इधर तान्या पूरी कोशिश के साथ रणवीर और सोनिया की असलियत जान-ने की कोशिश कर रही थी. उन इमेजस से उसने पूरी जान लगा दी उनके बारे में इंटरनेट से जानकारी निकालने में लेकिन उसको नाकामी ही हाथ लगी. जब वो हार मान-ने ही वाली थी तो उसकी नज़र एक वेबसाइट पर पड़ी जहाँ रणवीर का नाम था. उसने वेबसाइट खोली तो देखा किसी कान्फरेन्स के बारे में लिखा है जो रणवीर ने अटेंड करी थी. उस कान्फरेन्स के बारे में विस्तार से पढ़ने के बाद उससे पता चला कि यह साइंटिस्ट्स की कान्फरेन्स थी. मतलब रणवीर एक साइंटिस्ट था. उसने अटेंडीस की लिस्ट देखी तो रणवीर के नाम के आगे उसकी कंपनी का नाम भी लिखा था. उसने उस कंपनी के बारे में सर्च करना शुरू करा. उसकी वेबसाइट पर जाने के बाद उसको पता चला कि रणवीर और सोनिया वहाँ पे सीनियर साइंटिस्ट्स हैं. वो कंपनी नासा की हेल्प कर रही थी यूनिवर्स की मिस्टरीस सुलझाने में. थोड़ा और रिसर्च करने पर उसे एक वेबसाइट मिली जहाँ "सोर्सस" से मिली खबर के अनुसार यह लिखा था कि उस कंपनी ने कोई ब्रेकत्रू हासिल करी है कुछ बाहरी दुनिया के सिग्नल्स टॅप करने में. ऐसी कॉन्स्पिरेसी थियरीस तान्या ने बहुत पढ़ी थी और उसको पता था कि यह कभी सच नहीं होती. बस कोई पागल आदमी जो अपने कंप्यूटर के आगे बैठ के बोर हो गया होता है, वो ऐसी कोई थियरी निकाल देता है थोड़ा नाम कमाने के लिए. इसलिए उसने इस रिपोर्ट पर ज़्यादा ध्यान नही दिया. तभी उस की नज़र पड़ी उस रिपोर्ट की डेट पर. डेट आज से 20 साल पहले की. यानी उस समय के आस पास की जब तान्या का जानम हुआ था... वो सोचने लग गयी कि क्या यह एक कोयिन्सिडेन्स है या इस रिपोर्ट में सच में कोई सच्चाई छुपी है. रणवीर और सोनिया ने उनको बताया क्यूँ नही कि वो साइंटिस्ट्स हैं? उसने प्लेन क्रॅश में हुए विक्टिम्स की लिस्ट देखी और पाया कि इन चारों के नाम पॅसेंजर लिस्ट में नही है और क्लियर्ली लिखा था कि सारे पॅसेंजर्स मर गये हैं... जैसे जैसे उसे एक्सट्रा इन्फर्मेशन मिल रही थी, यह मिस्टरी और गहरी होती जा रहही थी. उसका सर दुखने लगा और उसने कंप्यूटर बंद कर दिया. तभी उसका फोन बजा.
"हेलो"
"तान्या.. मैं दिया बोल रही हूँ.. कहाँ हो..."
"मैं.. मैं अपने रिलेटिव के घर पे हूँ..."
"अर्रे कॉलेज नहीं आई.. क्या हुआ??"
"कुछ नहीं.. बस थोड़ा सा पेट में दर्द था... बताओ कैसे फोन किया.."
"कॉलेज में पापा से मुलाक़ात हुई थी... उन्होने तुमसे, रोहित और बिट्टू से मिलने की इच्छा जताई है और फ्राइडे को डिन्नर पे इन्वाइट किया है... तुम्हें आना है..."
"देखती हूँ यार.. तबीयत ठीक हो गयी तो ज़रूर आउन्गी" तान्या ने बात को टालते हुए कहा
"कुछ नही सुन-ना मुझे.. तुम्हें आना ही पड़ेगा.. बस.." कह कर दिया ने फोन काट दिया. तान्या फिर से सीधा अपने कंप्यूटर के पास गयी और कॉलेज रेकॉर्ड्स में से दिया की इन्फर्मेशन फाइल निकाली और उसके पापा की डीटेल्स पढ़ी.. उससे पता चला कि वो भी एक साइंटिस्ट हैं..."ह्म्म... मुझे लगता है यहीं से कुछ इन्फर्मेशन मिलेगी इस मिस्टरी की" तान्या ने सोचा और फ्राइडे की रात का प्रोग्राम पक्का कर लिया
"अर्रे यहाँ तो कोई नहीं है" जब अंदर से आवाज़ आई तो बिट्टू भी अंदर की ओर हुआ. सच मैं वहाँ कोई नहीं था. "कहाँ है वो दूसरा लड़का" पोलीस वाले ने बिट्टू से पूछा. अब बिट्टू को तो खुद ही नही पता था. अभी तो वो उसे यहीं छोड़ के गया था.
"सर यहीं होगा.. जाएगा कहाँ... अर्रे मेरा मूह क्या ताक रहे हो, बिस्तर के नीचे तो देखो" तभी टाय्लेट में से किसी के ज़ोर ज़ोर से उल्टी करने की आवाज़ आई. "अर्रे अंदर है... रोहित दरवाज़ा खोल.. ठीक है तू" बिट्टू ने दरवाज़े पे दस्तक देते हुए बोला.
"हां ठीक हूँ. रात की उतार रहा हूँ उल्टी करके... साले इतनी क्यूँ पिला देता है..."
"हां हां आराम से कर उल्टी... बाहर कुछ लोग आए हैं मिलने. ठीक हो जाए तो आ के मिल लेना"
"यार थोड़ा पेट खराब है... हल्का हो कर आता हूँ" रोहित ने अंदर से बोला
"एक तो आप लोग इस छोटे से कमरे में भीड़ मत बढ़ाओ... एक को रुकने दो.. बाकी सब बाहर खड़े रहो.. मैं तो समझता हूँ कि रुकने की ज़रूरत किसी को भी नही है.. आवाज़ सुन ली है, अब चलते बनो" पलट कर बिट्टू ने बोला.
"नही ऐसा नही हो सकता. चेक तो करना ही पड़ेगा. मैं अंदर रुकता हूँ. बाकी सब लोग बाहर जा रहे हैं.. वैसे तुम इतनी टेन्षन में क्यूँ हो ..."
"मुझे किस चीज़ की टॅन्षन होने लगी अब... मेरी बला से.. यहाँ रूको, सब चेक करो.. कहो तो रोहित को बोल दूं कि फ्लश ना करे, रंग भी चेक कर लेना अंदर जा के" खीजते हुए बिट्टू ने कहा और अपने बिस्तर पर लेट गया. पास पड़ी कुर्सी पे पोलीस वाला बैठ गया और इंतेज़ार करने लगा.
