होता है जो वो हो जाने दो complete

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prakash
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by prakash »

mast likh rahe ho, par ghar ka maal bahar mat dena
matlab alka ko rahul ke alawa kisi aur se mat chudwana to maja bana rahega.
SUNITASBS
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by SUNITASBS »

nice updates
😪
chusu
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by chusu »

:roll: :lol: light aa gayi...... :idea: :lol: :lol: :lol:
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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

prakash wrote:mast likh rahe ho, par ghar ka maal bahar mat dena
matlab alka ko rahul ke alawa kisi aur se mat chudwana to maja bana rahega.
SUNITASBS wrote:nice updates
chusu wrote::roll: :lol: light aa gayi...... :idea: :lol: :lol: :lol:

mitr light aa gai hai
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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

लाइट आ चुकी थी बाथरूम का भी बल्ब चमकने लगा बाथरूम में रोशनी ही रोशनी हो गई। राहुल की नजर अपनी मां पर गई तो उसका दिल धक्क से रह गया।
अलका भी अपने बेटे की तरफ देखी तो चौक गई। दोनों हतप्रत हो गए थे। गजब का नजारा बना हुआ था अलका बैठ कर पेशाब कर रही थी और राहुल साफ-साफ देख पा रहा था कि उसकी मां की पेशाब की धार सामने दीवार से टकरा रही थी, और उसकी बुरसे लगातार मधुर मई संगीत की धुन बज रही थी जिसे सुन सुनकर राहुल कामातूर हुए जा रहा था। बल्ब के जलते ही अलका की नजर सीधे अपने बेटे पर गई थी जो कि उसके ही नजदीक खड़ा होकर पेशाब कर रहा था उसका टनटनाया हुआ लंड उसकी ऊंगलियों मे फंसा हुआ था। और उसमें से भी पेशाब की तेज धार फूट रही थी जोकि सामने की दीवार से टकरा रहीे थी। दोनों की नजर एक दूसरे की पेशाब की तेज धार पर ही टिकी हुई थी दोनों कुछ समय के लिए सब कुछ भूल चुके थे।
कुछ देर पहले अंधेरे का फायदा उठाते हुए दोनों ने जो
वासनामई क्रिया का प्रारंभ किया था वह इससे में उजाले में और ज्यादा भड़क चुका था। दोनों एक दूसरे के अंगों को देखे जा रहे थे हालांकि राहुल को उसकी मां की बुर नजर नहीं आ रही थी लेकिन उसमें से निकलीती हुई पेशाब की तेज धार साफ साफ नजर आ रही थी। अलका का मुंह खुला का खुला रह गया था उसकी मदहोश आंखें अपने ही बेटे के मोटे लंड पर टिकी हुई थी। अंधेरे में जिसे देखकर मचल उठी थी इस समय उजाले में उस के दर्शन करके पागल सी होने लगी थी उसके सर पर वासना का भूत सवार हो गया था उससे रहा नहीं जा रहा था वह मन में ठान ली थी की, आज चाहे जो हो जाए अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में पूरा का पूरा डलवा कर उससे चुदवा कर ही रहेगी।
पेशाब करते हो दोनों की नजरें आपस में टकराई तो दोनों शर्म से पानी पानी हो गए दोनों ने अपनी नजरों को शर्म के मारे दूसरी तरफ फेर लिए। अलका मन में तो चुदवाने की ठान ली थी लेकिन बल्ब के उजाले में अपने बेटे से नजर मिलते ही उसकी आंखों के सामने पेशाब करते हुए शर्म से पानी-पानी हुए जा रही थी। उसे इस तरह से अपने बेटे के सामने बैठकर मुंतने में शर्म महसूस होने लगी, लेकिन कुछ देर पहले अंधेरे में आगे चलकर उसी में जानबूझकर अंधेरे का फायदा उठाते हुए अपने बेटे के सामने पेशाब करने बैठी थी। ताकि बुर से आ रही सीटी की आवाज को सुनकर राहुल एकदम से चुदवासा हो जाए और उसे चोदने के लिए मजबूर हो जाए लेकिन इस समय अलका के चेहरे पर शर्मो हया की लाली छाई हुई थी। राहुल अपनी नजरों को शर्म के मारे दूसरी तरफ फेरकर पेशाब तो कर रहा था लेकिन अपने आप को अपनी मां को नंगी होकर जो बैठकर पेशाब करते हुए देखने का लालच रोक नहीं पा रहा था इसलिए बार-बार तिरछी नजरों से अपनी मां की भरावदार गांड ओौर बुर से निकल रही पेशाब की तेज धाार को देख ले रहा था। दोनों इस समय एकदम चुदवासे हो चुके थे। पर मर्यादा की और शर्म की पतली चादर को जो कि तार तार हो चुकी थी फिर भी हटा नहीं पा रहे थे।
