नए पड़ोसी complete
- Smoothdad
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Re: नए पड़ोसी
Rishu bhai update de do
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Re: नए पड़ोसी
मैं तो चुदाई करने के लिए हमेशा तैयार हूँ मैंने मन में कहा और वापस रश्मि दीदी के पास आकर बैठ गया. दीदी ने पुछा "किसका फ़ोन था." "मयंक का." मैंने बताया. मयंक का नाम सुन कर दीदी के चेहरे पर एक लालिमा छा गयी. "क्या कह रहा था?" दीदी ने पुछा. "कह रहा था की अभी एक घंटे में आएगा." मैंने दीदी से कहा. "क्यों?" दीदी ने थोडा परेशान होते हुए पुछा. "अरे इसमें क्यों वाली क्या बात है. मुझसे मिलने आयेगा. तुमसे मिलने आयेगा और क्यों?" मैंने दीदी को ये नहीं बताया की वो रुची को लेकर आ रहा है. "नहीं नहीं. मतलब ये तो उसका कोचिंग का टाइम है न इसीलिए पुछा." दीदी ने सफाई दी. "अरे जैसे वो कल कोचिंग नहीं गया था वैसे ही आज भी नहीं गया होगा." मैंने दीदी से कहा. कल की बात सुन कर दीदी का चेहरा फिर से लाल हो गया और फिर वो कुछ नहीं बोली. मैंने मन ही मन सोचा की वाकई मयंक बात का पक्का निकला. एक हफ्ता बोला था पर एक ही दिन में रुची को लेकर आ रहा है वैसे इसमें उसका भी स्वार्थ है क्योंकि इसी बहाने वो दीदी को आज फिर से चोदेगा. थोड़ी देर बाद दीदी उठ कर अपने रूम में चली गयी और मैं टीवी देखते हुए रुची का वेट करने लगा. करीब ४० मिनट बाद डोर बेल बजी और मैंने जल्दी से जाकर दरवाजा खोला. मयंक शोर्ट और टीशर्ट में खड़ा था और साथ में रुची एकदम स्किन फिट जीन्स और कसी हुई पिंक टीशर्ट में खड़ी थी. मैंने दोनों को अन्दर बुलाया. मयंक ने पुछा "रश्मि कहा है" मैंने बताया "अपने रूम में है. तुम वही चले जाओ." मयंक बोला "ठीक है तुम रुची को अपने कमरे में ले जाओ और रुची मनीष का पूरा ध्यान रखना." मैं रुची को लेकर अपने कमरे में आ गया और हम दोनों चुप चाप बैठ गए. मेरी समझ में नहीं आ रहा था की बात कहा से शुरू करूं. उधर मयंक दीदी के कमरे में चला गया. हमारा कमरा अगल बगल है तो उनकी आवाज हमारे कमरे में आ रही थी. हम दोनों उनकी बातें सुनने लगे. दीदी मयंक से बोली "अरे आ गए तुम चलो बाहर बैठते है". "बाहर क्या करेंगे. यहीं बैठते है वैसे जीन्स में बड़ी सेक्सी लग रही हो मेरी जान." मयंक ने शायद दीदी के साथ कुछ छेड़ छाड़ की क्योंकि दीदी की सिसकारी सुनाई दी. "उफ्फ्फ स्स्सीईई. क्या कर रहे हो. मनीष घर में ही है. क्या सोच रहा होगा. चलो बाहर चलते है." दीदी ने फिर बोला. "अरे उसने बताया नहीं की मेरे साथ रुची भी आई है उससे मिलने और वो दोनों उसके रूम में बिजी है. तो उसके पास हमारे बारे में सोचने का टाइम नहीं है. अब इधर भी आओ मेरी जान." इसके बाद कुछ आवाज नहीं आई शायद दोनों चूमाचाटी में लग गए थे.
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Re: नए पड़ोसी
"तुम्हारी बहन नखरा बहुत करती है" रुची ने चुप्पी तोड़ते हुए धीरे से कहा. "क्या कहा?"मैंने वापस पुछा. "मैंने कहा की तुम्हारी बहन नखरा बहुत करती है. अरे कल तुम्हारे सामने मयंक से चुद चुकी है और फिर भी बातें सुनो. क्या कर रहे हो? मनीष क्या सोचेगा?" रुची ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया. मतलब मयंक ने इसको सब कुछ बता दिया. वाह भाई बहन का रिश्ता हो तो ऐसा. आपस में हर बात शेयर करते है. मैंने रुची से पुछा "तो तुम नखरा नहीं करती." "बिलकुल नहीं. अब जल्दी से आ जाओ." ये कहते हुए रुची ने खुद ही अपनी टीशर्ट उतार दी. अन्दर उसने ब्रा नहीं पहनी थी. उसके अमरुद जैसे चुंचे मेरी आँखों के सामने आ गए और अब मैं भी बिना देर किये उसके चुन्चो पर टूट पड़ा.
