मजबूरी का फैसला complete

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abpunjabi
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Re: मजबूरी का फैसला

Post by abpunjabi »

उसी दिन शाम को बाज़ी रेहाना ने वकास और ज़ाकिया से शैज़ा और उस्मान के रिश्ते की बात की | मगर वकास और जाकिया ने शादी से साफ़ इनकार कर दिया |

जब रेहाना ने इनकार की वजह पूछी | ज़ाकिया ने तो कह दिया कि वो अब दुबारा कभी शादी नहीं करेगी |

जबकि वकास ने साफ़ कह दिया कि वो किसी और से मोहब्बत करता है | इसीलिए वो शैज़ा को अपनी बीवी नहीं बना सकता |

शैज़ा को जब वकास के जवाब का इल्म हुआ तो वो दिल बर्दाश्त होकर अपने भाई के साथ वापिस अपने गाँव चली गई |

दुसरे दिन एअरपोर्ट पर जब वकास सब से अलविदा हो रहा था तो उसकी आँखों की पुतली से छलकते आंसुओं को सिर्फ ज़ाकिया ही देख पाई |

वकास का दिल चाहता था कि काश ज़ाकिया उसके साथ चली आए या उसे ही जाने से रोक ले | मगर ऐसा कूछ ना हुआ और वकास टूटे दिल और बोजल क़दमों के साथ डीपारचर्र लाउंज की तरफ चला गया |

वकास को गए अभी तीन दिन ही हुए थे कि ज़ाकिया ने नोट किया कि उसकी बहनों का उससे सलूक पहले के मुकाबले थोडा मुक्तलफ़ हो गया है | जिन बहनों के साथ वो अपनी बाकी की ज़िन्दगी गुजारने अमेरिका छोड़ कर चली आई थी , लगता था कि उन बहनों को जैसे उसकी कोई परवाह ही ना हो |

ज़ाकिया की दोनो बहनों का ज्यादा टाइम अपने बच्चों को दरमियाँ ही गुजरता और चंद ही दिनों में ज़ाकिया अपने आप को अपने ही घर में एक अजनबी सा महसूस करने लगी |

पहले तो ज़ाकिया ने इस बात को अपना वहम समझा | मगर फिर एक दो दिन बाद उसे यकीन हो गया कि कोई वजह जरूर है , जिसकी वजह से उसकी बहने उससे बदली बदली सी हैं |

इस बात की वजह पहले तो ज़ाकिया को समझ नहीं आई मगर फिर एक दिन उस पर यह राज़ भी खुल ही गया |

एक रात ज़ाकिया को नींद नहीं आ रही थी और बिस्तर पर करवटें बदलते बदलते उसे पानी की प्यास महसूस हुई , तो वो आहिस्ता से अपने कमरे से निकल कर किचन की तरफ चली आई |

किचन की तरफ जाते हुए जब वो अपनी बहन रेहाना के कमरे के पास से गुजरने लगी तो ज़ाकिया को बहन के कमरे से बाजी रेहाना और अस्मत की बातों की आवाज़ सुनाई दीं |

रेहाना : अस्मत बहन, मुझे तो शक था कि ज़ाकिया वकास के साथ ही वापिस अमेरिका चली जाएगी , मगर लगता है वो तो पक्की ही इधर रहने का इरादा रखती है |

अस्मत : लगता तो मुझे भी कुछ ऐसा ही है लेकिन अगर वो मनहूस इधर रहना चाहती है तो परेशानी की क्या बात है रेहाना ?

