आज रेगिस्तान के उस टीले के अंदर बहुत हलचल थी. इस प्लेन आक्सिडेंट ने सबकुछ चौपट कर दिया था. रणवीर का सारा प्लान, उसकी सारी मेहनत उसको मिट्टी में मिलती दिखाई दे रही थी.
"रणवीर मैं तो सोचती हूँ कि उन लोगों को बता देना चाहिए असलियत" उसकी साथी सोनिया ने बोला.
"सोनिया मेरी इतने साल की मेहनत पर पानी फिर जाएगा. मैं चाहता हूँ कि इन लोगों को नॅचुरल तरीके से पवर डेवेलपमेंट होते देखूं ताभ इनके अंदर वो टोज़िन्स आएँगे जिनको मैं स्टडी करना चाहता हूँ"
"रणवीर लेकिन इतने बड़े प्लेन क्रॅश में, जब सिर्फ़ यह चार ही बचे रहेंगे, तो इनको शक तो होगा ही कि ऐसा क्यूँ है. अगर इन्होने किसी तरह से वो ट्रॅकिंग चिप अपने अंदर से निकाल दी, तो उसके बाद हम कभी फिर इनको नही ढूँढ पाएँगे कुछ तो सोचो तुम"
"सोनिया मैने सब सोच लिया है. तुम बस उस मशीन को हेलिकॉप्टर में डालो और मेरे साथ चलो. इस इन्सिडेंट की सारी मेमोरीस हमे उनके दिमाग़ से निकालनी होंगी"
"कमऑन रणवीर, यू मस्ट बी जोकिंग. तुम्हें पता है कि वो मशीन पूरी तरह से तय्यार नही है"
"सोनिया आइ आम रेडी टू टेक दट चान्स. वैसे भी हमारी वजह से ही आज उनकी जान सलामत है, नही तो मर गये होते अभी तक. हम जो चाहे उनके साथ कर सकते हैं"
"रणवीर भगवान बनने की कोशिश मत करो"
"सोनिया जैसे कहा है, वैसा करो. दिस ईज़ अन ऑर्डर" कहते हुए उसने सोनिया को वहाँ से भेजा. "रोनाल्ड, इन तीनो लड़कों के पेरेंट्स को फोन कर के बोल दो कि लड़के सेफ हैं और कभी भी वो लोग इस इन्सिडेंट के बारे में बात ना करें इनसे. मैं प्लेन कंपनी को फोन कर के पॅसेंजर लिस्ट से इन चारों का नाम हटवाता हूँ. डू इट क्विक्ली आंड कम वित मी. वी हॅव टू डू सम इंपॉर्टेंट वर्क वित दोज़ फोर"
"हरी अप एवेरिबडी. बिल्कुल समय नही है वेस्ट करने को. सोनाली, तुम तान्या को संभालो. एरिका टेक दिया, रसल टेक बिट्टू और रोनाल्ड रोहित ईज़ युवर रेपोंसिबिलिटी. टी माइनस 30 मिनिट्स एवेरिवन. 30 मिनिट्स में सारे ऑपरेशन ख़तम होना चाहिए. सब को हल्का अनेस्तीसिया दो जिससे इनकी नींद ना टूटे. भारी नही. आइ वान्ट देम अप इन 1 अवर. डॉक्टर डू आ क्विक हेल्त चेक. देखो किस की बॉडी में क्या चोट है. ट्रेगो तुम मशीन तय्यार करो" रणवीर एक मिलिटरी कमॅंडर की तरह धडाधड ऑर्डर दे रहा था. उसकी टीम बिल्कुल मेटिक्युलसली हर एक टास्क कर रही थी. रणवीर को पता था कि अभी 10 मिनिट का समय है, जब वो चारों तय्यार होंगे. तब तक वो साइड पे हो लिया.
दिन की शुरुआत में रणवीर बहुत खुश था. उस का काम बहुत आसान हो गया था. चारों सब्जेक्ट्स सेम जगह पर जा रहे थे जहाँ पे उनको अब्ज़र्व करना बहुत ही आसान हो जाएगा. उसका प्लान आखरी स्टेज पर था. जल्द ही वो समझ जाएगा इन चारों के शरीर में कितने बदलाव आए हैं और उनके कारण क्या क्या फायदा हो सकता है. एक चीज़ जो उसे बहुत एग्ज़ाइट कर रही थी वो यह थी के वो चारों बचपन से ले कर अब तक किसी भी बीमारी के शिकार नही हुए थे. तो यह तो पक्का हो गया था कि रणवीर के पास इस दुनिया को बीमारी युक्त कऱ्णे का फ़ॉर्मूला था जिसको बस अब थोड़ा तय्यार करना था. लहरों को देखते हुए वो सोचने लगा कि जिस तरह लहरों को पता नही होता कि अगले पल वो कहाँ होंगी, उसी तरह से इंसान को भी पता नही होता कि अगले पल उसके साथ क्या होने वाला है.