"कमरा बहुत गंदा रखते हो तुम..." वो बिट्टू से बोला
"तो तुम्हें यहाँ आ कर रहना है क्या .. या तुम्हें सॉफ करना है.. यार क्यूँ दिमाग़ की दही करते हो.. बस चुप चाप बैठे रहो और मेरे दिमाग़ को भी शांति दो" बिट्टू ने अपनी आँखें बंद कर ली. सुबह से टेन्षन में इधर उधर भागते हुए वो भी थक गया था. "अबे रोहित किला फ़तेह कर रहा है क्या अंदर.. एक बार रोक के बाहर आ जा... तेरा थोबड़ा देखने के लिए बैठे हैं इनस्पेक्टर साहब. पसंद आया तो लड़की का रिश्ता करवाएँगे अपनी"
तभी दरवाज़ा खुला और रोहित टाय्लेट से बाहर आ गया...शर्ट उसने पहनी नही हुई थी और उसके शरीर पे कोई भी घाव नही दिख रहा था. "हां जी. बोलो.. क्या काम है.." उसने इनस्पेक्टर की तरफ देखते हुए कहा
"मुझे बस चेक करना था कि आप सही सलामत हैं कि नहीं"
"चेक कर लिया ना.. अब निकलो... खाने के लिए बैठे हो क्या यहाँ अभी.." बिट्टू फिर बीच में कूदा
"तुम्हें क्या तकलीफ़ हो रही है?? यह मेरी ड्यूटी है और मुझे करनी है.. मुझे भी तुम्हें देख कर कोई ज़्यादा खुशी नही हो रही ना ही कोई इंटेरेस्ट है तुम में कि यहाँ बैठा हूँ. कंप्लेन हुई है तुम्हारे खिलाफ, तो मामले की तह तक पहुँचना मेरा फ़र्ज़ है" पोलीस वाला गुस्से में बिट्टू को बोला
"हां तो देख लिया ना, पहुँच गये मामले की तह तक.. अब क्या यहाँ बॉम्ब बनाने का समान ढूँढ रहे हो?? टेररिस्ट लगता हूँ मैं तुम्हें... यह रेशियल डिस्क्रिमिनेशन है...'
"जस्ट शट अप. सर आप ठीक हैं बिल्कुल? कोई परेशानी?"
"बिल्कुल ठीक हूँ, कोई परेशानी नही है.. बस कल रात थोड़ी ज़्यादा पी ली थी.. नतिंग एल्स."
"वो टॅक्सी वाला कह रहा था कि आपके कंधे से खून बह रहा था.."
"हां तो वो भगवान है क्या.. खून बह रहा था तो अभी कहाँ गया ?? साले पता नही सुबह सुबह क्या चढ़ा लेते हैं, फिर हम जैसी इनोसेंट सवारियों को परेशान करते हैं... अगर यह इंडिया होता ना, कभी फोन ना घुमाता कोई टॅक्सी वाला पोलीस को.. उसको पता होता कि इन्फर्मेशन ग़लत निकल गयी तो उसकी खैर नही हैं... मैं तो यह सारे हालत आपकी ही ग़लती मानता हूँ" बिट्टू ने फिर से बीच में टाँग अड़ाई.
पोलीस वाले ने बस उसको घूरा और रूम से बाहर निकल गया. रोहित ने जा कर दरवाज़ा बंद किया. दरवाज़ा बंद होते ही बिट्टू कूद के पलंग से उठा. "क्या हुआ रोहित.. कैसा लग रहा है... घाव तो एकदम गायब हो गया यार"
"हां.. देखा मैने... लेकिन उल्टियाँ हो रही थी.. थोड़ा खून भी निकला था उनमें.. लेकिन चलो अब सब सही है"
"यार हुआ क्या था कल रात को...."
"पता नहीं यार.. कुछ याद नहीं है..."
"तान्या को तेरी पवर का तो पता नही चला ना यार..."
"मुझे लगता तो नहीं... मैं तो चल ही रहा था जहाँ तक मुझे याद है"
"फिर तो बहुत अच्छी बात है.. वैसे अब सब सही लग रहा है..."
"हां सही तो लग रहा है..."
"मेरे खून का कमाल है... अब तू सीना तान के कह सकता है कि तेरी रगों में मेरा खून दौड़ रहा है..."
"अबे चुप कर कमिने.. मैं अपने रूम जा रहा हूँ.. तान्या का नंबर है तेरे पास?"
"हां है... टेन्षन मत ले.. उसको फोन करके बोल दूँगा मैं कि तुम ठीक हो"
"नहीं मैं खुद करूँगा.. तू नंबर दे...."
"हाँ हाँ क्यूँ नही... नियर डेत एक्सपीरियेन्स लिया है उसके साथ... पटा लो उसको.. नकचड़ी है लेकिन पीस तो सॉलिड है..."
"अबे बोल कम और नंबर दे..." और रोहित बिट्टू से नंबर ले कर अपने रूम में चला गया
"हेलो"
"हां.. क्या हाल चाल है... कैसी चल रही है क्लासस"
" पहली में से खुद बाहर आ गयी, और दूसरी में से प्रोफेसर ने निकाल दिया... सोच रही हूँ कि घर चली जाओं अब.. मन नही लग रहा आज.." दिया ने बोला
"हां मन लगेगा भी कैसे, मैं जो नहीं हूँ वहाँ."
"हां.. तुम तो मुझे बैठा के भाग निकले... कैसे आदमी हो तुम"
"नहीं यार थोड़ा ज़रूरी काम आ गया था. तुम बोलो तो अभी आ जाता हूँ.. साथ चलते हैं कहीं मूवी शूवीए के लिए"
"नहीं रहने दो.. " दिया ने बोला.. मन तो उसका बहुत था बिट्टू के साथ टाइम बिताने का लेकिन वो चाहती थी कि बिट्टू और कोशिश करे उसके लिए... अगर बिट्टू एक बार और पूछता तो शायद मान भी जाती... लेकिन बिट्टू ने पूछा नहीं
"जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.. कल मिलते हैं फिर"
परदेसी complete
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Re: परदेसी
bahut hi achhi kahani hai mitr
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Re: परदेसी
धन्यवाद बंधुSmoothdad wrote:bahut hi achhi kahani hai mitr
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Re: परदेसी
"अर्रे एक बात बताना तो भूल ही गयी.. पापा ने डिन्नर पे इन्वाइट किया है फ्राइडे को"
"अर्रे यार.. मैने अंकल को पहले ही कहा था कि शादी की बात सिर्फ़ पेरेंट्स से ही करें... चलो फोन पे बात कर लेंगे.. अपना फोन में पूरा टॉक टाइम रखना... इज़्ड कॉल्स महनगी होती हैं"
"ऐसी कोई बात नहीं हैं... उन्होने तान्या और रोहित को भी बुलाया है..."
