हरामी साहूकार complete

Post Reply
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

पिछले एक घंटे से वो अपनी चूत और जाँघो के बाल सॉफ करने में लगी हुई थी लाला के लिए और एन वक़्त पर ये कमीना मुझे लेने आ गया..

मीनल (खिसियाती हुई सी आवाज में बोली) : "अच्छा ...जाना ज़रूरी है क्या मेरा...एक दो दिन और रुकने देते मुझे ''

कस्तूरी तो यही समझा की वो अपने घर वालो को दिखाने के लिए वहां रुकने का नाटक कर रही है...पर असल में तो उसकी चूत में आग लगी हुई है, जिसे अब उसका लंड ही बुझा सकता है...

वो ज़ोर देता हुआ बोला : "नही मीनल, ऐसा होता तो मैं ऐसे एकदम से तुम्हे लेने के लिए आता ही नही...चल अब, जल्दी से तैयार हो जा ...थोड़ी देर मे निकलते है बस...''

बेचारी मीनल मन मारकर अंदर गयी और अपने कपड़े समेटने लगी...

एक कोने में बैठी पिंकी और निशि मुँह छिपाकर हँसे जा रही थी...
कितनी आसानी से उन्होने मीनल दीदी को अपने रास्ते से हटा दिया था...

कुछ ही देर में मीनल अपना सारा समान पेक करके बाहर आ गयी...
और जाते हुए वो निशि और पिंकी के करीब आई और बोली : "लाला तक ये खबर पहुँचा देना...वरना वो रात को मुँह उठाकर यहाँ पहुँच जाएगा...''

इतना कहकर वो सभी को बाइ बोलकर अपने पति के साथ उसकी बाइक पर बैठी और अपने घर के लिए निकल गयी...

उसके बाद पिंकी और निशि अपने कमरे में आकर काफ़ी देर तक हंसते रहे...

और जब दोनो की हँसी रुकी तो निशि बोली : "चलो अब...लाला की दुकान पर...उसे बातों ही बातों में बता देंगे की दीदी चली गयी है...वरना वो सच में रात को आ धमकेगा ...''

पिंकी थोड़ा सीरियस होकर बोली : "तो आने दे ना...आएगा तो कुछ मज़े देकर ही जाएगा वो...''

पिंकी की बात सुनकर निशि की आँखे फैल सी गयी...

वो बोली : "तू पागल हो गयी है क्या...तूने देखा था ना लाला का वो लंबा लंड ...जब अंदर जाएगा तो चीर डालेगा वो...और ऐसी चीखे निकलेगी की पूरा गाँव उठ जाएगा...और भाई का तो तुझे पता है ना...वो तो मुझे जिंदा नही छोड़ेगा...''

पिंकी : "तू अपने भाई से इतना डरती क्यों है....भाई ना हो गया, भूत हो गया, हर बार उसके नाम से डरती रहती है...इसका इलाज भी करना पड़ेगा जल्दी...पर अभी के लिए तो लाला का इलाज करना है...जो रात को मीनल दीदी की बीमारी का इलाज करने आएगा...''

निशि : "और मीनल दीदी तो जा चुकी है...''

पिंकी : "और ये बात अभी तक लाला को पता नही है...और तू तो उस ठरकी लाला को जानती ही है...वो आएगा ज़रूर...और अगर तू चाहे तो मीनल को मिलने वाले मज़े तू ले सकती है...तू उनकी जगह जाकर लेट जाइयो...भले ही चूत ना मरवाईयो..पर बाकी के मज़े तो ले कम से कम...''

पिंकी की बात सुनकर निशि की आँखे चौड़ी हो गयी...

वो बोली : "तू पागल है क्या...तू तो ऐसे कह रही है जैसे लाला को कुछ पता ही नही चलेगा...और इतना ही बिस्वास है तुझे अपने प्लान पर तो तू क्यो नही लेट जाती मीनल दीदी की जगह ....''

पिंकी : "मन तो बहुत कर रहा है मेरा पर तू देखने में मीनल जैसी ही है...और तेरी आवाज़ भी उनकी तरह ही है...इसलिए तेरे पकड़े जाने के चानस कम ही है...अंधेरे में लाला को ज़्यादा पता नही चलने वाला...''

पिंकी की बात सुनकर निशि का शरीर काँप सा गया....
उसके जहन में एकदम से लाला का अक्स उभर आया जो रात के समय, खुल्ली छत पर उसके नंगे शरीर को किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था...
उसकी चूत में अपनी जीभ डालकर वहां का रस निकाल रहा था...



ये सोचते ही उसके शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो गये...

अब तो उसका भी मन कर रहा था लाला से मज़े लेने का..

पर फिर भी अपनी आख़िरी शंका का समाधान करने के लिए उसने पूछा : "पर मीनल दीदी के मुम्मे देखे है ना तुमने, कितने मोटे है...मेरे तो छोटे -2 है...मेरी गांड भी उनके जितनी निकली हुई नही है...''