उसकी सारी एग्ज़ाइट्मेंट उस समय मर गयी थी जब उसको पता चला कि चारों जिस प्लेन में जा रहे हैं, उस का आक्सिडेंट हो गया है. उसको अपनी पिछली बहुत साल की मेहनत मिट्टी में मिलती दिखाई दे रही थी. लॅब में भी मातम सा माहौल छा गया था कुछ पल के लिए. फिर रोनाल्ड के ट्रॅकर से पता चला कि चारों सब्जेक्ट्स ज़िंदा है. यह खबर सुनके उसे बहुत खुशी होनी चाहिए थी लेकिन हुई नहीं. रह रह के रणवीर के मन में यह ख़याल आता कि उसने इन 4 लोगों को क्या बना दिया है... ना इनको बीमारी होती है और ना यह मरते हैं. लेकिन इस बारे में ज़्यादा सोचा नहीं था उसने. पहली प्राइयारिटी थी कि इन सब लोगों को वापस नॉर्मल किया जाए ताकि इनकी एवोल्यूशन स्टडी करी जा सके.
"सर, एवेरिवन ईज़ रेडी. वेटिंग फॉर फर्दर इन्स्ट्रक्षन्स" एक क्र्यू मेंबर ने बोला तो रणवीर की ख्याली ट्रेन रुकी. वो फटाफट से उस जगह पहुँचा जहाँ सारे मॉनिटर्स वगेरह लगे हुए थे.
"गुड. चारों कनेक्टेड हैं... यस.... अब दोस्तों जो हम अभी करने जा रहे हैं, वो पहली बार हो रहा है. इस मशीन का इस्तेमाल आज तक नही हुआ है और शायद यह ठीक से तय्यार भी नही है. लेकिन हमारी कम से कम 20 साल की मेहनत का फल आज इस मशीन पे डिपेंड करता है. इसको यूज़ करने से पहले मैं सब से सहमति लेना चाहता हूँ. यह मशीन इन चारों को मार भी सकती है, बट सीयिंग दा कटॅस्ट्रफी दीज़ पीपल हॅव सर्वाइव्ड, आइ डाउट इट. इस मशीन से इनको कितना डॅमेज होगा, पता नही. होगा - बस इतना पता है. मशीन यूज़ नही करी तो शायद इनको पेयरॅलिज़्ड करके लॅब में ही रखना पड़े इनको स्टडी करने के लिए. मैं चाहता हूँ कि आप सब में से अगर कोई अभी भी ऐसा सोचता है हमे यह मशीन यूज़ नही करनी चाहिए, अपना हाथ खड़ा कर दे"
अब उसका आर्ग्युमेंट तो ज़ोरदार था और ऑडियेन्स भी सारी साइंटिस्ट. उसे ज़्यादा आश्चर्या नही हुआ जब किसी का हाथ खड़ा नही हुआ. मशीन का एक्सपेरिमेंटेशन कभी ना कभी तो करना ही था, सब यह ही सोच रहे थे कि इस से अच्छा मौका नही मिलेगा. "देन लेट्स गो पीपल. वी हॅव मोर हिस्टरी टू क्रियेट" कहता हुआ वो मैन कंप्यूटर के पास आ गया. "रसल इन सब के दिमाग़ के उस हिस्से पे अटॅक करो जहाँ रीसेंट मेमोरीस होती हैं आंड वाइप दा लास्ट 1 अवर क्लीन" उसने कहा और रसल डाइयल्स से खेला और धीरे से एक बटन दबा दिया जिससे उन चारों के शरीर में एक करेंट दौड़ने लगा.
परदेसी complete
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Re: परदेसी
15 मिनिट बाद सारा काम ख़तम हो गया था. "सर वी हॅव डन और बेस्ट. रिज़ल्ट तभी दिखेगा जब यह जाग जाएँगे." रसल बोला.
"एक्सलेंट वर्क गाइस. अब इन चारों को एक्सट्रा हेलिकॉप्टर में रखो और यह सारा एक्विपमेंट वापस पॅक करो मैं हेलिकॉप्टर में. सोनिया तुम मेरे साथ रहोगी एक पाइलट के साथ. एवेरिवन एल्स विल रिटर्न टू दा बेस विथ दा एक्विपमेंट्स. सब बस यह दुआ करो कि हमारा एक्सपेरिमेंट सफल हो जाए" उसने कहा और फिर सोनिया के साथ साइड में हो गया.
"आगे का क्या इरादा है रणवीर?" सोनिया ने उनसे पूछा.
