुल की मां: क्या है?(गुस्से से बोली)

शमॉ जी: (गंदी हंसी चेहरे पर लाते हुए)अरे सुन तो लीजीए मेडम जी। सच मे आप बहोत खुबसुरत लग रही हो।

राहुल की मां गुस्से से आंख तरॉते हुए) मुझे आपकी कोई बात नही सुन्ना।
(और ईतना कह के अपनी केबीन की तरफ चल दी।)

(साली मस्त माल है ईसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है।काश ईसकी बुर को चोद पाता। शमॉ जी हांथ मलते हुए अपनी केबीन की तरफ चल दीया।
शमॉ जी बड़े रंगीन मिजाज के थे पचास के करीब होने को आ गए हैं लेकीन औरतो को देखकर लार टपकाना आज तक नही छोड़े। जब से ऑफीस मे राहुल की मां आई है उस दीन से शमॉ जी उसके लार टपकाए पीछे पडे़ है। लेकीन आज तक यहां ईनकी दाल नही गली।
बस आहें भरकर रह जाते थे।
ऑफीस मे शमॉ जी जेसे और भी कई लोग थे ।
लेकीन राहुल की मां रोज उनकी गंदी नजरो को और उनके द्बारा कसी गई गंदी फब्तीयो को सुनकर भी अनसुना कर देना उसका रोज का काम हो गया था।
राहुल की मां अपने काम को बखुबी बेहद ईमानदारी से करती थी। क्योकी उसे बड़ी मुस्कील समय मे ये जॉब मीली थी । ओर वो इस जॉब को खोना नही चाहती थी।
ईसलिए अपनी केबीन मे एक बार घुसने के बाद सारा काम खत्म करने के बाद ही घर जाने के समय ही बाहर नीकलती थी।

वहां दुसरी तरफ स्कुल मे रीशेष का समय हो गया था।
कुछ ही देर मे रीशेष की घंटी भी बज गई। सब लोग क्लास से बाहर निकल गए। केवल क्लास मे राहुल और वीनीत ही रह गए। ये दोनो अक्सर रीशेष के समय क्लास मे ही रहकर ईधर उधर की बाते कीया करते थे:-) आज भी दोनो क्लास मे गप लड़ा रहे थे की तभी धपाक से क्लास का दरवाजा खुला और उन्ही के क्लास की एक लड़की ने प्बृेश की। और दरवाजे को बंद कर दी।राहुल को तो कुछ समझ मे नही आया लेकीन उसको देखकर वीनीत मुस्कुरा दिया।

वीनीत; आओ नीलु आज बहोत दीनो बाद दीख रही हो।कहां चली गई थी?
(ये उनकी ही सहपाठी थी ।जिसका नाम नीलु था।वीनीत और नीलु की आपस मे दोस्ती थी। राहुल ईसे जानता जरुर था लेकीन कभी बात नही कीया था। वैसे भी राहुल लड़कीयो से शरमाता बहोत था। उनसे न बात ही कभी कीया और न ही कभी दोस्ती कीया। यहां पर भी नीलु की उपस्थिति मे राहुल अपने आप को सहज नही कर पा रहा था। वो शरमाकर अपनी नजरे इधर उधर फेर ले रहा था। वीनीत के सवाल का जवाब देते हुए नीलु बोली।)

नीलु:क्या करु मेरी तबीयत ही कुछ दीनो से खराब चल रही थी जिस्से मे स्कुल नही आ पा रही थी।कल से बिल्कुल आराम हो गया तो आज आई हुं। (नीलु आगे वाली बेन्च पर बैठते हुए बोली। राहुल उसे बैठते हुए देख रहा था लेकीन जेसे ही राहुल पर नीलु की की नजर पड़ी तुरन्त राहुल ने अपनी नजर घुमा लीया। नीलु को देखते वीनीत के जांघो के बीच सरसराहट होना शुरु हो गया था।

वीनीत:कुछ काम था क्या?

