वतन तेरे हम लाडले complete

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rajsharma
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Re: वतन तेरे हम लाडले

Post by rajsharma »

shubhs wrote:8-) अतिसुन्दर लगे रहो मुन्ना भाई
Kamini wrote:राज जी आपकी कहानियों की मैं हमेशा फॅन रही हूँ ये कहानी सुपरहिट है
mastram wrote:Maza aa raha hai mitr jaldi se aage badhaao
kunal wrote:plz update
Dhanywad dosto update 5 minute me
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: वतन तेरे हम लाडले

Post by rajsharma »

कुछ देर के बाद राज ने स्थिति चेंज करने के लिए रश्मि की चूत से अपने लंड को निकाला तो रश्मि को ऐसा लगा जैसे उसकी चूत में फंसा हुआ कोई मोटा डंडा एकदम से बाहर निकल गया हो और अब उसको अपनी चूत पहले की तरह हल्की फुल्की महसूस हो रही थी। मगर राज ने बिना समय जाया किए खुद नीचे लेटकर रश्मि को अपने ऊपर बिठा लिया और उसकी चूत को अपने लंड ऊपर सेट करके नीचे से एक जोरदार धक्का रश्मि की चूत में मारा। इस धक्के ने रश्मि के चूतड़ों को राज की नाभि के हिस्से से मिला दिया था और धुप्प की एक ध्वनि उत्पन्न हुई। फिर रश्मि को लोहे की गर्म छड़ अपनी नाजुक चूत में जाती हुई महसूस हुई और उसकी एक चीख भी निकली लेकिन अब की बार इस चीख में दर्द के साथ साथ मज़ा भी था।
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राज के एक ही धक्के से पूरा लंड रश्मि की चूत में घुस गया था और अब राज का हर धक्का रश्मि के चूतड़ों और राज के नाभि भाग के मिलाप का कारण बन रहा था जिसकी वजह से पूरा कमरा धुप्प धुप्प की आवाज से गूंज रहा था। राज ने रश्मि को अपने ऊपर लिटा कर अपने सीने से लगा लिया। रश्मि के मम्मे राज के सीने में छिप गए थे और राज रश्मि को चूतड़ों से पकड़ कर अपना लंड तेजी के साथ उसकी चूत में अन्दर बाहर कर रहा था। रश्मि ने अपना सिर उठा कर अपने गर्म होंठ राज होंठों से मिला दिए और चुदाई के साथ चुंबन करने का मज़ा भी लेने लगी। अब लंड काफी धाराप्रवाह के साथ रश्मि की चूत में पंप चला रहा था। और पंप के चलाने से जल्द ही फिर से पानी निकलने वाला था। रश्मि अब अपनी सुहाग रात फुल मजे से एंजाय कर रही थी।
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हालांकि अब भी रश्मि को अपनी चूत की दीवारों के साथ राज का लंड रगड़ता हुआ ऐसा लगता था जैसे उसके शरीर के साथ कोई कीचड़ लूट रगड़ाई कर रहा हो, मगर इस चुभन और रगड़ाई का भी अपना ही अनोखा मज़ा था। कुछ देर राज के होंठ चूसने के बाद अब रश्मि उठकर बैठ गई थी, अब की बार वह खुद भी राज के लंड ऊपर उछल रही थी जिसके कारण लंड की चोट पहले से अधिक लग रही थी। पहले केवल राज नीचे से धक्के मार रहा था मगर अब रश्मि खुद भी उछल रही थी, रश्मि की चूत से जब लंड बाहर निकलता तो राज नीचे होता और रश्मि ऊपर की ओर उठती , जब लंड ने अंदर जाना होता तो राज एक जोरदार धक्का ऊपर से मारता और रश्मि भी अपने पूरे वजन के साथ राज के लंड के ऊपर आती। राज और रश्मि अब अपनी सुहाग रात पहली चुदाई को फुल एंजाय कर रहे थे। इतने में रश्मि को अपने शरीर में ही सुई की सी चुभन महसूस होने लगी। मगर अबकी बार वह जानती थी कि उसके बदले में मिलने वाला मज़ा क्या और कितना महत्व रखता है।
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राज ने भी अब की बार पूरी गति के साथ धक्के लगाना शुरू कर दिया था और उसने रश्मि के चूतड़ों को जोर से पकड़ रखा था। कुछ देर धक्के लगाने के बाद राज ने कुछ जोरदार धक्के लगाए और इसके साथ ही अपना सारा वीर्य अपनी पत्नी रश्मि की चूत के अंदर निकाल दिया जैसे-जैसे राज के लंड से वीर्य निकल रहा था वैसे ही रश्मि की चूत भी अपना पानी छोड़ रही थी। चूत और लंड ने जब एक साथ पानी छोड़ा तो रश्मि की चूत में जैसे बाढ़ आ गई। और यह बाढ़ जोकि बहुत अधिक गर्म पानी था इससे रश्मि की चूत और गर्म जवानी को एक सुकून मिला।