पिंकी : "अरे ...लाला से तू अपनी चूत चुस्वाइयो ...और वैसे भी मर्दो को इन बातो का ज़्यादा ध्यान नही रहता है....तू फ़िक्र मत कर...आज तो वैसे भी अमावस की रात है...अंधेरी रात में लाला को कुछ पता नही चलेगा....चल अब तैयारी करते है हम भी कुछ...''

इतना कहकर पिंकी ने रेजर निकाला....
निशि की चूत के बाल सॉफ करने के लिए...

उनके हिसाब से तो सब कुछ उनकी प्लानिंग से ही चल रहा था...
पर वो ये नही जानते थे की 1-2 चालें सफल होने का मतलब ये नही होता की वो माहिर खिलाड़ी बन चुके है...
ख़ासकर तब जब लाला जैसा मंझा हुआ खिलाड़ी मैदान में हो...

अब तो सभी को रात का इंतजार था...

निशि का कमरा उपर था और उसके उपर की छत्त पर ही वो अक्सर सोया करती थी...
वही से पिंकी के घर की छत्त भी लगी हुई थी, जहाँ से अक्सर दोनो सहेलियां एक दूसरे के घर चली जाया करती थी..

निशि का भाई और माँ नीचे ही सोया करते थे...
और उपर आने के लिए बीच वाले फ्लोर यानी निशि के कमरे से ही आया जा सकता था, उसे बंद कर देने के बाद तो नीचे से भाई और माँ के ऊपर आने का सवाल ही नही उठता था..

पर सवाल ये था की छत्त तक लाला कैसे आएगा...
अब उसने खुद ही ये बात बोली है तो वही कुछ जुगाड़ निकालेगा...

खैर, निशि के कमरे में जाने के बाद पिंकी ने रेजर से उसकी चूत अच्छी तरह से सॉफ कर दी...
जिसके बाद वो एकदम चिकनी होकर लश्कारे मारने लगी...



पिंकी : "हाय ....मेरी जान....मेरा तो मन बेईमान हो रहा है तेरी चूत देखकर...मन तो कर रहा है की इसे मैं अभी खा जाऊं ....''

मन तो वैसे निशि का भी कर रहा था...
पर नीचे उसकी माँ और भाई थे, जिनके डर से वो कुछ नही कह पाई...

पर उसने अपनी पूरी सलवार उतार कर अपना जिस्म नीचे से नंगा ज़रूर कर लिया...

पिंकी तो समझी की वो उसकी बात मान गयी है...
पर निशि बोली : "अभी ज़्यादा सपने ना देख, भाई और माँ नीचे ही है...कुछ करने बैठे तो कपड़े पहनने का भी टाइम नही मिलेगा...ये मैने इसलिए उतारा ताकि टाँगो के बाल भी सॉफ कर सकूँ ...समझी...''

पिंकी : "ओये होये...तैयारी तो ऐसे कर रही है जैसे आज तेरी सुहागरात है लाला के साथ...''

ये सुनकर निशि शरमा कर रह गई...
वो बोली : "वो तो मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि लाला को शक ना हो जाए...तूने देखा था ना मीनल दीदी की टांगे भी एकदम चिकनी थी... मेरी टाँगो पर बाल देखकर लाला को शक हो गया तो मुसीबत आ जाएगी...''

पिंकी : "और इसी बहाने तू अपनी सफाई भी करवा रही है ...सही है बच्चू ...आज तेरा दिन है...मज़े लेगी आज तो लाला के साथ....आज तो लाला तेरे साथ मिनी सुहागरात मनाएगा... हा हा..''

उसका एक-2 शब्द निशि के जिस्म में अंगारे भड़का रहा था....
पहले तो वो घबरा रही थी पर अब तो उसे भी लाला के आने का इंतजार था...
उसने तो सपने में भी नही सोचा था की जिस लाला को आज झरने के नीचे अपनी बहन की चुदाई करते देखकर आई थी वो , उनके लंड के इतनी जल्दी दर्शन करने को मिलेंगे उसे....
इस वक़्त वो पिंकी के मुक़ाबले अपने आप को ज़्यादा खुशकिस्मत समझ रही थी..
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

खैर, कुछ देर वहां बैठकर और रात का प्लान बनाकर पिंकी अपने घर चली गयी...
निशि भी उसके बाद काफ़ी देर तक खुश्बुदार साबुन से नहाती रही और अपनी होने वाली मीटिंग के बारे में सोचकर पुलकित होती रही...

रात को खाना खाकर वो अपने कमरे में आ गयी...
करीब आधा घंटा इंतजार करने के बाद उसने नीचे झाँककर देखा तो अपनी माँ को खर्राटे मारते हुए पाया...
उसका भाई अपने कमरे में सो रहा था...

