मजबूरी का फैसला complete

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abpunjabi
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Re: मजबूरी का फैसला

Post by abpunjabi »

भाई की ज़बरदस्त झटकों के आगे ज़ाकिया अपनी हिम्मत हार बैठी और एक वेबस इंसान की तरह अपनी टांगें खोल अपने ही भाई से चुदती रही |
वकास के लंड को ज़ाकिया की फुद्दी का मज़ा आ रहा था | ज़ाकिया की फुद्दी अन्दर से इन्तेहाई गरम थी कि जैसे कोई आग हो | फिर क्या था , वकास पागल सा हो गया इन्तेहाई जोरदार झटके देने लगा | उसके झटके इतने जोरदार थे कि बेड में से भी चूं चूं की आवाजें निकलने लगी |
और ज़ाकिया अपने भाई की चुदाई की शिद्दत से बेहाल हो गई | हर झटके के साथ वो कभी हाए... मर गई कहती तो कभी कहती बस...स...स , सी... बस्सस्सस्स | लेकिन वकास था कि उसके झटके तेज़ से तेज़ तार होते चले जा रहे थे |
ज़ाकिया की फुद्दी पूरी तरह से खुल चुकी थी , फट चुकी थी | अब वकास का लंड फुद्दी में अन्दर बाहर होने की वजह से ज़ाकिया की फुद्दी से पिच... पिच... पिच जैसी आवाजें आना शुरू हो गई थीं |
वकास बहन की चुदाई के साथ साथ अपनी बहन ज़ाकिया की छातियों से भरपूर तोर पर लुत्फ़ अंदाज़ हो रहा था | वो कभी बहन की छातियों को हाथ से पकड़ कर दबाता और कभी शर्ट के ऊपर से उनको किस करता |

वकास पसीने से सरोबर था , गर्मी उसके दिमाग तक चढ़ चुकी थी और आखिरकार उसके गर्म लंड ने अपना बीज निकाला तो निचे से बहन की फर्टाइल बच्चेदानी ने एक भूखे बच्चे की तरह अपना मुंह खोल कर भाई के बीज को फ़ौरन अपने अन्दर निगल लिया |

ज़ाकिया की फुद्दी उसके अपने भाई की मणि से भर गई | वकास काफी देर तक रिलीज़ होता रहा |
और आखिरकार उसने अपना लंड एक झटके के साथ ज़ाकिया की फुद्दी से निकाला और वो ज़ाकिया के साथ ही बिस्तर पर ढेर हो गया |
पूरे बेड पर जगह जगह नमी थी , वकास की मणि की नमी, ज़ाकिया की प्यासी गर्म चूत की नमी |
मगर बिस्तर पर पड़ी नमी के साथ साथ ज़ाकिया की उदास आँखें भी आंसुओं की शकल में अपनी नमी छोड़ रहीं थी लेकिन वकास इस नमी को देखे बगैर ही नींद की आगोश में चला गया |
थोड़ी देर ज़ाकिया भी भाई के साथ उसी बिस्तर पर एक तरफ हो कर सीधी लेटी रही |
जिस वजह से उसके भाई की मणि उसकी चूत के आख़री कोने में जा कर जज़ब होती रही |
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Kamini
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Re: मजबूरी का फैसला

Post by Kamini »

Bahut time bad update wo bhi chhota sa
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Kamini
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Re: मजबूरी का फैसला

Post by Kamini »

स्वतंत्रता दिवस और श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएं.....🙏🏻🙏🏻
abpunjabi
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Re: मजबूरी का फैसला

Post by abpunjabi »

