परदेसी complete

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Sexi Rebel
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Re: परदेसी

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आइए इधर बिट्टू की तरफ की कुछ जानकारी ले लेते है

"बेटा क्या हुआ" बिट्टू को हॅपी को ले कर आते देख उसके बाप ने पूछा

"हॅपी थोड़ा बाइक से फिसल गया था, कुछ नही हुआ. सब ठीक है" उसने अपने पापा को बोला. "उसके घर पे फोन कर के कह दो प्लीज़ कि आज रात वो हमारे यहाँ रुक रहा है. और बताना मत कि बाइक से फिसला है, नहीं तो हमेशा की तरह उसके पापा मेरी संगत को ही दोष देंगे"

"हां मैं बोल देता हूँ बेटा. वैसे तुम पी के चला रहे थे क्या?"

"हां थोड़ी सी पी थी, पर रोड गीली थी ना इसलिए फिसल गया"

"बहाने मत बनाओ. कितनी बार तुम्हें कहा है कि पी के गाड़ी नही चलानी. सुनता क्यूँ नही है बात को?"

"अर्रे मैं ठीक हूँ, हॅपी को चोट लगी है. उसके बाप को कहो कि इसको बोले पी के ना चलाने को. मेरे उपर क्यूँ चढ़ते हो"

"चुप कर बेशरम. ऐसे बात करते हैं अपने बाप से?" तभी उसकी माँ बीच में आ गयी. "और यह क्या तमाशा लगाया हुआ है.. हर दूसरे दिन पी के घर आ जाता है... पागल है क्या?"

"अच्छा.. पागल ही पीते हैं क्या?? पापा रोज़ पीते हैं तो क्या वो भी पागल हो गये? सारी दुनिया जो पीती है वो भी पागल है? थोड़ा पी लिया तो क्या गुनाह हो गया... आप ऐसे बोल रही हो जैसे पता नही किसी कि बकरी चुरा के आ गया हूँ मैं... कुछ ज़्यादा नहीं हुआ है."

"तेरे से तो मैं कल निपट ता हूँ बिट्टू. अभी तू ले जा हॅपी को. कल देखते हैं" उसका बाप गुस्से से आग बाबूला हो गया.

बिट्टू हॅपी को रूम में ले आया. हॅपी की साँस बिल्कुल ठीक चल रही थी और कहीं से खून भी नहीं बह रहा था. पैर पर थोड़ी बहुत खरोन्चे थी बस. उसको यकीन था कि हॅपी को तो ज़्यादा कुछ नही हुआ है. पर उसके साथ जो हुआ था, वो यकीन करना थोड़ा मुश्किल था. इतनी बड़ी गाड़ी, इतनी स्पीड से आती हुई अगर किसी को टकराती तो उसका मारना तो पक्का था. पर ऐसा कैसे हो गया कि बिट्टू से टकराने के बाद गाड़ी टूट गयी, लेकिन उसको खरॉच तक नही आई. वो लेता हुए यही सोच रहा था, कब उसको नींद आ गयी उसको पता ही नही चला.

सुबह उसकी नींद हॅपी ने खोली.

"यार पावं बड़ा दर्द कर रहा है. हिलाया भी नहीं जा रहा. लगता है टूट गया है"

"सतयानाश हो तेरा मनहूस. सुबह सुबह उठा के यह बोल रहा है. कीड़े पड़ेंगे तेरेको बड़े बड़े"

"अबे तू लानत देनी बंद कर. मुझे हॉस्पिटल ले कर जा. मैं बची हुई उमर लन्गडे बापू के नाम से नही पहचाना जाना चाहता"

"अबे पड़ा रह 10 मिनिट. टाय्लेट तो हो लूँ. फिर लेकर चलता हूँ. नहीं तो वहाँ तुझे संभालना तो दूर, खुद की नही संभाल पाउन्गा" कहते हुए वो उठा और टाय्लेट चला गया.

जब वो हॅपी को प्लास्टर लगवा कर, उसको घर छोड़ कर अपने घर पे आया, तो एक और 'आक्सिडेंट' उसका इंतजार कर रहा था.