नीलु: हां मुझे कुछ नोट्स चाहीए था। चार पांच चेप्टर मे पीछे हो गई हुं। ( ईतना कहते हुए नीलु बेन्च पर थोड़ा सा ओर झुक गई ताकी उसकी चुचीयो को बीच की लाईन ओर अच्क्षे से दीखके क्योकी वो वीनीत की नजरो को भांप गई थी। वीनीत उसकी छातीयो पर ही नजर गड़ाए हुए था।)दोगे न मुझे अपनी नोट्स। (नीलु के एक बार फीर से कहने पर जेसे वीनीत नींद से जागा हो ईस तरह से हकलाने लगा।

वीनीत:हहहहहहह हां हांं क् कक्यो नहीं दुंगा। जरुर दुंगा। तुम्हे केसे ईन्कार कर सकता हुं। आखिरकार तुम्ही तो मेरी (राहुल की तरफ देखते हुए)सबसे अच्छी दोस्त हो। । (नीलु भी राहुल की तरफ देखने लगी। अपनी तरफ नीलु को देखता हुआ पाकर राहुल शमॉकर नीचे नजरे झुका लिया। और नीलु ने ईसारे मे ही राहुल के बारे मे पुछी।)

वीनीत : ये।। ये तो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। राहुल।

(राहुल का परीचय जान्ने के बाद राहुल की तरफ हांथ बढा़ते हुए नीलु बोली।)

नीलु:हाय राहुल।
(यूं अपनी तरफ हांथ बढ़ा हुआ देखकर राहुल की तो हालत खराब हो गई।कीसी लड़की ने पहली बार उसकी तरफ दोस्ती का हांथ बढा़ई थी । राहुल का तो गला सुखने लगा। वो क्या करे ओर क्या न करे उसे कुछ समझ मे नही आ रहा था। वीनीत समझ गया की राहुल शमॉ रहा हे।राहुल की मनोस्थिती को भांप कर वीनीत बोल पड़ा।)

वीनीत:क्या यार राहुल ये लड़की होकर नही शमॉ रही हे और तु हे की लड़का होकर ईतना शमॉ रहा है। चल हाथ मिला।(ईतना कहते हुए वीनीत खुद राहुल का हांथ पकड़ के नीलु के हांथ मे थमाते हुए ) ईतना शमॉएगा तो केसे काम चलेगा।
नीलु खुद ही राहुल का हांथ अपने हांथ मे ली और राहुल की हथेली को अपनी हथेली मे कस के दबाते हुए गमॅजॉसी के साथ बोली।

नीलु:नाईस टु मीट यू राहुल।
(जवाब मे राहुल भी हकलाते हुए बोला।)

राहुल: मममममममम मुझे भी तततततुमसे मीलकर बबबबबहोत अच्छा लगा।
(राहुल को यूं घबराकर जवाब देता हुआ देखकर दोनो की हंसी छुट गई। राहुल अपने व्यवहार से बहोत शमॅिंदा हुआ। वीनीत उसका बीच बचाव करता हुआ बोला।)

वीनीत; ये लड़कीयो से बहोत शमॉता हे। ये शुरु से शमॅीला हे।ईसलिए थोड़ा घबरा गया। बाकी तो ये मेरा हीरा है। राहुल अभी भी अपनी नजरे नीचे कीए हुए था।ईतने नीलु बोल पड़ी।)

नीलु:तुम्हारा दोस्त वो भी शमॅीला ओर सीधा । हो ही नही सकता। जहां तक मे तुम्हारे सभी दोस्तो को जानती हुं सबके सब तुम्हारी ही तरह फ्लटॅी कीस्म के और हमेशा लड़कीयो के पीछे लार टपकाए घूमते रहते है।(ईतना कहते हूए नीलु अपने शटॅ के ऊपरी बटन को अंगुठे से ईधर उधर घुमाते हुए नीचे करने लगी। जिस्से चुचीयो के बीच की लकीर और उभर के सामने दीखने लगी। वीनीत की नजर नीलु की चुचीयो पर ही टीकी हुई थी।और नीलु के ईस तरह से अपनी शर्ट मे ऊंगली से थोड़ा सा सरकाने से वीनीत का लंड टनटना के खड़ा हो गया। ओर वानीत का मुंह खुला का खुला ही रह गया। राहुल नजर बचा कर नीलु की तरफ देख ले रहा था। नीलु की गोलाईयो के बीच की वो जानलेवा लकीर राहुल की नजर मे भी आ गई थी। उसके जांघो के बीच मे भी तनाव आना शुरु हो गया था। राहुल की तो ईतने मे ही सॉंसे तेज होने लगी थी। राहुल के पेन्ट मे तम्बु बनना शुरु हो गया था। राहुल की नजर कभी नीलु की चुचीयो पर तो कभी अपने पेन्ट मे बन रहे तम्बु पर जा रही थी। नीलु की नजर राहुल के पेन्ट के बढ़ रही उभार पर ही थी। जिसे देखकरत मुस्कुराते हुए बोली।

