होता है जो वो हो जाने दो complete

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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

नीलु: तुमने अब तक कीसी को भी गर्लफ्रेंड नहीं बनाया ना । ( नीलू के इस सवाल पर भी राहुल ने हां मैं सिर हिला दिया। लेकिन इस बार मिलो राहुल के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई वह फिर से बोली)
क्या यार क्या लगा रखा है मेरे कोई भी सवाल पर बोलने के बजाय बस सिर हिला दे रहे हो। यार ऐसा नहीं चलेगा कुछ तो बोलो मैं कब से तुम्हारी आवाज सुनने के लिए तड़प रहीे हुँ। अब ऐसा नहीं चलेगा अब तुम्हें कुछ बोलना ही पड़ेगा ।(इस बार नीलु का हाँथ जोकी राहुल की कमर पर था उसे नीलू धीरे-धीरे राहुल की जांघो तक ले आई और जाँघो को सहलाते हुए बोली)
बोलो ना राहुल क्या तुम मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड बनाओगे बताओ।
( नीलु की कोमल ऊंगलीयो का स्पर्श अपनी जाघों पर महसूस करके राहुल मस्त हुआ जा रहा था और साथ ही उसका पूरा बदन गनगना जा रहा था। जांघो के ईर्द गिर्द घूम रही नीलुं की कोमल उँगलियो के स्पर्श का असर उसकी जाघों के बीच उसके हथियार पर हो रहा था। और पेंट के अंदर उफान मार रहे राहुल के हथियार
का आभास नीलू अपनी उंगलियों पर पूरी तरह से कर रही थी। उसके पैंट में टनटनाए हुए लंड का एहसास नीलु के बदन मे झुरझुरी सी फैला दे रहा था। राहुल नीलू के सवाल का जवाब कसमसाते हुए देते हुए बोला।)
राहुल; अगर सच में ऐसा हो सकता है तो यह तो मेरा सौभाग्य होगा कौन नहीं चाहेगा कि तुम गर्लफ्रेंड बनो
नीलु; तो क्या सच में तुम मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड बनाओगे ना।।( नीलू की बात पर इस बार राहुल को देर तक खामोश ही रहा नीलू की खामोशी को ताड़ते हुए फिर से बोली।) मैं हूं ना तुम्हारी गर्लफ्रेंड।
राहुल; ( शर्माते हुए) हां हो।
(राहुल का जवाब सुनते ही नीलू बहुत खुश हुई। वो झट से बोली।)
नीलु; तो पक्का आते मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड और तुम मेरे बॉयफ्रेंड (इतना कहते ही नीलू ने राहुल को खींचकर अपने बदन से और ज्यादा सटा ली। नीलु आज बहुत खुश थी उसे राहुल अच्छा लगने लगा था उससे भी ज्यादा अच्छा लगने लगा था राहुल का लंड। जिसे उसने अब तक देखी भी नहीं थी लेकिन पेंट के तंबू देख को देखकर ही नीलू को पता चल गया था कि राहुल की पैंट के अंदर छिपा हुआ ओजार बहुत ही जानदार तगड़ा और कुंवारा है। वैसे भी नीलू पहले से ही खेली खाई हुई लड़की थी। मोटा ताजा लंड उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी।। जाँगघो पर थिरकती हुई नीलू की उंगलियां धीरे से राहुल की जाँघो के बिच बने तंबू पर चली गई। नीलू के ऊँगलियो का स्पर्श अपने तने हुए तंबू पर पड़ते हैं राहुल एकदम से गनगना गया । वह शर्म के मारे नीलू से अपनी नजरें भी नहीं मिला पा रहा था और वह अपनी नजरों को पार्क में इधर-उधर घुमा रहा था। और नीलू अपनी वासना भरी मुस्कान के साथ राहुल के चेहरे पर आ रही एक्सप्रेशन को देखे जा रही थी। राहुल की हालत खराब होते देख ने अपने ऊँगलियों को राहुल के तंबू पर से हटा ली। और मुस्कुराने लगी राहुल शर्म के मारे नीलू से नजर भी नहीं मिला पा रहा था।
इसके बाद दोनों में बहुत सारी बातें हुई काफी समय तक वे दोनों ने उसी बैंच पर बैठ कर बिता दिए। नीलू राहुल के बारे में बहुत कुछ जान चुकी थी बातों ही बातों में उसने यह भी जान ली थी की राहुल ने आज तक किसी लड़की को छुआ तक नहीं था एक दम प्योर वर्जिन था सत प्रतिशत कुँआरा। यह बात जानते ही नीलु कि खुशी का ठिकाना ना रहा। वह बहुत खुश हुई लेकिन एक बात से उसे थोड़ा दुख भी हुआ।

क्योंकि निलूं राहुल के मोटे ताजे और तगड़े लंड की परिकल्पना मैं विहरते हुए अपनी पैंटी को गीली कर ली थी। उसे अपनी चुदासी बुर की खुजली बर्दाश नहीं हो रही थी ओर वह अपनी खुजली को मिटाना चाहती थी। नीलू इसी पार्क के कोने में घने पेड़ के नीचे जहां किसी की नजर नहीं पहुंच पाती वहीं पर झाड़ियों के पीछे जाकर राहुल से चुदवाने की पूरा प्लान बना चुकी थी। लेकिन राहुल से बातें करके जान चुकी थी की अभी वह इन सब में बिल्कुल कच्चा है । सेक्स की एबीसीडी का ए भी उसे नहीं आता था। इसीलिए राहुल को झाड़ियों के पीछे ले जाकर चुदाई के लिए उकसाने का मतलब था आग में घी डालना। इससे उसकी बुर की खुजली मिटने के बजाय और भी ज्यादा बढ़ जाती। इसलिए नीलू ने अपने इस प्लान को भी कैंसल कर दी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें कैसे वो अपनी बुर की खुजली को मिटाए । इस समय राहुल से ज्यादा छेड़छाड़ करना ठीक नहीं था। उसके साथ जी भर के चुदाई का मजा लूटना था लेकिन अभी नहीं कोई अच्छा सा मौका देख कर के राहुल के लंड से चुदने का पूरा निर्धार बना चुकी थी।
कुछ ऐसा करना था कि राहुल का भी मन मचल उठे वो सब करने के लिए जिसको करने के लिए लड़के हमेशा बेताब रहते हैं। नीलू मन में ही सोचने लगी कि क्या करें क्या ना करें तभी वो राहुल से बोली ।
नीलु: अच्छा तुम 2 मिनट यहां बैठाे मैं आती हूं ।
(और इतना कहकर नीलू अपनी गांड मटकाते हुए चल दी। राहुल नीलू को जाते हुए देखते रह गया लेकिन उसकी निगाह नीलू से ज्यादा उसकी मस्त गदराई हुई गांड पर ही टीकी हुई थी। राहुल अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था। जो आज उसके साथ हो रहा था इस बारे में उसने कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी। उसे वह पल याद आने लगा जब नीलू की उगलिया उसकी जांगो के बीच बने हुए तंबू पर लहरा रही थी उसके अंग अंग मे हलचल सी मच गई थी। उसकी उंगलियों के स्पर्श का असर अभी तक वह अपने लंड पर महसुस कर रहा था। उसका लंड अभी भी टनटनाया हुआ था। अब तो नीलु उसे और भी ज्यादा अच्छी लगने लगी थी।
राहुल पार्क में रह-रहकर चारों तरफ अपनी नजरें दौड़ाकर यह देखने लग रहा था कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था कुछ लोग बैठे जरूर थै लेकिन वह लोग भी अपने में ही मस्त थे।
राहुल यह सब सोच ही रहा था कि सामने से उसे नीलू आती हुई दिखाई दी। नीलु को देखते हैं फिर से उसका मन प्रसन्न हो गया।वो हाँथ मे कुछ ली थी जो कि ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था नीलू आते समय राहुल को देखते हुए मुस्कुरा रही थी। नीलू थोड़ा और नजदीक आई तू जाकर राहुल को पता चला कि नीलू के हाथ में आइसक्रीम कोन था। नीलू आ कर सीधे राहुल के पास बैठ गई और आइसक्रीम कौन को खोलते हुए बोली।

