मजबूरी का फैसला complete

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abpunjabi
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Re: मजबूरी का फैसला

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ज़ाकिया ने लेटे हुए एकदम दुबारा करवट ली तो उसके जिस्म पर पड़ी चादर उसके जिस्म से स्लिप हो कमरे के फर्श पर जा गिरी |
दुसरे ही लम्हे ज़ाकिया ने अपनी टांगें थोड़ी समेटी तो ज़ाकिया का ड्रेस और ऊपर हो कर उठ गया | जिसकी वजह से ज़ाकिया की पैंटी और उसमें फंसी हुई उसकी गर्म चूत उसके भाई के सामने अपने पूरे आबो ताब से नुमायाँ हो गई |
यह नज़ारा देख कर वकास हक्का बक्का रह गया | उसका मुंह हैरत से खुल गया और वो अपने लंड की मुठ मारना भी भूल गया |

वकास की नज़र वाकिया ही अपनी बहन के शबाब को यूं बेनकाब होता देख कर पथरा गई थी |

वकास ने देखा कि ज़ाकिया की पैंटी उसकी चूत की जगह से बहुत गीली हो रही है | बहन की गीली पैंटी को देखकर वकास पहले तो यह समझा कि शायद छोटे बच्चों की तरह उसकी बहन ज़ाकिया को भी रात में सोते वक़्त बिस्तर पर ही पेशाब करने की बीमारी है |
लेकिन जब वकास ने गौर किया तो उसको ज़ाकिया की गांड के सिर्फ निचे वाली जगह ही थोड़ी गीली थी इसके इलावा बिस्तर की चादर किसी भी जगह से गीली नज़र ना आई |
इस पर वकास समझ गया कि उसकी बहन की चूत पेशाब की वजह से नहीं बल्कि कालों की चुदाई की आवाजों के असर से गीली होती रही है |
वकास दम बा खुद एक बुत की तरह चुपचाप बैठा अपनी बहन की चूत वाली जगह पर नजरें जमाए देखता रहा |
ज़ाकिया की पैंटी में उसकी मक्खन मलाई जैसी गोरी चिट्टी चुत साफ़ नज़र आ रही थी |
ज़ाकिया की पैंटी के दोनों तरफ डबल रोटी की तरह फूली हुई उसकी चूत के लिप्स और सफ़ेद भारी और गोल गांड पर कसी हुई पैंटी को देख कर वकास की बर्दाशत जवाब देने लगी |
बहन की चूत को इस तरह पैंटी में नुमायाँ देखते हुए वकास को ऐसे लगा | जैसे उसकी बहन की चूत उससे कह रही हो कि भाई जान,
“मेरा गोरा बदन कसा कसा हुआ
विच रेशम दे रेशम है फसया हुआ”
वकास अपनी बहन के कसे हुए जवान बदन और बहन की रेशम जैसी नर्म मुलायम फुद्दी का मज़ा लेना चाहता था |

इसी लम्हे उसके दिल ने उसको एक दफा समझाने की कोशिश की कि वो आज जो कुछ भी देख और कर रहा है वो गलत है , जो भी हो ज़ाकिया है तो उसकी सगी बहन, इसलिए वकास को उधर से हट जाना चाहिए |
लेकिन वकास का लंड आज अपनी बहन की पैंटी में छुपी हुई चूत का दीदार करने के लिए मचला जा रहा था |
क्योंकि उसके लंड को पता था कि उसको यह मौका शायद दुबारा ना मिले | इसीलिए वो आज इस मौके से पूरा फायदा उठाने पर वकास को मजबूर कर रहा था |

वकास अभी अपने दिल और लंड की कही हुई बातों पर ही गौर कर रहा था कि ज़ाकिया ने लेटते हुए एक साइड पर करवट बदल ली |
आखिरकार वकास ने अपने लंड की ही सुनी और उसने डरते डरते अपना हाथ आगे बढाते हुए अपनी बहन की पैंटी को एक साइड्स से उठा कर अपनी बहन की फुल नंगी चूत का पहली बार दीदार किया |

“उफ्फ्फफ्फ्फ़” बहन की चूत को देखते ही दिल ही धड़कन रूक सी गई | वकास ने कभी सोचा भी ना था की उसकी बहन की चूत इतनी प्यारी और खूबसूरत होगी |
abpunjabi
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Re: मजबूरी का फैसला