नीलु:यही हैं तुम्हारे सीधे दोस्त जो अपना खड़ा करके मुझे घुरे जा रहे हैं।
(नीलु की बात सुनते ही वीनीत की नजर राहुल के पेन्ट पर गई तो सच मे उसके पेन्ट मे बने हुए तम्बु को देखकर मुस्कुरा दीया ओर वीनीत कुछ बोलता इस्से पहले ही शर्मिंदा होकर अपने पेन्ट मे बने तंबु को छीपाने के लिए झट से बेंच पर बैठ गया।)
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

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वीनीत: सच मे नीलु ये बहोत ही सीधा हे।
नीलु: हां तभी मुझे देखकर इनका वो खड़ा हो गया था।
(नीलु की बात सुनते ही राहुल का सिर शर्म से झुक गया।उसका हाल काटो तो खुन नही। वो क्या उसकी जगह कोई भी होता तो उसका भी खड़ा हो जाता। )
(वीनीत राहुल का साथ देते हुए बोला)

वीनीत: अरे यार अब तुम ईस तरह से (बेंच पर झुकी हुई नीलु की चुची को शर्ट के उपर से ही दबाते हुए )अपनी बड़ी बड़ी चुचीया दीखाओगी तो कीसीका भी लंड खड़ा हो जाएगा। (जोर से चुची दबाने की वजह से नीलु की आहहहहह निकल गई।)

नीलु: आआहहहहह क्या कर रहे हो। दुखता है।
(नीलु की आहहह ओर उसकी बात सुनकर राहुल नीलु की तरफ देखने से अपने आप को रोक नही सका। ओर नीलु की तरफ नजर पड़ते राहुल के बदन मे सनसनी फेल गई।उसका रोम रोम झनझना गया। क्योकी वीनीत का हांथ अभी भी नीलु की चुची पर थी ओर उसे दबा भी रहा था। नीलु को राहुल की मौजुदगी जरा भी नही खल रही थी। राहुल के होने से नीलु को जरा भी फर्क नही पड़ रहा था। राहुल दोनो हाथ से नीलु की चुचीयो को दबाते हुए राहुल की तरफ देखते हुए बोला।)

