मजबूरी का फैसला complete
- mastram
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- Joined: 01 Mar 2016 09:00
Re: मजबूरी का फैसला
Bahut khub
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
आग लगे चाहे बस्ती मे.
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भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
- Kamini
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- Joined: 12 Jan 2017 13:15
Re: मजबूरी का फैसला
Waiting for updates
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- Novice User
- Posts: 683
- Joined: 20 Jun 2015 16:11
Re: मजबूरी का फैसला
bhai..... kitne din ho gaye vakas ko jhukte chale jaate....... ab kahi to pahuncha do........................
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- Novice User
- Posts: 206
- Joined: 21 Mar 2017 22:18
Re: मजबूरी का फैसला
साथ ही साथ वकास का लंड जो उसकी बहन की फुद्दी के सुराख के एन ऊपर पड़ा था | वो ज़ाकिया की नाज़ुक नशीली फुद्दी को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया |
ज्यों ही वकास का लंड पूरी शिद्दत से बहन की चूत की दीवारों को चीरता हुआ चूत की गहराईओं में घुसा तो ज़ाकिया की आँख खुल गई |
मगर अब ज़ाकिया के लिए काफी देर हो चुकी थी | क्योंकि सयाने कहते हैं कि
“कमान से निकला तीर और चूत में गया लंड कभी वापिस नहीं होता” |
और अब एक भाई का लंड उसकी अपनी ही सगी बहन की चूत में जा घुसा था और इस अमल को वापिस करना अब एक नामुमकिन बात थी |
जब ज़ाकिया ने अपने भाई को अपने उपर चढ़े देखा तो उसके होश उड गए | ज़ाकिया ने तो कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि उसका भाई जो कि उसकी इज्ज़त का रखवाला था , कभी इस तरह उसकी चूत को लूट भी सकता है |
“भाई यह आप क्या कर रहे हैं मैं आप की बहन हूँ” , ज़ाकिया ने वकास को अपन ऊपर से हटाने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा |
“ज़ाकिया मैं जानता हूँ कि तुम मेरी बहन हो, मगर मेरी बहन मैं क्या करूँ कि मैं अब तुमसे पयार करने लगा हूँ, तुम्हारे प्यार और तुम्हारे इस खूबसूरत जिस्म ने आज मुझे एक इंसान से जानवर बनने पर मजबूर कर दिया है“ वकास ने अपनी बहन के जिस्म पर पड़े ज़ाकिया के गालों को चूमते हुए कहा |
भाई की बात सुनकर ज़ाकिया के तो जैसे होश ही उड गए | मर्द का यह रूप पहली बार ज़ाकिया के सामने आया था | वो सोच भी नहीं सकती थी कि जिन रिश्तों की दुनिया पूजा करती है वो जब एक मर्द के रूप में सामने आते हैं तो हर औरत बस एक औरत ही होती है | जिससे वो अपना दिल बहलाना चाहते हैं और अपनी जिंसी तस्कीन हासिल करना चाहते हैं |
यह सोचते हुए ज़ाकिया की आँखें भर आईं | वो वकास से कहने लगी , प्लीज मुझे छोड़ दो और अपने आप को वकास की गिरफ्त से आज़ाद करने लगी |
वकास जो दो तीन साल से मुठ मार कर अपने लौड़े की गर्मी निकाल रहा था | उसको आज इतने अरसे बाद एक असल फुद्दी का मज़ा मिला था | इसीलिए वो आज पूरी तरह बहन की चूत का मज़ा लेने के मूड में था |
“ज़ाकिया प्लीज आज मुझे मत रोको , मैं जानता हूँ कि हम दोनों इस जवानी की आग में जल रहे हैं , तो क्यों ना आज हम दोनों एक दुसरे की प्यास को बुझा दें” , कहते हुए वकास ने बहन की शर्ट के उपर से ही उसके मोटे बड़े मम्मो पर मुंह रखा और उनको चूसने लगा |
साथ ही वकास ने एक झटका मारा और उसका लंड दुबारा उसकी बहन ज़ाकिया की फुद्दी के अन्दर घुस गया | अपने आप को भाई की कैद से आज़ाद करवाती ज़ाकिया के मुंह से भी बेइख्तिअर निकला ,
“हाएएएए.... ईई.... मैं मररर... गईईईई....”
