सुधीर कह रहा था ,
“विक्की तूने कभी किसी लड़की की चूत देखी है ?”
“नहीं यार अपनी किस्मत ऐसी कहाँ ? तूने देखी है ?”
“देखि ही नहीं , ली भी है”
“झूठ मत बोल किसकी ली है ?”
“तू विश्वास नहीं करेगा”
“अरे यार बोल ना विश्वास की क्या बात है?”
“तो सुन , तेरी बहन अनामिका की सहेली नीलम को मैं रोज़ चोदता हूँ ?”
“क्या बत कर रहा है ? मेरी दीदी की सहेलियां ऐसी हो नहीं सकती , मेरी दीदी ऐसी लड़कियों से दोस्ती नहीं कर सकती” |
“देख विक्की तू बहुत भोला है , तेरी बहन जवान हो चुकी है और अच्छी तरह जानती है कि नीलम मुझसे चुद्वाती है”
“मैं सोच भी नहीं सकता कि दीदी ऐसी लड़की से दोस्ती रखती है”
“विक्की एक बात कहूँ , बुरा तो नहीं मानेगा ?”
“नहीं , बोल”
“यार तेरी दीदी भी पटाका है , क्या गदराया हुआ बदन है , तूने कभी अपनी दीदी की और ध्यान नहीं दिया?”
“सुधीर क्या बकवास कर रहा है, अगर तुम मेरा दोस्त नहीं होता तो मैं तुझे धक्के मार के घर से निकाल देता”
“नाराज़ मत हो मेरे दोस्त , तू और मैं दोनों मर्द हैं , लड़की तो लड़की ही होती है , बहन ही क्यों ना हो , सच कहूँ , मैं तो अपनी बड़ी बहन को कई बार नंगी देख चूका हूँ , मैंने बाथरूम के दरवाज़े में एक छेद कर रखा है , जब भी वो नहाने जाती है तो मैं उस छेद में से उसको नंगी नहाते हुए देखता हूँ , तू मेरे साथ घर चल , एक दिन तुझे भी दिखा दूंगा , अब तो खुश है ना , सच सच बता तूने अपनी दीदी को नंगी देखा है”?
विक्की थोडा हिचकिचाया और फिर जो बोला उसे सुन कर मैं दंग रह गई |
“नहीं यार दिल तो बहुत करता है , लेकिन मौका कभी नहीं मिला , कभी कभी दीदी जब लापरवाही से बैठती है तो एक झलक उसकी पैंटी की मिल जाती है , जा कभी वो नहा कर निकलती है , तो मैं झट से बाथरूम में घुस जाता हूँ और उसकी उतारी हुई पैंटी को सूंघ लेता हूँ और अपने लंड पे रगड लेता हूँ” |
“वह प्यारे! तू तो छुपा रुस्तम निकला , कैसी सुगंध है तेरी दीदी की चूत की”?
“बहुत ही मादक है यार, दीदी की चूत पे बाल भी बहुत लम्बे हैं , अक्सर पैंटी पर रह जाते हैं ,कम से कम तीन इंच लम्बी झांटें होंगी” |
“हाए यार मेरा लंड तो अभी से खड़ा हो रहा है ,एक दिन अपनी दीदी की पैंटी की महक हमें भी सुंघा दे, तेरा कभी अपनी दीदी को चोदने का मन नहीं करता?”
“करता तो बहुत है , लेकिन जो चीज़े मिल नहीं सकती , उसके पीछे क्या पड़ना? दीदी के नाम की मुठ मार लेता हूँ” |
विक्की और सुधीर की बातें सुनकर मेरा पसीना छूट गया | मेरा सगा भाई भी मुझे चोदना चाहता है | मैंने अब अपनी पैंटी बाथरूम में कभी नहीं छोड़ी | मुझे डर था कि विक्की मेरी पैंटी सुधीर को ना दे दे | मुझे विक्की से कोई शिकायत नहीं थी | आखिर वो मेरा छोटा भाई था | अगर विक्की मुझे नंगी देखने के लिए इतना उतावला था तो हालाँकि मैं उसके सामने खुलेआम नंगी तो नहीं हो सकती थी | पर किसी ना किसी बहाने अपने बदन के दर्शन ज़रूर करा सकती थी | स्कूल ड्रेस में अपनी पैंटी की झलक देना बड़ा आसान था | सोफे पर बैठ कर टीवी देखते वक़्त अपनी टांगों को पकड कर फैला लेती | विक्की को मेरी पैंटी के दर्शन हो जाते |
एक दिन मैं स्कूल ड्रेस में ही लेटी बुक पड रही थी | कि विक्की के क़दमों की आहट सुनाई दी | मैंने झट से टांगें मोड़ कर ऊपर कर ली और बुक पड़ने का नाटक करती रही | मेरी गोरी गोरी मांसल टांगें पूरी तरह नंगी थी | स्कर्ट कमर तक ऊपर चढ़ गयी थी | मैंने ज्यादा ही छोटी पैंटी पहन रखी थी | जो बड़ी मुश्किल से मेरी चूत को ढके हुए थी | मेरी लम्बी घनी झांटें पैंटी के दोनों और से बाहर निकली हुई थी | इतने में विक्की आ गया और सामने का नज़ारा देख कर हडबडा कर खड़ा हो गया | उसकी आँखें मेरी टांगों की बीच में जमी हुई थी | इस मुद्रा की प्रैक्टिस मैं शीशे के सामने पहले ही कर चुकी थी | मुझे भली भांति पता था कि इस वक़्त मेरी चूत के घने बाल पैंटी के दोनों और से झांक रहे थे | पैंटी बड़ी मुश्किल से मेरी फूली हुई चूत के उभार को ढके हुए थी | मैंने उसे जी भर के अपनी पैंटी के दर्शन करवाए | इतने में मैंने बुक नीचे करते हुए पूछा , “विक्की क्या कर रहा है ? कुछ चाहिये?”
