परदेसी complete

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Sexi Rebel
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Re: परदेसी

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रणवीर थोड़े दिन से लॅब से बाहर था. उसने और सोनिया ने कुछ दिन अपने लिए निकाल लिए थे. वो खुश था कि इन दिनों में कोई फोन वगेरह ना आया उसको डिस्टर्ब करने के लिए और उसने यह सारा वक़्त सोनिया के साथ बिताया. सोनिया भी खुश थी कि उसके बर्तडे पर उसको यह प्रेज़ेंट मिला. उसको यकीन था कि रणवीर को उसका बर्तडे याद नही रहेगा पर वो बहुत सर्प्राइज़्ड हुई जब रणवीर ने ना सिर्फ़ उसका बर्तडे याद रखा, बल्कि 2 दिन की छुट्टी भी ली थी. आज 2 दिन बाद वो दोनो फिर रेगिस्तान में पहुँच गये थे. रेगिस्तान की उस गर्मी में आज एक अजीब सी चुभन थी. किसी चीज़ के जलने की बू बहुत तेज़ आ रही थी. हेलिकॉप्टर से उतर कर रणवीर और सोनिया उस टीले के पास गये. पासवर्ड देने के बाद दरवाज़ा खुला लेकिन पूरा नही खुला. अंदर से बहुत ज़्यादा धुआँ बाहर निकला.

रणवीर का दिल उसके गले में आ गया. उसको किसी अनहोनी की आशंका होने लगी. उसने धक्का दे कर दरवाज़ा खोला तो अंदर का माहौल देख कर दंग रह गया. सारी मशीन्स टूटी पड़ी थी. इस लोहे को पिघलाने के लिए तो बहुत ज़्यादा गर्मी की ज़रूरत थी. हर एक कदम के साथ रणवीर का दिल और भारी हो रहा था. सोनिया का भी हैरत के मारे मूह खुले का खुला ही था. उसने साइड में जा कर सारे स्विच ऑन कर दिए. लाइट्स तो नही जली पर थोड़े से एग्ज़ॉस्ट फँस ऑन हो गये जिनसे वो धुआँ बाहर जाने लगा. चारों तरफ सिर्फ़ विनाश ही विनाश था. उनके साइंटिस्ट्स की बॉडी इधर उधर पड़ी हुई थी. कोई भी ज़िंदा नही लग रहा था. यह सब देख के सोनिया की आँखों में आँसू आ गये.

"यह क्या हो गया रणवीर"

"हिम्मत करो सोनिया. हमे मामले की तह तक जाना होगा. मुझे नही लगता कि यह किसी की ग़लती से हुआ है. यह पक्का किसी के अटॅक का नतीजा है. पर यहाँ कौन अटॅक करेगा."'

"सब बर्बाद हो गया रणवीर. इतने सालों की मेहनत..." कहकर सोनिया फूट फूट के रोने लगी. "कोई भी यहाँ ज़िंदा नही लगता रणवीर. इन बेचारों ने किसी का क्या बिगाड़ा था. यह क्यूँ हो गया"

"थोड़ी हिम्मत रखो सोनिया. मैं अभी सीसीटीवी रेकॉर्ड्स चेक करता हूँ. मुझे दाल में कुछ काला लग रहा है"

रणवीर ने धीरे धीरे सारे केमरे चेक किए. उन सब की फीड या तो करप्टेड थी या कॅमरास खराब हो चुके थे. उसके पास अब देखने का कोई ज़रिया नही बचा था. तभी उसे याद आया कि उसने एक कमेरे का कंट्रोल्स सिर्फ़ अपने ऑफीस में ही रखा है. वो एक 360 डिग्रीस रिवॉल्विंग कॅमरा था जो पूरी लॅब में घूमता था पर नज़रों से ओझल था. रणवीर का ऑफीस भी एक कोने में दीवार के पीछे था. अगर पहली बार आओ तो वो दिखता नही था. दिल में थोड़ी सी होप ले कर वो अपने ऑफीस में गया और अपने कंप्यूटर पे बैठ गया. उसका ऑफीस बिल्कुल अनटच्ड था और यह पक्का था कि वहाँ कोई नही आया. कंप्यूटर स्टार्ट करके उसने सीधा केमरे की रेकॉर्डेड फीड को आक्सेस किया. जो उसने देखा वो किसी के भी होश उड़ा देने वाला मंज़र था. उसने देखा के 8 घंटे पहले एक आदमी लक के अंदर आया था. उस आदमी की शकल बिल्कुल रणवीर से मिलती थी. सिर्फ़ एक डिफरेन्स था कि वो रणवीर नही था. रणवीर ने देखा कि वो सीधा मास्टर कंप्यूटर पे गया और कुछ करने लगा. पर उसने शायद ग़लत पासवर्ड डाल दिया था.. फिर उस आदमी ने अपने फिंगरप्रिंट को पासवर्ड की तरह यूज़ करने की कोशिश करी लेकिन वो भी रिजेक्ट हो गया.

दो चार बार और कोशिश करने के बाद रणवीर ने देखा कि रसल उस आदमी के पास गया और उससे कुछ बात करने लगा. अनफॉर्चुनेट्ली यह कॅमरा आवाज़ें रेकॉर्ड नही करता था. पर रणवीर के लहज़े से सॉफ झलक रहा था कि उसको कोई शक्क नही था कि उसके सामने खड़ा शक्स रणवीर ही है. उसने रसल से कुछ कहा तो रसल ने खुद ही पासवर्ड डाल दिया और आदमी को घूर घूर के देखने लग गया. रणवीर के देखते ही देखते उस आदमी ने अपनी हथेली में पकड़ी एक डिस्क नुमा चीज़ उस मास्टर कंप्यूटर में डाल दी. रणवीर ने नोटीस किया कि जब वो डिस्क वो अपनी कलाई से निकाल रहा था तो एक डिस्क उसमें से निकल कर नीचे गिर गयी थी. लेकिन उस आदमी को शायद यह पता नही चला. रसल की आँखें हैरत में फटी की फटी रह गयीं थी. वो 2 कदम पीछे हुआ कि तभी उस आदमी ने अपना हाथ एक्सटेंड कर के रसल की गर्दन दबोच ली. उस आदमी का हाथ एक्सटेन हुए जा रहा था और रसल को एक कोने में ले कर जा रहा था. वो हाथ शायद अपने आप ही चल रहा था क्यूंकी उस आदमी की पूरी अटेन्षन उस मास्टर कंप्यूटर पे थी और दूसरा हाथ कीबोर्ड पे नाच रहा था. थोड़ी देर तक रसल स्ट्रगल करता रहा पर फिर उसने दम तोड़ दिया. वो हाथ वापस रिट्रॅक्ट हो कर उस आदमी के पास आ गया और अब वो दोनो हाथों से कीबोर्ड पे बटन दबा रहा था. तभी कुछ सेक्यूरिटी गार्ड्स आए और उन्होने गोलियाँ चलानी शुरू कर दी.

लेकिन वो गोलियाँ उस आदमी तक पहुँचने से पहले ही नीचे गिर गयी. अब उस आदमी ने अपना पूरा ध्यान उन सेक्यूरिटी गार्ड्स और बाकी साइंटिस्ट्स पे लगा दिया. उसके शरीर से 4 और "हाथ" निकल कर बाहर आ गये और इधर उधर की चीज़ें पकड़ कर उन्हे तोड़ने लगे. एक ने करेंट की वाइयर उखाड़ी और उसका एक एंड उस आदमी की बॉडी पे लगा दिया. अब उस आदमी के अंदर करेंट खून की तरह दौड़ने लगा था. वो हाथ बंदूक से निकली गोलियों की तरह करेंट को अपने हाथों के थ्रू सब पे मारने लगा. थोड़े ही समय में सारे साइंटिस्ट्स और सेक्यूरिटी गार्ड्स नीचे गिर गये. फिर वो आदमी आगे बढ़ा और हर कंप्यूटर और मशीन के पास गया. उसने अपनी टाँग में से एक अजीब सी एक्सटेन्षन निकाली जो हर एक मशीन में घुस जाती थी. मशीन ऑन होती और फिर थोड़ी देर में पिघलने लग जाती. शायद वो कुछ ढूँढ रहा था. अब चारों तरफ सिर्फ़ धुआँ ही धुआँ हो गया था. उसको भी शायद वो चीज़ मिल गयी थी जिसकी तलाश में वो आया था. उसने अपनी सारी एक्सटेन्षन्स वापस अंदर करी और फिर से रणवीर बन के लॅब से बाहर आ गया.

अब रणवीर ने फॉर्वर्ड कर के सारी फीड को चेक किया और उस समय पर रुक गया जहाँ से उसने और सोनिया ने एंटर किया था लॅब में. जो उसने देखा वो सच मुच कल्पना के परे था. यह कौन आदमी था, इसको लॅब की लोकेशन कैसे पता चली और इसके पास इतनी पवर्स कहाँ से आई... सबसे बड़ा सवाल था कि वो क्या इन्फर्मेशन ढूँढने आया है यहाँ. तभी उसको पीछे से सोनिया के सुबकने की आवाज़ आई. वो पीछे मुड़ा तो देखा के सोनिया उसके जस्ट पीछे खड़ी है. शायद उसने भी सब कुछ देख लिया था स्क्रीन पर.

