परदेसी complete

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Sexi Rebel
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Re: परदेसी

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विदाई का समय सब के लिए बहुत ही दुख भरा था. अपने सारे परिवार, दोस्तों को छोड़ कर एक नयी ज़िंदगी शुरू करना उन्हें बहुत मुश्किल लग रहा था. पर वक़्त के साथ साथ सब मुश्किले हल हो ही जाती हैं. बिट्टू और दिया एक छोटे से आइलॅंड पर शिफ्ट हो गये. दुनिया से दूर यह आइलॅंड मेन्ली टूरिस्ट्स के लिए था. वहाँ पर रहने वाला हर एक बंदा टूरिस्ट्स के लिए ही कोई ना कोई सर्विस चलाता था. बिट्टू और दिया ने भी अपना एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोल लिया था. आज उन दोनो की शादी थी जिसके कारण बिट्टू यह सब पुरानी बातें याद कर रहा था. 20 साल की छोटी सी उमर में आज बिट्टू एक लड़के से आदमी बनने जा रहा था. उसको अजीब तो बहुत लग रहा था पर इस बात की बहुत खुशी थी कि जिसको प्यार किया उसी के साथ शादी कर रहा है. एक महीने पहले ही उसने दिया को प्रपोज़ किया था और दिया ने झट से हां कर दी थी. पिछला एक साल उन दोनो के लिए बहुत मुश्किल गुज़रा था. इतनी सी उमर में इतनी सारी ज़िम्मेदारी टूट पड़ने से दोनो जैसे टूट ही गये थे.

कभी कभी तो दोनों साथ बैठ कर सोचते थे कि ऐसा उन के साथ ही क्यूँ हुआ.. क्यूँ जिस उमर में उनको दुनिया देखनी चाहिए थी, उसी उमर में दुनिया को बचाने की इतनी बड़ी रेस्पॉन्सिबिलिटी उनके उपर आ गयी है. ऐसे समय में दोनो एक दूसरे का सहारा बनते और यह आश्वासन दिलाते के यह दिन भी बीत ही जाएँगे. यही कारण था कि जब उनका रेस्टोरेंट का बिज़्नेस अब चल पड़ा था तो बिट्टू ने ज़रा भी देर नही करी. जिस साथी ने उसका बुरे वक्त में साथ दिया, वो चाहता था कि सही वक़्त की शुरुआत से ही दोनो एक अटूट बंधन में बँध जायें.

पिछले एक साल से रणवीर को किसी ने भी कॉंटॅक्ट नही किया था जिससे वो बहुत खुश था. उसको विश्वास होने लगा था कि वो एलीयन वापस भाग गया है और शायद कभी भी लौट कर नही आएगा. आएगा भी तो इन लोगों को ढूँढने में उसको बहुत कठिनाई होगी. उस ने भी सोनिया से शादी कर ली थी और दोनो अपने बचाए पैसों के सहारे आराम से जी रहे थे. उन का प्यार पिछले एक साल में और भी बहुत बढ़ गया और दोनो अपनी ज़िंदगी से बहुत खुश थे. एक साल बाद जब उस ईमेल आइडी पर एक मैल आया तो रणवीर बहुत घबरा गया. काँपते हाथों से उसने वो ईमेल खोला और उसे पढ़ कर उसके चेहरे पर एक मुस्कान छा गयी
"सोनिया... यहाँ आओ तो ज़रा.. यह देखो"

"हां रणवीर" सोनिया ने उसके पास आ कर कहा

"देखो बिट्टू और दिया ने शादी कर ली है.. फोटोस भेजी हैं अपनी" और वो फोटोस देखने लगे

"कितने सुंदर लग रहे हैं दोनो.. एक साल में बहुत बदल गया है बिट्टू तो"

"हां.. मुझे लगता है ज़िंदगी ने इसको जीना सीखा दिया है. कितना मेच्यूर लग रहा है.. दिया भी कितनी सुंदर लग रही है... दोनो कितने खुश लग रहे हैं"