अब वो निश्चिंत हो गयी और कमरे को अंदर से बंद करके, एक चादर और पिल्लो लेकर, पिछले दरवाजे से निकलकर छत्त पर आ गयी....
वहां पहले से ही पिंकी उसका इंतजार कर रही थी..



दोनो ने कुछ देर तक आपस में बाते की और लाला के आने का इंतजार करने लगी...

करीब एक बजे उन्हे साइकल पर लाला आता हुआ दिखाई दे गया...
उसके कंधे पर एक लकड़ी की सीढ़ी थी...
रात का समय था इसलिए शायद कोई पूछने वाला नही था लाला को की इतनी रात को सीढ़ी लेकर कहाँ जा रहा है...
दोनो सहेलियां बड़े गोर से लाला को देख रही थी...
घुपप अंधेरा होने की वजह से लाला उन्हे झाँकते हुए नही देख पा रहा था...
लाला ने साइकल दीवार से लगाकर खड़ी कर दी और सीढ़ी को निशि के घर के पिछले हिस्से पर लगा कर उपर चढ़ आया...
फिर लाला ने सीडी को उपर खींच लिया और बाल्कनी पर रखकर उपर वाली छत्त पर चड़ने लगा, जहां इस वक़्त दोनो सहेलिया छुपकर लाला की ये सारी हरकतें देख रही थी...
पिंकी भागकर अपनी छत्त पर जाकर पानी की टंकी के पीछे छुप गयी और निशि भी चादर बिछाकर उसपर लेट गयी...

कुछ ही देर में लाला उपर आ गया... अकेली लेटी मीनल यानी निशि को देखकर उसका चेहरा खिल उठा




निशि का दिल धाड़-2 बज रहा था...

लाला दबे पाँव उसके करीब आया और धीरे से आवाज़ लगाई : "मीनल...ओ मीनल...सो गयी क्या...''

इस वक़्त निशि इतना डर चुकी थी की उसके मुँह से कुछ निकला ही नही...
और इस डर से की कही वो उसकी आवाज़ ना पहचान जाए वो सोने का नाटक करती रही...

लाला उसके करीब आकर लेट गया और उसकी पीछे निकली हुई गांड पर अपना लंड लगाकर उससे लिपट गया

''अररी छमिया ..सो गयी क्या तू....थोड़ा इंतजार भी ना हुआ तुझसे मेरा.....चल अब उठ जा .....देख मेरा लंड कैसे बिदक रहा है मेरी धोती में ......''

निशि ने कुन्मूनाने का नाटक किया और अपनी गांड पीछे करके लाला के लंड से घिसने लगी...

निशि की तो हालत खराब हो रही थी ...
उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गांड के पीछे कोई बड़ा सा बेलन लेकर वहां की मालिश कर रहा है...
उस बेलन जैसे लंड पर अपनी नन्ही सी गांड घिसते हुए निशि के मुँह से सिसकारी निकल गयी...

लाला ने भी आवेग में आकर उसके बदन पर हाथ फेरना शुरू कर दिया...
और धीरे-2 लाला के हाथ उसकी टी शर्ट के अंदर सरक गये...
निशि भी सिसकारी मारती हुई अपने हाथ को पीछे तक ले गयी और लाला की धोती के उपर से ही उनके लंड को पकड़ कर अपनी लार टपकाने लगी....

लाला के हाथ जैसे ही निशि के नन्हे कबूतरो पर आए तो वो चोंक गया...
वो इसलिए की सुबह के मुक़ाबले ये काफ़ी छोटे लग रहे थे....
ऐसा कैसे हो सकता है....

लाला ने बारी-2 से दोनो को हाथ में लिया तो उसका शक यकीन में बदलता चला गया की ये वो छातिया नही है जिन्हे उसने सुबह बुरी तरह से अपने हाथो और मुँह से निचोड़ा था...

लाला को एक पल के लिए लगा की वो कही ग़लती से किसी और की छत्त पर तो नही आ गया...
या फिर मीनल के बदले ये कोई और लड़की तो नही है...

पर जिस अंदाज से वो लाला के लंड को पकड़ कर सीसीया रही थी उससे तो यही लग रहा था की वो लाला का ही इन्तजार कर रही थी..

पर फिर भी लाला ने अपनी शंका का समाधान करने के लिए उसके कान को मुँह में भरकर ज़ोर से चूसा और धीरे से कहा : "ओ मीनल....मेरी जान.....लाला का लंड चुसेगी.....बता.....''

जवाब में निशि ने मीनल की तरह आवाज़ में भारीपन और मिठास लाते हुए कहा : "हाँ लाला.....जब से तूने झरने के नीचे मेरी प्यास बुझाई है, तब से तेरे लंड को दोबारा चूसने के लिए तड़प रही हूँ मैं ......''

लाला का तो सिर चकरा गया....उसकी आवाज भी मीनल से नहीं मिल रही थी
उसे यकीन था की ये मीनल नही है फिर भी मीनल होने का नाटक क्यो कर रही है...