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वकास ने देखा कि उसकी बहन ज़ाकिया की चूत पर बहुत ही हलके बाल थे | जिनको देख कर यूं लगता था कि जैसे ज़ाकिया ने तीन चार दिन पहले ही अपनी हसीन चूत की शेव की हो |
ज़ाकिया की चूत के मोटे और भारी होंठों को आपस में चिपके हुए देखकर वकास दिल ही दिल में गुनगुनाने लगा
“तेनु पीन गे नसीबां वाले
तू नशे दिए बंद बोतले” |
वकास को यह तो पता था कि अब उसकी बहन की चूत बंद बोतल तो नही | मगर उसे यह भी इल्म था कि
“शराब जितनी पुरानी हो , उसका मज़ा भी उतना ही ज्यादा होता है” |
वकास ने एक दीवानगी के साथ आहिस्ता से अपनी ऊँगली से अपनी बहन की चूत के दोनों लिप्स को खोला |
जैसे कोई तितली अपने छोटे छोटे फर फैला रही है | अन्दर से वकास को अपनी बहन की पिंक कलर की चूत का छेद साफ़ नज़र आने लगा |
बहन की रस भरी चूत को इस तरह ओपन करते वक्त वकास को अपने महरूम बहनोई अकरम से एक जलन सी महसूस होने लगी |
जिसने उसकी बहन की कुंवारी चूत की सील तोड़ कर उसे एक औरत बनाया था | वकास सोचने लगा कि काश अकरम की जगह अगर वो अपनी बहन की सील तोड़ता तो कितना मज़ा आता |

“अब गया वक़त तो हाथ नहीं आ सकता , इसीलिए अब पुरानी बातों पर अफ़सोस करने की बजाए मुझे इस मौजूदा लम्हे का मज़ा लेना चहिये” , वकास ने अपने दिल को तसल्ली देते हुए अपना हाथ बिस्तर पर पड़े बहन के आधे नंगे बदन पर डाला |
वकास का अपने बहन की चूत को ऐसे हाथ लगाने से बहुत मज़ा आया | ज़ाकिया की फुद्दी बहुत नर्म थी | वकास ने जब ज़ाकिया की चूत को हल्का सा टच किया तो उसे महसूस हुआ कि उसकी बहन की गर्म फुद्दी रात भर छूटने की वजह से अभी तक चिप चिप कर रही है |
अपनी बहन की चूत को इस तरह नंगा करने और उसे पहली बार छूने से ही वकास की हालत बुरी होने लगी |
कमरे में लगे एसी के बावजूद वकास को बहन की चूत के इतने नज़दीक होने की वजह से शायद गर्मी महसूस हुई तो चंद सेकंड्स के अन्दर वकास अपने कपड़ो से आजाद हो कर बिलकुल नंगा हो गया | उसका लंड तन कर उसके पेट से लग गया था |


अब कमरे में हालत यह थी कि वकास बिलकुल नंगा नींद में बेहोश बहन के बिस्तर पर चढ़ कर उसकी टांगों के दरमियाँ बैठा हुआ था |
वकास आज अपने जिंसी जज़्बात में इतनी बुरी तरह से बहक चूका था और उसे कुछ होश और समझ ना रही कि वो क्या कर रहा है |
इस वक्त उस पर सिर्फ और सिर्फ अपनी बहन की जवानी का नशा चढ़ा हुआ था |
और उसी नशे में डूबे हुए वकास ने बिस्तर पर बैठे बैठे अपने लंड से खेलना शुरू किया | लंड से खेलते वक्त वकास ने अपनी बहन की पैंटी को एक हाथ में पकड़ कर अपनी बहन की चूत पर लगी हुई बहन की कम को देखने लगा |
पता नहीं वकास को क्या सुझा कि उसने जिझ्कते जिझ्कते अपनी दुसरे हाभ की ऊँगली आगे बढाई और ज़ाकिया की चूत में लगी उसकी कम को हल्का सा छुआ तो ज़ाकिया की चूत का पानी उसकी ऊँगली पर लग गया |
वकास के इस तरह ज़ाकिया की चूत को छूने से ज़ाकिया नींद में थोड़ी से हिली | जिस पर वकास का खून उसके जिस्म में खुशक हो गया |
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