वीनीत; देखेगा नीलु की चुचीयो को। बोल देखेगा ना।
(राहुल क्या बोलता उसकी तो बोलती ही बंद हो गई थी।राहुल से कुछ जवाब नही मिला तो खुद ही बोला।)
देखेगा देखेगा। तुम दीखाओ।
(नीलु तो जैसे खुद ही दीखाने के लिए तड़प रही हो ईस तरह से तुरन्त अपने शर्ट के बटन को खोलने के लिए अपने हांथ को शर्ट के उपरी बटन पर ले गई।राहुल की नजर भी नीलु की छातीयो पर जम गई थी । लेकीन जेसे ही वो शर्ट का पहला बटन खोली ही थी की। रीशेष पुरी होने की घंटी बज गई।नीलु झट से अपने शर्ट का बटन बंद करते हुए बोली अब बाद मे नही तो कोई आ जाएगा तो सब गड़बड़ हो जाएगा। ईतना कह के वो तुरंत दरवाजा खोलके चली गइ। वीनीत औक राहुल दोनो उसको गांड मटका के जाते हुए देखते रह गए।
नीलु जा चुकी थी …लेकीन जाते जाते राहुल के बदन मे और जाँघो के बीच हलचल मचा दी थी। वीनीत तो पहले से ही खेला खाया हुआ था। लेकीन अभी जो क्लास मे हुआ ये राहुल के लिएे अलग और बिल्कुल ही नया अनुभव था।
वीनीत के पेन्ट मे अभी भी तम्बु बना हुआ था। राहुल खुद अपनी जाँघो के बीच ऊठे हुए भाग को देखकर हैरान था ।उसे खुद समझ मे नही आ रहा था की ऐसा क्यों हो रहा था। वैसे सुबह मे उठने पर अक्सर उसके पजामे का आगे वाला भाग ऊठा हुआ ही मिलता था। लेकीन उसने कभी ज्यादा बिचार नही कीया । उसे यही लगता था की पेशाब लगने की वजह से ऐैसा होता हे।
और इस समय भी ऊसे यही लग रहा था की पेशाब की वजह से ही ये उठा हुआ है। लेकीन उसे ईस बात से भी हैरानी हो रही थी की उसे इस समय तो पेशाब बिल्कुल नही लगा था। तो ऐैसा क्यों हो रहा है। राहुल की साँसे अभी भी भारी चल रही थी। राहुल नीलु के बारे मे वीनीत से कुछ पुछ पाता ईस्से पहले ही क्लास रुम मे विद्घार्थी आना शुरु हो गए और राहुल ईस बारे मे वीनीत से कुछ पुछ नही पाया।
रीशेष के बाद राहुल का मन पढाई मे बिल्कुल भी नही लग रहा था। बार बार ऊसकी आँखो के सामने नीलु का चेहरा आ जा रहा था। और जब जब नीलु का ख्याल आता ऊसकी पेन्ट मे तम्बु बनना शुरु हो जाता।
बार बार वो चाह रहा था की वीनीत से कुछ पुछे लेकीन अपने शर्मीले स्वभाव के कारण और कुछ मन मे डर की वजह से भी कुछ पुछ नही सका।
वीनीत बार बार राहुल से पुछ भी रहा था की ऊसे हुआ क्या है… ईतना शान्त क्यो है? लेकीन वो था की बार बार बात को घुमा दे रहा था। यू ही कश्मकश मे छुट्टी की घंटी भी बज गई।
वीनीत अपनी बाईक को पार्कींग से निकाल रहा था। राहुल वहीं खड़ा था। जेसे ही वीनीत पार्कींग से बाईक को बाहर निकाला वैसे ही नीलु अपनी कुछ सहेलियो के साथ वहाँ आ गई। नीलु और उसकी सहेलियो को देखते ही राहुल की हालत खराब होने लगी। वीनीत बाइक को स्टार्ट कीए बिना ही मैन सड़क तक ले आया। तभी नीलु वीनीत के पास गई और बोली।

नीलु: वीनीत मुझे अपनी नोट्स तो दो। तुम तो नोट्स
दीए बिना ही चलते बने।
(नीलु की बात को सुनते ही जेसे उसे कुछ याद आया हो इस तरह से बोला।)

वीनीत : वोह गॉड एम रीयली वेरी वेरी सॉरी। मुझे याद ही नही रहा।(ईतना कहते ही अपने आगे रखी बेग को खोलने लगा। राहुल बड़े गौर से नीलु को ही देख रहा था। ईतने मे नीलु की सहेली बोल पड़ी।)

नीलु की सहेली: कभी कभार हमारी तरफ भी ध्यान दे दीया करो वीनीत। हम लोगो का भी नोट्स बाकी है।(बाकी की सहेलीयो ने भी उसके सुर मे सुर मिलाई।)

वीनीत: हाँ हाँ क्यों नही मुझे अपने घर या मेरे घर पर आ जाया करो (बेग से नोट्स नीकालकर नीलु को थमाते हुए।) सबके नोट्स मैं खुद ही पुरा कर दुंगा। (नीलु झट से वीनीत के हाँथ से नोट्स को थाम ली। नोट्स को थामने मे नीलु ने अपने मखमली ऊँगलियो का स्पर्श वीनीत के हाँथ पर कर दी जिस्से वीनीत मुस्कुरा दीया। और राहुल ने भी नीलु की इस हरकत को देख लिया ।नीलु की सहेली वीनीत की बात सुनकर बोली।)

नीलु की सहेली: अरे यार हमारी ऐैसी कीस्मत कहाँ की तुम हमारी खिदमत करो।।

वीनीत: एक बार मौका तो देकर देखो ऐसी खिदमत करुंगा की सारी जिंदगी याद करोगी की कोई खिदमत गार मिला था।

नीलु ; बस बस अब रहने दो ईन लोगो की खिदमत करने को। बस तुम जहाँ ध्यान देते हो वहीं ध्यान दो।(ईतना कहने के साथ ही नीलु अपनी छातियो को थोड़ा सा बाहर की तरफ नीकालकर वीनीत को दीखाने लगी। वीनीत भी नीलु की छातियो को खा जाने वाली नजरो से घुरने लगा। राहुल ईन लोगो की बातो का असली मतलब नही समझ पा रहा था। वीनीत नीलु की छातीयो को घुरता हुआ बाईक स्टार्ट करते हुए बोला।