"रोहित तो मेरे साथ ही था सुबह से.. उसको तो कोई फोन नही आया.. कहीं तुम मुझे अकेले में बुला कर मेरी इज़्ज़त पे हाथ डालना तो नहीं चाहती दिया"
"इन युवर ड्रीम्स बिट्टू..."
"वाह.. क्या ड्रीम्स होंगी वो भी... मैं, तुम और हमारा अपना खेत"
"शट अप... कल मिलते हैं.. मुझे रोहित को भी फोन करके बोलना है"
"ओके देन" खेकर बिट्टू ने फोन रख दिया.
"हेलो"
"इस दट तान्या"
"यस"
"तान्या रोहित बोल रहा हूँ"
"ओह्ह हाई रोहित. तुम्हार तबीयत कैसी है? हाथ कैसा है तुम्हारा?"
"अब मैं ठीक हूँ. मुझे तुमसे मिलना है तान्या"
"क्यूँ नही.. कभी भी बोलो मिल लेंगे.."
"अभी.. अभी आ रहा हूँ मैं वहाँ.. अपना अड्रेस दो"
"अभी ?? हां लिख लो अड्रेस... और हां .. उड़ के मत आना... "हँसते हुए तान्या ने अपना अड्रेस लिखवा दिया
"मैं 30 मिनट में आता हूँ तान्या" कह कर रोहित ने फोन रख दिया. वो अपने बाथरूम में जा कर अच्छी तरह से नहाया. उसे अभी भी कमज़ोरी लग रही थी. उसको खून की उल्टी एक बार और हुई और उसे थोड़ा अच्छा लगने लगा. शायद उसकी बॉडी बिट्टू का खून रिजेक्ट कर रही थी. पर अब उसको डर नही था क्यूंकी अब उसके घाव भर चुके थे. नहा धो के वो तय्यार हुआ और टॅक्सी ले कर तान्या के बताए पते पर चला गया.
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उधर तान्या के मन में एक प्लान बन रहा था. देर सवेर किसी तरह से रोहित को पता चल ही जाएगा कि उसके पास भी पवर्स हैं.. खास कर के अगर उसको कल की डेत्स के बारे में पता चलेगा तो क्यूंकी एक भी बंदा गोली लगने से नही मरा था. उसको लगा कि क्यूँ ना वो खुद ही रोहित को अपनी सच्चाई बता दे. शायद बिट्टू ने उसको कुछ बताया हुआ था जिसके कारण वो अधमरी हालत में भी बिट्टू को याद कर रहा था. लेकिन उसपर अपनी पवर्स ज़ाहिर करने से पहले तान्या को उसको अपने वश में करना होगा. रोहित को अपने प्यार के जाल में इस कदर फसाना होगा के वो चाहकर भी कभी उससे अलग ना हो पाए. वो सोचने लगी कि अगर वो और रोहित मिल जायें तो क्या क्या नही कर सकते. वो रोहित के साथ मिल के कोई बड़ा हाथ मारेगी और फिर उसको छोड़ कर, सारी उम्र आराम से बिताएगी. अगर छोड़ ना भी पाई तो भी रोहित के साथ उम्र बिताने में भी उससे कोई प्राब्लम नही थी. रोहित एक हॅंडसम और इंटेलिजेंट आदमी था और उसने प्रूव कर दिया था कि वो डरपोक भी नही है. धीरे धीरे वो अपने मन में रोहित को फसाने का प्लान सोचने लगी.
उसकी सोच तब टूटी जब दरवाज़े की घंटी बजी. घंटी सुनते ही वो रोहित को रिसीव करने के लिए जल्दी से दरवाज़े की तरफ भागी और देखा कि सच मुच वो ही आया है. दरवाज़ा खोल के वो उससे लिपट गयी
"ओह्ह रोहित तुम्हें पता है कि मुझे तुम्हारी कितनी चिंता हो रही थी.. कैसे हो तुम.. फोन पे तुम थोड़े वीक लग रहे थे"
"हां थोड़ी वीकनेस है. पर ठीक हूँ मैं" रोहित ने सूप्राइज़्ड होकर बोला. उसने तान्या से ऐसे वेलकम की उम्मीद नही करी थी
"चलो अंदर आ जाओ" उसका हाथ पकड़ कर तान्या उसे अंदर ले आई. रह रह कर रोहित की नज़र तान्या के बदन पर जाती. उसने एक डेनिम की शॉर्ट्स और स्पोर्ट्स ब्रा पहने हुए थे. संगमरमर की तरह का उसका बदन नुमाइश पे लगा हुआ था और उसको देख के रोहित का ईमान डोल रहा था. उसकी महकी खुश्बू रोहित को और दीवाना बना रही थी और उसके हिलते होठों को देखकर रोहित किसी और ही दुनिया में खोता जा रहा था.. "तुम कुछ सुन भी रहे हो कि नही" जब तान्या ने बोला तो रोहित का ध्यान टूटा
"नही.. मतलब हां.. मतलब मेरा सर बहुत दुख रहा है.. मुझे अभी कुछ नही सुन-ना"
"तो फिर तुम यहाँ आए क्यूँ हो" तान्या को पता चल चुका था कि उसका जादू कुछ कुछ असर करने लग गया है रोहित पे
"तान्या मैं कल के बारे में बात करना चाहता था"
"हां. वो बात तो मुझे भी सुन-नी थी. कल मैने देखा था. तुम सच मुच उड़ रहे थे" तान्या ने हैरत में अपनी आखें बड़ी बड़ी करते हुए बोला.
"हां टान्या. मुझे पता नही यह कैसा होता है और मेरे साथ क्यूँ होता है, पर मैं सच मुच उड़ सकता हूँ" उसकी आँखों में खोते हुए रोहित ने बोला
"मतलब तुम आज के ज़माने के सूपरमन हो ना" अपनी पलकें झपकाती हुई तान्या बोली
"मुझे कुछ पता नही है तान्या. कुछ समझ नही आता. बस एक दरख़्वास्त है कि हम दोनो के अलावा तुम किसी और को यह बात मत बताना. मैं नही जान-ता कि लोगों का क्या रिक्षन रहेगा इस बात पे. जब मेरे लिए ही यकीन करना इतना मुश्किल है तो औरों के लिए तो और भी मुश्किल होगा"
"तुम मेरा विश्वास करो रोहित. मैं यह बात किसी को नही बताउन्गी. यह राज़ मेरे अंदर ही दबा रहेगा." तान्या ने उस का हाथ अपने हाथ से सहलाते करते हुए कहा.