"बिट्टू. इधर आ. कहाँ से आ रहा है सुबह सुबह" उसके पापा ने उसको देखते ही पुकारा

"हॉस्पिटल गया था बिट्टू को ले कर. हड्डी टूट गयी है उसकी. फिर घर छोड़ के आया हूँ उसको. आपको क्या हो गया ? सुबह सुबह बवाल क्यूँ कर रहे हो"

"मैने तो कल रात ही बात करनी थी, पर तू हालत मैं नही था. टोरोंटो की यूनिवर्सिटी से चिट्ठी आई है. तेरा वैटलिस्ट कॉनवर्ट हो गया है. 5 दिन में क्लासस स्टार्ट हैं"

"5 दिन में? फिर तो सवाल ही नही उठता पहुँचने का. 5 दिन में फीस का पैसा कैसे जुटाएँगे"

"कल तक मुझे भी ऐसा ही लग रहा था, लेकिन तेरी आय्याशी को देखते हुए मैने डिसाइड कर लिया है कि तू वहाँ जाएगा"

"पर पापा यह नही हो सकता. पैसे कहाँ से आएँगे?"

"पैसे की चिंता तू मत कर. उसका इंतज़ाम हो गया है. पहले तुझे इंग्लेंड जा कर अपने चाचा से मिलना है. वो तुझे सब समझा देंगे. फिर वहाँ से टोरोंटो जाना है"

"पर पापा...."

"पर वार कुछ नहीं. बहुत हो गयी तेरी आय्याशी और मनमानी. जो मैं कहता हूँ चुप चाप कर"

उसने बहुत ना-नुकार करी लेकिन उसकी एक ना चली. घर में फ्लाइट के टिकेट आ गये और आख़िर में बिट्टू ने भी मन बना लिया जाने का. सब कुछ प्लान के हिसाब से चला. 2 दिन में वो इंग्लेंड जा कर अपने चचे से मिला, उन्होने समझा दिया कि पैसा कॉलेज के अकाउंट में ट्रांसफर हो चुका है. वहाँ से उसने टोरोंटो की फ्लाइट पकड़ी, और निकल लिया अपने डेस्टिनेशन की ओर


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Sexi Rebel
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Re: परदेसी

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बंधुओ आइए यहाँ दिया के यहाँ क्या हो रहा है ये भी जान लेते हैं

"माँ मुझे यहाँ नही रहना. मैं वापस आ रही हूँ" दिया ने फोन पे कहा

"क्यूँ बेटा? क्या हुआ?" उसकी माँ ने शैतानी में पूछा

"बस मुझे यहाँ नही रहना. मैं वापस घर पे आ रही हूँ"

"अर्रे बेटा क्या हुआ.. कुछ बता तो"

"कुछ बताने को नही है मम्मी"

"आगे की पढ़ाई का क्या करेगी?"

"पापा से बोलो. वो कह रहे थे कि टोरोंटो की एक यूनिवर्सिटी में उनकी जान पहचान है. मैं वहाँ पर पढ़ लूँगी. बस यहाँ से मुझे बाहर निकालो. बहुत गंदी जगह है यह"

"ठीक है बेटा. मैं बात करती हूँ. फिर तुझे वापस कॉल करूँगी"

कल रात का हादसा रह रह के दिया के ज़हेन में कोंध रहा था. वो चाहते हुए भी वो तस्वीरें अपने दिमाग़ से बाहर नही निकाल पा रही थी. प्रिया का उन दोनो लड़कों से सेक्स करना, दिया का रेप होना, फिर उसका वहाँ से भागना - यह सारे सीन्स उसके दिमाग़ में मूवी की तरह चल रहे थे. वो अभी तक हैरान थी कि उन 2 लड़कों को इतनी ज़ोर का झटका क्यूँ लगा उसको टच करते हुए. उसके मन में सिर्फ़ सवाल ही थे लेकिन जवाब कोई नही था. तभी प्रिया भी उठ गयी.

"अर्रे दिया.. आज तुम इतनी जल्दी कैसे उठ गयी? कल बड़ा मज़ा आया ना. मैं तो चाहती हूँ कि ऐसी पार्टीस बार बार करें हम. अंजान लोगों से सेक्स करने का अपना ही अलग मज़ा है"

"खाक मज़ा आया, तुझे पता भी है तू वहाँ क्या कर रही थी? वो लड़के तेरी वीडियो भी उतार रहे थे... और तो और.. उन्होने मेरे साथ...." कहते हुए दिया फिर रोने लगी

"क्या तेरे साथ??"