रेहाना : कैसी बात करती हो तुम , परेशानी तो है ना , तुम जानती हो कि गाँव वाला और यह मकान दोनों ज़ाकिया के नाम हैं और हम लोग तो यह समझ रहे थी कि वो अब कभी

वापिस नहीं आएगी और यूं गाँव वाले मकान पर बड़ी बाजी और इस मकान पर अब हम दोनों बहनों का ही क़ब्ज़ा होगा |

साथ ही मेंरी पूरी कोशिश थी कि वकास से शैज़ा और ज़ाकिया से उस्मान की शादी करवा कर शैज़ा और उस्मान के ज़रिए वकास और ज़ाकिया का सारा रूपया पैसा काबू कर लूं |

मगर वो मंसूबा भी नाकाम हो गया और अब यह चुड़ैल ज़ाकिया इधर ही रहना चाहती है तो अब हमें ज़ाकिया के मकानों को अपनी मल्कियत बनाने का ख्याल दिल से निकाल देना होगा |
बहनों की बातें सुन कर ज़ाकिया अपनी प्यास को भूल गई और पानी पिए बगैर वापिस अपने कमरे में चली आई |

उसे अपनी बहनों की बात सुन कर बहुल दिली तकलीफ पहुंची |

अकरम की जायदाद में से अब ज़ाकिया के पास गाँव और लाहौर वाला मकान ही बाकी रह गये थे और अगर ज़ाकिया यह दोनों मकान भी अपने हाथ से गँवा बैठी तो उसे डर था कि आखरी उम्र में वो किधर धक्के खाती फिरेगी |

इसीलिए दुसरे दिन उसने सुबह अपनी बहन रेहाना को सब बता दिया कि उसने रात को उन दोनों बहनों की सब बातें सुन ली हैं और साथ ही रेहाना को यह भी बता दिया की “हाँ” वो अब वापिस अमेरिका भी नहीं जा रही , इसीलिए उसके जीते जी वो लोग उसके मकानों पर कब्जे का ख्याल दिल से निकाल दें |

ज़ाकिया की बात सुन कर रेहाना को गुस्सा तो बहुत आया मगर वो किसी मसलिहत की वजह से चुप हो गई |

रेहाना एक चलाक औरत थी और वो ज़ाकिया को काबू करने के लिए किसी मुनासिब मौके की तलाश में लग गई और यह मौका उसको जल्द ही मिल गया |
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rajaarkey
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Re: मजबूरी का फैसला

Post by rajaarkey »

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Re: मजबूरी का फैसला

Post by pongapandit »

achha update
abpunjabi
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Re: मजबूरी का फैसला

Post by abpunjabi »

कुछ ही दिन गुजरे थे | एक शाम रेहाना ने ज़ाकिया को बाथरूम में उल्टियाँ करते देखा तो उसका माथा ठनका |

रेहाना ने फ़ौरन ज़ाकिया से जा कर पुछा, “क्या बात है ज़ाकिया तुम्हारी तबीअत तो ठीक है” |

ज़ाकिया ; मैं ठीक हूँ बाज़ी, लगता है कि कोई बासी चीज़ खा ली थी जिससे पेट खराब हो गया है |

रेहाना जोकि अब तक तीन बच्चों की माँ बन चुकी थी | उसे नाजाने क्यों शक पड़ा कि यह उल्टियाँ पेट ख़राब होने की वजह से नहीं बल्कि मामला कुछ और है |

इसीलिए उसने फ़ौरन ज़ाकिया को साथ लिया और नजदीकी क्लिनिक में एक लेडी डॉक्टर के पास चेकअप के लिए चली आई |

लेडी डॉक्टर ने चेकअप के बाद जब ज़ाकिया को बताया कि वो ना सिर्फ “उम्मीद” से है बल्कि उसकी प्रेगनेंसी का दूसरा मंथ स्टार्ट हो गया है तो डॉक्टर की बात सुन कर ज़ाकिया के तो होश ही उड़ गए और उसके पैरों तले से ज़मीन निकल गई |

ज़ाकिया को अब याद आया कि वकास से चुदाई के वक़्त उसकी बच्चेदानी अपने पूरे जोबन पर थी |

फिर जब वकास ने अपना पानी उसकी फुद्दी में छोड़ा था तो उसकी बच्चेदानी ने वकास के लौड़े का सारा पानी अपने अन्दर पूरा जज़ब कर लिया था और उस का नतीजा आज जाकिया के सामने ज़ाहिर हो गया था |