दोनों अपना अपना पानी छोड़ने के बाद काफी देर तक एक दूसरे के गले लगकर गहरी गहरी सांस लेते रहे। राज का 8 इंच लंड अब छोटा होकर 2 इंच का हो गया था जिसको रश्मि बहुत उत्सुकता के साथ देख रही थी और हैरान हो रही थी कि यह नन्हा मुन्ना सा 2 इंच लंड कुछ ही देर पहले कैसे लोहे की रॉड की तरह उसकी चूत में घुसा हुआ था। मेजर राज ने आज अपनी पत्नी को अपने लंड से कली से खुला गुलाब बना दिया था और रश्मि भी लंड के मजे से पहली बार परिचित हुई थी। दोनों अब तक एक दूसरेके शरीर गर्म कर रहे थे और समय समय पर एक दूसरे को चूम भी रहे थे।
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इसी चूमा चाटी के दौरान राज के लंड ने एक बार फिर अपना सिर उठाना शुरू किया और देखते ही देखते 2 इंच की लुल्ली 8 इंच लंबा और मोटा ताजा लंड बन गया। रश्मि लंड को इस तरह लंबा होते हुए बहुत आश्चर्य से देख रही थी। रश्मि समझ गई थी कि उसके पति का अभी मन नहीं भरा और वह एक और चुदाई का राउंड लगाकर अपनी प्यास बुझाना चाहता है। जबकि रश्मि बहुत बुरी तरह थक चुकी थी और उसकी चूत आज पहली चुदाई के बाद लंड लेने के लिए तैयार नहीं थी मगर फिर भी उसने पति को मना करना उचित नहीं समझा। अच्छी पत्नी वही होती है जो पुरुषों के लंड के लिए अपनी योनी को हर समय तैयार रखे। यही रश्मि ने भी किया और बिना कोई नखरा दिखाए फिर से चुदने के लिए तैयार हो गई।
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राज ने एक बार फिर अपनी पत्नी के पैर ओपन कर अपना लंड हाथ में पकड़े रश्मि की योनी मारने के लिए तैयार बैठा था कि इतने में साथ पड़े दराज में मोबाइल की घंटी बजने लगी। मेजर राज ने सब कुछ भुलाकर आगे बढ़कर मोबाइल उठाना चाहा तो रश्मि ने मना कर दिया और कहा कम से कम आज की रात तो मोबाइल को छोड़ दो। मगर मेजर राज ने कहा कि उसका अपना निजी मोबाइल बंद है, यह विशेष मोबाइल है जिस पर उसकी खुफिया एजेंसी द्वारा अति आवश्यक काम के लिए ही कॉल आती है वह कॉल रेजैक्ट नहीं कर सकता। यह कह कर उसने कॉल अटेंड की तो आगे से फोन पर उसको तुरंत ड्यूटी पर आने के लिए कहा गया। दुश्मन देश का एक एजेंट भारत के कुछ गुप्त रहस्य चुरा कर वापस अपने देश भागने की तैयारी कर रहा था और मुम्बई में उस समय मेजर राज से अधिक होनहार गुप्त एजेंट मौजूद नहीं था। इसलिए रॉ ने मेजर राज के हनीमून का विचार किए बिना ही उसे फोन करके वापस ड्यूटी पर बुलाया।

