रुकसाना रामलाल का खाना लाके उसे देती है। रामलाल चुपचाप खाट पे बैठ खाना खाने लगता है। रुकसाना भी अपना खाना लेके उसके सामने आके बैठ जाती है । रामलाल उसपे ध्यान न देते हुए अपने खाने पर अपना ध्यान लगा देता है। कुछ देर बाद रुकसाना रामलाल से कहती है " सुबह कहाँ चले गए थे ?"
रामलाल अब उसके चेहरे को देखता है जिसपे एक कुटिल मुस्कान तैर रही थी । रामलाल बोलता है " कहीं नहीं बस नदी पे नहाने चला गया था ?"
रुकसाना " क्यों घर में भी तो नहा सकते थे ?"
रामलाल " घर में तो तुम नहा रही थी "
रामलाल की बात सुनके रुकसाना हँसने लगी और बोली " तो क्या हुआ साथ में नहा लेते।"
रामलाल रुकसाना की बात सुनके झेंप जाता है और चुपचाप फिर से अपना ध्यान खाने पे लगा देता है। रामलाल जल्दी से अपना खाना ख़त्म करता है और खाट उठा के बाहर आराम करने जाने लगता है । थोड़ी देर बाद रुकसाना भी अपना काम ख़त्म करके उसकी खाट पर आ जाती है और उसका पैर दबाने लगती है । रामलाल चौंक जाता है और बोलता है " ये क्या कर रही हो ?"
रुकसाना मुस्कुराते हुये कहती है " सुबह से आपने खूब काम किया है थक गए होंगे आपके पैर दबा रही हूँ ।"
रामलाल कुछ नहीं कहता और आँखे बंद कर लेता है। उसे याद आता है की कैसे उसकी बीवी भी उसका रोज पैर दबाया करती थी। इधर रुकसाना के हाथ धीरे धीरे ऊपर की तरफ बढ़ने लगते हैं। जब वो रामलाल की जांघो को दबाने लगती है तो रामलाल के अंदर की इक्षायें फिर जागने लगती है और उसका लंड खड़ा होने लगता है। रुकसाना रामलाल के खड़े लंड को देखती है तो उसके मन भी कुछ कुछ होने लगता है। धीरे धीरे रामलाल का लंड विकराल रूप धर लेता है और उसकी धोती में तम्बू बना देता है। रुकसाना से रहा नहीं जाता वो ऊपर से ही रामलाल के लंड को दबा देती है। रामलाल की अब सिसकी निकल जाती है और वो आंखे खोल रुकसाना की तरफ देखता है वो नशीली आँखों से उसकी तरफ देखती है जैसे आगे बढ़ने की इजाजत मांग रही हो रामलाल भी अब उसको मौन सहमति दे देता है। रुकसाना झट से रामलाल की धोती और लंगोट में से उसके लंड को आजाद कर देती है । रामलाल का काला भुजंग फड़फड़ा के रुकसाना के सामने आ जाता है रुकसाना उसे हाथ में लेके सहलाने लगती है रामलाल की आँखे आनन्द से बंद हो जाती हैं । रुकसाना रामलाल के लंड को देख के सम्मोहित सी हो जाती है सुबह की चुदाई में उसे ये देखने का मौका नहीं मिला था वो रामलाल के लंड को अपने मुँह में लेके चूसने लगती है। रामलाल को झटका लगता है वो आँखे खोल के देखता है तो रुकसाना इसका लंड अपने होठों में लेके चूस रही होती है। रामलाल के साथ ऐसा पहले किसी ने नहीं किया था वी असीम आनंद के सागर में डूबने लगता है। इधर रुकसाना अपनी चुसाई की रफ़्तार बढ़ा देती है और रामलाल के अंडकोषों को हाथ में लेके कुरेदने लगती है। रामलाल को और मजा आने लगता है और वो अपनी कमर उठा के अपना पूरा का पूरा लंड रुकसाना के मुँह में घुसा देता है । रुकसाना की साँस ही अटक जाती है और वो रामलाल का लंड मुँह से निकाल जोर जोर से खांसने लगती है। रामलाल हक्का बक्का होके उसे देखने लगता है वो कहती है " बहुत ठरक चढ़ गयी है हुजूर को अभी इसे उतारने का इंतेजाम करती हूँ।"
