वतन तेरे हम लाडले complete

Post Reply
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15829
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: वतन तेरे हम लाडले

Post by rajsharma »

अमजद भी अब पेट्रोल पंप से निकला और मुल्तान में मौजूद अपने ठिकाने की ओर बढ़ने लगा। वह जानता था कि अब उसका पीछा नहीं होगा और वह संतुष्टि के साथ सरमद काशफ, बौद्धिक और समीरा को मिल सकता है और आगे की योजना बनाई जाएगी। कुछ ही देर में विभिन्न मार्गों से होता हुआ अमजद अपने वांछित ठिकाने पर पहुंच चुका था। मध्य वर्ग से संबंध रखने वाली इस कॉलोनी में अमजद ने एक फ्लैट किराए पर ले रखा था जो उसने आज़ाद कश्मीर के एक परिवार को किराए पर दिया हुआ था। और अमजद का जब दिल करता वह यहाँ आ जाता था।

अमजद जब घर पहुंचा तो सामने कमरे में राणा काशफ और सरमद घोड़े बेचकर सो रहे थे। अमजद ने इधर उधर देखा मगर न तो उसे समीरा कहीं दिखी और न ही मेजर राज शर्मा। फिर अमजद दूसरे कमरे में गया लेकिन वहां भी उसे कोई दिखाई न दिया तो ऊपर वाले पोरशन में कश्मीरी परिवार से अमजद ने जाकर राज और समीरा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि रात 3 बजे के करीब बस 2 आदमी ही आए हैं जो इस समय नीचे ही होंगे उनके अलावा और कोई नहीं आया यहाँ पर। यह खबर अमजद पर पहाड़ बनकर टूटी थी। जो पहला विचार उसके मन में आया वह यही था कि कर्नल इरफ़ान समीरा और मेजर को पकड़ चुका है और पेट्रोल पंप से वापस जाने का कहना और अपना विश्वास व्यक्त करना कर्नल की कोई चाल होगी ताकि वो अमजद का पीछा करके बाकी लोगों भी पकड़ सकें। यह विचार मन में आते ही अमजद के माथे पर पसीने की बूँदें दिखाई देना शुरू हो गई थी


सुबह 6 बजे समीरा की आंख खुली तो वह बेड से उठकर राज के सोफे ओर बढ़ी मगर वहां राज नहीं था। वह अपने कमरे से निकलकर जूली के कमरे में गई लेकिन वहां जूली और सोज़ी घोड़े बेचकर सो रही थीं। फिर समीरा ने कुछ कमरों को चेक किया और बाहर गली में भी देखने आई मगर राज का कहीं अता-पता नहीं था। समीरा वापस अपने कमरे में आई तो मेजर राज सामने ही बेड पर बैठा था। समीरा मेजर को कमरे में देखकर हैरान हुई और बोली कि कहाँ थे तुम ??? मेजर ने कहा तुम्हें इससे क्या तुम तो ऐसे सोई पड़ी थी जैसे अपनी अम्मा जी के घर सोई हुई हो। मेजर की बात सुनकर समीरा ने कहा कल सारा दिन तुम्हारे साथ घूमती रही हूँ इसीलिए थकान की वजह से अच्छी नींद आ गई। मगर तुम बताओ तुम कहाँ थे ???


मेजर ने बताया कि तुम्हारे केप्टन फ़ैयाज़ के कमरे तक गया था। उससे कुछ काम था। समीरा ने हैरान होकर पूछा तुम्हें क्या काम पड़ गया और तुम वहाँ गए ही क्यों ?? तो मेजर ने उसे कहा छोड़ो तुम्हारा इससे क्या संबंध। बस जिस काम के लिये मैं गया था वो हो गया। अब तुम तैयारी करो हमें लाहोर जाना है। लाहोर का नाम सुनते ही समीरा बोली लाहोर क्यों ?? हमें तो मुल्तान जाना है ?? अमजद वहाँ हमारे इंतजार में है। समीरा की बात सुनकर मेजर ने समीरा को कहा तुम कर्नल इरफ़ान की कैदी बनना चाहती हो तो शौक से जाओ मुल्तान। वह पागल कुत्ते की तरह तुम्हे और मुझे ढूंढ रहा है। मुल्तान और जामकोट सभी स्थानीय चैनलों पर हमारे बारे में समाचार दी जा रही हैं। वहाँ जाना मौत को दावत देने के बराबर है। लाहोर बड़ा शहर है वहां हमें आसानी से रहने की जगह भी मिल जाएगी और उसके साथ कर्नल इरफ़ान पर निशाना भी लगा सकेंगे। कर्नल इरफ़ान के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त कर चुका हूँ। अब तैयारी करो निकलें यहाँ से।

