"अरे दिल्ली में मैं जिस घर में रहता हूँ ये उस मकान के मालिक की बेटी है रेणुका. शकल सूरत तुम देख लो. सीरत तो मैं इतने दिन से देख ही रहा हूँ. तुम्हारी और इसकी जोड़ी खूब रहेगी. आकर एक बार इससे मिल लो. अगर पसंद होगी तो बात पक्की कर लेंगे." मामा ने कहा. मैं तो फ़ोटो देखते ही फ्लैट हो गया था. अगले ही हफ्ते मैं दिल्ली पहुच गया और रश्मि दीदी की ससुराल में जाकर रुक गया. दीदी और जीजा जी अलखनंदा में रहते थे और मामा ग्रेटरकैलाश में. अगले दिन जीजा जी ऑफिस निकल गए और मैं और दीदी रेणुका से मिलने dlf माल चले गए. मुझे तो रेणुका फ़ोटो में ही पसंद आ गयी थी सामने से वो और भी सुन्दर थी. दीदी ने भी उसको अप्प्रूव कर दिया और हम लोग वापस लौट आये. घर लौट कर दीदी ने कहा "किस्मत खुल गयी तेरी. बहुत सही माल से शादी कर रहा है. मजा आ जायेगा जा रोज लेगा इसकी."
मैंने दीदी को किस करते हुए कहा "दीदी वो मजा कोई नहीं दे सकती जो तुमने दिया है. एक साल होने को है. अब और न तडपाओ जल्दी से बेडरूम में चलो. शाम को तो मामा रेणुका के घर वालो को लेकर आ जायेंगे. फिर जीजा जी भी वापस आ जायेंगे और कल मैं वापस चला जाऊँगा." दीदी मुस्कुराई और अपनी कमर मटकाते हुए बेडरूम की तरफ चल दी. मैंने गौर से देखा की शादी के बाद दीदी की गांड थोड़ी और बड़ी हो गयी थी.
बेडरूम में जाकर मैंने दीदी के साड़ी ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया. अब दीदी लाल रंग की ब्रा पैंटी में खड़ी थी. अब मैं रुक गया और गौर से उनकी तरफ देखने लगा. दीदी ने पुछा "क्या देख रहा है?"
मैंने बोला "दीदी शादी के बाद तो तुम एक हुस्न की परी बन गयी हो". मेरी बात सुनकर दीदी हंसने लगी. उन्होंने बोला "मनीष तू ज्यादा मक्खन मत लगा. अगर मैं तुम्हें इतनी ज्यादा अच्छी लगती थी तो मेरी शादी ही क्यों की. मैं तेरी ही वाइफ बन जाती." मैंने कहा "मेरी वाइफ तो तुम कई सालो से हो ही दीदी." और मैंने उनकी लाल ब्रा को उतारा और दीदी की चुंचिया को सहलाने लगा. फिर मैंने दीदी की पैंटी को उतारा और उनकी सुनहरी चूत को चाटने लगा. बहुत दिनों बाद आज दीदी की चूत के दर्शन हुए थे. मैं उनकी चूत को किसी कुत्ते की तरह बड़ी तेजी से चाटने लगा. दीदी को भी मजा आने लगा था. दीदी बोली जल्दी जल्दी कर भैया. जयादा टाइम नहीं है. फिर मैं उनकी चूत में मुंह में डाल कर चाटने लगा और दीदी आह्ह ईई ओऊ ईई अह्ह्ह अय्य्य अह्ह्ह आवाज करने लगी. मैं और तेज करने लगा, मैं तब तक चाटता रखा जब तक उनका पूरा पानी मेरे मुंह में नहीं आ गया.
फिर मैंने दीदी को अपनी गोद में उठाकर बेड़ पर लेटा दिया और किसी भूखे शेर की तरह उन पर झपट पड़ा. बहुत तेजी से मुंह में जीभ डाल कर किस करता रहा. फिर दीदी ने कहा "अरे बहनचोद जल्दी कर न."
नए पड़ोसी complete
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Re: नए पड़ोसी
फिर मैंने उन्हें बेड से उठाकर सोफे पर बैठने को कहा फिर मैंने उनके दोनों पैरों को उठाया और फिर धीरे से अपना लंड चूत में डालने लगा. मैंने भी एक धक्का दिया. एक झटके में ही लंड दीदी की चूत में घुस गया. मैंने दीदी से पुछा "और दीदी जीजा जी ठीक से तो चोदते है न या फिर यहाँ भी और आशिक बना लिए है." दीदी सिसकारी लेते हुए बोली "जो कुछ करना था शादी से पहले कर लिया और अब तेरी दीदी की चुत पर सिर्फ तुम्हारा और तुम्हारे जीजा का हक है. वैसे ये भी चुदाई में ठीक है पर खुल कर नहीं करते समझा. अब जल्दी जल्दी घक्के मार न." दीदी ने कहा. मैं दीदी को तेजी से चोदने लगा, वह भी पूरा मजा लेने लगी. करीब २० मिनट ताबड़तोड़ धक्के मारने के बाद मैंने कहा "दीदी मैं झड़ने वाला हूँ कहाँ निकालू. मुह में या?"