ज़ाकिया जो के आज से पहले एक बूढ़े और ढीले लंड की आदि थी | आज पहली बार उसे वाकिया ही यूं लगा कि जैसे उसके भाई के जवान और तगड़े लंड ने उसकी सारी जान उसकी फुद्दी के रास्ते निकल दी हो |
आज पहली बार ज़ाकिया एक असल मर्द से चुद रही थी और वो मर्द कोई और नहीं बल्कि उसका अपना सगा भाई था |
अभी ज़ाकिया भाई के पहले झटके की ताब भी ना झेल सकी कि वकास ने दूसरा भरपूर झटका दिया | जिसकी वजह से वकास का भरपूर लंड बहन की बच्चेदानी तक जा कर ठोकर मारने लगा |
ज़ाकिया की फुद्दी का हर पार्ट , हर तह , वकास के फौलाद जैसे लंड के सामने हार मान रही थी |
ज्यों ही वकास का लंड पूरी शिद्दत से बहन की चूत की दीवारों को चीरता हुआ चूत की गहराईओं में घुसा तो ज़ाकिया की आँख खुल गई |
मगर अब ज़ाकिया के लिए काफी देर हो चुकी थी | क्योंकि सयाने कहते हैं कि
“कमान से निकला तीर और चूत में गया लंड कभी वापिस नहीं होता” |
और अब एक भाई का लंड उसकी अपनी ही सगी बहन की चूत में जा घुसा था और इस अमल को वापिस करना अब एक नामुमकिन बात थी |
जब ज़ाकिया ने अपने भाई को अपने उपर चढ़े देखा तो उसके होश उड गए | ज़ाकिया ने तो कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि उसका भाई जो कि उसकी इज्ज़त का रखवाला था , कभी इस तरह उसकी चूत को लूट भी सकता है |
“भाई यह आप क्या कर रहे हैं मैं आप की बहन हूँ” , ज़ाकिया ने वकास को अपन ऊपर से हटाने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा |
“ज़ाकिया मैं जानता हूँ कि तुम मेरी बहन हो, मगर मेरी बहन मैं क्या करूँ कि मैं अब तुमसे पयार करने लगा हूँ, तुम्हारे प्यार और तुम्हारे इस खूबसूरत जिस्म ने आज मुझे एक इंसान से जानवर बनने पर मजबूर कर दिया है“ वकास ने अपनी बहन के जिस्म पर पड़े ज़ाकिया के गालों को चूमते हुए कहा |
भाई की बात सुनकर ज़ाकिया के तो जैसे होश ही उड गए | मर्द का यह रूप पहली बार ज़ाकिया के सामने आया था | वो सोच भी नहीं सकती थी कि जिन रिश्तों की दुनिया पूजा करती है वो जब एक मर्द के रूप में सामने आते हैं तो हर औरत बस एक औरत ही होती है | जिससे वो अपना दिल बहलाना चाहते हैं और अपनी जिंसी तस्कीन हासिल करना चाहते हैं |
यह सोचते हुए ज़ाकिया की आँखें भर आईं | वो वकास से कहने लगी , प्लीज मुझे छोड़ दो और अपने आप को वकास की गिरफ्त से आज़ाद करने लगी |
वकास जो दो तीन साल से मुठ मार कर अपने लौड़े की गर्मी निकाल रहा था | उसको आज इतने अरसे बाद एक असल फुद्दी का मज़ा मिला था | इसीलिए वो आज पूरी तरह बहन की चूत का मज़ा लेने के मूड में था |
“ज़ाकिया प्लीज आज मुझे मत रोको , मैं जानता हूँ कि हम दोनों इस जवानी की आग में जल रहे हैं , तो क्यों ना आज हम दोनों एक दुसरे की प्यास को बुझा दें” , कहते हुए वकास ने बहन की शर्ट के उपर से ही उसके मोटे बड़े मम्मो पर मुंह रखा और उनको चूसने लगा |
साथ ही वकास ने एक झटका मारा और उसका लंड दुबारा उसकी बहन ज़ाकिया की फुद्दी के अन्दर घुस गया | अपने आप को भाई की कैद से आज़ाद करवाती ज़ाकिया के मुंह से भी बेइख्तिअर निकला ,
“हाएएएए.... ईई.... मैं मररर... गईईईई....”
ज़ाकिया जो के आज से पहले एक बूढ़े और ढीले लंड की आदि थी | आज पहली बार उसे वाकिया ही यूं लगा कि जैसे उसके भाई के जवान और तगड़े लंड ने उसकी सारी जान उसकी फुद्दी के रास्ते निकल दी हो |
आज पहली बार ज़ाकिया एक असल मर्द से चुद रही थी और वो मर्द कोई और नहीं बल्कि उसका अपना सगा भाई था |
अभी ज़ाकिया भाई के पहले झटके की ताब भी ना झेल सकी कि वकास ने दूसरा भरपूर झटका दिया | जिसकी वजह से वकास का भरपूर लंड बहन की बच्चेदानी तक जा कर ठोकर मारने लगा |
ज़ाकिया की फुद्दी का हर पार्ट , हर तह , वकास के फौलाद जैसे लंड के सामने हार मान रही थी |
अगर आपको यह कहानी पसंद आये तो कमेंट जरुर दीजिएगा ...........
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