होता है जो वो हो जाने दो complete

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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

कैसी गलती आंटी जी मैं आपसे प्यार करने लगा हूं आई लव यू( वीनीत ने बिना एक पल गंवाए एक सांस में ही सब कुछ बोल दिया। उसकीे बात सुनकर अलका एकदम से स्तब्ध रह गई उसे इस बात पर गुस्सा करें कि ना करें कुछ समझ नहीं पा रहीे थी। वह मन में बहुत कुछ सोचने लगी। मेरे बेटे का हम उम्र होकर मुझे से कैसी बातें कर रहा है। इसे कुछ समझ हे कि नहीं, विनीत के प्रपोजल का जवाब देते हुए अलका बोली।)

तुम पागल हो क्या तुम्हें इतना समझ में भी नहीं आ रहा,
अरे अपनी उम्र देखो ओर मेरी उम्र देखो। कुछ तो ऊम्र का भी लिहाज कीया होता। तुम्हारी मां की उम्र की हुँ।
तुमको तो अपनी उम्र की कोई सुन्दर लड़की से कहना चाहीए था। मुझसे कहकर तुम्हे क्या हासिल हो जाएगा।

आंटी की कुछ हासिल करने वाला करने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता मुझे बस तुम अच्छी लगती हो आज तक मैंने तुम्हारे जैसी कोई औरत नहीं देखा, आप मुझे बहुत पसंद आई इसलिए तो मैं आपसे आई लव यू कह रहा हूं।

फिर वही आलाप जपना शुरु कर दिया तुमने। मैं कह तो रही हूं' मेरी उम्र में और तुम्हारी उम्र में बहुत फर्क है और मुझे इन सब चीजों में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है।
( अलका सड़क पर बने फुटपाथ पर चलती जा रही थी
साथ में विनीत भी अलका के कदमों से कदम मिलाकर चले जा रहा था। अलका भले ही ऊपरी मन से यह सब कह रही थी लेकिन अंदर ही अंदर विनीत की बातों को सुनकर वह प्रसन्न हुए जा रही थी। बातों ही बातों में सड़क का वह मोड आ गया जहां से अलका अपने घर की ओर चली जाती थी।। विनीत जानता था कि अलका अब अपने घर की तरफ मुड़ने वाली है। इसलिए विनीत की तड़प बढ़ती जा रही थी। उसने फिर से बोला।

( हाथ पकड़ते हुए) आंटी जी मैं सच कह रहा हूं मुझे आप से मोहब्बत होने लगी है। और रही बात उमर की तो मे उम्र को नहीं मानता। बस इतना जानता हूं कि मैं आपसे प्यार करने लगा हूं। अब मुझे आपके बिना कुछ अच्छा नहीं लगता, सोते जगते हर पल हर घड़ी आपकी याद मुझे सताती रहती है। मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगा आई लव यू ,आई लव यू
( अलका फिर से उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दी और उसके सवाल का जवाब दिए बिना ही हंसते हुए फिर से मुख्य सड़क से नीचे उतर कर अपने घर की तरफ जाने लगी। विनीत वही खड़ा उसे देखता रह गया, वीनीत की नजर फिर से अलका के मादक बदन पर ऊपर से नीचे तक फीरने लगी। अलका हाई हील की सेंडल पहने हुए थी जिससे चलते समय उसकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही थिरक रहे थे ' अलका की बड़ी बड़ी गांड एक बार फिर से वीनीत के लंड में सुरसुराहट पैदा कर गई थी। विनीत वही खड़ा पैंट के ऊपर से ही लंड को मसलते हुए अलका को जाते देखता रहा और तब तक देखता रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई। वीनीत को उसका काम बनता हुआ नजर आ रहा था। क्योंकि उसने जैसा सोचा था कि अलका उसको गुस्सा करेंगीे नाराज होगी डाटेंगी यह हो सकता है कि मिलना जुलना ही बंद कर दे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था बल्कि वह तो उसकी बातों को सुनकर मुस्कुरा रही थी। इसलिए तो विनीत एब एकदम आत्मविश्वास से भर चुका था। मुझे पक्का यकीन हो गया था कि बारिश की रात को जो काम उसने अधूरा छोड़ा था बहुत जल्द वह पूरा होने वाला है। कुछ ही देर में अलका भी आंखों से ओझल हो गई फीर भी वही खड़ा खड़ा उस रास्ते को देखने लगा जहां से अलका रोज आती जाती थी ' ईसके बाद विनीत भी अपने घर की तरफ चल दिया।