और अचानक लाला की ट्यूबलाइट जल उठी....
उसने मन ही मन कहा : 'कहीं ....कहीं ये....ये निशि तो नही है.....हाँ ..ये वही है....साली अपनी बहन के बदले यहाँ आ गयी है...लगता है दोनो बहनो की प्लानिंग है ये...सोच रही होगी की लाला को पता नही चलेगा....ये कुतिया की बच्ची ये नही जानती की लाला इन सभी का बाप है.....और वैसे भी, इस चिड़िया को पकड़ने के लिए तो कितने दिनों से दाना फेंक ही रहा था मैं ...अच्छा हुआ की खुद ही मेरे जाल में फँस गयी आकर....लगता है इसकी चूत में काफ़ी खुजली हो रही है...आज इसकी सारी इच्छाएं पूरी कर दूँगा मैं ....'

इतना कहकर उसने मीनल उर्फ निशि का चेहरा अपनी तरफ किया और उसके होंठो पर टूट पड़ा....

उफ़फ्फ़.....
क्या नर्म होंठ होते है इन कुँवारी लड़कियों के...
मुँह में लेते वक़्त एकदम कठोर...
पर चूसते - 2 कब वो पिघलकर एकदम नर्म हो जाते है पता ही नहीं चलता और फिर उनमें से जो रस निकलता है उसका मुकाबला तो महंगी से महंगी शराब भी नही कर सकती...

दूर बैठी पिंकी ये सब देखकर पागल सी हो रही थी....
बेचारी बुरी तरह से अपनी छाती पर लगे निप्पल्स को कचोटती हुई दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी....
और सोच रही थी की काश वो इस वक़्त होती लाला की गिरफ़्त में तो मज़ा ही आ जाता...

पर अब पछताने से कुछ नही होने वाला था....
क्योंकि इस वक़्त तो लाला के कठोर हाथो के मज़े निशि ले रही थी....

लाला ने उसके होंठ चूसते -2 उसे अपने उपर ले लिया और उसे अपने लंड पर बिठाकर अपने हाथ उपर करके उसकी कड़क चुचियो को ज़ोर-2 से रगड़ने लगा....

निशि अपनी आँखे बंद करके लाला के सख़्त हाथो का मज़ा ले रही थी...
भले ही घुपप अंधेरा था, पर लाला की पारखी नज़रों ने अंधेरे में देखकर ही ये कन्फर्म कर लिया की वो निशि ही है...
अब उसका लंड और भी ज़्यादा उतावला होकर उसकी गांड के नीचे कुलबुला रहा था...
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

लाला के हाथ और गांड के नीचे उसके लंड को महसूस करके निशि ने आवेश में आकर एक ही झटके में अपनी टी शर्ट उतार फेंकी....

और अब उसकी नन्ही-2 बूबियाँ लाला के सामने नंगी थी....



इस वक़्त तो वो ये भी भूल चुकी थी की वो मीनल बनकर लाला से मज़े ले रही है....

उसने लाला के सिर को पकड़ा और अपनी छाती से लगाकर अपने जामुन जैसे निप्पल उसके मुँह में ठूस दिए....
लाला ने अपना दैत्याकार मुँह खोलकर उसके दाने समेत पूरे बूब्स को ही अपने मुँह में निगल लिया...
बेचारी दर्द से छटपटाने लगी...

''आआआआआआआआआआआहह .....लाला..................आआआआआअहह माआआर डाला रे........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''

अपनी कमसिन छाती पर पहली बार किसी मर्द के दांतो की कचकचाहट महसूस करके उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया...
लाला की धोती तक उसकी सीलन पहुँच गयी और लाला का रामलाल एक कुँवारी चूत की गंध सूँघकर बेकाबू सा हो गया और धोती का सिरा साइड में करके अपना सिर बाहर निकाल लिया उसने और निशि की कसावट वाली गांड पर अपना चेहरा रगड़ने लगा...

निशि तो पागल सी हो गयी लाला के लंड को और करीब से महसूस करके....
उसने लाला के मुँह से अपना बूब छुड़वाया और उन्हे लिटाकर धीरे-2 किसी नागिन की तरह वो नीचे की तरफ सरकने लगी...



टॉपलेस नागिन थी वो इस वक़्त जो लाला के लंड को डसने निकल पड़ी थी..

लाला की टाँगो के बीच बैठकर उसने किसी दुल्हन की तरह लाला की धोती खोलकर अंदर की दुल्हन यानी लाला के लंड को पूरा बाहर निकाल दिया...

घने अंधेरे में ही सही पर उसकी काली चमड़ी दमक रही थी...
और दमकती भी क्यो नही, रोज सुबह नहाते हुए वो सरसो के तेल से मालिश करता था अपने प्यारे रामलाल की...

