परदेसी complete

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Sexi Rebel
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Re: परदेसी

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अब रात में सोया लेट, तो जायज़ है कि सुबह टाइम से उठा नही जाएगा. अलार्म को स्नऊज़ करते करते बिट्टू आधा घंटा लेट उठा. घड़ी को देखा तो उसके चेहरे पे बारह बज गये. "नहाने से तो कोई फ़ायदा है नहीं, वैसे भी कल ही नहाया हूँ.. आज शेव कर के ही चल पड़ता हूँ" उसने सोचा और जल्दी जल्दी शेव करने लगा. अब शेव तो जल्दी जल्दी करी नही जा सकती, तो दूसरे ही पल उसके चेहरे पे एक लंबा सा घाव हो गया. "ओह शिट.. यह क्या हुआ, मुझे बदसूरत बनाने की चाल...." उसने सोचा और बाकी की शेव निपटाई. बाद में वो अपने बॅग से डेटोल ढूँढ के लाया तो शीशे में देखा कि उसका चेहरा पहले जैसा सपाट था. घाव का कोई नामोनिशान नही था. उसने इस बारे में ज़्यादा नहीं सोचा और कपड़े बदल के, कॉलेज की तरफ रवाना हो गया.


कॉलेज हॉस्टिल से थोड़ा ही दूर था. बिट्टू ने फटाफट बॅग टांगा और ओलिंपिक रन्नर की तरह भागना शुरू कर दिया. कॉलेज पहुँचा तो देखा कि कोई भी स्टूडेंट खुला नहीं घूम रहा. "यहाँ साले सब पढ़ने के लिए ही आते हैं क्या..." उनसे सोचा और अपनी क्लास ढूँढने लगा. तभी उसको एक लड़की वहाँ से जाती हुई दिखी..

"हेलो.. एक्सक्यूस मी..." बिट्टू ने बोला पर उस लड़की ने उसकी तरफ नही देखा, तो बिट्टू ने ज़ोर से सीटी बजा दी. वो लड़की पीछे मूडी

"व्हाट आर यू डूयिंग.. दिस ईज़ आ कॉलेज"

"हां वो ठीक है.. यह बताओ कि फर्स्ट एअर की अकाउंट क्लास कहाँ है... लेट हो गया हूँ मैं"

"आ जाओ मेरे साथ. आइ विल टेक यू"

बिट्टू महाशय खुश. उसको लगा चलो कोई तो है जो मेरे साथ लेट हो गया है. एक क्लास के सामने पहुँच कर उस लड़की ने अंदर की ओर इशारा किया और घुस गयी. बिट्टू 2 कदम की दूरी पे था. अंदर झाँका तो देखा क्लास चल रही है. बिट्टू ने सोचा कि शायद यहाँ पे क्लास में घुसने से पहले पूछने पाछ्ने का सिस्टम नही है, वो लड़की भी तो घुस के आगे बैठ गयी थी, तो वो भी झट अंदर घुस गया और खाली सीट देखने लगा.

"एक्सक्यूस मी"

"यस मॅ'म"
"व्हाट डू यू थिंक यू आर डूयिंग??"

"मॅम वो बैठने के लिए सीट ढूँढ रहा हूँ"

"शरम नही आती तुम्हें ऐसे अंदर घुसते हुए..."

"लो मॅम शरम क्यूँ आने लगी.. अब यह गुरुद्वारा यह मंदिर तो है नहीं कि चप्पल खोल के घुसू.. और वैसे भी बाहर किसी और की चप्पल तो पड़ी नहीं है"

"आइ मीन.. क्लास में घुसने से पहले तुम्हें अपने आप को एक्सक्यूस करना चाहिए... ऐसे कैसे घुस रहे हो जैसे यह कोई प्लेग्राउंड है"

"मॅम वो लड़की भी घुसी थी, मैने सोचा कि यहाँ सब ऐसे ही होता होगा तो मैं भी घुस गया... सॉरी..."

