अब मुझे भी वहाँ खड़े रहने में शरम आ रही थी तो मैं भी अपने कमरे में की तरफ़ दौड़ी. कमरे में आ कर मैंने अपनी ननद की साड़ी को एक कोने में फ़ेंक दिया ओर अपने लिए अलमारी में कपड़े ढूंढने लगी.
मैंने सोचा कि मेरे भाई को रसोईघर में ले जाकर पहले तो उसकी पेट पूजा करवाएंगे, लेकिन खाने के लिये तो गुझिया और ठंडाई ही तो थे. मैं समझ गई के ये दोनों छिनाल रान्डे पहले तो मेरे भोले-भाले भाई को भांग वाली गुझिया और ठंडाई पिलाएगी और फिर इसके लंड को अपनी-अपनी चूत में घोंट के खायेन्गी.
चलो कोई बात नहीं, वो भी मेरा भाई है. हमारा खानदान भी कोई कम चुदक्कड नहीं है.!
होली (complete) बजाज का सफरनामा
- Smoothdad
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Re: होली (complete) बजाज का सफरनामा
thanks completing story
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Re: होली (complete) बजाज का सफरनामा
जल्द ही इससे बेहतरीन कहानी लेम आ रहा हु अगर ये पसंद आई हो तो कृपया करके कमेंट जरूर करे
Sanjay Bajaj