लाला के लंड की चमक दूर बैठी पिंकी की आँखो तक भी गयी.....
जिसे देखकर उसने अपनी पायजामी उतारकर अपनी 3 उंगलियाँ एक साथ अपनी चूत में उतार दी...

और बुदबुदाई : "अह्ह्ह्ह लाला......क्या लंड है तेरा.....कसम से....मुझे मौका मिला तो पूरा निगल जाउंगी एक ही बार में ......''

और ज़ोर-2 से वो अपनी चूत के अंदर उंगलियाँ डालकर मूठ मारने लगी...

निशि ने जब अपने चेहरे के सामने लाला के नाग को फुफकारते हुए देखा तो उससे भी सब्र नही हुआ...
उसने दोनो हाथो से उसे पकड़ा और मुँह में ले लिया...
अपनी बहन की तरह उसे भी लाला के लंड को मुँह में लेने में मुश्किल हुई पर उसने हार नही मानी और अपने मुँह को जितना खोल सकती थी उसे खोला और लाला के प्यारे रामलाल को मुँह में लेकर ही मानी...




लाला को तो ये रेशमी एहसास ऐसा लग रहा था जैसे किसी कसी हुई गीली चूत में अपना लंड डाल दिया हो उन्होने..

निशि ने लाला के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपने मुँह को पूरा उपर नीचे करते हुए लाला के लंड को चूसने लगी...



लार निकल-2 कर साइड में गिर रही थी....
साँस लेने मे मुश्किल हो रही थी
पर निशि ने लंड चूसना नही छोड़ा...

लाला तो उसकी ये कला देखते ही समझ गया की ये भेंन की लौड़ी पूरे गाँव में लंड चुसाई की मिसाल पेश करेगी एक दिन...

लाला की उम्र के सामने निशि की जवानी की कसावट ही ऐसी थी की लाला का लंड ना चाहते हुए भी एक मिनट के अंदर झड़ने लगा...

लाला के लंड से निकले गाड़े रस को महसूस करते ही निशि अपना चेहरा पीछे करने लगी पर लाला ने अपने सख़्त हाथ उसके सिर पर लगाकर उसे हटने ही नही दिया...
और अंत में ना चाहते हुए भी उसे लाला के लंड की क्रीम अपने गले से नीचे उतारनी पड़ी...

पर एक बार जब उस रस का स्वाद उसकी जीभ को लगा तो वो सोचने लगी की मैं तो बेकार में ही उस रसीले पानी को छोड़ने लगी थी.....
ऐसा मज़ा तो गन्ने के रस में भी नही होता...

बस...
फिर क्या था....
एक रंडी की तरह उस निशि ने लाला के लंड को निचोड़ डाला...

उसके लंड की बांसुरी तब तक बजाती रही जब तक उसमें से सुर निकलने बंद नही हो गये...

सुर तो लाला के मुँह से भी नही निकल रहे थे अब....
साली ने उसके लंड को इतनी बुरी तरह से चूसा था की अब उसे खड़ा होने में करीब 1-2 घंटे और लगने थे....

और इतना टाइम उसके पास नही था...
वैसे भी 3 तो बज ही चुके थे ये खेल खेलते-2 ....
गाँव का मामला था, कई लोग 4 बजे उठकर सेर करने निकल पड़ते थे
उनसे बचने के लिए लाला का वापिस जाना ज़रूरी था...
इसलिए अपनी धोती समेट कर वो चुपचाप जिस रास्ते से आया था , उसी रास्ते से नीचे उतर गया...
और नीचे पहुँचकर अपनी साइकल पर बैठकर अपने घर की तरफ निकल गया..

और पीछे छोड़ गया निशि को
जो अधनंगी सी पड़ी हुई
लाला के वीर्य में नहाई हुई सी
अपनी चूत से रिस रहे रस को अपनी उंगलियो से मसलती हुई
किसी दूसरी ही दुनिया में गुम थी....

उसे तो यकीन ही नही हो रहा था की ये सैक्स का खेल इतना मज़ा देता है....
जब आधे अधूरे से खेल ने इतना मज़ा दिया है तो पूरा खेलने में कितना मज़ा आएगा...

इसी बीच अपनी छत्त पर छुपकर बैठी पिंकी भी, बिना सलवार के , उसके करीब आ गयी....
उसकी आँखो में भी एक अलग ही तरह की हवस तेर रही थी....
जिसे बुझाना ज़रूरी था ..

अभी के अभी...

ये रात और भी लंबी होने वाली थी इन छोरियों के लिए...
rakesh1015

Re: हरामी साहूकार

Post by rakesh1015 »

update karo bhai
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

पिंकी जब निशि के करीब आई तो अपनी चादर पर वो ऊपर से नंगी होकर पसरी पड़ी थी...
उसके चेहरे और छाती पर लाला के वीर्य की बूंदे चमक रही थी....
जैसे सोने के थाल पर खीर के छींटे पड़ गये हो..