मेजर राज जिसमें स्वदेश के प्यार की भावना कूट कूटकर भरी थी उसने भी बिना कुछ कहे अपनी गर्म और जवान पत्नी की चिकनी चूत को छोड़ा और तुरंत ही अपनी अलमारी से आम कपड़े निकालकर पत्नी के सिर पर चुंबन देकर कक्ष से निकल गया। रश्मि हैरान और फटी हुई नजरों से मेजर राज को देख रही थी कि कैसे अचानक ही हनीमून पर जब वह अपना लंड रश्मि की चूत में डालने ही वाला था, राज सब कुछ भूल कर अपना कर्तव्य निभाने निकल गया था। मेजर राज ने अपनी काले रंग की कोरोला कार स्टार्ट की ओर घर से निकल पड़ा।

मेजर राज इन्हीं सोचों में गुम था कि अचानक उसके सिर पर ठंडे बर्फ जैसे पानी की एक बाल्टी डाल दी गई। सिर पर ठंडा पानी पड़ते ही मेजर राज अपनी सोचों की दुनिया से वापस आया तो उसने देखा वह उसी अंधेरे कमरे में जहां कर्नल इरफ़ान से आमना-सामना होने के बाद उसकी आंख खुली थी। यूं तो मेजर राज को विशेष ट्रेनिंग दी गई थी कि किसी भी तरह की स्थिति में अपने आसपास का ख्याल रखना है, लेकिन रश्मि की यादों में खो कर मेजर राज को पता ही नहीं लगा जब उसके जेल का दरवाजा खुला और एक पुरुष और एक औरत ने अंदर प्रवेश किया। मेजर राज को होश तब आया जब उसके सिर पर ठंडे पानी की बाल्टी डाल दी गई।

मेजर राज ने होश में आते ही फिर हिलने जुलने की कोशिश की मगर फिर वह बुरी तरह नाकाम रहा। कमरे में बहुत हल्की रोशनी थी जिसमें वह आने वाले पुरुष और महिला को पहचान नहीं पा रहा था। उनकी मंद सी छवि दिख रही थी। मेजर राज ने अनुमान लगाया कि पुरुष की उम्र 30 के करीब रही होगी जबकि महिला की उम्र 25 से 26 साल होगी। मेजर राज उन्हें पहचानने की कोशिश कर रहा था कि आने वाले व्यक्ति ने महिला को वापस चलने का इशारा किया और बोला आ ही गया है भारतीयकुत्ता होश में चल अब उसके लिए खाना भिजवा दे। मेजर राज ने पुरुष को आवाज़ दी और पूछा कि तुम कौन हो ?? और मैं कहाँ हूँ इस समय ?? पुरुष ने एक बार मुड़ कर घूर कर राज को देखा और बिना कोई उत्तर दिए वापस चला गया।
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Re: वतन तेरे हम लाडले

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Imageकुछ देर के बाद फिर से दरवाजा खुला और वही औरत जो पहले अंदर आई थी अपने हाथ में एक प्लेट लिए अंदर आई। उसने मेजर राज के सामने आकर बड़ी हिकारत से उसके सामने थाली रखी और बोली चल अब खा ले। यह कह कर वह स्त्री चुपचाप वापसी के लिए मुड़ गई। मेजर राज फिर चिल्लाया कि तुम कौन हो ?? और मैं कहाँ हूँ?

औरत मुड़ी और बोली मैं कौन हूँ तुझे इससे मतलब चुप कर रोटी खा फिर तुझे इधर से शिफ्ट करना है।

मेजर राज ने फिर पूछा इतना तो बता दो मैं कब से हूं इधर ??