वकास की इन्तहाई बेरहम और भरपूर तरीके से की हुई चुदाई के असर उसकी बहन की सूजी हुई चूत पर साफ़ देखा जा सकता था |
अपने भाई को अपने साथ ज़बरदस्ती चुदाई करने के बाद अपने ही बिस्तर पर सोता देख कर ज़ाकिया के पूरे बदन में गुस्से की एक लहर से दौड़ गई |
ज़ाकिया का दिल चाहा , वो इसी तरह अधनंगी उठकर कमरे से बाहर निकल जाए और चीख चीख कर लोगो को अपने साथ अपने ही भाई के किये जुल्म की दास्ताँ सुनाए |
मगर ज़ाकिया यह सोच कर बिस्तर पर खामोश पड़ी रही कि अगर रात की “तन्हाई”“ में एक भाई के अन्दर का “जानवर” अपने जिन्सी जज़्बात के नशे में इस तरह जाग कर अपनी ही सगी बहन की अस्मत को बेदर्दी से तार तार कर सकता है तो फिर बाहर के लोगो से वो क्या उम्मीद रख सकती है |
वैसे भी ज़ाकिया रात को अपने जिस्म पर मर्दों की भूखी नज़रों को देख कर जान गई थी कि अगर वो अध नंगी हालत में रात के इस वक़्त लॉस वेगास जैसे गुनाहों से भरे सिटी में निकली तो बाहर के भूखे मर्द उसके जिस्म की बोटी बोटी नोच लेंगे |

इसी तरह की बातें अपने दिमाग में सोचते ज़ाकिया उस बेड से उठी | ज़ाकिया की स्कर्ट वकास और उसके अपने जूस लगने की वजह से काफी गीली हो गई थी | इसीलिए ज़ाकिया ने अपनी स्कर्ट को अपने जिस्म से उतार कर अपने अंडरवियर में वकास के बेड पर आ कर लेट गई |
उधर दूसरी तरफ सुबह सवेरे जब वकास की आँख खुली तो उसने देखा कि वो अपने बेड की बजाए अपनी बहन ज़ाकिया के बेड पर ही एक तरफ करवट किए हुए सो रहा है ,
“रात का नशा अभी
आँख से गया नहीं”
वाले गाने की मानिद वकास के “होशो हवास” पर अपनी बहन के साथ बिताए हुए “रात” के “नशे” का “खुमार” अभी तक छाया हुआ था |
वकास अपने दिल में बहुत खुश था कि कल रात उसने अपनी ही बहन की चूत में अपना लंड डालकर अपनी बहन के साथ अपने इश्क की तकमील कर ली थी |
वकास अपने आपको इस दुनिया का सब से खुशनसीब इंसान मानते हुए अभी भी अपनी बहन की चूत की “गर्माइश” को अपने लंड की एक एक रग में महसूस कर रहा था |
अभी वकास बहन की जवानी के नशे में ही मदहोश था कि इतने में उसके कानो में किसी के रोने की आवाज़ पड़ी |
जिसको सुनते ही वकास के दिमाग पर छाया हुआ सारा “सरूर” उतर गया और वो फ़ौरन अपने बेड से उठ बैठा |
बेड से उठते ही वकास ने अपने पीछे मुड कर देखा कि जिस बेड पर वो रात को मोटल में वापसी पर खुद सोया था, उधर उसकी बहन ज़ाकिया सिर्फ अपने अंडरवियर और शर्ट में ही उसकी तरफ पीठ कर के “ओंधे मुंह” लेटी हुई लगातार रोए जा रही है |

वकास समझ गया कि जाकिया अभी तक रात के वाकिया की वजह से अपसेट है | अपनी बहन को यूं रोते देख कर वकास का दिल टूट गया |
और चंद लम्हे पहले तक अपनी बहन की गर्म जवानी के नशे में धुत और बहन की फुद्दी की इन्तहाई गहराईओं में जा कर धूम मचाने वाला और बहन की फुद्दी के मज़े से मचलता वकास का मोटा और मज़बूत लंड “मूत्र की जाघ” की तरह बैठ गया |