पिंकी ने एक लंबी सी सिसकारी मारते हुए कहा : "साली....क्या किस्मत है रे तेरी......लाला का लंड चूस लिया आज तो तूने...इतना मोटा लंड था...मुँह में भी नही जा रहा था तेरे...फिर भी निगल गयी थी....एक नंबर की कुतिया है तू तो....सच में यार....आज पहली बार तुझसे जलन हो रही है की मुझे क्यो नही मिले ये मज़े ......काश मैं होती तेरी जगह आज.....लाला के लंड को चूस लेती बुरी तरह से......उम्म्म्म......क्या लंड था यार.....अंधेरे में भी हीरे की तरह चमक रहा था....''

पिंकी एक ही साँस में बोलती चली जा रही थी और निशि अपनी चूत में उंगली डालकर लाला के ख़यालो में खोई हुई थी...

अंत में वो बोली : "सही कह रही है तू यार....लाला का लंड सच में कमाल का था....क्या खुश्बू थी उसकी....और उसमें से निकला ये रस....उम्म्म्मममममम......मैं तो जबरी फेन हो गयी रे लाला के लंड की और उसके इस मीठे पानी की....''

पिंकी ने जब निशि के चेहरे पर चमक रही लाला के रस की बूँद देखी तो उसे पता नही अचानक क्या हुआ और उसने नीचे झुकते हुए वो बूँद अपनी जीभ से चाट ली...

''आआआआआआआआआआहह.......सच कह रही है रे तू.....क्या बड़िया स्वाद है....लगता है लाला को मीठा बहुत पसंद है....''

दोनो सहेलियां खिलखिला कर हंस दी..

और फिर तो पिंकी बावली सी होकर निशि पर टूट ही पड़ी...
पिंकी ने निशि का पायज़ामा भी उतार फेंका...
अब निशि का नंगा शरीर चटाई की तरह बिछा पड़ा था उसके सामने...



वो अपनी जीभ से उसके हर अंग को किसी कुतिया की तरह चाटने लगी...
निशि ने भी कुतिया बनी पिंकी का टॉप पकड़कर निकाल दिया और अब वो दोनो सहेलियां, घुपप अंधेरे में , छत्त पर एकदम नंगी थी.

पिंकी ने सबसे पहले तो उसके मुँह पर अपना मुँह लगाकर उसे चूमना और चूसना शुरू कर दिया...
और उसके मुँह से जितना हो सकता था, लाला का बचा खुचा रस निकाल कर खुद पी गयी...

दोनो के कमसिन और नन्हे बूब्स एक दूसरे से टकरा कर करर्र की आवाज़े निकाल रहे थे....
कभी पिंकी उसके बूब्स को चूसती और कभी निशि...

उन्होंने आज से पहले इतनी बुरी तरह से एक दूसरे को प्यार नही किया था..



और आज ऐसा करने का कारण ये था की दोनो एक दूसरे में लाला का अक्स देख रही थी..

वो सोच रहे थे की ये वो अपनी सहेली के साथ नही बल्कि लाला के साथ कर रहे है..

बस कमी थी तो लाला के लंड की....
क्योंकि दोनो के लंड वाली जगह तो चूते थी...

पर दोनो में हवस ही इतनी बढ़ चुकी थी की पिंकी ने एक पलटी मारकर अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा कर उसे चूसने लगी...

दोनो के मुँह से किलकरियाँ फूट पड़ी...
पिछले 1-2 घंटे से दोनो की चूत नदियाँ बहा रही थी और अब उन नदियों का पानी पीने के लिए एक दूसरे के मुँह आ गये थे जो सडप -2 की आवाज़ के साथ एक दूसरे का रस चूस रहे थे..



भले ही अभी के लिए उन्हे चूत चूसने में मज़ा आ रहा था पर दोनो के मन में यही चल रहा था की काश इस वक़्त लाला का लंड होता उनके मुँह में ...

और इन्हीं गंदे विचारों ने उनकी चूत का तापमान बड़ा कर उच्चतम सीमा तक कर दिया और दोनो भरभराते हुए झड़ने लगी...

पिंकी चिल्लाई
''आआआआआआआआआआअहह.......मेरी ज़ाआाआआआआआअन्न्.....मैं तो गयी रे.......अहह........ओह लाला.................क्या जादू कर गया रे.......अपना लंड दिखाकर अपना गुलाम बना लिया रे तूने ......आआआआआआआआहह''

निशि ने भी उसकी सिसकारी में अपनी सिसकारी मिलाई

''आआआआआआआआहह.....सही कहा तूने............सच .....गज़ब का जादू कर गया वो लाला..........उम्म्म्ममममममम.......क्या लंड था यार.......मन तो कर रहा है उसकी गुलाम बनकर हमेशा उसका लंड चूसती रहूं .....नहाती रहूं उसके मीठे रस में ......''