विक्की एकदम से हडबडा गया | उसका चेहरा उत्तेजना से लाल था | “कुछ नहीं दीदी अपनी बुक ढूंढ रहा था” | उसकी पैंटी के उभार को देख कर मैं समझ गई कि उसका लंड खड़ा हो गया है | लेकिन विक्की की पैंट का उभार देख कर ऐसा लगता था कि उसका लंड काफी बड़ा था | जब से विक्की के पैंट का उभार देखा | तब से मेरे दिमाग में एक ही बात घूमने लगी कि किस तरह विक्की का लंड देखा जाए |
मुझे पता था कि विक्की रात को लुंगी पहन कर सोता है | मेरे दिमाग में एक प्लान आया | मैं रोज़ सुबह जल्दी उठ कर विक्की के कमरे में इस आस में जाती कि किसी दिन उसकी लुंगी खुली हुई मिल जाए , जा कमर तक उठी हुई मिल जाए और मैं उसके लंड के दर्शन कर सकूँ | कई दिन तक किस्मत ने साथ नहीं दिया | अक्सर उसकी लुंगी जाँघों तक उठी हुई होती | लेकिन लंड फिर भी नज़र नहीं आता | लेकिन मैंने भी हार नहीं मानी आखिर एक दिन मैं कामयाब हो ही गयी |
एक दिन जब मैं विक्की के कमरे में घुसी तो देखा विक्की पीठ के बल लेटा हुआ है | उसकी लुंगी सामने से खुली हुई थी | सामने का नज़ारा देख कर तो में बैहोश होते होते बची | मैंने तो सपने में भी ऐसे नज़ारे की कल्पना नहीं की थी | इतना लम्बा! इतना मोटा! इतना काला लंड! जैसे के मैंने बताया विक्की पीठ के बल लेटा हुआ था | लेकिन उसके लंड का सुपाड़ा बिस्तर पर टिका हुआ था | बाप रे बाप! मैंने अपने आप को नोचा | कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही थी | क्या भयंकर लग रहा था विक्की का लंड! इसने तो साधू महाराज के लंड को भी मात दे दी |
अब तक तो मैं लंड एक्सपर्ट हो चुकी थी | नीलम और मैंने अब तक ना जाने कितने छोटे छोटे पेशाब करते भद्दे से लंड देखे थे | मैं मन ही मन सोचने लगी कि घर में इतना लम्बा मोटा लंड मौजूद है और मैं बेकार में ही दूसरों के लंड देख्ने में अपना समय बर्बाद कर रही थी | मुझे तो जैसे सांप सूंघ गया था | अचानक विक्की ने हरकत की और मैं जल्दी से भाग गई | उसदिन के बाद से तो मेंरी नींद हराम हो गई | रोज़ सुबह पागलों की तरह उठ के विक्की के लंड के दर्शन करने उसके कमरे में जाती लेकिन हमेशा निराशा ही हाथ लगती | मैंने सोच लिया था कि एक दिन यह लंड मेरी चूत में ज़रूर जाएगा |
अनामिका
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Re: अनामिका
अगर आपको यह कहानी पसंद आये तो कमेंट जरुर दीजिएगा ...........
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Re: अनामिका
thanks kamini jiKamini wrote:mast update
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- rajaarkey
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Re: अनामिका
masti se bharpoor kahani hai dost
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`·.¸.·´ -- Raj sharma
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- Kamini
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Re: अनामिका
kya ye kahani bhi khatm ho gai