मजबूरी का फैसला complete
- rajaarkey
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Re: मजबूरी का फैसला
bahut achha update hai dost
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- Ankit
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Re: मजबूरी का फैसला
waiting bhai
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Re: मजबूरी का फैसला
ज़ाकिया ने बेड से उठना चाहा तो उसे बेड से उठने में भी तकलीफ हुई | बहुत हिम्मत करके वो उठी और अपने बैग में पड़ी अपनी शलवार कमीज़ को निकालने के लिए कमरे के कोने में रखे बैग की तरफ कदम बढाए तो उसे चलते हुई अपनी चूत के सुराख़ में सख्त दर्द हुआ |
जिस वजह से ज़ाकिया से अभी सही तौर पर चला भी नहीं जा रहा था | मजबूरन वो अपनी टांगें थोडा खोल कर चलने लगी |
दूसरी तरफ बाथरूम में कपडे पहनते वक़्त वकास को चंद लम्हे पहले वाली अपनी हरकत पर खुद ही थोड़ी हंसी आने लगी कि उसने ज़ाकिया के सामने नंगा होने के अहसास होते ही कैसे अपने लंड को हाथ से छुपाने की कोशिश की थी |
हालांकि यह वो ही लंड था जिसे वो रात अपनी ही बहन की चूत में दाखिल कर के उसे चोद भी चूका था |
अपने ही ऊपर इस तरह हंसी आने की वजह से वकास जो कुछ देर पहले तक टेंस था अब थोडा रिलैक्स फील करने लगा |
उसने अपने आप को तसल्ली दी कि वो जो तकरीबन एक साल से अपनी बहन के बारे में सोच कर गर्म होता रहा है तो एक ना एक दिन उसकी गर्म सोच का अंजाम इसी तरह का ही होना था |
वैसे भी कहते हैं कि “मोहब्बत और जंग में सब जायज़ है” और फिर “जब प्यार किया तो डरना क्या” के बकोल अब जो हो गया था उसको वापिस किया नहीं जा सकता है |
और रही ज़ाकिया का इस तरह गुस्सा करने और उससे नाराज़ होने की बात तो वकास को उम्मीद थी कि ज़ाकिया का यह रविया वक्ती है और चंद दिनों के बाद शायद वो भी हालात से समझोता कर ले |
यही सोचता हुआ वकास बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि ज़ाकिया अपनी शलवार कमीज़ पहनकर ना सिर्फ तैयार हो गई थी बल्कि वो रूम से अपनी जाती चीज़ों को समेट कर अपने ट्रेवल बैग में रख रही है |
वकास ने जब ज़ाकिया को तैयार हुआ देखा तो उसने ज़ाकिया से धीमी आवाज़ में पुछा “ज़ाकिया तुमने नाश्ता करने बाहर चलना है या मैं खुद ही बाहर से कुछ ले आऊँ” |
“मुझे नहीं करना कोई नाश्ता वाश्ता, बस मैं तैयार हूँ और मुझे अभी और इसी वक़्त वापिस न्यू यॉर्क वापिस जाना है” ज़ाकिया ने वकास की तरफ देखे बिना जवाब दिया |
“आज? और अभी? मगर हमने तो दो दिन और इधर रुकना था”? वकास ने हैरान होते हुए ज़ाकिया से कहा |
“आप दो दिन की बात कर रहे हैं, रात को आपने जो हरकत मेरे साथ की है उसके बाद मैं तो अब दो पल भी इधर नहीं ठहर सकती” ज़ाकिया ने वकास को जवाब दिया |
“देखो ज़ाकिया मैं अपनी इस बात से बहुत शर्मिंदा हूँ और मैं अब वादा करता हूँ कि आइन्दा कभी ऐसी हरकत नहीं करूंगा” वकास ने ज़ाकिया के सामने जाकर अपने कानो को हाथ लगाते हुए कहा |
“वकास भाई मैं बच्ची नहीं, मैं जानती हूँ कि इंसान ज़िन्दगी में सिर्फ पहली दफा कोई गलत हरकत करते हुए झिज्कता और डरता है और जब एक दफा वो कोई गलत काम कर बैठता है तो फिर शर्म का अहसास खत्म हो जाता है |