"जाओ और जा कर बैठ जाओ... पहले दिन ही लेट आए हो... आगे से कोई भी लेट हुआ तो क्लास में घुसने नही दिया जाएगा.. और मिस्टर.. जिसको तुम देख कर अंदर घुस गये थे, शी ईज़ माइ टीचिंग असिस्टेंट.. कोई स्टूडेंट नही है जो तुम्हारी तरह लेट आई थी"

"अर्रे मेडम बोल तो दिया ना सॉरी.. नहीं होगा आगे से.. आप बोलो तो 100 बार लिख के दे दूं कॉपी पे" बिट्टू ने कहा और सारी क्लास ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी

"शट अप आंड टेक युवर सीट" गुस्से में आग बाबूला हो कर टीचर बोली

बिट्टू चुप चाप पीछे जा कर बैठ गया. धीरे धीरे करके उसने सारी क्लास का मुआयना किया. तान्या उसे वहाँ बैठी दिखी लेकिन दिया नहीं दिखी. उसको लगने लगा कि शायद वो दिया से कभी नही मिल पाएगा.. क्लास भी बोर हो रही थी.. यह सब तो उसने 1स्ट एअर में पढ़ रखा था.. तभी उसका ध्यान शेविंग इन्सिडेंट पर गया.. अब उसको यकीन हो रहा था कि उसके अंदर कुछ तो बात है जो उसको कोई बीमारी या चोट नही होती.. फिर उसको कल की बात याद आई रोहित वाली.. कहीं रोहित के साथ भी तो ऐसा नहीं है.. क्या कल वो सच मुच हवा में उड़ रहा था या मेरी ग़लतफेहमली थी.. वो यह सोच ही रहा था कि तभी एक ज़ोर की घंटी बजी और क्लास ख़तम हो गयी..

"रोहित नही आया क्या" बिट्टू ने जा कर तान्या से पूछा

"नहीं.. दिया नहीं दिखी मुझे"

"हे हे हे.. पर मैने तो रोहित के बारे में पूछा"

"पर मुझे पता है कि तुम क्या पूछने वाले थे अल्टिमेट्ली. रास्ते से हटो मुझे अगली क्लास के लिए लेट हो रहा है"

"तुम्हारे जैसी नकचड़ी लड़की मैने अपनी ज़िंदगी में नही देखी.. या शायद देखी है... याद नहीं.. पर तुम बहुत ही नकचड़ी हो" बिट्टू ने जाती हुई तान्या के पीछे बोला जिसके रिप्लाइ में तान्या ने बस उसको जीब निकाल कर चिड़ा दिया और चलती रही... बिट्टू को भी याद आया कि उसको नेक्स्ट क्लास में जाना है और वो क्लासरूम ढूँढने लगा. पूरा दिन क्लासस में निकल गया. रोहित से उसकी मुलाक़ात हो गयी थी लेकिन दिया उससे कहीं नही दिखी. अब उसको यकीन हो गया था कि दिया किसी और कॉलेज में ही पढ़ रही है. उसने सोचा कि चलो दिया ना सही, किसी और को ही ढूँढ लेते हैं टाइम पास के लिए. उसने डिसाइड किया कि कल से वो किसी और लड़की पे लाइन मारेगा.. लेकिन किस पे - यह था सबसे बड़ा क्वेस्चन. पूरा दिन उसने लड़कियों की तोल मोल करी और इस निष्कर्ष पे निकला कि तान्या ही सबसे सेफ बेट है. वो उसके देश की थी और वो उसको थोड़ा बहुत जानती थी.. तो बात तो आराम से शुरू हो जाएगी.. लेकिन सबसे बड़ी प्राब्लम भी यही थी - वो बिट्टू को जानती थी. हो सकता है कि वो पहली बार में ही चाँटा मार दे...
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Sexi Rebel
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Re: परदेसी

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दूसरी ओर तान्या बिट्टू से बहुत खिजी हुई थी. उसको ज़्यादा बोलने वाले लड़के बिल्कुल पसंद नही थे और उपर से बिट्टू उसको बहुत इरिटेटिंग लगता था. वो इतना कूल बनता था जबकि था एक बड़ा फूल. जब भी वो उससे देखती, गुस्से से आग बाबूला हो जाती. उसका बस चलता तो ऐसे इंसानों को पैदा होने से पहले ही मार डालती. वो अपनी ही धुन में खोई हुई चल रही थी कि पीछे से उससे किसी ने आवाज़ मार. पीछे मूडी तो देखा के दिया है.