कुछ ही देर में समीरा और राज कैप्टन फ़ैयाज़ की जीप में बैठे शहर से दूर जा रहे थे। एक प्लाजा के पास पहुंचकर मेजर राज ने गाड़ी रोक ली। सुबह का समय था प्लाजा का मेन गेट बंद पड़ा था और बाहर एक चौकीदार बैठा था। मेजर राज ने चौकीदार से कहा हमें शाजिया जी से मिलना है। चौकीदार बोला शाजिया जी 11 बजे अपना काम शुरू करती हैं अब तुम लोग जाओ बाद में आना। मेजर राज ने चौकीदार को फिर कहा कि मेरी बात हो गई है शाजिया जी से तुम उन्हें बताओ कि कैप्टन फ़िरोज़ आए हैं उनसे मिलने। कैप्टन शब्द सुनते ही चौकीदार खड़ा हुआ और पास केबिन में मौजूद फोन से मिस शाजिया का नंबर मिलाया और उन्हें केप्टन फ़िरोज़ के आने की खबर दी। शाजिया जी ने कहा कि उन्हें मेरे कमरे तक पहुंचा दो। चौकीदार ने अब छोटे गेट को खोला और राज को बोला आप लोग गाड़ी यहीं खड़ी रहने दो, मैं आपको शाजिया जी के कमरे तक ले जाता हूँ।मेजर राज ने गाड़ी से चाबी निकाली और समीरा का हाथ पकड़कर चौकीदार के पीछे चलने लगा। चौकीदार प्लाजा बिल्डिंग में मौजूद लिफ्ट का उपयोग कर चौथी मंजिल पर गया और एक कमरे के सामने रुक गया चौकीदार ने कमरे को नॉक किया तो अंदर से शाजिया की आवाज़ आई कम इन।

चौकीदार पीछे हट कर खड़ा हो गया और मेजर राज को अंदर जाने का इशारा किया। मेजर राज समीरा को लिए अंदर चला गया। अंदर एक 40 वर्षीय अधेड़ उम्र महिला ने मेजर राज और समीरा का अभिवादन किया। मेजर राज से हाथ मिलाते हुए शाजिया ने उसे कैप्टन फ़िरोज़ कह कर संबोधित किया जबकि समीरा से मिलते हुए उसे श्रीमती फ़िरोज़ कह कर संबोधित किया। समीरा अब सही स्थिति समझ नहीं पाई थी और राज से कुछ पूछने ही लगी थी कि राज की आवाज आई शाजिया जी अब जल्दी जल्दी अपना काम कीजिए हमारे पास समय बहुत कम है। यह सुनकर शाजिया समीरा और राज को लेकर अंदर एक कमरे में गई। यह एक ब्यूटी पार्लर जैसा कमरा था। जहां एक 25 वर्षीय लड़की और भी खड़ी थी।
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15829
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: वतन तेरे हम लाडले

Post by rajsharma »