मैं एक दफा तो रात के अँधेरे में आप से लुट चुकी हूँ अब बार बार अपने ही भाई से लूटने की मुझमें हिम्मत नहीं इसीलिए मुझे ना सिर्फ अभी न्यू यॉर्क जाना है बल्कि मैं अब एक दो दिन में ही वापिस पकिस्तान भी चली जाना चाहती हूँ” ज़ाकिया ने गुस्से से फुंकारते हुए वकास को अपना फैसला सुना दिया |
वकास जोकि अभी थोड़ी देर पहले तक यह सोच कर निश्चिंत हो रहा था कि ज़ाकिया थोड़े दिनों में संभल जाएगी उसे अब ज़ाकिया का फैसलाकुन अंदाज़ यह बता रहा था कि अब उसके सामने मजीद किसी “अगर मगर” की गुंजाइश नहीं है |
इसीलिए उसने रूम में लगा फ़ोन उठाया और एयरलाइन को कॉल करके उसी दिन की नेक्स्ट अवैलब्ल फ्लाइट में अपनी सीट बुकिंग को चेंज करवाया और इस तरह दोनों बहन भाई शाम 4 बजे की फ्लाइट से वापिस न्यू यॉर्क चले आये |
न्यू यॉर्क पहुँचने के दुसरे दिन वकास ने ज़ाकिया का अमेरिकन पासपोर्ट अर्जेंट फीस देके बनवाया और उसके बाद दुसरे दिन उसने पाकिस्तानी कांसुलेट में जाकर ज़ाकिया का पाकिस्तानी वीसा भी हासिल कर लिया |
ज़ाकिया के ट्रेवल डाक्यूमेंट्स तैयार करने के बाद वकास ने ट्रेवल एजेंट के ज़रिए पाकिस्तान के लिए ज़ाकिया के साथ अपनी सीट भी बुक करवा ली और दो दिन बाद वो दोनों पाकिस्तान रवाना होने वाले थे |
लॉस वेगास से वापिस आ कर ज़किया का रविया वकास से खिंचा खिंचा था वो अब वकास से सिर्फ मतलब ही की बात करती और वो भी बात कम और “हूँ हाँ” ज्यादा होती |
वकास जब घर में होता तो ज़ाकिया अपने आप को अपने कमरे में बंद कर लेती और वकास की मौजूदगी में सिर्फ खाना बनाना और किसी बहुत जरूरी काम से ही अपने कमरे से बाहर निकलती |
ज़ाकिया में वकास को सामना करने की हिम्मत ना थी और वो पाकिस्तान जाने के दिनों का इंतज़ार अपनी उँगलियों पर कर रही थी |
ज़ाकिया का प्रोग्राम यह था कि अब वो पाकिस्तान वापिस जाकर अपनी बाकी की ज़िन्दगी अपनी बहनों और उनके बच्चों के दरमियाँ गुज़ार दे |
और फिर चार दिन बाद वो वक़्त आन पहुंचा जब उनको अमेरिका से इस्लामाबाद फ्लाई करना था |
जिस वजह से ज़ाकिया से अभी सही तौर पर चला भी नहीं जा रहा था | मजबूरन वो अपनी टांगें थोडा खोल कर चलने लगी |
दूसरी तरफ बाथरूम में कपडे पहनते वक़्त वकास को चंद लम्हे पहले वाली अपनी हरकत पर खुद ही थोड़ी हंसी आने लगी कि उसने ज़ाकिया के सामने नंगा होने के अहसास होते ही कैसे अपने लंड को हाथ से छुपाने की कोशिश की थी |
हालांकि यह वो ही लंड था जिसे वो रात अपनी ही बहन की चूत में दाखिल कर के उसे चोद भी चूका था |
अपने ही ऊपर इस तरह हंसी आने की वजह से वकास जो कुछ देर पहले तक टेंस था अब थोडा रिलैक्स फील करने लगा |
उसने अपने आप को तसल्ली दी कि वो जो तकरीबन एक साल से अपनी बहन के बारे में सोच कर गर्म होता रहा है तो एक ना एक दिन उसकी गर्म सोच का अंजाम इसी तरह का ही होना था |
वैसे भी कहते हैं कि “मोहब्बत और जंग में सब जायज़ है” और फिर “जब प्यार किया तो डरना क्या” के बकोल अब जो हो गया था उसको वापिस किया नहीं जा सकता है |
और रही ज़ाकिया का इस तरह गुस्सा करने और उससे नाराज़ होने की बात तो वकास को उम्मीद थी कि ज़ाकिया का यह रविया वक्ती है और चंद दिनों के बाद शायद वो भी हालात से समझोता कर ले |
यही सोचता हुआ वकास बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि ज़ाकिया अपनी शलवार कमीज़ पहनकर ना सिर्फ तैयार हो गई थी बल्कि वो रूम से अपनी जाती चीज़ों को समेट कर अपने ट्रेवल बैग में रख रही है |