"हाई तान्या. क्या हाल.. वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़"

"मुझे देख कर सर्प्राइज़.. वेट टिल यू सी युवर आशिक़"

"डोंट टेल मी... बिट्टू भी इसी कॉलेज में है.."

"हां.. सुबह से 3 बार तुम्हारे बारे में पूछ चुका है... मैं तो हैरान हूँ कि अभी तक तुमसे मिला नही"

"ढूँढ तो मैं भी उसे रही थी.. फिर मुझे लगा शायद इस कॉलेज में नही होगा"

"डोंट टेल मी दिया... तुम कैसे उसे अपना दिमाग़ खाने देना चाहती हो.."

"बस ऐसा ही है... और बताओ.. तुम्हें कहीं ड्रॉप कर दूं..."

"हां प्ल्ज़, मुझे लॅडीस हॉस्टिल ड्रॉप कर दो" तान्या ने कहा और दिया के पीछे पीछे उसकी कार की तरफ चली गयी

वापस हॉस्टिल जाते हुए बिट्टू को फिर से रोहित दिखा. बिट्टू उसके पास गया और साथ साथ वो दोनो हॉस्टिल चलने लगे. उनके साथ एक और बंदा था जिस से रोहित नोन स्टॉप किसी सब्जेक्ट के बारे में बात कर रहा था. "कैसे लोग है यार यह.. कॉलेज में पढ़ कर मॅन नही भरा तो अब भी पढ़ाई की बात कर रहे हैं" उसने सोचा.. सारा रास्ता बिट्टू चुप रहा. जो रास्ता सुबह जल्दी से कट गया था, वो उसको जीटी रोड जैसा लग रहा था अब.. ऐसा लग रहा था कि घंटों से चल रहा है पर हॉस्टिल नही आ रहा था. उपर से रोहित और जॅक की बकवास. जैसे ही हॉस्टिल आया और जॅक अपने रूम की तरफ बढ़ा, बिट्टू ने रोहित का हाथ पकड़ लिया. "रोहित यार मेरे रूम में आ. तुझसे बहुत इंपॉर्टेंट बात करनी है" उससे कहा और उसको खीच के अपने रूम में ले गया.

रोहित हैरान था कि ऐसी कौन सी बात करनी है बिट्टू को. फिर उसको लगा कि शायद कल रात के बारे में बात करनी हो. उसने पहले ही सोच लिया था कि सारा ब्लेम गांजे पे डाल देगा. रूम के अंदर पहुँच कर बिट्टू ने अंदर से रूम लॉक कर दिया

"बिट्टू तुम मेरा रेप तो नही करने वाले ना"

"अबे तुझे मैं गे लगता हूँ? और वैसे भी रोहित नाम वाले लोग गे होते हैं. चल उधर बैठ जा" कहते हुए बिट्टू कुर्सी पर बैठ गया. "यार कल रात जो मैने देखा, मुझे नहीं लगता कि वो गांजे का असर था."

"अबे पागल हो गया है क्या तू. तुझे क्या लगता है कि मैं सच मुच उड़ सकता हूँ?"

"हां मुझे यही लगता है. और यह भी लगता है कि तुम उड़ने की ही प्रॅक्टीस कर रहे थे जब मैं उपर आया. यार मैं शकल से मूरख लगता होऊँगा, हूँ नहीं."

"यार कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है यार. तुझे कैसे लग सकता है कि मैं कुछ ऐसा कर सकता हूँ जो और कोई इंसान नही कर सकता"

"क्यूंकी मैं भी कुछ ऐसा कर सकता हूँ"

"क्या बकवास कर रहा है" रोहित ने हैरानी से पूछा

जवाब में बिट्टू ने टेबल से चाकू उठाया और अपनी एक उंगली के आगे का छोटा सा हिस्सा काट दिया. देखते ही देखते उंगली में से खून निकलने लगा. 2-3 सेक बहने के बाद रोहित ने देखा कि बिट्टू की उंगली का घाव अपने आप ठीक हो गया और वो उंगली बिल्कुल पहले जैसी हो गयी. हैरानी में रोहित का मूह खुले का खुला रह गया. "यह देखकर तुझे लग गया होगा कि तू अकेला इंसान नही है जो स्पेशल है. प्लीज़ यार. एक दोस्त होने की हैसियत से बता दे. मैं सच हूँ या ग़लत"

"यह क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है मुझे कुछ नही पता बिट्टू.. तुम्हारा घाव ठीक कैसे हो गया?"