इस पर महिला बोली कल रात तुझे मालिक बेहोश हालत में लाया था और आज तुझे होश आया है। यह कह कर वह स्त्री वापस चली गई और दरवाजा फिर से बंद हो गया।

मेजर राज ने पहले तो हिकारत से खाने को देखा जैसे कि कहना चाह रहा हो कि वह दुश्मन का दिया हुआ खाना नहीं खाएगा। मगर फिर खाने पर नज़र पड़ते ही उसको भयंकर भूख महसूस होने लगी और वह चुपचाप थाली की तरफ हाथ बढ़ाने लगा। थाली में पतली दाल और साथ मे कुछ रोटियाँ पड़ी थीं। मेजर राज के दोनों हाथ आपस में मजबूती से बंधे थे। उसने बहुत मुश्किल से रोटी खाई। आश्चर्यजनक रूप से मेजर राज सारा खाना खा गया और प्लेट ऐसी साफ कर दी जैसे धूलि हुई हो। उसको बहुत भूख लगी थी। खाना खाने के बाद मेजर राज ने फिर से कमरे में नज़रें दौड़ाई तो पूरा कमरा खाली था। अंदर अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था। फिर मेजर राज चिल्लाया और पानी मांगने लगा। मगर शायद उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था।

काफी समय के बाद मेजर राज को फिर से दरवाजे के पास कुछ कदमों की आवाज आई तो उसने फिर से पानी के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद दरवाजा खुला और वही स्त्री हाथ में पानी का जग ले आई। और मेजर राज के सामने रख कर खाने वाली प्लेट उठा कर बाहर चली गई। मेजर राज ने इस बार कुछ नहीं पूछा क्योंकि वह समझ गया था कि इससे कोई जवाब नहीं मिलेगा। इसलिए वह चुपचाप पानी पीने में लग गया। इतना तो उसे यकीन था कि वह कर्नल इरफ़ान की कैद में है। मगर अंदर आने वाला पुरुष कर्नल इरफ़ान हरगिज़ नहीं था। और यह महिला कौन थी मेजर राज उसको भी नहीं जानता था। वह यह भी नहीं जानता था कि वह कब से इस कमरे में कैद है।

मेजर राज अब आने वाले हालात के बारे में सोचने लगा। वह जानता था कि ये लोग मुझे मारेंगे तो नहीं। क्योंकि दुश्मन हमेशा अपने दुश्मन को जिंदा रखने की ही कोशिश करता है ताकि अधिक से अधिक रहस्य मालूम कर सके। अब मेजर राज ने अनुमान लगाया कि आखिर कर्नल इरफ़ान कौनसी जानकारी लेकर भारत से भागा था ?? और अब वह मेजर राज के साथ क्या करेगा मगर इनमें से किसी भी बात का जवाब नहीं था मेजर के पास। मेजर इन्हीं विचारों में गुम था कि फिर से दरवाजा खुला और एक लंबा चौड़ा आदमी अंदर प्रवेश किया। उसके पीछे 2 आदमी और भी थे जो हाथ में बंदूक लिए खड़े थे। ये तीनों लोग भेषभूषा से ही एक बदमाश गिरोह के गुंडे लग रहे थे। आगे आने वाले व्यक्ति ने मेजर राज के पास खड़े होकर उसको सिर के बालों से पकड़ा और खड़ा होने को कहा। मेजर राज लड़खड़ाते हुए खड़ा हो गया और इस आदमी की आंखों में आंखें डालकर बोला कि तुम कौन हो और मैं यहाँ क्यों हूँ ??

मेजर की आंखों में भय का नामोनिशान तक न था। इस व्यक्ति ने मेजर राज के मुंह पर एक जोरदार थप्पड़ मारा जिससे मेजर का मुंह एक पल के लिए सही साइड पर मुड़ गया मगर मेजर ने तुरंत ही वापस उसकी आँखों में आँखें डाली और बोला बताओ मुझे तुम कौन हो और क्या चाहते हो? ?

