वतन तेरे हम लाडले complete
- mastram
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Re: वतन तेरे हम लाडले
mast thriller hai bhai
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
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भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
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- shubhs
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Re: वतन तेरे हम लाडले
अपडेट
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- rajsharma
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Re: वतन तेरे हम लाडले
Ankit wrote:superb update Raj bhai
mastram wrote:Raj bhai aapke sexi novel ka zavaab nahi . kitni bariki se kahani ka chitran kiya hai
jay wrote:क्या बात है मस्त अपडेट बस देते रहो देते रहो
Rohit Kapoor wrote:keep going dear
Kamini wrote:superb update
mastram wrote:mast thriller hai bhai
दोस्तो आपके सहयोग के लिए आभार अपडेट थोड़ी ही देर मेंshubhs wrote:अपडेट
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
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Re: वतन तेरे हम लाडले
अमजद भी अब पेट्रोल पंप से निकला और मुल्तान में मौजूद अपने ठिकाने की ओर बढ़ने लगा। वह जानता था कि अब उसका पीछा नहीं होगा और वह संतुष्टि के साथ सरमद काशफ, बौद्धिक और समीरा को मिल सकता है और आगे की योजना बनाई जाएगी। कुछ ही देर में विभिन्न मार्गों से होता हुआ अमजद अपने वांछित ठिकाने पर पहुंच चुका था। मध्य वर्ग से संबंध रखने वाली इस कॉलोनी में अमजद ने एक फ्लैट किराए पर ले रखा था जो उसने आज़ाद कश्मीर के एक परिवार को किराए पर दिया हुआ था। और अमजद का जब दिल करता वह यहाँ आ जाता था।
अमजद जब घर पहुंचा तो सामने कमरे में राणा काशफ और सरमद घोड़े बेचकर सो रहे थे। अमजद ने इधर उधर देखा मगर न तो उसे समीरा कहीं दिखी और न ही मेजर राज शर्मा। फिर अमजद दूसरे कमरे में गया लेकिन वहां भी उसे कोई दिखाई न दिया तो ऊपर वाले पोरशन में कश्मीरी परिवार से अमजद ने जाकर राज और समीरा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि रात 3 बजे के करीब बस 2 आदमी ही आए हैं जो इस समय नीचे ही होंगे उनके अलावा और कोई नहीं आया यहाँ पर। यह खबर अमजद पर पहाड़ बनकर टूटी थी। जो पहला विचार उसके मन में आया वह यही था कि कर्नल इरफ़ान समीरा और मेजर को पकड़ चुका है और पेट्रोल पंप से वापस जाने का कहना और अपना विश्वास व्यक्त करना कर्नल की कोई चाल होगी ताकि वो अमजद का पीछा करके बाकी लोगों भी पकड़ सकें। यह विचार मन में आते ही अमजद के माथे पर पसीने की बूँदें दिखाई देना शुरू हो गई थी
सुबह 6 बजे समीरा की आंख खुली तो वह बेड से उठकर राज के सोफे ओर बढ़ी मगर वहां राज नहीं था। वह अपने कमरे से निकलकर जूली के कमरे में गई लेकिन वहां जूली और सोज़ी घोड़े बेचकर सो रही थीं। फिर समीरा ने कुछ कमरों को चेक किया और बाहर गली में भी देखने आई मगर राज का कहीं अता-पता नहीं था। समीरा वापस अपने कमरे में आई तो मेजर राज सामने ही बेड पर बैठा था। समीरा मेजर को कमरे में देखकर हैरान हुई और बोली कि कहाँ थे तुम ??? मेजर ने कहा तुम्हें इससे क्या तुम तो ऐसे सोई पड़ी थी जैसे अपनी अम्मा जी के घर सोई हुई हो। मेजर की बात सुनकर समीरा ने कहा कल सारा दिन तुम्हारे साथ घूमती रही हूँ इसीलिए थकान की वजह से अच्छी नींद आ गई। मगर तुम बताओ तुम कहाँ थे ???