रसोई बनाते समय अलका बहुत खुश नजर आ रही थी वह मन ही मन में कोई गीत गुनगुना रही थी। और खुश क्यों ना हो बरसों के बाद किसी ने उसे प्रपोज किया था वरना जो भी उसकी तरफ देखता था तो बस नोचने और खसोटने जेसा ही विचार हर मर्द में आता था। अलका के हिसाब से विनीत सबसे अलग था। उसका अंदाज उसके बोलने का तरीका उसका एटीट्यूट सब कुछ अल्का को भाने लगा था।

अलका बहुत खुश थी । उसकी खुशी का पूरा असर आज रसोईघर में भी देखने को मिल रहा था क्योंकि आज से बच्चों के मन पसंद की खीर पूरी सब्जी और मालपुआ भी बना रही थी। तभी तो पढ़ाई कर रहे राहुल और सोनू दोनों को रसोई घर से आती स्वादिष्ट खुशबू इन दोनों के मुंह में पानी आ गया। राहुल और सोनू से एक पल भी रुका नहीं गया और वह दोनों रसोई घर में आ गए , रसोई घर में घुसते ही राहुल मालपुआ को चखना चाहता था लेकिन जैसे ही मालपुआ को लेने के लिए आगे बढ़ा ही था कि उसकी नज़र सीधे उसकी मां की भरावदार नितंब पे पड़ी' और उसके कदम ज्यों के त्यों वहीं रुक गए। राहुल की मम्मी मालपुआ को छानते वक्त एक पांव को घुटनों से मोड़ कर दूसरे पांव पर रखकर हल्के हल्के रगड़ रही थी। जिसकी वजह से उसके पीछे का भाग कुछ ज्यादा ही उभार लिए हुए था।
और ऊस वक्त उसने सिर्फ गाउन पहने हुए थी। जोकि उसके बदन से बराबर चिपका हुआ था इसलिए उसके अंगों का घुमाव मरोड़ और कटाव बराबर झलक रहा था। यह सब देख कर राहुल को अपनी जांघों के बीच सुरसुराहट सी महसूस होने लगी। तत्काल उसके लंड ले तनाव आना शुरु हो गया। बड़ी-बड़ी और भरावदार गांड राहुल की कमजोरी बनती जा रही थी। विनीत की भाभी की भी गांड बिल्कुल ऐसी ही भरावदार और गोल गोल थी, और तो और उसने तो दिनेश की भाभी की गांड को छुआ भी था उसकी नरमाहट को अपनी हथेली में मसल मसल कर महसूस भी किया था। उस वक्त राहुल को विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी गांड बहुत ही ज्यादा कामुक और अतुल्य लग रही थी' और उसे चोदने के बाद से उसकी नजर जब भी किसी औरत पर पढ़ते थी तो सबसे पहले उसके भरावदार गांड पर ही पड़ती थी। और वहां तो खुद दो तीन बार अपनी मां की नंगी गांड के दर्शन कर चुका था। सबसे उसके मन के कोने में की मां की भरावदार गांड के प्रति आकर्षण बना हुआ था। इसलिए तो रसोई घर में प्रवेश करते ही, उसकी नजर जैसे ही उसकी मम्मी की भरावदार गांड जो कि गाउन का लबादा ओढ़े हुए थी उस पर पड़ते ही राहुल की यादें भरावदार गांड को लेकर तरोताजा हो गई,
राहुल वहीं खड़े होकर अपनी मां के पिछवाड़े का नजरों से जायजा ले रहा था तब भी इस तरह से खड़े हो जाने पर सोनू बोला।

भैया मम्मी तो आज पकवान बना रही है आज मजा आ जाएगा खाने मे। ( सोनू की आवाज उसके कानों में पढ़ते ही जैसे कि वह नींद से जगा हो इस तरह से सकपका गया' राहुल की मम्मी को भी इसका एहसास हो गया कि उसके दोनो बच्चे रसोईघर में आ चुके हैं। तभी वह मालपुआ तलते हुए बोली।)