उस दिन मैंने पहली बार रुची की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसा. मेरे हल्का सा चूसने के बाद ही रुची के निप्पल एकदम तन कर खड़े हो गए. उसकी अमरुद जैसी चुचियों पर खड़े हुए निप्पल बहुत प्यारे लग रहे थे. मैंने उसके निप्पल को अपनी उंगलियों से पकड़ा और हलके से दबाया.
"इस्स…" रुची के मुँह से आवाज़ आई मतलब उसे भी मज़ा आ रहा था. मैंने फिर से उसके निप्पल मुँह में लिए और चूसे. उसने मस्ती से भर कर मेरा सर अपनी छातियों में दबा दिया और मैं बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को चूसता रहा. रुची लगातार ‘इस्स… उफ़्फ़… आह…’ जैसी आवाजे करती रही जिनसे मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था. मैंने रुची की जीन्स उसकी पैंटी के साथ ही नीचे कर दी अब रुची की चिकनी चूत मेरी आँखों के सामने थी. मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत के दोनों होंठों को खोल कर देखा तो अंदर से उसकी चूत गुलाबी रंग की थी जो जैसे जैसे गहरी होती जा रही थी वैसे वैसे लाल होती जा रही थी. देखने से तो उसकी चूत काफी छोटी और अनचुदी लग रही थी.
उस दिन मैंने पहली बार रुची की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसा. मेरे हल्का सा चूसने के बाद ही रुची के निप्पल एकदम तन कर खड़े हो गए. उसकी अमरुद जैसी चुचियों पर खड़े हुए निप्पल बहुत प्यारे लग रहे थे. मैंने उसके निप्पल को अपनी उंगलियों से पकड़ा और हलके से दबाया.
"इस्स…" रुची के मुँह से आवाज़ आई मतलब उसे भी मज़ा आ रहा था. मैंने फिर से उसके निप्पल मुँह में लिए और चूसे. उसने मस्ती से भर कर मेरा सर अपनी छातियों में दबा दिया और मैं बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को चूसता रहा. रुची लगातार ‘इस्स… उफ़्फ़… आह…’ जैसी आवाजे करती रही जिनसे मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था. मैंने रुची की जीन्स उसकी पैंटी के साथ ही नीचे कर दी अब रुची की चिकनी चूत मेरी आँखों के सामने थी. मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत के दोनों होंठों को खोल कर देखा तो अंदर से उसकी चूत गुलाबी रंग की थी जो जैसे जैसे गहरी होती जा रही थी वैसे वैसे लाल होती जा रही थी. देखने से तो उसकी चूत काफी छोटी और अनचुदी लग रही थी.
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Re: नए पड़ोसी
मैं घुटनों के बल नीचे बैठ गया और रुची की दीवार से सटा कर अपना मुँह उसकी छोटी सी चूत में लगा दिया. रुची मस्ती से तड़प उठी. आंटी को चोद चोद कर अब मैं भी थोडा बहुत चुदाई के खेल को जान गया था और दोस्तों मैं आपको बताना चाहता हूँ की लंड के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज चुदाई ही है तो आंटी की चुदाई करने से मेरा लंड थोडा मोटा भी हो गया था. भले ही रुची अपने भाई के बड़े लंड से चुद चुकी थी पर मैं भी उसको पूरा मजा देने वाला था. उसकी चूत चाटते अब मुझे उसकी चूत के अंदर से आने वाले पानी का स्वाद आ रहा था जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. जब वो अच्छे से झड गयी तब मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और उसकी टाँगे उठा कर जीन्स और पैंटी को निकाल कर जमीन पर फेंक दिया. फिर मैंने भी अपने कपडे उतारे और रुची को सीधा लिटाने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत पे घिसा. जब मेरे लंड के सुपाडे ने उसकी चूत के दाने पर रगड़ खाई तो रुची के चेहरे पर आनन्द का भाव छा गया. फिर मैंने उसकी टाँगें उठा कर अपने कंधों पे रखीं और फिर नीचे झुक कर उसकी चूत से मुँह लगाया और फिर से उसकी चूत चाटने लगा. रुची के मुह से फिर से एक आःह्ह निकला. फिर मैंने उसकी कमर अपने हाथों में पकड़ी और ऊपर उठा कर अपने मुँह से लगा ली. अब मैं उसकी गाँड को चाट रहा था. रुची का मस्ती के मारे बुरा हाल था.