बहन को यूं रोता देख कर वकास को भी अब अहसास हुआ कि रात को उससे कितनी बड़ी गलती ही नहीं हुई बल्कि अपनी जिंसी हवस के हाथों मजबूर होकर उससे एक बहुत बड़ा गुनाह हो गया है |
गुनाह का अहसास करके वकास को अपने आप से ही शर्मिंदगी महसूस होने लगी |
उसको समझ नहीं आ रही थी कि वो अब अपनी बहन का सामना किस मुंह से करे |

मगर अब जो भी हो वकास को अपनी बहन का सामना तो हर हाल में करना ही था |
इसीलिए वकास बोजल क़दमों के साथ आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ ज़किया की तरफ कदम बढने लगा | बहन की तरफ जाते हुए वकास को अपने कदम मनो भारी महसूस हो रहे थे |
“ज़ाकिया मेरी बहन, क्या बात तुम रो क्यों रही हो” वकास ने ज़किया के पीछे से जा कर उसके कंधे पर हाथ रखते और “अनजान” बनते हुए पूछा |
“छोडो मुझे बैगेरत इंसान, मुझे हाथ मत लगाओ और ना मुझे बहन कह कर बुलाओ , बहन भाई के मुकद्दस रिश्ते को तो तुम खुद कल रात अपने हाथों से कत्ल कर चुके हो”, ज़ाकिया ने वकास का हाथ अपने कंधे से एक ज़ोरदार झटके से हटाते हुए कहा |
“ज़ाकिया मुझे पता है कि रात को वेगास के माहौल और साथ वाले कमरे से आती आवाज़ों के असर से मैं बहक गया और तुमसे एक गलत काम कर बैठा और इसके लिए मैं तुमसे माफ़ी का तलबगार हूँ” वकास ने ज़ाकिया के सामने आते हुए कहा |
ज्यों ही वकास ज़ाकिया के सामने आया तो ज़ाकिया ने देखा कि उसका भाई उसके सामने बिलकुल नंगा खड़ा है |
वकास की टांगों के दरमियाँ लटके हुए उसके मोटे और लम्बे लंड पर ज़किया की चूत का जूस जम कर खुशक हो गया था और इस जमे हुए चूत के जूस की वजह से लंड पर एक छोटी सी तह बन गई थी |
जिस वजह से वकास के लंड को पहली नज़र में देख कर ऐसा लगता था कि जैस किसी ने उसके हलके सांवले लंड पर थोडा सा सफ़ेद पेंट लगा दिया हो |
ज़ाकिया ने भाई को इस हालत में देखते हुए फ़ौरन अपनी आँखों पर हाथ रखा और जोर से चिल्लाई ,“बेशरम इंसान अब तो अपने कपडे पहन लो” |
वकास को अपनी बहन की गुस्से भरी आवाज़ सुन कर एक दम याद आया कि वो तो नंगा ही बिस्तर से उठ कर ज़ाकिया के सामने चला आया है |
वकास ने बेईख्तियारी में अपने लंड पर हाथ रखा और दौड़ते हुए ज़ाकिया के बेड से कपडे उठा कर बाथरूम में घुस गया और अपने कपडे पहनने लगा |
इधर वकास के बाथरूम जाने के बाद ज़ाकिया बिस्तर पर लेटते हुए अपने साथ बीतने वाले वाकिया को एक भयानक ख्बाव समझ कर भूल जाना चाहती थी |
लेकिन उसकी चूत से उठती हुई सख्त दर्द की लहरें उसे फील करा रही थी कि रात उसके साथ होने वाला वाकिया एक ख्वाब नहीं था बल्कि उसके भाई ने हक़ीकत में उसकी चूत की पहली बार सही मानों में तसल्ली से चुदाई की है |
abpunjabi
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Re: मजबूरी का फैसला

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Kamini wrote: 15 Aug 2017 11:37 स्वतंत्रता दिवस और श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएं.....🙏🏻🙏🏻
आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ
Kamini wrote: 13 Aug 2017 08:37 Bahut time bad update wo bhi chhota sa
कहानी जरुर पूरी होगी , कामिनी जी |
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