अलका दूसरी तरफ मुंह फेरे पेशाब करते हुए सोचने लगीे की, यह क्या कर रही है, बरसों से जो प्यास बनने लिए प्यासी तड़प रही थी और आज उस प्यास को बुझाने का समय आया तो शर्म के मारे नजर फेर ले रही है। वह मन ही मन में अपने आप से ही बोले जा रही थी। अगर आज अपने बदन की प्यास नही बुझा पाई तो यह प्यास हमेशा के लिए उसके सीने में दफन हो जाएगा और औरत जिस सुख की हकदार रहती है उस सुख से वह हमेशा के लिए वंचित रह जाएगी। अलका मन ही मन में अपने आप को समझा रही थी। यह सुनहरा मौका आज हाथ से जाने मत देना( उसके अंदर से आवाज आ रही थी वह भी सोचने लगी कि आखिरकार इसमें हर्ज ही क्या है। राहुल उसका सगा बेटा है और वह भी चोदने के लिए तैयार है तभी तो उसके सामने पूरी तरह से नंगा खड़ा था। वह मन में सोच रही थी कि सब कुछ माहौल के हिसाब से बना हुआ है मैं भी तैयार हूं और मेरा बेटा भी तैयार है। और इसमे किसी के सामने बेईज्जत होने का डर भी नहीं रहेगा।
यह सब सोच सोच कर अलका की बुर को फुलने पिचकने लगी दोनों पेशाब कर चुके थे। अलका ने अपनी नजरों को अपने बेटे की तरफ घूमाई , वह पहले से ही अपनी मां को एकटक देख रहा था। अलका की नजरें फिर से अपने बेटे की नजरों से मिली लेकिन इंतजार अलका की आंखों में शर्मिंदगी का एहसास रत्ती भर भी नहीं था। वह अपने आप को वासना के रास्ते पर चलने के लिए पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी।
अलका की नजर अपने बेटे के चेहरे से होती हुई नीचे की तरफ आने लगी राहुल भी अपनी मां को वासना की नजरों से हो रहा था।
धीरे-धीरे नीचे की तरफ आती हुई नजरें राहुल के लंड पर टिक गई। अलका एकटक अपने बेटे के खड़े ल** को देख रहे थे और राहुल इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुका था की लं के ऊपर उसकी नसें उभर चुकी थी जिसे देखकर अलका की बुर से मदन रस की बूंद नीचे टपक पड़ी। अलका यह सोचकर और अत्यधिक उत्तेजित हुए जा रही थी थी जब यह ऊभरी हुई नसों वाला लंड ऊफ्फ्फ...... उसकी कसी हुई बुर में जाएगा तो कितना रगड़ता हुआ जाएगा, अलका उसकी कल्पना करके ही चरम सुख का अनुभव कर रही थी।
अपने बेटे का लंड देखकर अब उससे सब्र नहीं हो रहा था, अलका की हालत उस समय और ज्यादा खराब हो जा रही थी जब राहुल जानबूझकर अपनी मां को उकसाने के लिए अपने हाथों से लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करते हुए हिला रहा था, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही थी और इस हरकत को देखते ही उसकी मां एकदम से चुदवासी हो गई उससे रहा नहीं गया और उसने अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ कर अपनी मुट्ठी में भींच ली,, मुठ्ठी में भींचते ही लंड की गर्माहट से अलका की आह निकल गई। राहुल भी अपने लंड को अपनी मां की हथेली में देखकर उत्तेजना के साथ मदहोश होने लगा। अलका का तो गला ही सूखने लगा था उससे रहा नहीं जा रहा था बरसों के बाद उसकी तमन्ना उसके बदन की दबी हुई प्यास बुझने के आसार नजर आ रहे थे। अलका के लिए इस समय उसका बेटा मीठे पानी का कुआं था और वह खुद बरसों से प्यासीे थी। और अपनी प्यास बुझाने के लिए प्यासे को कुएं के पास जाना ही पड़ता है।
राहुल अपने खड़े लंड को अपनी मां की नरम नरम गरम हथेलियों की आगोश में पाकर गनगना गया था। उसका बदन अजीब से सुख की अनुभूति करते हुए कसमसा रहा था। अलका तो मुंह खोले आश्चर्य के साथ अपने बेटे का लंड पकड़े लंड के गोल सुपाड़े को ही घूरे जा रही थी। दोनों की सांसे तीव्र गति से चल रही थी। बाहर बरसात अभी भी जारी थी बादलों की गड़गड़ाहट बिजली की चमक रह रह कर अपने होने का अंदेशा दे जा रही थी। अलका अंदर ही अंदर बरसात को धन्यवाद किए जा रही थी क्योंकि इस समय जो भी हो रहा था वह इस तूफानी बारिश का ही नतीजा था वरना अब तक तो ना जाने कबसे अपनी बूर को हथेली से रगड़ते हुए सो गई होती। अलका का गला उत्तेजना के मारे इतना ज्यादा सूख चुका था गले से थूक निकलना भी मुश्किल हुए जा रहा था। राहुल उसी तरह से खड़ा था अलका भी पेशाब करने के लिए बेठी तो बेठी ही रह गई। काफी देर से दोनों के बीच वार्तालाप हो नहीं पा रही थी बस दोनों कामुकता के आकर्षण में बंध कर अपना आपा खो बैठे थे। अलका ही खामोशी को तोड़ते हुए बोली।