नीलु: मैं चाहती तो दो कौन ले सकती थी लेकिन जानते हो राहुल अगर एक कौन में हम दोनों साथ मिलकर खाएंगे तो हम दोनों का प्यार और ज्यादा बढ़ जाएगा।
( इतना कहकर वह आइसक्रीम कोन के रेपर को खोलने लगी राहुल कुछ बोल नहीं रहा था और एक टक नीलू और आइसक्रीम कौन को देखे जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि एक कॉन में दोनों कैसे खा सकते हैं वह भी एक दूसरे का झूठा क्योंकि आज तक राहुल ने घर के सिवा बाहर किसी और का जूठा नहीं खाया था।
राहुल ये सब मन में सोच ही रहा था तब तक नीलु ने कौन के ऊपरी रैपर को खोल कर फेंक दी। और तुरंत बड़े कामुक अंदाज में अपने मुंह को खोली और जीभ को बाहर निकालकर आइसक्रीम को चाटने लगी। आइसक्रीम को चाटते हुए राहुल की निगाहों में देखे जा रही थी। राहुल मंत्र मुघ्द सा नीलू को आइसक्रीम चाटते हुए देखे जा रहा था।
नीलु आंखों को तैर्रेते हुए ही इशारे से राहुल को आइसक्रीम चाटने के लिए बोली। लेकिन राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा है वो क्या करें। उसे बहुत शर्म भी महसूस हो रही थी। नीलू फिर से चाटने के लिए ईसारा की तो राहुल विवस हो गया। वह अपने चारों तरफ नजर घुमा कर पहले ये देख लिया कि कोई उन दोनों को देख तो नहीं रहा है पूरी तसल्ली कर लेने के बाद वह भी अपनी जीभ को बाहर निकाला और आइसक्रीम से भिड़ा कर चाटने लगा राहुल को आइसक्रीम चाटता हुआ देखकर नीलू बहुत खुश हुई।
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Rohit Kapoor
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नीलू बहुत मुस्कुरा मुस्कुरा कर आईस्क्रीम को चाटने का लूत्फ उठा रही थी। राहुल को भी मजा आने लगा राहुल भी जीभ को इधर-उधर आइसक्रीम पर फेर कर आनंद ले रहा था। तभी नीलू ने अपनी जीभ को थोड़ा सा आगे बढ़ाई और जीभ के नोक को राहुल की जीभ से स्पर्श करने लगी।जैसे ही नीलू की जीभ राहुल की जीभ से स्पर्श हुई राहुल का पूरा बदन एक अजीब से रोमांच से गनगना गया। राहुल अपनी जीभ को बस ऐसे ही कौन पर चिपकाए रहा और नीलू राहुल की जीभ से जीभ को सटाते हुए उसकी जीभ को चाटने लगी। राहुल की सांसे तेज चलने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है लेकिन राहुल को भी मजा आने लगा था क्योंकि उसके बदन में एक अजीब सी हलचल मची हुई
थी। एक अजीब से सुख का अहसास राहुल के बदन में दौड़ने लगा था। नीलू तो देश-दुनिया से बेखबर होकर उसकी जीभ को अपनी जीभ से चाटने लगी थी थोड़ी ही देर में कौन को हटाकर नीलू जीभ से जीभ की जगह अपने होठों को राहुल के होठों पर चिपका दी। अपने होंठ पर नीलू के होठों का स्पर्श पाते ही राहुल के तो होश उड़ गए उसके बदन में जैसे करंट दौड़ने लग गया हो।
नीलू आइसक्रीम को छोड़कर राहुल के होटो को चूसना शुरू कर दी। राहुल की आंखें बंद हो चली थी गर्म गर्म सांसे नथुनों से निकलकर नीलू के गालों पर टकरा रही थे जिससे नीलु का जोश और ज्यादा बढ़ने लगा था।
राहुल की होठचुसाई में नीलू इतनी मग्न हो गई थी की उसके हाथ से आइसक्रीम कब छूट गई उसे पता ही नहीं चला। धीरे से नीलू ने अपनी एक हथेली को राहुल के सर के पीछे टेक दी और बालों में अपनी उंगलियों को उलझाने लगी। राहुल का दिल जोरों से धड़क रहा था उसका लंड एकदम से टनटना कर खड़ा हो गया।
राहुल को क्या करना है यह राहुल को बिल्कुल भी पता नहीं था वह तो बस स्थिर होकर बैठा था बाकी का सारा काम नीलु ही कर रही थी उसको होठो को चूसते चूसते अपने जीभ को एकदम से राहुल के मुंह में प्रवेश करा दी। राहुल के लिए सब पहली बार था इसलिए मारे उत्तेजना के उसकी सांसे बहुत तेज चलने लगी थी। इतनी ज्यादा तेज की ऐसा लग रहा था की उसकी सांसे उखड़ रही है।
नीलू तो एक हाथ उसके सिर पर रख कर उसके बालो को सहलाते हुए अपनी जीभ को राहुल के मुंह में डालकर राहुल की जीभ को चाट रही थी। थोड़ी ही देर में राहुल भी अपनी जीभ को हल्के हल्के से नीलू की जीभ पर घिसने लगा। नीलू की भी सांसे तेज चलने लगी थी उसने इस तरह की किस बहुत बार की थी लेकिन जो मजा आज राहुल के साथ आ रहा था ऐसा मज़ा उसे कभी भी नहीं आया। नीलू राहुल को एकदम स्मूच देने लगी राहुल गनगना जा रहा था।
नीलू इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी की उसने राहुल के बाल को अपनी मुट्ठी में कसते हुए राहुल के होठो को अपने होठो से कस के चिपका ली और उसके होठों को चूसने लगी नीलू ने राहुल के होठो को ईतने कस के अपने मुंह में भर के चूस रही थी कि राहुल को सांस लेने में तकलीफ होने लगी उसकी सांसे रुँधने लगी।
नीलू को तो बहुत मजा आ रहा था लेकिन राहुल की तकलीफ बढ़ते जा रही थी उससे अब ज्यादा देर सांस रोक पाना मुश्किल था और नीलू थी की उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। ना चाहते हुए भी राहुल अपने होठ को नीलू के होठों पर जबरदस्ती खींचकर अलग किया। नीलू के होठों के चंगुल से अपने होठों को आजाद कर के राहुल जोर-जोर से हँफने लगा वही हाल नीलू का भी था वह भी जोर जोर से सांस अंदर बाहर कर रहे थी।
दोनों हाँफते हुए एक दूसरे को देखने लगे देखते ही देखते नीलू मुस्कुराने लगीऔर नीलू को मुस्कुराता हुआ देखकर राहुल भी मुस्कुरा दिया। दोनो एक दूसरे को देख कर हंसे जा रहे थे।
नीचे गिरी आइसक्रीम कौन पिघलकर पानी-पानी हो गई थी उस पर नीलू की नजर पड़ी तो उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर गई क्योंकि उसे तुरंत ख्याल आया कि जिस तरह से यो आइस क्रीम कौन गर्मी से पिघल कर पानी पानी हो गई है उसी तरह उसके जिस्म की गर्मी भी उसे पिघलाकर पानी पानी कर रही है जिससे उसकी पेंटी भी गीली हो चुकी थी।
राहुल के लिए यह पहला अनुभव था लड़की के संसर्ग में आज पहली बार उसने चुंबन का सुख लिया था। और इस चुंबन ने उसके पूरे बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ा दिया था। उसका रोम रोम पुलकित हो चूका था। जो सुख नीलू ने आज उसे दि थी इस दुख को वह शब्दों में बयान नहीं कर सकता था। नीलू राहुल की तरफ ही घूरे जा रही थी। जब उसकी नजर पेंट में बने तंबू पर गई
तंबू का उभार देखकर उसकी बुर फुदकनेे लगी। राहुल को जब उसकी नजरों का नीसाना कहां है इस बारे में पता चला तो वह शर्माकर अपनी हथेली से अपने पैंट के आगे का भाग ढँक लिया।और नीलु राहुल की ईस हरकत को देख कर उसकी मासूमियत पर मुस्कुरा दी पर मुस्कुराते हुए बोली।
नीलु; ओह राहुल आज तुम्हें किस करने में मुझे इतना आनंद आया है कि पूछो मत मैं तुम्हें बता नहीं सकती कि मैं कितना खुश हूं। क्या राहुल तुम्हें भी उतना ही मजा आया जितना कि मुझे।
( नीरु के इस सवाल पर राहुल शर्मा गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे कैसे कहे। लेकिन वह जानता था कि जवाब तो देना ही पड़ेगा नीलू उसे एसे छोड़ने वाली नहीं थी इस लिए वह सिर्फ हां मैं सिर हिला दिया। लेकिन तभी नीलू उसे बीच में टोकते हुए बोली।)
नीलु; ऐसे नहीं राहुल बोल कर बताओ कि तुम्हे मजा आया कि नहीं? ( राहुल जानता था कि नीलु ऐसे पीछा छोड़ेगी नहीं उसे बोलना ही पड़ेगा। इसलिए वह बोला)