राहुल सोनू तुम दोनो रसोई में चले आए मुझे मालूम है जिस लिए आए हो। आज तुम दोनों की पसंद का खाना बना रहीे हुं। ( मालपुआ को कड़ाई से निकालते हुए )
आज तो तुम दोनों के मुंह में पानी आ गया होगा।


राहुल के मुंह में मालपुआ की खुशबू से तो पानी आया ही आया था लेकिन अपनी मां की भरावदार गांड को देखकर उसके लंड से भी पानी की एक दो बुंद टपक पड़ी। राहुल बड़ी-बड़ी नितंब के आकर्षण से अपने आप को बचा नहीं सका और आगे बढ़ कर उसने पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में कसते हुए बोला।


ओह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो ,तुम हम दोनों का बहुत ख्याल रखती हो। आज तुमने हम दोनों के मनपसंद का खाना बनाई हो आज मैं बहुत खुश हूं मम्मी।

( राहुल अपनी बात हो गई पीछे से अपनी मां को भरा हुआ था लेकिन उसके पेंट में बना तंबू सीधे उसकी मां की गांड के दरार में घर्षण करने लगा था, राहुल आम तौर पर इसी तरह से रसोई घर में जब भी खुश होता था तो अपनी मम्मी को पीछे से यूं ही बाहों में भर कर दुलार करने लगता था। उसकी मां को भी है अौपचारीक ही लगा था की ' उसने अपनी गदराई हुई गांड पर कुछ नुकीला सा चुभता महसुस की ,उसे समझते जरा भी देर नही लगी की उसकी गांड पर जो नुकीली चीज चुभ रही है वह कुछ ओर नही बल्की राहुल का लंड है जो की ईस समय एकदम तनाव मे है। उस नुकीली चीज के चुभन को समझते ही उसका पुरा बदन अजीब से रोमांच मे झनझना गया। तुरंत उसकी बुर मे सिहरन सी दौड़ गई ओर उत्तेजना मे फुलने पिचकने लगी। उसको तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करें, राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई थी तुरंत वह सकते में आ गई थी। उसको यह लग रहा था कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई है क्योंकि जहां तक वह पूरी तरह से अपने बच्चों से वाकिफ थी राहुल इस तरह का लड़का कदापि नहीं था वह इतनी गंदी हरकत जानबूझ कर ही नहीं सकता था।
वह समझ रही थी कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हो रही है क्योंकि वह इस तरह से हमेशा उसे पीछे से बाहों में भर कर दुलार करता था। लेकिन आज की यह हरकत अलका को अजीब सी लगी क्योंकि इससे पहले उसके भरावदार नितंब पर इस तरह की चुभन कभी भी नहीं हुई।

अलका को लग रहा था कि यह हरकत राहों से अनजाने में ही हुई है लेकिन राहुल ने इस तरह की हरकत जानबूझकर किया था। अपनी मां के भरावदार गांड को देख कर वो अपने आप को रोक नहीं पाया था और सीधे जाकर पीछे से अपनी मां को बाहों में भरते हुए अपने पेंट में बने तंबू को आगे की तरफ बढ़ा कर अपनी मां की भरावदार गांड पर रगड़ने लगा था, राहुल को इस तरह से बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। उसे अपने तंबु को अपनी मां की गांड पर चुभाने में रगड़ने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। राहुल उत्तेजना से एकदम से भर चुका था उसका बस चलता तो कब का गाउन उठाकर अपनी मां की बुर में लंड पेल दिया होता
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वैसे भी विनीत की भाभी ने कुछ हद तक चुदाई करने के सारे दांव पेंच सिखा ही दि थी। राहुल इतनी हिम्मत तो दिखा चुका था लेकिन इसके आगे हिम्मत दिखाने की ताकत उसमे नहीं थी।
दूसरी तरफ अलका को यह सब अनजाने में ही लग रहा था राहुल को कैसे मना करे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था । अगर वह राहुल को उसकी हरकत बताते हुए डांटती है तो इसका बुरा असर राहुल पर पड़ सकता था। वह नही चाहती थी कि इन सब गंदी बातों पर उसका ध्यान जाए। वह अभी तक अपने तंबू को अलका की गांड पर रगड़े हुए था और अलका मालपुआ चल रही थी वह माल पूए को कड़ाही से निकालते हुए बोली।