शाजिया जी ने श्रीमती फ़िरोज़ यानी समीरा को एक चेयर पर बैठने को कहा और पास खड़ी लड़की बोली मेडम जी का एकदम जबरदस्त मेकअप कर दो तब तक मिस्टर फ़िरोज़ का मेकअप कर लूँ। समीरा अब तक समझ नहीं पाई थी कि सुबह सुबह मेकअप क्यूँ और क्या है ??? और इस समय कौन सा ब्यूटी पार्लर खुला होता है ?? और राज को कैसे पता कि यहां जामनगर में प्लाजा में एक ब्यूटी पार्लर भी मौजूद है। मगर वह चुपचाप बैठी अपना मेकअप करवाने लगी। लड़की ने पहले समीरा का हेयर कट किया। समीरा के लंबे घने बाल जो करीब उसकी कमर के बराबर थे अब मात्र कंधों तक रह गए थे। इसके अलावा फ्रंट हेयर की कटिंग ने समीरा को बिल्कुल ही नया लुक दे दिया था . कुछ ही देर में समीरा का मेकअप भी हो गया था, अब वह किसी भी एंगल से कश्मीरी या किसी जिहादी संगठन की लड़की नहीं लग रही थी। बल्कि समीरा अब दिखने में उच्च श्रेणी परिवार की जवान लड़की के रूप में थी। अब वही लड़की समीरा को साथ वाले रूम में लाई उसे वार्ड रोब से कुछ कपड़े दिखाए। यहाँ सब कपड़े उच्च वर्ग के परिवारों के अनुसार थे। समीरा ने एक सूट पसंद कर लिया।

स्किन टाइट पैंट के साथ एक ढीली सी शर्ट जो समीरा के पेट पर आकर खत्म हो रही थी पहनकर समीरा खुद को शीशे में देखने लगी। लाइट मेकअप, हेयर कट और इस ड्रेस में समीरा वाकई एक आधुनिक परिवार की महिला लग रही थी। अब उस लड़की ने समीरा को उसके साथ ऊँची एड़ी के जूते भी लाकर दिए, जिन्हें पहनकर समीरा और भी सुंदर दिख रही थी और साथ ही ब्लैक कलर के ग्लासेज उसके व्यक्तित्व को काफी आश्वस्त कर रहे थे। समीरा जो कुछ देर पहले एक सेक्सी अरबी लड़की के रूप में डांस क्लब में डांस कर रही थी अब एक पूरी दबंग और ग्रेस फुल लड़की के रूप में खड़ी थी। तैयार होकर जब वह बाहर निकली तो राज को देखकर हैरान रह गई। मेजर राज अब राज कम और कप्तान फ़ैयाज़ अधिक लग रहा था। शाजिया जी ने मेजर राज का मेकअप कुछ इस तरह से किया था कि अब उसका गोरा रंग कुछ काला हो गया था और अगर कोई कैप्टन फ़ैयाज़ की तस्वीर देखकर मेजर राज को देखता तो उसे लगता उसके सामने कैप्टन फ़ैयाज़ ही खड़ा है।

10 मिनट के मेकअप टच के बाद राज भी अपनी चेयर से खड़ा हो गया और शाजिया ने उसे भी कुछ मर्दाना कपड़े दिखाए जिनमें से राज ने एक जोड़ी का चयन किया और फिर शाजिया जी को एक बड़ी रकम देकर वापस कैप्टन फ़ैयाज़ की जीप में आकर बैठ गया। मेजर के हाथ में एक बैग भी था जो पहले नहीं था। कार में बैठ कर मेजर ने कार स्टार्ट की और राज मार्ग नंबर 6 से होता हुआ एयरपोर्ट रोड पर चढ़ गया। अब समीरा को समझ लग गई थी कि रात जो लाहोर के टिकट मेजर राज को मिले थे मेजर इन्हीं का उपयोग करके लाहोर जाएगा और कप्तान फ़ैयाज़ की तस्वीर दिखाकर उसने शाजिया जी से अपना मेकअप इस तरह करवाया कि उनकी आकृति अब काफी मिलती जुलती लगने लगी थी।