बाप रे इतना तगड़ा लंड ( अपनी मां के मुंह से ऐसी खुली हुई बातें सुनकर वह अपनी मां को देखने लगा' अलका को पता था कि अब उसे खुलना ही पड़ेगा , शर्म का पर्दा त्याग कर बेशर्म बनना पड़ेगा तभी वह उस परम सुख को भोग सकती है जिसकी कल्पना में रात दिन लगी हुई थी। आज वहां बेशर्म बनकर चुदाई के सारे सुखों को भोग लेना चाहती थी इसलिए वह अपने बेटे के लंड को मुट्ठी में भरकर धीरे धीरे मुट्ठीयाते हुए बोली।)

सच राहुल तेरा यह हथियार तो बहुत ज्यादा मोटा लंबा और तगड़ा है। ( इतना कहते हुए वह धीरे-धीरे अपने बेटे के लंड को हिला रही थी जिससे राहुल को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी। लंड को हिलाते हुए अलका फिर बोली।)

बेटा तेरा लंड तो तेरे पापा से भी ज्यादा मोटा तगड़ा है।
तभी तो मुझे यह इतना ज्यादा चुभ रहा था। तुझे पता तो होगा ना कि कहां चुभ रहा था।( राहुल तो अपनी मां का यह रूप देख कर और उसके मुंह से इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर आवाक सा रह गया था। आश्चर्य से अपना मुंह खोले अपनी मां की हरकतों को देख भी रहा था और उसका आनंद भी उठा रहा था। अपनी मां के चुभने वाले सवाल का जवाब दे भी तो कैसे दे' इतना तो वह अच्छी तरह जानता था कि उसका लंड उसकी मां के किस अंग पर चुभ रहा था। लेकिन यह बात अपने मुंह से कहे भी तो कैसे कहें इसलिए वह संकोच भाव से ना में सिर हिला दिया, और अपने बेटे का ना में सिर हिलता हुआ देखकर वह मुस्कुराते हुए बोली।)

बड़ा भोला है रे तू इतना भी नहीं जानता कि तेरा यह हथियार मेरे किस अंग पर चुभ रहा था। रुक मैं तुझे दिखाती हूं । ( अपनी मां के मुंह से दिखाने वाली बात सुनते ही उत्तेजना के मारे अलका के हाथ में ही राहुल का लंड ठुनकी मारने लगा। जिसका एहसास अलका को साफ तौर पर अपनी हथेली में हो रहा था। अलका ठुनकी लेते हुए लंड के कारण उत्तेजित हो रही थी और धीरे से खड़ी होते हुए बोली।)

रुक मैं तुझे अच्छी तरह से दिखाती हूं।( इतना कहते हुए अलका खड़ी हो गई उसके बदन पर अभी भी सिर्फ ब्लाउज ही थी। राहुल आंख फाड़े अपनी मां के नंगे बदन को ऊपर से नीचे तक देख रहा था। अलका खड़ी हो चुकी थी लेकिन अभी भी उसके हाथ में उसके बेटे का लंड था । अलका अपने बेटे को तड़पाते हो एक बार उसकी राय जानने के लिए उससे बोली।)