वीनीत: चल रे राहुल आज तो संतरे खाने की इच्छा हो रही है। (ईतना कहते ही बाईक स्टार्ट हो गई।राहुल झट से बाईक पर बैठ गया और वीनीत नीलु को आँख मारते हुए एक्सीलेटर देते हुए आगे बढ़ने लगा । ओर पीछे से नीलु की सहेलीयो की आवाज आई।)

नीलु की सहेलीयाँ; बडे़ बड़े संतरो का स्वाद लेना हो तो हमे जरुर याद करना।

वीनीत;(दूर जाते हुए) जरुर याद करुंगा।।

वीनीत नीलु और उसकी सहेलीयाँ द्बीअर्थी भाषा मे बाते कर रहे थे । जो की राहुल के बिल्कुल भी समझ मे नही आ रहा था।

वीनीत: क्या हुआ यार आज तु ईतना शांत क्यो है? तबीयत तो ठीक हे न तेरी।
(वीनीत बाइक को आराम से चलाते हुए राहुल से पुछ रहा था। )

राहुल: हाँ यार ठीक हुँ । कुछ नही हुआ है मुझे।

वीनीत: तो ईतना शांत क्यो है। बता तो सही हुआ क्या है। (वीनीत बार बार राहुल से पुछ रहा था लेकीन राहुल था की कुछ बता नही रहा था। और बताता भी कैसे उसने आज तक कभी भी ऐसी बाते न सोचा था और न ही कीसी से एसी बाते कीया था। फीर भी वीनीत को राहुल का ईस तरह से व्यवहार का कारण समझ मे आ गया। वो झट से बोला।)

वीनीत: अच्छा अब समझ मे आया । तु नीलु के बारे मे सोच रहा है न। सच सच बताना मुझसे झुठ मत बोलना। बता यही सोच रहा है ना।
(राहुल वानीत के सवाल का जवाब नही दीया। उसे शरम आ रही थी। वो भी नीलु के बारे मे ही बात करना चाहता था लेकीन केसे करे कुछ समझ मे नही आ रहा था। ईस परीस्थिती का भी हल वीनीत ने ही कर दीया। वो बोला।)

वीनीत: देख भाई मे तेरा दोस्त हुँ । तेरे मन मे जो भी हे बिंदास बोल डाल। मे जानता हुँ तु जिसके बारे मे सोच रहा है। लेकीन शर्मा रहा हे ना। और यार मुझसे केसी शर्म । एसी बाते मुझसे नही कहेगा तो कीससे कहेगा। चल अब जल्दी से सब बोल डाल। नीलु की वजह से परेशान हे ना। बोल ।
(वीनीत के लाख समझाने पर राहुल बोला।)

राहुल: हाँ।

वीनीत: ये हुई न बात।(राहुल का जवाब सुन कर खुश होता हुआ बोला।) अब तेरे मन मे जो भी हे सब बोल डाल।अच्छा रुक पहले कुछ खा लेते हे। वहीं बैठकर बात करेंगे। (वीनीत अपनी बाईक को एक छोटे से रेस्टोरेंट के आगे खड़ी कर दीया।
कभी कभार वीनीत और राहुल यहाँ नास्ता करने आया करते थे। और वीनीत ही पैसे चुकाया करता था। क्योकी वो राहुल की स्थीति से वाकीफ था। वीनीत और राहुल दोनो पेड़ के नीचे रखी कुर्सी पर बैठ गए।
आज यहाँ बहुत ही कम भीड़ दीख रही थी।
दोनो के बैठते ही एक।वेईटर ऑर्डर लेने आ गया। हमेशा की तरह ही वीनीत ने ऑर्डर दे दीया। वेइटर ऑर्डर लेकर चला गया।

वीनीत: अब कुछ बताएगा भी या यूं ही बुत बनकर बैठा रहेगा।
राहुल: (नजरे ईधर उधर घुमाते हुए) क्या बताऊ यार कुछ समझ मे नही आ रहा है।

वीनीत: ईसमे ईतना सोचने वाली क्या बात हे जो मन मे हे बोल डाल। नीलु ने परेशान कर रखा हे न तुझे। बोल यही बात हे न।
राहुल हाँ मे सिर हीलाते हुए) लड़कीयाँ ईस तरह की भी होती हैं मुझे यकीन नही हो रहा है।

