वतन तेरे हम लाडले complete
- shubhs
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Re: वतन तेरे हम लाडले
Update
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- jay
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Re: वतन तेरे हम लाडले
Bhai update thada jaldi diya karo he he he he
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- rajsharma
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Re: वतन तेरे हम लाडले
धन्यवाद दोस्तो बस इसी तरह अपना प्यार बनाए रखना
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- raj sharma
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- rajsharma
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Re: वतन तेरे हम लाडले
मारिया को देखते ही सभी पुरुषों ने अपनी नज़रें झुका लीं मगर उसके सम्मान में खड़े भी हो गए वे जानते थे कि जिस ओर से मारिया आई है वह लोकाटी कक्ष है, और उन तक यह बात पहुंच चुकी थी कि लोकाटी साहब ने एक जवान लड़की से शादी कर ली है। इसलिए वे समझ गए थे कि यह लोकाटी की नई नवेली दुल्हन है जो अनजाने में इस ओर निकल आई है। मारिया पर नज़र पड़ते ही लोकाटी ने क्रोध भरी दृष्टि से मारिया को देखा और बिना कुछ बोले सिर्फ हाथ के इशारे से मारिया को वापस जाने को कहा। मारिया समझ गई थी कि कुछ गड़बड़ है और लोकाटी की नजरें भी ऐसी थीं जैसे वह अभी मारिया को जान से मार देगा, इसलिए मारिया चुपचाप वापस आ गई। वे दोनों महिलाएं भी डरते डरते वापस मारिया के पास पहुंच गई। मारिया ने कमरे में जाकर उनसे पूछा कि यह कौन लोग थे तो उन्होंने काँपती आवाज के साथ मारिया को बताया कि वह प्रांतीय विधानसभा के सदस्य हैं और अपने-अपने क्षेत्रों के प्रधान भी हैं लोकाटी साहब पाकिस्तान से लौटे हैं वह उनका स्वागत करने के लिए मिलने आए हैं। फिर एक महिला ने काँपती हुई आवाज़ में कहा कि बीबी जी, अब हमारी खैर नहीं लोकाटी साहब तो हमें जान से ही मार देंगे। हमें बचा लो किसी तरह। मारिया ने हैरान होकर पूछा क्यों ऐसी क्या बात हुई कि वे तुम्हें मार देंगे ???
महिला ने कहा बीबीजी यहाँ पर्दे का बहुत सख्त प्रतिबंध है, और आप इस स्थिति में गैर मर्दों के सामने चली गईं साहिब जी इस अपमान को सहन नहीं कर सकते वे हमें इस बात पर ...... इससे पहले कि वह स्त्री बात पूरी करती एक विस्फोट से दरवाजा खुला और लोकाटी ने बेहद गुस्से में अंदर प्रवेश किया, अंदर आते ही उसने एक औरत को गर्दन से पकड़ लिया और उसको जोर से दीवार दे मारा। वह स्त्री लड़खड़ाती हुई दीवार से जा लगी और माँफी मांगने लगी, जबकि दूसरी औरत भी भयभीत लोकाटी के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई, फिर लोकाटी उस औरत को एक गंदा सी गाली दी और बोला तुझे पता नहीं हमारे रीति-रिवाजों का? ? ये तो नई है इसको रीति रिवाजों का पता नही तुम लोगों को तो पता है आप मेरी इज्जत को गैर मर्दों के सामने ला खड़ा किया तुम्हारे पूरे परिवार को आग लगा दूंगा। यह कह कर लोकाटी ने अपने एक बेटे को अंदर बुलाया जो शायद बाहर ही खड़ा था। फैजल अंदर दाखिल हुआ तो उसकी नजरें भी झुकी हुई थीं, वो भी शायद मारिया को अपने पिता की पत्नी और उसकी छोटी माँ ही समझ रहा था और इसी तरह सम्मान कर रहा था हालांकि वह खुद उम्र में मारिया से कम से कम भी 20 साल बड़ा था।
फैजल अंदर आया तो लोकाटी ने उसको आज्ञा दी कि इन दोनों महिलाओं के पुरुषों और बच्चों को बीच बाजार लटका कर आग लगा दी जाए। इन्होने हमारे सम्मान को गैर मर्दों के सामने ला खड़ा किया। यह आदेश सुनकर मारिया के पैरों तले जमीन निकल गई थी। इससे पहले कि फैजल लोकाटी को कोई जवाब देता, मारिया ने फैजल को गरजदार आवाज़ में कहा कि तुम अभी बाहर खड़े रहो फिर जब तुम्हारे बाबा बुलाएं तो अंदर आना। यह सुनकर लोकाटी ने मारिया को भी खा जाने वाली नजरों से देखा मगर मारिया ने उसकी नज़रों की परवाह किए बिना फैजल को फिर से बाहर जाने का इशारा किया तो इस बार वो आराम से बाहर चला गया। फिर मारिया ने उन दोनों महिलाओं को भी बाहर जाने के लिए कहा तो वह भी अपनी जान बचाकर बाहर चली गईं मगर लोकाटी अंदर खड़ा गुस्से से हान्फता रहा था और मारिया को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था। जब सब लोग चले गए तो मारिया बड़ी नजाकत से चलती लोकाटी की तरफ गई और उसके कंधे पर सिर रख कर बोली सॉरी डार्लिंग, मेरी वजह से तुम्हें आज इतना गुस्सा आ गया, मगर विश्वास करो इसमें उन दोनों की कोई गलती नहीं वह तो मुझे रोक रही थीं मगर जब मेरी आँख खुली और तुम नहीं थे कमरे में तो मैं परेशान हो गई थी, और तुम्हें ढूंढ़ने के लिए बिना कुछ सोचे समझे बाहर आ गई। मेरा तुमसे वादा है कि आगे से ऐसा नहीं होगा, लेकिन आप प्लीज़ इन 2 महिलाओं को माफ कर दो, मैं नहीं चाहती कि यहां के लोग मुझसे नफरत करने लग जाएं। मैं जानती हूँ वो तुम्हारे सामने आंख तक नहीं उठा सकते मगर मेरे आते ही किसी की मेरी वजह से जान ली जाएगी तो लोग भी मुझसे नफरत करेंगे और मुझे खुद को भी अपने आप से नफरत होने लगेगी
एक बार, बस एक बार उन्हें माफ कर दो, फिर तुम्हें कभी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा। अगर आपने उन्हें मेरी वजह से सजा दी, तो मैं समझूँगी कि मैं हूँ ही मनहूस। इतना कहना था कि लोकाटी का दिल पिघल गया। वो कहते हैं ना कि महिला में अगर नजाकत हो तो वह पुरुष से बड़े से बड़ा काम करवा लेती है, और यहाँ तो नजाकत के साथ हुश्न भी था और जवान शरीर भी, और फिर मर्द भी लोकाटी जैसा बूढ़ा जवान शरीर भूखा और ठरकी आदमी, मारिया की जरा सी एक्टिंग से उसका दिल पिघल गया जो कभी लोगों की गर्दनें काट कर भी नहीं पिघला था।लोकाटी ने कहा ठीक है जान, बस तुम्हारे कहने पर मैं आज उन्हें माफ कर रहा हूँ, लेकिन एक शर्त पर .... मारिया खुश होते हुए बोली मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है। इस पर लोकाटी ने कहा कि आज रात तुम मुझे मना नहीं करोगी, आज रात में अपनी जान को खूब जी भर मजे करूँगा .