"यह क्या हुआ रणवीर... कौन था यह आदमी" हैरत में आँसू टपकाते हुए उसने पूछा.

"सोनिया जितना तुम्हें पता है, उतना ही मुझे भी पता है. प्लीज़ थोड़ी देर डिस्टर्ब ना करो. मैं कोशिश करता हूँ कि कुछ इन्फर्मेशन निकाल पाऊँ. और प्ल्ज़ यह रोना धोना बंद करो. इससे कुछ हासिल नही होने वाला है. दुख मुझे भी है. पर अपने उपर काबू किया हुआ है. यू आर आ स्ट्रॉंग वुमन. प्लीज़ सम्भालो अपने आप को." रणवीर उठा और उस डिस्क को ढूँढने के लिए चल दिया जो उस आदमी में से गिरी थी

रणवीर को वो डिस्क ढूँढने में ज़्यादा मुश्किल नही हुई. रणवीर ने वो डिस्क उठाई और अपने कॅबिन में ले आया और उसको अपने कंप्यूटर में डाल दिया. डिस्क में जो था, वो उसकी समझ से परे था. उसको लगा कि शायद डिस्क खराब हो गयी है या उसमें कुछ था नही इसलिए नीचे फेकि गयी है क्यूंकी कंप्यूटर उस डिस्क के अंदर सिर्फ़ उल्टे सीधे लेटर्स ही पढ़ पा रहा था. उस आदमी के बारे में जान-ने की रणवीर की यह आखरी उम्मीद भी चली गयी. सोनिया के आँसू रुकने का नाम नही ले रहे थे. रणवीर उसके पास गया और उसको उठा के अपनी बाहों में भर लिया

"मत रो सोनिया. मत रो. मैं जानता हूँ कि जो कुछ भी हुआ अच्छा नही हुआ. लेकिन हम लोगों को इस मामले की तह तक पहुँचना ही होगा"

"कौन सा मामला रणवीर.. कुछ नही रहा अब.. सब कुछ तबाह हो गया.. कितनी जाने गयी है.. क्या हो गया यह रणवीर"

"बस सोनिया बस.. अगर तुम ही ऐसे टूट जाओगी तो मैं किसका सहारा लूँगा... यहाँ पे काम करता एक एक आदमी मेरे परिवार के जैसा था. इस डिज़ास्टर से उबरने के लिए हम दोनो को ही एक दूसरे का सहारा बनना पड़ेगा. प्ल्ज़ ऐसे मत टूटो"

"सही कह रहे हो रणवीर. मसला यह नही है कि यह किसने किया. यह है कि क्यूँ किया. क्यूँ उसने हमारी सालों की मेहनत का ऐसे सर्वनाश कर दिया..."

"हां सोनिया. और इस बात की तह तक पहुँचने के लिए हम दोनो को अपनी तरफ से पूरा ज़ोर लगाना पड़ेगा. अगर इस समय कोई भी पीछे हट गया तो मतलब यह किस्सा सॉल्व नही हो पाएगा. हम दोनो को एक दूसरे की ज़रूरत सब से ज़्यादा है अभी"

"मैं मानती हूँ रणवीर. लेकिन अब यहाँ रहने से कोई फ़ायदा नहीं है. चलो घर चलते हैं और डिसाइड करते हैं कि आगे क्या करना है" सोनिया ने अपने आप को संभालते हुए बोला. रणवीर भी उठ गया. वो जानता था कि जब तक इस जगह से दूर नही जाएगा, उसका दिमाग़ काम नही करेगा. उसने जाते जाते अपने कंप्यूटर से वो डिस्क भी निकाल ली और एक आखरी बार अपनी लॅबोरेटरी को जी भर के देख लिया. उसको यकीन था कि यह लॅब जहाँ उसने अपनी ज़िंदगी के 30 साल बिताए हैं, शायद ही उसके अंदर कभी वापस आएगा.
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"हां तो कल हम ने क्या पढ़ा था कौन सम्म्रिज़ करेगा... तुम... कल का चॅप्टर सम्म्रिज़ करो"

अपनी तरफ उंगली होते देख बिट्टू को बहुत गुस्सा आया. एक तो वो आज पहली बार क्लास में टाइम से पहुँचा था, उपर से उसको सवाल भी पूछ लिया.. "मेडम मैं तो कल क्लास में था ही नहीं. आपने ही तो बाहर निकाला था.. फिर भी मुझसे ही सवाल पूछ रही हो.. आप तो सच मच निर्दयी हो..."

"शट अप... कल क्लास में नही थे इसका यह मतलब नही है के क्या हुआ तुम वो भी नही पढ़ोगे"

"मेडम मेरे फ्रेंड का आक्सिडेंट हो गया था.. इसलिए नही पढ़ पाया.."

"रोज़ नया बहाना... कभी नींद नही खुली, कभी पेट दर्द... कभी सर दर्द.. क्या मज़ाक है यह..."

"मेडम पेट दर्द नही लूस मोशन... सर दर्द का बहाना तो कल करने वाला था"

"शट अप आंड गेट आउट ऑफ दा क्लास"

"काहे को मेडम??"

"जब तुम्हें कल का चॅप्टर नही पता तो आज क्या खाक करोगे" अब टीचर को भी बिट्टू की रोज़ रोज़ के बहानो से प्राब्लम होने लगी थी और यह बात उसके लहज़े में सॉफ झलक रही थी

"यह कहाँ का इंसाफ़ है मेडम... अगर आप किसी शादी में जाओ और स्टार्टर्स का टाइम चला गया हो तो क्या आप को खाना खिलाए बिना भेज दिया जाएगा?? बल्कि आपको तो ज़्यादा खाना खाना पड़ेगा"

"तुम्हें यह शादी लगती है? यह स्कूल है कोई तुम्हारे फ्रेंड्स का अड्डा नहीं जहाँ जब जहा जैसे चाहा आ गये. गेट आउट ऑर आइ विल नोट टीच दा क्लास फॉर फुल वीक"
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Re: परदेसी

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बिट्टू का बस चलता तो कभी ना निकलता. इस बार तो उसकी ग़लती नही थी. पर जब स्टूडेंट्स उसकी तरफ देखने लगे तो उसको लगा कि उसको बाहर निकल ही जाना चाहिए. वैसे भी यह बातें तो उसने पढ़ी हुई थी. "जा रहा हूँ. सीधा घुसते के साथ ही कह दिया करो ना कि मैं बाहर हो जाउ.. क्यूँ रोज़ नये हथकंडे अपनाने होते हैं" उसने बोला और झट से बाहर भाग गया इससे पहले के टीचर जवाब दे पाती. पर किस्मत शायद उसपर ज़्यादा ही महरबान थी आज . बाहर टक्कर हुई सीधा दिया से जिसकी किताबें नीचे गिर गयी. "सॉरी.. सॉरी.. अर्रे दिया यह तो तुम हो.."

"मैं हूँ तो क्या हुआ.. सॉरी तो होना ही चाहिए.."

"नही.. तुम्हारा तो थॅंक यू करना चाहिए कि तुमसे टकराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. "

"तुम कितना बोलते हो बिट्टू... उफ्फ"

"अर्रे कुछ नया बताओ.. आओ सॅंडविच खाते हैं कॅंटीन चल कर."

"हटो तुम.. खुद तो फिर क्लास से बाहर फेके गये हो.. मुझे तो जाने दो.."

"अर्रे क्या रखा है इन क्लास में... चलो ना...."

"नो बिट्टू. तुम जाओ.. मैने कल भी मिस कर दी थी तुम्हारे चक्कर में.. आज तो जाउन्गी ही... सी यू लेटर" दिया ने कहा और चली गयी क्लास की तरफ. बिट्टू अपने कंधे झुका कर कॅंटीन की तरफ हो लिया. उसकी समझ में सच मच नही आ रहा था कि उसके साथ ही ऐसा क्यूँ होता है... काश यहाँ हॅपी होता तो वो भी क्लास से बाहर आ चुका होता उसके लिए...

कॅंटीन में जा कर बिट्टू ने सॅंडविच और मिल्क शेक का ऑर्डर दे दिया. काउंटर के पीछे खड़ी लड़की काफ़ी हॉट थी. तो बिट्टू ने सोचा कि चलो इसी के साथ टाइम पास कर लिया जाए

"आपको पहले यहाँ कभी नही देखा.. नयी हो?"

"पर मैने तो तुम्हें कल भी देखा था. आज फिर बाहर निकाल दिया क्या क्लास से?"

"अर्रे अब क्या बताऊ... खड़ूस टीचर है.. मेरी शकल नही पसंद शायद. जस्ट इमॅजिन.. इतनी बढ़िया शकल है और उसको पसंद नही.. लगता है इस देश में हॅंडसम होना भी एक गुनाह है.."

"ट्रस्टी की बीवी है वो... ऐसे मत बोलो... किसी ने सुन लिया तो लेने के देने पड़ जाएँगे"

"अर्रे छोड़ो इन बातों को.. यह बताओ कि तुम नयी हो क्या यहाँ"

"3र्ड एअर में पढ़ती हूँ.. टेक्निकली सीनियर हूँ तुम्हारी.. पैसा कमाने के लिए पार्ट टाइम जॉब करना पड़ता है.."

