नए पड़ोसी complete

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Kamini
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Re: नए पड़ोसी

Post by Kamini »

thankks for update
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

Post by Rishu »

इधर रुची मेरा लंड चूस रही थी तो मैंने बगल वाले कमरे पर ध्यान लगाया तो वहां से ठप ठप की आवाजें आ रही थी मतलब मयंक दीदी की जोर शोर से चुदाई कर रहा था. दीदी के चुदाई के ख्याल और रुची की मेहनत से मेरा लंड फिर से तैयार हो गया. मैंने फिर से रुची को घोड़ी बनाया और रुची के चूतड़ सहलाते हुए कहा "देखो रुची, तुम जितनी अपनी गाण्ड मरवाओगी, उतनी ये सुन्दर दिखेगी जैसे जितने तुम मम्मे दबवाया करोगी उतने वो बढ़ें होगे. इसका सीधा मतलब ये है कि जितनी तुम चुदोगी उतनी ही सुन्दर होती जाओगी. तुम रास्ते पर चलोगी तो लोगो का लंड तुम्हे देखते ही खड़ा हो जायेगा."

रुची बोली "मैंने कोई कसम नहीं खाई है गांड न मरवाने की बस डर लगता है की बहुत दर्द होगा. देखो न कई बार चुदने के बाद भी चूत अभी भी दर्द होती है."

मैंने रुची को बेड पर लिटा दिया और उसके पेट के नीचे एक तकिया लगा दीया जिससे उसकी गाण्ड ऊपर की ओर निकल आई. उसकी गांड के भूरे छेद को सहलाते हुए मैंने बोला "बड़ी मस्त गाण्ड है तुम्हारी. एक बार लंड लेकर तो देखो. मजा आएगा. मैंने जैसे ही रुची की गांड के छेद को सहलाया रुची मचलने लगी और उसने अपनी गाण्ड के छेद को जोर से बंद कर लिया फिर मैं उसकी गाण्ड को हाथ से फैला कर जीभ से चाटने लगा. वो एकदम से सिहर गई. मैं अपनी जीभ को नुकीला करके उसकी गाण्ड के छेद पर रख कर अन्दर डालने की कोशिश करने लगा और साथ में उसकी चूत के दाने को भी रगड़ने लगा जिससे रुची और मस्ती में आ गई और अपनी कमर को घुमाने लगी और आवाज भी निकालने लगी. उसको बहुत मजा आ रहा था, उसकी गाण्ड का छेद खुल गया था और अन्दर का गुलाबी रंग दिखने लगा था. मेरा लन्ड अब और टाइट हो गया था. मैं उसकी चूत को भी सहला रहा था और गाण्ड को भी चाट रहा था. इस दोहरी मार ने रुची की हालत एकदम ख़राब कर दी थी और वो बोली "मेरी चूत मैं अपना लन्ड डाल कर मेरी चूत की गर्मी बुझा दे यार"
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

Post by Rishu »

मगर मैं उसकी चूत में अपना लंड डालने के मूड में नहीं था.. मैंने अब अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा.. जो कि एकदम फूल गया था.. और उसकी नसें भी उभर चुकी थीं. सुपारा फूल कर एकदम लाल हो चुका था. मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रख कर रगड़ने लगा, जिससे रुची पूरी तरह से काँप उठी. उसको अंदाज नहीं था कि मैं उसकी गांड पर लंड रख दूँगा. उसकी गांड एकदम गरम थी.. जो मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था. मैंने अपने सुपाड़े को उसकी गांड के छेद पर रखा और जोर देकर अन्दर डालने लगा मगर रुची की गांड बहुत ज्यादा टाइट थी, उसमें मेरा लंड अन्दर नहीं जा रहा था. मैंने पास में रखी हुई फेस क्रीम उठाया और आधा रुची की गांड में खाली कर दिया. रुची समझ गयी की क्या होने वाला है "वो बोली नहीं मनीष बहुत दर्द होगा. रुको तो." पर तब तक मैंने फिर से अपना लंड उसके छेद पर रखा और जोर का धक्का दिया जिससे मेरा सुपाड़ा उसकी गांड में घुस गया. इसके साथ ही रुची की चीख निकल गई. वो लंड निकालने को कहने लगी. मगर मैं समझ रहा था कि एक बार निकाल दिया तो फिर ये कभी भी गांड मारने नहीं देगी. मैंने पीछे से ही हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूचियों को कब्जे में ले लिया और अपने पूरा जिस्म का भार उसके नंगे जिस्म पर डाल दिया. उसकी गर्दन को चूसने लगा और जीभ से चाटने लगा.