"बिल्कुल हमारी तरह रणवीर. सच बताऊ तो मैं इस बात से बहुत खुश हूँ कि तुमने वो सब पीछे छोड़ दिया और आराम से हम अब साथ रह रहे हैं... मैं रोज़ खुदा का इस बात के लिए शूकर करती हूँ" सोनिया ने रणवीर को अपनी बाहों के घेरे में लेकर चूमते हुए कहा. रणवीर के प्यार ने उसकी ज़िंदगी के वो सब शिकवे मिटा दिए थे जो कभी उससे थे. अपना घर, जिसमें सिर्फ़ वो दोनो हो.. बस एक औलाद की कमी उसको पूरा वक्त खलती थी पर उससे पता था कि इस उमर में ट्राइ करना भी बेकार होगा क्यूंकी वो बच्चा शायद ना कॅरी कर पाए. वैसे भी वो अपनी ज़िंदगी से बहुत खुश थे और अभी कोई रिस्क नही लेना चाहते थे.

तान्या और रोहित की ज़िंदगी सबसे उलट गुज़र रही थी. दोनो साथ तो रहते थे लेकिन अब एक दूसरे को फूटी आँख नही भाते थे. जब से तान्या ने रोहित पर चोरी करने का प्रेशर डालना शुरू किया था, रोहित उससे एक दूरी बनाने लग गया था. जिन वॅल्यूस के साथ उसकी परवरिश करी गयी थी, वो कतयि यह इजाज़त नही देती थी कि अपने फ़ायदे के लिए किसी दूसरे का नुकसान करो. और सिर्फ़ क्यूंकी उनमें स्पेशल पवर्स थी, इसका यह मतलब नही था कि वो दुनिया को अपने इशारों पर नचाए. रोहित ने कॉलेज जाय्न किया हुआ था जहाँ से वो अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था. पार्ट टाइम में छोटी मोटी नौकरी कर के वो अपना पेट पाले हुए था. उसको पैसों की कमी से इतना दुख नही होता था जितना तान्या के रवैय्ये से होता था. वो तान्या जो कभी उस पर जान तक न्योछावर करने को तय्यार थी, आज उसकी तरफ देखती भी नही थी. ऐसा नही था कि रोहित को उससे बहुत प्यार हो गया था या उसके प्यार को तरस रहा था, पर यह बात उसको हमेशा अंदर ही अंदर कचोट-ती थी कि लोग इतना मतलबी कैसे हो सकते हैं. क्या उसकी किस्मत में यही था कि वो अपने सिद्धांतो के कारण एक अच्छी दोस्त खो बैठे??

इस मुश्किल के समय में उसकी ज़िंदगी में अली आया. प्यार से लोग उसको मेरियाइज़ा कहते थे. छोटा नाम होने के बावजूद लोग उससे बड़े नाम से संबोधित क्यूँ करते थे, यह तो अली को भी नही मालूम था पर रोहित उसको पहली ही नज़र में भा गया था. रोहित उसको एक अच्छे दोस्त की तरह ही ट्रीट करता था लेकिन अली उस से मन ही मन प्यार कर बैठा था. उसको मालूम था कि इस प्यार को दुनिया की मंज़ूरी नही मिलेगी लेकिन उसका दिल इस मामले में उसके दिमाग़ से कहीं आगे था. रोहित भी कयि बार यह सोचता था कि अगर अली ना होता तो उसका क्या होता. अली एक दिए की तरह था तो उसकी ज़िंदगी के सबसे अंधेरे समय में उसके साथ रहा और उसका मार्गदर्शन किया. वो अली को अपना बहुत ख़ास दोस्त मानता था और उसके लिए कुछ भी करने को तय्यार था.