वकास ने जब ज़ाकिया को तैयार हुआ देखा तो उसने ज़ाकिया से धीमी आवाज़ में पुछा “ज़ाकिया तुमने नाश्ता करने बाहर चलना है या मैं खुद ही बाहर से कुछ ले आऊँ” |
“मुझे नहीं करना कोई नाश्ता वाश्ता, बस मैं तैयार हूँ और मुझे अभी और इसी वक़्त वापिस न्यू यॉर्क वापिस जाना है” ज़ाकिया ने वकास की तरफ देखे बिना जवाब दिया |
“आज? और अभी? मगर हमने तो दो दिन और इधर रुकना था”? वकास ने हैरान होते हुए ज़ाकिया से कहा |
“आप दो दिन की बात कर रहे हैं, रात को आपने जो हरकत मेरे साथ की है उसके बाद मैं तो अब दो पल भी इधर नहीं ठहर सकती” ज़ाकिया ने वकास को जवाब दिया |
“देखो ज़ाकिया मैं अपनी इस बात से बहुत शर्मिंदा हूँ और मैं अब वादा करता हूँ कि आइन्दा कभी ऐसी हरकत नहीं करूंगा” वकास ने ज़ाकिया के सामने जाकर अपने कानो को हाथ लगाते हुए कहा |
“वकास भाई मैं बच्ची नहीं, मैं जानती हूँ कि इंसान ज़िन्दगी में सिर्फ पहली दफा कोई गलत हरकत करते हुए झिज्कता और डरता है और जब एक दफा वो कोई गलत काम कर बैठता है तो फिर शर्म का अहसास खत्म हो जाता है |
मैं एक दफा तो रात के अँधेरे में आप से लुट चुकी हूँ अब बार बार अपने ही भाई से लूटने की मुझमें हिम्मत नहीं इसीलिए मुझे ना सिर्फ अभी न्यू यॉर्क जाना है बल्कि मैं अब एक दो दिन में ही वापिस पकिस्तान भी चली जाना चाहती हूँ” ज़ाकिया ने गुस्से से फुंकारते हुए वकास को अपना फैसला सुना दिया |
वकास जोकि अभी थोड़ी देर पहले तक यह सोच कर निश्चिंत हो रहा था कि ज़ाकिया थोड़े दिनों में संभल जाएगी उसे अब ज़ाकिया का फैसलाकुन अंदाज़ यह बता रहा था कि अब उसके सामने मजीद किसी “अगर मगर” की गुंजाइश नहीं है |
इसीलिए उसने रूम में लगा फ़ोन उठाया और एयरलाइन को कॉल करके उसी दिन की नेक्स्ट अवैलब्ल फ्लाइट में अपनी सीट बुकिंग को चेंज करवाया और इस तरह दोनों बहन भाई शाम 4 बजे की फ्लाइट से वापिस न्यू यॉर्क चले आये |
न्यू यॉर्क पहुँचने के दुसरे दिन वकास ने ज़ाकिया का अमेरिकन पासपोर्ट अर्जेंट फीस देके बनवाया और उसके बाद दुसरे दिन उसने पाकिस्तानी कांसुलेट में जाकर ज़ाकिया का पाकिस्तानी वीसा भी हासिल कर लिया |
ज़ाकिया के ट्रेवल डाक्यूमेंट्स तैयार करने के बाद वकास ने ट्रेवल एजेंट के ज़रिए पाकिस्तान के लिए ज़ाकिया के साथ अपनी सीट भी बुक करवा ली और दो दिन बाद वो दोनों पाकिस्तान रवाना होने वाले थे |
लॉस वेगास से वापिस आ कर ज़किया का रविया वकास से खिंचा खिंचा था वो अब वकास से सिर्फ मतलब ही की बात करती और वो भी बात कम और “हूँ हाँ” ज्यादा होती |
वकास जब घर में होता तो ज़ाकिया अपने आप को अपने कमरे में बंद कर लेती और वकास की मौजूदगी में सिर्फ खाना बनाना और किसी बहुत जरूरी काम से ही अपने कमरे से बाहर निकलती |
ज़ाकिया में वकास को सामना करने की हिम्मत ना थी और वो पाकिस्तान जाने के दिनों का इंतज़ार अपनी उँगलियों पर कर रही थी |
ज़ाकिया का प्रोग्राम यह था कि अब वो पाकिस्तान वापिस जाकर अपनी बाकी की ज़िन्दगी अपनी बहनों और उनके बच्चों के दरमियाँ गुज़ार दे |
और फिर चार दिन बाद वो वक़्त आन पहुंचा जब उनको अमेरिका से इस्लामाबाद फ्लाई करना था |
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Re: मजबूरी का फैसला
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