राहुल; ( शरमाते हुए) हां मुझे भी बहुत मजा आया।
( राहुल का जवाब सुनकर नीलू बहुत प्रसन्न हुई क्योंकि वह समझ गई थी कि राहुल भी लाइन पर आने लगा है उसे भी लड़कियों से मिलने वाले सुख का मजा अच्छा लगने लगा है।)
नीलु; अच्छा एक बात बताओ राहुल क्या तुमने कभी किसी लड़की को इस तरह से किस किया है या किसी लड़की ने तुम्हें इस तरह से कीस की है?
( राहुल क्या कहता वो तो आज तक किसी भी लड़की के इतने करीब ना गया था ना किसी लड़की को अपने ईतने करीब आने दिया था आज यह पहली बार ही था। इसलिए वह बोला।)

राहुल; नहीं ऐसा मेरे साथ कभी भी नहीं हुआ।
( राहुल का जवाब सुनकर नीलू बहुत खुश हुई और मन ही मन में सोची कि वास्तव में राहुल शत-प्रतिशत वर्जिन है। वो भी मन ही मन मे प्रसन्न हो रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी। वह आगे के प्लान के बारे में सोचने लगी वह राहुल को ज्यादा उत्तेजित कर देना चाहती थी ताकि वह खुद नीलू को पाने के लिए बेताब हो जाए उसकी तड़प इतनी बढ़ जाये कि वह खुद नीलू के बगैर एक पल भी ना रह पाए।
नीलू के दिमाग में राहुल को और भी ज्यादा उत्तेजित करने का प्लान बन चुका था और वह उसी प्लान के तहत काम करते हुए अपना अगला कदम बढ़ा रही थी।
पार्क में बैठे बैठे दोनों को काफी समय बीत चुका था। शाम ढलना शुरु हो चुका था । नीलू भी अपनी अगली चाल फेंकते हुए बोली।
नीलु; राहुल अब काफी समय हो चुका है अब हमें चलना चाहिए हम दोनों ने यहां काफी समय गुजार लिए।
( नीलु की बात सुनकर राहुल बेमन से बोला।)

राहुल; हाँ हाँ क्यों नही। सच मे काफी समय हो गया है।( राहुल का मन नहीं कर रहा था यहाँ से जाने का लेकिन क्या करता जाना तो पड़ता ही इसलिए वह बेंच पर से खड़ा हो गया। राहुल को खड़ा होता देख नीलू भी
अपना पर्स उठाते हुए खड़ी हो गई। और कैसे अपने प्लान को अंजाम दे उस बारे में सोचते हुए पार्क के चारों तरफ अपनी नजर दौड़ाने लगी। नीलु अपना मुंह ऐसे बनाने लगी जैसे कि उसे दर्द हो रहा है। नीलू का बिगड़ा हुआ मुंह देखकर परेशान होता हुआ राहुल बोला।

राहुल; क्या हुआ नीलू कुछ तकलीफ है क्या।
( नीलू अभी भी पार्क के चारो तरफ अपनी नजर दौड़ाई जा रहे थी। और ऐसे ही राहुल की तरफ देखें बिना ही बोली।)
नीलु: कैसे बताऊं तुम्हें तकलीफ ही एैसी है की तुम्हे बता भी नहीं सकती। (अपने पेट पर हाथ रखते हुए) क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

( नीलू की परेशानी राहुल से सही नहीं जा रही थी राहुल भी बहुत परेशान हो रहा था कि आखिरकार ऐसी क्या तकलीफ है कि नीलु उसे बता नहीं सकती। फिर भी राहुल जोर देकर नीलू से पूछा)
राहुल : नीलू आखिर ऐसी कौन सी तकलीफ है कि तुम मुझे नहीं बता रही हो। बताओगीे नहीं तो पता कैसे चलेगा।
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( राहुल को यूं खुद के लिए तड़पता हुआ देखकर नीलू बहुत खुश हो रही थी उसे इस बात की खुशी और ठीक है राहुल उसके बारे में फिक्र करने लगा था तभी तो बार-बार पूछ रहा था कि तकलीफ क्या है। वैसे भी राहुल पूछे कि ना पूछे नीलू उसे बताने वाली ही थी क्योंकी उसकी अगली चाल ही यही थी। नीलू थोड़ा परेशान होते हुए बोली)

नीलु: अब तुम्हे कैसे बताऊँ राहुल की मुझे मुझे ( थोड़ा शर्म थोड़ी परेशानी का मिला-जुला असर अपने चेहरे पर लाते हुए) मुझे बहुत जोर की पेशाब लगी है।
( राहुल का इतना सुनना था कि उसका लंड टनटना कर खड़ा हो गया। पहली बार किसी लड़की के मुंह से पेशाब शब्द सुन रहा था और आज यह सब खुद नीलू के मुंह से सुन कर उसके पूरे बदन में सनसनी फैल गई। नीलू यह क्या बोल गई उसे खुद अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। राहुल के पेंट में तुरंत तंबू तन गया।
जौकी नीलू की नजर से बच नहीं सका। नीलू तंबु को देखकर मन ही मन बहोत प्रसन्न हुई। राहुल नीलु को अपने जांघो के बीच घुरता हुआ देखा तो फीर से शर्मींदा हो गया। नीलु बीना देरी कीए अपना पर्स राहुल को थमाते हुए बोली।

नीलु' : (चारो तरफ नजर दौड़ाते हुए)राहुल मे माफी चाहती हुँ इस गुस्ताखी के लिए लेकीन क्या करु मुझसे कंटो्ल नही हो रहा है। (राहुल क्या कहता उसको कहने के लिए कुछ बचा ही नही था। वह बस नीलु के पर्स को हाँथ मे थामे खड़ा रहा । नीलु खुद आगे बढ़ते हुए बोली ।)तुम एक काम करो (फीर से पार्क मे नजर दोड़ाते हुए)