बहुत ज़्यादा तो नही, पर तान्या अपनी ज़िंदगी से खुश थी. छोटी-मोटी चोरियाँ करके उसके पास बहुत पैसा आ जाता था. जब भी पैसे की ज़रूरत पड़ी, वो एक छोटा हाथ मार लेती. उसका दिमाग़ बहुत गरम हुआ था जब रोहित ने उसको मना कर दिया था. कितने ख्वाब बुने थे उसने अपने और रोहित के लिए. क्या क्या नही कर सकते थे वो दोनो अगर साथ हो तो. लेकिन एक रोहित था जो किसी पुरानी हिन्दी फिल्म के सिद्धांतवादी बाप के रोल से परे नही हट रहा था. कितना भी मनाने की कोशिश करो, उसका वही घिसा पिटा "वॅल्यूस" वाला टेप शुरू हो जाता था. वो उन लोगों में से तो था जो दुनिया के तलवों के नीचे आने को तय्यार थे लेकिन थोड़ी सी भी हेरा फेरी जिन्हे मंज़ूर नही थी. खैर, तान्या आराम से उस के साथ रहती. उसकी खूबसूरती बढ़ती जा रही थी. जहाँ फ्लॅट के एक ओर रोहित रात को काम से थक कर वापस आता, वहीं दूसरी ओर तान्या हर दूसरे दिन किसी नये लड़के के साथ नशे में झूमती हुई आती. यह ज़िंदगी उसको बहुत पसंद आ रही थी. ना कोई कमिटमेंट, ना कुछ - बस हर रात एक नया मज़ा. उस रात भी वो दारू के नशे में धुत्त बार में बैठी थी जब उसने एक आदमी को आते देखा. अजीब सी सादगी थी उसके चेहरे में. तान्या ने अपनी आज की रात उसी के नाम करने की सोची. जब उस आदमी ने थोड़े पेग पी लिए तो तान्या उसके पास जा कर बैठ गयी, पर उसने बिल्कुल ध्यान नही दिया. तान्या के साथ ऐसा पहली बार हुआ था नही तो उसकी सुंदरता को देख कर हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था. किसी तरह से उसने उस लड़के से बात करनी शुरू करी तो पता चला कि उसका नाम विकास है. वो काफ़ी शरमा रहा था उससे बात करते हुए और थोड़ी ही देर में झूमता हुआ चल पड़ा बार से बाहर.


ऐसी हार तान्या को कतयि मंज़ूर नही थी. उसने भी अपना बिल दिया और जल्दी से बार से बाहर निकली. इधर उधर उसने नज़र घुमाई तो विकास उसे कहीं ना दिखा. तभी खंबे के सहारे खड़े एक आदमी पर उसकी निगाह गयी. वो आदमी लड़खड़ाते हुए सड़क क्रॉस करने लगा. तभी तान्या ने देखा कि सामने से एक ट्रक आ रहा है. यह पक्का था कि ट्रक की भिड़ंत उस आदमी को जान से मार ही देगी क्यूंकी समय रहते वो आदमी रोड क्रॉस नही कर पा रहा था. तान्या ने अपनी पवर्स से ट्रक को रोकने की कोशिश करी. फुल स्पीड में आता ट्रक काफ़ी रुक गया था पर तान्या के भी नशे में होने के कारण, पूरी तरह से नही रुका और उस आदमी को टक्कर मार ही दी. वो आदमी थोड़ी दूर जा कर गिरा और तान्या ने ट्रक पे से पवर्स हटा दी. थोड़ी पास जा के देखा तो वो आदमी विकास ही था. आँखों मे उसे ना बचा पाने के आँसू ले कर तान्या उस दिन अकेले ही घर चल पड़ी

घबरा कर तान्या घर में घुसी और फूट फूट कर रोने लगी. उसने पहले भी कई मौतें देखी थी, पर पता नहीं क्यूँ, इस मौत ने उसे हिला दिया था. एक तरह से इस हादसे ने उसे दर्शा दिया था कि हर चीज़ जैसे वो चाहती है, वैसे नहीं हो सकती. पिछले एक साल से जिस बेफिक्री के किले में वो घूम रही थी, आज उसकी दीवारें शायद कुछ कमज़ोर पड़ गयी थी. उसको एहसास हो रहा था कि जिन पवर्स पे उसको इतना गुमान था, वो भी कोई गॅरेंटी नही दे सकती थी उसकी सेफ्टी की. आज वो बहुत ही वल्नरबल महसूस कर रही थी. उसको इस हालत में देख रोहित दौड़ा चला आया.