"वी विल टेक देम टू टोरोंटो. रास्ते में कोई स्टोरी सुना देंगे इनको के यह कैसे बच गये. सब कुछ ठीक हुआ यह लोग फिर से अपना जीवन ठीक से शुरू कर सकेंगे"
"स्टोरी सुना देंगे??? रणवीर कमऑन... क्या कहोगे इनको... कैसे यकीन दिलाओगे इन्हे इस 'लक' पे... कम से कम 150 लोग मरे हैं. और सिर्फ़ यह 4 ही बचेंगे शायद"
"ह्म्म.. लक ईज़ गुड वर्ड. हम इनको बोलेंगे कि दीज़ वर 4 लकी पीपल, जिनको हमारे साथ हेलिकॉप्टर में जाने का चान्स मिला था. एर प्रेशर कम होने से इनकी तबीयत खराब हो गयी थी आंड वी हॅड टू गिव देम सम स्लीपिंग सीरम. यह लोग उठेंगे तो कन्फ्यूज़्ड होंगे, काम बन जाएगा"
"मुझे इतना आसान नही लगता, पर तुमने सोच ही लिया है तो ठीक है. लेट्स सी व्हाट हॅपन्स"
"...अनफॉर्चुनेट्ली तुम्हारा बॅगेज उसी प्लेन में था और नही बच पाया" हेलिकॉप्टर में टोरोंटो की तरफ जाते हुए प्लान के हिसाब से सब कुछ उन्हे बोल दिया. देखने में लग नही रहा था कि उनके उपर कोई साइड एफेक्ट है. कोई बात उन्हें याद नही थी जर्नी की और सारे वाइटल्स भी ठीक थे.
"सर आप लगेज की बात कर रहे हो, यहाँ अभी भी गोटियाँ मूह में आई हुई हैं. पता नही क्यूँ दिल दहेल रहा है और गान्ड फट के 4 हुई पड़ी है" बिट्टू ने टनटन बोल दिया और फिर रीयलाइज़ किया कि उनके साथ 3 लड़कियाँ भी है जो उसको घूर रही थी. "ऐसे मत देखो मुझे. तुम्हारी नही फटती होगी, मैं तो अभी तक काप रहा हूँ. सर यह कैसा हेलिकॉप्टर है जिसमें इतनी जगह है. खिड़कियाँ भी इतनी सारी है. यह तो बिल्कुल प्लेन जैसा ही लगता है. मेडम मुझे खिड़की वाली जगह मिलेगी?" वो तान्या के पास जा कर बोला
"मेरा सर बहुत दुख रहा है. प्लीज़ परेशान मत करो और जा कर अपनी जगह पर बैठ जाओ. मैं यहाँ से नही हिलूंगी' कहते हुए उसने अपना बॅग और ज़ोर से पकड़ लिया
"अर्रे कोई ग़रीब को खिड़की वाली सीट दे दो... दूसरी बार का हवाई सफ़र है" बिट्टू ज़ोर से चिल्लाया
"तुम यह वाली सीट ले लो" दिया ने बोला
"कितनी अच्छी हो तुम मेडम. थॅंक्स फॉर दा विंडो. मैं दुआ करता हूँ कि आपका सारा सामान बिल्कुल सुरक्षित मिल जाए" उसने दिया को मुस्कुराते हुए बोला और तान्या को घूर्ने लगा. दिया भी थोड़ा सा मुस्कुराइ और अपनी जगह बिट्टू को दे दी.
रोहित एक कोने में बैठा कुछ गहरी सोच में डूबा हुआ था. पता नही क्यूँ उसको रणवीर की बात का भरोसा नही हो रहा था. वो बहुत ज़ोर डाल रहा था अपने दिमाग़ पर लेकिन उसको कुछ याद नही आ रहा था. बस एक विचार ही दिमाग़ में आ रहा था कि वो उड़ सकता है और कुछ देर पहले उड़ रहा था. आख़िर में थक कर उसने हार मान ली. शायद उनको बेहोश करने के लिए जो दवाइयाँ दी गयी थी, उनका असर था कि उसको ऐसा लग रहा था. वो बस इंतेज़ार करने लगा कि कब टोरोंटो आए, और वो अपने कॉलेज के कॅंपस में दाखिल हुए.
बिट्टू खिड़की से बाहर झाँक के खूब खुश हो रहा था. वो अपने आस पास के लोगों को बिल्कुल ही इग्नोर कर रहा था
"कुछ पूछ रहा है रणवीर" जब साथ बैठी दिया ने उसको कुहनी मारी तो उसको ध्यान आया कि प्लेन में और भी लोग हैं
"उहह हां .. बोलिए सर"
"एक तो सर कहना बंद करो मुझे"
"तो क्या फिर अंकल कहें?? उमर में इतने बड़े हो, मुझे लगता है वी वर नोट ईवन इन लिक्विड फॉर्म, व्हेन यू वर इन फुल फॉर्म" उसके यह कहते ही सब लोग ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे. रणवीर गुस्से में लाल हो गया. उसके आगे ऐसा मज़ाक आज तक किसी ने नही किया था.