"बात को बदल मत रोहित"

"मुझे नहीं पता कि मैं उड़ सकता हूँ कि नहीं. पर हां.. मुझे यह लगता ज़रूर है कि मैं उड़ सकता हूँ"

"आज रात को 9 बजे छत पे मिलते हैं. लेट्स सी अगर हम तेरी पवर को डेवेलप कर पायें" बिट्टू ने एक लंबी सास छोड़ते हुए बोला

दिया को रात में नींद नही आई. वो बस करवटें बदलते बदलते बिट्टू के बारे में सोच रही थी. इतने बड़े टोरोंटो में, वो दोनो एक ही कॉलेज में है, ऐसा कोयिन्सिडेन्स तो नही हो सकता. शायद भगवान चाहता ही था कि वो और बिट्टू भी एक दूसरे से मिले. उसने सोचा कि कल जाते ही सबसे पहले बिट्टू को ढूँढेगी कॉलेज में.

"बेटा खाने के लिए आ जाओ"

"हां माँ आई" दिया ने बोला और झट से नीचे पहुँच गयी

"बेटे कैसा गया पहला दिन कॉलेज में" खाने की टेबल पर उसके पापा ने पूछा

"ठीक गया पापा."

"बेटा एक बात पूछूँ.. जब से तुम वापस आई हो, इतना गुम्सुम क्यूँ रहती हो.. आज भी कॉलेज से आ कर सीधा अपने रूम में चली गयी...सब ठीक तो है ना"

"पापा मैं आप लोगों को 10 बार कह चुकी हूँ कि सब ठीक है. क्यूँ दिन रात एक ही बात के पीछे पड़े रहते हो. क्या ज़रूरी है कि कुछ हुआ हो तभी मैं यहाँ आई हूँ?"

"बेटा इस तरह से सब छोड़ छाड़ के आ जाना तो सब ठीक होने की तरफ इशारा नही करता"

"क्यूँ एक बात के पीछे पड़े हुए हो... बोल दिया कि नहीं है तो नहीं है कोई प्राब्लम" दिया ज़ोर से चीखी और खाना छोड़ कर उपर चली गयी.

"अर्रे बेटा खाना तो खा ले. ऐसे क्यूँ नाराज़ होती है" उसके पापा ने पीछे से बोला. "अर्रे यह बत्ती को क्या हो गया... लगता है फ्यूज़ उड़ गया... अब खाने के बाद फ्यूज़ ठीक करना पड़ेगा"

दिया अपने रूम में गयी और अपने पलंग पर लेट गयी... उसके माँ बाप बार बार उसको वो रात याद दिलाते थे. वो ना चाहते हुए भी फिर उस डर और असहयता को एक्सपीरियेन्स करती थी. पहले तो उसको करेंट के झटके भी लगते थे, पर अब उसने उनको कंट्रोल करना सीख लिया था. लेकिन हर बार उसको अपनी पवर किसी चीज़ पे कॉन्सेंट्रेट करनी पड़ती थी. अभी कल प्लॅंट्स में आग लग गयी थी और आज फ्यूज़ पिघल गया. यह क्यूँ हो रहा है उसको नही पता था. पर जब भी उसके अंदर करेंट पैदा होता और वो उसे बाहर फेंकती तो उसको एक अच्छी सी पवर का एहसास होता. उसको लगता कि वो अब उतनी असहाय नही है जितनी उस रात थी. बस वो यही सोच रहही थी कि काश, उस दिन वो उस दरिंदे से बच पाती किसी तरह तो आज शायद उसकी ज़िंदगी इतनी उदास नही होती. उदासी में वो बाहर झाँक रही थी और झाँकते झाँकते कब सो गयी, उससे पता भी ना चला.
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Re: परदेसी

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"हां तो रोहित. कॉन्सेंट्रेट. तुझे हल्का महसूस हो रहा है... तू चलते चलते बहुत हल्का हो रहा है. अब तू हवा में उड़ रहा है... अब तू नीचे देख..."

"अबे तू क्या मुझे हाइप्नटिज़ कर रहा है हिन्दी फिल्मों की तरह?? ज़मीन पर ही हूँ मैं"

"यार मैं तेरी मदद कर रहा हूँ और तू ऐसे कर रहा है... कोशिश कर ना..."