"अरे अब क्या किया?" मयंक फिर से चिल्लाया. "कुछ नहीं यार. तुम रश्मि पर ध्यान दो. रुची की जिम्मेदारी मेरी" मैंने चिड़ते हुए जवाब दिया और एक हाथ को उसकी चूचियों से हटा कर उसकी चूत के दाने को मसलने लगा जिससे थोड़ी देर में उसके मुँह से हल्की-हल्की मादक सिसकारियाँ निकलने लगी. थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद मैंने वापस से एक जोर का झटका मारा.. जिससे मेरा आधा लंड उसकी गांड में घुस गया और लंड के मोटे हिस्से तक जाकर रुक गया. अब तो रुची को और भी जोर का दर्द होने लगा और वो जोर से चिल्लाने लगी. वो अपना सर सामने तकिये पर पटक कर रोने लगी और अपना सर इधर-उधर पटकने लगी. अब मैंने इन्तजार नहीं किया और एक आखिरी झटका और मार दिया जिससे मेरा पूरा लंड उसके गांड में घुस गया और वो और जोर की चीख़ मार के अपना सर तकिये पर मार बैठी. मुझे लगा कि साली बेहोश न हो गई हो पर ऐसा नहीं था.

वाकई कुवारी गांड का मजा ही अलग है. अब मैं अपना पूरा भार उसके बदन पर डाल कर उसके कान को चूसने लगा और उसकी एक चूची को सहलाने लगा. मैं कभी उसके गले को चूसता चाटता तो कभी पीठ को चाटता. धीरे-धीरे उसका बदन हिलने लगा और वो कहने लगी "गांड से लंड निकाल दो. बहुत दर्द हो रहा है. मेरी गांड फट गई है. निकालो वरना दुबारा कभी हाथ भी नहीं लगाने दूँगी."

Rishu
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Re: नए पड़ोसी

Post by Rishu »

मैंने उसकी बात को अनसुनी कर दी और उसके बदन को सहलाता और मसलता रहा. बहुत ही ज्यादा कसी हुई गांड थी साली की. बहुत मुश्किल से मैंने लंड अन्दर-बाहर करना शुरू किया. मैं उसको कुतिया बना कर पीछे से उसकी गांड में अपना लंड पेल रहा था और उसकी चूची को मसल रहा था. मुझे तो बहुत मजा आ रहा था मगर रुची की गांड बहुत टाइट थी. पर कुछ देर में क्रीम जब अच्छे से उसकी गांड में फ़ैल गयी तो मैं पूरी जोर से लंड को उसकी गांड में पेलने लगा था और उसकी गांड पर चपत भी मार रहा था. अब तो रुची भी चिल्ला कर कह रही थी "जोर-जोर से मारो मेरी गांड". यह सुन कर मैं भी पूरे जोश में उसकी गांड मार रहा था.

आवाज मयंक के कानो में भी पड़ी तो उसने पुछा "अरे रुची की गांड भी मार दी क्या? उसकी गांड कुवारी है." "यार मेरी बहन की तो चूत भी कुवारी थी तो क्या तुमने छोड़ दी थी." मैंने जवाब दिया और दूने जोश से रुची की गांड मरने लगा. अचानक मुझे लगने लगा कि मेरे लंड की नसें फूल रही हैं और लंड का सारा पानी एक जगह जमा हो रहा है. रुची की कमर को जोर-जोर से पकड़ कर पंद्रह-सोलह झटके मारने के बाद मेरे लंड ने अपना गरम लावा उसकी गांड में ही छोड़ दिया और मैं उसकी पीठ पर ही लेट गया. रुची की गांड को चोद कर बहुत मजा आया. इतना मजा तो उसकी चूत मार के भी नहीं आया था. इसके बाद हम दोनों कुछ देर निढाल पड़े रहे फिर उठ कर बाथरूम में जाकर साफ-सफाई की और वापस कमरे में आ गए. कमरे में आते वक़्त हम दोनों ने दीदी के कमरे की खिड़की से देखा की मयंक भी रश्मि दीदी को कुतिया बना कर उनकी गांड मार रहा है.