"रेप किया उन्होने मेरा. और सब तेरे कारण हुआ"

"अर्रे तू तो ऐसे कह रही है जैसे मैने कुछ किया हो तेरे साथ... तुझे कहा किसने था बीच में आने को...."

"मुझसे तेरी हालत नही देखी जा रही थी प्रिया. मैं तुझे बचाने के लिए बीच में आई थी.." सुबक्ते हुए दिया बोली

"रहने दे तू... मुझे पता है कि तेरा भी मूड कर रहा था. और सेक्स ही तो किया है उन्होने तेरे साथ.. गोली ले लेना.. इतना बड़ा हव्वा क्यूँ बना रही है?"

"चुप कर प्रिया. ऐसी बात तू सोच भी कैसे सकती है... तेरी वजह से मेरा यह हाल हुआ और तुझे तो कोई फरक ही नही पड़ता.."

"क्या फरक पड़ेगा दिया.. तू ऐसे बोल रही है जैसे तू अभी तक कुँवारी थी.. तूने भी तो अपने बाय्फ्रेंड के साथ खूब चुदाई मचाई थी.. तब मैं बीच में आई थी क्या... तुझे भी बीच में आने की कोई ज़रूरत नही थी.. ना तू बीच में आती और ना ही तेरा रेप होता... लेकिन तुझे तो हमेशा से ही मेरे कामों में टाँग अडाने की आदत है ना..."

"कितनी बेशरम है तू प्रिया... तू सारा ब्लेम मुझ पर ही डाल रही है..."

"मैं कोई ब्लेम किसी पे नही डाल रही. बस यह कह रही हूँ कि कल रात को भूल जा. और अपनी बाकी की ज़िंदगी आराम से जी."

"ऐसे कैसे भूल जाउ प्रिया... बिल्कुल नही भूल सकती मैं.. मैं वापस इंग्लेंड जा रही हूँ"

"दिया आर यू मॅड? ऐसे कैसे जा सकती हो तुम?? इतनी छोटी सी बात का बतंगड़ मत बनाओ.. हम ने बस सेक्स ही किया है, कोई गुनाह नही किया"

"तेरे लिए छोटी सी बात होगी प्रिया, मुझे अपने रोम रोम से घिंन आ रही है... मुझे नही लगता कि मैं वापस वैसी दिया बन पाउन्गी... आइ म स्कार्ड फॉर लाइफ"

"जो तेरे मन में आए, तू कर... मैं कुछ नही बोलूँगी आगे... " कहते हुए प्रिया उठी और बाथरूम में घुस गयी

तभी दिया का फोन वापस बजा, "हां मम्मी"

"बेटा मैने पापा से बात कर ली है. वो करवा देंगे तुम्हारा अड्मिशन. 5 दिन में कॉलेज स्टार्ट है. तुम वहाँ से सीधे टोरोंटो ही चली जाओ"

"नहीं माँ. मैं कुछ दिन के लिए घर आ रही हूँ. आज रात की फ्लाइट की टिकेट मैने बुक कर ली है. वहाँ से ही टोरोंटो चली जाउन्गी"

"ठीक है बेटा, जैसा तू ठीक समझे. पर तू ठीक तो है ना?"

"हाँ माँ. मैं बिल्कुल ठीक हूँ"

प्रिया ने फोन रखा और जल्दी जल्दी अपनी सारी पॅकिंग करने लगी. वो इस देश में एक पल भी और नही बिताना चाहती थी. यहाँ की हर एक चीज़, बल्कि प्रिया भी, उसको उस हादसे की याद दिला रही थी. यहाँ से दूर रहेगी तो अपने आप सब ज़ख़्म भर जाएँगे. उसने अपनी पॅकिंग करी, कॉलेज के डीन को एक ई-मैल भेजा जिसमें उसने लिखा कि वो किन्ही पर्सनल कारणों से घर जा रही है और शायद वापस कॉलेज ना जाय्न करे और रात होते ही, सबको बाइ कह कर निकल ली इंग्लेंड के लिए. घर पहुँच कर वो बिल्कुल नॉर्मल तरीके से सब से मिली. वो नही चाहती थी कि किसी को भी शक हो कि उसके साथ कुछ बुरा हुआ है. उसने बस अपने घर वालों को यह बोल दिया कि बॉय फ्रेंड का चक्कर है और उसको वो कॉलेज भी पसंद नही है. घर वालों से मिल कर, वो भी टोरोंटो की 'उस' फ्लाइट में सवार हो गयी और निकल पड़ी अपने नये गन्तव्य की ओर - अपनी सारी अच्छी और बुरी यादों को पीछे छोड़