मेरे चाटने से वो बार बार अपनी कमर को झटके दे रही थी. कभी ऊपर को, कभी दायें को कभी बाएँ को. मैंने उसकी तड़प का अंदाज़ा लगा लिया था कि अब यह चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार है. मैंने उसकी कमर छोड़ दी और उसे वापस बेड पर लिटा दिया. "रुची, मेरी जान, अपने यार का लंड अपनी चूत पे रखो" मैंने कहा तो रुची ने मेरा लंड पकड़ के अपनी चूत पर रख लिया. मैंने ज़ोर लगाया मगर लंड फिसल गया अंदर नहीं गया. मैंने उठ कर रुची की टाँगे वापस अपने कंधे पर रख ली तो उसकी दोनों टाँगें पूरी तरह खुल गयी और मैंने अपने लंड से ही टटोल कर उसकी चूत का छेद ढूंढा और अपना लंड उस पर टिका दिया फिर मैंने अपने लंड पर ज़ोर डाला और मेरे लंड का टोपा उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
मेरे चाटने से वो बार बार अपनी कमर को झटके दे रही थी. कभी ऊपर को, कभी दायें को कभी बाएँ को. मैंने उसकी तड़प का अंदाज़ा लगा लिया था कि अब यह चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार है. मैंने उसकी कमर छोड़ दी और उसे वापस बेड पर लिटा दिया. "रुची, मेरी जान, अपने यार का लंड अपनी चूत पे रखो" मैंने कहा तो रुची ने मेरा लंड पकड़ के अपनी चूत पर रख लिया. मैंने ज़ोर लगाया मगर लंड फिसल गया अंदर नहीं गया. मैंने उठ कर रुची की टाँगे वापस अपने कंधे पर रख ली तो उसकी दोनों टाँगें पूरी तरह खुल गयी और मैंने अपने लंड से ही टटोल कर उसकी चूत का छेद ढूंढा और अपना लंड उस पर टिका दिया फिर मैंने अपने लंड पर ज़ोर डाला और मेरे लंड का टोपा उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
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Re: नए पड़ोसी
मयंक ने मुझसे कहा था की वो रुची को चोद चूका है मगर रुची की चूत बहुत कसी हुई थी. रुची के मुह से हलकी सी चीख भी निकल गयी जो शायद मयंक ने भी सुनी और वही से चिल्लाया "क्या हुआ रुची." मैंने भी चिल्ला कर जवाब दिया "कुछ नहीं. मैंने तुम्हारी बहन का उद्घाटन कर दिया." रश्मि और मयंक की हँसने का आवाज आई और फिर मैंने थोड़ा सा अपना लंड पीछे को किया. रुची के चेहरे पर थोड़ा सा आराम आया और उसके बाद मैंने और जोर से वापिस अपना लंड उसकी चूत में ठेल दिया.
‘आह…’ अबकी बार चीख और ऊंची और ज़्यादा दर्द भरी थी. "आराम से भाई देखो रश्मि की आवाज आ रही है क्या?" मयंक ने बोला. मैंने उसकी बात अनसुनी करके फिर से अपना लंड थोड़ा सा पीछे करके दोबारा पूरी दम से अंदर धकेल दिया. रुची के मुह से एक जोर की सीत्कार निकल गयी. मैंने देखा तो मेरा लंड जड़ तक रुची चूत में घुस चूका था. मैंने रुची के होंठों को चूमा और अपना लंड धीरे से बाहर निकाल लिया.
