अनामिका

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abpunjabi
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अनामिका

Post by abpunjabi »

दोस्तों आपकी खिदमत में एक और नई कहानी शेयर करने जा रहा हूँ | आल क्रेडिट गोज टू ओरिजिनल राइटर | उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी |
abpunjabi
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Re: अनामिका

Post by abpunjabi »

मैं बचपन से ही बहुत सुंदर थी | मेरा एक छोटा भाई है विक्की | विक्की मुझसे दो साल छोटा है | विक्की भी लम्बा तगड़ा जवान है | मेरी छातियाँ भर आई थी | बगल में और टांगों के बीच में काफी बाल निकलने लगे थे | 18 साल तक पहुँचते पहुँचते तो मैं मानो पूरी जवान लगने लगी थी | गली में और बाज़ार में लड़के आवाजें कसने लगे थे | ब्रा की ज़रुरत तो पहले से ही पड गई थी | 18 साल में साइज़ 34 इंच हो गया था | अब तो टांगों के बीच में बाल बहुत ही घने और लम्बे हो गए थे | हालाँकि कमर काफी पतली थी | लेकिन मेरे चुतड काफी भारी और चौड़े हो गए थे | मुझे एहसास होता जा रहा था कि लड़कों को मेरी दो चीज़ें बहुत आकर्षित करती हैं , मेरे चुतड और मेरी उभरी हुई छातियां | स्कूल में मेरी बहुत सी सहेलियों के चक्कर थे लेकिन मैं कभी इस लफड़े में नहीं पड़ी | स्कूल से ही मेरे पीछे बहुत से लड़के दीवाने थे | लड़कों को और भी ज्यादा तडपाने में मुझे बड़ा मज़ा आता था | स्कूल में सिर्फ घुटनों से नीचे तक की स्कर्ट ही अलाऊड थी | क्लास में बैठ कर मैं अपनी स्कर्ट जांघों तक चढ़ा लेती थी और लड़कों को अपनी गोरी गोरी सुडोल मांसल टांगों के दर्शन कराती रहती |
कई लड़के जानबूझ कर अपना पेन या पेंसिल नीचे गिराकर उठाने के बहाने मेरी टांगों की बीच में झांक कर मेरी पैंटी की झलक पाने की नाकामयाब कोशिश करते रहते |
16 साल की उम्र में तो मेरा बदन पूरी तरह से भर गया था | अब तो अपनी जवानी को कपड़ों में समेटना मुश्किल होता जा रहा था | छातियों का साइज़ 36 इंच हो गया था | मेरे चूतडों को संभालना मेरी पैंटी के बस में नहीं रहा और तो और टांगों के बीच में बाल इतने घने और लम्बे हो गए थे कि बाहर निकलने लगे थे | ऐसी अल्हड़ जवानी किसी पर भी कहर बरसा सकती थी | मेरा छोटा भाई विक्की भी जवान हो रहा था | लेकिन आप जानते हैं लड़कियां जल्दी जवान हो जाती हैं | हम दोनों एक ही स्कूल में पड़ते थे | हम दोनों भाई बहन में बहुत प्यार था | कभी कभी मुझे महसूस होता कि विक्की भी मुझे अक्सर और लड़कों की तरह देखता है |
लेकिन मैं यह विचार मन से निकाल देती | लड़कों की और मेरा आकर्षण बढता जा रहा था , लेकिन मैं लड़कों को तडपाकर ही खुश हो जाती थी | मेरी एक सहेली थी नीलम , उसका कॉलेज के लड़के सुधीर के साथ चक्कर था | वो अक्सर अपने इश्क की रसीली कहानियां सुनाया करती थी | उसकी कहानियां सुनकर मेरे बदन में भी आग लग जाती | नीलम और सुधीर के बीच में शारीरक सम्बन्ध भी थे | नीलम ने ही मुझे बताया था कि लड़कों के गुप्तांगों को लंड या लौडा और लड़कियों के गुप्तांगों को चूत या फुद्दी कहते हैं | जब लड़के का लंड लड़की की चूत में जाता है तो उसे चोदना कहते हैं | नीलम ने ही बताया कि जब लड़के उत्तेजित होते हैं तो उनका लंड और भी लम्बा मोटा और सख्त हो जाता है | जिसको लंड का खड़ा होना बोलते हैं | 16 साल की उम्र तक मुझे ऐसे शब्दों का पता नहीं था | अभी तक ऐसे शब्द मुंह से निकालते हुए मुझे शर्म आती है | पर लिखने में संकोच कैसा? हालाँकि मैंने बच्चों की नूनियां बहुत देखी थी | पर आजतक किसी मर्द का लंड नहीं देखा था | नीलम के मुंह से सुधीर के लंड का वर्णन सुनकर मेरी चूत भी गीली हो जाती | सुधीर नीलम को हफ्ते में तीन चार बार चोदता था |
एक बार मैं सुधीर और नीलम के साथ स्कूल से भाग कर फिल्म देखने गई | पिक्चर हाल में नीलम हम दोनो के बीच में बैठी थी | लाइट ऑफ हुई और पिक्चर शुरू हुई | कुच्छ देर बाद मुझे ऐसा लगा मानो मैंने नीलम के मुंह से सिसकी की आवाज़ सुनी हो | मैं कनखियों से नीलम की और देखा | रौशनी कम होने के कारण साफ़ तो दिखाई नहीं दे रहा था | पर जो कुछ दिखा , उसे देख कर मैं दंग रह गई | नीलम की स्कर्ट जांघों तक उठी हुई थी और सुधीर का हाथ नीलम की टांगों के बीच में था | सुधीर की पैंट के बटन खुले हुए थे और नीलम सुधीर के लंड को सहला रही थी | अँधेरे में मुझे सुधीर का लंड का साइज़ तो पता नहीं लगा | लेकिन जिस तरह नीलम उस पर हाथ फेर रही थी | उससे लगता था कि काफी बड़ा होगा | सुधीर का हाथ नीलम की टांगों के बीच में क्या कर रहा होगा , यह सोच सोच कर मेरी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी और पैंटी को भी गीला कर रही थी | इंटरवल में हम लोग बाहर कोल्ड ड्रिंक पीने गए | नीलम का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था | सुधीर की पैंट में भी लंड का उभार साफ़ नज़र आ था | सुधीर ने मुझे अपने लंड के उभार की और देखते हुए पकड लिया | मेरी नज़रें उसकी नज़रों से मिली और मैं मारे शर्म के लाल हो गई | सुधीर मुस्कुरा दिया | किसी तरह इंटरवल ख़त्म हुआ और मैंने चैन की सांस ली | पिक्चर शुरू होते ही नीलम का हाथ फिर से सुधीर के लंड पे पहुच गया | लेकिन सुधीर ने अपना हाथ नीलम के कन्धों पर रख लिया | नीलम के मुंह से सिसकी की आवाज़ सुन कर मैं समझ गई कि अब वो नीलम की चूचियां दबा रहा था | अचानक सुधीर का हाथ मुझे टच करने लगा | मैंने सोचा गलती से लग गया होगा , लेकिन धीरे धीरे वो मेरी पीठ सहलाने लगा और मेरी ब्रा के ऊपर हाथ फेरने लगा | नीलम इससे बिलकुल बेखबर थी | मैं मारे डर के पसीना पसीना हो गई और हिल ना सकी | अब सुधीर का साहस और बढ़ गया और उसने साइड से हाथ डाल कर मेरी उभरी हुई चूची को शर्ट के ऊपर से पकड कर दबा दिया | मैं बिलकुल बेबस थी, उठकर चली जाती तो नीलम को पता लग जाता | हिम्मत मानो जवाब दे चुकी थी | सुधीर ने इसका पूरा फायदा उठाया | वो धीरे धीरे मेरी चूची सहलाने लगा | इतने में नीलम मुझसे बोली , “अनामिका पेशाब लगी है , ज़रा बाथरूम जा कर आती हूँ” | मेरा कलेजा तो धक से रह गया | जैसे ही नीलम गई | सुधीर ने मेरा हाथ पकडकर अपने लंड पर रख दिया | मैंने एकदम से घबरा कर हाथ खींचने की कोशिश की , लेकिन सुधीर ने मेरा हाथ कस कर पकड रखा था | लंड काफी गरम,मोटा और लोहे के सामान सख्त था |
मैं रुआंसी हो कर बोली ,“सुधीर यह क्या कर रहे हो? छोडो मुझे, नहीं तो नीलम को बता दूंगी”|
सुधीर मंजा हुआ खिलाडी था , बोला, “मेरी जान तुम पर तो मैं मरता हूँ , तुमने मेरी रातों की नींद चुरा ली है , मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ” | यह कहकर वो मेरा हाथ अपने लंड पर रगड़ता रहा |
“सुधीर तुम नीलम को धोखा दे रहे हो , वो बेचारी तुमसे शादी करना चाहती है और तुम दूसरी लड़कियों के पीछे पड़े हो”
“अनामिका मेरी जान तुम दूसरी कहाँ , मेरी हो नीलम से दोस्ती तो मैंने तुम्हें पाने के लिए की थी”
“झूठ ! नीलम तो अपना सब कुछ तुम्हे सौंप चुकी है , तुम्हें शर्म आनी चाहिए , उस बेचारी को धोखा देते हुए , प्लीज मेरा हाथ छोड़ो” |
इतने में नीलम वापिस आ गई | सुधीर ने झटसे मेरा हाथ छोड़ दिया | मेरी लाचारी का फायदा उठाने के कारन मैं बहुत गुस्से में थी , लेकिन ज़िन्दगी में पहली बार किसी मर्द के खड़े लंड को हाथ लगाने के अनुभव से खुश भी थी | नीलम के बैठने के बाद सुधीर ने फिर से अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया | नीलम ने उसका हाथ अपने कन्धों से हटाकर अपनी टांगों के बीच में रख दिया और सुधीर के लंड को फिर से सहलाने लगी | सुधीर भी नीलम की स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा | जैसे ही नीलम ने जोर की सिसकी ली | मैं समझ गयी कि सुधीर ने अपनी ऊँगली उसकी चूत में घुसा दी है |
इस घटना के बाद मैंने सुधीर से बिलकुल बात करना बंद कर दिया , लेकिन अब सुधीर मेरे घर के चक्कर लगाने लगा और मेरे भाई विक्की से भी दोस्ती कर ली | वो विक्की से मिलने के बहाने घर आने लगा | लेकिन मैंने उसे कभी लिफ्ट नही दी | कुछ दिनों बाद हमने अपना घर बदल लिया | सुधीर यहाँ भी आने लगा |
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Re: अनामिका

Post by rajaarkey »

एक और नई कहानी मुबारक हो दोस्त


कहानी की शुरुआत से ही पता चलता है कि इसे पढ़ कर मज़ा आएगा
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Re: अनामिका

Post by rajsharma »

दोस्त आपकी ये कहानी जबर्जस्त है आपने तो आते ही धमाल मचा दिया है


बस आपसे यही आशा है कि आप अपना जलवा बरकरार रखें
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: अनामिका

Post by abpunjabi »

rajsharma wrote:दोस्त आपकी ये कहानी जबर्जस्त है आपने तो आते ही धमाल मचा दिया है


बस आपसे यही आशा है कि आप अपना जलवा बरकरार रखें
थैंक्स सर , बस आपके आशीर्वाद की जरुरत है .....
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