रेहाना पर भी यह खबर एक बिजली बन कर गिरी मगर उसने क्लिनिक में ज़ाकिया से पूछ ताश मुनासिब ना समझी |

यों ही रेहाना ज़ाकिया के साथ घर में दाखिल हुई उसने ज़ाकिया पर सवालों की बोछार कर दी |

रेहाना : ज़ाकिया यह किसका गुनाह अपने पेट में पाल रही हो |

ज़ाकिया खामोश रही , जवाब देती भी तो क्या कि उसके पेट में पलने वाले बच्चे का बाप उसका अपने ही सगा भाई है |

रेहाना : खामोश क्यों हो , जवाब दो, कौन है इस बच्चे का बाप , किसी अंग्रेज़ के साथ रंगरलियाँ मनाती रही हो तुम, जवाब दो |

“कोई अंग्रेज़ नहीं है बाज़ी”, ज़ाकिया अपनी नज़रें झुकाए शर्मिंदगी से बोली |


“कोई अंग्रेज़ नहीं तो फिर कौन है जिससे तू अपना मुंह काला करती रही है” , रेहाना चिल्लाई |

ज़ाकिया कुछ ना बोली |

ज़ाकिया की खामोशी देखकर रेहाना के दिमाग में अचानक एक बात आई और उस बात को सोचते ही रेहाना फ़ौरन चौंक गई और बोली, “अच्छा अब मुझे यह सारा मामला समझ आया है , लगता है कि वकास और तुमने निकाह तो जाली किया था मगर सुहागरात असल वाली मना कर बच्चा भी असली ही बना लिया है , क्यों मैं ठीक कह रही हूँ ना” |

रेहाना के मुंह से यह बात सुनकर ज़ाकिया का रंग फक हो गया और वो अपनी बहन से नज़रें चुराने लगी |

ज़ाकिया के चेहरे का रंग उड़ता देखकर रेहाना समझ गई कि उसका तीर सही निशाने पर लगा है |

“ज़ाकिया तुम्हे शर्म नहीं आई , अपने ही भाई से नाजायज़ तालुक्कात कायम करते, अगर तुम्हे इतनी ही गर्मी चडी थी तो किसी और को काबू कर लेती , मगर अपने ही भाई..... , लानत है तुम पर बेगैरत” रेहाना ने ज़ाकिया को कोसते हुए कहा |

ज़ाकिया : क्या बकवास कर रही है आप , मैंने वकास को नहीं फंसाया बल्कि उसने मेरे साथ ज़बरदस्ती ज्यादती की है |

रेहाना : ज़बरदस्ती , वाह जी वाह, जैसे तुम अभी मासूम बच्ची हो ना |

ज़ाकिया : बाजी , आप मेरी बात का यकीन करें मैं बेगुनाह हूँ |

रेहाना : अपनी बेगुनाही अब तुम बाज़ी मुख़्तार और बाजी अस्मत के सामने ही पेश करना |

“नहीं बाज़ी, आप उन दोनों को कुछ ना बताना वरना मैं खुदकुशी कर लूंगी” ज़ाकिया ने रोंदी आवाज़ में अपनी बहन के सामने हाथ बांधते हुए कहा |

जब रेहाना ने ज़ाकिया को अपनी मिन्नत करते देखा तो उसने सोचा कि अब उसके लिए यह एक सुनहरी मौका था कि वो ज़ाकिया को ब्लैकमेल करके उसकी सारी जायदाद अपने नाम करवा सकती है |

रेहाना : अच्छा अगर तुम कहती हो , मैं किसी को कुछ नही बताउंगी मगर इसके लिए मेरी एक शर्त है |

जाकिया : वो क्या ?