मैं वहाँ(ऊँगली से दीखाते हुए) जा रही हुँ और कोई इस तरफ आता हो तो मुझे झट से आवाज देना मैँ ऊठ जाऊँगी। ठीक हे ना।
(राहुल नीलु को जवाब देते हुए बोला। )
राहुल: ठीक है। (राहुल जवाब देते हुए बोला)
(वैसे भी इस तरफ कोई आने वाला नही था ये तो बस नीलु ने ऐैसे ही बोल दीथी।
नीलु आगे की तरफ जाने लगी ।दो चार कदम ही चलकर वहीं रुक गई ।जहाँ रुकी थी वहाँ पर घास बहोत बड़ी बड़ी और ढेर सारी थी। वहीं पर नीलु रुक गई। नीलु को रुका हूआ देखकर राहुल का दील जोर से धड़कने लगा।क्योकी वो जानता था की अब क्या होने वाला था। वह बार बार नीलु की तरफ देखकर तुरंत अपनी नजरे फेर लेता ताकी नीलु को ये न लगे की वो उसे छुप छुपके देख ले रहा है।
जबसे नीलु ने पेशाब वाली बात की थी तब से राहुल का लंड बैठा नही था बस खड़े का खड़ा ही था। नीलु वहीं खड़े होकर अपनी डृे्स को थोड़ा सा ऊपर ऊठाई और अपनी नाजुक नाजुक ऊँगलियो से अपनी सलवार की डोरी को खोलने लगी।
राहुल नीलु को अपनी सलवार की डोरी को खोलता हुआ देखकर बहुत ज्यादा उतेजीत हो गया था। उसका लंड ठुनकी मारने लगा था। नीलु की पीठ राहुल की तरफ थी। ईसलीए राहुल नीलु की तरफ बार बार देख ले रहा था।
अगले ही पल नीलु अपनी सलवार की डोरी को खोल चुकी थी और डोरी के खुलते ही नीलू ने सलवार को थोड़ा सा ढीला की । यह सब देख देख कर ही राहुल के लंड से लार टपकना शुरू हो गया था। राहुल बार बार नज़रें चुरा कर नीलू की तरफ देख ले रहा था। उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था अगले पल क्या होने वाला है क्या होगा यह सब सोचकर उसकी बेताबी और तड़प दोनों बढ़ती जा रही थी।
नीलू सलवार को ढीली करते समय अपनी गांड को इधर-उधर कुछ ज्यादा ही मटका रही थी। उसके गांड मटकाने का एक ही मकसद था राहुल को एकदम से चुदवासा कर देना उसके बदन में चुदासी की आग को भड़का देना। और वह लगभग लगभग अपने मकसद में कामयाब भी होती जा रही थी।
अगले ही पल नीलू ने अपने दोनों हाथों की नाजुक अंगुलियों के बीच में सलवार की दोनों किनारीयो को फसा ली। यह देखकर राहुल का दिल जोरों से धड़कने लगा । नीलु जानती थी कि राहुल उसे देख रहा है लेकिन वो एक बार भी पीछे मुड़कर राहुल की तरफ देखी नहीं क्योंकि वह जानती थी कि अगर वो ऐसा करेगी तो कहीं राहुल शर्मा कर इधर देखना ही बंद कर दे। वह तो बस अपने बदन को दिखाकर राहुल को उपर कहर बरसाना चाहती थी। ऐसा करने में नीलु का भी दिल जोर-जोर से धड़क रहा था जितनी उत्तेजना राहुल में भरी हुई थी उतनी ही उत्तेजना नीलू को भी परेशान कर रही थी।
अगले ही पल नीलू नैं सलवार के साथ-साथ अपनी पैंटी को भी उंगलियों में फंसा ली और धीरे धीरे नीचे सरकाना शुरू कर दी। उसे यह डर बिलकुल भी नहीं था कि पार्क में कहीं कोई और भी उसे इस अवस्था में देख ना ले। उसे तो बस इस बात से मतलब था कि वह जो चीज राहुल को दिखाना चाह रही थी राहुल उसे जी भर कर देख लें और अपने दिमाग में बैठा ले ताकि उसे पाने की उसकी इच्छा एकदम प्रबल हो जाए।
अपने प्लान के मुताबिक नीतू अपनी सलवार को पैंटी सहित धीरे-धीरे करके नीचे सरकाने लगी। जैसे-जैसे सलवार पैंटी सहित नीचे सरक रही थी नीलू का दुधिया गोरा बदन उजागर होता जा रहा था। नीलू की गोरी गोरी मखमली बदन को देखकर राहुल का लंड पेंट में तूफान मचाए हुए था। और नीलू भी राहुल को और ज्यादा तड़पाने के उद्देश्य से अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही उभार कर अपनी सलवार को नीचे सरका रही थी।
क्या गजब का नजारा बना हुआ था झाड़ी झीड़ीयो और बड़े-बड़े पेड़ों से आच्छादित ईस पार्क में खड़ी होकर एक लड़की रुप यौवन से भरी हुई जिसके अंग अंग में से जवानी का रस टपक रहा हो वह अपनी सलवार को खोलकर नीचे सरका रही हो और अपनी मस्ती गोल गोल गांड को दिखा रही हो तो सोचो देखने वालों का क्या हाल हो रहा होगा। राहुल के ऊपर तो चारों तरफ से नीलू की जवानी का कहर बरस रहा था। जिसे झेल पाना उसके बस में नहीं था।
अगले ही पल नीलू ने अपनी सलवार को पेंटी सहित घुटनों तक सरका दी। और घुटनों तक सलवार के आते ही वह नजारा सामने आया जिसे देखते ही राहुल के तो होश उड़ गए उसका अंग अंग कंपन करने लगा। उसकी सांसों की गति तेज हो गई। वाह एकटक आंखें फाड़ कर नीलू की तरफ ही दोखे जा रहा था।

अब राहुल कर भी क्या सकता था वह भी मजबूर था राहुल क्या उसकी जगह कोई भी होता तो ऐसा अतुल्य मादक दृश्य देखने पर मजबूर हो जाता । उउफफफ नजारा ही कुछ ऐसा था। नीलू अपनी सलवार को पैंटी सहित अपने घुटनों तक सरकायी हुई थी। और उसकी गोरी गोरी दूधिया गांड ऐसी लग रही थी मानो जैसे कि कोई चांद हो।
राहुल जी भर के इस चांद जैसे मस्त-मस्त गौरी गांड का दीदार कर सके इसलिए कुछ देर तक यूं ही खड़े रहकर इधर उधर पार्क में चारो तरफ नजर दौड़ाने लगी। राहुल इस मौके का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाते हुए अपनी नजर को नीलू की मखमली गांड पर ही टीकाए हुए था। वैसे भी भला किसी का मन ऐसी मस्त मस्ती भरी हुई गांड देखकर भर सकता है।
ऐसी गांड को तो दिन रात बैठकर देखते रहो तो भी मन ना भरे।
नीलु कुछ ही सेकण्ड बाद पेशाब करने के लिए बैठ गई नीलू अभी तक एक बार भी पीछे मुड़कर देखी नहीं थी।
जैसे ही ली नीचे पेशाब करने के लिए बेटे इतना ही देखकर राहुल का दिल धक से कर गया उसके तो होश उड़ गए उसे समझ में नहीं आ रहा था की यह जो देख रहा है यह हकीकत में है या एक सपना है। आज तक उसने किसी भी लड़की को पेशाब करते हुए नहीं देखा था और इस समय मेरे को पेशाब करने वाली अवस्था में देख कर पागल हुआ जा रहा था उसका लंड तनकर लोहे का रॉड बन चुका था। राहुल इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि वह खुद अपनी अंगुलियों को अपनी ही तंबू पर फिरा रहा था और उसके पेंट के आगे वाला भाग हल्का-हल्का गीला हो चुका था ।
नीलू बैठकर पेशाब करने लगी थी। राहुल के बदन में तो तब आग और ज्यादा लग गई जब उसे नीलू की बुर

राहुल के बदन में तो तब और ज्यादा आग लग गई जब उसने नीलू की बुर मै सेआ रही सीटी की आवाज सुना। बुर में से आ रही सीटी की आवाज सुनते ही राहुल के बदन में जैसे करंट दौड़नें लग गया । वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह का दृश्य देख पाएगा और आज उसकी आंखों के सामने यह दृश्य देखकर उसके पूरे बदन में खुशी और उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी।
नीलू जहां बैठ कर पेशाब कर रही थी वहां पर कुछ ज्यादा ही बड़ी बड़ी घास थी और घने घास होने की वजह से उसे लगा कि राहुल उसकी गांड को ठीक से नहीं देख पा रहा होगा इसलिए उसने अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उचका ली ताकि राहुल उसकी गांड को जी भर के देख सके। लेकिन ऐसा करने पर नीलू और भी ज्यादा सेक्सी लगने लगी उसकी ये हरकत राहुल के लंड पर और ज्यादा कहर बरसाने लगी। नीलू से रहा नहीं जा रहा था वह पेशाब तो कर रही थी लेकिन यह भी देखना चाहती थी कि उसको पैसाब करता हुआ देखकर राहुल के बदन में कैसी हलचल मची हुई है। नीलू से रहा नहीं जा रहा था और वह अपनी गर्दन को पीछ की तरफ घुमाकर राहुल की तरफ देखी और राहुल को देख कर वो एकदम से दंग रह गई। राहुल नीलू की मदहोशी में एकदम से खो चूका था। राहुल के ऊपर उत्तेजना सवार हो चुकी थी वह अपने हाथ से अपने पेंट में बने तंबू को उंगली से मसल रहा था और गहरी गहरी सांसे ले रहा था। जैसे ही नीलू की नजरों से राहुल की नजरें मिली राहुल एकदम से शर्मा गया और झट से अपने तंबु पर से हाथ को हटा लिया। और नीलू के पर्स से अपने तंबू को ढक लिया।
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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

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राहुल को हड़बडा़ता हुआ देखकर नीलू मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए अपनी नजर को फीर से फेर ली।
मीनू की नजर हटते ही राहुल ने चैन की सांस ली। और वापस नीलू की मस्तायी गांड को निहारने लगा।
लेकिन तब तक नीलू निपट चुकी थी। नीलू वैसे ही गांड को ऊचकाए हुए ऊपर नीचे करके अपनी गांड को झटके देने लगी। ताकि उसकी बुर पर लगी पेशाब की बूंदे नीचे टपक जाए। लेकिन नीलु का यूँ अपनी गांड को उचकाए हुए ऊपर नीचे कर के झटके देना राहुल के लंड के ऊपर बहुत बुरी तरह से कहर बरसा रहा था। जैसे-जैसे नीलू की गांड ऊपर नीचे हुई थी वैसे वैसे ही राहुल का लंड ऊपर नीचे होकर ठुनकी मार रहा था।
गांड को झार कर नीलू खड़ी हुई और अपनी सलवार को पैंटी सहित ऊपर सरकाने लगी। और जैसे ही सलवार की डोरी में गांठ मारना शुरू की राहुल अपनी नजर को फेर लिया। अब वह नीलू की तरफ अपनी पीठ करके खड़ा हो गया ताकी नीलू यह न समझे कि वह उसे पेशाब करते हुए देख रहा था। लेकिन राहुल बहुत नादान था वह जान कर भी अनजान बन रहा था क्योंकि वह भी जानता था कि नीलू ने उसे उसकी तरफ देखते हुए पकड़ ली थी। नीलू तो पहले से जानती थी कि जब वह पेशाब करेगी तो राहुल उसे जरूर नीहारेगा।
नीलू कपड़ों के व्यवस्थित करके राहुल के करीब आ गई और उससे अपना पर्स मांगते हुए बोली।