इतनी सुंदर लड़की झूठ नही बोल सकती. ऐसा सोच कर रोहित का मन उसपर विश्वास करने को हो गया. पता नही क्यूँ आज उसकी नज़रें तान्या से हट ही नही रही थी. यह तान्या की ड्रेस के कारण था या किसी और कारण से, उसे पता नही.. पर आज तान्या उसको बहुत सेक्सी लग रही थी. वो सोचने लगा कि पहले उसने क्यूँ नही तान्या को इन नज़रों से देखा, अगर देख लिया होता तो शायद प्लेन से ही ट्राइ कर रहा होता उसके लिए. उसका मन कर रहा था कि बस यूँ ही तान्या को देखता रहे और वक़्त कभी ना थमे. उसके ऐसे घूर्ने से तान्या भी थोड़ा अनकंफर्टबल महसूस कर रही थी. हालाँकि उसने पूरा प्लान सोच समझ कर ही यह चाल चली थी, पर फिर भी जिस तरह से रोहित उसको घूर रहा था, उसको थोड़ा अजीब सा लग रहा था. "रोहित तुम कुछ खाओगे" कहते हुए वो उठी.
"हां. कुछ भी बना दो. बहुत भूख लग रही है"
"तुम लेट जाओ. मैं कुछ बना के लाती हूँ"
"यार तुम तो मुझे पूरा पेशेंट की तरह ट्रीट कर रही हो. नही लेटना मुझे. मैं भी हेल्प कर देता हूँ थोड़ी" कह कर वो उठ गया. तान्या ने भी मना नही किया और दोनो इधर उधर की गप्पें मारते हुए किचन में पहुँच गये और खाना बनाने लगे.
"अर्रे यार.. मैने अंकल को पहले ही कहा था कि शादी की बात सिर्फ़ पेरेंट्स से ही करें... चलो फोन पे बात कर लेंगे.. अपना फोन में पूरा टॉक टाइम रखना... इज़्ड कॉल्स महनगी होती हैं"
"ऐसी कोई बात नहीं हैं... उन्होने तान्या और रोहित को भी बुलाया है..."
"रोहित तो मेरे साथ ही था सुबह से.. उसको तो कोई फोन नही आया.. कहीं तुम मुझे अकेले में बुला कर मेरी इज़्ज़त पे हाथ डालना तो नहीं चाहती दिया"
"इन युवर ड्रीम्स बिट्टू..."
"वाह.. क्या ड्रीम्स होंगी वो भी... मैं, तुम और हमारा अपना खेत"
"शट अप... कल मिलते हैं.. मुझे रोहित को भी फोन करके बोलना है"
"ओके देन" खेकर बिट्टू ने फोन रख दिया.
"हेलो"
"इस दट तान्या"
"यस"
"तान्या रोहित बोल रहा हूँ"
"ओह्ह हाई रोहित. तुम्हार तबीयत कैसी है? हाथ कैसा है तुम्हारा?"
"अब मैं ठीक हूँ. मुझे तुमसे मिलना है तान्या"
"क्यूँ नही.. कभी भी बोलो मिल लेंगे.."
"अभी.. अभी आ रहा हूँ मैं वहाँ.. अपना अड्रेस दो"
"अभी ?? हां लिख लो अड्रेस... और हां .. उड़ के मत आना... "हँसते हुए तान्या ने अपना अड्रेस लिखवा दिया
"मैं 30 मिनट में आता हूँ तान्या" कह कर रोहित ने फोन रख दिया. वो अपने बाथरूम में जा कर अच्छी तरह से नहाया. उसे अभी भी कमज़ोरी लग रही थी. उसको खून की उल्टी एक बार और हुई और उसे थोड़ा अच्छा लगने लगा. शायद उसकी बॉडी बिट्टू का खून रिजेक्ट कर रही थी. पर अब उसको डर नही था क्यूंकी अब उसके घाव भर चुके थे. नहा धो के वो तय्यार हुआ और टॅक्सी ले कर तान्या के बताए पते पर चला गया.
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उधर तान्या के मन में एक प्लान बन रहा था. देर सवेर किसी तरह से रोहित को पता चल ही जाएगा कि उसके पास भी पवर्स हैं.. खास कर के अगर उसको कल की डेत्स के बारे में पता चलेगा तो क्यूंकी एक भी बंदा गोली लगने से नही मरा था. उसको लगा कि क्यूँ ना वो खुद ही रोहित को अपनी सच्चाई बता दे. शायद बिट्टू ने उसको कुछ बताया हुआ था जिसके कारण वो अधमरी हालत में भी बिट्टू को याद कर रहा था. लेकिन उसपर अपनी पवर्स ज़ाहिर करने से पहले तान्या को उसको अपने वश में करना होगा. रोहित को अपने प्यार के जाल में इस कदर फसाना होगा के वो चाहकर भी कभी उससे अलग ना हो पाए. वो सोचने लगी कि अगर वो और रोहित मिल जायें तो क्या क्या नही कर सकते. वो रोहित के साथ मिल के कोई बड़ा हाथ मारेगी और फिर उसको छोड़ कर, सारी उम्र आराम से बिताएगी. अगर छोड़ ना भी पाई तो भी रोहित के साथ उम्र बिताने में भी उससे कोई प्राब्लम नही थी. रोहित एक हॅंडसम और इंटेलिजेंट आदमी था और उसने प्रूव कर दिया था कि वो डरपोक भी नही है. धीरे धीरे वो अपने मन में रोहित को फसाने का प्लान सोचने लगी.
उसकी सोच तब टूटी जब दरवाज़े की घंटी बजी. घंटी सुनते ही वो रोहित को रिसीव करने के लिए जल्दी से दरवाज़े की तरफ भागी और देखा कि सच मुच वो ही आया है. दरवाज़ा खोल के वो उससे लिपट गयी
"ओह्ह रोहित तुम्हें पता है कि मुझे तुम्हारी कितनी चिंता हो रही थी.. कैसे हो तुम.. फोन पे तुम थोड़े वीक लग रहे थे"
"हां थोड़ी वीकनेस है. पर ठीक हूँ मैं" रोहित ने सूप्राइज़्ड होकर बोला. उसने तान्या से ऐसे वेलकम की उम्मीद नही करी थी
"चलो अंदर आ जाओ" उसका हाथ पकड़ कर तान्या उसे अंदर ले आई. रह रह कर रोहित की नज़र तान्या के बदन पर जाती. उसने एक डेनिम की शॉर्ट्स और स्पोर्ट्स ब्रा पहने हुए थे. संगमरमर की तरह का उसका बदन नुमाइश पे लगा हुआ था और उसको देख के रोहित का ईमान डोल रहा था. उसकी महकी खुश्बू रोहित को और दीवाना बना रही थी और उसके हिलते होठों को देखकर रोहित किसी और ही दुनिया में खोता जा रहा था.. "तुम कुछ सुन भी रहे हो कि नही" जब तान्या ने बोला तो रोहित का ध्यान टूटा
"नही.. मतलब हां.. मतलब मेरा सर बहुत दुख रहा है.. मुझे अभी कुछ नही सुन-ना"
"तो फिर तुम यहाँ आए क्यूँ हो" तान्या को पता चल चुका था कि उसका जादू कुछ कुछ असर करने लग गया है रोहित पे
"तान्या मैं कल के बारे में बात करना चाहता था"
"हां. वो बात तो मुझे भी सुन-नी थी. कल मैने देखा था. तुम सच मुच उड़ रहे थे" तान्या ने हैरत में अपनी आखें बड़ी बड़ी करते हुए बोला.