मारिया थोड़ी शर्माने की एक्टिंग करते हुए बोली- आप भी न,,,,, ठीक है मुझे मंजूर है आपकी शर्त लेकिन उस पर मेरी भी एक शर्त होगी। लोकाटी ने खुश होते हुए कहा वह क्या ???
तो मारिया बोली आज रात सेक्स मेरी इच्छा के अनुसार होगा जैसे मैं कहूँगी वैसे ही आप करेंगे। लोकाटी चहकती हुई आवाज़ मे बोला मुझे मंजूर है। इस पर मारिया खुशी से लोकाटी से लिपट गई और अपने तने हुए मम्मों का स्पर्श लोकाटी के सीने पर महसूस करवाते हुए उसकी एक पप्पी ले कर बाहर का दरवाजा खोल दिया जहां फैजल सिर झुकाए खड़ा था और उसके पीछे दोनों महिलाएं भी थीं। मारिया बाहर निकलकर फैजल के पास गई जो दरवाजे से थोड़ा हट कर खड़ा था। मारिया ने फैजल को आवाज दी तो वह बोला जी बीबीजी,
मारिया उसके मुंह से अपने लिए जी बीबीजी सुनकर काफी हैरान हुई और फिर अपनी हँसी रोकते हुए बोली मुझे देखो। फैजल ने डरते डरते नजरें ऊपर की तो मारिया उसे गर्म नज़रों से देखने लगी। फैजल यह देखकर थोड़ा नर्वस हो गया और मारिया को बेचारगी की नज़रों से देखने लगा, क्योंकि फैजल के पास मारिया चाहे उसकी बेटियों के बराबर हो मगर रिश्ते में अब वह उसकी छोटी माँ थी और उनकी परंपराओं के अनुसार माँ का सम्मान इसी तरह होता था। मारिया ने फैजल को मुस्कुराते हुए देखा और थोड़ी धृष्टता से बोली मेरी लोकाटी जी से बात हो गई है, आप इन महिलाओं को कुछ नहीं कहोगे और न उनके घर वालों से बात करोगे। फैजल यह सुनकर हैरान होकर मारिया को देखने लगा क्योंकि आज तक लोकाटी ने कभी अपना फैसला नहीं बदला था। और आज पहली बार किसी को मारने का आदेश दिया लोकाटी ने तो उनको थोड़ी ही देर में माफ कर दिया। फैजल के लिए निश्चित रूप से यह आश्चर्यजनक बात थी मगर वह केवल जी बीबीजी ही कह सका। यह सुनते ही दोनों औरतें भागती हुई आई और मारिया के पांव में बैठ कर उसके पैर पकड़ कर अपने सिर उसके पांव में रखकर उसका धन्यवाद करने लगीं। ये मारिया के लिए काफी अप्रत्याशित था। वह एकदम पीछे हुई और नीचे बैठकर उन स्त्रियों को कंधे से पकड़ कर अपने साथ खड़ा किया और धीरे से बोली- अब तुम लोग जाओ, बाद में बात करते हैं तुम्हारे साहब मेरा इंतजार कर रहे हैं अंदर। यह सुनकर वह औरतें मारिया का धन्यवाद करती हुईं वहां से चली गईं जबकि फैजल वैसे ही खड़ा रहा
मारिया ने फैजल को देखा और बोली अब तुम्हारा भी वापस जाने का इरादा है या लोकाटी और मेरे साथ कमरे में ही रुकने का इरादा है। यह कह कर मारिया हंस पड़ी जबकि फैजल लज्जित होकर बिना कुछ कहे वापस चला गया और मारिया भी अंदर कमरे में चली गई जहां लोकाटी अपने कपड़े बदल चुका था। मारिया ने लोकाटी से पूछा कि कहां की तैयारी है तो उसने कहा काफी दिन बाद वापस आया हूँ तो अपने क्षेत्र का एक चक्कर लगाने जा रहा हूँ, तुम चिंता मत करो जल्दी वापस आ जाउन्गा . मारिया ने कहा लेकिन ऐसे तो मैं ऊब जाउन्गी अकेले। यह सुनकर लोकाटी ने कहा बोर क्यों होगी, तुम अपनी दोनों बहुओं मिलो उनसे गपशप लगाओ। यह सुनकर मारिया और भी हैरान हुई कि उसकी तो अभी शादी नहीं हुई तो उसकी बहू कहां से आ गई, लेकिन फिर वह समझ गई कि लोकाटी फैजल और फग़ान की पत्नियों की बात कर रहा है। यह कह कर लोकाटी कक्ष से जाने लगा तो मारिया ने कहा सुनो तो ..... लोकाटी मारिया की बात सुनकर रुक गया और बोला आप ऐसा करें फैजल को भी इधर ही छोड़ जाएं ताकि मुझे कोई काम हो तो मैं उसे कह सकूँ, और वह मुझे ये हवेली भी दिखा देंगे ... लोकाटी यह सुनकर हंसा और बोला, हाँ हाँ यह हवेली तुम अपनी ही समझो महारानी, मैं फैजल को कह देता हूँ वह उधर ही रुक जाएगा
यह कह कर लोकाटी कमरे से निकल गया और मारिया कुछ देर के बाद फिर से कमरे से बाहर निकली, इस बार कमरे के बाहर एक और औरत खड़ी थी जो मारिया के पीछे पीछे चलती जा रही थी। मारिया ने इससे फैजल के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह अपने कमरे में हैं इस समय। मारिया ने उसे कहा कि वह उसे फैजल के कमरे तक ले जाए। वह औरत मारिया के आगे चलने लगी और विभिन्न रास्तों से होती हुई वह फैजल के कमरे तक चली गई और कमरे के बाहर जा कर रुक गई। मारिया ने एक बार उसे फिर पूछा कि फैजल कक्ष यही है तो उसने हां में सिर हिलाया। मारिया ने दरवाज़े पर हल्का सा दबाव डाला तो वह आराम से खुलता चला गया और मारिया बिना हिचक अंदर चली गई। अंदर गई तो सामने एक बेड पड़ा था जिस पर फैजल लेटा हुआ सुस्ता रहा था, उसके शरीर पर एक सलवार थी और एक बनियान। कमीज उसने नहीं पहन रखी थी। जबकि उसके साथ ही कुर्सी पर शीशे के सामने एक अधेड़ उम्र की औरत थी जो शायद फैजल की पत्नी थी, उसने शीशे में मारिया को यूं कमरे में आते देखा तो एकदम खड़ी हो गई और गुस्से से बोली कौन हो तुम और तुम्हारी मजाल कैसे हुई हमारे कमरे में आने की ???