"जो कहना है कहो"
"अभी तो आप कुछ कह रहे थे सर"
"हां. मैं पूछ रहा था कि अपना इंट्रोडक्षन तो दे दो सब. हमें तो बस तुम्हारे नामों के सिवा कुछ नही पता"
"क्यूँ नही जी.. बंदे को प्यार से बिट्टू कहते हैं. वैसे मैं हूँ ही इतना प्यारा कि लोग और किसी नाम से बुलाते ही नही हैं" उसने दिया को कुहनी मारी और हँसने लगा. ना जाने क्यूँ उसको दिया में बहुत इंटेरेस्ट आ रहा था. "पापा बिज़्नेस करते हैं, मैं पढ़ने के लिए टोरोंटो जा रहा हूँ. वैटलिस्टेड अड्मिशन था. वो शायद एंट्रेन्स एसी में कुछ गड़बड़ी हो गयी थी. हॅपी ने थोड़ा पी के लिखा था मेरे लिए और मैने भी वैसे ही छाप दिया था. हॅपी मेरा बचपन का यार है. हमारे पापा साथ ही बिज़्नेस करते हैं. मूड तो उसका भी बड़ा था कॅनडा आने का पर उसकी माँ थोड़ी सेंटी है, उसने फॉर्म भी भरने नही दिया था. आप मानोगे नहीं, पिछले महीने जब....."
"बस बस. अपने बारे में बताने को कहा था, दोस्तों के बारे में नही" दिया हँसते हुए बोली
"जी वो तुम कहती हो तो चुप हो जाता हूँ. लेकिन अगर तुमने उसका पिछले महीने वाला ट्रॅक्टर का किस्सा सुन लिया तो हँसते हँसते दम निकल जाएगा.. हुआ क्या कि हम ने लल्लन के खेत से रात को ट्रॅक्टर उठा लिया.. लल्लन पास में ही रहता है हमारे, जवार की खेती करता है.."
"अर्रे तुम फिर रेडियो की तरह शुरू हो गये.. बस करो अब" जब फिर से दिया ने कहा तो बिट्टू चुप हो गया और उसकी तरफ टकटकी बाँध के देखने लगा. देखने में वो कुछ ज़्यादा सुंदर नही थी. पर उसकी आँखों में डूबने का दिल कर रहा था. रह रह के उसकी नज़र दिया की छाती पर जाती. उसके वक्ष कुछ ज़्यादा ही "हेल्ती" थे और बिट्टू का मन उनको छूने का कर रहा था. "मेरा नाम दिया है. मेरे पेरेंट्स टोरोंटो में ही रहते हैं."
"बिट्टू आवाज़ उपर से निकल रही है, वहाँ से नही" बिट्टू को अपनी छाती की तरफ घूरता देख उसने उससे टोका.
बिट्टू झेंप गया और इधर उधर देखने लग गया.
"एक्सलेंट वर्क गाइस. अब इन चारों को एक्सट्रा हेलिकॉप्टर में रखो और यह सारा एक्विपमेंट वापस पॅक करो मैं हेलिकॉप्टर में. सोनिया तुम मेरे साथ रहोगी एक पाइलट के साथ. एवेरिवन एल्स विल रिटर्न टू दा बेस विथ दा एक्विपमेंट्स. सब बस यह दुआ करो कि हमारा एक्सपेरिमेंट सफल हो जाए" उसने कहा और फिर सोनिया के साथ साइड में हो गया.
"आगे का क्या इरादा है रणवीर?" सोनिया ने उनसे पूछा.
"वी विल टेक देम टू टोरोंटो. रास्ते में कोई स्टोरी सुना देंगे इनको के यह कैसे बच गये. सब कुछ ठीक हुआ यह लोग फिर से अपना जीवन ठीक से शुरू कर सकेंगे"
"स्टोरी सुना देंगे??? रणवीर कमऑन... क्या कहोगे इनको... कैसे यकीन दिलाओगे इन्हे इस 'लक' पे... कम से कम 150 लोग मरे हैं. और सिर्फ़ यह 4 ही बचेंगे शायद"
"ह्म्म.. लक ईज़ गुड वर्ड. हम इनको बोलेंगे कि दीज़ वर 4 लकी पीपल, जिनको हमारे साथ हेलिकॉप्टर में जाने का चान्स मिला था. एर प्रेशर कम होने से इनकी तबीयत खराब हो गयी थी आंड वी हॅड टू गिव देम सम स्लीपिंग सीरम. यह लोग उठेंगे तो कन्फ्यूज़्ड होंगे, काम बन जाएगा"
"मुझे इतना आसान नही लगता, पर तुमने सोच ही लिया है तो ठीक है. लेट्स सी व्हाट हॅपन्स"
"...अनफॉर्चुनेट्ली तुम्हारा बॅगेज उसी प्लेन में था और नही बच पाया" हेलिकॉप्टर में टोरोंटो की तरफ जाते हुए प्लान के हिसाब से सब कुछ उन्हे बोल दिया. देखने में लग नही रहा था कि उनके उपर कोई साइड एफेक्ट है. कोई बात उन्हें याद नही थी जर्नी की और सारे वाइटल्स भी ठीक थे.