वीनीत: कीस तरह की मतलब?
(वीनीत राहुल का मतलब समझ गया था लेकीन आज वो ये देखना चाहता था की शर्मीला राहुल केसे और क्या बोलता हे।)


राहुल: अरे तू देखा नहीं किस तरह से अपनी छातियों को ऊभार कर अपना वो दिखा रही थी।

वीनीत; अपना वो मतलब।
राहुल; अपना वो यार। मतलब अपना वही जो दिखा रही थी।( राहुल शर्माते हुए बोला)

वीनीत; तू ठीक से बता भी नहीं रहा है।

राहुल; अरे यार वही जो तू दबा रहा था।( राहुल झट से शर्माते हुए बोला)

वीनीत; अच्छा उसकी चुची।( कह कर हंसने लगा)

राहुल: देख देख कितना बेशर्मों की तरह बता भी रहा है

( इतने में वेइटर समोसा और चाय लेकर आ गया।)

वीनीत; अच्छा चल पहले नाश्ता करले । ( समोसे को उठाकर उसको बीच से तोड़ते हुए) वैसे एक बात कहूं
तू भी कोई सीधा नहीं है। पता है ना नीलू की चुची देखकर तेरा भी खड़ा हो गया था। ( इतना कहते हुए समोसे का टुकड़ा मुंह में डाल लिया। विनीत कि इस बात पर राहुल हक्का-बक्का रह गया क्योंकि विनीत भी सच ही कह रहा था। विनीत की बात सुनकर राहुल का चेहरा फीका पड़ गया। राहुल के पास विनीत की बात का कोई जवाब नहीं था। क्योंकि सच में नीलू की चुचीयो को देखकर राहुल का भी खड़ा हो गया था।
चाय की चुस्की लेते हुए विनीत बोला)

वीनीत: चल कोई बात नहीं यह सब तो नॉर्मल है। तू चाय पी और समोसे खा। लड़कियों को देख कर लड़कों का नहीं खड़ा होगा तो किसका खड़ा होगा। ( इतना कहते हुए फिर से समोसे का टुकड़ा मुंह में डाला।)
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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

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राहुल: ( समोसे को तोड़ते हुए) एक बात पूछूं।

वीनीत; ( चाय की चुस्की लेते हुए) पूछना।

राहुल समोसे का टुकड़ा मुंह में डालते हुए) क्या नीलु सच में गंदी लड़की है?

वीनीत; नहीं यार ऐसा नहीं है तुझे इन सब में इंटरेस्ट नहीं है इसके लिए तुझे ऐसा लगता है। वह बहुत अच्छी लड़की है।

राहुल: हां तभी वो तुझसे अपना वो दबवा रही थी।


वीनीत हंसते हुए) तू भी दबा ले। वैसे एक बात कहूं बहुत मजा आता है दबाने मे। एकदम नरम नरम रुई की तरह जी करता हे की खा जाऊँ।
(वीनीत की बात सुनकर राहुल के टांगों के बीच झुनझुनाहट होने लगी उसकी आंखों के सामने फिर से नीलू की चुची दिखाई देने लगी।) देख तुझे बता रहा हूं किसी और को बताना मत । मैंने तो नीलू की चुचीयो को मुँह मे भरकर चुसा भी हुँ।
( इतना सुनते ही राहुल के जांघो के बीच का हथियार मुँह उठाने लगा। लेकीन ये बात उसे अभी भी समझ मे नही आ रही थी। की ऐैसा क्यों हो रहा था। चाय की चुस्की लेते हुए)

राहुल: कितनी गंदी बातें कर रहा है तु।

वीनीत: ये गंदी बातो नही हे। ईसी मे तो असली मजा है। जब तु ऐैसा करेगा न तब तुझे पता चलेगा की ईस मे कितना मजा आता है। और हां तो तू अभी उसकी चुचीयो को भी नंगी नहीं देख पाया है। तब तेरा यह हाल है। तू ही सोच जो तू अगर उसे पूरी तरह से एकदम नंगी देखेगा तो तेरा क्या हाल होगा।
मैंने तो उसे एकदम पूरी तरह से नंगी देखा हूं। बिना कपड़ों के क्या लगती है यार। तू देखेगा तो पागल हो जाएगा। उसकी नंगी बुर उउफफफ। देखते ही लंड खड़ा हो जाता है।
( विनीत की बात सुनते ही राहुल की हालत खराब होने लगी उसका लंड टनटना के खड़ा हो गया। उसकी साँसे तेज होने लगी। वीनीत की बातो मैं राहुल को मजा आने लगा।। लेकिन उसको वीनीत की बातों हो रहा था वह विनीत से बोला।)