उसकी गरजदार आवाज सुनकर फैजल की भी आंख खुल गई उसने अपनी आंखों से हाथ हटाया और तुरंत उठ कर बैठ गया, जब उसकी नज़र मारिया पर पड़ी तो वह एकदम बेड से उतर गया और बोला अरे बीबीजी आप ... यह कह कर वह खुद हाथ बांधकर सिर झुकाकर खड़ा हो गया जबकि इसी हालत में खड़े खड़े उसने अपनी पत्नी को संबोधित किया, ज़लीखा माफी मांग बीबीजी से अपनी गुस्ताखी की। तेरी हिम्मत कैसे हुई बीबी जी के सामने जोर से बात करने की, ज़लीखा अब आश्चर्य भरी नज़रों से कभी मारिया और कभी फैजल को देख रही थी, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि यह कौन औरत है जिसके सामने फैजल यूं सम्मान के साथ खड़ा है और उसकी क्लास लेने के बजाय उल्टा अपनी पत्नी को ही माफी मांगने का कह रहा है। इससे पहले कि ज़लीखा कुछ बोलती, मारिया खुद ही बोल पड़ी, अरे नहीं नहीं, माफी तो मुझे मांगनी चाहिए जो इस प्रकार बिना बताए कमरे में आ गई हूँ वह आगे बढ़ी और ज़लीखा को अपने गले से लगा कर उसके सिर पर हाथ रख दिया। मारिया अपनी इस हरकत पर खुद भी हैरान थी कि वह अपने से दोगुनी उम्र की महिला के सिर पर प्यार दे रही थी, शायद इस हवेली की परंपराओं का प्रभाव मारिया पर भी हो गया था और वह भी अपने आप को इस हवेली की मालकिन और लोकाटी के बाद सबसे सम्मानित व्यक्ति समझने लगी थी।
इस दौरान फैजल ने बेड पर पड़ी अपनी कमीज भी पहन ली थी मगर वह अब तक नजरें झुकाए खड़ा था उसने अब अपनी पत्नी ज़लीखा को भी बता दिया था कि यह कोई साधारण महिला नहीं बल्कि बाबा साईं की नई पत्नी हैं, यह सुनते ही ज़लीखा भी सम्मान में मारिया के सामने हाथ बांध कर खड़ी हो गई थी और उसने अपनी गुस्ताख़ी की माफी भी मांग ली थी मगर मारिया ने उसे बड़े प्यार से कहा अरे नहीं कोई बात नहीं। यह कह कर मारिया फैजल की तरफ गई और इसके साथ ही बेड पर बैठ गई तो फैजल साइड पर होकर खड़ा हो गया,
मारिया ने ज़लीखा को भी अपने पास बुला लिया और बातें करने लगी, जबकि फैजल को मारिया ने बता दिया था कि अब वह हवेली देखना चाहती है तो कृपया उसे हवेली दिखाए . फैजल ने शालीनता से जवाब दिया जी बाबा साईं मुझे यह आदेश देकर ही गए हैं। आप चिंता न करें आपको सारी हवेली दिखा दूंगा। फिर मारिया ने ज़लीखा से उसके बच्चों के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसकी केवल एक ही बेटी है और उसकी उम्र 15 साल है और इस समय वह हवेली में मौजूद स्कूल गई हुई है, जहां विशेष रूप से शिक्षक आकर हवेली की लड़कियों को शिक्षा देते थे। फिर मारिया ने कुछ देर ज़लीखा से इधर उधर की बातें कीं और फिर फैजल को कहा कि चलो तुम मुझे हवेली दिखाओ अब। फैजल ने कहा चलें बीबीजी में आपको हवेली दिखाता हूँ। मारिया ज़लीखा से मिली और कमरे से निकल गई जबकि फैजल उसके पीछे पीछे चलने लगा। अलग रास्तों से होता हुआ फैजल उसी बड़े हाल में आ गया जहां कुछ देर पहले लोकाटी विधानसभा के सदस्यों से मिल रहा था।
फैजल ने मारिया को बताया कि यह हमारा अतिथि ग्रह है , जो भी अतिथि आते हैं वे इसी कमरे में बैठते हैं, जबकि इसके साथ ही एक महिलाओं का भी अतिथिग्रह हैं, महिलाएँ लोकाटी साहब से अलग कमरे में मिलती हैं। फैजल बार बार मारिया को बीबीजी कह कर बुला रहा था जो मारिया को अजीब लग रहा था, मारिया ने फैजल को अब की बार टोक दिया और कहा तुम मुझे बीबीजी नहीं कहोगे बल्कि मारिया कह कर ही बुलाओ, मेरा नाम मारिया है। यह सुनकर फैजल ने कहा नहीं बीबीजी ऐसा कैसे हो सकता है। मारिया ने कहा मैं कह रही हूँ न, तुम मेरा इतनी ही आदर करते हो तो मेरी बात भी मानो, मेरी अभी इतनी उम्र नहीं कि तुम मुझे बीबीजी कहो, बाकी लोगों के सामने तुम बेशक में मुझे बीबीजी कह लो मगर अकेले में मुझे मारिया कह कर ही बुलाओ करो .