मेजर ने बताया कि तुम्हारे केप्टन फ़ैयाज़ के कमरे तक गया था। उससे कुछ काम था। समीरा ने हैरान होकर पूछा तुम्हें क्या काम पड़ गया और तुम वहाँ गए ही क्यों ?? तो मेजर ने उसे कहा छोड़ो तुम्हारा इससे क्या संबंध। बस जिस काम के लिये मैं गया था वो हो गया। अब तुम तैयारी करो हमें लाहोर जाना है। लाहोर का नाम सुनते ही समीरा बोली लाहोर क्यों ?? हमें तो मुल्तान जाना है ?? अमजद वहाँ हमारे इंतजार में है। समीरा की बात सुनकर मेजर ने समीरा को कहा तुम कर्नल इरफ़ान की कैदी बनना चाहती हो तो शौक से जाओ मुल्तान। वह पागल कुत्ते की तरह तुम्हे और मुझे ढूंढ रहा है। मुल्तान और जामकोट सभी स्थानीय चैनलों पर हमारे बारे में समाचार दी जा रही हैं। वहाँ जाना मौत को दावत देने के बराबर है। लाहोर बड़ा शहर है वहां हमें आसानी से रहने की जगह भी मिल जाएगी और उसके साथ कर्नल इरफ़ान पर निशाना भी लगा सकेंगे। कर्नल इरफ़ान के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त कर चुका हूँ। अब तैयारी करो निकलें यहाँ से।
कुछ ही देर में समीरा और राज कैप्टन फ़ैयाज़ की जीप में बैठे शहर से दूर जा रहे थे। एक प्लाजा के पास पहुंचकर मेजर राज ने गाड़ी रोक ली। सुबह का समय था प्लाजा का मेन गेट बंद पड़ा था और बाहर एक चौकीदार बैठा था। मेजर राज ने चौकीदार से कहा हमें शाजिया जी से मिलना है। चौकीदार बोला शाजिया जी 11 बजे अपना काम शुरू करती हैं अब तुम लोग जाओ बाद में आना। मेजर राज ने चौकीदार को फिर कहा कि मेरी बात हो गई है शाजिया जी से तुम उन्हें बताओ कि कैप्टन फ़िरोज़ आए हैं उनसे मिलने। कैप्टन शब्द सुनते ही चौकीदार खड़ा हुआ और पास केबिन में मौजूद फोन से मिस शाजिया का नंबर मिलाया और उन्हें केप्टन फ़िरोज़ के आने की खबर दी। शाजिया जी ने कहा कि उन्हें मेरे कमरे तक पहुंचा दो। चौकीदार ने अब छोटे गेट को खोला और राज को बोला आप लोग गाड़ी यहीं खड़ी रहने दो, मैं आपको शाजिया जी के कमरे तक ले जाता हूँ।मेजर राज ने गाड़ी से चाबी निकाली और समीरा का हाथ पकड़कर चौकीदार के पीछे चलने लगा। चौकीदार प्लाजा बिल्डिंग में मौजूद लिफ्ट का उपयोग कर चौथी मंजिल पर गया और एक कमरे के सामने रुक गया चौकीदार ने कमरे को नॉक किया तो अंदर से शाजिया की आवाज़ आई कम इन।
चौकीदार पीछे हट कर खड़ा हो गया और मेजर राज को अंदर जाने का इशारा किया। मेजर राज समीरा को लिए अंदर चला गया। अंदर एक 40 वर्षीय अधेड़ उम्र महिला ने मेजर राज और समीरा का अभिवादन किया। मेजर राज से हाथ मिलाते हुए शाजिया ने उसे कैप्टन फ़िरोज़ कह कर संबोधित किया जबकि समीरा से मिलते हुए उसे श्रीमती फ़िरोज़ कह कर संबोधित किया। समीरा अब सही स्थिति समझ नहीं पाई थी और राज से कुछ पूछने ही लगी थी कि राज की आवाज आई शाजिया जी अब जल्दी जल्दी अपना काम कीजिए हमारे पास समय बहुत कम है। यह सुनकर शाजिया समीरा और राज को लेकर अंदर एक कमरे में गई। यह एक ब्यूटी पार्लर जैसा कमरा था। जहां एक 25 वर्षीय लड़की और भी खड़ी थी।
अमजद जब घर पहुंचा तो सामने कमरे में राणा काशफ और सरमद घोड़े बेचकर सो रहे थे। अमजद ने इधर उधर देखा मगर न तो उसे समीरा कहीं दिखी और न ही मेजर राज शर्मा। फिर अमजद दूसरे कमरे में गया लेकिन वहां भी उसे कोई दिखाई न दिया तो ऊपर वाले पोरशन में कश्मीरी परिवार से अमजद ने जाकर राज और समीरा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि रात 3 बजे के करीब बस 2 आदमी ही आए हैं जो इस समय नीचे ही होंगे उनके अलावा और कोई नहीं आया यहाँ पर। यह खबर अमजद पर पहाड़ बनकर टूटी थी। जो पहला विचार उसके मन में आया वह यही था कि कर्नल इरफ़ान समीरा और मेजर को पकड़ चुका है और पेट्रोल पंप से वापस जाने का कहना और अपना विश्वास व्यक्त करना कर्नल की कोई चाल होगी ताकि वो अमजद का पीछा करके बाकी लोगों भी पकड़ सकें। यह विचार मन में आते ही अमजद के माथे पर पसीने की बूँदें दिखाई देना शुरू हो गई थी
सुबह 6 बजे समीरा की आंख खुली तो वह बेड से उठकर राज के सोफे ओर बढ़ी मगर वहां राज नहीं था। वह अपने कमरे से निकलकर जूली के कमरे में गई लेकिन वहां जूली और सोज़ी घोड़े बेचकर सो रही थीं। फिर समीरा ने कुछ कमरों को चेक किया और बाहर गली में भी देखने आई मगर राज का कहीं अता-पता नहीं था। समीरा वापस अपने कमरे में आई तो मेजर राज सामने ही बेड पर बैठा था। समीरा मेजर को कमरे में देखकर हैरान हुई और बोली कि कहाँ थे तुम ??? मेजर ने कहा तुम्हें इससे क्या तुम तो ऐसे सोई पड़ी थी जैसे अपनी अम्मा जी के घर सोई हुई हो। मेजर की बात सुनकर समीरा ने कहा कल सारा दिन तुम्हारे साथ घूमती रही हूँ इसीलिए थकान की वजह से अच्छी नींद आ गई। मगर तुम बताओ तुम कहाँ थे ???