"नाइस... तुम्हारी क्लासस नही होती क्या..."

"होती तो हैं पर थोड़ी कम होती हैं... तो सुबह थोड़ा और शाम को थोड़ा काम कर लेती हूँ"

"बड़ी कामुक हो यार तुम तो..."

"एक्सक्यूस मी..."

"मतलब बड़ी कामकाजी हो... अच्छा तरीका है पॉकेट मनी कमाने का... शाम को कब फ्री होती हो.. किसी दिन हमे भी मौका दो आपको सॅंडविच खिलाने का..."

"आर यू आस्किंग मी फॉर आ डेट ?? इफ़ यस.. तो मेरा पहले से बाय्फ्रेंड है..."

"अर्रे मुझे कौनसा तुम्हारा बाय्फ्रेंड बन-ना है.. बस मैं तो ऐसे ही कह रहा था. नही पीनी तो मत पियो... मैं अकेला ही पी लूँगा"

"फिलहाल यह रहा तुम्हारा ऑर्डर.. पैसे दो और इसको खाओ" उस लड़की ने बेरूख़ी से बोला तो बिट्टू पैसे दे कर और अपनी प्लेट उठा कर एक खाली टेबल पर बैठ गया और खाने लगा. तभी उसको सामने खड़ी तान्या दिख गयी. "तान्या... इधर .. कैसी हो... यहाँ आ जाओ"

तान्या कोशिश कर रही थी कि बिट्टू उसे ना देखे लेकिन अब जब देख ही लिया है तो कुछ नहीं हो सकता तो वो भी प्लेट उठा कर उसके पास आ गयी.."ठीक हूँ बिट्टू.. तुम बताओ"

"अर्रे मैं तो पूरा वक़्त ही ठीक रहता हूँ. कल रोहित के साथ क्या हुआ..."

"क्या मतलब"

"मतलब यह कि काफ़ी टाइम तक रोहित तुम्हारे यहाँ था.. क्या कर रहे थे... कुछ हुआ भी के नहीं..." कहते हुए बिट्टू मुस्कुराने लग गया

"नन ऑफ युवर बिज़्नेस बिट्टू... क्यूँ हर किसी के मामले में टाँग अड़ाते हो तुम..."

"अर्रे मैने तो बस दोस्त समझ कर पूछ लिया... मेरा कौन सा चक्कर चल रहा है उस के साथ जो मुझे जान के कुछ मिलने वाला है.. इतना गुस्सा होने की ज़रूरत नही है"

"देखो अपनी हद में रहो... और अगर यही बात करनी है तो मैं जाती हूँ यहाँ से"

"अर्रे नहीं नहीं.. कुछ और बात कर लेते हैं... तुम जाओ ना... थोड़ा रुबाब बढ़ेगा मेरा अगर लोग तुम्हें मेरे साथ देखेंगे तो..."

"तुम कितने गलीच इंसान हो बिट्टू.... "

"उस बात को छोड़ो और बताओ कि आज आ रही हो ना शाम को दिया के घर..."

"हां आ रही हूँ."

"चलो अच्छा है.. मेरी क्लास का भी टाइम हो गया.. मैं निकलता हूँ..शाम को मुलाक़ात होगी" कहता हुआ बिट्टू वहाँ से निकल लिया और तान्या ने राहत की सास ली. बाकी का पूरा दिन क्लासस में बीत गया. शाम होने तक चारों की मुलाक़ात नही हुई और वो सब अपने अपने रूम चले गये तय्यार होने के लिए.
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उधर रणवीर और सोनिया जी तोड़ कोशिश कर रहे थे उस डिस्क पे लिखे डाटा को समझने की. सोनिया ने कुछ पॅटर्न्स आइडेंटिफाइ कर लिए थे जिनसे क्लियर हो गया था कि यह किसी कोड में लिखी इन्फर्मेशन है. जी तोड़ कोशिश करने के बाद भी वो लोग उसे क्रॅक नही कर पा रहे थे. रणवीर ने कोड्स के थोड़े थोड़े पॅचस काई गीक फॉरम्स पे डाल दिए थे इस उम्मीद में कि कोई उसे क्रॅक कर पाए शायद. जब काफ़ी देर हो गयी और वो लोग कोड क्रॅक नही कर पाए तो उन्होने इस चीज़ को थोड़ी देर बंद करने का सोचा. लॅपटॉप बंद करने से पहले रणवीर ने एक बार वापिस चेक किया सब फॉरम्स को. उसको हैरानी हुई जब उसको एक फोरम पे कोड क्रॅक्ड दिखा. यह ही नहीं, उस आदमी ने एक प्रोग्राम भी लिख दिया था जिस से ऐसा कोड क्रॅक हो सकता था. रणवीर ने वो फाइल डाउनलोड करी और डिस्क का सारा डाटा उस प्रोग्राम में डाल दिया. कुछ देर इंतेज़ार करने के बाद सारी इन्फर्मेशन रणवीर और सोनिया के सामने थी जिसे देख कर दोनो के होश उड़ गये. समझ नही आ रहा था कि आगे क्या किया जाए. रणवीर ने अपना फोन निकाला और यह इन्फर्मेशन कन्वे करने के लिए नंबर घुमा दिया.

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Re: परदेसी

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"अर्रे रोहित तू तय्यार नही हुआ.. चलना नही है क्या" बिट्टू रोहित के रूम में पहुँच कर बोला

"इतनी जल्दी जा कर क्या करेंगे? अभी सिर्फ़ 5.30 ही हुआ है.. 7 बजे जाउन्गा मैं तो.."

"यार जल्दी चलते हैं... लेट क्यूँ जाना. चल जल्दी से तय्यार हो जा.. साथ चलेंगे.."

"यार मैं तो तान्या को पिक करूँगा और उसके बाद पहुँचुँगा... तू पहुँच जइयो पहले'

"यार यह तान्या का अजीब लफडा है. क्यूँ चिपक रहा है उससे इतना.. हर चीज़ में तुझे वोही दिखती है.. कभी थोड़ा टाइम मेरे साथ भी गुज़ारा कर..."

"अर्रे तू भी तो दिन भर दिया दिया करता रहता है.. मैने तुझे कुछ कहा है क्या? इस मामले में तू अपनी टाँग मत अड़ा... तूने जब पहुँचना है पहुँच जाना.. मैं तो थोड़ी देर में ही आउन्गा, तान्या को साथ ले कर"

हताश मन से बिट्टू रोहित के रूम से निकल गया. इस समय का वो कब से इंतेज़ार कर रहा था और अब उससे और इंतेज़ार नही हो रहा था. उसने दिया को फोन लगाया और बोल दिया कि वो आ रहा है और निकल गया. घर की घंटी बजाई तो दरवाज़ा अंकल ने खोला.
"हेलो अंकल, देखो मैं आ गया"

"हेलो बेटा.. अंदर आ जाओ.. बड़ी जल्दी आ गये"

"हां रूम में कुछ था नही करने को तो सोचा यहाँ आ के आपका ही सर खा लूँ."

"मेरे से मिलने आए हो या किसी और से.. बेटा हम भी तुम्हारी उमर से गुज़रे हैं.. यह बातें हमे भी पता होती हैं.." दिया के पापा ने बिट्टू को सोफे पे बैठा कर बातें करनी शुरू कर दी

"अंकल आप की लव मॅरेज हुई थी क्या.."

"नहीं... अरेंज्ड मॅरेज.."

"तो फिर यह बातें आप को नहीं पता होंगी.."

"अर्रे बेटा अब क्या बतायें.. अपने ज़माने में हम भी आशिक हुआ करते थे बहुत पहुँचे हुए... वो तो किसी से बात आगे बढ़ी नही, नहीं तो चाय्सस भी कम नहीं थी हमारे पास... लो दिया भी आ गयी.... बेटा तुम्हारा दोस्त बिट्टू आया है..."

"हाई बिट्टू कैसे हो..."

"वैसा ही हूँ जैसा सुबह था.. तुम बताओ.."

"मैं भी वैसी ही हूँ..."

"बैठो ना.. अपना ही घर समझो.. हे हे हे"

"नहीं तुम लोग बातें करो.. मैं ज़रा मम्मी की हेल्प कर देती हूँ"

"बेटा अपनी मम्मी से तो मिलवा लो एक बार इन्हे.."

"हां मैं मम्मी को ले कर आती हूँ.." कहते हुए दिया किचन की ओर चल दी

"और बताओ बेटा, पढ़ाई कैसी चल रही है.."

"ठीक ही चल रही है... बस एक टीचर को मेरी शकल पसंद नही है.. रोज़ कोई ना कोई बहाना कर के मुझे बाहर निकाल देती है.. बाकी तो सब सही है"

तभी दिया अपनी मम्मी के साथ आ गयी."लो मम्मी.. इससे मिलो.. यह है बिट्टू.. बिट्टू यह है मेरी मम्मी"

बिट्टू बस आंटी को घूरता ही जा रहा था और उसकी ज़बान से कोई शब्द नही निकल रहा था. "क्या हुआ बिट्टू.. चुप क्यूँ हो गये... वैसे तो बड़ा बोलते हो.." दिया की मम्मी ने पूछा

"अर्रे मम्मी आप एक दूसरे को जानते हो.. बिट्टू तुमने कभी बताया नही.."