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Re: परदेसी

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इधर तान्या क्या हो रहा है जान लेते हैं बंधुओ


तान्या चोर भले ही हो, पर वो पूरी ज़िंदगी चोर रहना नही चाहती थी. उसका हर एक मूव, बहुत कॅल्क्युलेटेड होता था. यहाँ आने से पहले ही उसने टोरोंटो की एक यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया था अपनी हाइयर स्टडीस के लिए. यहाँ वो बस इसलिए आई थी ताकि कुछ पैसा इकठ्ठा कर पाए. बाकी लोगों की तरह, उसके सर पर माँ बाप का हाथ ना होने से, उसके पास कोई फाइनान्षियल सोर्स नही था. उसके माँ बाप की मौत एक आक्सिडेंट में 2 साल पहले हुई थी. तान्या भी कार में ही थी जब कार एक पेट्रोल के टॅंकर से टकरा गयी. कार ब्लास्ट हो गयी, लेकिन उसका बाल भी बांका नही हुआ था. वो तभी समझ गयी थी कि वो कोई ऑर्डिनरी लड़की नही है.

पिछले 2 साल में उसने अपने आप को बहुत अच्छी तरह से जान लिया था. उसके पास इतनी सारी पवर्स कैसे हैं, वो नही जानती थी. उसके लिए बस यही इंपॉर्टेंट था कि उसके पास पवर्स हैं. अपनी हर एक पवर को पहचान-ने और उसको पर्फेक्ट करने में उसकी बहुत मेहनत लगती थी. दुनिया के लिए भले ही वो उस आक्सिडेंट में मर गयी हो, पर अंडरवर्ल्ड में उसका नाम बहुत हो गया था. उसने छोटी छोटी चोरियों से शुरू किया अपना खेल और आज 10 मिलियन की बाज़ी मार ली थी. उसने आज तक किसी पे अपनी पवर्स ज़ाहिर नही होने दी थी पर आज डबल क्रॉसिंग से सारा खेल बिगड़ गया. उसको उन आदमियों को मार के बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था लेकिन उसके पास कोई और चारा भी नही था. अब पैसों से लबालब भरा बॅग उसकी गोद में था और टिकेट उसकी जेब में.

एरपोर्ट पहुँच कर उसने डिसाइड किया कि वो यह बॅग अपने पास कॅबिन लगेज में ही रखेगी. चेक इन के टाइम उससे बहुत प्राब्लम हुई क्यूंकी इस साइज़ का बॅग कॅबिन में अलोड नही था. बक को लगेज में ना रखने के लिए, उसने एक एक्सट्रा सीट का टिकेट ले लिया. ताकि आराम से रहे. अभी वो अपनी जगह पर बैठी ही थी कि एक लड़का उसके पास आ गया
"मेडम जी यह बॅग आपका है?"
"हां मेरा है"
"इसको कहीं और रखिए ना, सीट बैठने के लिए होती हैं. यह ट्रेन का कॉमपार्टमेंट नही है के सीट पर ही बॅग लाद दिया"

"यह बाग यहीं रहेगा. और तुम थोड़ा तमीज़ से बोलो"

"अर्रे ऐसे कैसे यहाँ रहेगा. यहाँ वाली सीट से मुझे खिड़की नही दिख रही. मैने बाहर देखना है. तुम इस बाग को कहीं और रखो. मैं वहाँ बैठूँगा. या तुम मुझे विंडो सीट दे दो"

"यह बॅग कहीं नही जाएगा. मैने 2 सीट के पैसे दिए हैं. मैं भी यहीं रहूंगी और विंडो सीट से नहीं हिलूंगी"

"कमाल है.. 2 सीट के पैसे... इतना कितना प्रेम है इस बाग से... चलो विंडो में बारी बारी बैठ जाते हैं"

"अजीब जाहिल किस्म के इंसान है आप. एक बार बोल दिया नही देनी सीट तो क्यूँ पीछे पड़ रहे हो"

"देखिए बिट्टू नाम है मेरा. प्लेन में दूसरी बार बैठ रहा हूँ. अब थोड़ा आनंद लेना है तो विंडो सीट पे बैठने का मन कर रहा है. तुम क्यूँ इतना अकड़ रही हो... इतनी ज़्यादा ही तमीज़ वाली हो तो वो सीट मुझे दे दो.."