अब की बार भी मेजर की आंखों में भय नहीं था। मेजर सीधा खड़ा था उसके पैर भी बंधे थे और हाथ भी। मेजर की बात का जवाब देने के बजाय उस व्यक्ति ने कहा यहाँ मैं तेरी बातों का जवाब देने नहीं आया, जो मैं पूछूँ केवल तू इसका उत्तर दे। वरना यह पीछे जो लोग खड़े हैं यह अपनी बंदूक की सारी गोलियां तेरे शरीर में उतार देंगे ......... अभी उस व्यक्ति की बात पूरी नहीं हुई थी कि मेजर राज ने अपना सिर बहुत जोरदार ढंग से सामने खड़े व्यक्ति की नाक पर दे मारा जिससे वह बलबलाता हुआ पीछे की ओर लड़खड़ाते हुए 4, 5 कदम पीछे हो गया। राज की इस हरकत से पीछे दो खड़े लोगों ने अपनी अपनी बंदूकों के रुख राज के सिर पर किए मगर उनके बॉस ने तुरंत ही हाथ के इशारे से उन्हें मना कर दिया कि गोली नहीं चलाना .

अब वह गुस्से में राज की ओर देखने लगा तो मेजर राज बोला तेरे इन किराए के कुत्तों से मैं तो क्या मेरे देश का बच्चा भी नहीं डरेगा हिम्मत है तो उन्हें कहो मेरे ऊपर गोली चलाने को वास्तव में राज जो रॉ का लायक एजेंट था वह अच्छी तरह जानता था कि कोई भी सेना कभी भी दूसरी सेना के कैदी को इतनी आसानी से नहीं मारते। क्योंकि उनका उद्देश्य कैदी से ज़्यादा से ज्यादा जानकारी लेना होता है। इसलिए उन्हे कभी गवारा नहीं होता कि हाथ आए कैदी को कुछ जानकारी लिए बिना मार दिया जाय यही कारण था कि मेजर राज बिल्कुल निडर खड़ा था।

अब की बार अंदर आने वाले व्यक्ति ने पूछा बताओ तुम लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला का पीछा क्यों कर रहे थे? और हमारे जहाज पर क्या करने आए थे ??? उसकी यह बात सुनकर मेजर राज ने एक ठहाका लगाया और बोला ये धोखा किसी और को देना, कर्नल इरफ़ान जैसे कुत्ते को किसी भी रूप में पहचान सकता हूँ। वह लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला नहीं बल्कि कर्नल इरफ़ान था जिसका में पीछा कर रहा था। मेजर की यह बात सुनकर वह व्यक्ति मुस्कुराया और बोला अच्छा तो तुम जानते हो कि वो कर्नल इरफ़ान था। चलो यह तो अच्छी बात है। अब यह भी बता दो कि तुम उनका पीछा क्यों कर रहे थे ??? उसकी यह बात सुनकर राज बोला कि मैं तब तक तुम्हारे किसी सवाल का जवाब नहीं दूंगा जब तक तुम मेरे कुछ सवालों के जवाब नहीं दे देते। दूसरे व्यक्ति ने पूछा कौन से सवाल ?? तो मेजर राज बोला कि मैं इस समय कहाँ हूँ ?? और तुम लोग कौन हो? राज की बात सुनकर वह व्यक्ति बोला तुम इस समय जामनगर में हो और हम कौन हैं यह जानने की तुम्हें कोई जरूरत नहीं।

यह जवाब सुनकर राज ने अनुमान लगा लिया कि यह पाकिस्तान का तटीय शहर है, अब मेजर राज को विश्वास हो गया था कि वह पाकिस्तान का कैदी बन गया है। मगर उसने बिना परेशान हुए अगला सवाल किया कि मैं कितनी देर बेहोश रहा ?? इस पर वह व्यक्ति बोला हमें 3 दिन पहले बता दिया गया था कि एक भारतीयकुत्ता पकड़ा गया है और कल तुम्हें यहां पहुंचा दिया गया था। तब से तुम इधर ही हो। यह सुनकर मेजर राज हैरान रह गया। 3 दिन पहले उस व्यक्ति को पता लगा था कि मेजर राज कर्नल इरफ़ान के कब्जे में है, उसका मतलब है कि मेजर राज कम से कम 3 दिन से बेहोश पड़ा था। अबकी बार वह व्यक्ति दहाडा कि अब बताओ तुम कर्नल इरफ़ान का पीछा क्यों कर रहे थे ???