"कभी तुमने भी तो नहीं बताया कि तुम्हारी मम्मी टीचर हैं और हमे पढ़ाती हैं..."

"और रोज़ जनाब को क्लास से बाहर भी निकालती हैं... फिर भी जनाब अगले दिन एक नया बहाना लाते हैं..." दिया की मम्मी बोली...

"हा हा हा... तो यह है वो टीचर बेटा जिनको तुम्हारी शकल पसंद नही... देखो दुनिया कितनी छोटी है... वैसे प्रिया मैं तो समझता था कि तुम्हें मेरी ही शकल पसंद नही, अब इस बेचारे बच्चे पे भी ज़ुल्म ढा रही हो..."

"बेचारा बच्चा !! पूछ लो ज़रा इस से कि क्यूँ नही घुसता क्लास में"

"अर्रे मम्मी आप क्या कॉलेज की बातें इधर कर रही हो... उसको और कॉन्षियस करवा दो.. खाना भी नही खा पाएगा वो..."

"नहीं ऐसी बात नही है.. खाना तो आराम से खा लूँगा.. पापी पेट बड़ा निर्दयी है... खाना सामने आते ही बाकी सब कुछ भूल जाता है.. हे हे हे" बिट्टू थोड़ा असमंजस में झूलता हुआ बोला...

"चलो मम्मी मैं आपकी किचन में हेल्प कर देती हूँ. तान्या और रोहित भी आते होंगे..." कहती हुई दिया अपनी माँ को किचन में ले गयी.

उधर रोहित भी तान्या के हॉस्टिल के बाहर खड़ा उसका इंतेज़ार कर रहा था. अब उसके पास अपनी गाड़ी तो थी नही, इसलिए टॅक्सी को भी रोका हुआ था. उस कंजूस को यह टेन्षन और हो रही थी कि टॅक्सी का बिल बढ़ रहा है. काफ़ी देर जब इंतेज़ार करने के बाद उसको तान्या सामने से आती दिखी तो उसके होश उड़ गये. आज वो बला की सी सुंदर लग रही थी. एक सफेद टॉप और काली 3/4 जीन्स में वो कहर ढा रही थी. उसका फिगर उभर के बाहर आ रहा था और चाल ऐसी थी मानो सब आशिक़ों के दिलों पर वार कर दे.

"वाउ तान्या.. यू आर लुकिंग सेक्सी..."

"तुम भी अच्छे लग रहे हो रोहित..." तान्या ने उसके होठों पर किस करते हुए कहा

"आज लगता है 2-4 लोग तो तुम्हें देखकर मर ही जाएँगे..." उसके पर्फ्यूम की भीनी भीनी सुगंध रोहित को मोहित ( ) करे जा रही थी

"अच्छा.. कोई बातें बनाना तुमसे सीखे.. चलो अब टॅक्सी में बैठो.. इतनी देर से हल्ला मचाया हुआ है बिल का.. अब खुद टाइम वेस्ट कर रहे हो"

"तुम्हें देखकर कोई टाइम वेस्ट कैसे कर सकता है तान्या.. तुम तो टाइम और पैसे की वसूली हो.."

"चलो अंदर आओ अब चुप चाप" नकली हसी हँसते हुए तान्या बोली. मन ही मन वो बहुत खुश हो रही थी कि उसके रूप का जादू, उसकी आशा के अनुसार ही रोहित को मंत्रमुग्ध कर रहा है. सारे सफ़र में रोहित बस उसी में खोया रहा और सफ़र कब कट गया उससे पता भी नही चला. थोड़ी ही देर में वो दोनो दिया के घर के बाहर खड़े थे और बेल बजा रहे थे. इस बार भी अंकल ने ही दरवाज़ा खोला.

"हेलो अंकल.. आप दिया के पापा है ना.."

"हां बेटा... रोहित और तान्या..."

"जी अंकल.."

"अंदर आ जाओ" कहते हुए अंकल ने उनको अंदर बुलाया. "तुम्हारा दोस्त तो पहले ही पहुँच चुका है.. तुम्हारी ही राह देख रहे थे.. बैठ जाओ..." अंकल ने उन दोनो को सोफे की तरफ इशारा करते हुए कहा. बिट्टू तान्या को आँखें फाड़ फाड़ के देख रहा था. इतनी सुंदर लड़की इतने पास से उसने आज तक नही देखी थी. अब सच मुच उसे डर लगने लगा था कि कहीं उसके मूह से कुछ उल्टा सीधा ना निकल जाए.. इसलिए उसने अपनी ज़बान पर कंट्रोल करना ही ठीक समझा. उधर तान्या का बिट्टू को देखते ही मूड ऑफ हो गया. वो उसे ऐसे घूर रहा था जैसे उसने कभी लड़की ही नही देखी.. तान्या को पूरा यकीन था कि अब वो कोई अजीब सी बात करेगा जिससे उसका दिमाग़ और खराब होगा. वो बिट्टू से दूर को बैठ गयी लेकिन उसकी नज़रें अभी भी अपने उपर ही महसूस कर रही थी. तभी फोन की घंटी बजने लगी.


"बेटा तुम लोग थोड़ा बात करो.. मैं ज़रा देखूं फोन पे कौन है...प्ल्ज़ एक्सक्यूस मी" उन्होने दिया को भी आवाज़ लगा दी कि वो आ कर अपने दोस्तों के साथ बैठे और खुद दूसरे कमरे में फोन के पास चले गये. अगले 10 मिनट उन्होने फोन पर ही बिताए और जो उन्होने सुना, उस पर उनको विश्वास नही हो रहा था. सारी कहानी सुनने के बाद वो अपने कंप्यूटर पर गये और अपने ईमेल अकाउंट में लोग इन किया. वहाँ रणवीर की तरफ से एक ईमेल आई हुई थी जिसमें एक वीडियो अटॅचमेंट था. उन्होने वो वीडियो डाउनलोड किया और आँखें फाड़ कर उसको देखते रहे. जो उस वीडियो में हो रहा था वो सच मुच कल्पना के परे थे. अब उनको रणवीर की कही बात बिल्कुल सही लगने लगी. वो समझ गया कि यह ही वो समय है जब इन चारों को इनकी ज़िंदगी की सच्चाई से रूबरू करवाना पड़ेगा

"क्या हुआ पापा.. इतने टेन्षन में क्यूँ हो.. किसका फोन था..." अपने पापा को एक सीरीयस रूप में बाहर आते हुए देख दिया ने पूछा.

"बेटा बात थोड़ी सीरीयस है. अपनी मम्मी को भी बुला लो.. उनका भी यहाँ होना ज़रूरी है..."

"सर अगर कोई पर्सनल बात है तो हम जा सकते हैं... किसी और दिन कर लेंगे डिन्नर" अंकल को ऐसी हालत में देखकर रोहित ने बोला

"नही बेटा... इनफॅक्ट जो बात मैं बताने जा रहा हूँ, वो तुम सब लोगों के लिए ही इंपॉर्टेंट है... प्रिया यहाँ बैठो... आज वो दिन आ गया है जिसका हमे हमेशा से डर था.."

"हम लोगों के बारे में बात करनी है.... लेकिन हम तो आज पहली बार ही मिले हैं अंकल... क्या हो गया ऐसा..." तान्या बोली

"किस दिन का हमेशा से डर था पापा.. सॉफ सॉफ बोलो.." इस बार आवाज़ दिया के मूह से निकली थी

"सब बताता हूँ बेटा. बस थोड़ा सब्र करो. जो मैं तुम्हें बताने जा रहा हूँ, उसके उपर यकीन करने में शायद तुम्हें थोड़ी सी कठिनाई हो, पर मेरी बात पे डाउट बिल्कुल मत करना... बात आज से 20 साल पहले की है...." और दिया के पापा सब कुछ बताते गये उन चारों को. "... तो यह था एक्सपेरिमेंट. और इसी का नतीजा हो तुम चार लोग"

कमरे में एकदम खामोशी छा गयी थी. चारों लोग मूह फाड़ कर कभी दिया की मम्मी की तरफ तो कभी उसके पापा की तरफ देखते. "अंकल सच सच बताओ कि आज कितनी पी है.. यह क्या एलीयन वॅलियेन का चक्कर चला दिया आपने... यह तो किसी मूवी की कहानी ही लगती है.. फ्लॉप मूवी रही होगी, तभी मैने देखी नही है..." नकली सी हँसी हँसते हुए बिट्टू बोला.

"बेटा यह किसी मूवी की कहानी नही है और ना ही मैने दारू पी हुई है.. जो सच्चाई है, मैं वो तुम सब को बता रहा हूँ..."