दोनो की चूत से खट्टे पानी की बौछारें हवा में उछल रही थी.....
कुछ एक दूसरे के मुँह में जा रही थी और कुछ नीचे की चादर पर....

ऐसी तृप्ति उन्हे आज तक नही मिली थी.....
ये ठीक वैसा ही था जैसे उनकी जवानी को एक नया आयाम मिल गया हो लाला के रूप में ....
जिसके मध्यम से वो अपने अंदर की सारी इच्छाएं पूरी करना चाहती थी...

और उधर उस लाला को ये भी पता नही था की उसके लंड की याद में पीछे कितना बवाल हो रहा है....
अगर लाला ये खेल देखने के लिए वहां छुपा रहता तो उसे आज अपने आप पर और अपने रामलाल पर गर्व होता..

लेकिन वो तो घर जाकर आने वाले कल के नये प्लान बना रहा था...
क्योंकि जिस चिड़िया ने आज उसका लंड चूसा था उसके और उसकी सहेली पिंकी के उपर उसकी काफ़ी दीनो से नज़र थी....
और उसकी उन्ही कोशिशो का प्रमाण था की वो खुद ही उसकी झोली में आ गिरी थी...

वो हरामी लाला ये बात तो जानता ही था की दोनो सहेलियां जो भी करती है एक साथ ही करती है, और हो ना हो, आज निशि के छत्त पर होने के बारे में उसकी सहेली पिंकी को भी पता ज़रूर होगा...

लाला जान चुका था की वो मीनल नही बल्कि उसकी बहन निशि थी और ये बात लाला को अब अच्छे से पता चल चुकी थी की निशि अब उसके लंड के लिए पागल हो चुकी होगी और जल्द ही अपनी तरफ से खुद पहल करके चुदवाने आएगी...

अब यहाँ लाला के पास 2 विकल्प थे...
एक तो वो निशि को चोद डाले और बाद में पिंकी के भी समर्पण का इंतजार करे..
या अपनी चालाकी से निशि को मजबूर कर दे ताकि वो खुद अपनी सहेली को उसके सामने लेकर हाजिर हो जाए....
ऐसे में एक साथ 2 कमसिन लड़कियों की चुदाई का जो आनंद उसे मिलेगा, उसका मुकाबला दुनिया के किसी भी सुख से नही किया जा सकेगा..

बस...
डिसाईड कर लिया की जो भी हो, वो दोनों को एक साथ ही चोदेगा
लाला अपने कपटी दिमाग़ में योजनाए बनाने लगा की कैसे वो अपने प्लान को सार्थक करे..

अगले दिन निशि जब उठी तो उसे रात में हुई एक-एक बात याद आने लगी...
अभी तक उसके जिस्म से लाला के लंड से निकले मीठे पानी की खुश्बू आ रही थी...
अपनी चूत पर अभी तक उसे पिंकी के होंठ और तेज दांतो की चुभन महसूस हो रही थी...
काश लाला ने भी उसकी चूत को चूसा होता..
पर कल रात जो हुआ उसके बाद तो अब उसकी चूत की कसक और भी बढ़ चुकी थी और उसने निश्चय कर लिया की अब ऐसे मीनल दीदी की आड़ में वो और कुछ तो कर ही नही पाएगी इसलिए उसे खुद ही सामने आकर , बेशर्म बनकर लाला को वो सब करने के लिए राज़ी करना होगा...
लाला तो खैर पहले से ही राज़ी था
उसे तो बस अपने आप को खुलकर लाला के सामने पेश करना था बस..

और इसी निश्चय के साथ वो उठ खड़ी हुई और नहा धोकर, अच्छे से तैयार होकर , पिंकी को बिना बताए ही वो लाला की दुकान की तरफ चल दी.

वहां लाला को भी पता था की आज निशि की चूत में ज़रूर फुलझड़ियां छूट रही होगी और वो आएगी ज़रूर, इसलिए वो खुद ही अपना प्लान बनाकर उसका इन्तजार कर रहा था..

लाला ने जब उसे अपनी दुकान की तरफ आते देखा तो उसने अपनी धोती में छुपे अपने यार, प्यारे रामलाल को पूचकारा और धीरे से कहा : "बेटा रामलाल....देख आ रही है वो कड़क माल....जिसकी चूत जल्द ही तेरी खुराक बनेगी...''

निशि ने मुस्कुराते हुए लाला की दुकान में प्रवेश किया और बोली : "राम राम लाला जी....''

उसे देखकर लाला का चेहरा खिल उठा



लाला : "आ री निशि आ जा....कैसी है तू....आजकल अकेली ही चली आती है अपनी जोड़ीदार के बिना...पहले तो तुम दोनो एक दूसरे के बिना दिखती भी नही थी...''

निशि ने बड़ी ही बेशर्मी भरी नजरों से लाला को देखा और बोली : "बस लालाजी....आप ही हो इस बात के ज़िम्मेदार....अकेले में आने का जो फ़ायदा आपसे मिलता है, वो साथ आने में नही मिल पाता...''