"हां टान्या. मुझे पता नही यह कैसा होता है और मेरे साथ क्यूँ होता है, पर मैं सच मुच उड़ सकता हूँ" उसकी आँखों में खोते हुए रोहित ने बोला
"मतलब तुम आज के ज़माने के सूपरमन हो ना" अपनी पलकें झपकाती हुई तान्या बोली
"मुझे कुछ पता नही है तान्या. कुछ समझ नही आता. बस एक दरख़्वास्त है कि हम दोनो के अलावा तुम किसी और को यह बात मत बताना. मैं नही जान-ता कि लोगों का क्या रिक्षन रहेगा इस बात पे. जब मेरे लिए ही यकीन करना इतना मुश्किल है तो औरों के लिए तो और भी मुश्किल होगा"
"तुम मेरा विश्वास करो रोहित. मैं यह बात किसी को नही बताउन्गी. यह राज़ मेरे अंदर ही दबा रहेगा." तान्या ने उस का हाथ अपने हाथ से सहलाते करते हुए कहा.
इतनी सुंदर लड़की झूठ नही बोल सकती. ऐसा सोच कर रोहित का मन उसपर विश्वास करने को हो गया. पता नही क्यूँ आज उसकी नज़रें तान्या से हट ही नही रही थी. यह तान्या की ड्रेस के कारण था या किसी और कारण से, उसे पता नही.. पर आज तान्या उसको बहुत सेक्सी लग रही थी. वो सोचने लगा कि पहले उसने क्यूँ नही तान्या को इन नज़रों से देखा, अगर देख लिया होता तो शायद प्लेन से ही ट्राइ कर रहा होता उसके लिए. उसका मन कर रहा था कि बस यूँ ही तान्या को देखता रहे और वक़्त कभी ना थमे. उसके ऐसे घूर्ने से तान्या भी थोड़ा अनकंफर्टबल महसूस कर रही थी. हालाँकि उसने पूरा प्लान सोच समझ कर ही यह चाल चली थी, पर फिर भी जिस तरह से रोहित उसको घूर रहा था, उसको थोड़ा अजीब सा लग रहा था. "रोहित तुम कुछ खाओगे" कहते हुए वो उठी.
"हां. कुछ भी बना दो. बहुत भूख लग रही है"
"तुम लेट जाओ. मैं कुछ बना के लाती हूँ"
"यार तुम तो मुझे पूरा पेशेंट की तरह ट्रीट कर रही हो. नही लेटना मुझे. मैं भी हेल्प कर देता हूँ थोड़ी" कह कर वो उठ गया. तान्या ने भी मना नही किया और दोनो इधर उधर की गप्पें मारते हुए किचन में पहुँच गये और खाना बनाने लगे.
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Re: परदेसी
पूरी कॉन्वर्सेशन के दौरान रोहित को ऐसा लगता रहा जैसे तान्या उस से फ्लर्ट करने की कोशिश कर रही है. कोशिश क्या, फुलटू फ्लर्ट कर रही है. हो सकता है यह उसके मन का वेहम हो और उसे वही लग रहा हो जो वो करना चाहता है इसलिए उसने इस बात का ज़िक्र ना करने की ही सोची. तान्या ने खाना बना लिया और दोनो ने अपनी प्लेट में डाल के खाना शुरू कर दिया. खाते वक़्त भी वो इधर उधर की बातें करने लगे. खाना ख़तम करने के बाद, उन्होने प्लेट्स वापस रखी तो तान्या रोहित की आँखों में झाँकति हुई बोली, "रोहित एक बात कहूँ बुरा तो नही मानोगे"
"नहीं मानूँगा. बोलो.." शायद वो बोलने वाली थी जो सुनने को रोहित के कान तरस रहे थे
"अपनी शर्ट उतारोगे एक मिनट"
"व्हाट !! क्यूँ??"
"मुझे देखना है कि तुम्हारा घाव कैसा है"
"नहीं है कोई घाव वहाँ पे"
"प्लीज़. एक बार .. मेरे लिए" फिर अपनी पलकें झपकते हुए उसने कहा
"ठीक है. पर मेरी बॉडी देखकर हसना मत" कहते हुए रोहित ने अपनी शर्ट उतार दी और उसके सामने खड़ा हो गया.
तान्या ने हैरानी से उसके कंधे के वहाँ देखा और वहाँ सच मुच कोई घाव नही था. वो उठ कर उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ फेरने लग गयी. हाथ फेरते हुए वो धीरे धीरे अपना मूह उसके पास लेकर आई और पहले उसका कंधा और फिर उसकी गर्दन चूमने लगी. रोहित ने अपना दूसरा हाथ उसके कंधे पर रखा और थोड़ा नीचे मूह कर के अपने होठ उसके नाज़ुक से फूल जैसे होठों पर रख के दबा दिए
तान्या के नरम मुलायम होठ उसको ऐसी फीलिंग दे रहे थे मानो वो किसी गुलाब की पंखड़ी को छू रहा हो. धीरे धीरे वो अपना हाथ तान्या की पीठ पर फेरने लगा और अपने होठ उसके होठों से हटा कर उसकी गर्दन को धीरे धीरे चूमने लगा. यह सिलसिला थोड़ी देर तक जारी रहा और उसके बाद दोनो ने साँस ली.
"यह क्या कर रही हो तान्या"
"मैं क्या कर रही हूँ तुम्हें नही मालूम? तुम भी तो लगे हुए हो" थोड़ा सा मुस्कुरा कर तान्या ने बोला
"मतलब हम ऐसा क्यूँ कर रहे हैं"
"तुम्हें नही पता ? तुम्हारी तबीयत ठीक है?"
"मतलब तान्या कि अचानक से यह सब..."