अब मैं बड़े आराम से रुची को चूम चाट कर चोद रहा था ताकि मयंक को कोई शिकायत न हो और मेरा पानी भी जल्दी न निकले. मैं तो चाहता था कि कम से कम एक घंटा मैं रुची की चुदाई करूँ. रुची वैसे भी फूल जैसी हल्की थी. मैंने उसे चोदते चोदते ही अपने से लिपटा लिया और बेड से उतर कर नीचे खड़ा हो गया. फिर रुची को दरवाजे से लगा कर हवा में लटका कर चोदने लगा. ये पोजीशन मैंने एक ब्लू फिल्म में देखी थी और तभी से मेरा मन रुची को इस पोज़ में चोदने का था क्योंकि आंटी के साथ मैंने कोशिश की थी पर उनका वजन मैं नही उठा पाया था. आज मेरा एक और सपना पूरा हो गया था. थोड़ी देर रुची को ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उसे नीचे उतारा और कुतिया बनने को कहा. वो फ़ौरन अपने चारों पाँव पर आ गई और मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाला. साथ ही मैंने देखा उसकी गोल गोल गाँड के बीच में छोटा सा छेद.
मैंने उसकी गाँड के छेद पर थूका और अपना एक अंगूठा धीरे धीरे करके उसकी गाँड में डालना शुरू किया मगर उसने मना कर दिया "नहीं नहीं, ये मत करो." "क्यों? क्या मयंक ने पीछे नहीं डाला कभी." मैंने रुची से पुछा. "भाई ने क्या किसी ने भी पीछे नहीं डाला कभी. आगे भी तो आज कई महीनों बाद किसी ने डाला है. गाँव में अच्छा भला मामला फिट हो रहा था पर नानी ने पकड़ लिया और फिर मम्मी पापा आकर मुझे वापस ले आये. लेकिन मेरी चूत की पुकार ऊपरवाले ने सुन ही ली और तुम्हारा लंड मिल ही गया." रुची ने जवाब दिया. मेरी तो बाछे खिल गयी की चलो इसका कोई छेद तो कुवारा है. मैंने अपना अंगूठा बाहर निकाल लिया और उसे और जोर जोर से चोदने लगा.
‘आह…’ अबकी बार चीख और ऊंची और ज़्यादा दर्द भरी थी. "आराम से भाई देखो रश्मि की आवाज आ रही है क्या?" मयंक ने बोला. मैंने उसकी बात अनसुनी करके फिर से अपना लंड थोड़ा सा पीछे करके दोबारा पूरी दम से अंदर धकेल दिया. रुची के मुह से एक जोर की सीत्कार निकल गयी. मैंने देखा तो मेरा लंड जड़ तक रुची चूत में घुस चूका था. मैंने रुची के होंठों को चूमा और अपना लंड धीरे से बाहर निकाल लिया.
अब मैं बड़े आराम से रुची को चूम चाट कर चोद रहा था ताकि मयंक को कोई शिकायत न हो और मेरा पानी भी जल्दी न निकले. मैं तो चाहता था कि कम से कम एक घंटा मैं रुची की चुदाई करूँ. रुची वैसे भी फूल जैसी हल्की थी. मैंने उसे चोदते चोदते ही अपने से लिपटा लिया और बेड से उतर कर नीचे खड़ा हो गया. फिर रुची को दरवाजे से लगा कर हवा में लटका कर चोदने लगा. ये पोजीशन मैंने एक ब्लू फिल्म में देखी थी और तभी से मेरा मन रुची को इस पोज़ में चोदने का था क्योंकि आंटी के साथ मैंने कोशिश की थी पर उनका वजन मैं नही उठा पाया था. आज मेरा एक और सपना पूरा हो गया था. थोड़ी देर रुची को ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उसे नीचे उतारा और कुतिया बनने को कहा. वो फ़ौरन अपने चारों पाँव पर आ गई और मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाला. साथ ही मैंने देखा उसकी गोल गोल गाँड के बीच में छोटा सा छेद.
मैंने उसकी गाँड के छेद पर थूका और अपना एक अंगूठा धीरे धीरे करके उसकी गाँड में डालना शुरू किया मगर उसने मना कर दिया "नहीं नहीं, ये मत करो." "क्यों? क्या मयंक ने पीछे नहीं डाला कभी." मैंने रुची से पुछा. "भाई ने क्या किसी ने भी पीछे नहीं डाला कभी. आगे भी तो आज कई महीनों बाद किसी ने डाला है. गाँव में अच्छा भला मामला फिट हो रहा था पर नानी ने पकड़ लिया और फिर मम्मी पापा आकर मुझे वापस ले आये. लेकिन मेरी चूत की पुकार ऊपरवाले ने सुन ही ली और तुम्हारा लंड मिल ही गया." रुची ने जवाब दिया. मेरी तो बाछे खिल गयी की चलो इसका कोई छेद तो कुवारा है. मैंने अपना अंगूठा बाहर निकाल लिया और उसे और जोर जोर से चोदने लगा.