नीलु: चलो राहुल हो गया।
( नीलू का काम हो चुका था नीलू जान गई थी की उसका प्लान सफल हो चुका है । नीलु ने राहुल को पूरी तरह से अपना दीवाना बना चुकी थी। राहुल ने नीलु को पर्श थमा दीया। नीलू राहुल से पर्स लेकर अपने कंधे पर डालते हुए बोली।)
नीलु: और हां एक बात ओर।राहुल इस बारे में विनीत को कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए ठीक है ना।
राहुल: ठीक है मैं उसे कुछ भी नहीं बताऊंगा।
( इतना कह कर राहुल नीलू के पीछे पीछे चलने लगा
और नीलू भी बहुत प्रसन्न होकर राहुल के आगे आगे अपनी गांड मटकाते हुए चलने लगी।)

रात के 10:00 बज रहे थे ।राहुल अपने कमरे में लेटा हुआ था। राहुल की तो नींद ही उड़ चुकी थी उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी। उसकी आंखों के सामने दिनभर जो कुछ भी हुआ वह उसकी आंखों के सामने एक पिक्चर की तरह चल रहा था। बार बार उसकी आंखों के सामने नीलू ही नीलू नजर आ रही थी।
नीलू का ख्याल आते ही राहुल के लंड में कड़कपन आना शुरु हो गया। बार-बार नीलू का राहुल के बदन से सट जाना उसका हंस हंस के बात करना। ड्रेश के अंदर हीचकोले खा रही उसकी गोल-गोल चूचियां। आइसक्रीम कौन को जीभ से चाटना और आइसक्रीम को चाटते चाटते एक दूसरे को किस करना। यह सारी बातें राहुल सोच-सोचकर मस्त हुआ जा रहा था।
उसका लड इतना ज्यादा टाइट हो चुका था कि उसके पजामे का आगे का भाग उभर के एकदम से तंबू बना हुआ था। राहुल ना चाहते हुए भी अपने हाथ को अपने लंड पर जाने से रोक नहीं सका। राहुल नीलू को याद करके धीरे धीरे पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था। राहुल ने आज तक अपने लंड को इस तरह से मसला भी नहीं था क्योंकि आज तक उसे इस चीज़ की ज़रूरत ही कभी नहीं पड़ी थी। लेकिन राहुल भी उस उम्र के दौर से गुजर रहा था जहां पर जवानी अपना पूरा जोर लगाती है इस उम्र में इंसान का दिल की सुनता है ना दिमाग की। इस उम्र में अक्सर इंसान जवानी के जोश के आगे लाचार बेबस नजर आते हैं।
और यही हाल राहुल का भी हो रहा था नीलू की जवानी ने. उसके मदमस्त बदन के उतार चढ़ाव ने राहुल के दिलो-दिमाग पर एक जाल सा बुन दीया था।
राहुल के मन-मस्तिष्क पर नीलू ने पूरी तरह से कब्जा जमा चुकी थी।
. बार बार राहुल नीलू के बारे में सोच सोच कर अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही उंगलियों से मसल रहा था
आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था और वैसे भी नींद आती भी कैसे आज जो कुछ भी राहुल के साथ हुआ था उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदलने में अहम भूमिका निभाने वाला था।
राहुल को सबसे ज्यादा नीलु की जो बात परेशान कर रही थी वो थी नीलू का राहुल से बेझिझक पेशाब लगने वाली बात करना। नीलू के मुंह से पेशाब लगने वाली बात सुनकर ही राहुल का पूरा बदन गनगना गया था।
राहुल ने आज तक किसी भी लड़की के मुंह से लड़कों से यह कहते नहीं सुना था कि उसे जोर से पेशाब लगी है या पेशाब की जिक्र भी करते नहीं सुना था इसलिए राहुल के कानों से पेशाब वाली बात सुनकर राहुल का लंड टनटना के खड़ा हो गया था।
उसे तो अपनी आंखों पर अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने अपनी जागती आंखों से नीलू को अपने सामने पेशाब करते हुए देखा है। उसे तो यह सब एक सपना ही लग रहा था। वह सोच भी नहीं सकता था कि कोई लड़की इस तरह से उसके सामने अपनी सलवार कि डोरी खोलकर अपनी सलवार को उसके सामने ही अपने घुटनों तक सरकाएगी और पेशाब करने बैठ जाएगी।उफफफफ गजब की गोल-मोल और गोरी गांड थी नीलू की और वह जिस तरह से अपनी गांड को उभार के पेशाब कर रही थी उससे तो राहुल के लंड का अकड़ पन इतना ज्यादा बढ़ गया था कि ऐसा लगने लगा था कि कहीं लंड की नशे फट ना जाए।
पेशाब करने वाले दृश्य के बारे में सोच कर ही राहुल का लंड एकदम अकड़ चुका था। राहुल का हाथ कब उसके पजामे में चला गया उसे खुद पता नहीं चला। राहुल की उंगलियां खुद ब खुद उसके टनटनाए हुए लंड के इर्द-गिर्द कश्ती चली गई अब राहुल का लंड उसकी मुट्ठी में आ चुका था और उसने अपनी मुटठी को लंड पर कस लिया था। और धीरे-धीरे मुट्ठी को ल़ंड पर कस के ऊपर नीचे करते हुए मुठियाने लगा। राहुल नहीं जानता था कि वह क्या कर रहा है। उसे इसका ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि वह जो कर रहा था उसे ही मुठ मारना कहते हैं अनजाने में ही नीलू को याद करते हुए राहुल मुठ मारने लगा था।