"सर आप लगेज की बात कर रहे हो, यहाँ अभी भी गोटियाँ मूह में आई हुई हैं. पता नही क्यूँ दिल दहेल रहा है और गान्ड फट के 4 हुई पड़ी है" बिट्टू ने टनटन बोल दिया और फिर रीयलाइज़ किया कि उनके साथ 3 लड़कियाँ भी है जो उसको घूर रही थी. "ऐसे मत देखो मुझे. तुम्हारी नही फटती होगी, मैं तो अभी तक काप रहा हूँ. सर यह कैसा हेलिकॉप्टर है जिसमें इतनी जगह है. खिड़कियाँ भी इतनी सारी है. यह तो बिल्कुल प्लेन जैसा ही लगता है. मेडम मुझे खिड़की वाली जगह मिलेगी?" वो तान्या के पास जा कर बोला
"मेरा सर बहुत दुख रहा है. प्लीज़ परेशान मत करो और जा कर अपनी जगह पर बैठ जाओ. मैं यहाँ से नही हिलूंगी' कहते हुए उसने अपना बॅग और ज़ोर से पकड़ लिया
"अर्रे कोई ग़रीब को खिड़की वाली सीट दे दो... दूसरी बार का हवाई सफ़र है" बिट्टू ज़ोर से चिल्लाया
"तुम यह वाली सीट ले लो" दिया ने बोला
"कितनी अच्छी हो तुम मेडम. थॅंक्स फॉर दा विंडो. मैं दुआ करता हूँ कि आपका सारा सामान बिल्कुल सुरक्षित मिल जाए" उसने दिया को मुस्कुराते हुए बोला और तान्या को घूर्ने लगा. दिया भी थोड़ा सा मुस्कुराइ और अपनी जगह बिट्टू को दे दी.
रोहित एक कोने में बैठा कुछ गहरी सोच में डूबा हुआ था. पता नही क्यूँ उसको रणवीर की बात का भरोसा नही हो रहा था. वो बहुत ज़ोर डाल रहा था अपने दिमाग़ पर लेकिन उसको कुछ याद नही आ रहा था. बस एक विचार ही दिमाग़ में आ रहा था कि वो उड़ सकता है और कुछ देर पहले उड़ रहा था. आख़िर में थक कर उसने हार मान ली. शायद उनको बेहोश करने के लिए जो दवाइयाँ दी गयी थी, उनका असर था कि उसको ऐसा लग रहा था. वो बस इंतेज़ार करने लगा कि कब टोरोंटो आए, और वो अपने कॉलेज के कॅंपस में दाखिल हुए.
बिट्टू खिड़की से बाहर झाँक के खूब खुश हो रहा था. वो अपने आस पास के लोगों को बिल्कुल ही इग्नोर कर रहा था
"कुछ पूछ रहा है रणवीर" जब साथ बैठी दिया ने उसको कुहनी मारी तो उसको ध्यान आया कि प्लेन में और भी लोग हैं
"उहह हां .. बोलिए सर"
"एक तो सर कहना बंद करो मुझे"
"तो क्या फिर अंकल कहें?? उमर में इतने बड़े हो, मुझे लगता है वी वर नोट ईवन इन लिक्विड फॉर्म, व्हेन यू वर इन फुल फॉर्म" उसके यह कहते ही सब लोग ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे. रणवीर गुस्से में लाल हो गया. उसके आगे ऐसा मज़ाक आज तक किसी ने नही किया था.
"जो कहना है कहो"
"अभी तो आप कुछ कह रहे थे सर"
"हां. मैं पूछ रहा था कि अपना इंट्रोडक्षन तो दे दो सब. हमें तो बस तुम्हारे नामों के सिवा कुछ नही पता"
"क्यूँ नही जी.. बंदे को प्यार से बिट्टू कहते हैं. वैसे मैं हूँ ही इतना प्यारा कि लोग और किसी नाम से बुलाते ही नही हैं" उसने दिया को कुहनी मारी और हँसने लगा. ना जाने क्यूँ उसको दिया में बहुत इंटेरेस्ट आ रहा था. "पापा बिज़्नेस करते हैं, मैं पढ़ने के लिए टोरोंटो जा रहा हूँ. वैटलिस्टेड अड्मिशन था. वो शायद एंट्रेन्स एसी में कुछ गड़बड़ी हो गयी थी. हॅपी ने थोड़ा पी के लिखा था मेरे लिए और मैने भी वैसे ही छाप दिया था. हॅपी मेरा बचपन का यार है. हमारे पापा साथ ही बिज़्नेस करते हैं. मूड तो उसका भी बड़ा था कॅनडा आने का पर उसकी माँ थोड़ी सेंटी है, उसने फॉर्म भी भरने नही दिया था. आप मानोगे नहीं, पिछले महीने जब....."