"चलो मान लिया कि यह सब सच है.. तो फिर आप हमे यह अभी क्यूँ बता रहे हैं... जैसे हम ने अपनी ज़िंदगी के 19 साल निकाल दिए, वैसे ही आगे भी तो निकाल सकते थे ना... ऐसी कहानी अभी सुनाने का क्या मतलब है हमे.." तान्या ने पूछा

"बेटा एक तो यह कहानी नही है... और अभी मैं तुम्हें इसलिए सुना रहा हूँ क्यूंकी...." कहते हुए अंकल ने एलीयन के आने की खबर और लॅबोरेटरी के डिस्ट्रक्षन की बात भी बता दी. "अब तुम्हें यकीन तो होगा नहीं, मुझे भी कोई यह बात बताता तो मैं भी यकीन ना करता. लेकिन मेरे को रणवीर ने एक वीडियो भेजा है. वहाँ कंप्यूटर पे आओ. मैं दिखाता हूँ तुम्हें." कहकर वो उन पाँचों को अपने कंप्यूटर के पास ले गये और वो वीडियो दिखा दिया

"देखो पापा.. इट्स नोट फन्नी... आप जो भी मज़ाक कर रहे हैं मेरे दोस्तों के साथ, वो बंद कीजिए.. बहुत ही गंदा मज़ाक है यह."

"बेटा काश यह मज़ाक होता. अब मैं तुम्हें कैसे बताऊ इस सच्चाई के बारे में.... क्या तुम्हें आज तक कभी लगा है कि तुम एलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस कर सकती हो..."

"क्या... क्या बोल रहे हैं आप पापा...."

"बेटा मैने तुम्हारे शरीर के खून और डीएनए पे बहुत जाँच करी है... मैने पाया है कि तुम्हारे सेल्स में एलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस करने की क्षमता है.... यह शायद इसी लिए है क्यूंकी तुम्हारे खून में वो एलीयन डीएनए का एक पार्ट है."

"क्या बोल रहे हो पापा... कैसी बात कर रहे हो....."

"बेटा बस मुझे यह बताओ कि तुम्हें कभी यह एहसास हुआ है कि तुम एलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस कर सकती हो या नहीं....." इस सवाल का उत्तर दिया ने नही दिया. वो बस चुप हो कर कभी अपनी मम्मी और कभी अपने पापा को घूरे जा रही थी.

यह बात सुन कर रोहित, बिट्टू और तान्या के मन में भरे काफ़ी सवाल हल हो रहे थे. हालाँकि यह एक्सप्लनेशन काफ़ी अन्बिलीवबल था, पर पिछले कुछ दिनों के एक्सपीरियेन्स इस-से सॉफ एक्सप्लेन हो रहे थे. " उस डिस्क में क्या था जो उस आदमी के पास से गिरी थी... बताया रणवीर ने कुछ आपको" तान्या ने पूछा.

"हां बताया. और जो उसने बताया, वो बिल्कुल चौका देने वाला था..."

"बता दो जी बता दो... लगे हाथ सब बता दो... अभी कुछ ऐसा नही रहा है जो हमे और चौका दे.. अभी तो कोई कहे कि सचिन तेंदुलकर एलीयन है, तो भी हैरानी नही होने वाली हमें तो..." बिट्टू बोला... उसे पता नही क्यूँ यह सब सुन कर बड़ा मज़ा आ रहा था.

"ह्म.. तो सुनो.. उस डिस्क में रणवीर की लॅब की सारी इन्फ़ॉर्मेशन थी - लोकेशन वगेरह. और कुछ इन्स्ट्रक्षन्स"

"अर्रे एक बार में बताओ ना.. क्यूँ बीच बीच में फ्यूज मार रहे हो..." तान्या अब अधीर हो गयी थी

"इन्फर्मेशन यह थी कि यूयेसेस आदमी को धरती पे आने के बाद करना क्या है."

"अर्रे आदमी तो आप हो अंकल. हम सब तो परदेसी हैं यहाँ.. वो भी परदेसी ही होगा..." हँसते हुए बिट्टू ने बोला...

"हां तो उस परदेसी को तुम लोगों को ढूँढना था और तुम लोगों को कॅप्चर करके अपनी स्पेसशिप में तुमपर रिसर्च करनी थी..."

"हम पर रिसर्च... किस चीज़ के लिए..." रोहित ने पूछा...

"वो देखना चाहते है कि उनका डीएनए कितना सुरक्षित है तुम्हारे अंदर.. क्या तुम्हारी एवोल्यूशन हुई है और तुमने उस पार्ट ऑफ डीएनए की प्रॉपर्टीस को आक्सेप्ट किया या रिजेक्ट किया - यह जान ना चाहते हैं वो. एक बार उनको यह पता चल जाएगा तो उससे उन्हें पता चलेगा कि उनके प्लॅनेट के लोगों के लिए यह धरती ठीक है या नही..."

"और अगर यह धरती ठीक हुई तो..." दिया ने पूछा

"तो वो यहाँ पर अटॅक कर के यहाँ पर अपनी प्रजाति बसाएँगे."
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Re: परदेसी

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"वो देखना चाहते है कि उनका डीएनए कितना सुरक्षित है तुम्हारे अंदर.. क्या तुम्हारी एवोल्यूशन हुई है और तुमने उस पार्ट ऑफ डीएनए की प्रॉपर्टीस को आक्सेप्ट किया या रिजेक्ट किया - यह जान ना चाहते हैं वो. एक बार उनको यह पता चल जाएगा तो उससे उन्हें पता चलेगा कि उनके प्लॅनेट के लोगों के लिए यह धरती ठीक है या नही..."

"और अगर यह धरती ठीक हुई तो..." दिया ने पूछा

"तो वो यहाँ पर अटॅक कर के यहाँ पर अपनी प्रजाति बसाएँगे."

ab aage.....................

"वेट आ मिनट... आपके कहने का मतलब है कि वो पूरी धरती को टेकोवर करना चाहता हैं?" तान्या हैरानी में बोली

"यह मैं नही कह रहा, यह उस डिस्क से निकली इन्फर्मेशन है... अब यह सच है कि नही, यह तो पता नही लेकिन इन्फर्मेशन यही थी"

"दुनिया को बचाना हमारे हाथ में है... कूल.. मज़ा आएगा... सूपरमन/स्पाइडरमॅन की जगह हम ने ले ली है... शायद हमारे उपर मूवीस बनेंगी... हम फेमस हो जाएँगे. यह तो वाकई एक अच्छी खबर है" बिट्टू खुशी में बोला

"खाक अच्छी खबर है... अपना मूह बंद रखो... वो कौन है, उनके पास क्या पवर्स हैं, हमे कुछ भी नही पता.. हो सकता है कि उनको हमारे बारे में सबकुछ पता हो... हो सकता है कि वो हम चारों की कंबाइंड शक्ति से भी ज़्यादा शक्तिशाली हो... तुम कभी यह बच्पना छोड़ कर कोई सीरीयस बात करोगे?" तान्या ने गुस्से में खीजते हुए बोला

"देखो मेडम.. सीधा सीधा बताता हूँ. अब यहाँ सीरीयस हो कर दिमाग़ फाड़ने से कुछ होने वाला है नहीं... वो जो भी है, जो कुछ भी कर सकता है... इसका अंदाज़ा लगाना ऐसे तो मुमकिन नही है... अब या तो तुम यहाँ बैठ कर मातम मनाओ... या फिर हर एक पल को जियो.. पता नही वो कब आ जाए और हमे ले जाए... पर एक बात पक्की है.. मैं उससे इतनी आसानी से हमे ले जाने नहीं दूँगा... साले को फाड़ के रख दूँगा एक मिनट में... कैसे नहीं पता.. पर हां.. जब ठान लिया तो कर ही डालूँगा... भगत सिंग के उपर विश्वास रखते है हम लोग... इतनी आसानी से उससे कुछ नही करने देंगे.. लेकिन अपने आप को कमज़ोर भी नही होने देंगे.. कमज़ोरी ना आए इसलिए अपने शरीर को बिल्कुल ठीक रखना है... उसके लिए खाने की ज़रूरत होगी.. मॅम खाना बन गया क्या.. खा ले क्या जल्दी से..." बिट्टू बोला

सब लोग हैरानी से बिट्टू की तरफ देखने लगे. ऐसे समय में भी उसको भूख लग रही थी. बाकी सभ की गोटिया गले में आई हुई थी और इसको खाना खाना था. लेकिन बात तो बिट्टू भी सही ही कह रहा था... ऐसे सोचने से तो कुछ फ़ायदा होने नही वाला. बस यह एन्षूर करना था के जब भी वो जीव आए, सब लोग पूरी तरह से प्रिपेर्ड रहें. थोड़ा सोचने के बाद सभी ने यह ही सोचा के खाना खा ही लेना चाहिए और खाने की टेबल पर बैठ गये. सभी ने दिया की मम्मी की हेल्प करी टेबल सजाने में और खाना लगाने में और खाना शुरू कर दिया...

"मेडम वैसे एक बात तो है..." खाना खाते हुए बिट्टू बोला

"क्या बात"

"आप खाना बहुत बढ़िया बनाती हैं... मुझे तो हैरत है कि दिया इतनी पतली कैसे रह गयी... ऐसा खाना मुझे मिलता तो फूल के हाथी हो गया होता"

"थॅंक्स फॉर दा कॉंप्लिमेंट... पर हम रोज़ ऐसा खाना नही खाते.. वो तो आज तुम सब आए हुए थे इसलिए बना दिया..."