अरे छोड़ मुझे मालपुआ तों बनाने दे वरना रसोई तैयार करने में फिर देर हो जाएगी।
( राहुल अपनी मां को छोड़ना नहीं चाहता था लेकिन उसकी बात सुनकर उसे छोड़ना ही पड़ा,)

अच्छा तुम दोनों बाहर बैठोे मैं तुरंत रसोई तैयार करके
उसे परोस कर लाती हूं।
( राहुल के मन से हामी भर कर रसोई घर के बाहर जाने लगा की तभी अचानक अलका उसे रोकते हुए बोली।)

सुनो राहुल

हां मम्मी ...( अपनी मां की तरफ पलटते हुए।)

देखो बेटा तुम दोनों ठीक है अपने हाथ पांव धो लेना क्योंकि खाने से पहले सफाई बहुत जरूरी है ठीक है ना।
( राहुल भी हामी भरके रसोई घर के बाहर चला गया।
अलका का यह स्वच्छता के बारे में हिदायत देना कोई जरूरी नहीं था लेकिन वह इस बहाने कुछ और देखना चाहती थी और जो देखना चाहती थी राहुल के बदन पर उसकी नज़रों ने कोई जगह का पूरी तरह से मुआयना कर ली थी। अलका की अनुभवी आंखों ने अपने बेटे के पेंट में बने तंबू का पूरी तरह से जायजा ले लिया था। पेंट में बने उस उभार को देख कर अलका अंदर ही अंदर सिहर उठी थी। अपने बेटे के पेंट में बने उस तंबू को देख कर आज पहली बार उसे यह एहसास हुआ कि उसका बेटा भी अब बड़ा हो चुका है। अलका को अंदर ही अंदर यह एहसास हो चुका था कि उसके बेटे का लंड काफी तगड़ा और जानदार है।
राहुल रसोई घर के बाहर जा चुका था लेकिन उसने जो अपनी मां को एहसास करा गया वह बहुत कुछ बदलने वाला था।
अलका रसोई तैयार कर चुकी थी उसका मन अब नहीं लग रहा था। बार बार वह अपनी गदरैई हुई गांड पर अपने बेटे के लंड के चुभन को महसूस करके गंनगना जा रही थी। ना चाहते हुए भी उसका ध्यान बार-बार अपने बेटे के पेंट में बने उस उभार पर चला जा रहा था
गैस की नौब बंद करते समय उसे अपनी बुर से कुछ रीसता हुआ महसुस हुआ वह एक दम से चौंक गई और उसने तुरंत एक नजर रसोई घर की तरफ करते हुए नजरें बचाकर अपने गांऊन में को कमर तक उठा दि और पेंटी की तरफ देखीे तो पूरी पेंटी गीली हो चुकी थी उसने अपनी उंगली गीली पेंटी के ऊपर रगड़ कर अपनी उंगली को अंगूठे से रगड़ कर देखी तो उसमे बहुत चिकनाहट थी, वह समझ गई कि चिकनाहट से भरी यह गीलापन कैसा है। उसे ऐसा लगने लगा था कि कहीं उसका पीरियड तो नहीं आ गया लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था।
उसे समझ में ही नहीं आया कि आज उसके खुद के बेटे की वजह से वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई कि उसका नमकीन पानी छूट गया और उसे पता भी नहीं चला।
खेर जैसे-तैसे करके उसने 3 थाली में रसोई परोसी और पहले की तरह तीनों साथ में बैठकर भोजन किए।
भोजन करने के बाद उसके दोनों बच्चे अपने अपने कमरे में चले गए। और अलका विचारमग्न होकर सारे काम करती रही बर्तन साफ करने के बाद वह भी अपने कमरे में सोने के लिए चली गई। वह अपने बिस्तर पर लेट कर बहुत सारी बातें सोचने लगी नींद उसकी आंखों से क इसको तय कर पाना उसके लिए भी बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था।
पहले तो उसे वीनीत की हरकतों ने परेशान किए हुए था
और उसका बड़े ही रोमांटिक तरीके से प्रपोज करना यह सब उसे अच्छा भी लग रहा था और परेशान भी किए हुए था। वह कैसे अपने ही बेटे के उमर के लड़के का प्रपोजल सवीकार कर ले । अगर कर भी लेती है तो कितना अजीब लगता है अगर इस बारे में किसी को पता भी चल गया तो उसके बारे में कैसी कैसी धारणाएं बंधेगी। लोग क्या कहेंगे। एक तरफ वह लोगों के बारे में सोचकर चिंतित हो रही थी और दूसरी तरफ खुश भी थी की एक जवान लड़के ने अपनी मां की उम्र कि औरत मे ऐसा ना जाने क्या देख लिया कि उससे प्यार करने लगा। उसे अंदर ही अंदर खुशी हो रही थी कि इस उम्र में भी उसके अंदर बहुत कुछ बाकी है तभी तो एक जवान लड़का इस कदर उससे प्यार करने लगा है।
यह सब सोच ही रही थी की तभी रसोई घर वाली बात याद आ गई। राहुल के द्वारा पर हरकत अनजाने में ही हुई थी लेकिन उस हरकत का असर ईतना ज्यादा था कि कुछ हरकत के बारे में सोचकर ...