समीरा ने मेजर राज से पूछा कि बाकी सब कुछ तो मुझे समझ आ गया मगर आप ने शाजिया जी को कैप्टन फ़ैयाज़ की तस्वीर कैसे दिखाई ??? मेजर राज ने जेब से एक मोबाइल फोन निकाला और समीरा को पकड़ा दिया। इस सेमसंग कंपनी का गैलेक्सी एस 5 मोबाइल था। समीरा ने पूछा यह तुम्हारे पास कहाँ से आया ??? तो मेजर ने बताया कि तुम तो घोड़े बेचकर सो गई थी मगर थोड़ी सी नींद पूरी करने के बाद कमरे में गया जहां तुम ने कैप्टन फ़ैयाज़ को बेहोश किया था। वहां जाकर मैंने उसकी और तलाशी ली कि शायद कोई काम की चीज़ मिल जाए। यह मोबाइल मिला, उससे मैंने कर्नल इरफ़ान के बारे में भी बहुत सी जानकारी प्राप्त कर ली हैं और साथ ही कैप्टन फ़ैयाज़ के बारे में भी। इसी मोबाइल से कप्तान फ़ैयाज़ के चित्र बनाए और फिर मोबाइल से ही सर्च किया जामनगर मेकअप कलाकार के बारे में तो मुझे शाजिया जी के फेसबुक पेज के बारे में पता लगा वहाँ से उनका मोबाइल नंबर लेकर उन्हें कॉल किया और अपने आप को कैप्टन बताकर कर उन्हें मजबूर किया कि वह सुबह 7 बजे हमें मिलने का मौका दें। और मेरा मेकअप इस तरह करें कि मेरा रूप आतंकवादी फ़ैयाज़ से मिले। यह कह कर राज ने एक जोरदार ठहाका लगाया और ड्राइविंग जारी रखी। फिर मेजर राज ने बताया कि कैप्टन फ़ैयाज़ की 9 बजे की फ़्लाईट है लाहोर की। हम इसी फ़्लाईट से कप्तान फ़ैयाज़ और मिसेज़ फ़ैयाज़ बनकर मुंबई जाएंगे। वहां सेना रेजीडेंसल कॉलोनी में कर्नल इरफ़ान का घर है जहां उसकी एक बेटी राफिया रहती है और उसके अलावा कुछ कर्मचारी हैं घर में। कर्नल खुद जामनगर और मुल्तान में मुझे देख रहा है जब तक उसे मेरी खबर होगी मैं उसके मिशन के बारे में बहुत कुछ पता लगा लूँगा कि आखिर वह भारत से कौन सी गोपनीय जानकारी लेकर पाकिस्तान आया है।

और कोशिश करेंगे कि यह भी पता लगा सकें कि भारत में कौन सा नेटवर्क कर्नल इरफ़ान की मदद करता है। समीरा ने पूछा कि हम रहेंगे कहाँ लाहोर में? तो राज ने कहा उसकी भी व्यवस्था कर चुका हूँ। वहां के एक अपराधी गिरोह से मेरी बात हुई है उनको भारी राशि देकर एक ठिकाना मिल जाएगा और अगर कर्नल इरफ़ान लाहोर आ भी जाए तो वह मुझे ढूंढने के लिए अपराधियों के ठिकानों पर नहीं देगा बल्कि स्वतंत्रता चाहने वाले संगठनों के ठिकानों पर मुझे ढूंढने की कोशिश करेगा, ऐसे में आराम से अपना काम कर सकता हूँ।

अब मेजर राज और समीरा मिस्टर और मिसेज़ फ़ैयाज़ के रूप में एयरपोर्ट पर मौजूद थे। रिसेप्शन पर मेजर राज ने कैप्टन फ़ैयाज़ का कार्ड दिखाया तो रिसेप्शन पर मौजूद महिला ने मेजर राज को सुशआमदीद कहा और साथ ही समीरा यानी मिसेज़ फ़ैयाज़ का हालचाल पूछने लगी। कुछ ही देर बाद मेजर राज और समीरा लाहोर जाने वाली फ़्लाईट में मौजूद थे और विमान टेक ऑफ कर चुका था। एक घंटे और 10 मिनट की छोटी फ्लाइट के बाद करीब 10:30 बजे फ़्लाईट मुंबई एयरपोर्ट पर लैंड कर चुकी थी। एयर पाक की फ्लाइट में मेजर राज ने अपने मन में और योजना और कुछ हद तक समीरा को भी अपने प्लान के बारे में सूचना दी।