"ह्म... अर्रे सब मुझे क्या देख रहो हो यार... ज़रा बाकी सब भी पास करो... सिर्फ़ पनीर भूर्जी और रोटी थोड़ा खाउन्गा.. हां अंकल वो चिकन इधर की ओर करना तो... कब से बुला रहा है मुझे पर शायद शर्मा रहा है.. आ नही रहा पास"

"बिट्टू तुम कितना बोलॉगे.. खाने खाते वक्त तो चुप रहो.. क्या लोगे चुप होने का" दिया ने पूछा

"चुम्मा लूँगा... दोगि?" बिट्टू ने चिकन पे कॉन्सेंट्रेट करते हुआ बोला और झट भाँप गया कि ग़लत जगह पर ग़लत डाइलॉग मार दिया है... "कहने का मतलब है तुम अपने खाने में कॉन्सेंट्रेट करो ना.. मेरा तो चलता ही रहता है" और बिना किसी से नज़र मिलाए वो खाने पर वापस टूट पड़ा.

"अर्रे आंटी क्या खाना बनाया था.. मज़ा आ गया.. लगता है कुछ ज़्यादा खा लिया.. 9 रोटियाँ और चावल.. लगता है पेट फॅट जाएगा..."

"12 रोटी और चावल... लेकिन हम गिन थोड़े ना रहे थे... इतना खाओगे तो पेट फटेगा नही तो क्या कम होगा..." तान्या बोली

"अम्मा तुम एक चाकू पकड़ कर मेरे कलेजे में क्यूँ नही उतार देती अगर मैं इतना बुरा लगता हूँ तो... खाऊ तो तुम्हें प्राब्लम, बोलूं तो तुम्हें प्राब्लम... मुझसे नफ़रत करने के लिए ही पैदा हुई हो क्या... ऐसे मत देखो मुझे.. छुरिया चलती हैं तुम्हारी ऐसी नज़र से मेरे दिल पर..." बिट्टू ने तान्या को बोला... "चलो अंकल हम थोड़ा बाहर घूम लेते हैं... थोड़ा खाना हजम हो जाएगा और तब तक तान्या टेबल भी सॉफ कर देगी.. रोहित तू भी आ जा" कहते हुए उसने रोहित का हाथ पकड़ा और अंकल को साथ ले कर घर के बाहर निकल गया.

"बेटा कुछ बात करनी थी क्या जो मुझे ऐसे बाहर ले आए.."

"हां अंकल देखो बात तो सीधी है... मेरे और रोहित के साथ पिछले कुछ दिनों में काफ़ी घटनायें हुई हैं... आपका बताया एक्सप्लनेशन उन सब को एक्सप्लेन करता है लेकिन उसपे यकीन करना थोड़ा मुश्किल है... लेकिन सच तो यह है कि मेरे अंदर और रोहित के अंदर कुछ ऐसी पवर्स हैं जो और किसी भी तरह से एक्सप्लेन करना मुश्किल होगा..."

"पवर्स.. कैसी पवर्स..." हैरानी में अंकल ने पूछा...

"मुझे चोट नही लगती.. एक बार मेरा ट्रक से आक्सिडेंट हुआ और ट्रक में डेंट पड़ गया लेकिन मुझे कुछ नही हुआ.. अगर मैं अपनी उंगली काट दूं तो कुछ ही पलों में घाव ठीक हो जाता है..."

"इंट्रेस्टिंग.. और रोहित तुम.... क्या तुम भी सेम हो..."

"नही.. मेरी कहानी थोड़ी दूसरी है... मैं उड़ सकता हूँ..."

"व्हाट... अन्बिलीवबल... " अंकल ने कहा और उनके देखते ही देखते रोहित उड़ने लगा और छत पे चला गया.. फिर वो वहाँ से उड़ कर एक सर्कल लगा कर वापस नीचे आ गया...

"अन्बिलीवबल.. बट ट्रू..."

"माइ गॉड... अगर तुम यह सब कर सकते हो तो पता नही वो जीव क्या क्या कर सकता होगा.."

"अर्रे अंकल टेन्षन नोट... हम हैं ना.. सारी दुनिया का भला करेंगे... " बिट्टू बोला..

"बेटा अननोन से हमेशा डर लगता है... जो पता है उसकी काट निकालना आसान है.. पर जो पता नही, उससे कैसे निपटोगे..."

"अंकल कुछ ना कुछ ज़रिया निकल ही आएगा.. आप टेन्षन ना लो.. हम है ना.." रोहित बोला..

"तुम्हें पता है के तान्या क्या कर सकती है?"

"अभी तक तो पता नही अंकल..."

"ह्म... उसने अपने बारे में कुछ नही बताया.. मुझे लगता है कि वो पहले से ही इस बारे में जानती थी और तय्यार है कोन्सेऊएनसेस के लिए..."

"अर्रे अंकल आप दिया की चिंता करो... वो बेचारी... उसको पता भी नही था शायद उसके अंदर पवर्स हैं .."

"उसकी चिंता छोड़ो... उसको मैं संभाल लूँगा... मुझे तुम लोगों की चिंता हो रही है..."

"अर्रे अंकल आप ऐसे ही चिंता कर रहे हो... ठंड रखो.. सब ठीक हो जाएगा..."

रोहित का इतना कहना ही था कि आसमान से जैसे आग बरस पड़ी... उनके आमने वाला पेड़ लपटों से घिर गया और जलने लगा... तभी एक धमाके की आवाज़ हुई और उनकी थोड़ी दूर धुआँ उठने लगा... कुछ ही पलों में दिया के घर का गेट ब्लास्ट हो गया था और सारी स्ट्रीट लाइट्स भी बंद पड़ गयी... इस अंधेरे में कुछ अनहोनी ना हो जाए, यह सोच कर बिट्टू और अंकल घर के अंदर भागे. रोहित उड़ के उपर उठ गया जिससे उसको चारों तरफ का नज़ारा दिख सके

रोहित को कुछ ज़्यादा नही दिख रहा था. चारों और घना अंधेरा था. ऐसा लग रहा था जैसे सारी लोकॅलिटी का करेंट गुल हो गया है. रोहित ने इधर उधर थोड़े नज़र दौड़ाई तो उसको गेट से अंदर घुसता हुआ एक आदमी दिखा. लगभग 7 1/2 फीट का वो आदमी बड़े ही अजीब ढंग से चल रहा था मानो उसकी एक टाँग खराब हो. देखते ही देखते उस जीव की हाइट छोटी होने लगी और वो एक नॉर्मल आदमी की तरह बन गया जिसकी शकल रोहित को उपर से नही दिख रही थी. रोहित का डर के मार बुरा हाल था. उससे पता चल गया था कि हो ना हो, यह वही जीव है जिसने रणवीर की लॅब तबाह करी थी और अब वो इन सब को लेने आया है. अपनी जान बचाने के लिए रोहित छत पर ही थोड़ा झुक गया. और रह रह कर उस आदमी की तरफ देखता था. अब की बार जब रोहित की नज़र उस आदमी की तरफ गयी तो उसने पाया कि वो भी रोहित को ही देख रहा है. डर के मारे रोहित की हालत और पतली हो गयी और वो सोचने लगा कि अब क्या किया जाए. इससे पहले वो कुछ सोच पाता, अगले ही पल वो जीव भी छत के उपर था.

रोहित उसकी शकल देखने लगा. देखने में वो बिल्कुल एक नॉर्मल इंसान लग रहा था. शायद यहाँ आते वक़्त किसी की शकल देख कर उसने वैसा सा रूप धारण किया था. उसकी आँखों में एक अजीब सी हलचल थी. देखते ही देखते उसकी आँखें नॉर्मल आदमियों की आँख की बजाए पूरी काली हो गयी. रोहित को अब समझ में आ गया था कि उसको यहाँ से भागना ही पड़ेगा. उसने नीचे जंप लगाई और उड़ के आगे हो लिया. तभी उसने पाया कि उसके पैरों को कोई चीज़ जकड़े हुई है. पीछे मूड कर देखा तो वो उस जीव का हाथ था. हालाँकि रोहित उससे लगभग 20 फीट दूर था, लेकिन उसके हाथ फिर भी रोहित का पैर पकड़े हुए थे. रोहित ज़ोर ज़ोर से "बचाओ बचाओ" चिल्लाने लगा. वो अपनी पूरी कोशिश करने के बावजूद भी आगे नही उड़ पा रहा था और एक ही जगह पर स्टेशनरी हुआ पड़ा था. फिर धीरे धीरे वो उस जीव की तरफ जाने लगा. उसने चीखना बंद नही किया था. तभी उसने देखा दरवाज़ा खुला और बिट्टू भागता हुआ बाहर आया. छत से पतंग की हालत में बँधे रोहित को देख कर बिट्टू की भी फॅट गयी. उसको कुछ पल लगे यह समझने में कि रोहित किसी रस्सी से नही, उस जीव के हाथ से बँधा हुआ है. बिट्टू ने आस पास नज़र दौड़ाई और एक बड़ा सा पत्थर उठा लिया. उसने वो खीच के उस आदमी को मारा. पत्थर तो उसे लगा नही लेकिन उसका ध्यान थोड़ा बँट गया. ध्यान बँट-ते ही उसकी पकड़ थोड़ी ढीली पड़ी और रोहित छूट निकला.