उसकी बात सुनकर मेजर राज ने बोला जब वह सड़क पर यातायात नियमो का उल्लंघन करते हुए 90 के बजाय 130 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से गाड़ी चलाएगा तो मैं उसका पीछा करूंगा ही ना। मेरी तो ड्यूटी है यह।

मेजर राज का यह जवाब सुन कर दूसरा व्यक्ति दहाडा क्या मतलब है तुम्हारा?

मेजर राज ने मुस्कुराते हुए बोला अरे यार में यातायात पुलिस में हूँ मुम्बई में। रात 3 बजे एक होंडा जिसमें तुम्हारा कर्नल इरफ़ान कहीं जा रहा था मैने उसकी कार का पीछा किया क्योंकि वो यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पूरे 130 किमी। । । । । । । । इससे पहले कि मेजर राज की बात पूरी होती एक झन्नाटे दार थप्पड़ मेजर मुँह पर पड़ा जिसने मेजर राज के चारों चिराग रोशन कर दिए थे।



मेजर राज को फिर से उसी व्यक्ति की गुर्राती हुई आवाज़ आई अबे दुष्ट आदमी एक यातायात पुलिस वाले को कैसे पता हो सकता है कि लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला के भेष में कर्नल इरफ़ान जा रहा है ... तू निश्चित रूप से रॉ का कुत्ता है। सच सच बोल नहीं तो तेरी जीभ खींच कर बाहर कर दूँगा में ....

उस व्यक्ति की यह बात सुनकर मेजर राज ने अपनी जीभ बाहर निकाल दी .... वह व्यक्ति हैरान होकर मेजर को देखने लगा तो मेजर बोला लो ज़ुबान खींच लो जो कुछ उगलवाना है। यह कह कर मेजर राज हंसने लगा और फिर बोला यार कार के शीशे काले थे मुझे तो नहीं पता था अंदर कौन है। मैंने तो पीछा करना शुरू कर दिया था। फिर बंदरगाह के पास मैंने कर्नल इरफ़ान को कुछ हथियार बंद लोगों के साथ बातें करते सुना, वे उसको कर्नल इरफ़ान कह कर ही संबोधित कर रहे थे तो मैं समझ गया कि ये आदमी जो कानून का उल्लंघन कर रहा है यह कर्नल इरफ़ान है।

मेजर की यह बात खत्म हुई तो वह व्यक्ति मुस्कराने लगा और बोला चूतिया समझ रखा है क्या तूने हमें ?? कुछ भी बोलेगा और हम मान लेंगे ???

मेजर राज ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा अच्छा यार न मानो। जो सच है मैंने तुम्हें बता दिया।

वह व्यक्ति फिर बोला सच सच बता रॉ ने किस मकसद से तुझे भेजा था कर्नल के पीछे ???

मेजर राज ने अंजान बनते हुए कहा कौन रॉ ??? फिर खुद ही बोल पड़ा अच्छा अच्छा भारत की खुफिया एजेंसी ... अरे यार वे इतने पागल थोड़ी ही है जो एक यातायात पुलिस के कांस्टेबल को कर्नल के पीछे भेज दें, मैंने बताया ना कि वह ओवर स्पीड । । । । एक और झन्नाटे दार थप्पड़ मेजर राज के चेहरे पर लगा और उसकी बात बीच में ही रह गई।

अब की बार मेजर राज ने गुस्से से उस व्यक्ति को देखा और उसकी आँखों में आँखें डालते हुए बोला कि थप्पड़ का बदला तो तुमसे ज़रूर लूँगा। एक बार मेरे हाथ तो खोल फिर देख तुझे तेरे भाइयों के सामने कुत्ते की मौत मारूँगा।
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Re: वतन तेरे हम लाडले

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दोस्तो आज के लिए बस इतना ही
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