मैं रुची से बोला "देखा साला खुद मेरी बहन की चूत गांड सब पेल रहा है और अपनी बहन की बहुत चिंता है." रुची बोली "चिंता विंता कुछ नहीं वो तो खुद मेरी गांड की सील खोलना चाहता था पर यहाँ आकर मम्मी ने जॉब छोड़ दी है. अब वो पूरे दिन घर पर रहती है तो ये इस घर में कुछ कर नहीं पाता." हम दोनों बेड पर लेट गए और बगल के कमरे से आती रश्मि और मयंक की चुदाई की थापे सुनते सुनते कब सो गए पता ही नहीं चला. मेरी नींद तो तब खुली जब मयंक ने मेरा लंड पकड़ कर दबाया. मैं हडबडा कर उठ बैठा. मयंक बोला "यार बहुत दिन हो गए रुची को चोदा नहीं है. आज मौका है एक राउंड लगा लेता हूँ. जरा जगह देना." मैं बेड से हट कर खड़ा हो गया और मयंक रुची के बगल में लेट गया. मयंक का लंड एकदम खड़ा था मतलब वो काफी देर से अपनी सोती हुई नंगी बहन को देख रहा था. वो रुची की चुचिया चूसने लगा तो रूची कुनमुनाने लगी. मयंक ने आव देखा न ताव अपना लंड रुची की चूत के मुह पर रखा और एक जोर का झटका मारते हुए अन्दर कर दिया. दर्द से रुची की नींद खुल गयी और वो चीखती इससे पहले ही मयंक ने उसके होठ अपने होठो से बंद कर दिए और एक और धक्का मार के पूरा लंड अपनी बहन की चूत में उतार दिया. थोड़ी देर बाद जब मयंक ने रुची के होठ छोड़े तो वो बोली "तुम दोनों को बस अपने मजे की पड़ी रहती है. पहले इसने गांड मार कर मेरा बुरा हाल कर दिया और अब तुमने मेरी सूखी ले ली."
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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मयंक बोला "सॉरी बहना. बहुत दिनों बाद तुम्हे नंगा देखा तो रहा नहीं गया." और वापस रुची को चोदने लगा. मैं उन दोनों भाई बहन की चुदाई देख कर मस्त हुआ जा रहा था. अचानक मुझे रश्मि दीदी की याद आई. मैंने मयंक से पुछा की दीदी कहाँ है. वो चुदाई करते करते बोला "वो थक कर सो गयी तो मैंने जगाया नहीं." मैं अपने कमरे से निकल कर दीदी के रूम में चला आया. डोर तो मयंक खोल ही चूका था. दीदी पूरी नंगी बेड पर पड़ी सो रही थी. मैं भी पूरा नंगा था और जाकर रश्मि दीदी के बगल मे बैठ गया और गौर से उनके नंगे बदन को देखने लगा. रुची और आंटी का बदन दीदी के बदन के आगे कुछ नहीं है मेरे दिल से आवाज उठी. मुझे सबसे प्यारी तो दीदी की चुंचिया ही लगती है एक दम तोतापरी आमों जैसे. मैंने दीदी की चूत को भी ध्यान से देखा. मयंक का मोटा तगड़ा लंड लेकर दीदी की चूत थोड़ी खुल गयी थी और बहुत प्यारी लग रही थी. मन तो कर रहा था की इसे खा जाऊं पर मैं वापस दीदी की चुचियों की तरफ आया और धीरे से एक हाथ दीदी की नर्म चूंची पर रख दिया. उफ्फ्फ क्या एहसास था. दीदी सोती ही रही तो मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने दीदी की चूंची को मुह में ले लिया और चूसने लगा. दीदी बिना आँख खोले नींद में ही बोली "अब रहने भी दो मयंक बहुत थक गयी हूँ" और मैं भी चुपचाप वहा से उठा और वापस आ गया.
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