राहुल: चल अब रहने दे। ज्यादा फेक मत। बेवकूफ बनाता है। तु कब देख लिया।


वीनीत; हां यार सच कह रहा हूं तुझे विश्वास होता है की नही ये तो मैं नहीं जानता। लेकिन जो कह रहा हूं बिल्कुल सच है। ( राहुल के पेंट में तंबू बन चुका था और वह बार बार नीचे हाथ ले जाकर अपने तंबू को एडजस्ट कर रहा था।)

राहुल; अच्छा यह बता तू कैसे देख लिया।
( इन सब बातों से विनीत का खुद का लंड खड़ा हो चुका था और वह भी बार बार अपने हाथ से अपने लंड को एडजस्ट कर रहा था।)

वीनीत; देख आज मै तुझे सब सच सच बताता हुँ। नीलू मेरी गर्लफ्रेंड जैसी है। और और। नीलू के साथ मेरा सब कुछ हो चुका है।

राहुल; सब कुछ मतलब।
वीनीत; सब कुछ मतलब वही जो एक लड़का और लड़की के बीच होता है। मतलब यही कि नीलू मुझसे चुदवा चकी है।
( यह सुनते ही राहुल हक्का बक्का रह गया। राहुल को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वीनीत जो कह रहा था वो सच है। उसका मुंह खुला का खुला रह गया और लंड एकदम सें अकड़ गया। उसकी आँखो के सामने तुरंत नीलू का चेहरा तैरने लगा।वीनीत के मुँह से बुर चुची और चुदाई शब्द सुनकर पुरा बदन गनगना गया था। यह सब बातें। उसने पहले ना किसी से कही थी और ना ही सुनी थी क्योंकि यह सब बातों में उसे पहले से रुचि नहीं रखता था लेकिन आज हालात ही कुछ इस तरह से हो गए थे कि उसे यह सब बातें करनी पड़ रही थी। राहुल विनीत की तरफ देखा तो वह बहुत खुश हो कर बता रहा था हां उसे इस बात की कोई भी शर्मिंदगी नहीं हो रही थी।


राहुल; यह सब मतलब। हुआ कैसे।
( राहुल की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। राहुल के सवालों का जवाब देते हुए विनीत बोला।)

वीनीत: यार वो मेरे घर नोट्स लेने ही हीं आई थी। और जब मैं दरवाजा खोला उस समय में टावल लपेटा हुआ था। दरवाजे पर नीलूं को देखते हैं मैं हड़बड़ा गया और मेरी टावल छूट कर नीचे गिर गई। मुझे क्या पता था कि दरवाजे पर नीलूं है। मैंने तो उस समय टावल के नीचे और कुछ पहना भी नहीं था। नीलू की नज़र सीधे मेरी जानू के बीच लटक रहे हथीयार पर पड़ी। और नीलू मेरे लंड को देख कर भौंचक्की रह गई। मैं इससे पहले कि नीचे गिरी टॉवल उठाता नीलू अंदर आकर दरवाजे को लॉक कर दि। और तुरंत मेरे टनटनाए लंड को अपने हाथ में ले ली। और ऐसे हालात में जो होता है हम दोनों के बीच वही हुआ। तब से हम दोनों जब भी मौका मिलता है यह सब करने से बिल्कुल नहीं चूकते। और हां यह जो अभी नोट्स मांग के गई येउसका इशारा था ।
अगली चुदाई के लिए। यह नोट्स मांगना उसका कोड वर्ड हे। जब भी उसका मन करता है करवाने का वह मुझे कोड वर्ड बोल कर इशारा कर देती है और मैं समझ जाता हूं।
( विनीत की बात सुनकर राहुल एक दम गन गना गया।)
राहुल; इसका मतलब अब तु फिर से।