"क्या हुआ तान्या..." उसने बड़ी ही चिंता से पूछा. उसे किसी अनहोनी हो जाने की शंका थी

"रोहित वो.. वो.. वो..." इतना ही कह पाई तान्या और फिर फूट फूट के रोने लगी

"तान्या क्या हुआ.. कुछ बताओगी भी" उसको चुप ना होते देख रोहित और अधीर होता जा रहा था

"वो .. वो वहाँ.. शसड़क पे..." इतना ही कह पाई तान्या के आँसुओं का सैलाब फिर उमड़ पड़ा और वो रोहित से चिपक गयी. रोहित को लग गया था कि तान्या इतनी आराम से चुप होने वाली नहीं है. वो उसको सहारा दे कर धीरे धीरे उसके बालों में हाथ फेरने लगा

"चुप हो जाओ तान्या. कुछ नही हुआ. एवेरितिंग ईज़ ऑलराइट. हिम्मत रखो.. और भगवान के लिए बताओ कि हुआ क्या है"

"वो.. वो आक्सिडेंट.."

"बस तान्या इतनी सी बात... इस देश की आबादी इतनी है कि हर पल सेकड़ों आक्सिडेंट होते हैं.. एक तुमने देख लिया तो क्या हुआ... यह कैसी तान्या है जो एक आक्सिडेंट देख कर इतना घबरा गयी है... जिस तान्या को मैं जानता हूँ वो तो बहुत ही बहादुर और निडर है.. चलो अब आँसू पोछो अपने" उसने तान्या को दिलासा देते हुए कहा

थोड़ा होसला रख कर तान्या ने भी अपना सर उसके कंधे से उपर उठाया और वहाँ अली को खड़ा देखकर एकदम चोंक गयी. अली का मूह ऐसे खुला हुआ था जैसे उसने किसी बकरी को भरतनाट्यम करते हुए देख लिया हो. उसकी ऐसी शकल देख कर अचानक से ही तान्या की हसी निकल गयी जिससे उसको हिचकियाँ लग गयी..

"इसे क्या हो गया" उसने वापस रोहित के कंधे पर सर रखते हुए कहा. रोहित पीछे मुड़ा और अली की शकल देख कर उसको भी हसी आ गयी

"अबे ऐसे क्या देख रहा है.. मेरी रूम मेट है.. यार थोड़ा पानी ले आ ना अंदर से.. "

"कौन है यह.." तान्या ने पूछा

"अली है" रोहित ने उत्तर दिया. तब तक पानी भी आ गया और तान्या को पानी पी कर थोड़ा होसला आया

"यार रोहित मैं चलता हूँ. मुझे लगता नही है कि अभी यहाँ रहना ठीक होगा... कल मिलते हैं"

"ओके अली.. गुड नाइट" रोहित ने उसको रोकने की कोशिश भी नही करी जिससे अली का दिल थोड़ा और टूट गया.

"कौन अली?" उसके जाने के बाद तान्या ने पूछा
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Re: परदेसी

Post by Sexi Rebel »