एयरपोर्ट से बाहर निकल कर मेजर राज ने एक टैक्सी ली और जिन्ना नगर में मौजूद एक घर का पता बताया। रास्ते में मेजर राज ने एक जगह टैक्सी रुकवाई। टैक्सी रुकी तो मेजर राज नीचे उतरा और आसपास मौजूद लोगों को देखने लगा। उनमें से एक व्यक्ति जो थोड़ा गरीब लग रहा था मेजर राज उसकी तरफ बढ़ा और उससे कहा कि मैं काफी मुश्किल में हूँ अपने मोबाइल से मुझे एक कॉल तो करने दो। इस व्यक्ति ने मेजर राज को ऊपर से नीचे तक देखा और बोला क्या साहब इतना पैसा है तुम्हारे पास और एक मोबाइल नहीं रख सकते क्या ??? मेजर राज ने सेमसंग एस 5 लहराते हुए कहा यार मोबाइल तो है मगर मैं अभी कनाडा से आया हूँ तो मेरे पास सिम मौजूद नहीं और मुझे बहुत अर्जेंट कॉल करनी है। मेजर की उम्मीद के मुताबिक उस व्यक्ति ने कहा कि साहब कॉल कर लो मगर इस कॉल के हम 50 रुपये लेगा . मेजर राज ने कहा ठीक है यार तुम 100 रुपये ले लेना मुझे फोन करना हैं। मेजर ने उसका मोबाइल लेकर एक व्यक्ति को कॉल की और उसे बताया कि वह लाहोर पहुंच चुके हैं और कुछ ही देर में उसकी बताई हुई जगह पर पहुंच जाउन्गा . अब मुझे तुरंत अपना आवश्यक समान चाहिए। दूसरी साइड पर मौजूद व्यक्ति ने कहा, तुम बेफिक्र हो जाओ तुम्हें सब कुछ मिल जाएगा। यह कह कर उसने फोन बंद कर दिया। मेजर राज ने जेब से 100 का नोट निकाला और उस व्यक्ति को दे दिया साथ में मोबाइल भी वापस कर दिया।

उस व्यक्ति ने खुशी खुशी 100 का नोट जेब में रख लिया, मेजर राज वापसी के लिए जाने लगा मगर फिर अचानक उस व्यक्ति की ओर मुड़ा जैसे कोई चीज भूल गया हो। इस व्यक्ति ने मेजर को अपनी ओर आता देखा तो बोला क्या साहब कोई और कॉल भी करनी है ?? तो मेजर राज ने उसे कहा यार कॉल तो बार बार करनी होगी, अभी मैं बाहर से आया हूँ तो मेरे पास अपना आईडी कार्ड नहीं तुम अपनी सिम मुझे दे दो तो मैं तुम्हें 500 रुपये दूंगा। इस पर वह व्यक्ति बोला न साहब हमें भी कॉल करनी होती है हम तुम्हें अपनी सिम नहीं देगा। मेजर ने कहा, यार 1000 रुपये ले लो। अब उस व्यक्ति ने थोड़ा सोचा कि इस व्यक्ति की मजबूरी का फायदा उठाना चाहिए और जल्दी से सिम निकाल ली मोबाइल से मगर साथ में कहा साहब 2000 लेगा हम सिम का। मेजर राज ने कहा यार 500 रुपये में सिम मिल जाती है मैं तो 1000 दे रहा हूँ चलो तुम 1500 लो। वह व्यक्ति बोला न साहब 2000 में सौदा तय करना है तो सिम ले जाओ नहीं तो जाओ। राज ने जेब से 2000 रुपये निकाले और उस व्यक्ति दिए और वापस कार में आ गया।