रेहाना : यह बात राज़ में रखने के लिए तुम्हे अपने दोनों मकान हम तीनो बहनों के नाम लिखवाना होंगे और अपना यह नाजायज़ बच्चा भी गिराना होगा |

ज़ाकिया : एबॉर्शन की बात तो ठीक है मगर मकान बाजी?

“अगर मगर की कोई गुंजाश नही , मेरी शर्त मंजूर है तो बता दो वरना मैं तुम्हें पूरे खानदान में रूसवा कर दूंगी “ रेहाना ने एक स्फ़ाक लहजे में अपना फैसला सुना दिया |

बहन के दो टूक फैसले के सामने ज़ाकिया की इनकार की हिम्मत और कोई चॉइस नहीं थी इसीलिए “ अच्छा बाज़ी मैं राज़ी हूँ , मगर मुझे दो दिन की मोहलत दो” , ज़ाकिया ने अपनी हार मानते हुए कहा और अपने कमरे की तरफ चल पड़ी |

कमरे में वापिस आते वक़्त ज़ाकिया को पीछे से रेहाना की आवाज़ सुनाई दी, “अगर तुमने दो दिन तक अपना वादा पूरा ना किया तो याद रखना, मैं तुम्हें हीरा मंडी में जाकर किसी कोठे पर बैठा दूंगी , समझी तुम” |

अपनी बहन की बकवास को सुनकर जाकिया की आँखों में आंसू उमड़ आए |

लेकिन वो रेहाना की बात को अनसुनी कर अपने कमरे में पहुँच गई और दरवाज़ा बंद करके अपने बिस्तर पर गिर पड़ी और फूट फूट कर अपनी किस्मत पर रोने लगी |

रात का अधेरा आहिस्ता आहिस्ता बढने लगा और ज़ाकिया बिना कुछ खाए पिए ही अपने बिस्तर पर लेटे रही |

वो काफी देर तक सोने की कोशिश करती रही | मगर उसके दिमाग में चलने वाली सोचों ने उसे सोने ना दिया |


अपनी बहन का सफकाना और ब्लैकमेल वाला रैवीया देखकर ज़ाकिया को इस बात की अब समझ आ गई कि इस दुनिया में सिर्फ और सिर्फ माँ बाप का ही एक रिश्ता ऐसा है जो बेलोस होता है बाकी सब रिश्ते वक़्त के साथ साथ कभी ना कभी लालची हो जाते हैं |

जिन बहनों के घर आबाद करने के लिए ज़ाकिया ने कुर्बानी दी और अपनी जवानी को एक बूढ़े आदमी के हवाले कर दिया था | आज इन ही बहनों का लालची पन खुलकर उसके सामने आ गया था |

आज उसकी बहने उसकी कुर्बानी का सिला उसके सर से छत का साया छीन कर लोटाना चाह रही थीं | अपनी बहनों के इस सलूक से ज़ाकिया का दिल खून के आंसू रो रहा था |

इसी किस्म की बातें सोचते सोचते ज़ाकिया का दिमाग अपने आप उसके भाई वकास की तरफ मुड गया |

वकास का ख्याल दिल में आते ही बचपन से लेकर जवानी तक ज़ाकिया को अपने और भाई के दरमियाँ होने वाले तमाम वाकियात और बातें अपनी जागती आँखों में एक ख्वाब की तरह सामने आने लगीं |

अपने जाली निकाह से लेकर उसके शोहर अकरम की मौत के बाद वकास ने उसे हौंसला दिया और ज़ाकिया को एक गमज़दा जिंदगी से बाहर निकाला |

उसके बाद कई मौके पर वकास का ज़ाकिया से अपनी बातों और हरकतों के ज़रिए इज़हारे मोहब्बत करना और आखिरकर अपनी ही बहन के साथ ज़बरदस्ती जिस्मानी तालोक़त कायम करके उसे अपने बच्चे की माँ बना यह ज़ाकिया के ख्याल में उसके भाई वकास की उसके साथ प्यार की इंतिहा थी |

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