देखना चाहता है कहां चुभ रहा था तेरा ये ( अपनी हथेली में लंड को खींचते हुए )हथियार।
( अपनी मां की गंदी बातें सुनकर राहुल का मन मस्तिष्क मस्ती से हिलोरे ले रहा था अपनी मां की बातों को सुनकर उसको मजा आने लगा था। वह भी हामी भरते हुए सिर हिला दिया। अलका तो तड़प रही थी अपने बेटे को अपना वह बेशक़ीमती अंग दिखाने के लिए ' जिसकी तपन में तपकर वह तड़प रही थी।

अलका खड़ी थी राहुल अपनी मां को ही देख कर जा रहा था वह देखना चाहता था कि उसकी मां उसे क्या दिखाती है जबकी वह जानता था, कि उसकी मां उसे अपनी बुर ही दिखाना चाहती है लेकिन कैसे दिखाएगी यह उसे देखना था। तभी अलका ने सामने दीवार से गुजर रही छोटी सी पाईप पर अपना पैर उठाकर रख दें और पैर उठाए हुए ही थोड़ा सा अपने बेटे की तरफ घूम गई, ऐसा करने पर अलका का पूरा बदन राहुल के सामने आ गया एक खुली किताब की तरह। उसकी बुर भी दिखाई दे रही थी। लेकिन शर्म के मारे राहुल की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपनी मां की बुर को देख सके। हालांकि अपनी मां के इस हरकत कर उसकी बुर देखने की इच्छा एकदम प्रबल हो चुकी थी फिर भी शर्म की वजह से अपनी नजरें अपनी मां की बुर पर नहीं ले जा पा रहा था। वह थुक को गले में निगलते हुए अपनी नजरें इधर-उधर घुमा रहा था। अलका अपने बेटे की मनोदशा को भांप गई थी। अलका को लगने लगा था कि उसका बेटा शरमा रहा है। उसे यह नहीं पता था कि यही राहुल उसे ना जाने कितनी बार नंगी देख चुका है और उसके बारे में कल्पना कर कर के मुट्ठ मार चुका है।
फिर भी अलका यह समझती थी कि अगर आगे बढ़ना है तो राहुल के डर और शर्म को भी खत्म करना होगा इसलिए एक टांग उठाई हुए वह राहुल से बोली।


बेटा देख (उंगली से दिखाते हुए )इसी जगह पर तेरा यह हथियार चुभ रहा था।

अपनी मां की बात मानते हुए राहुल अपनी नजरों को बुक की तरफ घुमा दिया, राहुल की तो सांस ही अटक गई जब उसकी नजर उसकी मां की बुर पर पड़ी बुर एकदम चिकनी थी बस हल्के हल्के रोए ही नजर आ रहे थे ऐसा लग रहा था कि तीन चार दिन पहले ही क्रीम लगाकर साफ की है। राहुल देखा तो देखता ही रह गया
उत्तेजना के मारे बुर रोटी की तरह फूल गई थी। राहुल भारी सांसो के साथ अपनी मां की फुली हुई बुर को देख रहा था, उसकी मां भी बड़े अरमान से अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन करा रही थी। अलका की नजर अपने बेटे पर गई तो देखें कि वह बड़े रोमांच और गौर के साथ उसकी बुर की तरफ देख रहा था इसीलिए उसको और ज्यादा उकसाते हुए उसने अपनी हथेली को धीरे से अपनी बुर पर रखकर हल्के से मसलते हुए ऊपर की तरफ हथेली को बढ़ा दी अपनी मां की यह हरकत को देखकर राहुल अत्यधिक उत्तेजना महसूस करने लगा और उत्तेजना बस उसका हाथ अपने आप उस के तने हुए लंड पर आ गया और वह उसे मुट्ठी में भींच लिया। राहुल की हालत को देख कर वह समझ गई थी की राहुल एकदम से चुदवासा हो चुका है । उसे लोहा पूरी तरह से गर्म लगने लगा था जोकि चोट मारने का बिल्कुल सही टाइम आ गया था। लेकिन उसे और गर्म करने के लिए अलका बोली।

देख बेटा ठीक से देख ले यह वही जगह है जिस पर तेरा यह हथियार( लंड की तरफ इशारा करते हुए )चुभ रहा था मुझे बड़ी परेशानी हो रही थी। ऐसे कैसे देख रहा हे छू कर देख ले देख तो अभी तक कितनी गरम है।