अलका की बुर पसीजने लगी थी। अलका से बर्दाश्त नहीं हो रहा था पल पल उस की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। अपने बेटे के ख्याल से तो उसकी उत्तेजना एकदम चरम शिखर पर पहुंच जाती थी। वह अपने बेटे के इस तरह के ख्याल से एकदम परेशान हो चुकी थी ना चाहते हुए भी उसका ध्यान बार-बार राहुल के पेंट में बने तंबु पर ही चला जा रहा था। आखिरकार वह बिस्तर से उठी
और तुरंत अपनी गाउन को उतार फेंकी, बिना एक पल भी गवाएं उसने तुरंत अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोल दी। हुक के खुलते ही उसने ब्रा को अपनी बाहों से उतार फेंकी। उसी तरह से उसने झट से अपनी पैंटी को उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई और आकर आदम कद आईने के सामने अपने आप को निहारने लगी।

अलका एकदम संपूर्ण निर्वस्त्र होकर आईने के सामने खड़ी थी। उसके बदन का हर एक अंग उभार मार रहा था। आईने में अपनी बड़ी बड़ी चुचियों को देखकर अलका के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। यूं तो वह अपने बदन को रोज ही निहारती थी ,कभी कभी निर्वस्त्र होकर बात हुई नहीं तो कभी कपड़े बदलते समय आईने के सामने। लेकिन आज की बात कुछ और थी आज उसे अपनी चुचियों में कुछ बदलाव सा नजर आ रहा था उत्तेजना की वजह से उसकी चुचीयो का साइज थोड़ा सा बढ़ गया था, जिसे देख कर अल्का मुस्कुरा रही थी उसे लगने लगा था कि वाकई में इस उम्र में भी उसके बदन में अभी बहुत कुछ बाकी था। वह मन ही मन अपने ऊपर गर्वित हुए जा रही थी। यह वह भली भांति जानती थी कि उसके अंगों में जो अभी भी निखारता और सुंदरता बची है यह उसके अनुशासन और अपने ऊपर काबू कर पाने की शक्ति कि ही वजह से कायम है
वरना वह भी दूसरी औरतों की तरह अगर अपने मन पर काबू नहीं कर पाती तो अब तक उसके अंगों में भी लचीलापन और चुचीयों में ढीलापन ना जाने कब से आ चुका होता।
उससे रुका ना गया और उसके दोनों हथेलियां खुद-ब-खुद चूचियों पर फिरने लगी, जैसे-जैसे उसकी नरम हथेलियां उसकी कैसी हुई चूचियों पर फिर रही थी वैसे वैसे उसके चेहरे के भाव बदलते हुए नजर आ रहे थे।
अपने बेटे के खड़े लंड की चुभन को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस करते हुए उसने अपनी हथेली को चूचियों पर कसना शुरु कर दिया जैसे ही चुचियों पर उसकी मुट्ठी भींची उसके मुख से करारी सिसकारी छूट पड़ी।
सससससससस....आहहहहहहहहहहह......
अचानक से अपने मुख से निकली गरम सिसकारी की आवाज सुनकर वह खुद हैरान हो गई और मुस्कुराने भी लगी।
आज रसोईघर में जो भी हुआ उससे वह काफी तौर पर हैरान थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह राहुल की नादानी थी या उसकी शरारत। अलका के लिए समझ बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था। आज से पहले कभी भी उसे ऐसी चुभन अपने नितंबों पर महसूस नहीं हुई , पहली बार उसने अपने नितंब पर अपने बेटे के लंड की चुभन को महसूस की थी , विनीत की भाभी और मधु की ही तरह अलका भी अपने बेटे के लंड की मजबूती और तगड़ेपन को भांप ली थी।