वही दूसरे कमरे में अलका आदम कद आईने के सामने खड़ी होकर अपनी साड़ी को खोलने लगी। साड़ी के पल्लू को जैसे ही अलका ने अपने कंधे से नीचे गिराई वैसे ही ब्लाउज मे केद दोनों बड़ी बड़ी चूचियां झलकने लगी। अलका ने एक बार अपनी नजर को नीचे झुका कर चुचियों के बीच की गहराई को देखने लगी चुचियों के बीच की गहराई को देख कर खुद ही मुस्कुरा दी और अपनी नजर के सामने दिख रही है अपनी प्रतिबिम्ब को आईने में निहारने लगी। आईने में अपनी खूबसूरती को देखकर वह मन ही मन गीत गुनगुनाते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर ब्लाउज की डोरी को अपनी नाजुक उँगलियों से खोलने लगी। ब्लाउज की डोरी को खुलते ही अलका एक-एक करके ब्लाउज को अपनी बाहों से निकाल कर अलग कर दी। अलका के बदन से ब्लाउज अलग होते ही उसकी गुलाबी रंग की ब्रा दिखई देने लगी। अलका पहले से ही अपने चूचियों के साईज के हिसाब से छोटी ही ब्रा पहनतीे थी। इसीलिए उसकी आधे से ज्यादा चुचिया ब्रा के बाहर हीे झलकती रहतेी थी। अपनी बड़ी बड़ी चूचीयो पर अलका को हमेशा से नाज रहता था। और नाज हो भी क्यों ना ईतनी बड़ी बड़ी चुचिया होने के बावजूद भी उसमें लटक पन जरा सा भी नहीं आया था। उसकी चूचियां हमेशा तनी हुई ही रहती थी।
अलका ने एक बार अपने दोनों हथेलियों मे अपनी दोनो चुचियों की गोलाइयों को भरी। और हल्के से दोनों हथेलियों को ऊपर नीचे करके अपनी चुचियों को भी हिलाई। और फिर से अपने हाथो को पीछे ले जाकर ब्रा की हुक को खोलने लगी और अगले ही पल ब्रा के हुक को खोलने के बाद एक एक कर के ब्रा की स्ट्रिप को अपने हाथों में से बाहर निकाल दि। ब्रा के निकलते ही दोनों चुचीया जेसे हवा में उछल रही हो इस तरह से ऊपर नीचे हुई। अपनी चुचियों के उछाल से खुश होकर अलका अपनी कमर से बंधी साड़ी को खोलने लगी।
साड़ी को खोलकर वह उसे बिस्तर पर फेंक दी अब उसके बदन पर सिर्फ पेटीकोट ही रह गई थी।
गीत गुनगुनाते हुए अलका अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी। डोरी की गांठ खुलते ही अलका ने अपने हाथ से पेटीकोट को नीचे छोड़ दी पेटीकोट अलका के हाथ से छूटते ही सरक कर उसके कदमों में जा गिरी। अलका की गदराई और खूबसूरत बदन पर सिर्फ पैंटी ही रह गई थी बड़ी-बड़ी और गोरी गांड पर गुलाबी रंग की पेंटी खूब फब रही थी। अलका की गांड इतनी ज्यादा बड़ी बड़ी और गदराई हुई थी की उसकी गांड की फांकों के बीच उसकी पैंटी धसी हुई थी जिसे अलका ने अपनी एक हाथ पीछे ले जाकर पैंटी को पकड़कर गांड की गलियारे से खींचकर बाहर निकाली अलका अपने बदन को देख कर मन ही मन बहुत खूश हो रही थी।
अलका ने अपने दोनों हाथों की उंगलियों को पेंटी की दोनों छोर पर टीकाई और अपनी नाजुक उंगलियों से पैंटी के छोर को पकड़ कर नीचे सरकाने लगी । अलका आईने में अपनी पैंटी को नीचे सरकाते हुए खुद ही देख रही थी जैसे जैसे पेंटी नीचे सरकती जाती वैसे वैसे अलका की खुद की धड़कनें तेज होती जा रही थी।
अगले ही पल अलका अपनी बुर को पेंटी के परदे से अनावृत करते हुए घुटने तक सरका कर पैंटी को वैसे ही छोड़ दी और पेंटी अपने आप शरक के अलका के कदमों में जा गिरी। अलका एकदम नंगी हो चुकी थी उसके बदन पर नाम मात्र का भी कपड़ा नहीं रह गया था। अलका आईने में अपने बदन को निहारते हुए जब अपनी नजर को जाँघो के बीच ले के गई तो उसे खुद पर ही बहुत गुस्सा आया। गुस्से का कारण भी साफ था । आज तक उसने अपनी बुर पर इतने ढेर सारे बाल कभी भी इकट्ठा होने नही दी थी। अपने पति से दूर रहकर भी वह हमेशा अपने बदन की साफ-सफाई मैं हमेशा स ज्यादा ध्यान देती थी।इसलिए आज अपनी बुर पर बालों के गुच्छे को देखकर खुद पर गुस्सा करने लगी। गुस्सा करते हुए ही वह अपनी हथेली को जाँघों के बीच रख दी। गरम बुर पर गर्म हथेली का स्पर्श पड़ते ही अलका को अपने बदन में सुरसुराहट का अनुभव होने लगा। अलका अपनी हथेली को अपनी बुर से सटाए हुए ही ऊपर की तरफ सरकाने लगी लेकिन इसी बीच अपनी हथेली की बीच वाली उंगली को अपनी बुर के बीचों बीच की लकीर पर रखकर रगड़ते हुए ऊपर की तरफ सरकाई। बीच वाली उंगली की रगड़ बुर की लकीर पर इतनी तेज थी की उंगली की रगड़ बुर की लकीर में धंसते हुए ऊपर की तरफ आई। अलका की इस हरकत पर उसका बदन एक दम से झनझना गया।
बुर मे से हल्का सा पानी की बूंद बुर की उपरी सतह पर झलकने लगी। अलका के मुंह से हल्की सी सिसकारी फूट पड़ी। अलका आज वर्षों के बाद अपने बदन से इस तरह की छेड़छाड़ की थी। अलका इससे अधिक और ज्यादा बढ़ती इसे पहले ही अपने आप को संभाल ली।
वह अपने आप से ही बोली। यह मैं क्या कर रही हो मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए गलत है और इतना कहकर नंगे बदन है अपने बिस्तर तक गई बिस्तर तक चलने से उसकी गांड में हो रही थीरकन इतनी गजब की थी कि अगर कोई भी उसकी गांड पर हो रही थीरकन को देख ले तो खड़े-खड़े उसका लंड पानी छोड़ दे।
अलका बिस्तर पर पड़ी अपनीे गाऊन को उठाई और उसे अपने गले में डाल कर पहनते हुए मन ही मन में बोली कि अगली बार बाजार जाऊंगी तो वीट क्रीम लाकर अपने बाल की सफाई जरूर करुँगी।
बाजार जाने के नाम से उसे एकाएक याद आया कि आज वह बाजार गई थी। और बाजार में उसे एक लड़का मिला था। जिसने सामान से भरे थैले को उठाने में उसकी मदद की थी।
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

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अलका गाउन पहन चुकी थी। वह बिस्तर पर बैठ गई और बाजार वाली बात को याद करने लगी।
उसे याद आने लगा कि वह बाजार से आज ढेर सारा सामान खरीदी कर ली थी जिससे कि उसका थैला भर चुका था और वजन भी ज्यादा था जिसको उठा पाना उसके बस की बात नहीं थी। वैसे भी आज उसने घर की जरूरत होगा कुछ ज्यादा ही सामान खरीद ली थी घर से निकली थी तब वह नहीं जानती थी कि यह सब समान उसे खरीदना है। लेकिन बाजार में पहुंचकर धीरे-धीरे ढेर सारा सामान खरीद ली। वह इतना ढेर सारा सामान खरीद तो ली लेकिन वो नहीं जानती थी कि वजन इतना बढ़ जाएगा कि उससे उठाया नहीं जाएगा।
वह बाजार में हुई बात को याद करते-करते बिस्तर पर लेट गई उसे वो याद आने लगा कि किस तरह से सामान से भरी थैले को उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो उठ नहीं पा रहा था। उसे बहुत टेंशन भी होने लगी थी की थी थैला अगर उठेगा नहीं तो घर तक जाएगा कैसे। वह बिस्तर पर लेटे लेटे यही सोच रही थी कि वह उस समय कितनी परेशान हो गई थी। तभी वह लड़का दौड़ते-दौड़ते पास में आया और कैसे मेरे बिना कुछ बोले ही खुद ही थेला उठा लिया। और कितनी अच्छी बातें करता था वो।
लड़का: लाइये आंटी जी में उठा लेता हूं। ( इतना कहकर वह मेरे थेलै को उठाने लगा। और मैं उसे रोकते हुए बोली)

मै: अरे अरे रहने दो बेटा मैं उठा लूंगी। ( और वह मेरे कहने से पहले ही अपने मजबूत बाजूओ के सहारे उस वजनदार पहले को उठा लिया और बोला )

लड़का: आंटी जी मैं जानता हूं कि आप ईस थैले को नहीं उठा सकीे हैं तभी तो मैं आया हूं आपकी मदद करने। ( इतना कहने के साथ ही वह थैले को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया। मैं उससे फिर से पूछी।)

मै: तुम्हें कैसे मालूम बेटा कि मैं ये थैला नहीं उठा पाऊंगी

लड़का ; आंटी जी मैं बहुत देर से वहां बैठ कर( सामने रेस्टोरेंट की तरफ इशारा करते हुए) आपको ईस थैले को उठाते हुए देख रहा हूं लेकिन ये थैला आप से उठ ही नहीं रहा है इसलिए तो मैं वहां से इधर आया कि आपकी थोड़ी बहुत मदद कर सकु।( अलका उस लड़की की बात सुनकर मन ही मन में मुस्कुराने लगी। )
अलका; तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा।

लड़का; आंटी जी इस मे शुक्रिया किस बात का। यह तो मेरा फर्ज है। वैसे आंटीजी ये थैला ले कहां जाना है। आप बताइए मैं वहां तक पहुंचा दुँ। ( अलका इस लड़के की मदद करने की भावना से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई
और इस लड़के की मासूमियत अलका को भा गई। अलका उस लड़के के मासूम चेहरे की तरफ देखते हुए बोली।)

अलका;अब कैसे कहूं बेटा तुम्हें तकलीफ देते हुए मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। तुम बहुत ही अच्छे लड़के हो।

लड़का: अब इसमें तकलीफ कैसी आंटी जी अब बस जल्दी से बताइए कहां ले जाना है?