लाला समझ गया की वो कल वाली बात को सोचकर ये सब कह रही है....
जब लाला ने पिंकी को क्रीम रोल के बहाने अपने लंड के दर्शन करा दिए थे....
शायद उसी तरह के कुछ कार्यकर्म की आस में वो आज वहां आई थी...

लाला गोर से उसकी कुरती को देख रहा था और उसे ये पता करते देर नही लगी की उस हरामन ने आज ब्रा नही पहनी हुई है....
रंडी के दोनो निप्पल बटन बनकर उसकी छाती पर चमक रहे थे...

लाला को अपनी छाती की तरफ देखता पाकर निशि के वो कड़क निप्पल और भी ज़्यादा उभर कर बाहर निकल आए...
जब उनकी तारीफ लाला की हवस भरी नज़रें चिल्ला-2 कर कर रही हो तो उनसे कैसे बैठा जाना था दुबककर...
लाला तो सिर्फ़ उसकी छाती ही देख रहा था...
उसे ये नही पता था की उसके घाघरे के अंदर छुपी चूत भी बिना पेंटी के है आज....
यानी फुल तैयारी के साथ आई थी वो लाला की दुकान पर..

लाला कुछ देर तक उसे देखता रहा और बोला : "और सुना निशि ...तेरी बहन मीनल कैसी है....''

मीनल का नाम लेते हुए लाला जान बूझकर अपने रामलाल को निशि के सामने ही रगड़ रहा था ताकि उसे भी पता चले की उसकी बात का मतलब क्या है..

निशि कुछ देर तक तो चुप रही
फिर उसने अपनी नज़रें नीचे कर ली और कहना शुरू किया

"वो...वो ...लालाजी ...वही बात करने मैं आज आपके पास आई थी....कल सुबह ...मैने ...और पिंकी ने ...आपको और मीनल दीदी को झरने के नीचे....वो ...वो सब ....करते ...देख लिया था....और ...बाद में अचानक दीदी को अपने घर के लिए निकलना पड़ा....पर आपकी बातें सुनने के बाद...मैने और पिंकी ने यही प्लान बनाया की ....की...रात को जब आप घर आओगे तब मैं मीनल दीदी की जगह लेट जाउंगी ....और आपको पता नही चलेगा....और ....कल रात जब आप छत्त पर आए...तो...वहां ...मैं थी.....मीनल दीदी नही....''

ये एक-2 शब्द बोलते हुए निशि का सीना धाड़-2 बज रहा था...
घाघरे के अंदर छुपी चूत से टपा-टप रसीले पानी की बूंदे दुकान के फर्श पर गिर रही थी...

लाला को अब समझ में आया की अचानक मीनल कहां गायब हो गयी...पर ये नहीं समझ पाया की वो पिंकी और निशि की चाल थी
बाकी तो उसे पता ही था की यही थी कल रात को....
और ये सब वो उसे इसलिए बता रही थी क्योंकि अब उसे शायद अपनी चूत की खुजली बर्दाश्त नही हो रही थी...

पर फिर भी वो अनजान बनने का नाटक करते हुए और डरी हुई सी आवाज़ में बोला

"ओहो.....ये तो बहुत ग़लत बात हो गयी....एक तो तूने कल मुझे अपनी बहन की चुदाई करते देख लिया और उपर से मैने तेरे साथ वो सब किया....ऐसा मुझे नही करना चाहिए था निशि ....ऐसा मुझे नही करना चाहिए था....''

लाला ने अपना चेहरा एक बेचारे की तरह बना लिया...
जैसे सच में उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा हो...

लाला के शब्द सुनते ही निशि ने सकपका कर अपना चेहरा उपर किया और अपना कोमल हाथ लाला के हाथ पर रखते हुए बोली : "अर्रे नही लालाजी ....मैं ये सब यहाँ इसलिए नही कहने आई हूँ की मुझे ये सब बुरा लगा....अगर ऐसा होता तो मैं भला मीनल दीदी के बदले वहां क्यो लेट जाती...और आपके साथ वो सब करती....वो तो मैं आपको इसलिए बता रही हूँ ताकि....आपको पता हो की....की मैं थी वो.....और....और ...मुझे....वो...बुरा नही लगा....''

लाला ने उसके नर्म हाथ को अपने कठोर हाथो में ज़ोर से दबा दिया और कहा : "बुरा नही लगा ...यानी अच्छा लगा तुझे....है....बोल ना.... अच्छा लगा ना तुझे लाला का लंड ...ह्म्म्म्म....बोल ना....''

जवाब में निशि की नज़रों में गुलाबीपन उतर आया....
और उसने शरमाते हुए अपनी नज़रें फिर से झुका ली और बहुत धीमी आवाज़ में बोली : "जी लालाजी.... अच्छा लगा मुझे...आपका...वो..रामलाल...''
Post Reply