अब फैजल ने झिझकते हुए कहा जी ठीक है मारिया जी .... मारिया हंसी और बोली, मारिया जी नहीं, सिर्फ मारिया ...... अब फैजल ने ने फिर कहा जी ठीक है ... मा मा ...... मा क्षार ...... मारी अबकी बार हंसी और फैजल का हाथ पकड़ कर बोली चलो मुझे बाकी हवेली भी दिखाओ, और मेरे साथ ऐसा न फिरो जैसे मैं तुम्हारी मालकिन हूँ, तुम और मैं समझो दोस्त हैं
अब की बार फैजल हकला कर बोला, नहीं मारिया ... ऐसा नहीं हो सकता आप हमारे बाबा साईं का सम्मान हो।तो मारिया ने कहा तो क्या हुआ ??? में कौन सा तुम्हें कह रही हूँ कि तुम मुझ पर बुरी नजर रखो, बस दोस्ती का ही तो कह रही हूँ, ताकि मैं अच्छे से इस हवेली को घूम कर देख सकूँ। अब मारिया ने फैजल की बात नहीं सुनी और उसके हाथ में हाथ डाल कर उसके साथ चलने लगी। फैजल भी चुपचाप ऐसे ही चलने लगा, मगर उसका शरीर कांप रहा था, शायद वह डरा हुआ था बहुत अधिक। मारिया ने यह महसूस किया तो उससे पूछा अरे तुम तो इस हवेली के वारिस हो, तुम क्यों डर रहे हो ???
फैजल अब डरते हुए बोला बारया बीबी आप बाबा साईं का सम्मान हो, अगर किसी ने आपको और मुझे इस तरह देख लिया तो आपकी भी गर्दन उतार दी जाएगी और मुझे भी जीवित नहीं छोड़ा जाएगा। यह सुनते ही मारिया फैजल से थोड़ा दूर हो गई। वह भी डर गई थी, और वैसे भी यह अंदाजा हो गया था कि यहां का माहौल कुछ ज्यादा ही अलग है
अब मारिया फैजल से कुछ दूरी रखे उसके साथ हवेली के विभिन्न हिस्से देख रही थी। यह बहुत बड़ी हवेली थी और पूरी हवेली देखते देखते मारिया को एक घंटा हो चुका था मगर अब तक हवेली खत्म नहीं हुई थी। , अब मारिया और फैजल हवेली की इमारत से बाहर विभिन्न उद्यान देख रहे थे कुछ में सिर्फ फूल दार पौधे थे तो कुछ में फलदार पेड़ भी थे। यहां मारिया फिर फैजल के करीब हो गई थी क्योंकि यहां दूर-दूर तक कोई बंदा नहीं था, मगर फैजल फिर भी घबरा रहा था और मारिया की निकटता से थोड़ा हिचकिचा रहा था। इस दौरान मारिया ने प्रसन्नता से उसकी पत्नी के बारे में बातचीत की और उसके बच्चों के बारे में भी पूछा कि आखिर ऐसा क्यों कि उसकी एक ही बेटी, ज़्यादा बच्चे क्यों नहीं? विशेष रूप से ऐसे बड़े लोगों को तो अपने उत्तराधिकारी की बहुत चिंता रहती है। तो फैजल ने उसको बताया कि ज़लीखा उसकी तीसरी पत्नी है। इससे पहले एक पत्नी से तो औलाद हुई ही नहीं और दूसरी पत्नी से 2 बार संतान हुई मगर वह दुर्भाग्य से एक महीने से अधिक जिंदा नहीं रह सके। फिर तीसरी शादी ज़लीखा से हुई तो उसकी एक बेटी हुई जिसका नाम जन्नत रखा गया और उसके बाद ज़लीखा 2 बार गर्भवती हुई मगर दोनों बार बच्चा पेट में ही बर्बाद हो गया। यह सुनकर मारिया को बहुत दुख हुआ और उसने फैजल को सांत्वना दी
उद्यान से निकलकर जब मारिया वापस हवेली की ओर जाने लगी तो वहाँ कुछ महिलाओं की भीड़ थी, दूर से ही महिलाओं को देखकर फैजल मारिया से कुछ दूर हो गया था और मारिया को भी सतर्क होने का कह दिया था।महिलाओं के पास पहुंचकर फैजल ने गरजदार आवाज़ में पूछा कि वह क्यों आई हैं यहाँ ??? तो उनके साथ खड़े एक व्यक्ति ने अपना सिर झुकाए हुए कहा फैजल साईं इस घोट की औरतें हैं, उनको पता लगा है कि वड्डे साईं जी की बीबी जी आई हैं तो यह उनका दर्शन करने के लिए आई हैं। उस व्यक्ति ने एक पल के लिए भी अपनी आंखें ऊपर नहीं उठाई . जबकि उसके साथ जो औरतें मौजूद थीं उन्होंने भी अपने सिर पर चादरें ओढ़ रखी थीं और घूँघट निकाल रखे थे। इस पर फैजल ने मारिया को देखा और पूछा कि क्या आप उनसे मिलना चाहती हैं ?? तो मारिया ने कहा, हां क्यों नहीं। तो फैजल ने महिलाओं को संबोधित कर कहा कि एक एक औरत आकर बीबीजी मिल ले और जल्दी जल्दी निकलें यहाँ से यह कह कर फैजल भी एक साइड पर जाकर खड़ा हो गया और दूसरे व्यक्ति से बातें करने लगा, जबकि वे औरतें लाइन बनाकर एक एक करके मारिया के पास आती, उसका हाथ पकड़ कर चूमती और उसको देखकर सदके वारी जातीं और उसकी खूबसूरती की प्रशंसा और बड़े साईं जी और बीबी की जोड़ी सही सलामत रहने की प्रार्थना देकर आगे निकल जातीं। जब 6, 7 औरतें ऐसे ही मिलकर गईं तो एक औरत कुछ अजीब