"जस्ट शट अप... डोंट टॉक टू मी"

"रूको मैं ज़रा टीटी को बुलाता हूँ... ही विल डिसाइड. मंज़ूर है"

"अर्रे तुम्हारी अकल में बात क्यूँ नही घुसती... मैं यहाँ से नही हिल रही... और यह टीटी क्या है?? यह ट्रेन नही है"

बिट्टू ने भी सोचा कि क्यूँ इस पागल लड़की से मथापच्ची करी जाए, भाड़ में जाए यह और इसकी विंडो सीट. तभी फ्लाइट टेक ऑफ कर गयी और बिट्टू इन-फ्लाइट मूवी में मस्त हो गया. तान्या भी अब थोड़ा रिलॅक्स हो गयी और सोने लग गयी.

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आइए बंधुओ ज़रा दिया का भी आँखो देखा हाल देख लेते हैं

उधर दिया की हालत भी कुछ ज़्यादा अच्छी नही थी. एक तो उसको एमर्जेन्सी रो मिली थी उपर से वो भी आइल सीट. सोने पे सुहागा तब हुआ जब उसके साथ बैठा बंदा बड बड बोलता जा रहा था.

"जी मुझे आपकी कंपनी या आपने फ्लाइट में कितनी बार सफ़र किया है उसमें कोई इंटेरेस्ट नही है. आप प्लीज़ मेरे से बात मत करें नहीं तो मैं कंप्लेन कर दूँगी." जब 5 मिनिट तक वो बंदा नोन स्टॉप बोला तो दिया ने यह कह कर उसे धमकाया. तभी एक हॅंडसम सा दिखने वाला बंदा आया और विंडो सीट पर बैठ गया. अब वो बला उसके सर पड़ गयी थी और उसके साथ नोन स्टॉप बात कर रही थी. दिया ने अपने आईपेड़ के इयरफोन्स अपनी कान में डाले और शांति से आँखें मूंद के लेट गयी.


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Re: परदेसी

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तान्या को वहाँ बैठे बड़ा अजीब सा लग रहा था. ऐसी फीलिंग उसको आज तक नही आई थी. एक अजीब सी बेचैनी उसको घेरे हुए थी, ऐसा लग रहा था जैसे आस पास बहुत भीड़ है और वो किसी को पहचान ने की कोशिश कर रही है पर पहचान नही पा रही. उसको लगा कि शायद आज ज़्यादा एक्शेरसिओं हो गया है, इसलिए इतनी बेचैनी हो रही है. सारे ख़याल अपने दिमाग़ से निकाल कर, वो भी सोने लगी.

बिट्टू मज़े से मूवी देख रहा था. देखे भी क्यूँ ना, फ्लाइट के पैसों में इंक्लूडेड जो था. वो इंतजार कर रहा था कि कब कुछ खाने को मिलेगा.. उसको भूख बड़ी लग रही थी. पहले तो उसने सोचा कि अपने समान में पड़े आलू के पराठे निकाल ले, फिर कहा जाने दो, अगर आलू के पराठे देख कर उसको खाना सर्व नही हुआ तो नुकसान हो जाएगा. उसका मस्त टाइम पास हो रहा था कि तभी प्लेन को झटके लगने लगे.

दिया आराम से सो रही थी. तभी उसको वोही ख़याल आने लगे. उसको लगा जैसे उसका रेप हो रहा है. वो हड़बड़ा कर उठी और अपने हाथ सीट पे बने आर्म रेस्ट पर रख दिए. अंजाने में ही उसके हाथों से फिर करेंट निकला और प्लेन ज़ोर ज़ोर से हिलने लगा. वो बहुत डर गयी. तभी अनाउन्स्मेंट हुआ कि टर्ब्युलेन्स बढ़ जाने के कारण ऐसा हुआ है. उसकी जान में जान आई, लेकिन तभी उसने देखा कि प्लेन में धुआ भर रहा है. डर के मारे उसने पीछे देखा तो वहाँ आग लग रही थी. थोड़ी ही देर में एक लाइटनिंग बोल्ट प्लेन से टकराया और प्लेन के 2 टुकड़े हो गये.

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