अलका अभी भी आईने के सामने ही खड़ी होकर अपनी चुचियों को अपनी हथेली में नीचे जा रही थी और सोच रही थी कि यह हरकत राहुल से अनजाने में हुई है या यह उसके उम्र का दोष है कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरा लड़का बड़ा होने लगा है। हां ऐसा तो उसके ल** की चुभन की मजबूती को देखकर लगने लगा है कि वाकई में मेरा लड़का जवान होने लगा है।
कल का मन ही मन अपने आप से बातें कर रही थी।
पहले तो वीनीत की कामुक हरकत नैं उसे बेचैन किए हुए था और अब तो उसके खुद के लड़के के लंड की चुभन ने उसकी तड़प को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था।
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आईने में अपने सुर्ख हो चले गाल को देख कर वो खुद ही शरमा गई। पल पल उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी चूचियों पर भीेची हुई हथेली धीरे-धीरे पेट पर से सरकते हुए नाभि से गुजरते हुए जांघों के बीच जाकर तपती हुई दरार पर जाकर ठहर गई। अलका ईस समय इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी की उत्तेजना मे उसने अपनी हथेली से अपनी बुर को दबोच ली। बुर को दबोचते ही फिर से उसके मुंह से सिसकारी छूट गई। बुर के साथ-साथ उसकी बुर पर ऊगी हुई झांटों की झुरमुटे भी उसकी हथेली में भींच गई जिससे उसे हल्के दर्द का एहसास हुआ तब उसे एकाएक याद आया की 2 दिन पहले ही उसने बाजार से लौटते समय वीट क्रीम खरीदी थी, अपने बालों को साफ करने के लिए। वह झट से अलमारी की तरफ बढ़ी और ड्रोवर खोल कर उसमें से वीट क्रीम को बाहर निकाल ली। वीट क्रीम को हथेली में लेते ही उसके बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी ही तीव्र गति से होने लगा। उसकी बुर से नमकीन पानी अमृत की बूंद बनकर रिसना शुरू हो गई। अलका को यह एहसास अब अच्छा लगने लगा था। अलका ने वीट क्रीम के ढक्कन को खोलकर अपनी एक टांग को आईने के टेबल पर रख दी और थोड़ा सा अपनी टांगो को फैला दी ताकि वह क्रीम को ठीक से लगा सकें। उसने सीधे क्रीम को बालों से सटाकर ट्यूब को दबाई और ढेर सारी क्रीम को अपने बालों पर छोड़ दी, जरूरत जितनी क्रीम को बालों पर निकाल कर ट्यूब को टेबल पर रख दी ओर प्लास्टिक की पट्टी से क्रीम को बालो पर फैलाने लगी। बहुत ही कामुक नजारा बना हुआ था। अलका पुरी तरह से नंगी होकर के आईने के सामने एक टांग को टेबल पर टिका कर अपनी बालों से भरी बूर पर
क्रीम को चुपड़ रही थी। एक टांग को उठाकर के टेबल पर रखने की वजह से उसकी भारी-भरकम गांड और भी ज्यादा उभार लिए हुए दिखाई दे रही थी। सच में अगर इस समय अलका के रूप को कोई भी मर्द देख ले तो उसका खड़े-खड़े ही पानी छूट जाए।
अलका अपने बालों पर पूरी तरह से क्रीम को लगा चुकी थी। वह भी बड़ी उत्सुक थी अपनी बालों से भरी बुर को एकदम चिकनी देखने के लिए। वह ट्यूब को वापस खोखे में रख कर ड्रोवर में डाल दी। और कमरे में ही चेहरे करनी करते हुए नजर को अपने ही बदन पर ऊपर से नीचे तक आगे से पीछे तक दोड़ाते हुए अपनी चाल-ढाल का जायजा लेने लगी। खास करके उसकी नजर पीछे को उसके पिछवाड़े पर ही जा रही थी क्योंकि चलते वक्त वो कुछ ज्यादा ही थिरकन लिए हुए थी। अपनी उधर ही बड़ी बड़ी गांड को मटकते हुए देख कर उसे अपने बदन पर और भी ज्यादा फक्र होने लगा था।
वह यूं ही चहल कदमी करते हुए कुछ समय बिता रही थी ताकी क्रीम मैं डूबे हुए उसके झांट के बाल नरम पड़ जाए।