"आइ लाइक यू रोहित. आइ लाइक यू आ लॉट. पहले दिन से ही. और जब कल तुमने मेरे लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी तो मुझे तुम और अच्छे लगने लगे"
"तान्या मैने तुम्हारे बारे में कभी वैसे सोचा नही.. तुम बहुत सुंदर हो, आइ वुड लव टू गो आउट वित यू. पर हम शायद जल्दी कर रहे हैं"
तान्या फिर झुकी और उसको चूमने लग गयी जिंदगी में किसी भी चीज़ में हारना उसे कतयि पसंद नही था. धीरे धीरे रोहित ने भी हार मान ली और अपने आप को पूरी तरह से तान्या को समर्पित कर दिया. उसको पता था कि इस क्रिया का अंत जो भी हो, जीत तो उसे महसूस होगी ही. तान्या की लगाई हवस की आग में वो ऐसा उलझा कि उसको 30 मिनट बाद ही होश आया जब वो दोनो बिस्तर पर बदहवास पड़े थे. रोहित मुस्कुरा रहा था क्यूंकी इतना मस्त सेक्स उसने आज तक महसूस नही किया था. तान्या इसलिए मुस्कुरा रही थी क्यूंकी उसको पता था कि उसके बिछाए जाल में रोहित कदम रख चुका है और जल्द ही वो समय आएगा जब रोहित ना चाहते हुए भी इस जाल में उलझ चुका होगा. तभी रोहित के फोन की घंटी बजी
"हेलो"
"हाई रोहित.. दिस ईज़ दिया"
"हां दिया"
"फ्राइडे को क्या कर रहे हो..."
"पता नही.. कुछ प्लान है क्या..." आज तो लगता है किस्मत उसपे मेहेरबन थी... फ्राइडे को थ्रीसम के चान्सस लग रहे थे
"हां. मेरे पापा ने इन्वाइट किया है डिन्नर के लिए तुम्हें, बिट्टू और तान्या को.. वो दोनो तो आ रहे हैं. तुम्हें भी आना है"
"अच्छा.. कोशिश करूँगा. अभी के लिए हां समझो" रोहित के सपनों का महल टूट गया. पर सेक्स ना सही, घर का बना खाना तो मिलेगा, यह सोचकर ही वो खुश था
"किसका फोन था" तान्या ने रोहित के फोन रखने पर पूछा
"दिया का था.."
"ओह्ह वो फ्राइडे नाइट की पार्टी. अचानक से ही पता नही उसके बाप को क्या सूझी जो हमे इन्वाइट कर लिया..."
"हां.. पर जाता क्या है... अच्छा खाना मिलेगा. शायद दारू भी हो.. मज़े करेंगे.."
"मज़े तो अभी भी कर रहे हैं" तान्या ने कहा और फिर रोहित को चूम लिया. रोहित फिर से गरम हो गया और एक बार वापिस सेक्स किया. इस बार उसने ध्यान रखा कि तान्या की नीड्स का भी ख़याल रखे. फिर वो दोनो निढाल हो गये और इस बार सो गये.
जब रात में खाने की मेज़ पर बिट्टू ने रोहित को नही देखा तो उसका माथा ठनका कि रोहित ठीक भी है या नहीं. वो उसके रूम में गया पर वहाँ तो ताला लगा हुआ था. उसने रोहित को फोन घुमाया तो पता चला कि वो बाहर है और थोड़ी देर में वापस आएगा. अब बिट्टू ने भी टाइम पास के लिए दिया को फोन लगा दिया और दोनो इधर उधर की बातें करने लगे. दिया बहुत एग्ज़ाइटेड थी कि फ्राइडे को वो चारों उसके घर पे मिलेंगे. वो अपनी माँ के खाने की तारीफ करते नही थक रही थी. सुन सुन के बिट्टू के भी मूह में पानी आ रहा था और उसको फिर से भूख लग गयी. उसने दिया से विदा ली और वापिस कॅंटीन पहुँच कर खाना खाने लग गया. थोड़ी ही देर में देखा कि रोहित भी वहाँ आ गया है. तब तक बिट्टू का खाना ख़तम हो गया था. उसने अपनी प्लेट डिशवाशर में डाली और लपक के रोहित के पास हो गया
"कहाँ था रे..."
"क्यूँ क्या हुआ.."
"हुआ तो कुछ नहीं, बस बदनामी हो गयी हॉस्टिल में के दोनो लौन्डे साथ सोते हैं"
"अबे छोड़ ना.. और बता क्या किया दिन भर.."
"अर्रे मेरी छोड़ और अपनी बता.. कहाँ था दिन भर..."
"कुछ नहीं यार. बस ऐसे ही.. इधर उधर..."
"ओ माइ गॉड.."
"क्या हुआ..."
"तू तान्या के साथ था ना..."
"यह तू कहाँ से पता कर के बोला?"
"अर्रे चोट ना लगना मेरी पॉवर है पर यह मेरा टॅलेंट है.. तो बता.. कुछ हुआ क्या"
"यार मैं सिर्फ़ यह एन्षूर करने गया था कि उसके उपर मेरी पॉवर तो ज़ाहिर नही हुई ना.."
"अर्रे वो छोड़ और बता कुछ हुआ क्या"
"भगवान का शुकर है के उसको कुछ नही पता"
"ओ माइ गोद..."
"क्या हुआ"
"तुमने सेक्स किया आज..."
"अबे चुप कर.. कुछ भी बोल रहा है"
"अपनी माँ की कसम खा के नहीं किया..."
"मैं ऐसी बातों में कसमें नही खाता"
"देखा.. मुझे पता था... कैसी है वो... वैसे तो बड़ी बॉम्ब लगती है.. बिस्तर में भी क्या.."
"शट अप यार बिट्टू.. तुझे और कुछ नहीं है क्या बोलने को" रोहित ने बोला और दोनो कुछ पल तक बिल्कुल शांत हो गये.
बिट्टू रोहित को घूरता रहा और रोहित खाना खाता रहा... "हां. बिस्तर में भी वो एक फुलझड़ी है.. बस खुश?"
"मुझे पता था. ऐसी लड़कियाँ होती ही ऐसी हैं.. हमेशा खुद को उपर रखती है... मज़ा आया ?"
"बहुत... ज़िंदगी का सबसे बेस्ट सेक्स था"
"साला एक मेरी ज़िंदगी है... गर्ल फ्रेंड ने कभी दी नहीं, जिस-से ली, उसको पैसे देने पड़े... वैसे फरक होता है क्या प्रॉस्टिट्यूट के साथ सेक्स करने में और किसी को जानते हो उसके साथ सेक्स करने में?"
