नए पड़ोसी complete

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Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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मुझे लगा जब लाला ने अपना मोटा लंड दीदी की गांड में डाला होगा तो दीदी की गांड तो फट ही गयी होगी. काश मैंने वो मंजर देखा होता. मैं चुपचाप वहां से नहाने चला गया. दीदी दोपहर तक लेटी ही रही और मुश्किल से उठ कर नहाया धोया. पर शाम को मम्मी पापा के आने के टाइम तक दीदी काफी नार्मल हो गयी या फिर मम्मी पापा को दिखाने के लिए नार्मल होने की एक्टिंग करने लगी.
अगले दिन लाला की जगह ओम आया. मैंने सोचा की आज तो रश्मि दीदी मना कर देगी लेकिन वो उसको लेकर अपने कमरे में घुस गयी और खाट कबड्डी खेलने लगी. बस अब तो रोज का ही नियम हो गया था की मम्मी पापा के जाने के बाद ओम या लाला घर आ जाते और दीदी को अच्छी तरह से बजाते थे.
उधर आंटी के पीरियड ख़तम होने पर मैंने उन्हें चार पांच बार चोदा और बीच बीच में रुची को भी लेकिन नीलम की चुदाई नहीं कर पाया क्योंकि चारू जाने का नाम ही नहीं ले रही थी. लेकिन एक दिन रुची ने मुझे बताया की उसने लाला से भी चुदवा लिया है. एक दिन जब ओम रश्मि को चोदने मेरे घर आया था तब लाला ने रुची को दुकान के अन्दर ले लिया और शटर डाउन करके रुची की अगाडी पिछाड़ी सब बजा डाली. कुल मिला कर रुची आंटी और रश्मि दीदी तीनो ही लाला के हल्ल्बी लंड की दीवानी हो गयी थी. बड़े मजे से हँसते हँसते तीनो लाला का लंड आगे और पीछे ले लेती थी.
बीच में एक दिन जब ओम दीदी को चोदने आया तो मैंने उससे कहा भी की अब तो लाला भी रुची को चोदता है तो मेरे लिए किसी और चूत का जुगाड़ कराओ तो वो बोला की उसने कामिनी भौजी से मेरे लिए बात की थी पर उन्होंने इंकार कर दिया लेकिन वो फिर से कोशिश करेगा. मैंने भी सोचा की अब तो रक्षाबंधन में दिन ही कितने बचे है. कामिनी आंटी पर बाद में फोकस करेंगे अभी तो रश्मि दीदी की लेने की तैय्यारी करनी है फिर तो घर में ही मजे होंगे.
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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राखी से ३ दिन पहले मयंक भी छुट्टी में घर आ गया था और अगले दिन वो रुची को लेकर घर आ गया. दीदी मयंक को देख कर बहुत खुश हुई और हम चारों ने पुराने दिनों की तरह धमाकेदार चुदाई की. दोपहर तक हमारा ये खेल जारी रहा और हमने कई राउंड में चुदाई की. मयंक ने रश्मि दीदी और रुची के साथ थ्रीसम भी किया और मैं सिर्फ देखता रहा. आज दीदी ने अपना कमरा बंद नहीं किया था जो की वो ओम या लाला के आने पर कर देती थी. काफी दिन बाद दीदी को पूरा नंगा देख कर मेरे अन्दर एक नया जोश आ गया और मैंने रुची को तबियत से चोदा. आखिर में दीदी और रुची बोल पड़े की बस अब और नहीं. फिर मयंक और रुची वापस अपने घर चले गए. हम दोनों भाई बहन भी अपने कमरे में आ कर सो गए. शाम को जब मम्मी पापा आये तो उन्होंने हम दोनों को जगाया और हमे मुह हाथ धोकर हाल में आने को कहा.
जब हम दोनों वह पहुचे तो पापा ने कहा "देखो तुम लोग सक्सेना अंकल को जानते ही हो. वो कल रात को अपनी कार से गोंडा जा रहा है तो मैं सोच रहा था की हम दोनों भी उसी के साथ तुम्हारे मामा के यहाँ चले जाए पर तुम्हारी मम्मी कह रही थी की तुम दोनों अकेले रक्षाबंधन नहीं कर पायोगे तो हम दोनों कल पूजा के बाद जब तुम मनीष को राखी बांध दो फिर चलें."
मैं कुछ कहता उससे पहले ही दीदी बोली "नहीं पापा आप आराम से जाइये. मैं सब कर लूंगी. हर साल तो देखती हूँ की मम्मी क्या क्या करती है."
अगले दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ क्योंकि पापा मम्मी ने छुट्टी ली हुई थी. दोनों लोग पैकिंग वगेरह करने में लगे थे तो मैं भी ऐसे ही घूमने नीलम आंटी की तरफ निकल गया. आज नीलम आंटी घर पर नहीं थी. सिर्फ चारू थी. मैंने चारू का अच्छे से चाछुचोदन किया और दो घंटे बाद घर लौटा.