"बस बस. अपने बारे में बताने को कहा था, दोस्तों के बारे में नही" दिया हँसते हुए बोली
"जी वो तुम कहती हो तो चुप हो जाता हूँ. लेकिन अगर तुमने उसका पिछले महीने वाला ट्रॅक्टर का किस्सा सुन लिया तो हँसते हँसते दम निकल जाएगा.. हुआ क्या कि हम ने लल्लन के खेत से रात को ट्रॅक्टर उठा लिया.. लल्लन पास में ही रहता है हमारे, जवार की खेती करता है.."
"अर्रे तुम फिर रेडियो की तरह शुरू हो गये.. बस करो अब" जब फिर से दिया ने कहा तो बिट्टू चुप हो गया और उसकी तरफ टकटकी बाँध के देखने लगा. देखने में वो कुछ ज़्यादा सुंदर नही थी. पर उसकी आँखों में डूबने का दिल कर रहा था. रह रह के उसकी नज़र दिया की छाती पर जाती. उसके वक्ष कुछ ज़्यादा ही "हेल्ती" थे और बिट्टू का मन उनको छूने का कर रहा था. "मेरा नाम दिया है. मेरे पेरेंट्स टोरोंटो में ही रहते हैं."
"बिट्टू आवाज़ उपर से निकल रही है, वहाँ से नही" बिट्टू को अपनी छाती की तरफ घूरता देख उसने उससे टोका.
बिट्टू झेंप गया और इधर उधर देखने लग गया.
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Re: परदेसी
bahut khoob kahani interesting hoti ja rahi hai
Read my all stories
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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Re: परदेसी
dhanywad bandhuRohit Kapoor wrote:bahut khoob kahani interesting hoti ja rahi hai
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Re: परदेसी
"मैं भी टोरोंटो पढ़ने जा रही हूँ"
"अर्रे यह तो बहुत बढ़िया बात है. लगता है भगवान ने हमे यहाँ मिलाया है. हमारी दोस्ती बहुत लंबी चलने वाली है. साथ ही पढ़ा करेंगे" बिट्टू फिर शुरू हुआ
"टोरोंटो में एक ही कॉलेज नही है. बहुत हैं"
"अच्छा कौन से कॉलेज में हो तुम?"
"क्यूँ बताऊं?"
"मेडम.. इतना घमंड भी ठीक नही है.. वो तो यहाँ थोड़ा कंट्रोल कर रहा हूँ, वरना बहुत लड़कियाँ मरती है नाचीज़ पर. एक इशारा कर दूं तो 3-4 को ज़मीन पे लेटा दूं. ज़मीन से याद आया, वो ट्रॅक्टर वाला किस्सा तो रह गया"
"नहीं सुनना मुझे ट्रॅक्टर वाला किस्सा. प्लीज़.. चुप रहो" दिया को पता नहीं क्यूँ, थोड़ा मज़ा आ रहा था. पहली बार ज़िंदगी में उसके साथ कोई इतनी ओपन्ली फ्लर्ट कर रहा था, पर वो यह ज़ाहिर नही होने देना चाहती थी
"अच्छा तो चलो कॉलेज का नाम ही बता दो"
"तुमने ही कहा था ना कि भगवान ने मिलाया है हमें, तो चलो टेस्ट कर लेते हैं. भगवान ने चाहा तो फिर मुलाक़ात होगी टोरोंटो में"
"अर्रेयरे भगवान का टेस्ट... चलो यह भी कर के देख लेंगे. अगर मुलाक़ात हुई तो फिर कॉफी पीने चलना पड़ेगा मेरे साथ. बोलो मंज़ूर है"
"मंज़ूर है"
"तो फिर आओ झप्पी पा लो" कहते हुए उसने ज़ोर से दिया को हग कर लिया. उसके बूब्स को अपनी छाती से स्पर्श कर के ही उसको चैन आया. उसने एक बात नोटीस करी कि हर पल के साथ, दिया और खूबसूरत होती जा रही थी.
"आप दोनो का ख़तम हो गया हो तो आगे शुरू करें?" सोनिया बोली
"लो कर लो बात. आप लोग हमारी पर्सनल बातें सुन रहे थे? शरम नही आती" बिट्टू ने हँसते हुए कहा "चलो खिड़की वाली मेडम से पूछते हैं. मेडम आप भी कुछ बताओ अपने बारे में"
"मेरा नाम तान्या है. बचपन में माँ बाप का देहांत हो गया था आक्सिडेंट में. टोरोंटो मैं भी पढ़ने के लिए जा रही हूँ" तान्या ने एक साँस में जवाब दिया. उसको इस इंट्रोडक्षन में कोई इंटेरेस्ट नही था.
"मेडम उस बॅग में ऐसा क्या है.. तब से उसको अपने साथ सटा के बैठी हो.." बिट्टू फिर बोला
"तुमसे मतलब? अपने काम से काम रखो..." तान्या उसे घूरते हुए बोली..
"हां मुझे तो कोई मतलब नही है. बस यह उम्मीद करता हूँ कि हम दोनो एक कॉलेज में ना हो... और आप भाई साब... आप भी शकल से इंडियन ही लगते हैं... टोरोंटो पढ़ाई के लिए?"