"पता नहीं, मैने कभी प्रॉस्टिट्यूट के साथ सेक्स नही करा"
"लकी है तू तो... मैने तो उन्ही के साथ किया है.. एक बार पैसे कम थे तो मुझे हॅपी के साथ मिल कर एक बंदी को चोदना पड़ा. ऑफर था. 2 बंदे एक सिट्टिंग में लेती थी तो 2 गुना की बजाए 1.5 गुना ही चार्ज कर रही थी. वो ही मेरा बेस्ट रहा है"
"यार कैसा है तू... घिन नही आती?"
"आती तो है लेकिन चूत देख कर चली जाती है" कहता हुआ बिट्टू ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा और उसको हँसता देख रोहित को भी हँसी आ गयी. "दिया का फोन आया?"
"हां आया था."
"तो चल रहा है ना फ्राइडे को?"
"ओफ़फकौर्स"
"यार कुछ ले कर जाना चाहिए ना.. पहली बार उसके घरवालों से मिल रहे हैं"
"अबे तो रिश्ते की बात करने थोड़ा जा रहे हैं"
"तू नही जा रहा होगा, मैं तो जा रहा हूँ. सोच रहा हूँ सूट में जाऊं"
"अबे पागल हो गया है क्या..."
"यार एक मस्त इंप्रेशन बनाना है उसके पेरेंट्स पर. क्या पता कल को वो मेरे भी पेरेंट्स हो जायें"
"मस्त इंप्रेशन बनाना है तो मूह बंद रखियो. नही तो क्या सूट और क्या कच्छा, सब खुल जाएँगे तेरे मूह खोलते ही"
"ह्म्म.. सोचना पड़ेंगा. और बता... यार आइ रियली कॅंट बिलीव इट कि तान्या के साथ तेरा फिट हो गया... कहाँ वो और कहाँ तू"
"क्या मतलब तेरा"
"मतलब कहाँ वो एक हूर परी और कहाँ तू.. शकल से ऐसा लगता है जैसे कान से मैल निकालने का बिज़्नेस हो तेरा"
"शट अप..."
"चल छोड़ इन बातों को. मैं चला अपना नाइट डोज लेने. तुझे चाहिए हो तो आ जइयो.. नहीं तो कल कॉलेज में मुलाक़ात हो शायद" कहता हुआ बिट्टू उठा और अपने रूम में चला गया
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"नहीं मानूँगा. बोलो.." शायद वो बोलने वाली थी जो सुनने को रोहित के कान तरस रहे थे
"अपनी शर्ट उतारोगे एक मिनट"
"व्हाट !! क्यूँ??"
"मुझे देखना है कि तुम्हारा घाव कैसा है"
"नहीं है कोई घाव वहाँ पे"
"प्लीज़. एक बार .. मेरे लिए" फिर अपनी पलकें झपकते हुए उसने कहा
"ठीक है. पर मेरी बॉडी देखकर हसना मत" कहते हुए रोहित ने अपनी शर्ट उतार दी और उसके सामने खड़ा हो गया.
तान्या ने हैरानी से उसके कंधे के वहाँ देखा और वहाँ सच मुच कोई घाव नही था. वो उठ कर उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ फेरने लग गयी. हाथ फेरते हुए वो धीरे धीरे अपना मूह उसके पास लेकर आई और पहले उसका कंधा और फिर उसकी गर्दन चूमने लगी. रोहित ने अपना दूसरा हाथ उसके कंधे पर रखा और थोड़ा नीचे मूह कर के अपने होठ उसके नाज़ुक से फूल जैसे होठों पर रख के दबा दिए
तान्या के नरम मुलायम होठ उसको ऐसी फीलिंग दे रहे थे मानो वो किसी गुलाब की पंखड़ी को छू रहा हो. धीरे धीरे वो अपना हाथ तान्या की पीठ पर फेरने लगा और अपने होठ उसके होठों से हटा कर उसकी गर्दन को धीरे धीरे चूमने लगा. यह सिलसिला थोड़ी देर तक जारी रहा और उसके बाद दोनो ने साँस ली.
"यह क्या कर रही हो तान्या"
"मैं क्या कर रही हूँ तुम्हें नही मालूम? तुम भी तो लगे हुए हो" थोड़ा सा मुस्कुरा कर तान्या ने बोला
"मतलब हम ऐसा क्यूँ कर रहे हैं"
"तुम्हें नही पता ? तुम्हारी तबीयत ठीक है?"
"मतलब तान्या कि अचानक से यह सब..."
"आइ लाइक यू रोहित. आइ लाइक यू आ लॉट. पहले दिन से ही. और जब कल तुमने मेरे लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी तो मुझे तुम और अच्छे लगने लगे"
"तान्या मैने तुम्हारे बारे में कभी वैसे सोचा नही.. तुम बहुत सुंदर हो, आइ वुड लव टू गो आउट वित यू. पर हम शायद जल्दी कर रहे हैं"
तान्या फिर झुकी और उसको चूमने लग गयी जिंदगी में किसी भी चीज़ में हारना उसे कतयि पसंद नही था. धीरे धीरे रोहित ने भी हार मान ली और अपने आप को पूरी तरह से तान्या को समर्पित कर दिया. उसको पता था कि इस क्रिया का अंत जो भी हो, जीत तो उसे महसूस होगी ही. तान्या की लगाई हवस की आग में वो ऐसा उलझा कि उसको 30 मिनट बाद ही होश आया जब वो दोनो बिस्तर पर बदहवास पड़े थे. रोहित मुस्कुरा रहा था क्यूंकी इतना मस्त सेक्स उसने आज तक महसूस नही किया था. तान्या इसलिए मुस्कुरा रही थी क्यूंकी उसको पता था कि उसके बिछाए जाल में रोहित कदम रख चुका है और जल्द ही वो समय आएगा जब रोहित ना चाहते हुए भी इस जाल में उलझ चुका होगा. तभी रोहित के फोन की घंटी बजी
"हेलो"
"हाई रोहित.. दिस ईज़ दिया"
"हां दिया"
"फ्राइडे को क्या कर रहे हो..."
"पता नही.. कुछ प्लान है क्या..." आज तो लगता है किस्मत उसपे मेहेरबन थी... फ्राइडे को थ्रीसम के चान्सस लग रहे थे
"हां. मेरे पापा ने इन्वाइट किया है डिन्नर के लिए तुम्हें, बिट्टू और तान्या को.. वो दोनो तो आ रहे हैं. तुम्हें भी आना है"
"अच्छा.. कोशिश करूँगा. अभी के लिए हां समझो" रोहित के सपनों का महल टूट गया. पर सेक्स ना सही, घर का बना खाना तो मिलेगा, यह सोचकर ही वो खुश था
"किसका फोन था" तान्या ने रोहित के फोन रखने पर पूछा
"दिया का था.."