मम्मी अभी भी हमें अकेले छोड़ कर नहीं जाना चाहती थी. जब मैं घर पंहुचा तो देखा की मम्मी पापा से कह रही थी "देख लो. मेरा तो मन नहीं मान रहा. अब हम बस से जाते तो कल जाते और एक दिन बाद लौट आते और सक्सेना भाई साब के साथ आज जायेंगे और तीन दिन बाद लौटेंगे."
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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"अरे तो क्या हुआ. अब बच्चे बड़े हो गए हैं. और याद नहीं पिछले साल बस में कितनी दिक्कत हुई थी. एक काम करता हूँ. मैं पड़ोसियों को बोल देता हूँ की वो थोडा ध्यान रखेंगे. ठीक है" पापा ये बोल कर बाहर चले गए और मम्मी पैकिंग में लग गयी.
थोड़ी देर बाद पापा आये और बोले "अरे सुनती हो और भी अच्छा हो गया. उन्होंने कहा है की कल ये दोनों सुबह १० बजे उनके घर चले जाये और वही रक्षाबंधन भी कर ले और दोपहर का खाना भी खा लें. तो तुम दोनों कल सुबह तैयार हो कर उनके घर चले जाना." करीब एक घंटे बाद सक्सेना अंकल आ गए और मम्मी पापा हम दोनों को तमाम सारे इंस्ट्रक्शन देकर मामा के यहाँ चले गए.
उनके जाने के बाद मैंने सोचा की अब तीन दिन घर पर सिर्फ मैं और दीदी ही रहेंगे. उधर दीदी भी यही सोच रही होंगी की अब वो तीन दिन के लिए आजाद पंछी है. हम दोनों खाना खाकर टीवी देखने बैठ गए. करीब रात को ग्यारह बजे मैंने दीदी से कहा की मैं सोने जा रहा हूँ. मैं जैसे ही उठा मैंने देखा की मयंक छत से नीचे आ रहा था. मैंने पुछा "अरे इतनी रात में कैसे?"
"जब तुम्हारे पापा ने बोला की घर पर सिर्फ तुम दोनों हो तो मैंने सोचा आज मैं रात भर रश्मि के साथ रहूँगा. क्यों ठीक किया न" मयंक ने दीदी से पुछा.
"बहुत अच्छा किया." दीदी ने कहा और टीवी बंद करके मयंक को लेकर अपने कमरे में चली गयी. मैं अपने कमरे में जाकर लेट गया पर मुझे नींद नहीं आ रही थी. थोड़ी देर तो रश्मि दीदी की हँसने की आवाजे आती रही फिर दीदी की सिस्कारिया शुरू हो गयी जो रुक रुक के 2 घंटे तक चली. करीब ३ घंटे बाद मयंक दीदी के कमरे से निकला और ऊपर चला गया. मैं थोड़ी देर बाद उठा और दीदी के रूम में गया. दीदी पूरी नंगी होकर बेसुध सो रही थी. इतने लोगो से चुदवा कर दीदी का बदन और क़यामत हो गया था. मैंने बड़ी देर तक हसरत से दीदी के नंगे बदन को देखता रहा फिर अपने कमरे में आकर सो गया.
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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अगले दिन मुझे दीदी ने उठाया और कहा "जल्दी से तैयार हो जा. आंटी का फोन आया था. बुलाया है."
मैं उठा तो देखा दीदी पहले से ही नहा कर तैयार है. मैं भी फटाफट तैयार हुआ और हम पड़ोसियों के यहाँ पहुच गये. अंकल अपनी बहन के पास गाँव चले गए थे तो आंटी ने पूजा की. फिर रुची ने मयंक को और दीदी ने मुझे राखी बांधी. अचानक आंटी रुची से बोली अरे तुम मनीष को भी तो राखी बांधो और रश्मि तुम भी मयंक को राखी बांधो. रुची ने तो फ़ौरन मुझे राखी बाँध दी पर दीदी ने टालने के लिए कहा की उन्होंने मेरे लिए सिर्फ एक ही राखी खरीदी थी पर आंटी ने अपने पास से एक राखी दीदी को दे दी. अब दीदी के पास कोई चारा नहीं रहा तो उन्हे मन मार के मयंक को राखी बांधनी पड़ी. उसके बाद रुची रश्मि को लेकर अपने रूम में चली गयी और मैं और मयंक बाहर ओम के पास आ गए.
ओम ने हमे आगे का प्लान बताया. वो बोला "सुनो मयंक, तुम थोड़ी देर में कुछ बहाना बना के फार्म हाउस निकल जाना और मनीष तुम अपने घर चले जाना. रुची रश्मि को साथ लेकर शॉपिंग के लिए निकलेगी और मैं उन दोनों को गाडी से लेकर निकला जाऊँगा. और मनीष तुम शाम को लाला के साथ पहुच जाना करीब 4-5 बजे तक. लाला फार्म हाउस का रास्ता जानता है."
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