( अपनी मां की बात सुन कर राहुल हक्का-बक्का रह गया उसकी मां उसे बुर छूने के लिए उकसा रही थी। जबकि राहुल को खुद ही उसकी बुर छुने के लिए तड़प रहा था। अपनी मां के इस आमंत्रण से वह पूरी तरह से गनगना गया था। वह अच्छी तरह से जान लिया था कि वासना की आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी। अलका ने एक बार फिर उसे ज़ोर देते हुए उसकी बुर छुने के लिए कही। और इस बार राहुल अपनी मां की बुर को स्पर्श करने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ाया लेकिन उत्तेजना की मारे उसका हैंथ कांप रहा था। यह देखकर अलका मुस्कुराने लगी। अपने बेटे का डर दूर करने के लिए उसने खुद ही उसका हाथ पकड़ कर उसकी हथेली को अपनी बुर पर रख दी। अपनी मां की बुर पर हथेली रखते ही राहुल के मुंह से आह निकल गई और जब उत्तेजना के कारण राहुल ने अपनी मां की बुर को अपनी हथेली में दबोचा तो अलका की सिसकारी फुट पड़ी।

स्स्स्स्स्हहहहहहह.......आहहहहहहहहहह.....राहुल

राहुल अपनी मां की ब** को अपनी हथेली में दबोचे हुए अलका के एकदम करीब आ गया दोनों उत्तेजना में करो बोर हो चुके थे। वीनीत की भाभी और नीलू के साथ चुदाई का अनुभव ले चुका राहुल औरत को खुश करने का तरीका जान चुका था इसलिए वह अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा। इससे हल्का की सिसकारी फूटने लगे उत्तेजित हुए जा रही थी साथ ही उसके चेहरे का रंग सुर्ख लाल होता जा रहा था राहुल अपनी मां के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था और जैसे ही राहुल के होठ अलका के होंठ के बिल्कुल करीब पहुंचे राहुल से रहा नहीं गया वह अपनी मां के गुलाबी होंठों को चूसने का लालच दबा नहीं पाया और तुरंत अपने होंठ को अपनी मां के हॉठ पर सटा दिया, होठ से हॉठ सटते ही जेसे दोनों बरसों के प्यासे हो इस तरह से एक दूसरे के होठों पर टूट पड़े। राहुल अपनी मां के होंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा उसकी मां भी अपने बेटे के होंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी दोनों बारी बारी से एक दूसरे के मुंह में जीभ डाल कर एक दूसरे के थुक तक तो चाट जा रहे थे। दोनों पागल हो चुके थे वासना के नशे में अंधे हो चुके थे अपनी बदन की प्यास के आगे वह दोनों को रिश्ते नाते कुछ दिखाई नहीं दे रहे थे राहुल तो अपनी मां की बुर को अपनी हथेली से रगड़ते हुए मस्त हुआ जा रहा था वाकई में उसकी बुर ज्यादा ही गर्म थी।
अलका उसी तरह से अपनी एक टांग पाइप पर रखकर अपनी बुर काे मसलवा रही थी, और एक दूसरे के होटो को चुसने का मजा ले रहे थे राहुल के करीब आने की वजह से राहुल का तना हुआ लंड अलका के पेट पर रगड़ खाने लगा। जिससे अलका की उत्तेजना में और ज्यादा बढ़ोतरी हो रही थी और उसने तुरंत पेट पर रगड़ खा रहे अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में भरली और धीरे-धीरे मुठीयाने लगी। अपनी मां की हरकत पर राहुल से रहा नहीं गया ओर बुर को मसलते मसलते ऊसने अपनी एक उंगली को धीरे से बुर में प्रवेश करा दिया, बरसों से प्यासी अलंका की बुर में जेसे ही उसके बेटे की उंगली कैसी अलका एकदम से मचल उठी, उत्तेजना और मदहोशी के कारण उसके पैर कांपने लगे लेकिन अपने बेटे के इस हरकत से वह समझ गई थी राहुल को जितना नादान समझती है उतना नादान वह था नहीं।
राहुल अपनी मां के होठों को चूसते हुए धीरे-धीरे अपनी ऊंगली को बुरके अंदर बाहर करने लगा। इससे अलका का चुदासपन पल पल बढ़ता जा रहा था। वह अपने बेटे के बदन से और ज्यादा चिपक गई। पाइप पर से अपने पैर नीचे करके अपने बेटे को अपनी बाहों में भर ली राहुल लगातार अपनी उंगली से अपनी मां की बुर चोद रहा था। अलका की गरम सिस्कारियों से पुऱा बाथरुम गुंजने लगा था। साथ ही साथ बादलों की गड़गड़ाहट लगातार हो रही थी। दोनों ऐसा लग रहा था एक दूसरे के होटो को चूस नहीं बल्कि चबा रहे हैं।
अलका सिसकारी लेते हुए बोली।