ढंग से आगे बढ़ी और मारिया की ओर आते हुए उसने हल्की सी गर्दन घुमा कर फैजल और दूसरे व्यक्ति को देखा और फिर लाइन से हटकर कुछ इस तरह आगे बढ़ी कि उसकी पीठ अब फैजल की ओर थी आगे आते ही उसने अपना घूँघट हल्का सा ऊपर उठाया और मारिया का हाथ चूमने की बजाय अपनी कमीज के गले में हाथ डाल कर अपनी ब्रा से एक कागज का छोटा सा लिफाफा निकाल कर बोली समीरा अपना ख्याल रखना, यह जगह बहुत खतरनाक है। उस महिला के मुंह से अपना नाम सुनकर मारिया एकदम हैरान रह गई, यहां तो सब उसको मारिया के नाम से ही जानते थे तो आखिर यह कौन थी जो उसको समीरा कह कर बुला रही थी। उसने अब मारिया को अपना चेहरा दिखाया और बोली में मेजर मिनी हूँ, और मुझे मेजर राज ने विशेष रूप से तुम्हें संदेश देने के लिए भेजा है, कि उस स्त्री ने अपना हाथ मारिया की कमीज में डाल कर वह लिफाफा उसके ब्रा में फंसा दिया और उसके बाद फिर से अपना घूँघट गिराकर जल्दी जल्दी तेज तेज कदमों से बाहर जाने वाली महिलाओं के पीछे चलदी
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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Re: वतन तेरे हम लाडले
अब मारिया को काफी सस्पेंस था कि आखिर यह महिला कौन थी ?? क्या उसको वाकई मेजर राज ने भेजा है या यह कोई चक्कर है ??? और जो लिफाफा उसने मारिया की ब्रा में डाल दिया है उस पर क्या संदेश लिखा होगा ???अब मारिया जल्दी जल्दी इन महिलाओं से मिलकर फ्री हुई और फैजल को वापस हवेली चलने को कहा। हवेली में जाते ही मारिया को अब अपने कमरे में जाने की जल्दी थी, लेकिन इससे पहले वह कमरे में जाती, सामने से जन्नत आती दिखाई दी, उसने आते ही अपने बाबा फैजल के हाथ चूमे और फैजल ने उसके सिर पर प्यार दिया फिर उसने मारिया को देखा और ध्यान से देखते हुए बोली, बाबा जानी ये बीबीजी हैं ना ???
फैजल ने कहा हां बेटा यही बीबीजी हैं आपकी। यह सुनते ही जन्नत आगे बढ़ी और मारिया से लिपट गई मारिया ने भी उसको प्यार किया। फिर जन्नत मारिया को खींचती अपने कमरे में ले जाने लगी। फैजल भी उसके साथ कमरे में प्रवेश हो गया .. जन्नत 15 साल की बच्ची थी मगर उसका शरीर कमाल का था। उभरे हुए सीने के उभार से वो कम से कम 18 साल की जवान औरत लगती थी और उसके बाहर निकले हुए चूतड़ किसी भी पुरुष को चोदने का निमंत्रण देने के लिए पर्याप्त थे। मारिया दिल ही दिल में जन्नत के नसवानी हुश्न की सराहना करने के लिए मजबूर हो गई मगर फैजल के सामने वह उसको कुछ कह नहीं सकती थी। जन्नत से कुछ देर बातें करने के बाद फैजल ने जन्नत को कहा कि बीबी जी को बाकी की हवेली दिखा दूँ तुम अपनी अम्मा के कमरे में जाओ
यह सुनकर मारिया ने जन्नत को प्यार किया और उसके कमरे से बाहर निकल आई जबकि फैजल अब मारिया को लिए एक गलियारे से होता हुआ सीढ़ियों पर चढ़ने लगा, मारिया भी उसके पीछे पीछे सीढ़ियों चढ़ती गई, यहां ज्यादा लोग मौजूद नहीं थे बस एक दो नौकर चाकर ही थे जो अपना सिर झुका अपने कामों में व्यस्त थे। यहाँ फैजल ने मारिया को टेरेंस भी दिखाया जहां बंदूक धारी हाथ में बंदूक लिए खड़े थे और इसके अलावा विभिन्न कमरे भी दिखाए और उनके बारे में बताया कि किन लोगों के लिए कौन सा कमरा आरक्षित है। यहाँ एक बड़ा पुस्तकालय भी था जिसमे विभिन्न किताबें और उपन्यास मौजूद थे और एक बड़ा हॉल भी था जिसमें जालियों से नीचे वाला हॉल कक्ष दिखता था जिसमें लोकाटी ने लोगों से मुलाकात की थी जिसको फैजल ने अतिथि ग्रह बताया था। आसपास कोई व्यक्ति न होने की वजह से फैजल अब काफी रिलैक्स था और मारिया से काफी फ्री होकर बात कर रहा था। इस दौरान मारिया ने महसूस किया कि फैजल अपनी नज़रें मारिया के बड़े मम्मों पर गढ़ा देता था और जब मारिया ने फैजल की तरफ देखती तो वो अपनी नज़रें हटा लेता। मारिया ने महसूस किया था कि उसकी टाइट फिटिंग वाली कमीज में उसका फिगर बहुत कयामत ढा रहा था और फैजल को बार बार मजबूर कर रहा था कि वह अपनी नज़रों को मारिया के मम्मों से चकाचौंध करे। मगर मारिया ने फैजल को इस बात से नहीं रोका, बल्कि अब वह जानबूझकर फैजल को अवसर दे रही थी कि वह