अब उस जीव का ध्यान बिट्टू की ओर गया. वो कूद के नीचे आया और भाग के बिट्टू से टकराया. बिट्टू ने अपने आप को बचाने की कोशिश करी पर बचा ना पाया. लेकिन उस तेज़ टक्कर से वही हुआ जो ट्रक के साथ हुआ था. बिट्टू वहीं का वहीं खड़ा रहा और वो जीव कराहता हुआ दूर जा गिरा. इससे पहले बिट्टू कुछ समझ पाता, रोहित ने उसे पकड़ा और अपने साथ तेज़ी से कहीं ले कर जाने लगा.

"कहाँ जा रहा है..." बिट्टू ने उसे पूछा

"कहीं दूर. यहाँ रहना सेफ नही है"

"अर्रे घर में अंकल, आंटी, दिया और तान्या भी हैं.. हमे उनको बचाना चाहिए"

"पहले अपने आप को बचाओ, फिर दूसरों को बचाएँगे.. हम ने ठेका नही ले रखा है उनका."

"रोहित कमऑन. पागल हो गया है क्या.. हमारे फिर भी कुछ पवर्स हैं.. पता नही उनका क्या होगा."

पता नही रोहित को क्या सूझी कि वो भी वापस मूड गया. शायद उसमें थोड़ा कॉन्फिडेन्स आ गया था कि वो लोग उस जीव को हरा सकते हैं. उसने अपनी स्पीड बहुत तेज़ कर दी. तेज़ी से उड़ता हुआ वो जब वापस पहुँचा तो उसने देखा कि वो जीव अभी भी उपर देख रहा है... उसने पूरे ज़ोर से बिट्टू को उसकी तरफ फेंक दिया. बिट्टू ज़ोर से जाकर उस जीव पे गिरा और उस जीव की थोड़ी सी टांगे ज़मीन में धस गयी. बिट्टू बेतहाशा आँखें बंद कर के उस जीव पे मुक्कों की बरसात करने लगा. अब रोहित भी नीचे उतर आया और दोनो उस जीव को मारने लगे. वो जीव थोड़ा निढाल पड़ गया था और अजीब सी आवाज़ें निकाल रहा था. थोड़ी देर और मार खाने के बाद उस जीव के अंदर से खून जैसा कोई पदार्थ निकला जिसने बिट्टू और रोहित के हाथों को जलाना शुरू कर दिया. चीख मार के रोहित साइड पे हुआ लेकिन बिट्टू पे इसका असर नही हुआ. तब तक घर के अंदर से सभी बाहर आ गये और वो नज़ारा देखने लगे.
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Re: परदेसी

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फिर उस जीव के अंदर से दो और हाथ निकले जिन्होने बिट्टू को जकड लिया. बिट्टू बुरी तरह से छटपटाने लगा. फिर उस जीव ने बिट्टू को अपने से दूर फेंक दिया. बिट्टू का सर जा कर दीवार से लगा जिससे उसको चक्कर आने लगे और वो ज़मीन पर पस्त हो गया. रोहित भी तब तक अपने आप को संभाल चुका था. जीव को बिट्टू की तरफ बढ़ते देख, उसने फिर उड़ के बिट्टू को उठा लिया और थोड़ी दूर ले गया. जीव ने फिर से अपने हाथ बढ़ाए और रोहित को पकड़ा और तेज़ी से अपने पास खीचने लगा. यह देख तान्या भी हरकत में आई और उसने अपनी पवर से उस जीव को उपर उठा लिया. हड़बड़ा कर उस जीव ने रोहित को छोड़ दिया. रोहित का बॅलेन्स ठीक नही रहा और वो जा कर दीवार से भिड़ गया और बेहोश हो कर बिट्टू के साथ नीचे गिर गया. तान्या ने उस जीव को हवा में गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया. फिर उसने देखा कि जीव के चारों हाथ उसको पकड़ने के लिए उसके पास आ रहे हैं. उसने अपनी आखें बंद कर दी और पूरी तरह से कॉन्सेंट्रेट करने लगी. उस जीव के 3 हाथ तान्या के आर पार हो गये लेकिन चौथे ने उसको पैर से पकड़ लिया. तान्या का ध्यान टूटा और वो जीव धम्म से नीचे आ गिरा. नीचे गिरने की साथ ही उसके चारों हाथ वापस रिट्रेट हुए और उसके अंदर घुस गये. वो निढाल हो कर ज़मीन पर पड़ा हुआ था जैसे मर गया हो.

"लगता है वो मर गया. " दिया उसके पास जाते हुए बोली

"दिया उसके पास मत जाना... रोहित और बिट्टू को देखो" तान्या चिल्लाई लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. उस जीव के दो हाथ तेज़ी से निकले और दिया को जकड लिया. जैसे ही वो हाथ दिया से टकराए, उनमें तेज़ करेंट दौड़ गया. उस जीव ने अपने दोनो हाथ जल्दी से पीछे खीचे और दिया को छोड़ दिया... दिया ने पूरी कॉन्सेंट्रेशन के साथ अपनी सारी पवर इकट्ठी करने की कोशिश करी और एक तेज़ बिजली का झटका उस जीव की तरफ फेंका. अजीब सी आवाज़ निकाल कर वो जीव जा कर उस जलते पेड़ से टकराया जो गिर गया और चारों ओर आग ही आग हो गयी. यह देख कर वो जीव थोड़ा घबरा गया और जल्दी से खड़ा हो कर भाग निकला. उस जीव को भागता देख सब लोग बिट्टू और रोहित की तरफ गये. बिट्टू अपना सर पक्कड़ कर बैठा था पर रोहित अभी तक बेहोश था. तभी सारा माहौल फाइयर ब्रिगेड के साइरेन्स से गूँज उठा. बिट्टू ने रोहित को उठाया और सब लोग घर के अंदर आ गये

जब सब सकुशल अंदर पहुँच गये तो उनकी जान में जान आई.

"अंकल देखो ना रोहित को क्या हो गया है... साँसें तो चल रही हैं पर उठ नही रहा है.." बिट्टू बोला

"बेहोश हो गया होगा बेटा.. वहाँ सोफे पे रखो मैं देखता हूँ" अंकल ने कहा तो बिट्टू ने रोहित को सोफे पे रख दिया और अंकल उसको टटोलने लगे..."लगता है सर पे चोट लगी है.. थोड़ी आइस ले आओ.. अगर थोड़ी देर में होश नही आया तो लगता है के हॉस्पिटल ले कर जाना पड़ेगा"

"मैं लाता हूँ आइस" कहता हुआ बिट्टू किचन की तरफ भागा और जल्द ही आइस ट्रे ले आया. एक नॅपकिन में थोड़े आइस क्यूब लपेट कर फिर अंकल रोहित के सर पर ठंडक पहुँचने की कोशिश करने लगे

"आंटी एक बात पूछूँ.." थोड़ी देर में बिट्टू बोला

"प..प्प..पूछो ब्ब.. बेटा" आंटी बोली.. वो अभी तक उस हादसे से थोड़ा हिली हुई थी

"जी वो फ्रिज में जलेबियाँ पड़ी हुई हैं... ज़्यादा पुरानी तो नही हैं?"

उसका यह कहना था के सब उसकी तरफ घूर घूर के देखने लग गये. "खाना खाना खाना... और कुछ सूझता है क्या तुम्हें.. पूरा वक़्त बस खाने की फिकर करते रहते हो तुम बिट्टू.. ग्रो अप..." गुस्से में तान्या बोली

"अर्रे ग्रो होने के लिए ही तो खाना ज़रूरी होता है.. और तुम्हें क्यूँ मिर्ची लग रही है.. तुम मत खाना... मेरे जलेबियाँ खाने या ना खाने से रोहित की हालत पर तो कुछ असर होने नही वाला... तुम चुप ही अच्छी लगती हो.. हर बात में टाँग मत अड़ाया करो... हां तो आंटी आपने बताया नही"

"बेटा कल शाम की हैं...." थोड़ा झिझकते हुए आंटी ने बोला..

"ठीक है तो फिर मैं ले आता हूँ.. कुछ पेट में जाएगा तो दिमाग़ भी चलेगा..." बिट्टू बोला

"हम अभी थोड़ी देर पहले ही खाना खा के हटे हैं बिट्टू... पेट में बहुत कुछ है" दिया बोली

"यार क्या है तुम लड़कियों के साथ... तुम्हें भी नहीं मिलेंगी अब जलेबियाँ.." कहता हुआ बिट्टू उठा और फ्रिज से जा कर पॅकेट उठा के ले आया और खाने लगा... "चलो अब एक बात तो बिल्कुल क्लियर है कि हम सब लोगोंके पास कोई ना कोई पॉवेर है.. "

"हां.. और अब लगता है के जो पापा ने बात बताई थी उसपे विश्वास करने के सिवा हमारे पास और कोई चारा भी नही है..."