"अन्दर ही निकाल दे मैं गोलिया लेती हूँ." दीदी ने कहा और मैंने अपना पूरा माल दीदी की चूत में ही निकाल दिया. थोड़ी देर हमने रेस्ट किया और फिर कपडे पहनने लगे. हमारी टाइमिंग बिलकुल सही थी. कपडे पहनते ही मामा रेणुका के मम्मी पापा को लेकर आ गये. उन लोगो ने मुझे पसंद किया और हमारा चट मंगनी पट ब्याह हो गया. मैं रेणुका को लेकर शिमला हनीमून के लिए गया. वापस आ कर भी मैं ज्यादातर रेणुका में ही लगा रहता तो मेरा राजेश और दिव्या से मिलना भी बेहद कम हो गया. बस एक बार उन दोनों ने शादी के बाद मुझे डिनर पर बुलाया और कभी कभी बैंक के काम से वो मेरे घर या बैंक आ जाते तो मुलाकात हो जाती. फिलहाल पीना वीना भी बंद हो गया. वैसे तो ज़िन्दगी सही ही चल रही थी पर रेणुका के साथ मैं वैसे सेक्स नहीं कर पाता था जैसा रश्मि दीदी, रुची या फिर दोनों आंटियों के साथ करता था क्योंकि रेणुका सेक्स के मामले में ज्यादा खुलती ही नहीं थी. हम लोगो की चुदाई सिर्फ मिशनरी पोजीशन तक ही सिमट कर रह गयी थी.
मुझे लगा था की धीरे धीरे रेणुका को मैं अपने जैसा बना लूँगा पर मेरी सारी कोशिशे बेकार हो गयी और शादी के 2 साल बाद भी रेणुका वैसे की वैसे ही रही. अँधेरा करके मिशनरी पोजीशन पर मैं क्या कर सकता था. इसका नतीजा ये हुआ की जहा मैं रश्मि दीदी को चोदते हुए मैं 4 साल तक बोर नहीं हुआ था रेणुका से 2 साल में ही हो गया. अब तो मैं उसे रोज चोदता भी नहीं था बस हफ्ते में एक दो बार.
ऐसे में ही एक दिन राजेश किसी काम से मेरे बैंक आया और हम लोगों की इधर उधर की बातें होने लगी. राजेश बोला "यार पहले तो हम लोग रोज ही मिलते थे. तुम्हारी शादी के बाद तो अब सिर्फ काम पड़ाने पर मुलाकात होती है." मैंने कहा "ऐसी तो कोई बात नहीं राजेश भाई."
"तो ठीक है आ आ जाओ घर पे सात बजे, मन हो तो रेणुका को भी लेते आना" राजेश ने कहा. और उस दिन से फिर से मेरा राजेश के साथ बैठ कर पीना शुरू हो गया.
"अन्दर ही निकाल दे मैं गोलिया लेती हूँ." दीदी ने कहा और मैंने अपना पूरा माल दीदी की चूत में ही निकाल दिया. थोड़ी देर हमने रेस्ट किया और फिर कपडे पहनने लगे. हमारी टाइमिंग बिलकुल सही थी. कपडे पहनते ही मामा रेणुका के मम्मी पापा को लेकर आ गये. उन लोगो ने मुझे पसंद किया और हमारा चट मंगनी पट ब्याह हो गया. मैं रेणुका को लेकर शिमला हनीमून के लिए गया. वापस आ कर भी मैं ज्यादातर रेणुका में ही लगा रहता तो मेरा राजेश और दिव्या से मिलना भी बेहद कम हो गया. बस एक बार उन दोनों ने शादी के बाद मुझे डिनर पर बुलाया और कभी कभी बैंक के काम से वो मेरे घर या बैंक आ जाते तो मुलाकात हो जाती. फिलहाल पीना वीना भी बंद हो गया. वैसे तो ज़िन्दगी सही ही चल रही थी पर रेणुका के साथ मैं वैसे सेक्स नहीं कर पाता था जैसा रश्मि दीदी, रुची या फिर दोनों आंटियों के साथ करता था क्योंकि रेणुका सेक्स के मामले में ज्यादा खुलती ही नहीं थी. हम लोगो की चुदाई सिर्फ मिशनरी पोजीशन तक ही सिमट कर रह गयी थी.
मुझे लगा था की धीरे धीरे रेणुका को मैं अपने जैसा बना लूँगा पर मेरी सारी कोशिशे बेकार हो गयी और शादी के 2 साल बाद भी रेणुका वैसे की वैसे ही रही. अँधेरा करके मिशनरी पोजीशन पर मैं क्या कर सकता था. इसका नतीजा ये हुआ की जहा मैं रश्मि दीदी को चोदते हुए मैं 4 साल तक बोर नहीं हुआ था रेणुका से 2 साल में ही हो गया. अब तो मैं उसे रोज चोदता भी नहीं था बस हफ्ते में एक दो बार.
ऐसे में ही एक दिन राजेश किसी काम से मेरे बैंक आया और हम लोगों की इधर उधर की बातें होने लगी. राजेश बोला "यार पहले तो हम लोग रोज ही मिलते थे. तुम्हारी शादी के बाद तो अब सिर्फ काम पड़ाने पर मुलाकात होती है." मैंने कहा "ऐसी तो कोई बात नहीं राजेश भाई."
"तो ठीक है आ आ जाओ घर पे सात बजे, मन हो तो रेणुका को भी लेते आना" राजेश ने कहा. और उस दिन से फिर से मेरा राजेश के साथ बैठ कर पीना शुरू हो गया.
- pongapandit
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Re: नए पड़ोसी
superbbbbbbbbbbbbbb bhai
- jay
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Re: नए पड़ोसी
super hot story bro
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- rajaarkey
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Re: नए पड़ोसी
बहुत ही अच्छा अपडेट है दोस्त
(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- Raj sharma
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