"दोस्त है मेरा... मेरा एकलौता दोस्त" रोहित ने ये कहा तो तान्या को थोड़ा बुरा लगा जो उसके चेहरे से सॉफ झलक रहा था... "ऐसे मत देखो तान्या.. सच ही तो कह रहा हूँ मैं... हम दोनो में जो था, वो ख़तम हो चुका है.. तुम्हें याद भी है तुमने आखरी बार मुझसे कब बात की थी? मैं ज़िंदा हूँ या नही .. तुम्हें इससे कोई फरक नही पड़ता. यह हमारी मजबूरी ही है जिसके कारण हम दोनो साथ रह रहे हैं.. नही तो मैं यहाँ एक पल भी ना रुकता. लेकिन जब ज़रूरी है ही कि हम दोनो साथ रहेंगे तो क्यूँ ना यह एक्सपीरियेन्स दोनो के लिए कम से कम पेनफुल बनाया जाए - सोचा है कभी तुमने ऐसा?? एक छत के नीचे रहते हुए भी तुम मुझे एक अजनबी की तरह ट्रीट करती हो. मैं यह नही कहता कि मुझसे प्यार करो या अपनी ज़िंदगी मेरे नाम लिख दो. लेकिन कभी कभार आते जाते अगर दिख जाउ तो हाल चाल ही पूछ लो.. किसी दूसरी दुनिया में रहती हो तुम ऐसा लगता है.. मेरी तरफ देख लोगि तो गंदी हो जाओगी. माना के हमारा रहने का तरीका अलग है, हमारी ज़िंदगी के बारे में राय अलग है, लेकिन इसका यह मतलब थोड़े है कि हम दोनो दोस्त नही हो सकते. अब चाहे मजबूरी हो या हमारी पसंद, दोस्ती तो बढ़ने से ही बढ़ेगी. यह एक ऐसा पौधा है जो कुछ ही देर में मुरझा जाता है अगर सही देखभाल ना करें तो. और हमारा पौधा तो शायद साल भर पहले ही मुरझा चुका है तान्या. बस बात इतनी सी है कि यह बात तुम्हें शायद रीयलाइज़ नही हुई.. या यह कहें कि इस बात से तुम्हें कुछ फरक नही पड़ा"

रोहित को इस तरह से बोलते देख तान्या सच मुच हक्की बक्की रह गयी. सच ही कह रहा था वो. उसको पता थोड़े था कि तान्या ने अपने स्वार्थ के कारण ही उससे दोस्ती करी थी और मतलब ना निकलने पर चाइ में से निकली मक्खी की तरह अपने जीवन से अलग कर दिया था. लेकिन आज तान्या को वापस रीयलाइज़ हुआ था कि वो अकेले शायद कुछ बड़ा नही कर सकती. कुछ करना तो दूर, अपनी जान के भी लाले पड़ सकते थे उसे. इसलिए आज उसने डिसाइड कर लिया कि जो भी हो, रोहित से दोस्ती वापस करनी ही पड़ेगी. लेकिन इस बार वो पिछली बार जैसी ग़लती नहीं करेगी. इस बार वो सब बात धीरे धीरे आगे बढ़ाएगी, ऐसा उसने मन ही मन सोचा और वो अपनी आखें नम कर के रोहित से लिपट गयी.


"आइ आम वेरी सॉरी रोहित. लालच ने मुझे अँधा कर दिया था. आइ प्रॉमिस यू कि अब तुम्हें शिकायत का मौका नही मिलेगा. मुझे अपनी ज़िंदगी में हमेशा से एक कमी महसूस हुई है. शायद बचपन में ही माँ बाप का प्यार छिन जाने से. और आज मुझे रीयलाइज़ हुआ है कि वो कमी तुम जैसा दोस्त ही पूरा कर सकता है रोहित. मैं सच में अपने किए पर बहुत शर्मिंदा हूँ"

"अच्छा तान्या, अब रात बहुत हो गयी है और मुझे लगता है कि तुमने आज पी भी बहुत ली है. अब तुम सो जाओ. कल बात करेंगे. मुझे भी अपने कॉलेज के थोड़े असाइनमेंट्स पूरे करने हैं. गुड नाइट"

"गुड नाइट" तान्या बोली और अपने कमरे में सोने चले गयी. रोहित भी कुछ देर अपना काम करता रहा और उसके बाद सोने चला गया
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Re: परदेसी

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Nice work plz continue
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