मारिया के मम्मों को देख सके उसके साथ मारिया फैजल से आगे जाकर अपनी पीठ फैजल की ओर करके एक रेक का सहारा लेकर झुककर भी खड़ी हो गई और टेबल पर पड़ी किताब को उलट पलट कर देखने लगी। इस स्थिति में मारिया के बड़े बड़े नितंब फैजल के लंड को खड़ा होने पर मजबूर कर रहे थे और फैजल की नजरें मारिया की टाइट कमीज से दिखने वाली मारिया के चूतड़ों के बीच की लाइन पर थीं। वह मन ही मन अपने पिता की किस्मत पर रश्क कर रहा था जिसकी किस्मत में इतनी गर्म और सेक्सी लड़की आई थी जबकि फैजल को या तो अपनी 35 वर्षीय पत्नी के शरीर से काम चलाना पड़ता था या फिर जाहिल महिलाओं से काम चलाता था वह कोई इतनी सुंदर नहीं थीं। जबकि उसके पिता को इस उम्र में इतनी हसीन और सेक्सी लड़की मिल गई थी।
मारिया कुछ देर इसी तरह अपनी गाण्ड दिखाने के बाद सीधी खड़ी हुई और फिर से फैजल से बातें करने लगी और हवेली के विभिन्न स्थान देखने लगी इस दौरान वह फैजल के और करीब हो गई थी और कभी कभी दोनों के शरीर आपस में टकराते तो मारिया को एहसास होता कि फैजल का शरीर काफी गर्म है। जबकि फैजल भी मन ही मन सोचता कि इतना गर्म और मुलायम शरीर अगर चोदने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए
पूरी हवेली देख लेने के बाद मारिया ने फैजल को कहा कि वह उसे वापस उसके कमरे में छोड़ आए। तो फैजल न चाहते हुए भी मारिया को उसके कमरे तक छोड़ आया। कमरे में जाते ही मारिया ने दरवाजा बंद कर लिया और फैजल अपना सा मुंह लेकर वापस अपने कमरे में चला गया। मगर वह खुश था कि उसने कुछ देर ही सही मगर इतनी सेक्सी लड़की के शरीर के उभार देख लिए। फैजल के जाते ही मारिया ने कमरे की जाँच की, उसके अलावा कमरे में और कोई नहीं था। अब मारिया ने अपनी कमीज में हाथ डाल कर अपनी ब्रा से कागज का वह लिफाफा निकाला और उसे खोला तो उसमें से 2 प्लास्टिक की छोटी थैलियां निकली और एक छोटी सी पर्ची थी। मारिया ने वह पर्ची खोलकर पढ़ना शुरू किया तो उसमें केवल इतना लिखा था "दोनों सरकार पा शक्तिशाली बनना चाहते हैं, दोनों को शासक के खिलाफ करो
उसके बाद मारिया ने वह छोटी थैलियाँ देखी तो उनमें से एक पर जहर लिखा था जबकि दूसरी में बेहोशी की दवा लिखा था। मारिया समझ गई कि यह जहर मारिया के लिए भेजा गया है कि अगर वह किसी मुश्किल में फंसे तो इन अत्याचारियों का अत्याचार सहन करने की बजाय जहर खा ले। जबकि बेहोशी की दवा उसकी जरूरत के लिए थी कि अगर हवेली में किसी को बेहोश करना हो तो यह दवा मारिया काम आ सके। जबकि दूसरा संदेश भी मारिया समझ गई थी दोनों को दर्शाता लोकाटी के दोनों बेटे थे और मेजर राज ने मारिया को बताया था कि ये दोनों ही किसी न किसी तरह लोकाटी की बजाय स्वशासन प्राप्त करना चाहते हैं और अगर उन्हें लोकाटी के खिलाफ कर दिया जाय तो मेजर राज अपना कोई खेल चला सकता है। मारिया काफी देर कमरे में बैठी रही और सोचती रही कि आखिर कैसे दोनों को उनके पिता के खिलाफ किया जा सकता है और कैसे उन्हें यह आश्वासन दिया जा सकता है कि उन्हें सरकार मिल सकती है।
काफी देर सोचने के बाद मारिया के मन में केवल एक ही बात आई कि हर आदमी औरत के शरीर का प्यासा है, और आज मारिया ने देख भी लिया था कि फैजल जो जाहिरा तौर मारिया की ओर आँख उठा कर नहीं देखता था, अवसर मिलने पर उसकी नज़रें मारिया के मम्मों पर थी जो कमीज में छिपे हुए थे। कमीज में छिपे हुए मम्मों पर फैजल इस तरह मरा जा रहा था तो जब वह उसके मम्मों को अपने सामने देख लेगा तो उसका क्या हाल होगा। मारिया ने अब पूरा प्लान बना लिया था कि उसे क्या करना है। और अब वह अपने प्लान को अमलीजामा पहनाने के लिए आवश्यक कदम उठा रही थी