"हां और अब सवाल यह उठता है कि आगे किया क्या जाए... मुझे यकीन है कि जीव इतनी आसानी से हार तो मानेगा नही.. इस बार वो और भी ज़्यादा तय्यारी के साथ वापस आएगा" तान्या बोली

"हां. और हमे भी इस बार उसके लिए तय्यार रहना पड़ेगा.. हमे.." बिट्टू का सेंटेन्स बीच में ही रुक गया जब उसको रोहित की आह सुनाई दी.. "अर्रे रोहित को होश आ रहा है" कह कर वो उसके पास हो गया

"सर घूम रहा है मेरा" रोहित अपना सर पकड़ के बोला

"ले थोड़ी जलेबी खा ले"

"वो गया क्या..."

"हां.. भगा दिया उसको हम ने.... तू जलेबी खा ना" बिट्टू ने फिर से पॅकेट उसकी तरफ करते हुए बोला"

"अर्रे नहीं खानी यार तेरी जलेबी.. दूर कर.. और मेरे सर पे मत बैठ.." गुस्से में रोहित ने बिट्टू के हाथ को धकेला जिससे पॅकेट नीचे गिर गया और जलेबियाँ फर्श पे बिखर गयी

"यार क्या दुश्मनी है तुम लोगों की जलेबी से.. नही खाना था तो मत खाता साले अब मैं भी नही खा पाउन्गा... कैसा दोस्त है तू.. उठा के तुझे अंदर मैं लाया और उसके बदले में तूने जलेबियाँ गिरा दी..."

"बिट्टू मेरा सर फॅट रहा है तू चुप हो जा अभी !!" रोहित ने चिल्लाते हुए कहा..

"हॅना हां छोड़ अब इस बात को.. अर्रे आंटी आप ज़हमत मत उठाओ... मैं क्लीन करता हूँ ना" आंटी को नीचे झुकते हुए देख बिट्टू बोला.." इनफॅक्ट तान्या क्लीन कर देगी उसकी पवर से तो उसे झुकना भी नही पड़ेगा.. हैं ना तान्या... अर्रे ऐसे मत घूर मुझे.. सीरीयस बात चल रही है.. जल्दी से उठा दे.. कुछ तो कन्स्ट्रक्टिव यूज़ कर पवर्स का... हां तो अंकल आगे का क्या प्लान है.. क्या करना चाहिए हम को.. आप थोड़ा मार्ग दर्शन कीजिए"

"बेटा बात तो यह है कि इस बारे में मैं भी तुम लोगों जितना क्लूलेस ही हूँ. रणवीर ने मुझे बोला था के वो यहाँ आ रहा है... तो मुझे लगता है कि उसके यहाँ आने का इंतेज़ार करना चाहिए हमे... शायद वो ही बता सकता है कि आगे क्या करें"

"मुझे भी यही ठीक लगता है.. शायद वो जीव इतनी जल्दी वापस हमला नही करेगा... हमे रणवीर का इंतेज़ार करना चाहिए" तान्या बोली

"अर्रे ज़िंदगी हमारी है.. इसके बारे में फ़ैसला लेने वाला रणवीर कौन होता है... ज़रूर उसने एक्सपेरिमेंट्स करके ही हमे बनाया है पर इसका यह मतलब नही है कि हम पूरी तरह से उसके हो गये हैं.. उसी की वजह से आज हम इस मुश्किल में फसे हैं... मेरा मान-ना है कि हमे जो करना है जल्द से जल्द करना चाहिए. जब तक वो जीव अपना होश संभाले, हमे यहाँ से निकल लेना चाहिए." बिट्टू बोला

"भागना इस मुसीबत का हल नही है बिट्टू. जैसे उसने हमे यहाँ ढूँढ लिया है, हो सकता है 2 दिन में कहीं से भी ढूँढ ले...

तान्या और पापा सच कह रहे हैं.. इस बारे में रणवीर की राई बहुत इंपॉर्टेंट है... हमे उसका इंतेज़ार करना चाहिए.. वैसे भी मुझे लगता नही है कि रोहित अभी कहीं जाने की हालत में है..." दिया बोली

"जैसी तुम्हारी मर्ज़ी आए तुम करो.. मैं तो यहाँ से निकल रहा हूँ.. तुम लोगों के भेजे में एक सीधी बात भी नही पड़ती..." बिट्टू ने गुस्से में कहा

"बिट्टू सीधी बात तुम्हारे भेजे में नही पड़ रही है.. क्यूँ हर चीज़ में इतना ज़िद्दी हो कर मनमानी करने की कोशिश करते हो तुम.. तुमने देख लिया है कि हम चारों को मिल के भी उस जीव का सामना करने में कितनी मुश्किल थी... अब जब वो हमारी पवर्स जान गया है तो और भयंकर बन के आएगा अगली बार.."

"विच ईज़ एग्ज़ॅक्ट्ली माइ पॉइंट तान्या... मुझे नही लगता कि हम उससे जीत सकते हैं.. हमे उसका काम मुश्किल करना है और यह तभी होगा जब हम यहाँ नही होंगे.. हम किसी चूहे की तरह बिल में दुबक कर मौत का इंतेज़ार नही कर सकते. चारों अलग अलग दिशा में जाएँगे तो उसको 4 गुना ज़्यादा परेशानी होगी हमे अगवा करने में.. खैर मैं तुमसे कोई बहेस नही करना चाहता.. तुम्हें जो करना है करो.. मैं यहाँ से जा रहा हूँ और जल्द ही यह देश भी छोड़ दूँगा" कहता हुआ बिट्टू पीछे मूड गया

"कोई कहीं नही जा रहा जब तक रणवीर नही आता आंड थ्ट्स फाइनल बिट्टू" कहते हुए तान्या ने अपनी पवर्स से बिट्टू को हवा में उठा लिया.

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इस बात को आज 1 साल बीत चुका था. लेकिन फिर भी इस घटना का हर एक व्याख्या बिट्टू के दिमाग़ में एकदम फ्रेश था जैसे यह कल की ही बात हो. दिया का उसको तान्या से बचाना और फिर उसको समझाना कि ऐसे भाग के कुछ फ़ायदा नहीं है क्यूंकी नयी ज़िंदगी शुरू करने के लिए सबसे इंपॉर्टेंट चीज़ उनके पास नही है - पैसा. वैसे भी अगर इस ग्रूप में से कोई भी तब चला जाता और वो जीव वापस अटॅक कर देता तो उसको रोकना नामुमकिन हो जाता. यही बात सुनकर बिट्टू वहाँ रुक गया था और आज उसको लग रहा था कि उसने सही काम किया वहाँ रुक कर.

2 घंटे के अंदर रणवीर वहाँ पहुँच गया था सोनिया के साथ. उसने वापस वही सब बातें उन चारों को बताई और उनको हेल्प करने में कोई भी सहयता करने में असमर्थता जताई. वो सिर्फ़ थोड़े पैसे दे सकता था जिनसे वो लोग अपनी नयी ज़िंदगी शुरू कर सकते थे. काफ़ी सोच विचार करने के बाद एक फ़ैसला हुआ था - 8 लोगों के 4 ग्रूप्स बनेंगे जो दुनिया के अलग अलग कोने में जाएँगे. 2 ग्रूप्स तो बिल्कुल डिसाइडेड थे - रणवीर और सोनिया का एक ओर दिया के मम्मी और पापा का एक. बाकी 2 ग्रूप्स डिसाइड करने में काफ़ी देर लगी. इससकी वजह थी इन लोगों की अलग अलग पवर. रणवीर का मान-ना था कि क्यूंकी बिट्टू और रोहित के पास सिर्फ़ डिफेन्सिव पवर्स थी, इसलिए उन दोनों को साथ रहना चाहिए ताकि एक दूसरे को बचा सकें उस जीव से. तान्या और दिया साथ रह कर उस जीव को ढूँढ कर ख़तम करने की कोशिश कर सकती थी. लेकिन यह प्लान तब फैल हो गया जब उन चारों ने यह इच्छा ज़ाहिर करी कि उस जीव को मार कर कोई फ़ायदा नही होगा. क्या पता कितने और जीव इस वॉट धरती की तरफ बढ़ रहे हो. काफ़ी समय तक माथापच्ची करने के बाद और बिट्टू और दिया के साथ रहने के फ़ैसले पर अडिग होने के बाद, बिट्टू और दिया और रोहित और तान्या के ग्रूप बन गये. रणवीर ने अपने कॉंटॅक्ट्स यूज़ कर के रात-ओ-रात आठों लोगों के लिए नयी पहचान के पासपोर्ट्स, डॉक्युमेंट्स एट्सेटरा तय्यार करवा लिए और अगली ही सुबह सब अपनी अपनी नयी डेस्टिनेशन्स की तरफ चल पड़े. डिसाइड यह हुआ था कि कोई भी किसी दूसरे को कॉंटॅक्ट करने की कोशिश नही करेगा. रणवीर ने अपना एनक्रिपटेड एमाइल अड्रेस सब को दे दिया था और सिर्फ़ कोई मुसीबत आने पर वहाँ पर कॉंटॅक्ट करने के लिए बोला था.
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