रुकसाना फिर अपने सारे कपडे उतार नंगी हो जाती है। रामलाल उसके शारीर को देखता है जैसा उसने कल्पना किया था उससे कहीं अधिक खूबसूरत थी रुकसाना । सुबह वो शायद इतना सही से वो देख नहीं पाया था। रामलाल रुकसाना के रूप और सौंदर्य में ही खोया हुआ था की रुकसाना उसके ऊपर आ जाती है और अपनी चूत को रामलाल के लंड के मुँह पे रख देती है । रुकसाना धीरे धीरे अपना भार डालती है तो उसकी थूक से सना रामलाल का लंड फिसलके उसकी चूत में घुस जाता है। अब रुकसाना अपनी कमर उठा उठा के रामलाल के लंड की सवारी करने लगती है। रामलाल को पहली बार अपने जीवन में बिना कुछ किये चुदाई का ऐसा सुख प्राप्त हो रहा था वो अपने दोनों हाथ रुकसाना की गांड पे रखके धीरे धीरे उन्हें मसलने लगता है। रुकसाना की चूत रामलाल के लंड को अपने में लेके खूब रस छोड़ने लगती है और रुकसाना भी आनंदविभोर होके सिस्कारिया लेने लगती है। रामलाल अब अपने ऊपर चढ़ी रुकसाना के बदन को देखता है और उसकी तनी हुयी चूचियों को हाथ में पकड़कर मसलने लगता है। ऐसा करने से शायद रुकसाना के जैसे सब्र का बाँध का बाँध टूट जाता है और वो चीखते हुए झड़ जाती है। रुकसाना का निढाल शारीर रामलाल के ऊपर पसर जाता है और उसकी तनी हुयी चुचिया उसके सीने में धंस जाती है। रुकसाना धीरे धीरे अपनी साँसों को संयमित करने लगती है।
इधर रामलाल का लंड अभी भी खड़ा रहता है। रामलाल रुकसाना के चेहरे को अपने चेहरे के सामने लाता है और उसके होठो को चूसने लगता है। फिर रामलाल रुकसाना को पलट के नीचे कर देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है। वो पागलो की तरह रुकसाना को चूमने लगता है धीरे धीरे रुकसाना भी उसका साथ देने लगती है । रामलाल अपना लंड रुकसाना की चूत के मुँह पे लगाता है और धक्का देता है । रुकसाना की चूत पहले से ही झड़ने के कारण गीली हो चुकी थी रामलाल का लंड फिसलते हुए उसकी चूत की गहराइयों में उतर जाता है । रामलाल अब रुकसाना की चूत में धक्के पे धक्के पेलने लगता है। धीरे धीरे रुकसाना को फिर मजा आने लगता है वो अपने दोनों पाँव उठा के रामलाल की कमर पे रख लेती है जिससे रामलाल का लंड उसकी चूत में और अंदर तक चोट करने लगता है। रामलाल को आभास होता है की जल्दी ही वो झड़ने वाला है तो वो अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा देता है। रुकसाना भी नीचे अपनी कमर हिला के उसका साथ देने लगती है । धीरे धीरे दोनों एकसाथ अपने चरम पे पहुँच कर झड़ जाते हैं।
रामलाल रुकसाना के ऊपर से उतरके उसके बगल में लेट जाताहै। जब उसकी साँसे संयमित होती है तो वो रुकसाना पे नजर डालता है उसकी चूचियां अभी भी ऊपर नीचे हो रही होती हैं । रामलाल उन्हें हाथ में पकड़के फिर भींच देता है। रुकसाना चौकते हुये कहती है " क्या हुआ हुजूर अभी मन नहीं भरा क्या ?"
रामलाल उसे खींच कर सीने से लगा लेता है और कहता है " अभी नहीं।"
चूत के चक्कर में
- Rohit Kapoor
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Re: चूत के चक्कर में
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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- Sexi Rebel
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- Joined: 27 Jul 2016 21:05
Re: चूत के चक्कर में
अद्भुत रचना है बंधु
पढ़ने मे लाजबाब बस अपडेट करते रहिए
पढ़ने मे लाजबाब बस अपडेट करते रहिए
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- Posts: 11
- Joined: 20 Apr 2017 00:20
Re: चूत के चक्कर में
bhai, best of the best likh rahe ho
par update jaldi-jaldi diya karo yaar
ramlal ke pass chodne ke liye bahut maal hai, aur sabse aakhir mein haweli ki rajkumari aur uski maa bhi to hai.
lage raho
par update jaldi-jaldi diya karo yaar
ramlal ke pass chodne ke liye bahut maal hai, aur sabse aakhir mein haweli ki rajkumari aur uski maa bhi to hai.
lage raho