वही दूसरे कमरे में राहुल भी परेशान था आज उसने जो हरकत किया था इससे उसके पूरे बदन में अभी तक झुनझुनी सी मची हुई थी। वह बिस्तर पर लेटा हुआ था उसका पाजामा नीचे घुटनों तक सरका हुआ था।।
और उसकी मुठ्ठी उसके टनटनाए हुए लंड पर भींची हुई थी और वह जोर-जोर से लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा था। और उसके जेहन में बस उसकी मां की ही कल्पना चल रही थी। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इतनी हिम्मत दिखा पाएगा। करता भी क्या इतनी बड़ी बड़ी और गोल गोल गांड को देखकर वह अपने आपे से बाहर हो गया था इसलिए अपनी मां को गले लगाने के बहाने उसके चूतड़ों के बीच अपने टनटनाए हुए लंड को रगड़ने का आनंद लेने से अपने आप को रोक नहीं पाया। इस वक्त उसे मुठ मारने में कुछ ज्यादा ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी क्योंकि वह आंखों को मुंद कर अपनी मां के बारे में गंदी कल्पना कर रहा था वह मन ही मन में सोच रहा था कि वह वैसे ही रसोई घर में खाना बना रही है और वह रसोई घर में जाता है , और वह अपनी मां को खाना बनाते हुए देखता है लेकिन उसकी नजर सीधे जा कर उस की उभरी हुई बड़ी बड़ी गांड पर ही टीक जाती है। पल में ही उसका सोया हुआ लंड टनटना कर खड़ा हो जाता है, वह एकदम कामातूर होकर सीधे अपनी मम्मी के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और तुरंत उसकी साड़ी को उसकी कमर तक उठा कर एक टांग को रसोईघर की टेबल पर रख कर पीछे से अपना खड़ा लंड पेल देता है,
थोड़ी ही देर में उसकी मां भी अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी भरकम गांड को पीछे की तरफ ठेलते हुए राहुल के लंड को अपनी बुर में तेजी से लेने का प्रयास करती है। यह कल्पना करते हुए राहुल थोड़ी ही देर में लंड की पिचकारी छोड़ता है जोकि खुद उसके ऊपर जांघो पर आ कर गिरता है।
राहुल के मन में चल रहे वासना का तूफान जैसे ही शांत होता है उसे अपने किए पर पछतावा होने लगता है। राहुल फिर से अपने आप को भला बुरा कह कर आइंदा से ऐसी गंदी हरकत ना करने की कसम खा कर सो जाता है।