टैक्सी अब नेहरू नगर की ओर जा रही थी। पीछे बैठी समीरा ने पूछा कि यह नाटक क्यों किया ??? नया सिम ले लेते ?? तो मेजर राज ने समीरा को मुंह चिड़ाते हुए कहा कहीं भी अपना प्रूफ छोड़ना बेवकूफी होगी। अगर मैं कैप्टन फ़ैयाज़ के नाम पर भी सैम निकलवा लूँ तो उन्हें पता चल जाएगा कि मैं लाहोर में हूं और वो आसानी से इस सिम को ट्रेस कर सकते हैं। मगर यह एक राह चलते व्यक्ति की सिम है उसका कोई पता नहीं होगा। यह सुनकर समीरा चुपचाप दूसरी ओर देखने लगी। कुछ ही देर में दोनों नेहरू नगर के एक छोटे से घर में मौजूद थे। घर पहुंच कर समीरा ने शाजिया जी द्वारा लाए गए शॉपिंग बैग खोलकर देखा तो उनमें कुछ महिलाओं के कपड़े थे और 2 जीनटस सूट थे। घर पहुंचकर मेजर राज ने अपना चेहरा गर्म पानी से अच्छी तरह धोया ताकि यहां केप्टन फ़ैयाज़ का कोई जानने वाला राज को फ़ैयाज़ समझकर मिलने ही न चला आए। चेहरा अच्छी तरह से साफ करने के बाद मेजर राज शौचालय से बाहर आ गया और फिर से एक नंबर पर कोल की और आवश्यक समान मंगवाया।

कुछ ही देर में दरवाजे पर दस्तक हुई और एक काला सा छोटे कद का व्यक्ति मेजर राज को एक छोटा सा बैग पकड़ा कर वापस चला गया। मेजर ने समीरा के सामने ही बैग खोला तो उसमें से एक रिवाल्वर और गोलियों के कुछ राउंड और इसके अलावा एक गाड़ी की चाबी कुछ नकदी भी बैग में मौजूद थी ... समीरा ने यह सब देखा तो बोली इस रिवाल्वर तो समझ आती है अपराधियों से आसानी से मिल जाते हैं मगर इस कार की चाबी और साथ नकदी ??? यह क्या चक्कर है ?? / मेजर राज ने मुस्कुराते हुए कहा तुम्हें कहा था ना कि अब हमे भागने और छिपने की बजाय कर्नल इरफ़ान पर घात लगानी है तो मैंने कैप्टन फ़ैयाज़ के फोन से भारत में संपर्क किया और उन्होंने पाकिस्तान में मौजूद अपने लोगों के माध्यम से यह चीज़े पहुंचाई हैं।

यह कह कर मेजर राज ने गाड़ी की चाबी हाथ में पकड़ी और लिफाफा कमरे में मौजूद एक अलमारी में रख कर घर से बाहर चला गया। 5 मिनट बाद मेजर राज वापस आया तो उसके पास एक लैपटॉप बैग मौजूद था। समीरा ने पूछा अब यह कहाँ से आया? मेजर राज ने बताया बाहर खड़ी कार में यह लैपटॉप था। मेजर ने लैपटॉप ऑनलाइन किया और बैग से ही मोबीलिंक मोबाइलज़ की एक थ्री जी डिवाइस निकालकर इंटरनेट ऑन कर लिया। समीरा ने राज से पूछा इंटरनेट पर क्या करोगे ??? मेजर राज ने समीरा की तरफ देखा और फिर धीरे से बोला गंदी गंदी तस्वीरें देखना चाहता हूँ देखोगी तुम ??? यह सुनकर समीरा ने राज को घूरा और बोली खुद ही देखो, यह कह कर समीरा सामने मौजूद सोफे पर बैठ गई। मेजर ने समीरा को कहा साथ ही किचन है वहाँ जाकर कुछ खाने की ही व्यवस्था कर दो पेट में चूहे दौड़ रहे हैं। समीरा बोली यह जो गंदी गंदी देखने वाले हो, उसी से भर लो ना पेट अपना। मेजर ने एक ठहाका लगाया और बोला अरे यार इन बातों से तो कभी पेट नहीं भरता, प्लीज़ कुछ खाने की व्यवस्था करो। समीरा उठी और साथ ही मौजूद किचन में जाकर देखने लगी कि वहां क्या कुछ मौजूद है।