"नही होती मुझसे और कोशिश."

"अबे तो कल कैसे हवा में चल रहा था... गांजा ख़तम है नहीं तो अभी तेरी नसों में घुसेड देता मैं.. तू उड़ बस.. मैं नही जानता"

"अबे मैं कोई रिमोट कंट्रोल्ड प्लेन नहीं हूँ जो ऐसे ही उड़ जाउन्गा"

"देख तू उड़ नहीं तो मैं फिर से अपना हाथ काट लूँगा. फिर खून को देख कर तुझे उल्टी होगी... तू जब तक नही उड़ेगा मैं तब तक ऐसा ही करता रहूँगा"

"शट अप बिट्टू.. क्या बच्पना है... नहीं उड़ा जा रहा मेरे से मैं क्या करूँ"

"क्या मैं तुझे नीचे धक्का दूं?? अपने आप उड़ जाएगा"

"और अगर नही उड़ पाया तो?"

"तो यमराज आ के उड़ा लेगा तुझे" कहता हुआ बिट्टू हँसने लग गया.

"तुझे हर वक़्त मज़ाक ही क्यूँ सूझता है यार? चल बहुत ठंड लग रही है, अंदर चलते हैं" असल में बात यह थी कि रोहित बिट्टू के सामने उड़ना नही चाहता था. वो नहीं चाहता था कि बिट्टू को पता लगे कि वो भी एक आम इंसान नही है. बिट्टू की हरकतें उसे अभी भी कोई ट्रिक लग रही थी. उससे नहीं लग रहा था कि बिट्टू अपनी उंगली काट रहा है. उसको लगा शायद वो कोई नयी ट्रिक सीख के आया है और उसको मूरख बना रहा है... "वैसे बिट्टू तू है कौन सी जगह से" रोहित ने पूछा तो पाया कि बिट्टू उसके पास नही है. उसने पीछे मूड के देखा तो बिट्टू छत की एड्ज पे खड़ा नीचे देख रहा था

"रोहित तेरे को पता है कि अगर मैं यहाँ से कूद गया, तो नीचे गिर के मुझे कुछ नही होगा"

"बिट्टू फालतू के काम मत कर और चुप चाप नीचे चल"

"अर्रे मैं सच कह रहा हूँ. यह देख" कह कर बिट्टू ने छलाँग मार दी

"बिट्टू...." रोहित ज़ोर से चिल्लाया और उसके पीछे दौड़ा. बिट्टू नीचे गिर रहा था. उसकी आँखें बंद थी. जब काफ़ी देर तक वो ज़मीन से नही टकराया तो उसने अपनी आँखें खोली

"हे हे हे.. उड़ गये ना फिर तुम. चलो मुझे वहाँ ले कर चलो" बिट्टू ने इशारा करते हुए कहा

"दिमाग़ खराब है तेरा बिट्टू. कहते हुए रोहित उसे ले कर वापस छत की तरफ बढ़ा"

"कसम है तुम्हें अपने प्यार करने वालों की रोहित, मुझे वहाँ ले कर चलो" बिट्टू ने फिर इशारा करते हुए कहा

"क्या है वहाँ बिट्टू जिस के लिए तू अपनी जान तक पे खेल गया"

"मेरी जान है वहाँ. आज ही कॉलेज के डेटबेस में हॅक करके उसका अड्रेस निकाला है. चल ले चल ना यार. एक पल भी नही रहा जाता अब उसको देखे बिना."


"पागल हो गया है तू बिट्टू."

"हां हो तो गया हूँ. लेकिन थोड़ा सा. चल उस बिल्डिंग के आगे से राइट टर्न ले लेना... और हां थोड़ा उपर उड़ ताकि कोई हमें देख ना ले" बिट्टू ने उसे गाइड करते हुए कहा

"बिट्टू मेरे से और नही उड़ा जा रहा बिट्टू. मैं थक गया हूँ"

"अर्रे बस पहुँच गये मेरे यार. होसला रख"

"अबे होसला क्या रख साले. गधा हूँ मैं जो मेरी पीठ पर इतना भारी समान लाद दिया"

"अर्रे तू मुझे समान मत कह. चल मैं तेरा मनोबल बढ़ाता हूँ गाना गा के"

"अबे बकवास मत कर.."