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साना जावेद ने कमरे के की होल में चाबी घुमाई और हेंडल घुमा कर दरवाजा अंदर धकेला तो दरवाजा खुलता चला गया। साना जावेद ने मेजर राज को अंदर आने का इशारा किया और जैसे ही राज ने अंदर प्रवेश किया साना जावेद ने कमरा पीछे से बंद कर दिया और कुंडी लगाकर रकी ओर बढ़ी। राज के पास जाकर साना जावेद रुक गई और बोली- हाँ अब बताओ कर्नल इरफ़ान ने तुम्हें यहाँ क्यों भेजा है? और तुम कौन हो ??? इस पर मेजर राज ने कहा कि मेरा नाम फ़िरोज़ है और मैं पाकिस्तानी सेना में कैप्टन के पद पर हूँ। और कर्नल इरफ़ान की टीम में बहुत महत्वपूर्ण सेवा में हूँ। कर्नल साहब पिछले काफी दिनों से एक भारतीयमेजर जो इस समय पाकिस्तान में मौजूद है उसको पकड़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अब अचानक उनको इंडिया जाना पड़ गया है और वह अपना मेजर राज को पकड़ने का मिशन अधूरा छोड़ गए हैं क्योंकि इंडिया में कुछ ज़्यादा जरूरी काम हैं। और आप को भी कल रात ही इंडिया जाना है तो कर्नल साहब ने विशेष रूप से निर्देश दिया है कि मैं आपके साथ ही इंडिया जाऊंगा।
इस पर साना जावेद ने कहा मगर तुम मेरे साथ कैसे जा सकते हो? मेरी तो सारी तैयारी पूरी है और हमारी फ्लाइट भी फुल है। इस पर मेजर राज ने साना जावेद को कहा मैम आपके साथ आपका एक मेकअप मेन फ़िरोज़ भी जा रहा है। आज रात फ़िरोज़ को अंडर ग्राउंड कर दूंगा और खुद फ़िरोज़ बनकर उसी वीजा और पासपोर्ट पर आपके साथ जाऊंगा
इस पर साना जावेद ने कहा मगर मुझे तो कर्नल इरफ़ान ने ऐसी कोई बात नहीं बताई। कैप्टन ने कहा इसीलिए तो उन्होंने मुझे आपके पास भेजा है, उन्हें अचानक ही इंडिया जाना पड़ गया है, पहले उन्होंने अपना मिशन अगले सप्ताह तक पूरा करना था लेकिन अब उन्होंने अचानक ही फैसला किया है कि मिशन पूरा करने का सही समय आ गया है अब ज़्यादा देर नहीं की जा सकती, इसके साथ साथ आप अपनी फिल्म की एक प्रति भी मुझे देंगी, मैं वह फिल्म खुद भी देखूंगा और आपके साथ इंडिया जाने के बाद आपकी फिल्म जल्दी रिलीज करवाने का काम भी मैं ही कर दूँगा जैसे ही आपकी फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होगी उसी रात कर्नल इरफ़ान इंडिया पर अपना आखिरी वार करेंगे और उसे एक प्रांत से वंचित कर देंगे।
साना जावेद संदिग्ध नजरों से कैप्टन को देख रही थी जैसे उसे उसकी बातों पर विश्वास न हो। कैप्टन ने इस बात को महसूस कर लिया था, कप्तान ने कहा मैम हमारे पास ज्यादा समय नहीं है, कल किसी भी तरह हमें इंडिया जाना है, कर्नल इरफ़ान आपको वहीं मिलेंगे, अगर आप चाहें तो सेना मुख्यालय से कर्नल इरफ़ान के बारे में पता कर सकते हैं कि वह पाकिस्तान में हैं या इंडिया मे . मगर उससे पहले अपनी पहचान अवश्य करवाईएगा अन्यथा सेना मुख्यालय से आपको कभी कोई जानकारी नहीं मिलेंगी। मेजर राज की बातों को देख अब साना जावेद को विश्वास हो चला था कि यह सच कह रहा है। मगर फिर साना जावेद ने हैरान होते हुए पूछा कि अगर इतनी ही आपातकालीन स्थिति है और तुम्हें कर्नल इरफ़ान ने मेरे पास भेजा है तो तुम वहाँ ऐनी जाफ़री के साथ क्या कर रहे थे ???
साना जावेद की यह बात सुनकर मेजर राज मुस्कुराया और बोला आपको काफ़ी देर से ढूंढने की कोशिश कर रहा था, लेकिन आप नहीं मिल रही थीं, तो नीचे हॉल में ऐनी जी से मुलाकात हो गई, तो आपको तो पता ही है कि, एक तो वह खुद बहुत सेक्सी हैं ऊपर से उनकी ड्रेसिंग ऐसी होती है कि कोई भी पुरुष उनकी ओर खिंचा चला जाता है।बातों बातों में ही उनके अतीत के बारे में भी बात हुई, आपको तो पता ही होगा कि लॉलीवुड से पहले वह कैसी वाहियात फिल्में करती थीं, तो उन्हें जब पता चला कि मैं पाकिस्तानी सेना में हूँ तो उनके अंदर वही पॉर्न स्टार जाग उठी और उन्होंने सोचा कि आज किसी आर्मी वाले के साथ भी सेक्स का मज़ा लिया जाए, तभी किसी ने मुझे बताया कि साना जावेद कुछ देर पहले ऊपर वाली मंजिल पर थीं तभी ऐनी जाफ़री जी मुझे लेकर ऊपर आ गई और बोलीं कि आप बाथरूम में होगी, में बाथरूम तक आपको ढूंढने आया था, मगर आगे ऐनी जी के इरादे कुछ और थे, अब आप तो जानती ही हैं कि अगर कोई महिला खुद ही निश्चय कर ले किसी आदमी से सेक्स करने का तो वो पल आदमी के लिए कितना मुश्किल होता है इनकार कर नही सकता है, और अगर औरत भी ऐनी जाफ़री जी जैसी हो तो तो असंभव है इनकार
कैप्टन की यह बात सुनकर साना जावेद ने बुरा सा मुँह बनाया और बोली- अब ऐसी कोई बात नहीं उस मोटी में। खैर अब बताओ आगे का क्या कार्यक्रम है ???