मेजर राज ने अब इंटरनेट में लाहोर के नक्शे देखने लगा, यहाँ विभिन्न पब, डांस क्लब, विश्वविद्यालयों, मेन कालोनीज़, रेलवे केंद्रों, बस स्टेंड आदि अपने दिमाग़ मे सेव कर लिए। इसके साथ ही उसने कर्नल इरफ़ान बेटी राफिया की फेसबुक प्रोफाइल खोलकर भी उसको चेक करना शुरू किया। ये प्रोफाइल मेजर को कैप्टन फ़ैयाज़ केमोबाइल से मिली थी। राफिया लाहोर विश्वविद्यालय में मास्टर्स कर रही थी। मेजर ने जिन्ना नगर से लाहोर विश्वविद्यालय तक का रोड मैप देखा और अपने पास मौजूद मोबाइल मे गूगल मैप में सेव कर लिए। यह रास्ता काफी आसान था क्योंकि लाहोर एयरपोर्ट के साथ ही लाहोर विश्वविद्यालय था जहां से कुछ देर पहले मेजर राज टैक्सी में बैठ कर आया था।

इसके बाद मेजर ने सेना की रेजीडेंसल कॉलोनी तक का रास्ता भी अच्छी तरह मन में बिठा लिया और उसको भी अपने मोबाइल में सेव कर लिया . राफिया की फेसबुक प्रोफाइल से ही मेजर राज को यह बात भी पता लगी कि वह अक्सर हिना गैलरी के पास स्थित प्रसिद्ध नाइट क्लब, क्लब लीबिया मे भी जाती है। और राफिया की फेसबुक स्थिति के अनुसार उसको आज भी अपने कुछ दोस्तों के साथ इसी क्लब में जाना था। मेजर राज ने इस क्लब में जाने का रास्ता भी ध्यान कर लिया। यह सारा काम करके मेजर राज फ्री हुआ तो समीरा ब्रैड गर्म कर चुकी थी साथ में चाय बनाकर अंडे और जेम के साथ ट्रे में रखे वह मेजर राज के पास आ गई।

दोनों ने मिलकर नाश्ता किया तो मेजर राज ने समीरा को अपने अगले कार्यक्रम के बारे में बताया। नाश्ता करते ही समीरा और मेजर राज दोनों घर से निकल गए, घर को बाहर से लॉक करने के बाद घर के साथ ही खड़ी काले रंग की होंडा सिटी में बैठे और लाहोर विश्वविद्यालय की ओर जाने लगे। जबकि मेजर राज को काफी हद तक रास्ता पता लग चुका था मगर फिर भी समय बचाने की खातिर मेजर ने अपना मोबाइल समीरा को पकड़ा दिया जो अब गूगल मैप से मेजर राज को रास्ता बता रही थी। 20 मिनट की ड्राइव के बाद मेजर राज विश्वविद्यालय लाहोर के सामने मौजूद था। मेजर पहले राफिया की तरफ गया और वहां मौजूद रिसेप्शन पर अपना परिचय कैप्टन फ़िरोज़ के नाम से करवाया और सरसरी तौर पर जेब से एक कार्ड निकाल कर दिखा दिया। रेसेप्शन पर मौजूद महिला कैप्टन शब्द सुनकर ही सीधी हो गई थी कार्ड देखने की भी कोशिस नही की राज ने भी कैप्टन फ़ैयाज़ का कार्ड वापस जेब में रख लिया और धन्यवाद किया कि उसकी उम्मीद के मुताबिक महिला ने कार्ड चेक नहीं किया और नाम सुनकर ही सहयोग के लिए तैयार हो गई। अब मेजर राज ने रिसेप्शन पर मौजूद महिला से राफिया के बारे में पूछा तो महिला ने बताया कि वह इस समय लेक्चर कक्ष में हैं और कुछ ही देर में उनका यह अंतिम लेक्चर समाप्त हो जाएगा तो आप उनसे मिल सकते हैं।
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
Post Reply