"तू जहाँ, जहाँ रहेगा, मेरा साया साथ होगा...."

"अबे यह क्या गाने गा रहा है... इससे कोई मनोबल उठेगा क्या"

"अबे बहुत हिट गाना है अपने टाइम का. कोई ममता कुलकर्णी का रापचिक आइटम सुनाऊं क्या"

"बिट्टू मेरे से सच में ... नही.. हो रहा" कहते हुए रोहित ने झट से नीचे हो कर छत का एंड पकड़ लिया और उसपे लटक के उपर खिच गया. अब बिट्टू बेचारे को पता भी नही था कि ऐसा होने वाला है. वो मज़े से रोहित की पीठ पे लदा हुआ था और कि अचानक से रुक जाने के कारण धम्म से उसकी पीठ से नीचे गिरा. कम से कम 10 मीटर की उचाई से वो नीचे गिरा.

"कौन है वहाँ..."घर के अंदर से आवाज़ आई. बिट्टू की आँखों के सामने तारे नाच रहे थे. सर पे चोट ज़ोर की लगी थी. थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा फिर खड़ा हो गया. "कौन है वहाँ, बाहर निकलो" फिर वो आवाज़ आई. बिट्टू को लगा कहीं वो आदमी गोली वोलि ना चला दे तो चुप चाप बाहर निकल गया.

"जी मैं बिट्टू हूँ. कोई चोर नही है. हाथ मेरे उपर ही हैं. प्लीज़ गोली मत चलना"

"यह तुम उपर से कहाँ से गिर रहे थे ??"

"जी मैने सोचा संतरे का पेड़ है. मूड हो रहा था खाने का तो चाढ़ गया"

"पर यह संतरे का पेड़ नही है"

"हां. उसपे तो बॅलेन्स की आदत है. ये कोई और पेड़ है इसलिए नीचे गिर गया. आप गोली मत चलाना"

"मेरे हाथ में बंदूक नही टॉर्च है. घर का फ्यूज़ उड़ गया है. वोही चेक करने आया था. तुम्हें फ्यूज़ ठीक करना आता है"

"अर्रे बिल्कुल आता है. मैने तो फ्यूज़ में ही पला बढ़ा हूँ. दिखाओ इधर" बिट्टू ने चैन की सास ली और लगा फ्यूज़ देखने.

"यह तो पूरा पिघल गया है.. नया लेना पड़ेगा सर जी आपको"

"अब इतनी रात में नया कहाँ से लाउ... यह तो कल सुबह ही हो सकता है अब.. लगता है रात अंधेरे में ही काटनी पड़ेगी"

"अर्रे हॅव नो फियर व्हेन बिट्टू ईज़ हियर... मैं डाइरेक्ट कनेक्षन कर देता हूँ.. मीटर की तार निकाल के... बहुत किया है गाओं में... लेकिन सुबह ठीक कर देना. गाओं में चलता था.. यहाँ किसी को पता चल गया तो कहीं फासी ना हो जाए"

"हां हां कर दूँगा. तुम लगाओ तो सही"

"अर्रे आप टॉर्च की लाइट मारो तो सही, ऐसे थोड़े लगेगा." बिट्टू ने कहा और लग गया काम में. 5 मिनिट में घर में बत्ती आ गयी. "लो जी हो गया. आप भी क्या याद रखोगे. घर मे संतरा है क्या?? मूड कर रहा है थोड़ा"

"हां हां अभी ला देता हूँ. अंदर ही क्यूँ नही आ जाते."

"अर्रे वाह आप तो बड़े बहादुर हो. किसी अंजान लड़के को ऐसे ही घर में घुसा दोगे संतरे के लिए..."

"शकल से तुम वैसे ज़्यादे बड़े चोर नही लगते.. और घर में मेरे पास बंदूक भी है" हँसते हुए उस आदमी ने कहा.."आ जाओ अंदर"

"संतरे के लिए तो मैं छत से कूद जाउ, यह घर में आना कौन सी बड़ी बात है.. चलिए... आज आपके घर का संतरा भी चख ही लेते हैं" बिट्टू ने कहा और पीछे पीछे हो लिया.
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