वीनीत; हाँ तो ऐसा मौका भला कोई छोड़ता है।
अच्छा अब बहुत समय हो गया है। हमें चलना चाहिए।
( राहुल वीनीत से बहुत कुछ जानना चाहता था। लेकिन विनीत के कहने पर उसे उठना ही पड़ा। विनीत काउंटर पर जाकर बिल पे किया। राहुल पहले से ही बाइक के पास जाकर खड़ा हो गया था। विनीत काउंटर पर से वापस लौटा तो उसकी नजर सीधे राहुल के पेंट के आगे वाले भाग पर गई। य देखकर वीनीत हँसने लगा। विनीत को हंसता हुआ देखकर राहुल बोला।

राहुल; क्या हुआ ऐसे क्यों हंस रहा है।

वीनीत: तेरे लंड महाराज को देख कैसे खड़ा हो गया। ( बाइक पर बैठते हुए) लगता है तेरा भी सेटिंग नीलू के साथ करना पड़ेगा। अब बैठ बाईक मिली हैं तो क्यों ना आज कहीं घूम लिया जाए।

राहुल बाइक पर बैठते हुए) तेरी मर्जी चल जहां चलना
हो।

( विनीत भी घर जाने की वजाय गाड़ी को दूसरी तरफ घुमा लिया। अक्सर जब ईन लोगों के पास बाइक होती है तो दिन भर यहां-वहां घूमते रहते हैं। सारा दिन सैर-सपाटा करते करते कब शाम हो गई पता ही नहीं चला शाम ढलने वाली थी। और अंधेरा छाने लगा था तब राहुल बोला अब हमें घर चलना चाहिए। विनीत भी गाड़ी को घर की तरफ मुड़ा लीया। और उसे उसी चौराहे पर छोड़ कर अपने घर की तरफ चल दिया।
राहुल घर पहुंचा तो काफी समय हो चुका था। राहुल का छोटा भाई सोनू पढ़ाई कर रहा था। वो सोनु से बिना कुछ बोले ही कीचन की तरफ चल दीया। जेसे ही राहुल कीचन मे पाँव रखा ही थी की राहुल की मां की आवाज आई।

राहुल की माँ: आज बहुत देर लगा दी बेटा।

राहुल: मम्मी आपको कैसे पता चल जाता है कि मैं आया हूं।
( राहुल की आटा गूँथते हूए।)

राहुल की माँ; तेरी मां हूं बेटा। तेरी रग रग से वाकिफ हूं मैं तेरे कदमों की आहट को पहचानती हुँ। ( राहुल अपनी मां की बातो से खुश होकर अपनी मां से जाकर लीपट गया। और बोला।)

राहुल: ओह मम्मी तुम बहुत अच्छी हो।

राहुल की माँ: अच्छा जाकर तू हाथ मुंह धो ले तब तक में खाना तैयार कर देतीे हुँ।
( राहुल अपनी मां से अलग होता हुआ बोला।)

राहुल: ठीक है मम्मी।( इतना कहकर राहुल रसोई घर से बाहर आ गया।)

( राहुल की मां सुबह वाली साड़ी पहनी हुई थी जब वह आटे को गुंथ रही थी। तब उसके हाथ के साथ-साथ की बड़ी बड़ी गांड भी थीरक रही थी। जिसे देख कर किसी का भी लंड तंग टनटना कर खड़ा हो जाए। राहुल की मां को किचन में काम करते हुए भी देखने मे भी अपना एक अलग मजा था। उसके बदन की मांसल बनावट ही ऐैसी थी की जब वो काम करती थी तब उसके बदन का कटाव मरोड देख देख कर ही लंड से पानी चूना शुरू हो जाए।
राहुल दिनभर घूमकर क्लास वाली बात को भूल चुका था के मन से सारी बातें मिट चुकी थी। इसीलिए तो वो हाँथ पाँव धोकर सीधे पढ़ने बैठ गया।
कुछ देर बाद खाना तैयार हो चुका था और उसकी मम्मी खाना लगा कर सोनू और राहुल को आवाज लगाई वे दोनों भी किताबें छोड़कर सीधे अपनी मम्मी के पास पहुंच गए। जहां पर वह खाना लगा कर बैठी थी। तीनो वहीं बैठ कर खाना खाए और खाना खाने के बाद राहुल की मम्मी बर्तन साफ करने लगी और वह दोनों भी जब तक उसकी मम्मी नहीं आई तब तक पढ़ते रहे।
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