मेजर ने बताया कि तुम्हारे केप्टन फ़ैयाज़ के कमरे तक गया था। उससे कुछ काम था। समीरा ने हैरान होकर पूछा तुम्हें क्या काम पड़ गया और तुम वहाँ गए ही क्यों ?? तो मेजर ने उसे कहा छोड़ो तुम्हारा इससे क्या संबंध। बस जिस काम के लिये मैं गया था वो हो गया। अब तुम तैयारी करो हमें लाहोर जाना है। लाहोर का नाम सुनते ही समीरा बोली लाहोर क्यों ?? हमें तो मुल्तान जाना है ?? अमजद वहाँ हमारे इंतजार में है। समीरा की बात सुनकर मेजर ने समीरा को कहा तुम कर्नल इरफ़ान की कैदी बनना चाहती हो तो शौक से जाओ मुल्तान। वह पागल कुत्ते की तरह तुम्हे और मुझे ढूंढ रहा है। मुल्तान और जामकोट सभी स्थानीय चैनलों पर हमारे बारे में समाचार दी जा रही हैं। वहाँ जाना मौत को दावत देने के बराबर है। लाहोर बड़ा शहर है वहां हमें आसानी से रहने की जगह भी मिल जाएगी और उसके साथ कर्नल इरफ़ान पर निशाना भी लगा सकेंगे। कर्नल इरफ़ान के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त कर चुका हूँ। अब तैयारी करो निकलें यहाँ से।
कुछ ही देर में समीरा और राज कैप्टन फ़ैयाज़ की जीप में बैठे शहर से दूर जा रहे थे। एक प्लाजा के पास पहुंचकर मेजर राज ने गाड़ी रोक ली। सुबह का समय था प्लाजा का मेन गेट बंद पड़ा था और बाहर एक चौकीदार बैठा था। मेजर राज ने चौकीदार से कहा हमें शाजिया जी से मिलना है। चौकीदार बोला शाजिया जी 11 बजे अपना काम शुरू करती हैं अब तुम लोग जाओ बाद में आना। मेजर राज ने चौकीदार को फिर कहा कि मेरी बात हो गई है शाजिया जी से तुम उन्हें बताओ कि कैप्टन फ़िरोज़ आए हैं उनसे मिलने। कैप्टन शब्द सुनते ही चौकीदार खड़ा हुआ और पास केबिन में मौजूद फोन से मिस शाजिया का नंबर मिलाया और उन्हें केप्टन फ़िरोज़ के आने की खबर दी। शाजिया जी ने कहा कि उन्हें मेरे कमरे तक पहुंचा दो। चौकीदार ने अब छोटे गेट को खोला और राज को बोला आप लोग गाड़ी यहीं खड़ी रहने दो, मैं आपको शाजिया जी के कमरे तक ले जाता हूँ।मेजर राज ने गाड़ी से चाबी निकाली और समीरा का हाथ पकड़कर चौकीदार के पीछे चलने लगा। चौकीदार प्लाजा बिल्डिंग में मौजूद लिफ्ट का उपयोग कर चौथी मंजिल पर गया और एक कमरे के सामने रुक गया चौकीदार ने कमरे को नॉक किया तो अंदर से शाजिया की आवाज़ आई कम इन।
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