अलका; ( पर्स को अपने हाथ में दबाते हुए) बस बेटा वहाँ थोड़ा आगे तक। ( हाथ से इशारा करके दिखाते हुए) वहां तक पहुंचा दो मै वहाँ से ऑटो करके घर चली जाऊंगी।
( अलका का इशारा पाते ही वह लड़का बिना कुछ बोले उस दिशा की ओर चलने लगा और उसके पीछे पीछे अलका चलने लगी। अलका मन ही मन में सोचने लगी कि यह लड़का कितना नेक दिल इंसान है। इसकी उम्र ही कितनी है मेरे राहुल जितनी हीं तो है। लेकिन इतनी कम उम्र में भी इसकी समझदारी इसका व्यवहार इसे इसकी उम्र से भी बड़ा कर देता है। अलका के मन में यह सब ख्याल आ ही रहा था कि तब तक उस लड़के ने अपने कंधे पर से थैला ऊतार के नीचे रख दिया और बोला)

लड़का: लो आंटी जी अब आ गया( इतना कहने के साथ ही वहां से एक ऑटो गुजर रहा था उसे हाथ दीखाकर रुकवा दिया। और उस ऑटो मे सामान से भरा थैला रखते हुए बोला।)

लड़का; यह लो आंटी जी आपका सामान में रख दिया अब आप को जहां जाना है आप आराम से बैठ कर चले जाइए।
( अलका को उस लड़के पर ढेर सारा प्यार उभर आया और अलका ने उस लड़के के माथे पर हाथ फेरते हुए उसका शुक्रिया अदा की और ऑटो में बैठकर अपने घर की तरफ तरफ चल दी।)
अलका बिस्तर पर लेटे लेटे उसी लड़के के बारे में सोच रीे थी लेकिन तभी उसे याद आया कि उस लड़के ने इतनी मदद की लेकिन उसने एक बार भी उस लड़के से उसका नाम नहीं पूछी। खेर कोई बात नहीं अगली बार मिलेगा तो जरुर उसका नाम पूछूंगी। अलका अपने मन में ही कह कर करवट बदल ली और पास में पड़े टेबल पर रखे लैंप की स्विच ऑफ करके बत्ती बुझाई और सो गई।
अलका जिस लड़के से इतना ज्यादा प्रभावित हुई थी वह उस लड़के के बारे में कुछ नहीं जानती थी। वह जिसे सीधा साधा और भोला भाला लड़का समझ रही थी । वह विनीत था उसके ही लड़के का दोस्त उसका हम उम्र। जो बड़ी उम्र की औरतों का शौकीन था। जो ज्यादातर बड़ी उम्र की औरतों की तरफ ही आकर्षित होता था।
अलका यह समझ रही थी कि वह लड़का उस की मदद करने के इरादे से ही उसके पास आया था और उसका थैला उठाकर उसकी मदद किया था। लेकिन अलका इस बात से बिल्कुल भी बेखबर थी कि वह बस की मदद करने के हेतु से नहीं बल्कि उसके खूबसूरत बदन और उसके भरे हुए बदन के उभार और कटाव के आकर्षण को देखकर उसके पास आया था। वह लड़का सामने के रेस्टोरेंट में बैठ कर काफी देर से अलका के हिल चाल पर नजर रखे हुए था। वह लड़का भाई रेस्टोरेंट में बैठे बैठे अलका के भरे हुए बदन को ऊपर से नीचे तक उसकी बड़ी बड़ी चुचियों की गोलाई को अपनी आंखों से ही नाप रहा था। अलका की बड़ी बड़ी गांड और उसका घेराव ही उस लड़के के आकर्षण का केंद्र बिंदु था। अलका की हर एक हलन चलन पर उस लड़के ने अपनी नजर गड़ाए हुए था। अलका जब भी थोड़ा सा भी चलती तो उसकी गांड में उठने वाली थीरकन उस लड़के के लंड में मरोड़ पैदा कर दे रही थी।
अलका जब-जब थैला उठाने के लिए नीचे झुकती तो सामने से उसकी बड़ी बड़ी चुचिया ब्लाउज में से झाँकती हुई नजर आ जा रही थी। जिसे देख कर उस लड़के की आह निकल जा रही थी। उस लड़के से अलका के बदन का उतार चढ़ाव बर्दाश नहीं हो रहा था और वह ये भी समझ गया था कि उस औरत से वह थैला ऊठ नहीं रहा है। इसलिए मैं सोचा कि वह जाकर उस खेलें को उठाने में उसकी मदद करें और काफी नजदीक से उसके खूबसूरत बदन का दर्शन भी हो जाए इसलिए वह उस रेस्टोरेंट से उठ कर अलका की मदद करने के लिए आया था।
विनीत के दिलो-दिमाग पर अलका की खूबसूरती और उसके बदन का भराव एकदम से छा चुका था। विनीत ने मन ही मन मे अलका के खूबसूरत बदन को भोगने का ठान लिया था। इसलिए विनीत ने अपना पहला दाँव चल चुका था और काफी हद तक कामयाब भी हो चुका था।

वहीं दूसरी तरफ राहुल अपने पजामे को गीला कर लीया था। उसके लंड ने इतनी तेज पिचकारी मारी थी कि उसे देख कर एक बार तो राहुल डर ही गया था यह क्या हो रहा है लेकिन लंड से पिचकारी निकलते समय मिलने वाले सुख का अहसास ने उसे आनंद के सागर में गोते लगाने को मजबूर कर दिया। राहुल लंड को हिलाते हिलाते इतना मस्त हो गया था की पिचकारी निकलते समय उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी।
आज राहुल अनजाने में ही मुठ मारना सिख गया था।
आज उसे चरम सुख का अनुभव हो रहा था। बिस्तर पर पड़ी टॉवल से राहुल ने अपनी लंड को साफ किया।
नीलू के बदन का आकर्षण पुरुष की दीवानगी ने राहुल को इस कदर मजबूर कर दिया था कि जो उसने आज तक नहीं किया था उसके बारे में सोचा भी नही था कभी उसी काम को अंजाम दे कर सुख का अनुभव कर रहा था।
राहुल आज नया अनुभव पाकर प्रसन्न हो गया था।
राहुल ने भी लेंप की स्विच को दबाकर ऑफ किया और आंखों को मुँद कर सपनों की दुनिया में चला गया।

दूसरे दिन स्कूल में राहुल नीलू से आंखें नहीं मिला पा रहा था उसे शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन छुप छुप के नीलू को नजर भर के देख ले रहा था नीलू भी विनीत से नजरें बचाकर राहुल को देखकर मुस्कुरा दे रहीे थी।
नीलू बार बार राहुल को इशारे से रिसेस के समय ऊपर की क्लास में मिलने को समझा रही थी। लेकिन राहुल नीलु के इशारे को समझ नहीं पा रहा था।
आज राहुल विनीत से भी बातें करने में भी हीचकीचा रहा था। आंखों ही आंखों से इशारा करते हुए कब रीशेष की घंटी बज गई पता ही नहीं चला। रिषेश की घंटी बजते ही सभी विद्यार्थी क्लास के बाहर चले गए विनीत भी राहुल का हाथ पकडे हुए क्लास के बाहर आ गया। नीलू छिप छिप कर उन दोनों को देख रही थी नीलू राहुल को ऊपर की क्लास में ले जाना चाहती थी क्योंकि ऊपर की क्लास ज्यादातर खाली ही रहते थी।
लेकिन वो जानती थी कि विनीत के होते हुए व राहुल के साथ ऊपर नहीं जा सकती। और विनीत था की राहुल के साथ ही चिपका रहता था। राहुल विनीत बातें करते हुए एक पेड़ की छाया के नीचे बैठ गए। नीलू वो दोनो को देख ही रही थी वह समझ गई कि आज का प्लान सक्सेस नहीं हो पाएगा। इसलिए थक हारकर वह भी उन दोनों के पास पहुंच गई।
नीलू को देखते ही विनीत बोला।

वीनीत; हाय जान तुम तो दीन ब दीन फुल की तरह खीेलती जा रही हो।( इतना कहने के साथ ही विनीत ने सबकी नजरें बचाकर अपने हाथ से नीलू की गदराई गांड को दबा कर अपना हाथ पीछे खींच लिया । युँ एकाएक अपनी गांड पर राहुल के हाथ का स्पर्श पाकर नीलू चौक ते हुए बोली।)

नीलु: क्या करते हो विनीत कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा।।
( नीलू की बात सुनते ही विनीत ने नीलू का हाथ पकड़ कर अपने नजदीक बैठाते हुए बोला)