कमरे में अलका अभी भी चहल कदमी करते हुए बार-बार कभी बालों पर लगी क्रीम को तो कभी अपने पिछवाड़े को देख कर संतुष्ट हो रही थी। क्रीम को साफ करने का समय हो चुका था। अलका को बड़ी बेसब्री से इंतजार था अपनी चिकनी बुर को देखने के लिए, उसने बिस्तर पर रखे हुए टावल को उठाई और टॉवल से घिस घिसकर क्रीम को साफ करने लगी , टावल से क्रीम को पूरे इत्मीनान से साफ कर लेने के बाद वह जैसे ही टावल को अपनी बुर पर से हटाई तो अपनी बुर को देख कर वह खुद हैरान रह गई। वह कभी अपनी बुर की तरफ तो कभी आईने में दिख रही उसकी बुर के अक्स की तरफ नजरें दौड़ा रही थी। झांटों के झुरमुटो को क्रीम से साफ करने के बाद उसमें आई चिकनाई को देखकर वह बहुत आश्चर्य चकित हुई। अपनी बुर की खूबसूरती को देखकर वह खुद ही कायल हो चुकी थी।
उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां हल्के से बाहर की तरफ झांक रही थी। जिस पर नजर पड़ते ही अलका का मन एकदम से उत्तेजना से भर गया और वह ना चाहते हुए भी अपनी हथेली को उन गुलाबी पत्तियों के ऊपर रख कर मसल दी जिससे पुनः उसके मुख से सिसकारी छूट गई।
ससससससससस......

अलका का बदन पूरी तरह से कसमसा गया और वह और भी ज्यादा दबाव देते हुए हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी। आज बरसों के बाद उसने अपनी बुर को इतनी ध्यान से निहार रही थी, अपनी ब** को देख देखकर और बार-बार उस पर हथेली रगड़ने की वजह से उसकी बुर से मदन रस की बूंदें टपक पड़ती थी।
अलका उत्तेजना से सरो बोर हो चुकी थी बुर पर मसल रही हथेली से कब एक उंगली उसकी बुर मे समा गई उसे खुद को पता ही नहीं चला। मस्ती के सागर में हिलोरे लेते हुए उसने अपनी आंखोें को मूंद ली।
उसकी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी उसने अपनी एक हथेली को अपनी बड़ी बड़ी चूची पर रखकर दबाने लगी, अलका आईने के सामने एकदम निर्वस्त्र खड़ी थी टांगे फैलाकर एक उंगली से अपनी उतेजना को शांत करने की कोशिश कर रही थी। अलका के अंदर बरसों से दलीप यार अब उछलने लगी थी आखिरकार औरत का मन नदी के पानी के बहाव की तरह होता है कब तक वह उसे मिट्टी का रोड़ा बनाकर रोक सकती है। एक ना एक दिन तो पानी के बहाव में वह मिट्टी का रोड़ा बह जाना था। अलका के मन के अंदर का बांध टूट चुका था। एक उंगली से बुर को चोदते हुए वह गर्म सिसकारी भर रही थी उसे अब लगने लगा था कि उसकी बुर की प्यास एक उंगली से नहीं बुझने वाली है इसलिए वह अपनी दूसरी उंगली को भी रसीली चिकनी बुर में प्रवेश करा दी।

ऊउउममममममममममम...सससससससहहहहहहह....
आहहहहहहहह.......ऊईईई....म्मा....
( अलका अब दोनों अंगुलियों को बुर के अंदर बाहर करते हुए अपनी बुर की चुदाई कर रही थी और गरम गरम सिसकारियां छोड़कर पूरे कमरे का माहौल गर्म किए हुए थी। अलका जिंदगी में पहली बार आज अपनी उंगलियों से हस्तमैथुन करते हुए अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही थी। वह पूरे लय में अपनी उंगली को अंदर बाहर तीव्र गति से कर रही थी और उसी लय में अपनी कमर को भी आगे पीछे करते हुए मजा ले रही थी। वह अपनी बुर को उंगली से तो चोद रही थी लेकिन उसके जेहन में राहुल के पजामे में बने तंबू का ही ख्याल आ रहा था। बुर में उंगली पेलते हुई उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुक में उसकी उंगली नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड अंदर बाहर हो रहा है। अपनी गदराई गांड पर अपने बेटे के लंड की चुभन को याद करके वह और भी ज्यादा चुदवासी हो गई।
mini

Re: होता है जो वो हो जाने दो

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wah sab line par aa rhe h,,,best of luck
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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

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mini wrote:wah sab line par aa rhe h,,,best of luck
thnks
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