"हां.. रोहित.. रोहित नाम है मेरा. मेरे मम्मी पापा का भी बिज़्नेस है. पढ़ के जाउन्गा और बिज़्नेस को संभालूँगा. पहली बार इंग्लेंड से बाहर निकला हूँ. पला बढ़ा इंग्लेंड में ही हूँ."
"चलो हो गया इंट्रो सब का. अब कुछ खाने को दे दो. बहुत भूख लग रही है" बिट्टू ने रणवीर को बोला
"ओह सॉरी.. मुझे नहीं लगता कि यहाँ कुछ खाने को है.. देखता हूँ"
"यार कमाल करते हो आप.. 7 घंटे की फ्लाइट है और कुछ खाने को नही है, मैं तो पागल हो जाउन्गा. मेडम आपके बॅग में कुछ है क्या?"
तान्या ने फिर उसकी तरफ घूरा और कुछ नही बोली
"रणवीर देखो मेरे बॅग में कुछ सॅंड्विचस होंगे. वो दे दो" सोनिया पहले ही सारे साइंटिस्ट्स के लिए सॅंड्विचस बना के लाई थी, लेकिन टाइम कम होने के कारण किसी ने खाए नहीं.
"यह हुई ना बात. चिकन वाले हैं क्या?" बिट्टू बोला
"नहीं.. वेग है बिट्टू"
"अर्रे यार.. चलो वो ही आने दो.. अब कुछ तो खाना ही है" तभी रणवीर सॅंड्विचस ले कर आ गया. और बाँटने लगा. बिट्टू का नंबर तीसरा आया
"एक और मिलेगा.. थोड़े छोटे हैं" उसने रणवीर से बोला और एक और ले लिया
"नहीं जी मुझे नहीं चाहिए. आइ आम नोट हंग्री" जब रणवीर ने दिया के पास सॅंडविच किया तो वो बोली.
"अर्रे भूख कैसे नहीं है... सर आप रखो यहाँ.. मुझे पता है इसको अभी भूख लगेगी" कहते हुए बिट्टू ने सॅंडविच ले कर दिया के हाथ में थमा दिया और अपने वाले खाने लगा. "सो गयी क्या दिया?" 5 मिनिट बाद उसने पूछा. बाकी लोग भी सो गये थे
"ह्म.. अभी सोई ही थी. बोलो क्या हुआ"
"मैं कह रहा था कि नही खाना तो ज़बरदस्ती नही हैं, मैं खा लूँ?"
"अर्रे खा ले.. यह ले.. ठूंस ले" दिया ने हँसते हुए उसे सॅंडविच पकड़ा दिया जिसे वो 3 बाइटेड में हड़प कर गया.
उसने फिर थोड़ी देर बाहर देखा कि उसको अपने कंधे पर कुछ महसूस हुआ. मूड कर देखा तो दिया का सर था. वो मॅन ही मॅन बहुत खुश हुआ. दिया के चेहरे से उसकी नज़र नही हट रही थी. एक पोयम की तरह उसका चेहरा बिट्टू के दिमाग़ में घूम रहा था. अपने कंधे को और थोड़ा ढीला करके बिट्टू ने भी अपनी आखें बंद कर ली और दिया के सपनों में खो गया
"अर्रे यह तो बहुत बढ़िया बात है. लगता है भगवान ने हमे यहाँ मिलाया है. हमारी दोस्ती बहुत लंबी चलने वाली है. साथ ही पढ़ा करेंगे" बिट्टू फिर शुरू हुआ
"टोरोंटो में एक ही कॉलेज नही है. बहुत हैं"
"अच्छा कौन से कॉलेज में हो तुम?"
"क्यूँ बताऊं?"
"मेडम.. इतना घमंड भी ठीक नही है.. वो तो यहाँ थोड़ा कंट्रोल कर रहा हूँ, वरना बहुत लड़कियाँ मरती है नाचीज़ पर. एक इशारा कर दूं तो 3-4 को ज़मीन पे लेटा दूं. ज़मीन से याद आया, वो ट्रॅक्टर वाला किस्सा तो रह गया"
"नहीं सुनना मुझे ट्रॅक्टर वाला किस्सा. प्लीज़.. चुप रहो" दिया को पता नहीं क्यूँ, थोड़ा मज़ा आ रहा था. पहली बार ज़िंदगी में उसके साथ कोई इतनी ओपन्ली फ्लर्ट कर रहा था, पर वो यह ज़ाहिर नही होने देना चाहती थी
"अच्छा तो चलो कॉलेज का नाम ही बता दो"
"तुमने ही कहा था ना कि भगवान ने मिलाया है हमें, तो चलो टेस्ट कर लेते हैं. भगवान ने चाहा तो फिर मुलाक़ात होगी टोरोंटो में"
"अर्रेयरे भगवान का टेस्ट... चलो यह भी कर के देख लेंगे. अगर मुलाक़ात हुई तो फिर कॉफी पीने चलना पड़ेगा मेरे साथ. बोलो मंज़ूर है"
"मंज़ूर है"
"तो फिर आओ झप्पी पा लो" कहते हुए उसने ज़ोर से दिया को हग कर लिया. उसके बूब्स को अपनी छाती से स्पर्श कर के ही उसको चैन आया. उसने एक बात नोटीस करी कि हर पल के साथ, दिया और खूबसूरत होती जा रही थी.