आहहहहहहहहह......स्सहहहहहहहहहहहह.... बेटा मुझे कुछ हो रहा है। ऊफ्पफ्फ....... मुझ से रहा नहीं जा रहा है बेटा।

राहुल अपनी मां की गर्दन को चूमते हुए एक हादसे उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को दबाते हुए बोला।


क्या हो रहा है मम्मी? ( इतना कहने के साथ ही ब्लाउज के बटन को खोलने लगा।)

(अपने बेटे के लंड को हिलाते हुए )पता नहीं बेटा मुझे क्या हो रहा हैैं मुझसे रहा नही जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि मेरी बुर में चींटीया रेंग रहीे हैं मुझे बुर में खुजली हो रही है।

( अलका के बात पूरा करते ही राहुल ने ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया। उसका लंड अलका के बूर के इर्द-गिर्द ही रगड़ खा रहा था। जिससे अलका की बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगी थी। ब्लाउज के बटन खुलते ही राहुल तो चुचियों पर ही टूट पड़ा। वह तो अच्छा हुआ कि अभी भी अलका की दोनों चूचियां ब्रा मे कैद थी। वरना ऐसा लग रहा था कि राहुल तो अपनी मां की दोनों चूचियों को खा ही जाएगा। अपने बेटे को इस तरह से अपनी चूचियों पर टूटता हुआ देखकर अलका एक दम मस्त हो गई उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी। राहुल था कि ब्रा के ऊपर से ही दोनों चुचीयो को हथेली में भरकर उस पर मुंह मारने लगा। अलका सिसकारी भरते हुए खुद ही एक हाथ से अपनी बुर को मसलते हुए और दूसरे हाथ से अपने बेटे के लँड को मुट्ठीयाये जा रही थी। दोनों गर्म हो चुके थे अलका भी यही चाहती थी कि उसका बेटा उसकी चूचियों को मुंह में भरकर चुसे उसे पिए और इसलिए वह खुद ही अपने ब्लाउज को उतारने के लिए अपनी बुर पर से हाथ हटा ली और लंड को भी अपने पेट पर रगड़ता हुआ छोड़कर ब्लाउज उतारने लगी। यह देखकर राहुल एकदम से चूचियो को पीने के लिए तड़प उठा और ब्रा के ऊपर से ही दोनों चुचियों को हथेली में भर भर कर दबाने लगा। यह देखकर अलका कामुक मुस्कान बिखेरते हुए अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक को खोलते हुए बोली।

इतना उतावला क्यों हुआ है बेटा मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूं। जी भर के पी ना मेरी चूचियों को।

अपनी मां की ऐसी बात सुनकर राहुल भी हंस दिया लेकिन अपने लंड को थाम कर हिलाते हुए अपनी मां की बुर पर रगड़ने लगा। बुर पर लंड का सुपाड़ा रगड़ खाते ही अलका कामोत्तेजना में मदहोश होने लगी। वह अपनी ब्रा के हुक खोलते खोलते सिसकारी लिए जा रही थी। उससे लंड के सुपाड़े की रगड़ अपनी बुर * पर बर्दाश्त नहीं हो रही थी। तभी बुर पर सुपाड़े को रगड़ते हुए राहुल बोला।

इसी जगह खुजली हो रही है ना मम्मी......( अलका से तो उत्तेजना के मारे मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी इसलिए वह सिर्फ हां मे सिर हिला दी। और अपनी मां की हामी सुनते ही वह बुर पर लंड को रगड़ते हुए बोला।

रुक जाओ मम्मी मैं अभी तुम्हारी बुर की खुजली मिटा देता हूं। ( इतना कहने के साथ ही जैसे ही वह सुपाड़े को बुर के गुलाबी छेद पर टिकाया वैसे ही अलका अपनी ब्रा भी उतार चुकी थी और राहुल ने बुर के छेद पर लंड के सुपाड़े को टीकाकर हल्के से कमर को आगे की तरफ धक्का दिया तो बुर की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा हल्का सा बुर में प्रवेश करने लगा। सुपाड़े को हल्का सा बुक में प्रवेश होते ही दर्द के मारे अलका छटपटाने लगी और साथ ही उसकी सिसकारी भी छूटने लगी।
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