मेजर राज ने कहा कार्यक्रम वही है कि आप मुझे अपनी फिल्म की कॉपी देंगी, मैं इस फिल्म को देखूँगा और उसके अनुसार कुछ योजना बनाउन्गा और इस फिल्म की कॉपी इंडिया के कुछ नेताओं तक भी आज रात ही पहुंचा दूंगा, और कल शाम को मैं आपके साथ इंडिया जाऊंगा और वहां एयरपोर्ट पर ही हमारी कर्नल इरफ़ान के साथ बैठक होगी। और आगे की योजना हमें कर्नल साहब वहीं बताएंगे।यह सुनकर साना जावेद ने एक लम्बी सी साँस ली ..... और कुछ देर खामोश रही जैसे कुछ सोच रही हो ... इस दौरान कुछ सेकंड के लिए कैप्टन ने महसूस किया कि साना जावेद की नजरें मेजर राज की पैंट पर हैं जहां वो कुछ ढूंढने की कोशिश कर रही थी, मगर फिर तुरंत ही उसने अपनी नज़रें हटा लीं . फिर साना जावेद ने कहा कि यहां तो मेरे पास फिल्म नहीं है, वह मेरे घर पर है, वहीं चलकर तुम्हें फिल्म दे सकती हूँ। मेजर राज ने कहा कि चलें फिर वहीं चलते हैं। इस पर साना जावेद ने कहा नहीं अभी नहीं जा सकती, अब यहाँ मेरा प्रदर्शन है और पुरस्कार भी मिलना है, यहां से करीब रात के 2 बजे फ्री होउंगी, उसके बाद वैसे तो मुझे फवाद के साथ जाना था मगर वह कार्यक्रम में कैंसिल कर सकती हूँ और 2 बजे के बाद घर चलकर तुम्हें फिल्म दिखा सकती हूँ
मेजर राज ने कहा ठीक है 2 बजे यहां से खाली होकर आप अपने घर चली जाएं। मैं आपको 2 बजे के बाद आपके घर पर ही मिलूँगा। साना जावेद ने कहा, यहां से इकट्ठे जाएंगे हम ??? मेजर राज ने कहा नहीं आप अलग जाएंगी और मैं अलग ही वहाँ पहुँचूँगा, बस यह ध्यान रखें कि मीडिया वालों से बच कर जाना है आपने, कहीं ऐसा न हो कि आप को एक आर्मी कैप्टन के साथ देखकर मीडिया बात फैला दे और इंडिया में भी हमारी योजना की भनक पड़ जाए।साना जावेद ने कहा चलो ठीक है तुम मेरे घर का पता लिख लो ... यह सुनकर मेजर राज हंसने लगा और बोला मेडम आप एक आर्मी कैप्टन के सामने खड़ी हैं, तो चिंता न करें मैं पूरे समय घर पर ही मिलूंगा आपको।साना जावेद ने कहा अब तो मैं जाऊं वापस नीचे ???
मेजर राज ने कहा, हां जी आप चलें, कुछ देर में भी नीचे ही रुकुंगा, उसके बाद में यहां से चला जाऊंगा कुछ जरूरी काम करने हैं और फिर रात को आपके घर पर ही मुलाकात होगी
यह कह कर मेजर राज कमरे से निकल गया और वापस बाथरूम की ओर गया, लेकिन अब की बार वो महिलाओं के बाथरूम की बजाय जेंट्सऊ बाथरूम में ही गया जबकि साना जावेद फिर से वह कमरा बंद करके नीचे हॉल में चली गई जहां इस समय रेशमा खुद के गाए गाने पर परफॉर्म कर रही थी। साना जावेद फिर से जा फवाद ख़ान के साथ बैठ गई और बोली सॉरी डार्लिंग, ज़्यादा देर तो नहीं हुई मुझे? फवाद ख़ान ने कहा कहाँ चली गई थी तुम और वह व्यक्ति कौन था, साना जावेद ने किसी ना किसी तरह उसे टाल दिया और फिर से शो एंजाय करने लगी जबकि फवाद ख़ान भी साना जावेद से अन्य विषयों पर बातें करने लगा
शो खत्म होने के बाद फवाद ख़ान ने साना जावेद को लांग ड्राइव ऑफर की मगर साना जावेद ने तबीयत का झूठा बहाना बनाकर फवाद को टाल दिया और खुद अपनी कार में घर पहुंच गई। घर पहुंची तो रात के 2 बजकर 25 मिनट हो चुके थे। साना जावेद ने घर जाकर कमरे की रोशनी ऑन कीं और इंटरकॉम पर अपने मेकअप मेन फ़िरोज़ को अपने कमरे में आने के लिए कहा ताकि वह उसको आवश्यक निर्देश दे सके। थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला तो फ़िरोज़ अंदर आया। साना जावेद ने फ़िरोज़ को कहा कि आप ने जो इंडिया जाने की तैयारी कर रखी थी उसको ऐसे ही छोड़ दो, तुम अब इंडिया नहीं जा रहे हो, कल तुम्हें अंडर ग्राउंड कर दिया जाएगा और तुम्हारी जगह कोई और इंडिया जाएगा।
यह सुनकर फ़िरोज़ बोला मैम ऐसी बातें हर किसी को बताने की नहीं होतीं, यह आर्मी के सीक्रेट हैं, बात फ़िरोज़ के बारे में ही है लेकिन फ़िरोज़ को भी इस बात का पता नहीं लगना चाहिए ?? यह कह कर फ़िरोज़ हंसने लगा .. साना जावेद हैरान होकर उसे देखने लगी, फिर उसे ख्याल आया कि यह आवाज फ़िरोज़ की नहीं बल्कि यह तो कैप्टन फ़िरोज़ की आवाज है जो उसको होटल में मिला था। साना जावेद ने फटी फटी आँखों से फ़िरोज़ को देखा तो वह हंसने लगा और बोला अरे साना जावेद जी में केप्टन फ़िरोज़ हूं, आपके फ़िरोज़ को मैं कब का ठिकाने लगा चुका। देखिए कैसा हुलिया अपनाया है आप भी नहीं पहचान सकीं कि फ़िरोज़ नहीं बल्कि केप्टन फ़िरोज़ हूँ।यह कह कर मेजर राज ने एक और ठहाका लगाया और साना जावेद के पास आकर बोला क्यों साना जावेद जी, कैसी लगी मेरी एक्टिंग ???
साना जावेद ने प्रशंसा भरी नज़रों से मेजर राज को देखा और बोली में भी संदेह में न पड़ती अगर तुम ये बातें नहीं करते फ़िरोज़ के मुंह से आर्मी का सुनकर हैरान हुई वरना मुझे तो पता ही नहीं लगता। साना जावेद की बात के जवाब में मेजर राज ने पाकिस्तान का नारा लगाया और बोला जब तक हम जैसे अधिकारी मौजूद हैंहमारी धरती को कोई विश्वासघाती नुकसान नही पहुँचा सकता है, यह कहते हुए मेजर राज के लहजे में एक विश्वास था क्योंकि वास्तव में तो वह मेजर राज था और वह पाकिस्तान के लिए नहीं बल्कि अपने देश इंडिया के लिए ये शब्द बोल रहा था। अब मेजर राज ने साना जावेद को कहा मैम मुझे अपनी फिल्म की एक कॉपी दें, रात पहले ही बहुत हो गई है मुझे वह फिल्म देखनी भी है
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- raj sharma
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