"ओह्ह वो फ्राइडे नाइट की पार्टी. अचानक से ही पता नही उसके बाप को क्या सूझी जो हमे इन्वाइट कर लिया..."
"हां.. पर जाता क्या है... अच्छा खाना मिलेगा. शायद दारू भी हो.. मज़े करेंगे.."
"मज़े तो अभी भी कर रहे हैं" तान्या ने कहा और फिर रोहित को चूम लिया. रोहित फिर से गरम हो गया और एक बार वापिस सेक्स किया. इस बार उसने ध्यान रखा कि तान्या की नीड्स का भी ख़याल रखे. फिर वो दोनो निढाल हो गये और इस बार सो गये.
जब रात में खाने की मेज़ पर बिट्टू ने रोहित को नही देखा तो उसका माथा ठनका कि रोहित ठीक भी है या नहीं. वो उसके रूम में गया पर वहाँ तो ताला लगा हुआ था. उसने रोहित को फोन घुमाया तो पता चला कि वो बाहर है और थोड़ी देर में वापस आएगा. अब बिट्टू ने भी टाइम पास के लिए दिया को फोन लगा दिया और दोनो इधर उधर की बातें करने लगे. दिया बहुत एग्ज़ाइटेड थी कि फ्राइडे को वो चारों उसके घर पे मिलेंगे. वो अपनी माँ के खाने की तारीफ करते नही थक रही थी. सुन सुन के बिट्टू के भी मूह में पानी आ रहा था और उसको फिर से भूख लग गयी. उसने दिया से विदा ली और वापिस कॅंटीन पहुँच कर खाना खाने लग गया. थोड़ी ही देर में देखा कि रोहित भी वहाँ आ गया है. तब तक बिट्टू का खाना ख़तम हो गया था. उसने अपनी प्लेट डिशवाशर में डाली और लपक के रोहित के पास हो गया
"कहाँ था रे..."
"क्यूँ क्या हुआ.."
"हुआ तो कुछ नहीं, बस बदनामी हो गयी हॉस्टिल में के दोनो लौन्डे साथ सोते हैं"
"अबे छोड़ ना.. और बता क्या किया दिन भर.."
"अर्रे मेरी छोड़ और अपनी बता.. कहाँ था दिन भर..."
"कुछ नहीं यार. बस ऐसे ही.. इधर उधर..."
"ओ माइ गॉड.."
"क्या हुआ..."
"तू तान्या के साथ था ना..."
"यह तू कहाँ से पता कर के बोला?"
"अर्रे चोट ना लगना मेरी पॉवर है पर यह मेरा टॅलेंट है.. तो बता.. कुछ हुआ क्या"
"यार मैं सिर्फ़ यह एन्षूर करने गया था कि उसके उपर मेरी पॉवर तो ज़ाहिर नही हुई ना.."
"अर्रे वो छोड़ और बता कुछ हुआ क्या"
"भगवान का शुकर है के उसको कुछ नही पता"
"ओ माइ गोद..."
"क्या हुआ"
"तुमने सेक्स किया आज..."
"अबे चुप कर.. कुछ भी बोल रहा है"
"अपनी माँ की कसम खा के नहीं किया..."
"मैं ऐसी बातों में कसमें नही खाता"
"देखा.. मुझे पता था... कैसी है वो... वैसे तो बड़ी बॉम्ब लगती है.. बिस्तर में भी क्या.."
"शट अप यार बिट्टू.. तुझे और कुछ नहीं है क्या बोलने को" रोहित ने बोला और दोनो कुछ पल तक बिल्कुल शांत हो गये.
बिट्टू रोहित को घूरता रहा और रोहित खाना खाता रहा... "हां. बिस्तर में भी वो एक फुलझड़ी है.. बस खुश?"
"मुझे पता था. ऐसी लड़कियाँ होती ही ऐसी हैं.. हमेशा खुद को उपर रखती है... मज़ा आया ?"
"बहुत... ज़िंदगी का सबसे बेस्ट सेक्स था"
"साला एक मेरी ज़िंदगी है... गर्ल फ्रेंड ने कभी दी नहीं, जिस-से ली, उसको पैसे देने पड़े... वैसे फरक होता है क्या प्रॉस्टिट्यूट के साथ सेक्स करने में और किसी को जानते हो उसके साथ सेक्स करने में?"
"पता नहीं, मैने कभी प्रॉस्टिट्यूट के साथ सेक्स नही करा"
"लकी है तू तो... मैने तो उन्ही के साथ किया है.. एक बार पैसे कम थे तो मुझे हॅपी के साथ मिल कर एक बंदी को चोदना पड़ा. ऑफर था. 2 बंदे एक सिट्टिंग में लेती थी तो 2 गुना की बजाए 1.5 गुना ही चार्ज कर रही थी. वो ही मेरा बेस्ट रहा है"
"यार कैसा है तू... घिन नही आती?"
"आती तो है लेकिन चूत देख कर चली जाती है" कहता हुआ बिट्टू ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा और उसको हँसता देख रोहित को भी हँसी आ गयी. "दिया का फोन आया?"
"हां आया था."
"तो चल रहा है ना फ्राइडे को?"
"ओफ़फकौर्स"
"यार कुछ ले कर जाना चाहिए ना.. पहली बार उसके घरवालों से मिल रहे हैं"
"अबे तो रिश्ते की बात करने थोड़ा जा रहे हैं"
"तू नही जा रहा होगा, मैं तो जा रहा हूँ. सोच रहा हूँ सूट में जाऊं"
"अबे पागल हो गया है क्या..."
"यार एक मस्त इंप्रेशन बनाना है उसके पेरेंट्स पर. क्या पता कल को वो मेरे भी पेरेंट्स हो जायें"
"मस्त इंप्रेशन बनाना है तो मूह बंद रखियो. नही तो क्या सूट और क्या कच्छा, सब खुल जाएँगे तेरे मूह खोलते ही"
"ह्म्म.. सोचना पड़ेंगा. और बता... यार आइ रियली कॅंट बिलीव इट कि तान्या के साथ तेरा फिट हो गया... कहाँ वो और कहाँ तू"
"क्या मतलब तेरा"
"मतलब कहाँ वो एक हूर परी और कहाँ तू.. शकल से ऐसा लगता है जैसे कान से मैल निकालने का बिज़्नेस हो तेरा"
"शट अप..."
"चल छोड़ इन बातों को. मैं चला अपना नाइट डोज लेने. तुझे चाहिए हो तो आ जइयो.. नहीं तो कल कॉलेज में मुलाक़ात हो शायद" कहता हुआ बिट्टू उठा और अपने रूम में चला गया
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