"आप दोनो का ख़तम हो गया हो तो आगे शुरू करें?" सोनिया बोली
"लो कर लो बात. आप लोग हमारी पर्सनल बातें सुन रहे थे? शरम नही आती" बिट्टू ने हँसते हुए कहा "चलो खिड़की वाली मेडम से पूछते हैं. मेडम आप भी कुछ बताओ अपने बारे में"
"मेरा नाम तान्या है. बचपन में माँ बाप का देहांत हो गया था आक्सिडेंट में. टोरोंटो मैं भी पढ़ने के लिए जा रही हूँ" तान्या ने एक साँस में जवाब दिया. उसको इस इंट्रोडक्षन में कोई इंटेरेस्ट नही था.
"मेडम उस बॅग में ऐसा क्या है.. तब से उसको अपने साथ सटा के बैठी हो.." बिट्टू फिर बोला
"तुमसे मतलब? अपने काम से काम रखो..." तान्या उसे घूरते हुए बोली..
"हां मुझे तो कोई मतलब नही है. बस यह उम्मीद करता हूँ कि हम दोनो एक कॉलेज में ना हो... और आप भाई साब... आप भी शकल से इंडियन ही लगते हैं... टोरोंटो पढ़ाई के लिए?"
"हां.. रोहित.. रोहित नाम है मेरा. मेरे मम्मी पापा का भी बिज़्नेस है. पढ़ के जाउन्गा और बिज़्नेस को संभालूँगा. पहली बार इंग्लेंड से बाहर निकला हूँ. पला बढ़ा इंग्लेंड में ही हूँ."
"चलो हो गया इंट्रो सब का. अब कुछ खाने को दे दो. बहुत भूख लग रही है" बिट्टू ने रणवीर को बोला
"ओह सॉरी.. मुझे नहीं लगता कि यहाँ कुछ खाने को है.. देखता हूँ"
"यार कमाल करते हो आप.. 7 घंटे की फ्लाइट है और कुछ खाने को नही है, मैं तो पागल हो जाउन्गा. मेडम आपके बॅग में कुछ है क्या?"
तान्या ने फिर उसकी तरफ घूरा और कुछ नही बोली
"रणवीर देखो मेरे बॅग में कुछ सॅंड्विचस होंगे. वो दे दो" सोनिया पहले ही सारे साइंटिस्ट्स के लिए सॅंड्विचस बना के लाई थी, लेकिन टाइम कम होने के कारण किसी ने खाए नहीं.
"यह हुई ना बात. चिकन वाले हैं क्या?" बिट्टू बोला
"नहीं.. वेग है बिट्टू"
"अर्रे यार.. चलो वो ही आने दो.. अब कुछ तो खाना ही है" तभी रणवीर सॅंड्विचस ले कर आ गया. और बाँटने लगा. बिट्टू का नंबर तीसरा आया
"एक और मिलेगा.. थोड़े छोटे हैं" उसने रणवीर से बोला और एक और ले लिया
"नहीं जी मुझे नहीं चाहिए. आइ आम नोट हंग्री" जब रणवीर ने दिया के पास सॅंडविच किया तो वो बोली.
"अर्रे भूख कैसे नहीं है... सर आप रखो यहाँ.. मुझे पता है इसको अभी भूख लगेगी" कहते हुए बिट्टू ने सॅंडविच ले कर दिया के हाथ में थमा दिया और अपने वाले खाने लगा. "सो गयी क्या दिया?" 5 मिनिट बाद उसने पूछा. बाकी लोग भी सो गये थे
"ह्म.. अभी सोई ही थी. बोलो क्या हुआ"
"मैं कह रहा था कि नही खाना तो ज़बरदस्ती नही हैं, मैं खा लूँ?"
"अर्रे खा ले.. यह ले.. ठूंस ले" दिया ने हँसते हुए उसे सॅंडविच पकड़ा दिया जिसे वो 3 बाइटेड में हड़प कर गया.
उसने फिर थोड़ी देर बाहर देखा कि उसको अपने कंधे पर कुछ महसूस हुआ. मूड कर देखा तो दिया का सर था. वो मॅन ही मॅन बहुत खुश हुआ. दिया के चेहरे से उसकी नज़र नही हट रही थी. एक पोयम की तरह उसका चेहरा बिट्टू के दिमाग़ में घूम रहा था. अपने कंधे को और थोड़ा ढीला करके बिट्टू ने भी अपनी आखें बंद कर ली और दिया के सपनों में खो गया