वीनीत: अरे जान कोई नहीं देखेगा और देख भी लीया तो क्या हुआ मैं तुमसे प्यार करता हुँ। ( विनीत की बात सुनकर नीरलु मुस्कुरा दी लेकिन वही बैठे राहुल को यह सब बातें अच्छी नहीं लग रही थी पता नहीं क्यों उसे विनीत से ईर्ष्या होने लगी थी। राहुल बखूबी जानता था कि नीलू और विनीत का काफी समय से चक्कर चल रहा है लेकिन कल नीलू से मिलने के बाद से राहुल नीलू का अपना समझने लगा था इसलिए विनीत पर उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन जिस तरह से विनीत ने अपने हाथों से नीलू की नरम नरम गांड को दबाया था उसे देखते ही राहुल के लंड में झनझनाहट होने लगी थी
लेकिन राहुल विनीत को कुछ कह भी नहीं सकता था। तभी विनीत ने नीलू से कहा)

वीनीत: क्या जान आजकल तो तुम्हारी गांड बहुत ज्यादा गदराई जा रही है कहीं किसी और का तो नहीं ले रही हो? ( विनीत की बात सुनते हैं नीलू एकदम से सकपका गई लेकिन अपने आप को संभालते हुए बोली।)

नीलु; पागल हो गए हो क्या कैसी बातें कर रहे हो वो भी अपने दोस्त के सामने। वो क्या समझेगा।

वीनीत; ( राहुल की तरफ देख कर उसको आंख मारते हुए) कुछ समझ भी जाएगा तो क्या हुआ मेरी जान यह मेरा जिगरी दोस्त है किसी से कुछ भी नहीं कहेगा।( राहुल के कंधे पर हाथ रखकर अपने तरफ खींचते हुए)
क्यों राहुल सच कहा ना।
( राहुल क्या कहता वह तो मन ही मन जलभुन रहा था लेकिन फिर भी हंसते हुए हाँ मे सिर हीला दीया। तभी विनीत ने नीलू से कल के बारे में पूछा तो नीलू फिर से सक पका गई। क्या जवाब दे कुछ समझ में नहीं आ रहा था राहुल भी नीलु की तरफ सवालिया नजरों से देख रहा था। वह भी यही सोच रहा था कि नीलू क्या जवाब देती है लेकिन कुछ देर तक नीलु खामोश रही। उसकी खामोशी को देखकर विनीत फिर से उसे वही सवाल दोहराया। इस बार नीलू हड़बड़ाते हुए जवाब दी)

नीलु: वो वो ककककल मै .....हाँ। कल मैं मम्मी पापा के साथ रिश्तेदार के वहां गए थी। और रात को देर से लौटे थे।( इतना बोलने के साथ ही अपने नजरों को इधर-उधर घुमाने लगी। नीलू के जवाब से संतुष्ट होकर विनीत बोला।)

वीनीत; कल मुझे भी बहुत काम था इसलिए मैं तुमसे मिल नहीं सका।( विनीत अपनी बात पूरी किया ही था कि उसके मोबाइल की रिंग बज उठी। वह अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर उसके स्क्रीन पर देखा तो उसकी भाभी का ही नंबर था। विनीत ने फोन पिक किया और बातें करने लगा। उसके फोन पर बात करने से पता चल रहा था कि उसकी भाभी को कोई जरूरी काम था उसे जाना पड़ रहा था। विनीत फोन को कट करके मोबाइल को जेब में रखते हुए बोला।)

वीनीत: यार मुझे जाना होगा घर पर जरुरी काम है।
( नीलू और राहुल को उसकी भाभी का यूं बार बार घर पर बुला लेना कुछ समझ में नहीं आ रहा था इसलिए नीलू विनीत से बोली)

नीलु; क्या यार जब देखो तब तुम्हारी भाभी बीच क्लास मे तो कभी रीशेष मे बुला लेती है .कभी भी बुला लेती है। आखिर ये सब चक्कर क्या है। ( राहुल भी विनीत की तरफ सवालिया नजरों से देख रहा था। नीलू के सवाल पर विनीत ने पहले नीलू की तरफ फिर राहुल की तरफ देखते हुए जवाब दिया।)

वीनीत; देखो यार तुम लोगों को तो पता ही है कि बचपन में ही मेरे सर से मां बाप का साया उठ चुका था भाई ने ही मेरी देखभाल की है। भाई की शादी के बाद भाभी ने भी मुझे अपने बेटे के जैसा ही प्यार दिया है मेरी हर जरूरतों का ध्यान रखतीे हैं। इसलिए तो मैं अपनी भाभी को अपनी मां की तरह मानता हूं। और इसलिए मैं उनकी हर आज्ञा मानता हूं। ( इतना कहकर विनीत खड़ा हो गया और जाते हुए बोला:-) अच्छा नीलू और राहुल अब कल मिलेंगे।।
( राहुल और नीलू विनीत को जाते हुए देखते रहे। विनीत के जाने के बाद राहुल और नीलू दोनों वहीं बैठे रहे . नीलू को पूरा मौका मिल गया था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था क्यों क्या कह कर राहुल को ऊपर मंजिले की तरफ ले जाएं।। रिसेस का समय पूरा होने में सिर्फ 15 मिनट ही रह गए थे। नीलु की बेचैनी बढ़ती जा रही थी इसी कशमकश में उसकी बुर फुदकने लगी थी। राहुल नीलू से शर्मा रहा था इस वजह से वह भी नीलू से कुछ कह नहीं पा रहा था। तभी नीलू मन में कुछ सोच कर राहुल से बोली।)

नीलु: राहुल चलो कहीं एकांत में चलते हैं यहां काफी शोर शराबा है।( नीलू की मीठी मधुर आवाज सुनते ही राहुल प्रसन्न हो गया वह नीलू की तरफ देखते हुए बोला।)

राहुल: लेकिन जायेंगे कहां सब जगह तो शोर शराबा है।

नीलु: तुम चलो तो मैं जानती हूं ऐसी जगह( इतना कहने के साथ है वह चलने लगी पीछे मुड़कर देखी तो राहुल भी उसके पीछे पीछे आने लगा। राहुल को पीछे आता देख वह मुस्कुरा दी। मीनू राहुल को स्कूल के उपरी मंजिल ए पर ले जा रही थी जहां पर कोई भी क्लास अटेंड नहीं होती थी। ऊपरी मंजिले की सारी क्लास खाली ही रहती थी।
मीनू सीढ़ियां चढ़ रही थी रह-रहकर पीछे मुड़कर राहुल की तरफ भी देख ले रही थी। राहुल की नजर नी्लू पर ही टिकी थी खासकर के नीलू की गदराई गांड पर। जोकि सीढ़ीयाँ चढ़ने पर कुछ ज्यादा ही मटक रही थी।
जिसे देखकर राहुल के लंड में जान आना शुरु हो गया था। नीलू भी कुछ कम नहीं थी वह जानबूझकर अपनी बड़ी-बड़ी गदराई गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी । राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि नीलू उसे ऊपर की तरफ क्यों ले जा रही है। नीलू के आकर्षण ने उसे इतना ज्यादा मोह लीया था कि नीलू जहां कहती व जाने को तैयार था। इसलिए तो वह नीलू से बिना कुछ सवाल किए उसके पीछे पीछे खिंचा चला जा रहा था। राहुल को इस समय कुछ नहीं सुझ रहा था उसे तो बस नीलू की बड़ी बड़ी मटकती हुई गांड ही दिखाई दे रही थी जो की सीढ़ियां चढ़ने पर और भी ज्यादा मटक रही थी। राहुल के पेंट में तंबू बनना शुरू हो गया था। नीलु सीढ़ियां चढ़ चुकी थी और वह कोने वाली क्लास में जाने के लिए आगे बढ़ रही थी। यहां की सारी क्लास हमेशा खाली ही रहती थी। नीलू सबसे लास्ट की क्लास में ले जा रही थी। यह वही क्लास थी जिसमें नीलू ने बहुत बार विनीत से चुदवा चुकी थी। बहुत बार अपनी जवानी की प्यास विनीत के लंड से बुझाई थी। और आज उसकी इच्छा थी की राहुल के विशालकाय लंड को अपनी आंखों से एकदम नंगा देखना चाहती थी।
राहुल के जाघों के बीच बने तंबू को देखकर ही इतना तो जान ही गई थी नीलू की राहुल एक दमदार और तगड़े लंड का मालिक है।
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